Thursday , October 24 2024

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बांके बिहारी मंदिर में गर्मी से बुरा हाल, भीड़ के दबाव में बच्चे सहित चार श्रद्धालु बेहोश

तीर्थनगरी मथुरा के वृंदावन में ठा. बांके बिहारी मंदिर में बुधवार शाम श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ के दबाव में एक बच्चे सहित चार श्रद्धालु बेहोश हो गए। उनको भीड़ से निकालकर उपचार को ले जाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद तबीयत में सुधार होने पर सभी अपने-अपने घर वापस लौट गए।

 

बांके बिहारी चौकी मार्ग से लेकर विद्या पीठ चौराहा तक बुधवार को श्रद्धालुओं की शाम की पाली में दर्शन को भीड़ हो गई। इस भीड़ के दबाव और उमस भरी गर्मी व के कारण बांके बिहारी मंदिर के अंदर आठ वर्षीय यश पुत्र बबलू निवासी जोधपुर, मोनिका निवासी जालंधर, पंजाब गेट नंबर एक के पास, ईशु डागुर पुत्री कृष्णा निवासी अलीगढ़, मंदिर के अंदर और नेहा पत्नी त्रिनाध निवासी विशाखापट्टनम, गेट नंबर एक के पास रात आठ बजे करीब एक-एक कर बेहोश हुए। इनको तत्काल मंदिर में तैनात स्वास्थ्य विभाग की टीम ने प्राथमिक उपचार किया। ओआरएस के घोल, इंजेक्शन व दवाओं के बाद इनकी तबीयत में सुधार हुआ। इसके बाद इन्हें घर को रवाना किया गया।

आस्था के सागर में डूबी बांके बिहारी मंदिर प्रशासन की गाइडलाइन
बांके बिहारी मंदिर प्रशासन की ओर से गाइडलाइन जारी की गई है। मगर, श्रद्धालु इसका पालन नहीं कर रहे हैं। भारी संख्या में महिला, बुजुर्ग और बच्चे भी अपने आराध्य के दर्शन को पहुंच रहे हैं। जबकि मंदिर प्रशासन ने भीड़ के दबाव में श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ने की घटनाओं को देखते हुए इन्हें दर्शन के लिए न आने की गाइडलाइन जारी की है।

बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधक मुनीश कुमार ने बताया कि मंदिर प्रशासन की ओर जारी गाइडलाइन के अनुसार ठा. बांकेबिहारी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को सचेत किया है कि श्रद्धालु भीड़ के दौरान मंदिर में छोटे बच्चे, बुजुर्ग, दिव्यांग एवं बीमार व्यक्ति को अपने साथ लेकर मंदिर न आएं। गर्मी के दौरान व्रत करने एवं डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाई न लेने से दर्शनार्थियों को खासतौर पर महिलाओं को स्वास्थ्य खराब हो जाता है। ऐसे में चिकित्सक से परामर्श और चिकित्सा लाभ लेने के बाद ही मंदिर आएं।

पत्नी पर हमले से आगबबूला युवक ने साले के सिर को ईंट से कूचा, सड़क पर चलता रहा खूनी संघर्ष

अमेठी:  अमेठी कोतवाली परिसर के पास बने सामुदायिक शौचालय में घंटों खूनी संघर्ष होता रहा लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। सूचना पर पुलिस ने गंभीर रूप से घायल युवक सीएचसी में भर्ती करवाया। जहां उसका और उसकी बहन का इलाज किया जा रहा है। घटना के समय मोहल्ले के लोग बीचबचाव करने का साहस न जुटा सके। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

अमेठी कोतवाली परिसर के एक छोर पर सुलभ शौचालय संचालित होता है। शौचालय को सूरज नाम का व्यक्ति संचालित करता है। जो अपने पूरे परिवार के साथ शौचालय के ही एक आवास में रहता है। देर रात करीब 11 बजे सूरज की बेटी सीमा अपने पति शेरू के साथ घर पहुंची। जहां किसी बात को लेकर सीमा का अपने भाई सनी से विवाद हो गया। देखते ही देखते विवाद इतना बढ़ गया कि सनी ने बहन पर किसी धारदार हथियार से हमला कर दिया। भाई के हमले में सीमा गंभीर रूप से घायल हो गई और बीच सड़क तड़पने लगी।

