Thursday , October 24 2024

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पानी रिसाव को लेकर मंदिर ट्रस्ट की दो टूक, कहा- राम मंदिर गर्भगृह में नहीं टपका है एक भी बूंद पानी

बारिश के बाद राम मंदिर के टपकने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। यह मामला अयोध्या ही नहीं पूरे देश में चर्चाओं में है। चर्चा इस बात की है कि करोड़ों रुपयों की लागत से बना मंदिर पहली बरसात नहीं झेल पाया। इस बार पर ट्रस्ट की तरफ से सफाई जारी की गई है।

बारिश के दौरान राममंदिर की छत टपकने के मामले में अब राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कुछ तथ्य जारी किए हैं। चंपत राय का कहना है कि गर्भगृह जहाँ भगवान रामलला विराजमान हैं, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से नही टपका है और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।

मंदिर और परकोटा परिसर में बरसात के पानी की निकासी का सुनियोजित तरीक़े से उत्तम प्रबंध किया गया है। जिसका कार्य भी प्रगति पर है। मंदिर निर्माण का कार्य पूरा होने के बाद मंदिर एवं परकोटा परिसर में कहीं भी जलभराव की स्थिति नहीं होगी। श्री रामजन्म भूमि परिसर मे बरसात के पानी को अंदर ही पूर्ण रूप से रखने के लिए रिचार्ज पिटो का भी निर्माण कराया जा रहा है।

फिर धंसा रामपथ
रामनगरी में बुधवार भोर में सुबह तीन घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश के चलते एक बार फिर रामपथ धंस गया। इसके बाद रिकाबगंज मार्ग पर बैरियर लगाकर एक लेन पर आवागमन बंद कर मरम्मत का काम शुरू कर दिया गया। इसके पहले शनिवार को रात भर हुई बारिश में रिकाबगंज के आसपास कई जगहों पर रामपथ धंस गया था। यहां गिट्टी और बालू डालकर मरम्मत कराई गई थी। एक बार फिर बारिश होने पर यहीं पर सड़क धंस गई है। आनन-फानन में जेसीबी से रोड की पटाई कराई जा रही है।

पुणे में एक डॉक्टर और उनकी बेटी जीका वायरस से संक्रमित, स्वास्थ्य मंत्रालय ने उठाए एहतियाती कदम

मुंबई:  महाराष्ट्र के पुणे में एक 46 वर्षीय डॉक्टर और उनकी बेटी जीका वायरस से संक्रमित पाए गए। हालांकि, उनकी स्वास्थ्य स्थिति फिलहाल स्थिर है। एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की। हाल ही में डॉक्टर को चकत्ते और बुखार के लक्षण विकसित होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनके खून के नमूने को जांच के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) भेजा गया। 21 जून को रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि डॉक्टर जीका वायरस से संक्रमित है।

डॉक्टर पुणे शहर के एरंडवाने इलाके का रहने वाला है। एक अधिकारी ने कहा, “उनके संक्रमित पाए जाने के बाद उनके परिवार वालों के खून के नमूने लिए गए। नमूनों को जांच के लिए भेजा गया। रिपोर्ट में मालूम चला कि उनकी 15 वर्षीय बेटी भी जीका वायरस से संक्रमित है।” बता दें कि जीका वायरस रोग संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। इससे डेंगू और चिकनगुनिया फैलता है। इस वायरस की पहचान सबसे पहले 1947 में युगांडा में हुई थी।

एक अधिकारी ने बताया कि शहर में ये दो मामले सामने आने के बाद पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी शुरू कर दी। इलाके में अन्य कोई भी केस अभी तक सामने नहीं आया है। अधिकारियों ने मच्छरों की संख्या को बढ़ने से रोकने के लिए फॉगिंग जैसे एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग मच्छरों के नमूनों को एकत्रित कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि अगर कोई गर्भवती महिला जीका से संक्रमित हो जाती है तो इससे भूण में माइक्रोसेफैली हो सकती है।

