Thursday , October 24 2024

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प्रज्ज्वल रेवन्ना को अदालत से मिला एक और झटका, खारिज की गई जमानत याचिका

कर्नाटक की हासन सीट से पूर्व सांसद रहे प्रज्ज्वल रेवन्ना की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब बंगलूरू की अदालत ने प्रज्ज्वल की जमानत याचिका खारिज कर दी है। बता दें कि प्रज्ज्वल पर कई महिलाओं के यौन शोषण और दुष्कर्म का आरोप है। 33 वर्ष के पूर्व जेडी-एस नेता को विशेष जांच दल (एसआईटी) की हिरासत में रखा गया है।

मंगलवार को दर्ज हुई थी एक और एफआईआर
25 जून को पूर्व जेडी-एस नेता पर एक और एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में कुल मिलाकर तीन लोगों के नाम शामिल किया गया। इनमें हासन से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक प्रीतम गौड़ा का नाम भी शामिल है। गौड़ा पर प्रज्ज्वल द्वारा पीड़िता के यौन शोषण के दौरान खींची गईं तस्वीरों को साझा करने का आरोप है। इस नई एफआईआर के साथ प्रज्ज्वल पर अब तक कुल चार मामले दर्ज हो गए।

उधर, एसआईटी की टीम प्रज्ज्वल को उनकी मां भवानी रेवन्ना के होलेनरासीपुर स्थित आवास भी ले गई। दरअसल प्रज्ज्वल के खिलाफ दर्ज तीसरी एफआईआर में भवानी रेवन्ना का भी नाम शामिल है। उन पर प्रज्ज्वल का साथ देने का आरोप है।

31 मई को गिरफ्तार किए गए थे प्रज्ज्वल
पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते प्रज्ज्वल को लोकसभा चुनाव में हार का सामना भी करना पड़ा है। हासन लोकसभा सीट पर मतदान संपन्न होने के अगले दिन यानी 27 अप्रैल को प्रज्ज्वल जर्मनी चले गए थे। इसके बाद जब वे 31 मई को भारत लौटे तो एसआईटी ने उन्हें एयपोर्ट पर ही गिरफ्तार कर लिया था। प्रज्ज्वल के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ‘ब्लू कॉर्नर’ नोटिस भी जारी किया गया था। प्रज्ज्वल रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न के तीन मामले दर्ज हैं। इसके अलावा उन पर कई महिलाओं से दुष्कर्म का भी आरोप है। जब पूर्व सांसद के खिलाफ मामले दर्ज किए गए, इसके बाद जेडी-एस ने उन्हें पार्टी से भी निलंबित कर दिया था।

हिजाब पर प्रतिबंध के कॉलेज के फैसले के खिलाफ दायर याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज, छात्राओं की थी ये मांग

मुंबई के एक कॉलेज ने एक नियम लागू किया। जिसमें कॉलेज परिसर में हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल आदि पहनने को प्रतिबंधित किया गया था। यह ड्रेस कोड लागू करने बाद कुछ छात्राओं ने इसका विरोध किया। जब कॉलेज प्रशासन ने उनकी नहीं सुनी तो उन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एएस चंदुरकर और राजेश पाटिल की खंडपीठ ने मुंबई शहर के एक कॉलेज द्वारा लिए गए फैसले को चुनौती देने वाली नौ छात्राओं द्वारा याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले जुलाई में विज्ञान डिग्री कोर्स के दूसरे और तीसरे वर्ष में पढ़ने वाले छात्रों ने चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसायटी के एनजी आचार्य और डीके मराठे कॉलेज द्वारा जारी निर्देश के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसमें छात्राओं को परिसर के अंदर हिजाब, नकाब, बुर्का, स्टॉल आदि पहनने पर रोक लगाने वाला ड्रेस कोड लागू किया गया था।