पत्नी को खून से लथपथ तड़पता देख पति शेरू ने अपना आपा खो दिया और साले सनी को छत से किसी तरह घसीटता हुआ नीचे पहुंचा और बीच सड़क पर उसके सिर को ईंटों से कूंच दिया। करीब एक घंटे तक बीच सड़क पर खूनी संघर्ष चलता रहा लेकिन घटनास्थल से 50 कदम दूर पुलिस मौके पर नहीं पहुंची। घटना के दौरान छोटी छोटी बच्चियां बीचबचाव करने की जद्दोजहद करती रहीं लेकिन कामयाब न हो सकीं। काफी देर बाद थाने के तीन सिपाही मौके पर पहुंचे और सनी को लेकर अमेठी सीएचसी पहुंचे जहां से उसे इलाज के बाद जिला अस्पताल में रेफर कर दिया गया। जबकि बहन का इलाज भी सीएचसी में चल रहा है।

घटना को अंजाम देकर जीजा मौके से फरार हो गया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। बताया जा रहा है कि जिस समय ये विवाद हुआ उस समय जीजा और साला शराब के नशे में धुत थे। आये दिन दोनों में किसी न किसी बात को लेकर विवाद होता रहता था। कोतवाली प्रभारी अमर सिंह ने बताया कि घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भिजवा दिया गया है। मेडिकल कराया जा रहा है दोनों पक्षों ने शराब के नशे में मारपीट की है। अभी कोई तहरीर नही मिली है। तहरीर मिलने के बाद केस दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

मकान और होटल पर चला बुलडोजर तो पत्नी संग मौके पर पहुंचा राजीव राना, पुलिस ने किया गिरफ्तार

बरेली:  बरेली के पीलीभीत बाईपास पर हुए बवाल के मामले में आरोपी प्रॉपर्टी डीलर राजीव राना के होटल, ऑफिस और मकान पर गुरुवार को बीडीए का बुलडोजर चला। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होते ही राजीव राना, अपनी पत्नी-बेटी के साथ मौके पर पहुंच गया। पुलिस ने तुरंत उसे गिरफ्तार कर लिया। सीओ तृतीय अनीता चौहान ने राना को पकड़कर कार में बैठाया। इसके बाद वह राना को लेकर रवाना हो गई। पुलिस उससे पूछताछ करेगी।

22 जून की सुबह पीलीभीत बाईपास पर प्लॉट पर कब्जे को लेकर प्रॉपर्टी डीलर राजीव राना और आदित्य उपाध्याय के गुटों में जमकर फायरिंग हुई थी। बीच सड़क पर खुलेआम फायरिंग की घटना से शहर की कानून व्यवस्था पर सवाल उठे थे। शासन ने इस मामले में रिपोर्ट तलब की थी। पुलिस ने आदित्य उपाध्याय के चौकीदार रोहित की ओर से रिपोर्ट दर्ज की थी। इसमें भाजपा के पूर्व विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल, उनके नजदीकी प्रॉपर्टी डीलर राजीव राणा समेत 12 को नामजद किया गया, जबकि 150 हमलावर अज्ञात हैं। वहीं दरोगा राजीव प्रकाश की ओर से दर्ज एफआईआर में आठ नामजद हैं। इस मामले में अब तक 21 आरोपियों को जेल भेजा चुका है।

मुख्य आरोपी राजीव राना फरार चल रहा था। आरोपी राजीव राना की ओर से कोर्ट में सरेंडर अर्जी दी गई थी। इस पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 29 जून की तारीख तय की है। लेकिन इससे पहले ही पुलिस- प्रशासन के साथ बीडीए की टीम बुलडोजर लेकर गुरुवार को सुबह उसके होटल और मकान के बाहर पहुंच गई। उसके होटल के बाहरी हिस्से को ढहा दिया गया। मकान और दफ्तर पर भी बुलडोजर चला है। कार्रवाई के बीच पहुंची राना की पत्नी और बेटी होटल और मकान टूटता देख रो पड़ीं। राना ने बेटी ने कहा कि घटना के वक्त उसके पिता वहां नहीं थे। सबसे पहले आदित्य उपाध्याय ने गोली ने चलाई थी। हम नेतागीरी के शिकार हुए हैं। हमें इंसाफ चाहिए।

