Friday , October 25 2024

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पत्नी की ऐसी नाराजगी पति ने पसंद की शर्ट नहीं पहनी तो मौत को लगाया गले

राजस्थान के कोटा जिले में पति-पत्नी के रिश्तों में बढ़ती दूरियों का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें छोटी सी बात को लेकर पत्नी ने मौत को गले लगा लिया। बताया जा रहा है कि बात केवल ये थी कि पत्नी ने पति का उसके पसंद की शर्ट पहनने के लिए कहा था।

जानकारी के अनुसार, कोटा के आरकेपुरम थाना क्षेत्र में 23 साल की विवाहिता ने फंदा लगाकर मौत को गले लगा लिया। मृतका अंजली रामचंद्रपुरा की रहने वाली थी, जिसकी दो पहले मध्यप्रदेश के मंदसौर के रहने वाले शुभम के साथ विवाह हुआ था।

दो साल पहले ही हुई थी शादी

शुभम ने बताया कि वह आवली रोझड़ी इलाके में किराए के मकान में रहता है। यहां कोटा में ही प्राइवेट कंपनी में काम करता है और दो साल पहले ही उसकी अंजलि से शादी हुई है। अंजलि अक्सर बीमार रहती थी, मंगलवार को भी उसके सिर और पेट में दर्द था। इसी कारण उसका स्वभाव ठीक नहीं लग रहा था। पत्नी अंजलि ने सुबह उसकी पसंद की शर्ट पहनने के लिए कहा था, इसलिए वह टेलर के यहां नई शर्ट सिलवाने भी गया था। इसी बात को लेकर पति-पत्नी में बहस हो गई। जिसके बाद वह भूखे पेट ही ड्यूटी के लिए निकल गया।

 

ऐसा कदम उठा लेगी, पता नहीं था

शुभम का कहना है कि उसे ऐसा पता नहीं था कि उसकी मनपसंद की शर्ट पहनना अंजलि को इतना बुरा लगेगा कि वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेगी। ऐसा पता होता तो वह उससे फोन पर बात ही कर लेता। हालांकि, शुभम ने अपनी बहन को अंजलि की तबीयत के बारे में ध्यान रखने के लिए कहा था। उधर, मृतका के पिता का कहना है कि कभी भी दोनों पति-पत्नी के बीच झगड़े की बात सामने नहीं आई। अंजली BA में पढ़ रही थी। हालांकि, पुलिस पूरे मामले की जांच करने में जुटी है।

नाम की गलतफहमी में कर दिया बुखार के मरीज का ऑपरेशन मौत के बाद अस्पताल सील

बुलंदशहर

दिल्ली रोड स्थित सुधीर नर्सिंग होम में डॉक्टरों और स्टाफ की बड़ी लापरवाही से एक मरीज की जान चली गई। यहां एक ही नाम के दो मरीजों की गफलत में चिकित्सक ने बुखार से पीड़ित व्यक्ति का ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन के बाद मरीज की मौत पर परिजनों ने जबरदस्त हंगामा किया।

मृतक के पुत्र की तहरीर पर चिकित्सक समेत स्टाफ के चार-पांच अज्ञात लोगों के खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर लिया है। डॉक्टर और स्टाफ फरार हो गए। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

नरसेना क्षेत्र के गांव करियारी निवासी यूसुफ सैफी(45) पुत्र अल्लानूर कई दिनों से बुखार से पीड़ित था। परिजनों ने उसे बुलंदशहर नगर के दिल्ली रोड स्थित सुधीर नर्सिंग होम में भर्ती कराया था। जांच के बाद चिकित्सक ने यूसुफ को डेंगू की पुष्टि की और प्लेटलेट्स कम होने की बात कही।

 

