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भारतीय अम्मा के नाम पर आठ सालों तक ठगी, चीनी मूल की सिंगापुरी महिला दोषी; अब साढ़े 10 साल की जेल

54 वर्षीय चीनी मूल की सिंगापुरी महिला वू मे हो 2012 से लगभग 8 सालों तक 30 अनुयायियों के समूह का नेतृत्व करती थी। ये अनुयायी एक भारतीय आध्यात्मिक श्री शक्ति नारायणी अम्मा में विश्वास रखते थे। वू अपने अनुयायियों को अम्मा की सीख बताकर समझाया। उन्होंने कहा कि अपने बुरे कामों को साफ करने के लिए अच्छे कामों की संख्या बढ़ानी होगी। जिससे उन सबका स्वास्थ्य ठीक हो सके। उन्होंने बताया कहा कि उन्हें भारत में अम्मा को भुगतान करना होगा। जिससे उनके बुरे कर्म दूर हो सके।

यही नहीं उन्होंने चेतावनी भी दी कि कोई झूठ बोलेगा तो उन्हें भगवान दंडित करेंगे। इसके बाद वू ने अपने अुनयायियों को राजी किया कि उनके पास कितना पैसा है, ये सच बताना है। इसी के साथ ही उसने अपने अनुयायियों को विश्वास दिलाया कि वे एक देवी का स्वरूप हैं, उसकी आज्ञा न मानने पर उन्हें क्रूर दंड मिला। उन्हें मल खाने पर मजबूर होना पड़ेगा, उनका दांत उखाड़ा जाएगा।

सिंगापुरी महिला वू ने अपने अनुयायियों को उनके नियमित और लंबे आध्यात्मिक सत्रों के दौरान आश्वस्त किया कि वह एक देवी है जो कि देवताओं और आत्माओं से संवाद कर सकती है। उसने अनुयायियो को निर्देश दिया कि वे उसे “भगवान” कहें। वू ने अपने अनुयायियों को “पूजा” के रूप में घर, कोंडोमिनियम और कार खरीदने का भी आदेश दिया। हालांकि वू ने इसका इस्तेमाल खुद के लिए किया।

उसने उनसे कहा था कि यह पैसा गाय खरीदने, मंदिर और स्कूल बनाने के लिए भारत भेजा जाएगा। 54 वर्षीय वू मे हो ने धोखाधड़ी और गंभीर चोट पहुंचाने सहित पांच आरोपों में दोषी होने की बात स्वीकार की, जबकि अन्य 45 आरोपों पर विचार किया गया।

वू ने वर्ष 2012 और 2020 के बीच कुल मिलाकर अपने अनुयायियों को सीधे एसजीडी 7 मिलियन का चूना लगाया। उसने वित्तीय संस्थानों से 6.6 मिलियन एसजीडी का और ऋण लेने के लिए उन्हें धोखा दिया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उसने तब से 675,000 एसजीडी की प्रतिपूर्ति की है।

‘भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने की भयानक साजिश’, डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे

नई दिल्ली:  डिसइंफो लैब..एक संस्थान जिसने भारत में आम चुनाव के बीच विदेशी हस्तक्षेप के दावे किए थे। एक बार फिर से डिसइंफो लैब ने चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर बड़े दावे किए हैं। दावा किया गया है कि भारत में लोकसभा चुनाव में हस्तक्षेप के लिए बड़ी ताकतों ने छोटी ताकतों तक मदद मुहैया कराई। यह एक ऐसा जाल है, जिसका तानाबाना सिर्फ विदेश में ही नहीं बल्कि भारत तक बुना गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत एक उभरती हुई आर्थिक और रणनीतिक शक्ति है। भारत की विदेश नीतियों से वैश्विक गतिशीलता को एक नया आकार मिलता है। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध के बीच भारत ने अतुलनीय विदेश नीति का प्रदर्शन किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वजह से भारत में आम चुनावों पर वैश्विक मीडिया की नजर रही।

