Thursday , October 24 2024

Editor

चुनाव आयोग से तृणमूल कांग्रेस की मांग, सभी 10 सीटों पर एक साथ कराया जाए उपचुनाव

लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में चाप विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा चुनाव आयोग ने की है। वहीं इसे लेकर राज्य की सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है और राज्य की सभी 10 सीटों पर एक साथ उपचुनाव कराने की मांग की है। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि अलग-अलग चुनाव कराना उचित नहीं और भेदभावपूर्ण होगा। बता दें कि चुनाव आयोग ने हाल ही में सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की घोषणा की है, जिसमें 10 जुलाई को वोट डाले जाएंगे। इसमें पश्चिम बंगाल की चार विधानसभा सीटें- रायगंज, रानाघाट दक्षिण, बागदा, मनिकतला शामिल हैं।

‘सभी 10 सीटों पर एक साथ हो उपचुनाव’

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखते हुए राज्य की सभी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की मांग की है और कहा कि राज्य की उन छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराएं जाएं, जिन सीटों के विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है। टीएमसी ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा कि- जिन विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है, वो जल्द ही अपने पदों से इस्तीफा देंगे। जिसके बाद से राज्य की छह विधानसभा सीटें खाली हो जाएंगी, इनमें मदरीहाट, नैहाटी, तालदांगरा, मेदिनीपुर, सिताई और हरोआ विधानसभा सीटें शामिल है। फिलहाल जिन चार विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें तीन सीटों पर विधायकों ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी सीटें खाली की थी। जबकि मनिकतला सीट टीएमसी के वरिष्ठ नेता और मंत्री साधन पांडे के मृत्यु के बाद खाली हुई है।

‘अलग-अलग चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं’

टीएमसी ने पत्र में आगे लिखा कि इन सीटों पर अलग-अलग चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि राज्य की कुछ विधानसभा सीटें जल्द ही खाली हो जाएंगी। और लगातार चुनाव कराने से राज्य में सरकार का कामकाज और प्रशासनिक प्रणाली भी कहीं-न-कहीं प्रभावित होगी। अगर एक साथ सभी 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे तो इससे कम संसाधनों का इस्तेमाल होगा, क्योंकि छह विधानसभा सीटें छह महीने के अंदर खाली हो जाएंगी। पार्टी के मुताबिक चुनाव आयोग पहले ही सात चरणों में लोकसभा चुनाव और राज्य में सभी सातों चरण में लोकसभा चुनाव कराने को लेकर आलोचना झेल चुका है।

छह में से पांच विधानसभा सीटों पर है टीएमसी का कब्जा

वहीं अगर अन्य छह विधानसभा सीटों की बात करें तो छह में से पांच विधानसभा सीटों पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। मदरीहाट विधानसभा से भाजपा के मनोज तिग्गा विधायक हैं, जिन्होंने अलीपुरद्वार लोकसभा सीट से जीत हासिल की है। जबकि नैहाटी से टीएमसी विधायक पार्थ भौमिक बैरकपुर से जीतकर सांसद बने हैं। वहीं तालदांगरा के विधायक अरूप चक्रवर्ती बांकुरा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए हैं। इस कड़ी में मेदिनीपुर से टीएमसी विधायक जून मालिया मेदिनीपुर लोकसभा सीट से सांसद बनीं हैं, जबकि सिताई विधायक जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया कूच बेहर से लोकससभा सांसद चुने गए हैं। वहीं हरोआ विधानसभा सीट से टीएमसी विधायक हाजी नरुल इस्लाम बशीरहाट लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं।

‘चुनावी नतीजे अति आत्मविश्वासी भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए रियल्टी चेक’, RSS से जुड़ी पत्रिका में दावा

नई दिल्ली:  लोकसभा चुनाव के नतीजे अति आत्मविश्वास वाले भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके कई नेताओं के लिए एक ‘रिएल्टी चेक’ के रूप में सामने आए हैं, क्योंकि वे अपने बुलबुले में खुश थे। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चमक का आनंद ले रहे थे, लेकिन सड़क पर आवाजें नहीं सुन रहे थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी एक पत्रिका में यह बात कही गई है।

