Thursday , October 24 2024

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पीसीएस, आरओ-एआरओ और स्टाफ नर्स भर्ती की मुख्य परीक्षाएं अगले साल, इस साल के कैलेंजर में नहीं मिली जगह

प्रयागराज:  उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से वर्ष 2024 का संशोधित कैलेंडर जारी किए जाने के बाद तीन मुख्य परीक्षाएं अगले साल तक के लिए टल गईं हैं। ऐसे में आयोग के लिए भर्ती परीक्षाओं के सत्र को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती होगी। इनमें पीसीएस जैसी प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित भर्ती परीक्षा भी शामिल है।

आयोग की ओर से 12 जनवरी 2024 को जारी किए गए कैलेंडर में स्टाफ नर्स (यूनानी/आयुर्वेदिक) (पुरुष/महिला) मुख्य परीक्षा-2023 का आयोजन नौ जून 2024, सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) मुख्य परीक्षा-2024 का आयोजन सात जुलाई 2024 और समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) मुख्य परीक्षा-2023 का आयोजन 28 जुलाई 2024 से प्रस्तावित था।

आयोग ने तीन जून को जो संशोधित कैलेंडर जारी किया, उसमें इन तीनों मुख्य परीक्षाओं को शामिल नहीं किया जा सकता है। दरअसल, 11 फरवरी 2024 का हुई आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 पेपर लीक के कारण निरस्त कर दी गई थी और इसके बाद आयोग ने 17 मार्च को प्रस्तावित पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 एवं 22 मार्च को प्रस्तावित स्टाफ नर्स (यूनानी/आयुर्वेदिक) (पुरुष/महिला) प्रारंभिक परीक्षा-2023 को स्थगित कर दिया था।

आयोग के संशोधित कैलेंडर के अनुसार आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा अब साल के अंत में 22 दिसंबर को आयोजित की जाएगी। वहीं, पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा-2024 अब 27 अक्तूबर को होगी और स्टाफ नर्स भर्ती की प्रारंभिक परीक्षा आठ सितंबर को प्रस्तावित की गई है। ऐसे में तीनों भर्तियों के लिए मुख्य परीक्षाएं अब वर्ष 2025 में ही आयोजित कराई जा सकेंगी।

राममंदिर की सौगात पर चुप्पी… शहरी बोले- गुणा-गणित में फेल हो गई भाजपा, जातिगत ध्रुवीकरण से मिली हार

अयोध्या:  फैजाबाद लोकसभा के चुनाव परिणाम पर अयोध्यावासियों ने भी प्रतिक्रिया दी है। लोगों का कहना है कि दलित मतों के ध्रुवीकरण के चलते भाजपा को नुकसान हुआ। इंडिया गठबंधन चुनावी समीकरण साधने में सफल साबित हुई। राममंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि इस बार जनता ने भाजपा से बेरुखी दिखाई। भाजपा प्रत्याशी गुणा-गणित करने में फेल हो गए।

उन्होंने अपना सारा फोकस शहरी क्षेत्रों में ही रखा, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कम गए, जिसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ा। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने ग्रामीण क्षेत्रों में फोकस किया। जातीय वोटों की गणित उन्होंने बखूबी सुलझाई। मथुरा न काशी, अबकी अवधेश पासी का नारा भी इनके समर्थकों ने निकाला था, जो चल गया। आचार्य सत्येंद्र दास ने जब राममंदिर फैक्टर के काम न करने का सवाल किया गया तो बोले कि इस पर कुछ नहीं कहना।

विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा का कहना है कि कहीं न कहीं अतिविश्वास ने भाजपा को चकमा दिया। साथ ही इस बार अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में कम मतदान भी हार का कारण बना। दलित वोटों के ध्रुवीकरण का लाभ इंडिया गठबंधन को मिला, जिसने उनकी जीत का मार्ग प्रशस्त किया है। बाकी चुनावी अखाड़े में दांवपेच में भाजपा पर इंडिया गठबंधन भारी पड़ी, इसलिए उसे जीत मिली।

साकेत महाविद्यालय के शिक्षक जन्मेजय तिवारी ने कहा कि लल्लू सिंह की हार से अयोध्या के विकास और सपनों पर कहीं न कहीं विराम लगेगा। जनता बदलाव चाहती थी इसलिए भाजपा की हार हुई है। अवधेश प्रसाद को बदलाव की हवा का लाभ मिला, साथ ही जातीय समीकरण अपने पक्ष में करने में भी कामयाब रहे।