डिसइंफो लैब का दावा
डिसइंफो लैब का दावा है कि जब करोड़ों भारतीय आम चुनाव के दौरान अपना भविष्य तय कर रहे थे। इस दौरान वैश्विक मीडिया का एक वर्ग मतदाताओं के निर्णयों को प्रभावित करने के लिए एक भयानक साजिश की योजना तैयार रहा था। दावा किया गया है कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए सुव्यवस्थित तरीके से वित्तपोषण यानी पैसों की व्यवस्था भी की गई। इसमें सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि भारतीय मीडिया भी शामिल थी। अलग अलग तरीके से भारत में आम चुनावों को प्रभावित करने की कोशिशें कीं गईं।

फ्रांस के पत्रकार क्रिस्टोफ जॉफरलेट पर डिसइंफो लैब के आरोप
डिसइंफो लैब ने दावा किया है कि कुछ मीडिया संस्थानों के लेखों में अलग तरह का पैटर्न देखने को मिला, जिस वजह से इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर हैरानी जताई गई है कि इस दौरान एक विशेष तरह के आख्यान को आकार देने की कोशिश कर मतदाताओं का ध्यान भटकाने की कोशिश की गई। डिसइंफो लैब का दावा है कि फ्रांस का समाचार पत्र ‘ले मोंडे’ ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि फ्रांस के राजनीतिक विशेषज्ञ क्रिस्टोफ जॉफरलेट इन गतिविधियों के केंद्र बिंदु रहे। भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने के लिए जॉफरलेट के बयानों को आधार बनाया गया। डिसइंफो लैब ने दावा किया है कि इस खेल में सिर्फ जॉफरलेट ही अकेले खिलाड़ी नही थे।

कहां से की गई फंडिंग?
डिसइंफो लैब ने अपनी रिपोर्ट में हेनरी लुइस फाउंडेशन (एचएलएफ) और जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (ओएसएफ) का भी जिक्र किया गया है। बताया गया है कि एचएलएफ और ओएसएफ द्वारा भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने के लिए फंडिंग की गई। रिपोर्ट में जिन समूहों और व्यक्तियों का नाम उजागर किया गया है, वे फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका से संचालित किए गए हैं। रिपोर्ट में कुछ और भी बड़े आरोप लगाए गए हैं।

डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में फ्रांस के इन मीडिया संस्थानों का जिक्र
डिसइंफो लैब का दावा है कि फ्रांस के कई मीडिया संस्थानों ने भारत में आम चुनाव में हस्तक्षेप के लिए कई तरह के लेख प्रसारित किए। इनमे ले मोंडे के अलावा वाई ले सोइर, ला क्रॉइक्स (इंटरनेशनल), ले टेम्प्स, रिपोर्टर्रे और रेडियो फ्रांस इंटरनेशनेल (आरएफआई) जैसे संस्थान शामिल हैं। इन सभी को भारतीय चुनाव में आम जनता की राय को अलग आकार देने के लिए निर्देशित किया गया। दावा किया गया है कि इन सभी मीडिया संस्थानों का नेतृत्व ले मोंडे ने किया।

‘इरादे सही, क्रियान्वयन पर ध्यान नहीं’, मोदी 2.0 के पर्यावरण संबंधी रिकॉर्ड पर सुनीता नारायण

पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन से प्रभाव से चिंतित पर्यावरणविद सुनीता नारायण ने सरकारी योजनाओं के बारे में खुलकर बात की है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने इसके क्रियान्वयन पर ठीक प्रकार से ध्यान नहीं दिया। इस कारण यह प्रक्रिया बहुत कमजोर हो गई है। हालांकि मोदी सरकार ने इसके लिए नई परियोजनाएं बनाईं, लेकिन उनको ठीक प्रकार से लागू नहीं करा पाए। न ही आम जनता से उनकी राय ले पाए।