होश होने पर हुआ खुलासा  

परिजनों का आरोप है कि गुरुवार सुबह उसे एक जूनियर चिकित्सक ने आपरेशन रूम में बुलाया, जहां पहले से मौजूद चिकित्सक व अन्य टीम ने उसे आपरेशन बैड पर लिटा लिया और पेट में चीरा लगाकर आपरेशन शुरू कर दिया। बाद में युसूफ को होश आया तो उसने परिजनों को घटना से अवगत कराया। इसके बाद यूसुफ सैफी की पत्नी साइन बेगम और बेटा आलमशेर हंगामा शुरू कर दिया।

ऑपरेशन थियेटर सील, पुलिस ने जब्‍त किए रिकार्ड

नगर क्षेत्र के दिल्ली रोड स्थित सुधीर नर्सिंग होम में बुखार के मरीज की मौत के बाद सीएमओ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए टीम भेजकर ऑपरेशन थियेटर को सील कर दिया। वहीं, मौके से भी मरीजों का रिकॉर्ड मिला उसे कब्जे में ले लिया।

उधर, मरीज की मौत से दहशत में आए और हंगामा देखकर अन्य मरीज खुद ही नर्सिंग होम छोड़कर चले गए। वहीं सुधीर कुुुमार अग्रवाल अस्पताल संचालक के खिलाफ तहरीर दी है।

दो मरीजों का एक ही नाम यूसुफ होने की गफलत में गलत ऑपरेशन की वजह से बुखार पीड़ित मरीज यूसुफ की मौत के बाद अफरा-तफरी मच गई। अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजों को चिकित्सक एवं स्टाफ भगवान भरोसे छोड़कर फरार हो गए। अस्पताल में भर्ती मरीजों को जाने के लिए कह दिया। भर्ती मरीजों में हड़कंप मच गया।

पूर्व विधायक और किसान नेता भी पहुंचे निजी अस्पताल

नरसेना क्षेत्र के ग्रामीण की गलत ऑपरेशन की वजह से मौत की जानकारी मिलने पर पूर्व विधायक श्री भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित और अन्य किसान नेता भी निजी अस्पताल पहुंच गए। पूर्व विधायक ने पुलिस अधिकारियों से वार्ता कर मामले में दोषी चिकित्सक एवं अन्य स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की। कुछ लोगों द्वारा वहां समझौते का प्रयास किया गया, किंतु परिजन कार्यवाही की मांग पर अड़े रहे।

 

सुधीर नर्सिंग होम का ऑपरेशन थियेटर सील किया जा रहा है। मौके से आरोपी डॉक्टर और स्टाफ फरार हो गया है। इसलिए कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। एसीएमओ मामले की जांच कर रहे हैं।

डा.विनय कुमार सिंह, सीएमओ

चिकित्सक ने बिना अनुमति के ऑपरेशन किया। ऐसे में पेट से किडनी अथवा अन्य अंग निकाल लिए जाने की आशंका है। डॉक्टर और स्टाफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने को तहरीर दी है।

आकिल, मृतक का पुत्र परिजन

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। डॉक्टर और स्टाफ फरार हो गया है।

सुरेन्द्र नाथ तिवारी, एसपी सिटी

23 अक्टूबर से प्रतिज्ञा यात्रा की शुरुआत करेंगी प्रियंका गांधी कांग्रेश निकालने की तीन यात्राएं

चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस अपनी प्रतिज्ञा यात्रा की शुरुआत 23 अक्तूबर से करेगी। ये यात्राएं पश्चिमी यूपी, बुंदेलखण्ड और पूर्वांचल के जिलों से गुजरेंगी। प्रियंका गांधी बाराबंकी से इन यात्राओं की शुरुआत करेंगी और इस मौके पर जनसभा को संबोधित करेंगी।  एक यात्रा बाराबंकी से चलकर झांसी, दूसरी यात्रा सहारनपुर से चलकर मथुरा, तीसरी यात्रा वाराणसी से चल कर रायबरेली तक आएगी। इन यात्राओं का समापन एक मेगा इवेंट के रूप में एक नवम्बर को होगा। यात्राएं 89 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी।