‘समर्पित कार्यकर्ताओं की हुई उपेक्षा’
‘ऑर्गेनाइजर पत्रिका’ के ताजा अंक में छपे एक लेख में कहा गया कि आरएसएस भाजपा की क्षेत्रीय ताकत नहीं है। लेकिन पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपने चुनावी काम में स्वयंसेवकों से सहयोग मांगने के लिए उनके पास नहीं पहुंचे। इसमें कहा गया है कि उन पुराने समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भी चुनाव परिणामों में स्पष्ट दिखाई दी, जिन्होंने नए दौर के सोशल मीडिया समर्थित सेल्फी कार्यकर्ताओं से मान्यता के बिना काम किया।

‘लक्ष्य था 400 सीट का पीएम का आह्वान’
आरएसएस की आजीवन सदस्य रहे रतन शारदा ने लेख में कहा, 2024 के आम चुनाव के नतीजे अति आत्मविश्वास से भरे भाजपा कार्यकर्ताओं और कई नेताओं के लिए रिएल्टी चेक के रूप में आए हैं। उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि प्रधानमंत्री मोदी का 400 से ज्यादा सीट का आह्वान उनके लिए एक लक्ष्य था और विपक्ष के लिए यह एक चुनौती थी।

बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई भाजपा
इन चुनावों में भाजपा 240 सीट के साथ बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई। हालांकि, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने लोकसभा की 293 सीट के साथ जनादेश हासिल किया। वहीं, कांग्रेस को 99 सीट पर जीत मिली। जबकि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने 234 सीट पर जीत दर्ज की। चुनाव के बाद जीतने वाले दो निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी कांग्रेस को समर्थन देने का वादा किया है। जिससे विपक्षी गठबंधन में सीट की सीट की संख्या 236 हो गई।

‘कड़ी मेहनत से हासिल किए जाते हैं लक्ष्य’
लेख में शारदा ने कहा कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी साझा करने से नहीं, बल्कि जमीन पर कड़ी मेहनत से ही लक्ष्य हासिल किए जाते हैं। वे (भाजपा नेता और कार्यकर्ता) अपने बुलबुले में खुश थे। मोदी जी की आभा की चमक का आनंद ले रहे थे। इसलिए वे सड़कों पर आवाजों को नहीं सुन रहे थे।
अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें

राहुल ने वंशवाद की राजनीति को लेकर भाजपा पर साधा निशाना, केंद्रीय मंत्रिमंडल को ‘परिवार मंडल’ बताया

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगवलार को वंशवादी राजनीति को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के मंत्रिमंडल को ‘परिवार मंडल’ करार दिया। उनका इशारा मोदी 3.0 सरकार में उन मंत्रियों की ओर था जो राजनीतिक परिवारों से आते हैं।

राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्टर साझा करते हुए लिखा, ‘पीढ़ियों से संघर्ष, सेवा और बलिदान की परंपरा को परिवारवाद कहने वाले अपने सरकारी परिवार को सत्ता की वसीयत बांट रहे। कथनी औऱ करनी के इसी फर्क को नरेंद्र मोदी कहते हैं।’ इस पोस्टर में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी, पूर्व केंद्रीय मंत्री माधव राव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरुणाचल प्रदेश के प्रोटेम स्पीकर रिनचिन खारू के पुत्र किरेन रिजिजू, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे की बहू रक्षा खडसे औऱ पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पौते जयंत चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और पूर्व सांसद एवं मंध्य प्रदेश की मंत्री जयश्री बनर्जी के दामाद जेपी नड्डा का नाम लिया गया है।

इनमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री तेरेन नायडू के बेटे राम मोहन नायडू, पूर्व सांसद जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र सिंह के बेटे राव इंद्रजीत सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री वेद प्रकाश गोयल के बेटे पीयूष गोयल, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू, अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री महाराज आनंद सिंह के बेटे कीर्तिवर्धन सिंह के नाम भी शामिल हैं।

राहुल गांधी का यह पोस्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान वंशवादी राजनीति करने का आरोप लगाया था।

मोहन माझी होंगे ओडिशा के नए सीएम; भाजपा विधायक दल की बैठक में एलान, थोड़ी देर में राज्यपाल से मिलेंगे

