Thursday , October 24 2024

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ऐसे ढोंगी बाबा को जेल में डाला जाए, खुद को भगवान मानते हैं तो उनके सामने सैकड़ों जानें कैसे गईं

हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत होने पर पद्मविभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि ऐसे ढोंगी बाबा को तत्काल जेल में डाला जाए। भोले बाबा हरिनारायण को लेकर कहा कि यदि वह खुद को भगवान मानते हैं तो उनके सामने सैकड़ों लोगों की जान कैसे चली गई।

बुधवार को जगद्गुरु ने कहा कि सत्संग में सूट बूट पहनकर प्रवचन देने की कोई परंपरा नहीं है। अगर यह साकार नारायण हैं तो उसके सत्संग में इतने लोग कैसे मर गये। कहा कि भोली भाली जनता को बहका कर उनके परिवारों को चौपट करवा दिया। प्रशासन को भी इस कार्यक्रम की कोई सूचना नहीं दी गई। इसमें सरकार व प्रशासन को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। इसको तुरंत गिरफ्तार कर आजीवन कारावास देना चाहिए। यह असत्य फैलाकर लोगों की भीड़ जुटाते हैं।

23 वर्ष पहले आगरा में गिरफ्तार हो चुके हैं भोले बाबा, साथ में छह और साथी पकड़े गए थे

उत्तर प्रदेश के आगरा से साकार हरि को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। वर्ष 2000 में भोले बाबा आगरा में गिरफ्तार किए गए थे। चमत्कारी उपचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। 224/2000 मुकदमा संख्या है।

मामले में भोले बाबा सहित सात लोग गिरफ्तार किए गए थे। हालांकि उस समय साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट से बरी हो गए थे। दिसंबर 2000 में इस केस में एफआर लग चुकी है।

रोडवेज बस की टक्कर से बाइक सवार युवक की मौत, साथी घायल

हरदोई:  रदोई जिले में कटरा-बिल्हौर हाईवे पर गौरखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास रोडवेज बस की टक्कर से बाइक सवार एक युवक की मौत हो गई, जबकि साथी गंभीर रूप से घायल हो गया। कटरा-बिल्हौर हाईवे पर गौरखेड़ा स्वास्थ्य केंद्र के पास हरपालपुर थाना क्षेत्र के रोशनपुर सुभौआपुर निवासी छंगा उर्फ छविराम (26) पुत्र शिशुपाल उर्फ आधार गांव निवासी अजय (25) पुत्र विजेंद्र के साथ बुधवार सुबह 10.30 बजे बाइक से दोनों रुपापुर की तरफ अपनी रिश्तेदारी में वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जा रहे थे।

सवायजपुर की ओर आ रही हरदोई डिपो की रोडवेज बस ने बाइक को टक्कर मार दी। इसमें दोनों युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। रुपापुर चौकी प्रभारी धर्मेंद्र सिंह ने घायलों को इलाज के लिए सवायाजपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा। यहां डॉक्टरों ने छंगा उर्फ छविराम को मृत घोषित कर दिया। अजय की हालत गंभीर होने पर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। पुलिस ने रोडवेज बस को कब्जे में ले लिया है, लेकिन चालक भाग गया। हादसे के दौरान युवक ने हेलमेट नहीं लगाया था। कोतवाल निर्भय सिंह ने बताया कि तहरीर मिल गई है। मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जांच के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी।

दो साल पहले हुई थी शादी
रोशनपुर सुभौआपुर निवासी छंगा उर्फ छविराम का विवाह दो साल पहले बिन्ना के साथ हुआ था। अभी कोई संतान नहीं है। छंगा की मौत से पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। परिवारीजन ढांढस बंधा रहे हैं। छंगा मजदूरी कर अपने परिवार का जीवन यापन करता था।

सीबीआई कोर्ट ने शूटर आनंद प्रकाश को सुनाई उम्रकैद की सजा, दो को कर दिया था बरी

लखनऊ:बसपा सरकार में परिवार कल्याण विभाग के सीएमओ डॉ. विनोद कुमार आर्य और डॉ. बीपी सिंह की हत्या में दोषी पाए गए मुख्य शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाया। सीबीआई कोर्ट ने आरोपी आनंद प्रकाश तिवारी को बीते दिनों दोषी करार दिया था और बुधवार को सजा सुना दी। साक्ष्यों के अभाव में दूसरे शूटर विनोद शर्मा और साजिशकर्ता रामकृष्ण वर्मा को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया गया था।