‘प्रोटेम स्पीकर ने लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में मत विभाजन की नहीं दी अनुमति’, TMC सांसदों का दावा

नई दिल्ली:तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को आरोप लगाया कि प्रोटेम स्पीकर ने लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में मतदान की अनुमति नहीं दी। जबकि विपक्षी सांसदों ने मत विभाजन की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि सरकार के पास संख्या नहीं है।

उन्होंने संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि नियमों के अनुसार एक सदस्य द्वारा मांग किए जाने पर भी मत विभाजन की अनुमति दी जानी चाहिए। नियम कहा है कि अगर सदन का कोई सदस्य मत विभाजन की मांग करता है तो प्रोटेम स्पीकर को इसकी अनुमति देनी होगी। आप लोकसभा के फुटेज से देख और सुन सकते हैं कि विपक्ष के कई सदस्यों ने मत विभाजन की मांग की।

टीएमसी सांसद ने कहा, प्रस्ताव को मतदान के लिए रखे बिना स्वीकार कर लिया गया। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि सत्तारूढ़ दल भाजपा के पास पर्याप्त संख्या नहीं था। यह सरकार बिना संख्या बल के चल रही है। यह अवैध, अनैतिक और असंवैधानिक है। देश के लोगों ने पहले ही उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। यह सिर्फ समय की बात है। उन्हें फिर से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पेश प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित होने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार ओम बिरला फिर से लोकसभा स्पीकर चुने गए। विपक्ष ने आठ बार के कांग्रेस सांसद के. सुरेश का नाम अपने उम्मीदवार के रूप में आगे बढ़ाया था।

विपक्ष द्वारा मत विभाजन के लिए दबाव न बनाए जाने के सवाल पर बनर्जी ने कहा, सवाल यह नहीं है कि मत विभाजन की मांग कितनी मजबूती से की गई। नियम कहता है कि अगर 500 लोगों में से एक भी मत विभाजन की मांग करता है, तो इसकी अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, प्रोटेम स्पीकर ही स्पष्ट कर सकते हैं कि मत विभाजन की अनुमति क्यों नहीं दी गई। वह कुर्सी पर बैठे थे। इसलिए जवाब वहीं दे सकते हैं।

तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य सांसद कल्याण बनर्जी ने भी कहा कि लोकसभा स्पीकर का चुनाव कानून के अनुसार नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को ध्वनिमत से पेश किए जाने पर कई सदस्यों ने मत विभाजन की मांग की। लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने इसकी अनुमति नहीं दी। मत विभाजन की अनुमति इसलिए नहीं दी गई, क्योंकि राजग के पास पर्याप्त संख्या नहीं थी।

तृणमूल सांसद कीर्ति आजाद ने दावा किया कि विपक्ष के कम से कम आठ सदस्यों ने मत विभाजन की मांग की थी। हालांकि, शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि विपक्षी दलों ने मत विभान के दबाव नहीं बनाया और स्पीकर पद के लिए चुनाव न कराने की परंपरा को बनाए रखा। राउत ने कहा, यह एक प्रतीकात्मक प्रतियोगिता थी। हमने परंपरा का पालन किया और चुनाव नहीं होने दिया। लेकिन हमन संदेश दिया कि एक मजबूत विपक्ष और एक मजबू नेता प्रतिपक्ष हैं।

केंद्रीय मंत्री और लोकजनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान ने कहा कि विपक्ष ने मत विभाजन के लिए दबाव नहीं बनाया, क्योंकि उनके पास संख्या बल की कमी है। पासवान ने कहा, राजग मजबूत है। विपक्ष को डरना नहीं चाहिए। हमारे संपर्क में रहने वाले उनके सांसद मत विभाजन होने पर ओम बिरला के पक्ष में मतदान कर सकते थे।