भुवनेश्वर:  मोहन माझी ओडिशा के नए मुख्यमंत्री होंगे। उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। बैठक में बतौर केंद्रीय पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव मौजूद रहे। भुवनेश्वर में हुई बैठक में माझी के नाम का एलान किया गया। भाजपा ने ओडिशा विधानसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करते हुए ओडिशा में करीब 24 साल से सत्ता पर काबिज बीजद को सत्ता से बेदखल किया है।

विधायक दल की बैठक हुई
ओडिशा में भाजपा विधायक दल का नेता चुनने के लिए शाम साढ़े चार बजे बैठक शुरू हुई। इस बैठक में राजनाथ सिंह और भूपेंद्र यादव भी मौजूद रहे। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भाजपा ओडिशा में डिप्टी सीएम भी नियुक्त कर सकती है। विधायक दल का नेता चुनने के बाद अब भाजपा नेता राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा करेंगे। ओडिशा में भी बुधवार को सीएम पद का शपथ ग्रहण समारोह होना है। इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री मोदी भी मौजूद रह सकते हैं। शपथ ग्रहण के लिए भाजपा ने बीजद नेता नवीन पटनायक को भी आमंत्रण दिया है। शपथ ग्रहण समारोह के चलते ओडिशा में 12 जून को आधे दिन की छुट्टी देने का एलान किया गया है।

शपथ ग्रहण समारोह के लिए साधु संतों को भी भेजा गया आमंत्रण
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही ओडिशा के लोगों से वादा किया था कि कोई उड़िया भाषा बोलने वाला व्यक्ति ही राज्य का मुख्यमंत्री बनेगा। ओडिशा में सीएम के शपथ ग्रहण समारोह के लिए साधु संतों को भी आमंत्रण भेजा गया है। ओडिशा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से 78 पर जीत दर्ज की है। वहीं बीजद 51 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस को राज्य में 14, सीपीआईएम को 1 सीट मिली है। वहीं तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं।

जिरीबाम में भड़की हिंसा के कारण दो हजार लोग विस्थापित, हाई अलर्ट पर असम का कछार जिला

इंफाल:  मणिपुर के जिरीबाम में भड़की हिंसा के कारण लगभग दो हजार लोगों को विस्थापित करना पड़ा। मौजूदा हालात को देखते हुए सुरक्षा बलों ने पड़ोसी राज्य असम के कछार जिले को हाई अलर्ट पर रखा है। असम के लखीपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक कौशिक राय ने बताया कि लगभग 10,000 लोगों ने कछार में शरण ली है। दरअसल, लखीपुर मणिपुर के जिरीबाम से सटा हुआ क्षेत्र है।

विधायक कौशिक राय के अनुसार, कछार में शरण लेने वाले ज्यादातर लोग कुकी और हमार हैं। ये दोनों ही जो जनजाति का हिस्सा है। विस्थापित लोगों में मैतेई समुदाय के लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, “हमने डीसी और एसपी के साथ सोमवार को लखीपुर में रहने वाले विभिन्न सामुदायिक संगठनों के साथ एक बैठक की। इस बैठक में हमने इस बात पर जोर दिया कि मणिपुर में जारी हिंसा को आगे भड़काना नहीं चाहिए। हमारे यहां बंगाली, हिंदी भाषी, बंगाली और मणिपुरी मुस्लिम, बिहारी, दिमासा, हमार, कुकी, खासी और रोंगमेई, अन्य विविध आवादी हैं। कुछ ऐसे लोग हैं, जिन्होंने यहां आश्रय मांगा है, लेकिन इससे असम प्रभावित नहीं होना चाहिए।”

लखीपुर में तैनात किए गए कमांडो
कछार के एसपी ने बताया कि लखीपुर में सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए हैं। विशेष कमांडो को भी तैनात किया गया है। उन्होंने कहा, “जिरीबाम के हमार मिजो वेंग का निवासी अब कछार के हमारखावलीन गांव में रह रहा है। वह उन लोगों में से था, जो हिंसा के समय अपने परिवार के साथ भाग गए थे। छह जून की रात वे नाव से जिरी नदी पार कर यहां पहुंचे थे।”