शीर्ष पर्यावरणविद सुनीता नारायण ने बताया कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कई पहलों पर ध्यान केंद्रित किया। जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाना, वन क्षेत्र में सुधार, मरुस्थलीकरण से निपटना, वायु प्रदूषण को कम करना, आर्द्रभूमि का संरक्षण, सभी घरों में पीने योग्य पाइप पेयजल उपलब्ध कराना और एकल-उपयोग प्लास्टिक का उन्मूलन शामिल है। उन्होंने कहा कि दूसरी मोदी सरकार के पास पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सही इरादे थे, लेकिन क्रियान्वयन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि यदि आप सरकार की नीतियों को गौर से देखें, तो आप यह तर्क नहीं दे सकते कि कुछ भी गलत था। नवीकरणीय ऊर्जा, पेयजल, अपशिष्ट प्रबंधन जैसे कई बिंदुओं पर विचार किया गया। सुनीता नारायण ने बताया कि सरकारों ने लगातार पर्यावरण मंजूरी प्रणाली को इस हद तक कमजोर कर दिया है कि यह अब काम नहीं करती।

लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाए
भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के लगातार तीसरे कार्यकाल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में वन, वन्यजीव और पर्यावरण कानूनों में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के महानिदेशक के अनुसार, पर्यावरण से संबंधित प्रमुख सरकारी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए नई कल्पना की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि “सरकार के बहुत से कार्यक्रम ऐसे स्तर पर पहुंच गए हैं जहां हम लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए हैं। उन्होंने बताया कि हम नदियों की सफाई के सवाल को लेते हैं। हम अपनी नदियों को साफ नहीं कर पाए हैं। अभी भी ऐसी स्थिति है कि जहां हम अपनी नदियों से साफ पानी ले रहे हैं वहीं उन्हें सीवेज वापस दे रहे हैं।”

कुंदरकी विधानसभा सीट से उप-चुनाव लड़ेंगे सपा के ये दिग्गज! जियाउर्रहमान बर्क ने विधायक पद से दिया इस्तीफा

मुरादाबाद: लोकसभा चुनाव के बाद अब यूपी में विधानसभा उप-चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। मुरादाबाद के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का आदेश होगा तो उप चुनाव लड़ने में कोई हर्ज नहीं है। वह आदेश का पालन करते हुए उप-चुनाव लड़ेंगे, मना नहीं करेंगे।

पूर्व सपा सांसद ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनसे रामपुर लोकसभा लड़ने के लिए कहा था। उस समय पूर्व मंत्री आजम खां के लिहाज के चलते रामपुर से लड़ने से मना कर दिया था, जब कि आजम खां ने ही उनके टिकट को कटवाया था।

वह लोकसभा चुनाव समाप्त होने पर दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बधाई देने के लिए गए थे लेकिन उपचुनाव के मुद्दे पर अभी चर्चा नहीं हुई है। मुरादाबाद जिले में कुंदरकी विधानसभा खाली होने वाली है। क्योंकि यहां के विधायक जियाउर्रहमान संभल लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हो गए हैं।

उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार में एक भी मंत्री मुस्लिम समाज से नहीं है। मुरादाबाद लोकसभा सीट पर हुए चुनाव के दौरान सपा ने पूर्व सांसद एसटी हसन का टिकट काटकर उसे रुचि वीरा को दे दिया था। इस सीट पर रुचि वीरा ने भाजपा के सर्वेश सिंह को हराया था।

उधर, कुंदरकी विधायक जियाउर्रहमान बर्क को सपा ने संभल से चुनाव लड़वाया था। इसमें वह विजयी रहे थे। बर्क के सांसद चुने जाने के बाद कुंदरकी विधानसभा से उपचुनाव होगा। ऐसे में हसन ने कहा कि वह उप-चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इसके लिए पार्टी की सहमति होनी चाहिए।

जियाउर्रहमान बर्क ने विधायक पद से दिया इस्तीफा
संभल लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए जियाउर्रहमान बर्क ने कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र के विधायक पद से इस्तीफा मंगलवार को दे दिया है। यह जानकारी उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी शेयर की है। अब वह एक पद से मुक्त हो गए। मतगणना के बाद जारी हुई अधिसूचना के आधार पर 14 दिन के अंदर एक पद से इस्तीफा दिया जाना था।

सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने बताया कि मंगलवार को उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया था, जो मंजूर हो गया है। मालूम हो जियाउर्रहमान बर्क वर्ष 2022 में कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर विधायक बने थे।

हरी मिर्च 100 रुपये किलो, धनिया 200 के पार, सब्जियां खरीदने में छूट रहे पसीने

बरेली:बरेली में भीषण गर्मी की मार अब सब्जियों की कीमतों पर भी दिख रही है। इस कारण 10 दिन में कई सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। मंडी में व्यापारियों का कहना है कि गर्मी के कारण सब्जियों का उत्पादन कम हो गया है। सब्जियों के पौधे भी झुलस रहे हैं।लिहाजा, कीमतें आसमान पर पहुंचने से इन्हें खरीदने में लोग पसीने से तरबतर हो रहे हैं। धनिया, प्याज, टमाटर, खीरा, तुरई, लौकी के दाम दोगुने से ज्यादा जा पहुंचे हैं। इस समय हरा धनिया 200-230 और मिर्च 80-100 रुपये किलो मिल रही है।

डेलापीर मंडी के फ्रूट एंड वेजिटेबल एसोसिएशन के अध्यक्ष शुजा उर रहमान के मुताबिक भीषण गर्मी से सब्जियों का उत्पादन काफी प्रभावित हुआ है। सब्जियां उपजाने के लिए किसानों को हर दिन सिंचाई करनी पड़ रही है।इससे खेती पर लागत ज्यादा आ रही है। वहीं, उपजी फसल को किसान मंडियों तक पहुंचाने में भी असमर्थ हैं। लिहाजा, किसानों से ही ऊंची कीमतों पर मिल रही फसल के चलते थोक मंडी में भी कीमतें बढ़ी हैं। जब थोक में ही कीमतें बढ़ी हैं, तो फुटकर में भी ज्यादा दाम पर मिलना तय है।

सिंचाई के बाद भी नहीं बच रहीं सब्जियां
प्रगतिशील किसान सर्वेश के मुताबिक लौकी, तुरई, भिंडी, टमाटर, धनिया, पालक, गोभी, अरबी के पत्ते, मिर्च, खीरा आदि बेलदार फसलें हर दिन पानी मिलने पर भी झुलस रही हैं।

बारिश के साथ घटेंगे और फिर बढ़ेंगे दाम
शुजा उर रहमान के मुताबिक अभी गर्मी के चलते दाम बढ़े हैं, लेकिन बारिश होने के साथ ही इनकी कीमतें लुढ़केंगी। क्योंकि किसान खेतों में पानी भरने और फसल बर्बाद होने से पहले उन्हें बाजार में बेचने पहुंचेंगे। कुछ दिन बाद आवक फिर कम होने से कीमतों में बढ़त हो सकती है।

भीषण गर्मी पर वार करेगा ला-नीनो, तेज हवाओं संग जल्द दस्तक देगा मानसून, अच्छी बारिश के संकेत

मेरठ: इस बार रिकाॅर्ड तोड़ भीषण गर्मी ने जीना मुहाल कर दिया, लेकिन अब समुद्र तट और आकाश गंगा से मानसून के दृष्टिगत शुभ संकेत मिल रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि ला-नीनो के कारण ही इस बार भीषण गर्मी और लू का प्रकोप रहा।यही ला-नीनो बेहतर मानसून का भी सबब बनने जा रहा है। बीते दिनों आई आंधी ने ला-नीनो के आगमन का इशारा कर भी दिया था। मानसून के 25 जून के आसपास आने की संभावना थी, लेकिन मध्यम रफ्तार के कारण जुलाई के शुरुआत में आने के आसार हैं।

सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डाॅ. यूपी शाही का कहना है कि जिस वर्ष ला-नीनाे का असर होता है। उस वर्ष भारत में गर्मी अधिक रहती है और आंधी-तूफान भी आते हैं।उनका मानना है कि ला-नीनो का असर फिर से सक्रिय हो गया है। इसी वजह से दिन का तापमान सामान्य ऊपर चल रहा है। ला-नीनो का असर मेरठ समेत समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी दिखाई दे रहा है। इसके चलते मौसम बदल रहा है। कई बार आंधी भी आई है।

ग्रह-गोचर का भी झमाझम का इशारा
आकाश गंगा के महारथियों ने इस साल धरती काे तर-ब-तर करने की तैयारी कर ली है। कुछ दिन बाद आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश के दौरान सूर्य की हरी झंडी मिल जाएगी और ग्रह-नक्षत्रों के सरमायेदार बादलों के कपाट पूरी तरह खोलने का आदेश जारी कर देंगे। नतीजतन, अच्छी बारिश होने के संकेत मिल रहे हैं। मेदिनी ज्योतिष के मर्मज्ञों के अनुसार, इस वर्ष विधि ने ग्रहों का गठन इस प्रकार किया है कि इंद्रदेव के कार्यक्षेत्र में बाधा उत्पन्न नहीं होगी। अच्छी बारिश से किसानों के चेहरे भी खिल जाएंगे।

बिहार से पहले ही भटक गया मानसून
इस बार केरल में भी समय से दो दिन पहले 30 मई को ही मानसून ने दस्तक दे दी थी। ऐसे में लग रहा था कि 20 जून के बाद मानसून कभी भी दस्तक दे सकता है, लेकिन रफ्तार बीच में धीमी हो गई। बिहार आने से पहले मानसून भटक गया।

मौसम विशेषज्ञ डॉ. एन. सुभाष का कहना है कि मानसून बिहार से पहले ही अटका हुआ है। साइक्लोन के कारण जो रफ्तार मानसून ने पकड़ी थी, वह धीमी है। मानसून जुलाई के प्रथम सप्ताह में ही आने की संभावना है। अगर रफ्तार बढ़ती है तो कुछ पहले भी आ सकता है। 19 और 20 जून को वेस्ट यूपी के सभी जिलों में हल्की बारिश होने के आसार हैं।

क्या है ला-नीनो
ला-नीनो स्पेनिश भाषा का शब्द है। इसका अर्थ है शिशु यानि छोटा बालक। वैज्ञानिक अर्थ में ला-नीनो प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र की उस समुद्री घटना का नाम है जो दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित इक्वाडोर और पेरू देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ सालों के अंतराल पर घटित होती है।इससे समुद्र के सतही जल का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। ला-नीना के रहने से भारतीय भू-भाग में आंधी और तूफान की संभावना अधिक रहती है।

ब्लैडर कैंसर के खतरे को छह गुना तक बढ़ा देती है ये आदत, समय पर पहचाने जाएं लक्षण तो बच सकती है जान

कैंसर दुनियाभर में तेजी से बढ़ती बीमारी है, जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। ब्लैडर यानी मूत्राशय के कैंसर के मामलों में भी वैश्विक स्तर पर उछाल देखा जा रहा है। ब्लैडर कैंसर, मूत्राशय की कोशिकाओं में शुरू होता है। अगर आपके पेशाब से खून आता है, पेशाब करने में दर्द होता है या फिर बार-बार पेशाब जाने की जरूरत महसूस होती है तो इसे ब्लैडर कैंसर का संकेत माना जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इस कैंसर का खतरा अधिक देखा जाता रहा है।

ब्लैडर कैंसर के बढ़ते जोखिमों और इसके कारणों को समझने के लिए किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने धूम्रपान को इसका प्रमुख जोखिम कारक माना है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में निदान किए गए इस कैंसर के 50-60 फीसदी मामलों की प्रमुख वजह भी धूम्रपान है। अगर आप भी धूम्रपान करते हैं तो इसे तुरंत छोड़ दीजिए।