कॉलेज के अधिकारियों ने दावा किया था कि यह निर्णय केवल अनुशासनात्मक था, न कि मुस्लिम समुदाय के खिलाफ। कॉलेज प्रबंधनक की ओर से मौजूद वरिष्ठ वकील अनिल अंतुरकर ने कहा कि ड्रेस कोड हर धर्म और जाति से संबंधित सभी छात्रों के लिए था। हालांकि लड़कियों ने अपनी याचिका में दावा किया कि ऐसा निर्देश शक्ति के रंग रूपी प्रयोग के अलावा और कुछ नहीं है।

याचिका में छात्राओं ने कॉलेज के निर्णय को मनचाहा, अनुचित, कानून के विरुद्ध और विकृत बताया गया। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अल्ताफ खान ने इस मामले में जूनियर कॉलेजों में हिजाब प्रतिबंध पर कर्नाटक उच्च न्यायाल के फैसले से अलग करते हुए कहा कि यह मामला वरिष्ठ कॉलेज के छात्रों से संबंधित है। जिनके पास ड्रेस कोड है, लेकिन यूनिफार्म नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि बिना किसी कानूनी अधिकार के वाट्सएप के माध्यस से ड्रेस कोड लागू किया गया था। यह कर्नाटक मामले से अलग है, यहां पहले से मौजूद यूनिफॉर्म नीति लागू की गई थी। उन्होंने यह भी दावा किया कि ड्रेस कोड याचिकाकर्ताओं के पसंद, शारीरिक अखंडता और स्वायत्तता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

पुरानी पेंशन को लेकर बड़ा फैसला, इस तारीख से पहले प्रकाशित विज्ञापनों से नौकरी पाने वालों को मिलेगा लाभ

लखनऊ:प्रदेश में 28 मार्च 2005 से पहले प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर सरकारी नौकरी पाने वालों को पुरानी पेंशन स्कीम का विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा। कैबिनेट ने मंगलवार को इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इससे करीब 50 हजार शिक्षक लाभांवित होंगे।

यूपी सरकार ने 28 मार्च 2005 को यह प्रावधान किया था कि 1 अप्रैल 2005 या उसके बाद कार्यभार ग्रहण करने वाले कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के दायरे में होंगे। यह प्रावधान राज्य सरकार के कार्मिक, शासन के नियंत्रण वाली स्वायत्तशासी संस्थाओं और शासन से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के कर्मियों व शिक्षकों पर लागू किया गया।

तमाम ऐसे शिक्षक व कार्मिक हैं, जिनकी नियुक्ति 1 अप्रैल 2005 को या उसके बाद हुई, लेकिन उस नौकरी का विज्ञापन 28 मार्च 2005 से पहले निकला था। ये कर्मी लंबे समय से उन्हें पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) का लाभ देने की मांग कर रहे थे। केंद्र सरकार इस तरह के कर्मियों को पहले ही यह सुविधा दे चुकी है।

कैबिनेट से अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार, ऐसे कार्मिक जिनकी नियुक्ति 1 अप्रैल 2005 को या उसके बाद हुई है, लेकिन नियुक्ति के लिए पद का विज्ञापन एनपीएस लागू किए जाने संबंधी अधिसूचना जारी होने की तिथि 28 मार्च 2005 से पूर्व प्रकाशित हो चुका था, उन्हें पुरानी पेंशन योजना का एक बार विकल्प उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया है।

यात्रा के दौरान महिला का कीमती सामान हुआ चोरी, अब रेलवे को करना होगा एक लाख रुपये का भुगतान

नई दिल्ली:  दिल्ली की एक महिला का कीमती सामान कुछ साल पहले रेल में यात्रा के दौरान चोरी हो गया था। अब रेलवे को महिला को क्षतिपूर्ति के रूप में उसे 1,08,000 रुपये का भुगतान करना होगा। बता दें कि उपभोक्ता आयोग ने रेलवे के संबंधित महाप्रबंधक को यह क्षतिपूर्ति की रकम देने का आदेश दिया है। आयोग ने कहा है कि रेलवे की सेवाओं में लापरवाही की गई, जिसके चलते महिला का सामान चोरी हुआ।