सीबीआई ने हत्या करने वाले आनंद प्रकाश तिवारी, विनोद शर्मा और साजिशकर्ता आरके वर्मा को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने जांच के बाद खुलासा किया था कि डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान ने दोनों सीएमओ की हत्या के लिए 5-5 लाख रुपये में सौदा किया था। लंबे वक्त से सीबीआई कोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद बीते शुक्रवार को अदालत ने मुख्य शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को दोषी करार दिया था।

लखनऊ के विकास नगर में अक्तूबर 2010 में तत्कालीन सीएमओ डॉ विनोद आर्य की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। विनोद आर्य की जगह नए सीएमओ बने बीपी सिंह की भी अप्रैल 2011 में हत्या कर दी गई थी। यूपी सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

मामले में जांच के दौरान डिप्टी सीएमओ योगेंद्र सिंह सचान की जेल में संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। सीबीआई ने अंशु दीक्षित, आनंद प्रकाश तिवारी, विनोद शर्मा और रामकृष्ण वर्मा को शूटर बताया था। अंशु दीक्षित पेशी से भागते समय पुलिस मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया था। अन्य आरोपियों के खिलाफ 2022 में गवाही पूरी हुई थी। जांच में सामने आया कि फर्जी बिल पास करने से इनकार करने पर हत्याएं की गई थीं। हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई के हाथ एनआरएचम घोटाले के सुराग लग गए थे। मामले में दर्जन भर लोग और अफसर जेल गए थे। यह घोटाला करीब सात हजार करोड़ रुपये का था।

कांग्रेस कार्यालय के बाहर पथराव की राहुल ने की निंदा, बोले- BJP हिंदुत्व के सिद्धांतों को नहीं समझती

अहमदाबाद:  लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा हिंदुओं पर किए गए टिप्पणी के बाद गुजरात में भाजपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच हंगामा हुआ। अहमदाबाद में कांग्रेस पार्टी कार्यालय के बाहर दोनों गुटों के बीच पथराव भी हुआ। पार्टी कार्यालय के बाहर हुए हिंसा पर राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हिंसा और नफरत फैलाने वाले भाजपा के लोग कभी भी हिंदुत्व के सिद्धांतों को नहीं समझते हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी निंदा करते हुए इसे कायरतापूर्ण हमला बताया।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “गुजरात कांग्रेस कार्यालय पर कायरतापूर्ण और हिंसक हमला भाजपा और संघ परिवार के बारे में मेरी बात को और मजबूत करता है। हिंसा और नफरत फैलाने वाले भाजपा के लोग हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों को कभी नहीं समझते हैं।”

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आगे कहा, “गुजरात की जनता उनके झूठ को स्पष्ट रूप से समझती है। वह भाजपा सरकार को सबक सिखाएगी। मैं यह फिर से बोल रहा हूं, इंडी गटबंधन गुजरात में जीतेगी।” पालडी क्षेत्र में दोनों गुटों के बीच पथराव के बाद कुछ कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया।

भाजपा ने लगाया आरोप
भाजपा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर हमला करने का आरोप लगाया। दोनों पार्टियों ने दावा किया कि इस हमले में उनके कार्यकर्ता घायल हो गए। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। स्थानीय टीवी चैनलों में वीडियो जारी किया, जिसमें दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे को धक्का-मुक्की करते देखा गया। वीडियो में कुछ लोगों को पथराव करते हुए भी देखा गया।

गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष हिम्मत सिंह पटेल ने कहा कि राहुल गांधी के बयान के बाद भाजपा कार्यकर्ता हताश होकर कांग्रेस कार्यालय के बाहर हमले कर रहे हैं। वे पुलिस की अनुमति के बिना प्रदर्शन कर रहे हैं। यह गुजरात में कानून व्यवस्था के पतन का प्रमाण है।

जीका वायरस को लेकर अलर्ट, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए जारी की एडवाइजरी

महाराष्ट्र में जीका वायरस के कई मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जीका वायरस को लेकर सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी के तहत सभी राज्यों को निगरानी बढ़ाने और गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए स्क्रीनिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।