धू्म्रपान के कारण ब्लैडर कैंसर का खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, धूम्रपान की आदत मूत्राशय के कैंसर के खतरे को छह गुना तक बढ़ देती है। सिगरेट पीने से मूत्र में हानिकारक रसायन जमा होने से मूत्राशय कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जब आप धूम्रपान करते हैं, तो आपका शरीर धुएं में मौजूद रसायनों को संसाधित करता है और उनमें से कुछ को आपके मूत्र में उत्सर्जित करता है। ये हानिकारक रसायन आपके मूत्राशय की परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे आपके कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

इसी तरह से कुछ प्रकार के रसायनों के अधिक संपर्क में रहने के कारण भी आप मूत्राशय के कैंसर के शिकार हो सकते हैं।

इन जोखिम कारकों को भी जानना जरूरी

धूम्रपान के कारण ब्लैडर कैंसर का जोखिम तो बढ़ता ही है इसके अलावा भी कई अन्य जोखिम कारक हैं जिनको लेकर सभी लोगों को गंभीरता से ध्यान देते रहने की जरूरत होती है। उम्र बढ़ने के साथ मूत्राशय कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है, हालांकि यह किसी भी उम्र में हो सकता है। 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में इस कैंसर का खतरा अधिक देखा जाता रहा है।

इसके अलावा यदि आपके परिवार में पहले भी किसी की ब्लैडर कैंसर रहा है तो अन्य लोगों में भी इसका जोखिम हो सकता है।

कैसे करें इसके लक्षणों की पहचान?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कैंसर कोई भी हो, अगर इसके लक्षणों की समय पर पहचान होकर इलाज शुरू हो जाए तो कैंसर के फैलने का खतरा कम हो सकता है। अगर आपको लगता है कि आपके पेशाब का रंग कुछ समय से बदला दिख रहा है, उसमें खून आ रहा है तो शीघ्रता से डॉक्टर से मिलकर इसकी जांच करवाएं। पेशाब में होने वाली समस्याओं के साथ कुछ लोगों को अक्सर पीठ में दर्द की दिक्कत भी बनी रहती है।

कैसे करें ब्लैडर कैंसर के जोखिमों से बचाव?

मूत्राशय कैंसर को रोकने का कोई सटीक तरीका नहीं है, फिर भी आप अपने जोखिम को कम करने में मदद के लिए कुछ प्रयास कर सकते हैं। अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे तुरंत छोड़ दें। धूम्रपान छोड़ने से आप इस कैंसर के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। धूम्रपान के अलावा जो लोग रसायनों के अधिक संपर्क में रहते हैं उनमें भी कैंसर विकसित होने का खतरा अधिक देखा जाता है।

आहार में विभिन्न प्रकार के रंगीन फलों और सब्जियों को शामिल करना शरीर को स्वस्थ रखने और कैंसर के खतरे से बचाव करने का एक तरीका हो सकता है। फलों और सब्जियों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर के जोखिमों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

ससुराल में दिखना है सबसे अलग तो अपनी अलमारी में इन चीजों को शामिल करें नई दुल्हनें

शादी का दिन हर दुल्हन के लिए बेहद खास होता है। इस दिन को और खास बनाने के लिए लड़कियां काफी धूमधाम से कई-कई दिनों पहले से तैयारियां शुरू कर देती हैं। बावजूद इसके कई सामान ऐसे होते हैं, जो आखिरी समय तक रह ही जाते हैं।होने वाली दुल्हनों को सिर्फ शादी की तैयारी नहीं करनी होती, बल्कि उन्हें अपनी शादी के बाद शुरू होने वाले नए जीवन के लिए भी तैयारी करनी पड़ती है। नए घर में जाकर वो अपने पति और उनके परिवार के साथ नई जिंदगी की शुरुआत करती हैं। शादी के बाद कुछ दिनों तक हर किसी की नजर नई दुल्हन पर ही होती है।