मुंबई घाटकोपर हादसे में महाराष्ट्र सरकार की बड़ी कार्रवाई, आईपीएस को किया बर्खास्त

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में बीते महीने हुए होर्डिंग हादसे में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक आईपीएस अधिकारी कैसर खालिद को बर्खास्त कर दिया है। आईपीएस कैसर खालिद गवर्नमेंट रेलवे पुलिस के कमिश्नर के तौर पर सेवाएं दे रहे थे। आरोप है कि आईपीएस खालिद ने बिना डीजीपी कार्यालय की मंजूरी के होर्डिंग लगाने की मंजूरी दे दी थी। उसी होर्डिंग के गिरने से उसके नीचे दबकर 17 लोगों की मौत हो गई थी और 70 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

जांच में लापरवाही का हुआ खुलासा
रेलवे पुलिस के डीजीपी ने आंतरिक जांच की थी, जिसकी रिपोर्ट महाराष्ट्र डीजीपी को सौंप दी गई है। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कार्रवाई करते हुए आईपीएस अधिकारी कैसर खालिद को बर्खास्त कर दिया। जिस जगह होर्डिंग लगा हुआ था, वह रेलवे पुलिस की जगह थी। पेट्रोल पंप के पास इस होर्डिंग को लगाने की मंजूरी आईपीएस कैसर खालिद ने ही दी थी। जांच में पता चला है कि होर्डिंग का आधार उसका वजन संभालने के लिहाज से कमजोर और अपर्याप्त था।

भाजपा नेता किरीट सोमैया ने लगाए थे गंभीर आरोप
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर हाल ही में एक के बाद एक कई पोस्ट साझा कर आईपीएस कैसर खालिद पर गंभीर आरोप लगाए थे। इन पोस्ट में दावा किया गया कि ‘ईगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड (जिसका निदेशक भिंडे था) द्वारा मुंबई के घाटकोपर और दादर क्षेत्रों में ‘दो दर्जन अवैध होर्डिंग’ के लिए विभिन्न रेलवे पुलिस और बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) अधिकारियों को 5 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था।’

सोमैया ने पोस्ट में दावा किया, ‘घाटकोपर होर्डिंग्स त्रासदी। एसआईटी द्वारा 46 लाख रुपये की रिश्वत के सबूत और बैंक प्रविष्टियाँ पाई गईं। भावेश भिंडे ने मोहम्मद अरशद खान के माध्यम से कैसर खालिद (रेलवे पुलिस आयुक्त) को 46 लाख रुपये का भुगतान किया। मोहम्मद अरशद खान ने ये 46 लाख रुपये महापात्रा गारमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड में जमा किए।’ उन्होंने बताया कि महापात्रा गारमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को 20 जून, 2022 को कैसर खालिद की पत्नी सुम्माना कैसर खालिद और मोहम्मद अरशद खान द्वारा गठित किया गया था।’

विज्ञापन फर्म का मालिक और कर्मचारी हो चुके हैं गिरफ्तार
महाराष्ट्र सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दिलीप भोसले की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसे घाटकोपर हादसे की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। इस मामले में होर्डिंग लगाने वाली फर्म इगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड का मालिक भावेश भिंडे गिरफ्तार हो चुका है। साथ ही फर्म के कर्मचारी जान्हवी माराठे, सागर पाटिल के साथ ही स्ट्रक्चर इंजीनियर मनोज संघु को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। मुंबई पुलिस की एसआईटी बीएमसी के इंजीनियर सुनील दलवी से पूछताछ कर रही है।

प्रज्ज्वल रेवन्ना को अदालत से मिला एक और झटका, खारिज की गई जमानत याचिका

कर्नाटक की हासन सीट से पूर्व सांसद रहे प्रज्ज्वल रेवन्ना की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब बंगलूरू की अदालत ने प्रज्ज्वल की जमानत याचिका खारिज कर दी है। बता दें कि प्रज्ज्वल पर कई महिलाओं के यौन शोषण और दुष्कर्म का आरोप है। 33 वर्ष के पूर्व जेडी-एस नेता को विशेष जांच दल (एसआईटी) की हिरासत में रखा गया है।