पुणे में बीते कुछ दिनों में जीका वायरस के छह मामले सामने आए
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे में बीते 11 दिनों में जीका वायरस के छह मामले सामने आ चुके हैं। एक जुलाई को दो गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। यही वजह है कि केंद्र सरकार इसे लेकर सतर्कता बरत रही है। सरकार ने जीका वायरस से संक्रमित महिलाओं के भ्रूण की लगातार निगरानी करने का भी निर्देश दिया है। अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं को मच्छरों से मुक्त रखने के लिए नोडल अफसर नियुक्त करने के साथ ही रिहायशी इलाकों, स्कूलों, निर्माणाधीन स्थलों और विभिन्न संस्थानों को भी मच्छरों से मुक्त रखने को कहा गया है।

गर्भवती महिलाओं के लिए जीका वायरस संक्रमण ज्यादा खतरनाक
जीका वायरस संक्रमण भी डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एडीज मच्छर जनित बीमारी है। स बीमारी से संक्रमित ज्यादातर लोगों को पता नहीं चलता है कि वे जीका वायरस से संक्रमित हैं। असल में जीका वायरस के लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इस बीमारी से संक्रमित गर्भवती महिलाओं को होने वाले बच्चों का मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और उनके सिर का आकार सामान्य से कम होता है। इस वजह से जीका वायरस संक्रमण चिंता का विषय बना हुआ है। भारत में साल 2016 में जीका वायरस के संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया था। उसके बाद से तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक में भी इसके संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। 2 जुलाई तक महाराष्ट्र के पुणे में जीका वायरस के छह मामले सामने आ चुके हैं।

क्या हैं जीका वायरस संक्रमण के लक्षण
जीका वायरस के संक्रमण से पीड़ित लोगों में सिरदर्द, बुखार, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर दाने और लाल चकते, आंखों के सफेद भाग में लालिमा और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। जीका वायरस का नाम युगांडा के जीका जंगलों के नाम पर पड़ा है। साल 1947 में पहली बार यहीं पर इस बीमारी के लक्षण मिले थे, जिसके बाद यहां पाए जाने वाले बंदरों को आइसोलेट किया गया था। इसके पांच साल बाद युगांडा और तंजानिया के इंसानों में इस वायरस का संक्रमण पाया गया था।

प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष का वॉकआउट, मल्लिकार्जुन खरगे बोले- उच्च सदन को गुमराह कर रहे

नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के दौरान बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं ने वॉकआउट किया। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने जवाब के दौरान उच्च सदन को कुछ गलत बातें बताई।

झूठ बोलना प्रधानमंत्री की आदत: मल्लिकार्जुन खरगे
खरगे ने वॉकआउट के तुरंत बाद पत्रकारों से बात की। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, झूठ बोलना, लोगों को गुमराह करना और सच से परे बातें कहना उनकी आदत है। मैंने उनसे सिर्फ इतना कहा कि आप संविधान के बारे में बात कर रहे हैं तो संविधान आपने नहीं बनाया। आप लोग उसके विरोध में थे।

‘संविधान के खिलाफ था आरएसएस’
उन्होंने कहा, मैं सिर्फ यह यह स्पष्ट करना चाहता था कि कौन संविधान के पक्ष में हैं और कौन इसके खिलाफ हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने 1950 में अपने संपादकीय में लिखा था कि संविधान के बारे में बुरी बात यह है कि इसमें भारत के इतिहास के बारे में कुछ नहीं है। उन्होंने संविधान का विरोध किया था। वे शुरू से ही इसके खिलाफ हैं और वे कहते हैं कि वे इसके पक्ष में हैं। (भीमराव) आंबेडकर, (जवाहर लाल) नेहरू के पुतले जलाए गए थे। अब वे कह रहे हैं कि हम (विपक्ष) इसके (संविधान के) खिलाफ हैं।

वॉकआउट करने वालों में सोनिया गांधी- शरद पवार भी शामिल
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री के जवाब के दौरान खरगे के साथ वॉकआउट करने वालों में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार शामिल थे। खरगे का बचाव करते हुए पवार ने मांग की कि प्रधानमंत्री या राज्यसभा को उनका सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वह संवैधानिक पद पर हैं।