प्रियंका गांधी 23 अक्तूबर को बाराबंकी के जैदपुर विधानसभा क्षेत्र के हरख इंटर कॉलेज के मैदान में जनसभा को सम्बोधित करेंगी। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस के बड़े नेता रहेंगे। बाराबंकी से निकाली जाने वाली यात्रा 24 को लखनऊ के चार विधानसभा क्षेत्रों से होकर निकलेगी। 25 को उन्नाव, 26 को फतेहपुर, 27 को चित्रकूट, 28 को बांदा, 29 को हमीरपुर, 30 को जालौन, 31 को झांसी में रहेगी। एक नवम्बर को झांसी में बड़ा कार्यक्रम होगा।

 

पूर्वांचल से निकलने वाली यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गढ़ काशी से निकाली जाएगी। 23 को वाराणसी, 24 को चंदौली-सोनभद्र, 25 को सोनभद्र-मिर्जापुर, 26 को प्रयागराज, 27-28 को प्रतापगढ़, 29-30 को अमेठी, 31 व एक नवम्बर को रायबरेली में यात्रा रहेगी। सहारनपुर से निकलने वाली यात्रा 23 व 24 को सहारनपुर की सभी विधानसभाओं से गुजरेगी। 24 को मुजफ्फरनगर, 25 व 26 को बिजनौर व मुरादाबाद, 27-28 को रामपुर व बरेली, 29 को बरेली व बदायूं, 30 को अलीगढ़ व हाथरस, 31 को आगरा और एक नवम्बर को मथुरा में यात्रा खत्म होगी।

 

शिवपाल का ऐलान सरकार बनी तो हर परिवार को सरकारी नौकरी का बनाएंगे कानून

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने गुरुवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की सरकार बनने पर कानून बनाकर हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। अपनी सामाजिक परिवर्तन यात्रा के तहत कौशांबी आए शिवपाल ने मंझनपुर तहसील के कोडर गांव में आयोजित जनसभा में कहा, हमारी पार्टी की सरकार बनी, तो हम प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को कानून बनाकर सरकारी नौकरी देंगे। इसके अलावा हर परिवार को 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी और स्नातक बेरोजगार को स्वरोजगार के लिए पांच लाख रुपये दिए जाएंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपना एक भी चुनावी वादा पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा इस पार्टी (भाजपा)के शासन में पूरे देश के मजदूर, किसान, नौजवान और व्यापारी परेशान हैं। किसान नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 10 माह से आंदोलन कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि समान विचारधारा वाले दल एक साथ मिलकर भाजपा को सत्ता से हटाने का काम करें। शिवपाल ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की गलत नीतियों और फैसलों के कारण उद्योग धंधे बंद होने की कगार पर हैं और प्रदेश में बिजली का संकट बढ़ गया है।

पति से तकरार के बाद मां ने ही करा दिया अपने 4 साल के बेटे का अपहरण खुला प्रेमी का राज

कुशीनगर

पति से तकरार के बाद एक मां ने अपने ही चार साल के बेटे का अपहरण करा दिया। घर के बाहर खेलते-खेलते यूं अचानक बच्‍चे के लापता हो जाने से हैरान पिता ने पुलिस को सूचना दी तो महकमे में हड़कंप मच गया। तुरंत पुलिस की कई टीमें बच्‍चे की तलाश में जुट गईं। गांव के आसपास तालाब, गड्ढे सहित तमाम स्‍थानों पर बच्‍चे की तलाश की जाने लगी। इसी दौरान पुलिस को बच्‍चे की मां और उसके कथित ‘प्रेमी’ के बारे में पता चला और यह मामला खुलता चला गया। थोड़ी देर की जांच में खुलासा हो गया कि बच्‍चे का अपहरण उसकी मां ने ही कराया है। उसे गायब कराकर मां ने मायके भिजवा दिया था।