40 तरह की नानखटाई का लगेगा भोग, सात जुलाई से लक्खे मेले की होगी शुरुआत

वाराणसी : नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ और भक्तों का नाता अनूठा है। भगवान जहां भक्तों के प्रेम में इतना स्नान करते हैं कि बीमार हो जाते हैं। वहीं, भक्त भी 14 दिनों तक अपने भगवान की सेवा करते नहीं थकते। यही कारण है कि भगवान स्वस्थ होकर काशीवासियों से मिलने के लिए गलियों में निकलते हैं। भगवान और भक्त के इस खास पर्व यानी रथयात्रा मेले से काशी के लक्खे मेले की शुरुआत होती है। खास ये कि इस बार भक्त भगवान जगन्नाथ को 40 तरह की नानखटाई का भोग लगाएंगे।

सात जुलाई से शुरू होने वाले रथयात्रा मेले में भक्त भगवान को नानखटाई का भोग चढ़ाते हैं और इसी को प्रसाद स्वरूप घर भी ले जाते हैं। इस बार भगवान जगन्नाथ को 40 प्रकार से ज्यादा तरह की नानखटाई का भोग अर्पित किया जाएगा। हिंदू धर्म में देवी-देवता की पूजा करने के साथ भोग लगाने का भी विधान है।

मान्यता है कि पूजा के दौरान अगर भगवान को भोग न लगे तो पूजा अधूरी मानी जाती है। देवी-देवता को उनके अनुसार भोग लगाने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं। रथयात्रा मेले के दौरान नानखटाई भगवान जगन्नाथ का पारंपरिक भोग (प्रसाद) है। तीन दिवसीय रथयात्रा मेले में नानखटाई का विशेष महत्व है। वैसे तो नानखटाई पूरे साल मिलती है मगर रथयात्रा के मेले में इसका अलग ही महत्व होता है। इस नानखटाई की यह खासियत होती है कि यह मुंह में रखते ही घुल जाती है।

40 से ज्यादा फ्लेवर की बन रही नानखटाई
समय के साथ पारंपरिक नानखटाई भी आधुनिक हो चुकी है। रथयात्रा मेले में नारियल, काजू, पिस्ता के अलावा चॉकलेट, स्ट्राबेरी सहित करीब 40 से ज्यादा आकर्षक फ्लेवर की नानखटाई बनाई जा रही है। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है। रथयात्रा का लक्खा मेला और नानखटाई का संबंध भी बहुत पुराना है। न केवल श्रद्धालु बल्कि नानखटाई से जुड़े व्यापारी इस मेले का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

ऐसे बनती है नानखटाई
नानखटाई के व्यवसायी विकास साव ने बताया कि नानखटाई बनाने में मेहनत के साथ ही काफी समय लगता है। सूजी, मैदा, नारियल व मेवे की सामग्री तैयार कर सांचे में भरकर नानखटाई का स्वरूप दिया जाता है। उसके बाद तंदूर में लकड़ी का कोयला जलाकर उस पर सेंकाई होती है। इसमें ध्यान दिया जाता है कि सेंकाई के दौरान यह जले नहीं, वरना स्वाद खराब हो जाता है।

भगवान विष्णु के अवतार हैं भगवान जगन्नाथ
सनातन धर्म में भगवान जगन्नाथ को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। जिनके नाम का अर्थ पूरे जगत के नाथ या फिर कहें ब्रह्मांड का स्वामी होता है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा काशीपुराधिपति की नगरी में हर साल निकलती है। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है।

तीन बेटों को नहर में डुबोया, दो की मौत… एक की तलाश जारी; चौथा बचकर भागा, पढ़ें पूरा मामला

औरैया: औरैया जिले में फफूंद थाना क्षेत्र के गांव ताल्हेपुर में एक महिला देवर से लड़ाई के बाद अपने चार छोटे-छोटे बच्चों को नहर पर लेकर पहुंची। यहां दो बच्चों को नहर के पानी में डुबोकर मार दिया, जबकि अभी एक बच्चे की पुलिस नहर में तलाश कर रही है।

वहीं, मां के कहर को देख चौथा बच्चा मौके से बचकर भाग गया। इससे उसकी जान बच गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दो बच्चों के शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए हैं। उधर, पुलिस की त्वरित कार्रवाई से अक्रोशित ग्रामीणों ने मौके पर बवाल करने का प्रयास किया।

यहां पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाकर शांत कराया। पुलिस ने हत्यारोपी मां को गिरफ्तार कर लिया है। मौके पर अभी तनाव की स्थिति बनी हुई है। गोताखोरों की मदद से एक बच्चे की तलाश की जा रही है। घटना को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