कछार में रह रहे व्यक्ति ने कहा, “लोगों की संख्या बढ़ सकती है। अभी फिलहाल 400 लोग हैं। हमें नहीं मालूम कि अब यहां से वापस जाना कब संभव होगा।” जिला प्रशासन के अनुसार, जिरीबाम जिले के छह राहत शिविरों में अभी तक 918 लोग रह रहे हैं। ये मैतेई लोग हैं, जिनके घरों को आठ जून को हिंसा के दौरान जला दिए गए थे। पुलिस ने इन्हें राहत शिविरों में भेज दिया था।

योगी सरकार ने नई तबादला नीति को दी मंजूरी, कुंभ की तैयारियों के लिए आवंटित किए 2500 करोड़ रुपये

लखनऊ:  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में तबादला नीति 2024-25 को मंजूरी दे दी गई है। बैठक में कुल 41 प्रस्ताव रखे गए हैं।

बैठक में बुंदेलखंड क्षेत्र की 50 में से 26 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है। जिनकी कुल लागत 10858 करोड़ रुपये है। इसमें 1394 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है।

बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि दो महीने में सभी परियोजनाओं को पूरा कर दिया जाएगा।

इन प्रस्तावों को भी दी गई है मंजूरी:
– निजी विश्वविद्यालय को प्रमोट करना और हर मंडल में एक सरकारी विश्वविद्यालय को मंजूरी।
– विवि के नाम से राज्य हटा कर नाम छोटा कर दिया गया है।
– मुरादाबाद विवि का नाम गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय किया गया है।
– बरेली में हरित गाजियाबाद और फ्यूचर विश्वविद्यालय खोले जाएंगे।

– प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में तैयारियों के मद्देनजर 2019 की तुलना में 2025 में 3200 हेक्टेयर की तुलना में 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तार किया गया है। अनुमान है कि मौनी अमावस्या पर करीब छह करोड़ लोग आएंगे। कुंभ के लिए 2500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

– नोएडा में 500 बेड के अस्पताल को मंजूरी मिली। इसका निर्माण 15 एकड़ भूमि पर किया जाएगा।

– आईआईटी कानपुर में मेडिकल रिसर्च के लिए स्कूल आफ मेडिकल रिसर्च एंड टेक्नालॉजी बनाया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार हर साल 10 करोड़ रुपये देगी। इस तरह पांच साल में 50 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। शेष मदद केंद्र से आएगी।

– नई तबादला नीति के तहत प्रदेश में समूह क ख ग घ के सभी कार्मिकों के ट्रांसफर 30 जून तक होंगे। जिलों में तीन साल और मंडल में सात साल से अधिक तैनाती वाले कार्मिक हटाए जाएंगे। पिक एंड चूज की व्यवस्था खत्म होगी। जो ज्यादा पुराना होगा, वह पहले हटेगा। समूह क और ख में अधिकतम 20 प्रतिशत और समूह ग और घ में अधिकतम 10 प्रतिशत कार्मिकों के तबादले होंगे।

ज्येष्ठ के तीसरे मंगल पर बजरंगबली के जयकारों से गूंज रही अयोध्या, हनुमानगढ़ी पर उमड़ा आस्था का सैलाब

अयोध्या:  ज्येष्ठ माह के तीसरे और आखिरी मंगलवार को बजरंगबली के प्रति आस्था उमड़ी। बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा।सुबह से ही भक्त उमड़े तो दिन चढ़ने के साथ भक्ति का रंग मार्गों पर भी प्रवाहित हुआ। हनुमानगढ़ी में सुबह चार बजे से ही बजरंगबली के जयकारे गूंजने लगे। फूलों से सजे हनुमंतलला की दिव्य छवि का दर्शन कर भक्त निहाल होते रहे।

हनुमानगढ़ी के निकास द्वार पर निर्माण कार्य के चलते प्रवेश द्वार से ही श्रद्धालुओं को प्रवेश कराया जा रहा है, इसी रास्ते से भक्त वापस भी लौट रहे हैं।छोटे-छोटे ब्लॉक में श्रद्धालुओं को दर्शन कराया जा रहा है। ज्येष्ठ माह के मंगल पर शहर में जगह-जगह भंडारे भी सजे हैं। इनमें श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जा रहा है।

बसपा को बड़ा झटका… दस साल में आधा रह गया जनाधार; 17 सुरक्षित सीटों पर भी 21 लाख से ज्यादा वोट हो गए कम