इसके बाद पुलिस ने कुछ राहत की सांस ली। बच्‍चे की बरामदगी के लिए पुलिस टीम रवाना कर दी गई। मिली जानकारी के अनुसार बच्‍चे की मां का मायका कुशीनगर जिले के कसया थाना क्षेत्र में है। वह गोरखपुर के चौरीचौरा थाना क्षेत्र के विश्‍वम्‍भरपुर में रहने वाले अपने पति धीरेन्‍द्र गौड़ को छोड़कर पांच महीने पहले कहीं चली गई थी। वह अपनी तीन साल की बेटी और चार साल के बेटे को उनके पिता के पास छोड़ गई थी। धीरेंद्र का बेटा अंशू बुधवार की सुबह 11 बजे घर के सामने ही खेल रहा था। खेलने के दौरान ही वह रहस्यमय हाल में लापता हो गया। परिवारीजनों ने काफी तलाश की लेकिन बच्‍चा नहीं मिला। तब शाम को इसकी सूचना डायल 112 पर दी गई। बच्चे के अपहरण की सूचना मिलते ही पुलिस जांच में जुट गई।

 

इंस्पेक्टर श्याम बहादुर सिंह, सोनबरसा चौकी प्रभारी मदन मोहन मिश्रा और भारी पुलिस फ़ोर्स पहुंच गई। इंस्पेक्टर ने इसकी खबर अफसरों को दी जिसके बाद एसपी नार्थ मनोज कुमार अवस्थी भी मौके पर पहुंच गए। पुलिस ने बच्‍चे के पिता के अलावा गांव के लोगों से बात की। पूछताछ में पता चला कि धीरेंद्र का उसकी पत्नी से पारिवारिक विवाद चल रहा है। लोगों ने आशंका जाहिर की कि बच्चे की मां ने ही एक व्यक्ति के जरिये उसका अपहरण कराया है। इसके बाद पुलिस ने मां के साथ ही उस व्यक्ति की भी तलाश में जुट गई। पति का आरोप था कि रामू कन्नौजिया ही उसकी पत्नी को अपने साथ ले गया है। वह कुशीनगर जिले का रहने वाला है। इस पर पुलिस रामू के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज बच्‍चे की तलाश में जुट गई। सूत्रों के अनुसार इसी बीच पुलिस को पुख्‍ता सूचना मिली कि बच्‍चा अपने ननिहाल में है। इस सूचना पर पुलिस ने अपहरणकर्ता को पकड़ लिया है। बच्‍चा भी बरामद हो गया है। पुलिस अपहरणकर्ता से पूछताछ कर रही है। इस बारे में पूछे जाने पर एसपी नार्थ मनोज अवस्थी ने बताया कि बच्चे के बारे में कुछ जानकारियां मिली है, जल्द ही उसे बरामद कर लिया जाएगा।

SC की टीम लेकर आगरा पहुंचे सलमान खुर्शीद पीड़ित परिवार से बोले खाता खुलवा लो तत्काल आएंगे 30 लाख रुपए

आगरा के सफाईकर्मी अरुण की पुलिस हिरासत में मौत मामले में सियासत बढ़ती जा रही है। बुधवार को प्रियंका गांधी के बाद गुरुवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद भी पीड़ित परिवार से मुलाकात करने पहुंचे। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि उनकी पार्टी मृतक अरुण वाल्मीकि के परिवार को न्याय दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगी। उन्होंने कहा कि वह इसीलिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की एक टीम लेकर परिवार से मिलने आए हैं। उन्होंने मृतक के परिवारीजनों से कहा कि वह अपना खाता खुलवा लें। पार्टी की ओर से 30 लाख रुपये तत्काल भेज दिए जाएंगे।