विपक्ष के नेता का सम्मान करना सबकी जिम्मेदारी: शरद पवार
पवार ने कहा, वह (मल्लिकार्जुन खरगे) संवैधानिक पद पर हैं। चाहे वह प्रधानमंत्री हों या सदन के सभापति, उनका सम्मान करना उनकी जिम्मेदारी है। लेकिन आज इस सबको नजरअंदाज कर दिया गया। इसलिए पूरा विपक्ष उनके साथ है और इसलिए हम बाहर चले गए।

सदन को नहीं, मर्यादा को छोड़कर भाग गए हैं: जगदीप धनखड़
विपक्ष के वॉकआउट के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं अत्यंत दर्दनाक, पीड़ादायक, अमर्यादित आचरण से दुखी हूं। शासन लगातार तीसरे कार्यकाल में है। मैंने चर्चा की और मैंने अनुरोध किया कि नेता प्रतिपक्ष को बिना रोक-टोक बोलने का अवसर दिया। आज वे सदन छोड़कर नहीं गए हैं, मर्यादा छोड़कर गए हैं।

स्टालिन सरकार पर बरसे AIADMK नेता राजू, पीड़ित परिवारों से न मिलने पर लिया आड़े हाथ

तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक नेता सेल्लुर राजू ने मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन पर करारा हमला बोला है। कल्लाकुरुची शराब कांड को लेकर मुख्यमंत्री के पीड़ितों से न मिलने पर उन्होंने निशाना साधा है। वहीं उन्होंने सीबीआई जांच की अपनी पार्टी की मांग दोहराई। इस दौरान सेल्लुर राजू ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया और प्रधानमंत्री मोदी से हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करने की अपील की है।

राहुल गांधी पर भी बरसे सेल्लुर राजू
एआईएडीएमके नेता ने कहा, कि पिछले साल विल्लुपुरम में अवैध शराब पीने से 20 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हाल ही में कल्लाकुरिची में 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई। इस मामले में जब तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता एडप्पादी पलानीस्वामी ने बोलने की कोशिश की, तो उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी गई। अभी तक मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कल्लकुरिची शराब कांड के पीड़ितों से मुलाकात नहीं की है, लेकिन राहुल गांधी पूछते हैं कि मोदी अभी तक मणिपुर क्यों नहीं गए हैं। राहुल गांधी ने स्टालिन से यह नहीं पूछा कि वे कल्लकुरिची क्यों नहीं गए।

सेल्लुर राजू ने सीबीआई जांच की मांग दोहराई
वहीं अपने पार्टी की मांग को दोहराते हुए सेल्लुर राजू ने कहा कि हम कल्लकुरिची मामले की सीबीआई से जांच की मांग दोहराते हैं। हादसे में प्रशासन के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस शराब कांड में मरने वालों की संख्या 65 है। जबकि मौजूदा समय में, कल्लकुरिची सरकारी चिकित्सा और अस्पताल में दो लोगों का इलाज जारी है। इसमें पुडुचेरी में छह लोगों का, सलेम के सरकारी अस्पतालों में आठ लोगों समेत कुल 16 लोगों का इलाज चल रहा है।

महिला आयोग की टीम ने पीड़ितों से की मुलाकात
इस शराब कांड पर एनसीडब्ल्यू ने पहले लोगों की मौत पर एक मीडिया रिपोर्ट का खुद संज्ञान लिया था और मामले की जांच के लिए एनसीडब्ल्यू सदस्य खुशबू सुंदर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था। खुशबू सुंदर के नेतृत्व में राष्ट्रीय महिला आयोग के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने तमिलनाडु के कल्लकुरिची जिले में नकली शराब पीने से जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की है।

भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने NCSC को सौंपा ज्ञापन
इससे पहले 28 जून को, भाजपा नेता अनिल एंटनी, अरविंद मेनन और सांसद जीके वासन वाले एनडीए प्रतिनिधिमंडल ने आज राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष किशोर मकवाना से मुलाकात की और कल्लाकुरिची अवैध शराब कांड के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। उन्होंने अध्यक्ष से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि कल्लाकुरिची नकली शराब कांड के पीड़ितों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजा और न्याय मिले। भाजपा के ज्ञापन में कल्लाकुरिची शराब कांड के अनुसूचित जाति के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आह्वान किया गया।

असम में भारी बाढ़ से तबाही, सीएम सरमा ने भौगोलिक कारणों को बताया वजह; कहा- हालातों पर काबू पाना मुश्किल