क्या है मामला
दिल्ली स्थित जिला उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग ने एक शिकायत पर सुनवाई की, जिसमें बताया गया कि जनवरी 2016 में शिकायतकर्ता महिला यात्री आरक्षित डिब्बे में झांसी से ग्वालियर के बीच मालवा एक्सप्रेस में यात्रा कर रही थी। इसी दौरान उसके आरक्षित डिब्बे में कुछ गैर आरक्षित यात्री चढ़ गए और सफर के दौरान उन्होंने शिकायतकर्ता यात्री के बैग से 80 हजार रुपये कीमत का कीमती सामान चुरा लिया। महिला ने इसकी शिकायत उपभोक्ता आयोग से की।

महिला ने शिकायत में बताया कि ‘यात्रा को सुरक्षित, सुखद बनाना रेलवे का कर्तव्य है, साथ ही यात्रियों के सामान की जिम्मेदारी भी रेलवे के ऊपर ही है।’ शिकायत पर सुनवाई करते हुए आयोग के अध्यक्ष इंदर जीत सिंह और इसकी सदस्य रश्मि बंसल ने रेलवे के उस तर्क को खारिज कर दिया कि महिला यात्री ने सामान को लेकर लापरवाही बरती और उसने सामान बुक नहीं कराया था। शिकायतकर्ता ने ये भी कहा कि घटना की शिकायत दर्ज कराने के लिए उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी।

आयोग ने दिया एक लाख रुपये का हर्जाना देने का आदेश
इस पर आयोग ने कहा कि जिस तरह से घटना घटी और महिला का कीमती सामान चोरी हुआ। उसके बाद उसे एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। आयोग ने कहा कि अगर रेलवे और इसके स्टाफ ने अपने कर्तव्य को निभाने में कोई लापरवाही न की होती तो महिला का सामान चोरी ही नहीं होता। आयोग ने रेलवे महाप्रबंधक को शिकायतकर्ता को क्षतिपूर्ति के रूप में 80 हजार रुपये, साथ ही मामले की सुनवाई के दौरान हुई परेशानी के लिए 20 हजार रुपये और मामले की सुनवाई के खर्च के लिए 8 हजार रुपये समेत कुल 1,08,000 रुपये देने का आदेश दिया।

भारत ने फिर लगाई पाकिस्तान को लताड़, कश्मीर पर निराधार और भ्रामक बयानों के लिए सुनाई खरी-खोटी

जेनेवा:  पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का जिक्र किए जाने के बाद भारत ने कड़ी नाराजगी जताई है। भारत ने ऐसे निराधार और मिथ्या बयानों के लिए पड़ोसी देश की जमकर आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में मंत्री प्रतीक माथुर ने मंगलवार को कहा कि आज एक प्रतिनिधिमंडल ने निराधार और मिथ्यापूर्ण बातें फैलाने के लिए इस मंच का दुरुपयोग किया। हालांकि, इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। यह पहले भी होता रहा है।

 

उन्होंने कहा कि मैं केवल इस प्रतिष्ठित संस्थान का कीमती वक्त बचाने के लिए किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देकर इन टिप्पणियों को बढ़ावा नहीं दूंगा। माथुर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वार्षिक रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा की चर्चा में भारत की ओर से बयान दे रहे थे।

पाकिस्तान पहले भी कर चुका ऐसी हरकत
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने चर्चा के दौरान महासभा के मंच से अपने संबोधन में कश्मीर का जिक्र किया। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न मंचों पर जम्मू कश्मीर के मुद्दे को नियमित रूप से उठाता रहता है।

भारत पहले भी कर चुका आलोचना
भारत ने पहले भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाने की पाकिस्तान की कोशिशों की कड़ी आलोचना की है। उसका कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा।