खुर्शीद पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के निर्देश पर गुरुवार को लोहामंडी स्थित पीड़ित परिवार के घर मिलने गए। उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य वकील भी थे। उन्होंने मृतक की मां कमला देवी और पत्नी सोनम से कहा कि उन्हें कानूनी मदद दिलाई जाएगी। उन लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। पार्टी ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। स्वयं प्रियंका गांधी परिवारीजनों से मिलने आईं और इस घटना से व्यथित हैं। खुर्शीद ने कहा कि सरकार ने जो सहायता राशि दी है, उससे पीड़ित परिवार के आंसू नहीं पोछे जा सकते हैं।

 

समाज में इस तरह की घटनाओं से सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगता है। उन्होंने कहा कि पार्टी इस प्रकरण को संसद के शीतकालीन सत्र में भी उठाएगी।  प्रदेश के पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि अरुण वाल्मीकि की पुलिस हिरासत में मौत हुई है और मुकदमा अज्ञात में लिखा गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अंधेर नगरी, चौपट राजा की कहावत चरित्रार्थ हो रही है। कांग्रेस हमेशा न्याय के लिए संघर्ष करती रही है। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि मौत का कोई मुआवजा नहीं होता है।

गोरखपुर बच्चे के डीएनए टेस्ट से दरोगा की लव स्टोरी और सुहाना की मौत का खुलेगा राज

सहाना के एक साल के बच्चे के पिता का रहस्य अब पुलिस डीएनए जांच से सुलझाएगी। अलग-अलग दावों और दस्तावेजों के हिसाब से तीन पिता का नाम सामने आने के बाद डीएनए ही इस गुत्थी को सुलझाने का आखिरी रास्ता है। एसपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि सहाना की मां व अन्य की मांग पर बच्चे और आरोपित के डीएनए सैंपल लेकर कानूनी तरीके से डीएनए जांच कराई जाएगी।

महिला जिला अस्पताल में संविदाकर्मी के रूप में काम करने वाली सहाना उर्फ सुहानी अब इस दुनिया से चली गई है। उसकी मौत का रहस्य अभी रहस्य ही बना हुआ है कि उसके बच्चे के पिता को लेकर भी मामला उलझ गया है। मां-बहन और भाई सहाना के मासूम बेटे को न्याय दिलाने में जुट गए हैं। इस उलझन को सुलझाने को डीएनए जांच ही आखिरी रास्ता है जिसके लिए पुलिस भी तैयार हो गई है।

 

परिवार ने कहा दारोगा का ही है बच्‍चा

सहाना की मां व अन्य का कहना है कि यह बच्चा दरोगा राजेन्द्र सिंह का ही है। सहाना की मकान मालकिन का भी यही कहना है। वहीं जब बच्चा पैदा हुआ था तब सहाना ने भी परिवारवालों को बताया था कि दरोगा ही बच्चे के पिता हैं। मकान मालकिन ने कहा कि दो साल से सहाना उनके यहां किरायदार के रूप में रह रही थी। वहीं दरोगा राजेन्द्र सिंह ने बताया था कि यह बच्चा खलीलाबाद के रहने वाले शमीर (सुहाना का पति) का है। वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल के पास स्थित जिस हास्पिटल में सहाना का बच्चा पैदा हुआ है वहां से जारी जन्म प्रमाणपत्र में बच्चे के पिता के रूप में बबलू सिंह का नाम दर्ज है। अब बबलू सिंह का नाम आने से बच्चे के पिता को लेकर रहस्य और बढ़ गया है। सवाल यह है कि सहाना कुछ छिपा रही थी या फिर इस कहानी में कोई और भी किरदार है। हालांकि डीएनए टेस्ट के जरिये पुलिस इस रहस्य को सुलझाने में जुट गई है।