किसानों से कृषि से जुड़ी चार चीजें खरीदने की तैयारी में मिजोरम सरकार, चुनाव के दौरान किया था वादा

मिजोरम के जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) की सरकार ने कृषक समुदाय के उत्थान के लिए स्थानीय किसानों द्वारा उत्पादित चार कृषि वस्तुओं को खरीदने का निर्णय लिया है। कृषि मंत्री पीसी वनलालरुआता ने कहा कि राज्य सरकार अदरक, हल्दी, मिर्च और झाड़ू के तिनके खरीदने वाली है।

किसानों से ये सभी चीजें खरीदना जेडपीएम का चुनावी वादा था। वनलालरुआता ने कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक फसल के लिए एक समर्थन मूल्य तय करेगी। बाजारों की व्यवस्था करने के लिए कदम उठाएगी ताकि वे अपने उत्पाद समर्थन मूल्य से अधिक दर पर बेच सकें। उन्होंने आगे कहा कि बाजार पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

तीन साल बाद किसानों का खरीददारों के साथ सीधा संबंध होगा, जिससे इस प्रक्रिया में सरकार की भागीदारी कम हो जाएगी। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अगले साल तक किसानों द्वारा करीब 10 लाख क्विंटल अदरक का उत्पादन किए जाने की उम्मीद है। सरकार अदरक की खरीद के लिए खरीददार ढूंढने के लिए स्थानीय कृषि समितियों के माध्यम से टेंडर जारी करेगी।

इसके अलावा सरकार बड़ी कंपनियों के साथ समझौता भी करेगी, जिससे की वे मिजोरम के किसानों से अदरक खरीद सके। उदरक की छटाई, ग्रेडिंग और उसे सुखाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जेडपीएम नेता ने कहा कि कृषि वस्तुओं की खरीद और बिक्री की सभी प्रक्रिया स्थानीय कृषि समितियों के माध्यम से की जाएगी।

‘कश्मीर ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया’, घाटी में मतदान को लेकर संयुक्त सत्र में बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में उच्च मतदान प्रतिशत पर बात की। उन्होंने कहा कि पिछले कई दशकों के मतदान रिकॉर्ड को तोड़ते हुए कश्मीर ने भारत के शत्रुओं को करारा जवाब दिया। दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण कश्मीर की स्थिति पहले कुछ और थी, लेकिन इसके हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में संविधान पूरी तरह से लागू हो गया है।

बता दें कि अनुच्छेद-370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था, लेकिन केंद्र ने इसे 2019 में इसे हटा लिया और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।

राष्ट्रपचि मुर्मू ने कहा, “कश्मीर घाटी ने कई दशकों के मतदान प्रतिशत के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। पिछले चार दशकों में हमने कश्मीर में बंद और हड़तालों के बीद बहुत कम मतदान देखा है। भारत के दुश्मन वैश्विक मंचों पर दुष्प्रचार कर रहे हैं। लेकिन इस बार कश्मीर ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया है।” चुनाव आयोग के अनुसार, कश्मीर घाटी की तीन सीटों में श्रीनगर में 38.49 फीसदी, बारामूला में 59.1 फीसदी और अनंतनाग-राजौरी में 53 फीसदी मतदान दर्ज किया गया।

क्यों वंदे भारत-गतिमान एक्सप्रेस की स्पीड होने जा रही कम? इस वजह से रेलवे ले रहा ये फैसला

देश में वंदे भारत और गतिमान एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनें अपनी तेज रफ्तार के लिए पहचानी जाती हैं। लेकिन अब रेलवे इन ट्रेनों की स्पीड कम करने के बारे में विचार कर रहा है। हाल ही में उत्तर मध्य रेलवे ने कुछ ट्रेनों की स्पीड को कम करने की गुजारिश की है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल के कंजनजंगा में हुई ट्रेन दुर्घटना के बाद सुरक्षित ट्रेन परिचालन को लेकर रेलवे की चिंता बढ़ गई है। इस हादसे में 10 लोगों की जान चली गई थी। जबकि 40 लोग घायल हुए थे। इसके बाद रेलवे ने ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई रूटों पर कवच सिस्टम लगाने का काम तेजी से कर दिया है। रेलवे के द्वारा सभी रूट और ट्रेनों को स्वदेशी टक्कर रोधी उपकरण कवच से लैस करने के काम में तेजी लाई जा रही है। इसलिए सुरक्षा कवच मिलने तक तेज गति से चलने वाली ट्रेनों की गति कम की जा रही है।