क्या होती है बच्चे के बहस करने की वजह? समझकर इस तरह सुधारें गलत आदत

बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते हैं, अपना पक्ष रखना सीख जाते हैं। लेकिन पक्ष रखने की यह आदत यदि तर्कपूर्ण न होकर बहस का रूप लेने लगे तो इस पर ध्यान देना जरूरी है। तर्क करना या बहस करना अच्छा है, जब तक कि वह सकारात्मक पहलुओं पर की जाए। बच्चों में बहस करने की आदत सामान्य होती है, जो उनके मानसिक और सामाजिक विकास का हिस्सा है। सकारात्मक बहस बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना को जगाती है। मगर जब यह बहस नकारात्मकता की ओर बढ़े और विवाद का रूप लेने लगे तो इसे रोकना जरूरी हो जाता है, क्योंकि कई बार बहस करना बच्चों को उद्दंड भी बना देता है। इसलिए जरूरी है, समय रहते बच्चों के प्रश्नों और बहस के बीच के इस छोटे-से फर्क को समझना और उनका उचित मार्गदर्शन करना।

क्या है वजह

शारीरिक अनुपात के साथ ही समयानुसार बच्चों की तर्कशक्ति और विश्लेषणात्मक क्षमता भी विकसित होती है। वे विभिन्न मुद्दों पर सवाल उठाते हैं और उनकी गहराई में जाकर उनके उत्तर खोजने की कोशिश करते हैं। कई बार बच्चे बिना किसी कारण के ही बहस करने लगते हैं, क्योंकि वे लोगों, विशेषकर अभिभावकों का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते हैं, तो कभी-कभी बच्चे खुद को सही साबित करने के लिए और अपने पक्ष को मजबूत बनाने के लिए बहस करते हैं।

आपकी धारणाएं

जब बहस, बहस न रहकर विवाद और उद्दंडता का विकृत रूप लेने लगती है तो उसके पीछे कई वजहें होती हैं, जैसे बच्चे के मन में कुछ बातें गांठों का रूप ले रही हैं। वह अपनी बात कह नहीं पा रहा है और समझा नहीं पा रहा है। वहीं आपके द्वारा उसके लिए बनाई गईं कुछ धारणाएं भी उसे बहस करने पर मजबूर करती हैं, जैसे कि ‘यह तुमने ही तोड़ा होगा, तुम्हारे अलावा कर भी कौन सकता है?’ या फिर घर में कुछ भी गलत होने पर उस पर शक करना। इस स्थिति में बहस करना लाजिमी है, जो समय के साथ बच्चे के व्यवहार में शामिल हो जाती है।

मार्गदर्शन करें

आपको बच्चों की बहस को ध्यान से सुनना चाहिए। ‘तुम चुप रहो’ कहकर उनके प्रश्नों पर प्रश्नचिह्न न लगाएं। उनके हर प्रश्न का जवाब दें, जिससे वे उलझन में न रहें और कहीं और से प्रश्नों के गलत जवाब न ढूंढने लगें। उन्हें सिखाएं कि वे अपने विचारों को शांति से व्यक्त करें और दूसरों की भावनाओं को आहत न करें। साथ ही आपको बहस के दौरान उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। ऐसा करने पर वे आपसे बहस नहीं, तर्कपूर्ण बात करेंगे।

सकारात्मक पहलू

बहस करने से बच्चों के संवाद कौशल में सुधार होता है। वे अपने विचारों को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से व्यक्त करना सीखते हैं। इससे उनकी भाषायी क्षमता और संचार कौशल में भी वृद्धि होती है। वे विभिन्न दृष्टिकोणों से समस्याओं को देखते हैं और उन्हें हल करने के लिए नए तरीकों का उपयोग करते हैं। बहस के माध्यम से उन्हें अपने विचारों और क्षमताओं पर भरोसा होता है, जो उनके व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

भाव-भंगिमाओं को पढ़ें

बाल रोग विशेषज्ञ गार्गी मालगुड़ी कहती हैं, बच्चे का बहस करना उसकी तार्किक क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए आप सहनशीलता और संवेदनशीलता के साथ बच्चे की बहस को सुनें, उसकी भाव-भंगिमाओं को पढ़ें और उसे समझने का प्रयास करें। अगर उसके चेहरे के भाव बिगड़ने लगें, नथुने फूलने लगें, आंखें फैलने लगें, हाथ कांपने लगें और सांस फूलने लगे तो समझ लीजिए कि बच्चा कहना कुछ चाहता है और कह कुछ और ही रहा है।