मंगलवार को दर्ज हुई थी एक और एफआईआर
25 जून को पूर्व जेडी-एस नेता पर एक और एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में कुल मिलाकर तीन लोगों के नाम शामिल किया गया। इनमें हासन से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक प्रीतम गौड़ा का नाम भी शामिल है। गौड़ा पर प्रज्ज्वल द्वारा पीड़िता के यौन शोषण के दौरान खींची गईं तस्वीरों को साझा करने का आरोप है। इस नई एफआईआर के साथ प्रज्ज्वल पर अब तक कुल चार मामले दर्ज हो गए।

उधर, एसआईटी की टीम प्रज्ज्वल को उनकी मां भवानी रेवन्ना के होलेनरासीपुर स्थित आवास भी ले गई। दरअसल प्रज्ज्वल के खिलाफ दर्ज तीसरी एफआईआर में भवानी रेवन्ना का भी नाम शामिल है। उन पर प्रज्ज्वल का साथ देने का आरोप है।

31 मई को गिरफ्तार किए गए थे प्रज्ज्वल
पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते प्रज्ज्वल को लोकसभा चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा है। हासन लोकसभा सीट पर मतदान संपन्न होने के अगले दिन यानी 27 अप्रैल को प्रज्ज्वल जर्मनी चले गए थे। इसके बाद जब वे 31 मई को भारत लौटे तो एसआईटी ने उन्हें एयपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया था। प्रज्ज्वल के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ‘ब्लू कॉर्नर’ नोटिस भी जारी किया गया था। प्रज्ज्वल रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न के तीन मामले दर्ज हैं। इसके अलावा उन पर कई महिलाओं से दुष्कर्म का भी आरोप है। जब पूर्व सांसद के खिलाफ मामले दर्ज किए गए, इसके बाद जेडी-एस ने उन्हें पार्टी से भी निलंबित कर दिया था।

हिजाब पर प्रतिबंध के कॉलेज के फैसले के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज, छात्राओं की थी ये मांग

मुंबई के एक कॉलेज ने एक नियम लागू किया। जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल आदि पहनने को प्रतिबंधित किया गया था। यह ड्रेस कोड लागू करने बाद कुछ छात्राओं ने इसका विरोध किया। जब कॉलेज प्रशासन ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एएस चंदुरकर और राजेश पाटिल की खंडपीठ ने मुंबई शहर के एक कॉलेज द्वारा लिए गए फैसले को चुनौती देने वाली नौ छात्राओं द्वारा याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले जुलाई में विज्ञान डिग्री कोर्स के दूसरे और तीसरे वर्ष में पढ़ने वाले छात्रों ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसायटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज द्वारा जारी निर्देश के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसमें छात्राओं को परिसर के अंदर हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल आदि पहनने पर रोक लगाने वाला ड्रेस कोड लागू किया गया था।

कॉलेज के अधिकारियों ने दावा किया था कि यह निर्णय केवल अनुशासनात्मक था, न कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ। कॉलेज प्रबंधनक की ओर से मौजूद वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड हर धर्म और जाति से संबंधित सभी छात्रों के लिए था। हालांकि लड़कियों ने अपनी याचिका में दावा किया कि ऐसा निर्देश शक्ति के रंग रूपी प्रयोग के अलावा और कुछ नहीं है।

याचिका में छात्राओं ने कॉलेज के निर्णय को मनचाहा, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत बताया गया। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अल्ताफ खान ने इस मामले में जूनियर कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध पर कर्नाटक उच्च न्यायाल के फैसले से अलग करते हुए कहा कि यह मामला वरिष्ठ कॉलेज के छात्रों से संबंधित है। जिनके पास ड्रेस कोड है, लेकिन यूनिफार्म नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि बिना किसी कानूनी अधिकार के वाट्सएप के माध्यस से ड्रेस कोड लागू किया गया था। यह कर्नाटक मामले से अलग है, यहां पहले से मौजूद यूनिफॉर्म नीति लागू की गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि ड्रेस कोड याचिकाकर्ताओं के पसंद, शारीरिक अखंडता और स्वायत्तता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