दूसरे दिन भी दरोगा से मिलने कोई नहीं पहुंचा

दरोगा राजेन्द्र सिंह से बुधवार को भी जेल में कोई मुलाकात नहीं हुई। जिस कपड़े में राजेन्द्र सिंह जेल गए हैं उसी कपड़े में उनका दूसरा दिन बीता। वह जेल में काफी परेशान दिखे तथा अपनों की राह तलाशते रहे। किसी की मुलाकात न होने पर उन्होंने जेलर से गुहार लगाई। जेलर ने उन्हें कुछ जरूरी समान दिलाया। राजेन्द्र सिंह ने कहा कि किसी तरह से उनके घरवालों को मुलाकात के लिए सूचना भेजवा दीजिए। माना जा रहा है कि राजेन्द्र सिंह की इस हरकत के बाद घरवालों ने उन्हें उनके हाल पर ही छोड़ दिया है। कोतवाली थाना तक उनका बेटा आया था पर जब पता चला कि पिता को किस वजह से जेल भेजा जा रहा है उसके बाद उसने भी दो दिन से दूरी बना ली है। राजेन्द्र सिंह बलिया के रहने वाले हैं और मुलाकात के लिए तरस रहे हैं।

हमेेशा दूसरों की मदद करती थी सहाना

सहाना पीड़ितों व बीमारों की मददगार रही। उससे दूसरों का दर्द देखा नहीं जाता था। अपने प्रसव के महज तीन महीने पूरे होते ही वह जिला महिला अस्पताल में अपनी ड्यूटी पर मुस्तैद हो गई थी। महीना फरवरी का था। इसके बाद कोरोना से चहूंओर हो रही ताबड़तोड़ मौतों के बीच आउटसोर्सिंग पर तैनाती होने के बावजूद वह खुद व अपने मासूम के जिंदगी की परवाह नहीं करते हुए ड्यूटी की। महिला अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि उसे छह महीने का प्रसूता अवकाश मिला था। लेकिन वह कोरोना योद्धा बनी रही। जिला महिला अस्पताल की आउटसोर्सिंग कर्मचारी रही सहाना को पिछले साल 24 अक्टूबर को निजी अस्पताल में प्रसव हुआ था। इसके बाद वह प्रसूता अवकाश पर चली गई। जनवरी में कोरोना के बढ़ते मामले के बीच वह अपने मासूम बेटे को सीने से लगाकर ड्यूटी करने के लिए जिला महिला अस्पताल पहुंच गई थी। डॉ. सुषमा बताती हैं कि कोरोना के बढ़ते मामले को देखकर सहाना को घर भेजा गया था। बावजूद वह सभी का फोन पर हाल-पता लेती रहती थी। जैसे ही फरवरी का महीना शुरू हुआ। सहाना दोबारा बच्चे को सीने से लगाए अस्पताल पहुंच आई और ड्यूटी शुरू कर दी। सहाना के कोरोना योद्धा रहने की कहानी सुनाते हुए डॉक्टर सुषमा फफक पड़ी। उन्होंने रोते हुए बताया कि अब तो सहाना हम लोगों के बीच नहीं है, लेकिन वह लोगों की जो सेवा की है। उसकी तपस्या व्यर्थ नहीं जाएगी।

बेहमई कांड- लाशों के ढेर में लाश बनकर फूलन देवी से बचने वाले जन्टर सिंह की मौत 39 साल तक किया फैसले का इंतजार

14 फरवरी 1981 की शाम करीब चार बजे। जंटर सिंह बस खेत से लौट कर दरवाजे बैठे ही थे कि गांव के यमुना से सटे छोर पर कुछ शोर सुनाई दिया। जब तक कुछ समझते पुलिस की वर्दी में डकैतों ने पूरे गांव को घेर लिया। जो भी पुरुष मिला, उसे गांव के बीच लाकर लाइन में खड़ा कर दिया। डकैतों ने गालीगलौज शुरू की और अचानक उनकी रायफलें आग उगलने लगीं। बंधक बने लोग धड़ाधड़ गिरने लगे। दो-चार मिनट में ही लाशों का ढेर लग गया। इन्हीं लाशों के बीच घायल जंटर सिंह पड़े थे। चार गोलियां लगी थीं। कराह निकलते ही डकैत फिर गोलियां बरसा देते। लिहाजा उन्होंने भी खुद को ‘लाश’ ही प्रदर्शित किया और इस तरह उनकी जान बची थी।