व्यापारी पंकज गुप्ता ने कहा कि बूथ मैनेजमेंट पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी भाजपा से आगे निकल गए। अयोध्या में कम मतदान भी हार का कारण बना। मतदाता पर्ची का वोटरों तक न पहुंचना और बहुत सारे वोट कटने से भी भाजपा को नुकसान हुआ। इंडिया गठबंधन का बूथ मैनेजमेंट ठीक रहा। दलित, मुस्लिम व यादव मतों के ध्रुवीकरण का लाभ अवधेश प्रसाद को मिला।

‘आपने प्यार, सच्चाई और दयालुता के साथ लड़ाई लड़ी’, प्रियंका गांधी ने भाई राहुल को लिखा भावुक नोट

लखनऊ:  कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाई राहुल गांधी को उनकी जीत पर एक भावुक नोट लिखा है। इसमें उन्होंने राहुल के रायबरेली और वायनाड की दोनों सीटों पर जीत हासिल करने के साथ ही लोकसभा चुनावों में पार्टी की स्थिति में सुधार होने पर उनकी तारीफ की है। अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रियंका ने लिखा, उनके दृढ़ विश्वास पर संदेह करने और उनके खिलाफ झूठ का भारी प्रचार किए जाने के बावजूद, राहुल कभी पीछे नहीं हटे और सच्चाई के लिए लड़ते रहे। प्रियंका ने उन्हें सबसे बहादुर बताते हुए आगे लिखा, राहुल गांधी ने प्यार, सच्चाई और दयालुता के साथ लड़ाई लड़ी। उन्हें उन पर गर्व है।

प्रियंका गांधी ने अपनी पोस्ट में आगे कहा, आप डटे रहे, फिर चाहे उन्होंने आपको कुछ भी कहा हो या आपके साथ कुछ भी किया हो। आप कभी पीछे नहीं हटे, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आई हों, आपने कभी भी विश्वास करना नहीं छोड़ा, चाहे उन्हें आपके विश्वास पर कितना भी संदेह क्यों न हो, आपने झूठ के भारी प्रचार के बावजूद सच्चाई के लिए लड़ना कभी नहीं छोड़ा और आपने कभी भी गुस्से और नफरत को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, तब भी जब वे आपको हर दिन इसका तोहफा देते थे। उन्होंने आगे कहा, जो लोग आपको नहीं देख पाए, वे अब आपको देख सकते हैं, लेकिन हममें से कुछ लोगों ने हमेशा आपको सबसे बहादुर के रूप में देखा और जाना है। भाई, मुझे आपकी बहन होने पर गर्व है।

कांग्रेस का सुधरा प्रदर्शन
राहुल गांधी ने रायबरेली और वायनाड दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में भारी अंतर से जीत हासिल की। रायबरेली में उन्होंने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 3,90,030 मतों के अंतर से हराकर यह सीट जीती। वायनाड में उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी की उम्मीदवार एनी राजा को 3,64,422 मतों से हराया। 2024 के लोकसभा चुनावों की मतगणना मंगलवार को हुई। भारत के चुनाव आयोग के अनुसार, भाजपा ने 240 सीटें जीतीं, जो उसकी 2019 की 303 सीटों से काफी कम है। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने 99 सीटें जीतकर मजबूत सुधार दर्ज किया।

आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद दो प्रत्याशी जीते चुनाव, क्या ले सकेंगे शपथ? जानें नियम

मंगलवार को चुनाव आयोग द्वारा घोषित लोकसभा चुनाव के परिणाम में दो ऐसे प्रत्याशी भी विजयी हुए हैं, जो कि आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद हैं। अब आने वाले दिनों में बनने वाली 18 वीं लोकसभा में असामान्य स्थिति पैदा हुई है। जिसमें कानून के पास उन्हें सदन कार्यवाही में शामिल होने ताकत है। जबकि संवैधानिक अधिकार दोनों को संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने का मौका देता है।

देश में सात चरण में लोकसभा चुनाव का परिणाम चुनाव आयोग ने घोषित किया। 18 वीं लोकसभा के लिए पंजाब के खडूर साहिब से कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह ने जीत हासिल की है। हालांकि वे अप्रैल 2023 में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार हुए थे, इसके बाद उन्हें असम की डिब्रूगढ़ जेल में भेज दिया गया था।

वहीं दूसरी सीट जम्मू-कश्मीर की बारामुल्ला सीट है, जिस पर आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोपी शेख अब्दुल राशिद उर्फ इंजीनियर राशिद विजयी हुए हैं। इंजीनियर राशिद को 9 अगस्त 2019 में आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप तिहाड़ जेल में कैद किया गया थाा।इन दोनों उम्मीदवारों के जेल में बंद होने के बाद भी नवनिर्वाचित सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने की अनुमति मिलती है या नहीं यह एक बड़ा प्रश्न है?

संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी ने कानूनी पहलुओं को स्पष्ट करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में संवैधानिक प्रावधानों का पालन किया जाता है। उन्होंने कहा कि संसद सदस्य के रूप में शपथ लेना एक संवैधानिक अधिकार है। लेकिन चूंकि वे वर्तमान में जेल में हैं, इसलिए इंजीनियर राशिद और सिंह को शपथ ग्रहण समारोह के लिए संसद में ले जाने के लिए अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। शपथ लेने के बाद उन्हें वापस जेल लौटना होगा।

क्या कहता है संविधान
कानूनी पहलुओं को और स्पष्ट करने के लिए अचारी ने संविधान के अनुच्छेद 101(4) का हवाला दिया। जो अध्यक्ष की पूर्व स्वीकृति के बिना संसद के दोनों सदनों से सदस्यों की अनुपस्थिति से संबंधित है। उन्होंने कहा कि शपथ लेने के बाद वे अध्यक्ष को पत्र लिखकर सदन में उपस्थित होने में अपनी असमर्थता के बारे में सूचित करेंगे। इसके बाद अध्यक्ष उनके अनुरोधों को सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी सदन समिति को भेजेंगे। समिति सिफारिश करेगी कि सदस्य को सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। इसके बाद अध्यक्ष द्वारा सदन में सिफारिश पर मतदान कराया जाएगा।

अगर इंजीनियर राशिद या अमृतपाल सिंह को दोषी ठहराया जाता है और उन्हें कम से कम दो साल की जेल होती है, तो वे 2013 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार तुरंत लोकसभा में अपनी सीट खो देंगे। इस फैसले में कहा गया है कि ऐसे मामलों में सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। इस फैसले ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को रद्द कर दिया, जो पहले दोषी सांसदों और विधायकों को अपनी सजा के खिलाफ अपील करने के लिए तीन महीने का समय देता था।

नाबालिग के मां-पिता को 17 जून तक हिरासत, रक्त के नमूने बदलने वाले डॉक्टरों पर भी कार्रवाई

पुणे:  महाराष्ट्र के पुणे में पोर्श कार हादसे में दो आईटी इंजीनियरों को अपनी जान गंवानी पड़ी। कार चालक 17 वर्षीय नाबालिग घटना के समय शराब के नशे में था, जिसके रक्त के नमूनों की अदला-बदली के आरोप में पुलिस ने उसकी मां को शनिवार को गिरफ्तार किया था। अब पुलिस ने अदालत को एक अहम जानकारी दी है। पुलिस ने बताया कि फॉरेंसिक रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि नाबालिग की मां के रक्त के नमूने की अदला-बदली की गई।

नाबालिग के मां-पिता को 10 जून तक पुलिस हिरासत में भेजा
अदालत ने भी सख्त कार्रवाई करते हुए नाबालिग की मां और पिता को 10 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। इसके अलावा रक्त के नमूनों की अदला-बदली करने वाले ससून अस्पताल के डॉक्टर श्रीहरि हलनोर, डॉक्टर अजय टारे और एक कर्मचारी अतुल घाटकांबले को भी 7 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। बता दें, पुलिस ने नाबालिग के पिता, मां और ससून अस्पताल के डॉक्टरों और एक कर्मचारी को अदालत में पेश किया था।

नाबालिग के दादा को भी गिरफ्तार कर चुकी पुलिस
सूत्रों ने के मुताबिक, पुलिस पुलिस पांच जून को प्रारंभिक अवधि समाप्त होने पर किशोर के अवलोकन गृह में रहने की अवधि को और बढ़ाने की मांग कर सकती है। इस मामले में पुलिस आरोपी के दादा को भी गिरफ्तार कर चुकी है।

क्या था पूरा मामला
पुणे शहर में 18-19 मई की रात करीब तीन करोड़ रुपये की पोर्श कार को तेज गति से दौड़ाने के चक्कर में 17 साल के लड़के ने एक बाइक को टक्कर मार दी थी। गाड़ी की टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक अपना संतुलन खोकर काफी दूर तक सड़क पर घिसटते चली गई, जिससे उस पर सवार दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। मौके पर मौजूद लोगों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद नाबालिग को गिरफ्तार कर लिया गया।