जब आप समझ जाएं कि वह बस बहस कर रहा है तो उसे अपनी बात कह लेने दीजिए। फिर इस बहस को रोकते हुए प्यार से उसकी परेशानियों को जानें और पूरे धैर्य के साथ उसकी बात सुनकर उसे जवाब दें, क्योंकि यह उसकी विकास यात्रा के लिए सहायक होता है। मगर बहस अगर बीमारी बन जाए तो जल्द ही इसका निदान जरूरी है। इसके लिए सलाहकार या चिकित्सक की भी मदद लेनी पड़े तो लें।

मेकअप से पहले बेहद जरूरी होता है प्राइमर लगाना, जानें इसके इस्तेमाल का सही तरीका

आज के समय में शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा, जिसे मेकअप करना पसंद नहीं होगा। मेकअप से ना सिर्फ चेहरा खूबसूरत दिखता है, बल्कि इसकी वजह से महिलाओं में अलग सा आत्मविश्वास भी आ जाता है। मेकअप लगाने की वजह से चेहरे के दाग-धब्बे छिप जाते हैं, जिस वजह से महिलाएं कई गुना ज्यादा खूबसूरत दिखती हैं। जिस तरह से मेकअप चेहरे को खूबसूरत बनाता है, ठीक उसी तरह गलत तरीके से मेकअप करने की वजह से आपका लुक खराब हो सकता है।

दरअसल, मेकअप करने का एक सही तरीका होता है। अगर इस तरीके को फॉलो नहीं करते हैं तो चेहरा खराब दिखता है। खासतौर पर अगर बात करें मेकअप के शुरुआती स्टेप की, तो सबसे पहले प्राइमर का इस्तेमाल किया जाता है। लोगों को लगता है कि प्राइमर को वो साधारण क्रीम की तरह ही इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। प्राइमर लगाने का भी एक सही तरीका होता है, जिस बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

सबसे पहले करें ये काम

कभी भी सीधे प्राइमर को अपने चेहरे पर ना लगाएं। इसके लिए पहले चेहरे को अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद चेहरे पर कोई क्रीम लगाएं। सबसे आखिर में प्राइमर का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से प्राइमर सही से सेट हो जाएगा।

स्किन टाइप का रखें ध्यान

वैसे तो आज के समय में बाजार में आपको कई तरह के प्राइमर बेहद आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन अगर आप अपने स्किन टाइप का जरूर ध्यान रखकर इसे खरीदेंगे तो ये ज्यादा फायदेमंद रहेगा। रूखी त्वचा वाले लोग मॉइश्चराइजर युक्त प्राइमर अपने लिए खरीद सकते हैं।

सही मात्रा में करें इस्तेमाल

लोगों को लगता है कि प्राइमर का वो जितना चाहें, उतना इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं। दरअसल, अगर आप ज्यादा मात्रा में प्राइमर अपने चेहरे पर लगाएंगे तो इससे आपका मेकअप खराब हो सकता है। अगर आप कम मात्रा में इसका इस्तेमाल करेंगी तो इसे लगाने का कोई फायदा नहीं मिलेगा।

आईलिड पर करें इस्तेमाल

ज्यादातर लोग अपनी आईलिड पर प्राइमर लगाना भूल जाते हैं। ऐसे में उनका आईमेकअप खराब हो सकता है। इसलिए आईलिड पर भी प्राइमर जरूर लगाएं।

प्राइमर लगाने के बाद ना करें ये काम

अक्सर लोग प्राइमर लगाने के तुरंत बाद चेहरे पर फाउंडेशन लगाने लगते हैं, जिससे ये सही से सेट नहीं होता। ऐसे में प्राइमर लगाने के तकरीबन 5-7 मिनट के बाद फाउंडेशन का इस्तेमाल करें।