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के कुछ दिन बाद ही रेलवे बोर्ड को एक प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रस्ताव में प्रीमियम ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा से घटा कर 130 किलोमीटर प्रति घंटा की जाने की बात कही जा रही है। जानकारी के अनुसार, उत्तर मध्य रेलवे ने रेलवे बोर्ड को कुछ वंदे भारत एक्सप्रेस और गतिमान एक्सप्रेस ट्रेनों की गति को 160 किलोमीटर प्रति घंटा से घटा कर 130 किलोमीटर प्रति घंटा करने की गुजारिश की है।

इस बारें में उत्तर केंद्रीय रेलवे ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है। इसमें ट्रेन नंबर 12050/12049 दिल्ली-झांसी-दिल्ली गतिमान एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 22470/22469 दिल्ली-खजुराहो-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 20172/20171 दिल्ली-रानी कमलापति-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस और ट्रेन नंबर 12002/12001 दिल्ली-रानी कमलापति-दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस की रफ्तार कम कराने का सुझाव दिया गया है। इस रूट पर कवच नेटवर्क तैयार करने का काम चल रहा है।

रेलवे बोर्ड अगर इस सुझाव का मान लेता है, तो वंदे एक्सप्रेस, गतिमान एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा कम हो जाएगी। ऐसे में इनको अपना सफर तय करने में 25 से 30 मिनट का ज्यादा समय लगेगा। इन बदलावों की वजह से कम से कम 10 प्रीमियम ट्रेनों की टाइमिंग भी बदलनी पड़ेगी।

नई दिल्ली-मुंबई रेलखंड की क्षमता 160 की जानी है
वर्ष 2016 में गतिमान एक्सप्रेस को चलाने के लिए नई दिल्ली से आगरा रेलखंड की गति क्षमता 150 किलोमीटर से बढ़ाकर 160 किलोमीटर की गई थी। इसके बाद इस रेलखंड पर रानी कमलापति व खजुराहो वंदे भारत को भी अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाने का निर्णय लिया गया। अन्य रेलखंड पर वंदे भारत 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती है। वहीं, नई दिल्ली से आगरा होते हुए मुंबई रेलखंड पर ट्रेनों की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा किया जाना है। इसका काम चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह काम पूरा होने के बाद इस रूट पर चलने वाली वंदे भारत, शताब्दी, राजधानी सहित अन्य ट्रेनों की गति बढ़ाई जाएगी।

क्यों वंदे भारत-गतिमान एक्सप्रेस की स्पीड होने जा रही कम? इस वजह से रेलवे ले रहा ये फैसला

नई दिल्ली:  देश में वंदे भारत और गतिमान एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनें अपनी तेज रफ्तार के लिए पहचानी जाती हैं। लेकिन अब रेलवे इन ट्रेनों की स्पीड कम करने के बारे में विचार कर रहा है। हाल ही में उत्तर मध्य रेलवे ने कुछ ट्रेनों की स्पीड को कम करने की गुजारिश की है।

दरअसल, पश्चिम बंगाल के कंजनजंगा में हुई ट्रेन दुर्घटना के बाद सुरक्षित ट्रेन परिचालन को लेकर रेलवे की चिंता बढ़ गई है। इस हादसे में 10 लोगों की जान चली गई थी। जबकि 40 लोग घायल हुए थे। इसके बाद रेलवे ने ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई रूटों पर कवच सिस्टम लगाने का काम तेजी से कर दिया है। रेलवे के द्वारा सभी रूट और ट्रेनों को स्वदेशी टक्कर रोधी उपकरण कवच से लैस करने के काम में तेजी लाई जा रही है। इसलिए सुरक्षा कवच मिलने तक तेज गति से चलने वाली ट्रेनों की गति कम की जा रही है।

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के कुछ दिन बाद ही रेलवे बोर्ड को एक प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रस्ताव में प्रीमियम ट्रेनों की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटा से घटा कर 130 किलोमीटर प्रति घंटा की जाने की बात कही जा रही है। जानकारी के अनुसार, उत्तर मध्य रेलवे ने रेलवे बोर्ड को कुछ वंदे भारत एक्सप्रेस और गतिमान एक्सप्रेस ट्रेनों की गति को 160 किलोमीटर प्रति घंटा से घटा कर 130 किलोमीटर प्रति घंटा करने की गुजारिश की है।