पुरानी पेंशन को लेकर बड़ा फैसला, इस तारीख से पहले प्रकाशित विज्ञापनों से नौकरी पाने वालों को मिलेगा लाभ

लखनऊ:प्रदेश में 28 मार्च 2005 से पहले प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वालों को पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा। कैबिनेट ने मंगलवार को इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इससे करीब 50 हजार शिक्षक लाभांवित होंगे।

यूपी सरकार ने 28 मार्च 2005 को यह प्रावधान किया था कि 1 अप्रैल 2005 या उसके बाद कार्यभार ग्रहण करने वाले कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के दायरे में होंगे। यह प्रावधान राज्य सरकार के कार्मिक, शासन के नियंत्रण वाली स्वायत्तशासी संस्थाओं और शासन से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के कर्मियों व शिक्षकों पर लागू किया गया।

तमाम ऐसे शिक्षक व कार्मिक हैं, जिनकी नियुक्ति 1 अप्रैल 2005 को या उसके बाद हुई, लेकिन उस नौकरी का विज्ञापन 28 मार्च 2005 से पहले निकला था। ये कर्मी लंबे समय से उन्हें पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) का लाभ देने की मांग कर रहे थे। केंद्र सरकार इस तरह के कर्मियों को पहले ही यह सुविधा दे चुकी है।

कैबिनेट से अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार, ऐसे कार्मिक जिनकी नियुक्ति 1 अप्रैल 2005 को या उसके बाद हुई है, लेकिन नियुक्ति के लिए पद का विज्ञापन एनपीएस लागू किए जाने संबंधी अधिसूचना जारी होने की तिथि 28 मार्च 2005 से पूर्व प्रकाशित हो चुका था, उन्हें पुरानी पेंशन योजना का एक बार विकल्प उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया है।

यात्रा के दौरान महिला का कीमती सामान हुआ चोरी, अब रेलवे को करना होगा एक लाख रुपये का भुगतान

नई दिल्ली:  दिल्ली की एक महिला का कीमती सामान कुछ साल पहले रेल में यात्रा के दौरान चोरी हो गया था। अब रेलवे को महिला को क्षतिपूर्ति के रूप में उसे 1,08,000 रुपये का भुगतान करना होगा। बता दें कि उपभोक्ता आयोग ने रेलवे के संबंधित महाप्रबंधक को यह क्षतिपूर्ति की रकम देने का आदेश दिया है। आयोग ने कहा है कि रेलवे की सेवाओं में लापरवाही की गई, जिसके चलते महिला का सामान चोरी हुआ।

क्या है मामला
दिल्ली स्थित जिला उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग ने एक शिकायत पर सुनवाई की, जिसमें बताया गया कि जनवरी 2016 में शिकायतकर्ता महिला यात्री आरक्षित डिब्बे में झांसी से ग्वालियर के बीच मालवा एक्सप्रेस में यात्रा कर रही थी। इसी दौरान उसके आरक्षित डिब्बे में कुछ गैर आरक्षित यात्री चढ़ गए और सफर के दौरान उन्होंने शिकायतकर्ता यात्री के बैग से 80 हजार रुपये कीमत का कीमती सामान चुरा लिया। महिला ने इसकी शिकायत उपभोक्ता आयोग से की।