उपमुख्यमंत्री पद से फडणवीस के इस्तीफे की पेशकश पर आई CM शिंदे की प्रतिक्रिया, जानें क्या बोले

मंगलवार को लोकसभा चुनाव का परिणाम चुनाव आयोग ने घोषित किया। इसके बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सीएम एकनाथ शिंदे को उन्हें राज्स सरकार से मुक्त करने का प्रस्ताव दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हार के पहलुओं पर विचार करने और सुधार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विपक्ष के झूठे दावों का मुकाबला करने में वे असफल रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश की 48 लोकसभा सीट में से एनडीए को सिर्फ 17 सीटें मिलीं। जिसमें भाजपा को 9, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को 7 और एनसीपी (अजित पवार) को 1 सीट मिली है। वहीं इंडी ब्लॉक महाराष्ट्र में 30 सीटों पर विजयी रही। इस हार के बाद उपमुख्यमंत्री ने हार की जिम्मेदारी ली और अपने पद से इस्तीफा देने की बात कही।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवींस के इस्तीफा देने की बात से पार्टी को भी बड़ा झटका लगा है। महाराष्ट्र में भाजपा और पार्टी की स्थिति देखने के बाद उपमुख्यमंत्री ने यह फैसला किया है। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मैं देश की जनता को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने पीएम मोदी को तीसरी बार पीएम बनने के लिए अपना आशीर्वाद दिया। महाराष्ट्र में हमें अपेक्षित नतीजे प्राप्त नहीं हुए। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा को जो झटका लगा उसकी पूरी जिम्मेदारी मैं लेता हूं। क्योंकि पार्टी का नेतृत्व मैं कर रहा था। मैं विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में भाजपा को पूरा समय देना चाहता हूं। मैं भाजपा के आलाकमान से अनुरोध कर रहा हूं कि वे मुझे सरकार की जिम्मेदारियों से मुक्त करें। ताकि मैं आगामी चुनाव के लिए कड़ी मेहनता कर सकूं।

उनके इस बयान के बाद से ही पार्टी के अन्य नेताओं ने प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने ही बयान के बाद कहा कि चुनावी हार सामूहिक जिम्मेदारी है, तीनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव में काम किया। हम सामूहिक रूप से विपक्ष का सामना करने में विफल रहे हैं। वोट शेयर देखा जाए तो मुंबई में महायुती को 2 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं। उन्होंने कहा कि हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी। पिछले दो सालों में सरकार ने राज्य में कई अच्छे काम भी किए हैं। मैं खुद देवेंद्र फडणवीस से बात करूंगा, हम आगे भी साथ मिलकर काम करते रहेंगे।

जयराम रमेश का तंज- कौन है स्वघोषित चाणक्य जो सीटों की बख्शीश ढूंढते हुए कई दरवाजे ‘खटाखट’ खटखटा रहे

लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ‘इंडिया गठबंधन’ में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। खासतौर पर, कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश, भाजपा पर निशाना साधने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे। उन्होंने बुधवार को एक के बाद एक, कई ट्वीट कर दिए। अपने ट्वीट में जयराम रमेश ने दो शब्दों ‘मास्टर डिस्टॉर्टियन’ और ‘स्वघोषित चाणक्य’ का इस्तेमाल किया है। जयराम ने लिखा, जिस इतिहास को मास्टर डिस्टॉर्टियन भी दोबारा नहीं लिख सकते, वह यह है कि नेहरू 1952 में 364, 1957 में 371 और 1962 में 361 सीटों के साथ प्रधानमंत्री चुने गए थे। दूसरा, उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेता के लिए लिखा, सीटों की बख़्शीश ढूंढते हुए कई दरवाजे ‘खटाखट खटाखट’ खटखटा रहे हैं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में लिखा, कार्यवाहक प्रधानमंत्री अपना सिकुड़ा हुआ सीना ठोक कर बोल रहे हैं कि 1962 के बाद से कोई सरकार लगातार तीन बार नहीं चुनी गई है। जिस इतिहास को मास्टर डिस्टॉर्टियन भी दोबारा नहीं लिख सकते, वह यह है कि नेहरू 1952 में 364, 1957 में 371 और 1962 में 361 सीटों के साथ प्रधानमंत्री चुने गए थे। नरेंद्र मोदी को 2024 में 241 सीटें मिली हैं। यह उनके खिलाफ एक प्रचंड जनादेश है, लेकिन वह इसका सम्मान नहीं करना चाहते। निवर्तमान प्रधानमंत्री अब कार्यवाहक प्रधानमंत्री बन चुके हैं।