 

जंटर के परिजन बताते हैं कि डकैतों के जाने के घंटों बाद पुलिस पहुंची, तब पता चला कि लाशों के ढेर में सात लोग जिंदा हैं। इनमें जंटर भी थे। सभी घायलों को पहले सिकंदरा के अस्पताल भेजा गया। उनके पांव, पेट और कंधे में गोली लगी थी। गंभीर हालत में उन्हें हैलट रेफर किया गया। करीब तीन महीने इलाज के बाद वह ठीक हुए लेकिन गोलियों से छलनी शरीर में कोई न कोई दिक्कत हमेशा बनी ही रही। वह जिंदा बचे सात घायलों में अंतिम व्यक्ति थे।

पुलिस की लचर पैरवी व कानूनी दांव पेंच में उलझे इस मामले में पीड़ितों को 39 साल से न्याय का इंतजार है। देश के इस बहुचर्चित मुकदमे में अधिकांश डैकतों के साथ ही 28 गवाहों की मौत हो चुकी है। इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद केस डायरी की मूल प्रति गायब होने का पेंच फंसाने से पिछले साल जनवरी में फैसला नहीं सुनाया जा सका। हत्यारोपितों को सजा कराने के लिए जंटर सिंह वादी राजाराम सिंह के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जीवन भर संघर्ष करते रहे। उनके निधन की सूचना मिलते ही उनको अंतिम विदाई देने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा।

फैसले में देर से हताश थे जंटर सिंह

राजपुर। बेहमई कांड में फैसले में आ रहे अवरोध से वह खासे निराश थे। परिजनों के अनुसार  पिछली तारीख में वह माती कोर्ट गए थे, वहां से वापस आने के बाद बहुत परेशान दिख रहे थे। उनके पुत्र अनिल सिंह ने बताया कि इसके बाद वह गंभीर रूप से बीमार हो गए। उनका इलाज लखनऊ पीजीआई में हो रहा था। वहां बार बार वह यही कह रहे थे, लगता है कि वह बेहमई को न्याय मिलता नहीं देख पाएंगे। लखनऊ से भोर पहर उनका शव आते ही परिजनों के बिलखने से कोहराम मच गया। पति की मौत से उनकी पत्नी मायादेवी बेहाल हो गईं। जबकि पुत्र अनिल सिंह, विनयसिंह, संकेत सिंह, सोनू सिंह, मोनू सिंह पिता की मौत पर आंसू बहाते रहे। इसके बाद परिजनों ने यमुना तट पर गांव के पास ही उनके शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

देर रात जौनपुर में दो मंजिला मकान गिरा 5 लोगों की मौत

उत्‍तर प्रदेश के जौनपुर के रोजा अर्जुन मोहल्ले में गुरुवार देर रात दोमंजिला मकान ढह गया। मलबे में 13 लोग दब गए, जिनमें पांच की मौत हो गई। सभी शव निकाल लिए गए।  छह घायलों को  अस्पताल पहुंचाया गया। मलबे में फंसे दो लोगों की तलाश देर रात तक जारी थी।

मोहल्ले में कमरुद्दीन का दो मंजिला  मकान अर्से से जर्जर स्थिति में था। देर रात खाना खाने के बाद परिवार के13 सदस्य कमरों में  सोने चले गए। करीब 11बजे मकान अचानक ढह गया। मकान में मौजूद सभी लोग मलबे में दब गए। सूचना मिलते ही पुलिस के साथ राहत और बचाव टीमें मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने आसपास के लोगों की मदद से 11  लोगों को मलबे से बाहर निकाला। तब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी थी।

 