लखनऊ:  लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को बड़ा झटका लगा है। बीते 10 साल में उसका जनाधार आधा खत्म हो चुका है। इतना ही नहीं, इस चुनाव में प्रदेश की 17 सुरक्षित सीटों पर उसके 21 लाख से ज्यादा वोट कम हो गए, जो प्रत्याशियों की हार की वजह बन गए। ये वोट सपा-कांग्रेस गठबंधन को ट्रांसफर होने के कयास लगाए जा रहे हैं। बसपा के बीते तीन लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन पर नजर डालें तो सामने आता है कि वह अपने काडर वोटबैंक को सहेज कर रखने में भी नाकामयाब साबित हुई है।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को कुल 1,59,14,194 वोट मिले थे, जो इस बार सिमट कर महज 82,53,489 रह गए। पार्टी का आधा वोटबैंक चुनाव-दर-चुनाव विपक्षी दलों के पाले में चला गया। यही वजह है कि बसपा को चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

सुरक्षित सीटों पर बुरा हाल
बसपा का सुरक्षित सीटों पर बुरा हाल हुआ है। वर्ष 2014 के चुुनाव में उसे सुरक्षित सीटों पर 39,71,139 वोट मिले थे, जबकि हालिया चुनाव में उसे इन सीटों पर केवल 18,24,322 वोट ही मिले हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में बसपा ने 10, जबकि सपा ने सात सुरक्षित सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। भाजपा ने 17 सीटों में से 15 पर जीत दर्ज की थी, जबकि बसपा को दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

क्या गलत था वोट ट्रांसफर नहीं होने का आरोप
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने सपा पर उसके वोट ट्रांसफर नहीं होने का आरोप लगाकर गठबंधन को तोड़ दिया था। उनका यह फैसला अब सवालों के घेरे में आ चुका है।

बसपा को बीते चुनावों में मिले वोटों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि उसे 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में तकरीबन बराबर वोट मिले थे, जबकि आधी सीटों पर उसने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे। वहीं इस चुनाव में किसी दल के साथ गठबंधन नहीं करने पर उसके वोट आधे रह गए। उसका कोई भी प्रत्याशी जीत के लायक वोटों के आसपास तक नहीं पहुंच सका।

बिहार के पांच सबसे खूबसूरत झरने, ये देखकर भूल जाएंगे एमपी-कर्नाटक के जलप्रपात

बिहार ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से देश का महत्वपूर्ण राज्य है, जहाँ कई पर्यटन स्थल हैं जो देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहां बोधगया है, जो धार्मिक महत्व रखता है, जो नहीं नालंदा में देश का एक प्रमुख शिक्षा केंद्र है। राजगीर में विश्व शांति स्तूप है तो वहीं पटना में गुरुद्वारा पटना साहिब है। हालांकि प्राकृतिकता की दृष्टि से भी बिहार समृद्ध है। बिहार के पांच जलप्रपात बेहद खूबसूरत हैं, जिनका नजारा अद्भुत अनुभव की अनुभूति कराता है। अगर आप कभी बिहार आएं तो इन प्रसिद्ध और खूबसूरत झरने को जरूर देखने जाएं।

घूमने के लिए बिहार के सबसे खूबसूरत झरने

ककोलत झरना

बिहार के नवादा जिले से लगभग 33 किमी दूर काकोलत जलप्रपात है जो कि 160 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। इस झरने का पानी हर मौसम में ठंडा ही रहता है। गर्मियों की छुट्टियों में यह झरना स्थानीय लोगों के लिए किसी पिकनिट स्पॉट या हिल स्टेशन से कम नहीं होता।

करकट जलप्रपात

राज्य के कैमूर जिले में कैमूर की पहाड़ियों में शानदार करकट झरना बसा है। इस झरने के पास लोग सैर सपाटे पर आना पसंद करते हैं। यहां पानी में नौका विहार, तैराकी और मछली पकड़ने की सुविधा उपलब्ध है। पास में ही कैमूर वन्यजीव अभयारण्य स्थित है।

धुआं कुंड जलप्रपात

बिहार के कुंड सासाराम से 10 किमी दूर कैमूर की पहाड़ी से धुआं कुंड नाम का झरना गिरता है। यह इतना विशाल और खूबसूरत है कि पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। झरने का जल बहुत तेज है और यहां रक्षाबंधन का मेला लगता है।