यूपी में उठाएं रिवर राफ्टिंग का लुत्फ, भूल जाएंगे ऋषिकेश-मनाली

गर्मियों में लोग रिवर राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए ऋषिकेश या मनाली जाना पसंद करते हैं। उत्तर प्रदेश और दिल्ली व इसके आसपास के शहरों के लोगों के लिए रिवर राफ्टिंग के लिए ये जगहें सबसे करीब होती हैं। हालांकि अब यूपी वालों को रिवर राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए किसी दूसरे राज्य जाने की जरूरत नहीं। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की तरह ही उत्तर प्रदेश में भी रिवर राफ्टिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं।

यूपी के एक जिले में रिवर राफ्टिंग शुरू हुई है। आइए जानते हैं कि यूपी वाले अपने ही प्रदेश के किस शहर में रिवर राफ्टिंग का आनंद उठा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में कालागढ़ रामगंगा नदी में राफ्टिंग शुरू हुई है। राफ्टिंग के लिए अब यूपी वाले ही नहीं, आसपास के राज्यों से भी लोग यहां पहुंच सकते हैं।

बिजनौर जिला प्रशासन ने वाटर एडवेंचर स्पोर्ट्स के सौगात जिलेवासियों को देते हुए राफ्टिंग का उद्घाटन किया। कालागढ़ रामगंगा नदी में एक बार में 8 लोग राफ्टिंग कर सकते हैं। राफ्टिंग के दौरान लाइफ गाइड जैकेट और हेलमेट दिया जाएगा। सुरक्षा की सारी व्यवस्था मुहैया कराई जा रही है।

राफ्टिंग का किराया

चार किमी राफ्टिंग के लिए पर्यटक 300 रुपये का टिकट ले सकते हैं। वहीं 9 किमी राफ्टिंग के लिए करीब 500 रुपये खर्च करने होंगे।

‘हियर’ में दिखेगा डी-एजिंग तकनीक का कमाल, फिर से ‘फॉरेस्ट गम्प’ के निर्देशक संग टॉम हैंक्स मचाएंगे धूम

टॉम हैंक्स इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं। अभिनेता एक बार फिर से ‘फॉरेस्ट गंप’ के निर्देशक रॉबर्ट जेमेकिस के साथ उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘हियर’ में नजर आने वाले हैं। मेकर्स ने ‘हियर’ की एक तस्वीर को दर्शकों के संग साझा किया है। इस तस्वीर में फिल्म की अभिनेत्री रॉबिन राइट और टॉम हैंक्स एकदम युवा दिख रहे हैं। टॉम हैंक्स के फैंस में इस फिल्म को लेकर अभी से ही काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। ‘हियर’ को रॉबर्ट जेमेकिस ने एरिक रोथ के साथ मिलकर लिखा है।

रिचर्ड मैकगायर के उपन्यास पर आधारित होगी ‘हियर’
टॉम हैंक्स की आगामी फिल्म ‘हियर’ रिचर्ड मैकगायर के उपन्यास पर आधारित होगी। 2014 में प्रकाशित हुए इस ग्राफिक उपन्यास का नाम भी पर ‘हियर’ ही था। इस उपन्यास में एक ही स्थान पर एक सदी की कहानी लिखी गई है। अब जब रॉबर्ट जेमेकिस इस पर फिल्म का निर्माण कर रहे हैं तो उन्होंने पूरे 104 मिनट के रनटाइम के दौरान कैमरा को एक बार भी अपनी जगह नहीं हिलाया है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह अपने-आप में एक रिकॉर्ड है।

‘हियर’ है महत्वाकांक्षी फिल्म
निर्देशक रॉबर्ट जेमेकिस ने पिछले दिनों एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि, ‘मैंने काफी बड़ा रिस्क लिया है इस फिल्म में यह प्रयोग करके। ‘हियर’ से पहले ऐसा कुछ किसी भी फिल्म में नहीं दिखाया गया था। फिल्म में एकल परिप्रेक्ष्य कभी नहीं बदलता है, लेकिन इसके चारों तरफ सब कुछ बदलता हुआ आपको दिखेगा। इससे मिलता-जुलता हुआ कुछ शुरुआती मूक फिल्मों में दिखाया गया है, लेकिन ऐसा नहीं जो मैं ‘हियर’ में करने जा रहा हूं। यह काफी जोखिम भरा काम है’।