ऐसा कहा जाता है कि नई दुल्हनों को हमेशा तैयार होकर, सज-धज कर रहना चाहिए। ऐसे में हर लड़की अपने ससुराल में काफी तैयार होकर रहती हैं। बहुत सी लड़कियों को ये समझ ही नहीं आता कि वो कैसे तैयार हों, ऐसे में हम आपकी मदद करेंगे। आइए आपको बताते हैं कि हर नई दुल्हनों को अपनी अलमारी में इन चीजों को शामिल जरूर करना चाहिए।

बनारसी साड़ी

वैसे तो हर तरह की साड़ी से दुल्हन की खूबसूरत बढ़ती है, लेकिन अगर आप अपने कलेक्शन में बनारसी साड़ियों को शामिल रखेंगी तो आपका लुक सबसे अलग दिखेगा।

चूड़ियां

हाथों में चूड़ियां हर नई दुल्हन की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। ऐसे में अपनी अलमारी में चूड़ियों का कलेक्शन हमेशा शामिल रखें। हर बार साड़ी के हिसाब से ही चूड़ियां पहनें।

नेकपीस

वैसे तो हर नई दुल्हन के पास सोने के कई ज्वेलरी आइटम्स होते हैं, लेकिन फिर भी आपको अपने पास कई ऐसे नेकपीस रखने चाहिए, जिन्हें आप एथनिक वियर के साथ कैरी कर सकें।

क्लच

क्लच एक ऐसा पर्स होता है, जिसे कैरी करके आप आसानी से कहीं भी ले जा सकती हैं। इसमें थोड़ा बहुत कैश और लिपस्टिक आसानी से आ जाती है। क्लच हमेशा ऐसा खरीदें, जिसे आप हर साड़ी के साथ कैरी कर सकें।

फुटवियर

हर नई दुल्हन को अपनी अलमारी में अलग-अलग तरीकों के फुटवियर को शामिल जरूर करना चाहिए। इसमें आप ब्लॉक हील्स, वैजेस शामिल कर सकती हैं। अगर आपको फ्लैट फुटवियर पसंद है तो मोजरी भी एक बेहतर विकल्प है।

कमरबंद

हर नई दुल्हन के पास कमरबंद का होना बेहद जरूरी होता है। इसे जब आप शादी के बाद साड़ी के साथ पहनेंगी तो आपका लुक बेहद खूबसूरत लगेगा।

गर्मी में चेहरे को चमकाएगा दूध, इन 4 तरीकों से कर सकते हैं इसका इस्तेमाल

गर्मी के मौसम में त्वचा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अगर इस मौसम में सही तरह से त्वचा का ध्यान न रखा जाए तो कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। इसकी वजह है कि कई जगहों का पारा 50 डिग्री पहुंच रहा है। ऐसे में लोगों की त्वचा धूप से जल रही है।

जो लोग अपनी त्वचा का ध्यान नहीं रखते हैं उन्हें सनबर्न, रैशेज, खुजली, घमौरियों, मुंहासों जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार तो ये परेशानियां इतना बढ़ जाती हैं कि डॉक्टर तक से सलाह ली जाती है। ऐसे में आप कच्चे दूध का इस्तेमाल करके अपनी त्वचा का ध्यान रख सकते हैं।

अगर आप दूध की मदद से अपना चेहरा चमकाना चाहते हैं तो इस लेख में हम आपको इसके कुछ तरीके बताएंगे। कच्चे दूध का इस्तेमाल करके आप अपनी त्वचा की रंगत निखार सकते हैं। तो चलिए देर न करते हुए आपको इसका तरीका बताते हैं।

दूध और शहद

अगर आप कच्चे दूध में शहद को मिलाकर अपनी त्वचा पर लगाएंगी तो इससे त्वचा में निखार आएगा। इसके साथ ही इसके इस्तेमाल से आपकी त्वचा खिल उठेगी। इसके लिए आपको बस एक कटोरी में दो चम्मच दूध लेकर उसमें थोड़ा सा शहद मिक्स करना है। अब इसे नियमित रूप से अपनी स्किन पर लगाएं। कुछ ही दिनों में आपको इसका असर दिखने लगेगा।