छह घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राहत और बचाव की टीम मलबे में दबे दो लोगों की तलाश में जुटी रही। हादसे में मृत लोगों 68 वर्षीय अजीमुल्ला, 50 वर्षीय साजिदा बानो, 12 वर्षीय वजीउद्दीन, आठ वर्षीय मोहम्मद कैफ और चार साल की एक अन्य बच्ची शामिल है।  घायल चांदनी (12), हेरा (10), आसुसिदीन (20) , सन्नो (60), स्नेहा (14) समेत छह का अस्पताल में इलाज चल रहा है। मौके पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल अपर पुलिस अधीक्षक शहर डॉ संजय कुमार, शहर कोतवाल समेत कई थाने व चौकी की पुलिस तथा चौकी प्रभारी भी देर रात पहुंच गए।

नाबालिक के रेप और हत्या के मामले में माता-पिता को 10 लाख का मुआवजा कोर्ट ने आरोपी को किया बरी

नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म फिर उसकी हत्या मामले में पटना हाईकोर्ट ने पीड़ित बच्ची के माता- पिता को दस लाख रुपये बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सीवान जिला के बिहार विविक सेवा प्राधिकार को तीस दिनों के भीतर मुआवजा राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। वहीं बलात्कार व हत्या के आरोप में मौत की सजा पाए नाबालिग आरोपित को भी बरी कर दिया।

न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह तथा न्यायमूर्ति अरविंद कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की। कोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद चार वर्षीय बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म तथा हत्या के आरोपित को मिली मृत्यु दंड सजा को कोर्ट ने निरस्त कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि देश का कानून नाबालिग को सजा देने की इजाजत नहीं देता। ऐसे में आरोपित को बरी करना न्याय संगत हैं। कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 357 में पीड़िता को मुआवजा देने का प्रावधान है। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी राज्यों को पीड़ित को मुआवजा देने के लिए अलग से फंड सृजत करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में बिहार विक्टिम कंपन्सेसन स्कीम बनाई है। इसके तहत पीड़िता को मुआवजा तथा पुनर्वास का प्रावधान है। नाबालिग पीड़िता को तीन से सात लाख तक का मुआवजा दिये जाने का प्रावधान किया गया है, लेकिन कोर्ट चाहे तो मुआवजा राशि को दोगुना कर सकता है।

 

क्या था पूरा मामला

मामला सीवान जिला के बड़हरिया थाना क्षेत्र का है। वर्ष 2018 में इस क्षेत्र की चार वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म तथा बाद में उसकी हत्या किये जाने की प्राथमिक दर्ज की गई है। पुलिस अनुसंधान के बाद सीवान की निचली अदालत ने अभियुक्त को दोषी करार देते हुए 24 अप्रैल 2019 को मौत की सजा सुनाई थी और दी गई सजा की पुष्टि के लिए केस का सारा रिकॉर्ड हाईकोर्ट को भेज दिया था। आरोपी ने अपने आप को नाबालिग घोषित करने के लिए एक अर्जी निचली अदालत में दी थी, लेकिन निचली अदालत ने उसकी अर्जी को खारिज कर मौत की सजा दे दी।

हाईकोर्ट ने नाबालिग घोषित करने के लिए दी गई अर्जी पर मेडिकल बोर्ड का गठन करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर मेडिकल बोर्ड ने सजायाफ्ता की उम्र जांच की। बोर्ड ने अपने रिपोर्ट में माना कि गत 3 अगस्त को जांच के दिन आरोपी की उम्र 19-20 साल है। रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कहा कि घटना के दिन आरोपी 17 वर्ष एक माह 8 दिन का था। कोर्ट ने माना कि आरोपी 16 वर्ष से ज्यादा और 18 वर्ष से कम का है। ऐसे में घटना के दिन आरोपी नाबालिग था। कोर्ट ने कहा कि देश का कानून नाबालिग को सजा देने की इजाजत नहीं देता है। कोर्ट ने इस आधार पर उसे अविलम्ब जेल से रिहा करने का आदेश दिया।