जयराम रमेश के मुताबिक, देश ने इनके खिलाफ प्रचंड जनादेश दिया है, लेकिन ये डेमोक्रेसी को डेमो-कुर्सी बनाना चाहते हैं। अहंकाराचार्या मोदी और स्वघोषित चाणक्य, अमित शाह, फिक्स्ड मैच खेलने में माहिर हैं। जनता के जनादेश के बाद मोदी-शाह की पार्टनरशिप पहली बार अपने आप को मुश्किलों के घेरे में पा रही है। अब तक एक बॉल फेंकता था, तो दूसरा उस पर छक्का मारता था। अब बॉल, जनता ने फेंकी है। क्या शाहों के शाह फ्रंट फुट पर खेल पायेंगे? क्या निवर्तमान विश्व गुरु सामना कर पाएंगे जनता की फुल टॉस डिलीवरी का?

जयराम रमेश ने लिखा, स्वघोषित चाणक्य, अमित शाह, आखिरकार अपने ही बिछाये जाल में बुरी तरह फंस चुके हैं। जनता को हर कदम पर बेवकूफ बनाने वाले और बड़े से बड़े पूंजीपतियों को आंख दिखाने वाले शाहों के शाह आज हाथ में कटोरा लिए सीटों की बख्शीश ढूंढते हुए कई दरवाजे ‘खटाखट खटाखट’ खटखटा रहे हैं। अहंकार की हर सीमा को कैसे पार किया जा सकता है, यह पिछले दस सालों में नरेंद्र मोदी ने कर दिखाया है। अहंकार की चारदीवारी को एक बटन दबा कर कैसे तहस-नहस किया जा सकता है, यह इस देश की जनता ने बखूबी कर दिखाया है।

सबसे अधिक सीटें जीते नायडू PM मोदी के बगल में बैठे, नीतीश उसके बाद; सरकार बनाने पर मंथन

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद, नई दिल्ली में आज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की पहली बैठक हुई। बैठक में जदयू, लोजपा, टीडीपी, जदएस और शिवसेना सहित अन्य दल शामिल हुए। बैठक में सरकार बनाने को लेकर मंथन हुआ।बैठक के बाद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) सांसद संजय कुमार झा ने बताया कि एनडीए की बैठक में नीतीश कुमार शामिल हुए। बैठक में सभी घटक दलों के नेताओं ने अपने विचार रखे और तीसरी बार एनडीए को जनादेश देने के लिए जनता को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन होगा और जल्द ही सभी सांसदों की बैठक होगी।

बैठक से पहले, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए अपना समर्थन दिया। शिवसेना को महाराष्ट्र में सात और एनसीपी को एक सीट पर जीत मिली है।तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) भाजपा के बाद दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है। इसके वरिष्ठ नेता कनकमेडला रविंद्र कुमार पहले ही साफ कर चुके हैं कि आंध्र प्रदेश में भाजपा और जनसेना के साथ हमारा चुनाव पूर्व समझौता महज राजनीतिक अंकगणित की सौदेबाजी नहीं है, बल्कि यह विश्वसनीयता का बंधन है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि हम जनादेश का सम्मान करते हैं।

लोक जनशक्ति पार्टी-राम विलास के प्रमुख चिराग पासवान ने कहा है कि वे किसी भी सूरत में एनडीए का साथ नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा था कि मैं देश के अगले प्रधानमंत्री बनने जा रहे नरेंद्र मोदी को बधाई देना चाहता हूं। उनके नेतृत्व में एनडीए तीसरी बार केंद्र में सरकार बनने जा रही है। लोकसभा चुनाव में एनडीए को 292 और विपक्षी गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं। देश में सबसे अधिक सीटें भाजपा ने जीती हैं।

यूपी में पांच सबसे बड़ी और पांच सबसे छोटी जीत दर्ज करने वाले उम्मीदवार, देखें लिस्ट