इस बारें में उत्तर केंद्रीय रेलवे ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है। इसमें ट्रेन नंबर 12050/12049 दिल्ली-झांसी-दिल्ली गतिमान एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 22470/22469 दिल्ली-खजुराहो-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस, ट्रेन नंबर 20172/20171 दिल्ली-रानी कमलापति-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस और ट्रेन नंबर 12002/12001 दिल्ली-रानी कमलापति-दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस की रफ्तार कम कराने का सुझाव दिया गया है। इस रूट पर कवच नेटवर्क तैयार करने का काम चल रहा है।

रेलवे बोर्ड अगर इस सुझाव का मान लेता है, तो वंदे एक्सप्रेस, गतिमान एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा कम हो जाएगी। ऐसे में इनको अपना सफर तय करने में 25 से 30 मिनट का ज्यादा समय लगेगा। इन बदलावों की वजह से कम से कम 10 प्रीमियम ट्रेनों की टाइमिंग भी बदलनी पड़ेगी।

नई दिल्ली-मुंबई रेलखंड की क्षमता 160 की जानी है
वर्ष 2016 में गतिमान एक्सप्रेस को चलाने के लिए नई दिल्ली से आगरा रेलखंड की गति क्षमता 150 किलोमीटर से बढ़ाकर 160 किलोमीटर की गई थी। इसके बाद इस रेलखंड पर रानी कमलापति व खजुराहो वंदे भारत को भी अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाने का निर्णय लिया गया। अन्य रेलखंड पर वंदे भारत 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती है। वहीं, नई दिल्ली से आगरा होते हुए मुंबई रेलखंड पर ट्रेनों की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा किया जाना है। इसका काम चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह काम पूरा होने के बाद इस रूट पर चलने वाली वंदे भारत, शताब्दी, राजधानी सहित अन्य ट्रेनों की गति बढ़ाई जाएगी।

विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर बढ़ी तकरार, विधानसभा परिसर में धरने पर बैठे टीएमसी विधायक

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तकरार बढ़ती जा रही है। अब गुरुवार को टीएमसी विधायकों ने इस मुद्दे पर विधानसभा परिसर में धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। नवनिर्वाचित विधायक सयांतिका बंदोपाध्याय और रायत हुसैन सरकार ने विधानसभा परिसर में मौजूद डॉ. बी आर आंबेडकर की प्रतिमा के पास धरना प्रदर्शन शुरू किया। विधायकों की मांग है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस उन्हें जल्द विधानसभा में शपथ दिलाने का इंतजाम करें ताकि वह अपने जनप्रतिनिधि के कर्तव्य को पूरा कर सकें।

विधायकों ने लगाए आरोप
गौरतलब है कि दोनों विधायक हाल ही में हुए उपचुनाव में जीते हैं। दोनों को बुधवार को राजभवन में शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। हालांकि, टीएमसी ने दावा किया कि परंपरा यह है कि उपचुनाव जीतने वाले विधायकों के मामले में राज्यपाल, विधानसभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी सौंपते हैं, लेकिन राज्यपाल ने दोनों के अनुरोध के अनुसार विधानसभा में कार्यक्रम आयोजित करने से इनकार कर दिया और 26 जून की शाम को नई दिल्ली चले गए। बंदोपाध्याय ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘हमने बुधवार को शाम 4 बजे तक राज्यपाल द्वारा शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करने का इंतजार किया, लेकिन वे नहीं आए। आज हम अंबेडकर की प्रतिमा के सामने इस मांग के साथ बैठे हैं कि लोगों के लिए काम करने के हमारे संवैधानिक अधिकारों को बिना किसी देरी के पूरा किया जाए।’

राज्यपाल बोस ने दी सफाई
विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी ने बुधवार को राज्यपाल बोस पर शपथ ग्रहण समारोह को ‘अहं की लड़ाई’ बनाने और जानबूझकर इस मुद्दे को जटिल बनाने का आरोप लगाया। वहीं राज्यपाल बोस का कहना है कि ‘देश का संविधान उन्हें यह तय करने का अधिकार देता है कि विधायकों को शपथ दिलाने का काम किसे सौंपा जाए। मुझे विधानसभा में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित कराने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन स्पीकर द्वारा राज्यपाल के पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले आपत्तिजनक पत्र को भेजने के बाद यह विकल्प संभव नहीं हो पाया।’