महिला ने शिकायत में बताया कि ‘यात्रा को सुरक्षित, सुखद बनाना रेलवे का कर्तव्य है, साथ ही यात्रियों के सामान की जिम्मेदारी भी रेलवे के ऊपर ही है।’ शिकायत पर सुनवाई करते हुए आयोग के अध्यक्ष इंदर जीत सिंह और इसकी सदस्य रश्मि बंसल ने रेलवे के उस तर्क को खारिज कर दिया कि महिला यात्री ने सामान को लेकर लापरवाही बरती और उसने सामान बुक नहीं कराया था। शिकायतकर्ता ने ये भी कहा कि घटना की शिकायत दर्ज कराने के लिए उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी।

आयोग ने दिया एक लाख रुपये का हर्जाना देने का आदेश
इस पर आयोग ने कहा कि जिस तरह से घटना घटी और महिला का कीमती सामान चोरी हुआ। उसके बाद उसे एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आयोग ने कहा कि अगर रेलवे और इसके स्टाफ ने अपने कर्तव्य को निभाने में कोई लापरवाही न की होती तो महिला का सामान चोरी ही नहीं होता। आयोग ने रेलवे महाप्रबंधक को शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति के रूप में 80 हजार रुपये, साथ ही मामले की सुनवाई के दौरान हुई परेशानी के लिए 20 हजार रुपये और मामले की सुनवाई के खर्च के लिए 8 हजार रुपये समेत कुल 1,08,000 रुपये देने का आदेश दिया।

भारत ने फिर लगाई पाकिस्तान को लताड़, कश्मीर पर निराधार और भ्रामक बयानों के लिए सुनाई खरी-खोटी

जेनेवा:  पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का जिक्र किए जाने के बाद भारत ने कड़ी नाराजगी जताई है। भारत ने ऐसे निराधार और मिथ्या बयानों के लिए पड़ोसी देश की जमकर आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में मंत्री प्रतीक माथुर ने मंगलवार को कहा कि आज एक प्रतिनिधिमंडल ने निराधार और मिथ्यापूर्ण बातें फैलाने के लिए इस मंच का दुरुपयोग किया। हालांकि, इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। यह पहले भी होता रहा है।

 

उन्होंने कहा कि मैं केवल इस प्रतिष्ठित संस्थान का कीमती वक्त बचाने के लिए किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देकर इन टिप्पणियों को बढ़ावा नहीं दूंगा। माथुर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वार्षिक रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की चर्चा में भारत की ओर से बयान दे रहे थे।

पाकिस्तान पहले भी कर चुका ऐसी हरकत
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने चर्चा के दौरान महासभा के मंच से अपने संबोधन में कश्मीर का जिक्र किया। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर जम्मू कश्मीर के मुद्दे को नियमित रूप से उठाता रहता है।

भारत पहले भी कर चुका आलोचना
भारत ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाने की पाकिस्तान की कोशिशों की कड़ी आलोचना की है। उसका कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।

क्या होती है बच्चे के बहस करने की वजह? समझकर इस तरह सुधारें गलत आदत

बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, अपना पक्ष रखना सीख जाते हैं। लेकिन पक्ष रखने की यह आदत यदि तर्कपूर्ण न होकर बहस का रूप लेने लगे तो इस पर ध्यान देना जरूरी है। तर्क करना या बहस करना अच्छा है, जब तक कि वह सकारात्मक पहलुओं पर की जाए। बच्चों में बहस करने की आदत सामान्य होती है, जो उनके मानसिक और सामाजिक विकास का हिस्सा है। सकारात्मक बहस बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना को जगाती है। मगर जब यह बहस नकारात्मकता की ओर बढ़े और विवाद का रूप लेने लगे तो इसे रोकना जरूरी हो जाता है, क्योंकि कई बार बहस करना बच्चों को उद्दंड भी बना देता है। इसलिए जरूरी है, समय रहते बच्चों के प्रश्नों और बहस के बीच के इस छोटे-से फर्क को समझना और उनका उचित मार्गदर्शन करना।