नोएडा:  चुनाव 2024 की मतगणना पूरी हो गई है। उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों के नतीजे आ चुके हैं। चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 33 सीटों पर सिमट गई। पिछली बार जहां भाजपा ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी, इस बार उसे 29 सीटों का नुकसान रहा। वहीं सपा ने बड़ी छलांग लगाई है। सपा को पिछली बार के मुकाबले 32 सीटों का फायदा हुआ। सपा ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की है। आज आए परिणामों में कई जीत-हार बड़ी रोचक रहीं। हम आपको उन पांच-पांच उम्मीदवारों के बारे में बताएंगे जिन्होंने 2024 के आम चुनाव में सबसे बड़ी और सबसे छोटी जीत दर्ज की है।

ये प्रदेश की सबसे बड़ी पांच जीत

1. गौतमबुद्ध नगर से डॉ. महेश शर्मा (भाजपा) ने 559472 मतों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। उन्हें कुल 857829 मत मिले।
2. गाजियाबाद से अतुल गर्ग (भाजपा) ने 336965 मतों के अंतर से जीत दर्ज की है। उन्हें कुल 854170 वोट मिले हैं।
3. मथुरा से हेमा मालिनी (भाजपा) ने 293407 मतों के अंतर से प्रदेश में तीसरी बड़ी जीत दर्ज की है। हेमा को कुल 510064 वोट मिले हैं।
4. बुलंदशहर से डॉ. भोला सिंह (भाजपा) ने 275134 मतों के अंतर से प्रदेश में चौथी बड़ी जीत दर्ज की है। डॉ. भोला को कुल 597310 वोट मिले हैं।
5. आगरा से एसपी बघेल (भाजपा) ने 271294 मतों के अंतर से प्रदेश में पांचवीं बड़ी जीत दर्ज की है। एसपी बघेल को कुल 599397 वोट मिले हैं।

ये प्रदेश की सबसे कम अंतर वाली जीत

1. हमीरपुर से अजेंद्र सिंह लोधी (सपा) ने केवल 2629 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 490683 वोट मिले हैं।
2. फर्रुखाबाद से मुकेश राजपूत (भाजपा) ने 2678 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 487963 वोट मिले हैं।
3. बांसगांव से कमलेश पासवान (भाजपा) ने 3150 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 428693 वोट मिले हैं।
4. सलेमपुर से रामशंकर राजभर (सपा) ने 3573 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 405472 वोट मिले हैं।
5. फूलपुर से प्रवीण पटेल (भाजपा0 ने 4332 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। उन्हें कुल 452600 वोट मिले हैं।

गेनी बेन ने भाजपा को तीसरी क्लीन स्वीप से रोका, लोगों से चंदा लेकर लड़ा चुनाव

गुजरात में स्कोर 25-1 रहा। 25 सीटें भाजपा के हिस्से और एक कांग्रेस के। कांग्रेस की विधायक और लोगों से चंदा लेकर चुनाव लड़ने वाली गेनी बेन सेल्फ मेड नेता का मजबूत उदाहरण बनकर उभरी हैं। जीत छोटी है, बमुश्किल 34 हजार वोट की। दो लोकसभा चुनावों से क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा और मोदी-शाह के घर गुजरात में कांग्रेस को सीट मिली, यह हैरान हो जाने और कर देने का पूरा पक्का बंदोबस्त है। गुजरात में एक सीट गंवाना और केरल में भाजपा को एक मिलना एक बराबर है।

गुजरात मॉडल में क्रैक तभी लग गया था जब साबरकांठा और वडोदरा में उम्मीदवार का नाम घोषित करने के बाद उम्मीदवार बदलने पड़े थे। भाजपा के कई पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व नेताओं ने टिकट बंटवारे को लेकर विरोध और विद्रोह दोनों किया। हुआ कुछ यूं कि कांग्रेस से भाजपा में जानेवाले नेताओं की भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि पार्टी के असल नेता नाराज होने लगे थे।

गुजरात में आदिवासियों की नाराजगी काफी ज्यादा थी। राज्य में 4.50 लाख वोट नोटा में गए हैं। सबसे ज्यादा दाहोद और छोटा उदयपुर सीट पर। ये दोनों ही आदिवासी सीटें हैं। माना जाता है कि नोटा पढ़े लिखों का ऑप्शन हैं, लेकिन गुजरात में भरपल्ले पढ़े-लिखे वाले शहरी गुजरातियों के बीच, आदिवासियों ने नोटा का इस्तेमाल किया है। राजकोट से जिस क्षत्रिय आंदोलन की शुरुआत हुई उसका जरा भी असर गुजरात में नहीं हुआ। जामनगर, सुरेंद्र, आणंद जैसे थोड़े ज्यादा क्षत्रिय वोटर वाले इलाकों में भी भाजपा ही जीती।