बेसन और दूध

इस मौसम में अपने चेहरे को साफ रखने के लिए आप दूध को बेसन में मिलाकर लगा सकते हैं। इसके लिए एक कटोरी में सबसे पहले बेसन लें। अब इसमें कच्चा दूध डालकर पेस्ट बना लें। इसे 15 मिनट के लिए अपने चेहरे पर लगाएं और फिर पानी से चेहरा धो लें। त्वचा की रंगत सुधारने में ये काफी मदद करेगा।

मुल्तानी मिट्टी और दूध

मुल्तानी मिट्टी तो हर किसी को सूट कर जाती है। ऐसे में आप दूध में इसे मिलाकर भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको बस कच्चे दूध में मुल्तानी मिट्टी डालकर इसका पेस्ट बनाना है और इसे चेहरे पर लगाना है। इससे आपकी त्वचा खिल उठेगी।

हल्दी और दूध

इन दोनों चीजों में पाए जाने वाले तत्व त्वचा को खिलाने का काम करते हैं। ऐसे में आप इन दोनों चीजों को मिक्स करके स्किन पर लगा सकते हैं। इस पेस्ट को बनाने के लिए आपको हल्दी सिर्फ एक चुटकी ही लेनी है। इसके इस्तेमाल से आपको त्वचा के दाग-धब्बों से भी छुटकारा मिलेगा।

स्वरा भास्कर ने दिखाया अपनी नन्ही परी का चेहरा, गुलाबी ड्रेस में बेहद क्यूट लग रहीं राबिया

बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर इन दिनों अपने मदरहुड को एंजॉय कर रही हैं। शादी के बाद स्वरा ने बड़े पर्दे से दूरी बनाई हुई है। उनकी बेटी राबिया नौ महीने की हो गई है। स्वरा और उनके पति फहाद अहमद ने पिछले साल 23 सितंबर को अपने पहले बच्चे का स्वागत किया था। बीते के जन्म के इतने महीने बाद अब अभिनेत्री ने फैंस को राबिया का चेहरा दिखाया है।

स्वरा भास्कर ने आज बुधवार, 19 जून को अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक तस्वीर साझा कर बेटी राबिया का चेहरा दिखाया है। तस्वीर में स्वरा की नन्ही परी बेहद क्यूट लग रही हैं। राबिया एक बगीचे में कुर्सी पर बैठी हुई दिखाई दे रही हैं। पिंक फ्लोरल को-ऑर्ड सेट में नन्ही राबिया बेहद प्यारी लग रही हैं। अभिनेत्री के फैंस के लिए ये किसी बड़े तोहफे से कम नहीं है।

अभिनेत्री सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं। वह अक्सर अपनी बेटी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करती रहती हैं। हालांकि, उन्होंने कभी बेटी का चेहरा नहीं दिखाया। आज उन्होंने राबिया का पूरा चेहरा फैंस को दिखाया है। फैंस लंबे वक्त से राबिया को देखने के लिए उत्सुक हो रहे थे। स्वरा की नन्ही परी की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर आते ही छा गई है।

स्वरा ने हाल ही में अपनी बेटी की पहली बकरीद की झलक दिखाने के लिए कुछ तस्वीरें भी साझा की थीं। वह बेटी के साथ अक्सर वक्त बिताते हुए नजर आती हैं। स्वरा ने जून 2023 में अपनी प्रेगनेंसी की घोषणा की थी। उन्होंने अपने पति और समाजवादी पार्टी के नेता फहाद अहमद के साथ बेबी बंप के साथ अपनी तस्वीरें साझा की थीं।

स्वरा भास्कर और फहाद अहमद ने फरवरी 2023 में कोर्ट मैरिज की थी। कथित तौर पर दोनों की मुलाकात और प्यार तब हुआ जब वे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। शादी के बंधन में बंधने से पहले वे कुछ समय तक दोस्त थे। मार्च 2023 में दोनों ने अपनी शादी के फंक्शन किए थे, जिसमें हल्दी, मेहंदी, कव्वाली नाइट और रिसेप्शन शामिल थे।