क्या है वजह

शारीरिक अनुपात के साथ ही समयानुसार बच्चों की तर्कशक्ति और विश्लेषणात्मक क्षमता भी विकसित होती है। वे विभिन्न मुद्दों पर सवाल उठाते हैं और उनकी गहराई में जाकर उनके उत्तर खोजने की कोशिश करते हैं। कई बार बच्चे बिना किसी कारण के ही बहस करने लगते हैं, क्योंकि वे लोगों, विशेषकर अभिभावकों का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते हैं, तो कभी-कभी बच्चे खुद को सही साबित करने के लिए और अपने पक्ष को मजबूत बनाने के लिए बहस करते हैं।

आपकी धारणाएं

जब बहस, बहस न रहकर विवाद और उद्दंडता का विकृत रूप लेने लगती है तो उसके पीछे कई वजहें होती हैं, जैसे बच्चे के मन में कुछ बातें गांठों का रूप ले रही हैं। वह अपनी बात कह नहीं पा रहा है और समझा नहीं पा रहा है। वहीं आपके द्वारा उसके लिए बनाई गईं कुछ धारणाएं भी उसे बहस करने पर मजबूर करती हैं, जैसे कि ‘यह तुमने ही तोड़ा होगा, तुम्हारे अलावा कर भी कौन सकता है?’ या फिर घर में कुछ भी गलत होने पर उस पर शक करना। इस स्थिति में बहस करना लाजिमी है, जो समय के साथ बच्चे के व्यवहार में शामिल हो जाती है।

मार्गदर्शन करें

आपको बच्चों की बहस को ध्यान से सुनना चाहिए। ‘तुम चुप रहो’ कहकर उनके प्रश्नों पर प्रश्नचिह्न न लगाएं। उनके हर प्रश्न का जवाब दें, जिससे वे उलझन में न रहें और कहीं और से प्रश्नों के गलत जवाब न ढूंढने लगें। उन्हें सिखाएं कि वे अपने विचारों को शांति से व्यक्त करें और दूसरों की भावनाओं को आहत न करें। साथ ही आपको बहस के दौरान उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। ऐसा करने पर वे आपसे बहस नहीं, तर्कपूर्ण बात करेंगे।

सकारात्मक पहलू

बहस करने से बच्चों के संवाद कौशल में सुधार होता है। वे अपने विचारों को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से व्यक्त करना सीखते हैं। इससे उनकी भाषायी क्षमता और संचार कौशल में भी वृद्धि होती है। वे विभिन्न दृष्टिकोणों से समस्याओं को देखते हैं और उन्हें हल करने के लिए नए तरीकों का उपयोग करते हैं। बहस के माध्यम से उन्हें अपने विचारों और क्षमताओं पर भरोसा होता है, जो उनके व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

भाव-भंगिमाओं को पढ़ें

बाल रोग विशेषज्ञ गार्गी मालगुड़ी कहती हैं, बच्चे का बहस करना उसकी तार्किक क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए आप सहनशीलता और संवेदनशीलता के साथ बच्चे की बहस को सुनें, उसकी भाव-भंगिमाओं को पढ़ें और उसे समझने का प्रयास करें। अगर उसके चेहरे के भाव बिगड़ने लगें, नथुने फूलने लगें, आंखें फैलने लगें, हाथ कांपने लगें और सांस फूलने लगे तो समझ लीजिए कि बच्चा कहना कुछ चाहता है और कह कुछ और ही रहा है।

जब आप समझ जाएं कि वह बस बहस कर रहा है तो उसे अपनी बात कह लेने दीजिए। फिर इस बहस को रोकते हुए प्यार से उसकी परेशानियों को जानें और पूरे धैर्य के साथ उसकी बात सुनकर उसे जवाब दें, क्योंकि यह उसकी विकास यात्रा के लिए सहायक होता है। मगर बहस अगर बीमारी बन जाए तो जल्द ही इसका निदान जरूरी है। इसके लिए सलाहकार या चिकित्सक की भी मदद लेनी पड़े तो लें।