तुतला भवानी जलप्रपात

बिहार के रोहतास क्षेत्र में तुतला भवानी जलप्रपात स्थित है। इसे तुतराही झरना भी कहते हैं। यह जलप्रपात देहरी ऑन सोन से कुछ किमी दूरी पर दक्षिण की ओर है। यह झरना दो विशाल पहाड़ियों के बीच से नीचे गिरता है। यहां पास में ही तारा चंडी मंदिर, नेहरू पार्क भी है।

हनुमान धारा झरना

राज्य के सिकरिया में हनुमान धारा झरना है, जिसे बिहार का दिल कहते हैं। यहां लंका में आग लगाने के बाद हनुमान जी के लिए भगवान श्रीराम ने झरने का निर्माण किया था। झरने की ऊंचाई 150 फीट है। चित्रकूट बस स्टैंड से झरना महज 5 किमी टूर है।

कम पैसे में घर पर तैयार कर सकते हैं 5 तरह की सनस्क्रीन

तेज चिलचिलाती धूप की हानिकारक यूवी किरणों से त्वचा का बचाव करना बेहद जरूरी होता है। अगर धूप से त्वचा को न बचाया गया तो टैनिंग, सनबर्न और कई बार तो सन पॉइजनिंग जैसी गंभीर समस्या भी सामने आने लगती हैं। धूप से त्वचा को बचाने का सबसे सही तरीका होता है एक तो खुद को पूरी तरह से कवर करके बाहर निकलना। वहीं इससे बचने का अहम और दूसरा तरीका होता है सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना।

इस मौसम में सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी होता है। सनस्क्रीन आपको कई प्रकार की समस्याओं से दूर रखती है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि ये अच्छा असर दिखाने की बजाए त्वचा को नुकसान पहुंचा देती है। ऐसे में आप चाहें तो घर पर बिना केमिकल वाली सनस्क्रीन तैयार कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको घर पर ही बिना केमिकल वाली सनस्क्रीन बनाना बताएंगे, ताकि आप कम पैसे खर्च किए अपने लिए सनस्क्रीन तैयार कर सकें।

पहली सनस्क्रीन

इसे बनाने के लिए आपको हल्दी और एलोवेरा जेल की जरूरत पड़ेगी। सनस्क्रीन को बनाने के लिए सबसे पहले एक कटोरी में एक बड़ा चम्मच एलोवेरा जेल लें। अब इसमें थोड़ी ही हल्दी डालकर इसका पेस्ट तैयार करें। इसे आप हर रोज अपने शरीर पर लगा सकते हैं। अगर आप इसके आइस क्यूब जमाकर रख लेंगे तो भी ये आपको टैनिंग से बचाएगी।

दूसरी सनस्क्रीन

दूसरी तरह की सनस्क्रीन को बनाने के लिए आपको 1/2 कप शीया बटर, 1/4 कप बादाम तेल और 2 टेबलस्पून जिंक ऑक्साइड पाउडर की जरूरत पड़ेगी। इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक बॉयलर में शीया बटर को पिघलाएं। जब शीया बटर पिघल जाए, तो बादाम का तेल मिलाएं। ठंडा होने के बाद इसमें जिंक ऑक्साइड पाउडर मिलाएं। अब आप इसे स्टोर करके रख सकते हैं और लंबे समय तक इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

तीसरी सनस्क्रीन

इसे बनाने के लिए आपको तिल का तेल और आम के बटर की जरूरत पड़ेगी। आम का बटर इसकी गुठली से तैयार किया जाता है। इसके इस्तेमाल से आप त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचा सकते हैं। इसे बनाने के लिए एक कटोरी में तिल का तेल लें। अब इसमें दो चम्मच आप का बटर, 1 चम्मच रस रास्पबेरी तेल और आखिर में थोड़ा सा जिंक पाउडर मिलाएं। जब ये सही से मिक्स हो जाए तो इसे ठंडा होने दें और फिर रोजाना इसका इस्तेमाल करें।

चौथी सनस्क्रीन

इसे बनाना काफी आसान है। इसे तैयार करने के लिए सबसे पहले 3 बड़े चम्मच कोको बटर को पिघलाएं। अब इसमें दो बड़े चम्मच बादाम का तेल और फिर जिंक पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिक्स करें। इसे आप फ्रिज में स्टोर करके रख सकते हैं।