बदलते मौसम और बारिश ने देश के कई हिस्सों के लोगों के चेहरे पर मुस्कान खिलाई है तो पूर्वोत्तर इसकी मार से कराह रहा है। पिछले एक माह से बाढ़ से जूझ रहे असम और अरुणाचल में लोग अस्थायी कैंपों में रह रहे हैं। असम में करीब 3 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और अब तक 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य में बाढ़ के हालातों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भौगोलिक कारणों से बाढ़ के हालात पनपे हैं और इन पर काबू पाना मुश्किल हो गया है।

नियंत्रण से बाहर हो गई है स्थिति- हिमंत बिस्व सरमा
कामरूप जिले में बाढ़ के हालातों की समीक्षा के दौरान सीएम सरमा ने कहा कि पड़ोसी राज्य अरुणाचल प्रदेश में बादल फटने की वजह से असम में विनाशकारी बाढ़ आई है। उन्होंने कहा कि चीन, भूटान और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश की वजह से असम में बाढ़ से जूझ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि असम में बीते कुछ वर्षों में बाढ़ को नियंत्रित करने की कोशिशें की गईं थीं और इससे लोगों को राहत भी मिली थी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने की आवश्यकता है।

क्षतिग्रस्त हुए तटबंधों और सड़कों का पुनर्निमाण कराया जाएगा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने गरल भट्टापारा के हालातों की समीक्षा की। इसके अलावा उन्होंने खाना नदी पर बने धारापुर जंगराबाड़ी फाटक का भी निरीक्षण किया। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि बाढ़ की वजह से क्षतिग्रस्त हुए तटबंधों और सड़कों का पुनर्निमाण कराया जाएगा। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित लोगों के शिविरों में भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। सीएम सरमा ने अधिकारियों के साथ नाव में सवार होकर बाढ़ के हालातों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि गुरुवार को वे माजुली का दौरा करेंगे। दरअसल, माजुली में भारी बाढ़ की वजह से तटबंध क्षतिग्रस्त हो गया और इस वजह से एक विशाल क्षेत्र जलमग्न हो गया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कुछ प्रभावित जिलों में अब बारिश का असर कम दिख रहा है। अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो हालात सुधर सकते हैं।

ममता बनर्जी के खिलाफ राज्यपाल के मानहानि मुकदमे की सुनवाई आज; लगाए थे ये आरोप

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे पर बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। बोस ने 28 जून को बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। देश के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब किसी राज्यपाल ने अपने ही राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ ऐसा कदम उठाया है। राजभवन ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि राज्यपाल बोस ने दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ केस करने का फैसला लिया। राज्यपाल की याचिका में तृणमूल कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं के भी नाम बताए जा रहे हैं। हालांकि इन नामों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।

बनर्जी ने दावा किया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की है कि राजभवन में होने वाली गतिविधियों के चलते वे वहां जाने से डरती हैं। उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, बनर्जी के खिलाफ बोस की ओर से दायर मानहानि का मुकदमा जस्टिस कृष्ण राव की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। बनर्जी की टिप्पणी पर राज्यपाल ने कहा था कि जन प्रतिनिधियों से अपेक्षा की जाती है कि वे गलत और बदनाम करने वाली धारणा न बनाएं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सारी हदें पार कर दी हैं। उन्हें सभ्य आचरण के भीतर कार्य करना होगा। बोस ने कहा कि एक मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपना सम्मानित सहयोगी मानते हुए उन्हें पूरा आदर और सम्मान दिया। लेकिन उन्हें लगता है कि वह किसी भी को भी धमका सकती हैं और चरित्र लांछन लगा सकती हैं।

बोस ने आगे कहा था कि मेरा किरदार ममता बनर्जी जैसे लोगों के इशारे पर नहीं चलना है। मेरे स्वाभिमान की हत्या बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वह मुझे धमका या डरा नहीं सकतीं। वह उस सीमा तक नहीं बढ़ सकतीं। एक मुख्यमंत्री के रूप में अगर वह मुझसे अलग हैं, तो निश्चित रूप से इसका ध्यान रखने के लिए संवैधानिक प्रावधान हैं। उन्हें झूठ के जरिए चरित्र हनन करने का कोई अधिकार नहीं है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।