इस दिन होगी रिलीज ‘हियर’
टॉम हैंक्स फिल्म में ने ‘बेबी बूमर रिचर्ड’ की भूमिका में नजर आएंगे। राइट ने उनकी दिवंगत किशोर प्रेमिका और पत्नी मार्गरेट की भूमिका निभाई है। डी-एजिंग तकनीक का इस्तेमाल के जरिए हैंक्स युवा से लेकर 80 वर्ष के बूढ़े के रूप में दिखाई देंगे। सूत्रों की मानें तो यह फिल्म इस साल 15 नवंबर को रिलीज की जाएगी।

बॉक्स ऑफिस पर बेहाल हुई इश्क विश्क रिबाउंड, मुंजा से भी कम कमाई कर रही चंदू चैंपियन

इश्क विश्क रिबाउंड का बॉक्स ऑफिस बेहाल नजर आ रही है। यह फिल्म उम्मीद के मुताबिक करिश्मा नहीं दिखी सकी है। पहले दिन से ही फिल्म की कमाई अच्छी नहीं रही है। सप्ताहांत के बाद इसके कलेक्शन और अधिक गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, चंदू चैंपियन भी अच्छा कलेक्शन नहीं कर सकी है। सिनेमाघरों में मुजा भी इन दिनों प्रदर्शित हो रही है। दमदार कमाई के बाद फिल्म की रफ्तार अब वक्त के साथ धीमी हो चुकी है। आइए जानते हैं कि कौन सी फिल्म ने मंगलवार को कैसा प्रदर्शन किया।

इश्क विश्क रिबाउंड
इश्क विश्क रिबाउंड लोगों को दिलों में जगह बनाने में नाकाम साबित हुई है। निपुण अविनाश धर्माधिकारी के निर्देशन में बनी यह फिल्म टिकट खिड़की पर बहुत कम कमाई नहीं कर सकी है। शुक्रवार को इस फिल्म ने एक करोड़ रुपये से अपनी शुरुआत की। शनिवार को फिल्म ने एक करोड़ 20 लाख रुपये का कलेक्शन किया। वहीं, तीसरे दिन फिल्म ने एक करोड़ 40 लाख रुपये कमाए। सोमवार को यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पूरी तरह ढ़ेर हो गई। चौथे दिन फिल्म ने महज 41 लाख रुपये बटोरे। ताजा आंकड़ों के मुताबिक पांचवें दिन फिल्म ने 46 लाख रुपये का कलेक्शन किया। इसके साथ ही फिल्म की कुल कमाई चार करोड़ 47 लाख रुपये हो गई है।

चंदू चैंपियन
चंदू चैंपियन में कार्तिक आर्यन की अदाकारी की चारों ओर तारीफ हो रही है। हालांकि फिल्म के कलेक्शन के आंकड़े निराशाजनक हैं। पहले हफ्ते में इस फिल्म ने 35.25 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। वहीं, रविवार को फिल्म ने छह करोड़ 50 लाख रुपये का कलेक्शन किया। सोमवार को फिल्म ने महज एक करोड़ 75 लाख रुपये का ही बिजनेस किया। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 12वें दिन इस फिल्म ने दो करोड़ दो लाख रुपये का कलेक्शन किया है। इसके साथ ही फिल्म की कुल कमाई 53.02 करोड़ रुपये हो गई है।

मुंजा
मुंजा अपना जादू लोगों पर चलाने में सफल रही है। इस फिल्म ने पहले हफ्ते में 35.3 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया था। वहीं, दूसरे हफ्ते में इस फिल्म ने 32.65 करोड़ रुपये बटोरे थे। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 19वें दिन इस फिल्म ने दो करोड़ 27 लाख रुपये का कलेक्शन किया है। इसके साथ ही फिल्म की कुल कमाई 87.82 करोड़ रुपये हो गई है।