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‘400 पार का नारा एक मजाक’, कपिल सिब्बल ने बताया किस समीकरण से भाजपा को होगा नुकसान

कलकत्ता हाई कोर्ट ने तृणमूल सरकार (टीएमसी सरकार) की ओर से वर्ष 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया। इस पर वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने प्रतिक्रिया दी। हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाई कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया है। इस मामले में सिब्बल ने प्रतिक्रिया दी। लोकसभा चुनाव को लेकर सिब्बल ने देश की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा पर कटाक्ष किया। उन्होंने लोगों से भाजपा के 400 पार के दावे को गंभीरता से लेने से मना किया।

लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा को घेरा
लोकसभा चुनाव को लेकर भी कपिल सिब्बल ने भाजपा पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “जो जानकारी मुझे मिल रही वह यह है कि पांचवें, छठें और सातवें चरण में बदलाव हुए हैं। जो रफ्तार पांचवें और छठें चरण में देखा गया, बाकी के चरणों में ऐसा नहीं हुआ। लोग राम मंदिर के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। वे महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों को उठा रहे हैं। इन चरणों में भाजपा को काफी नुकसान देखने को मिलेगा। अगर मुस्लिम, ओबीसी, एससी, एसटी और यादवों का समीकरण बनाया जाए, तो यह भापजा के लिए नुकसान साबित होगा।” भाजपा के 400 पार के नारे पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इसे गंभीरता से न लें। उनलोगों (भाजपा) ने केवल मजाक किया है।

ओबीसी प्रमाणपत्र पर कपिल सिब्बल की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्र को रद्द करने के फैसले पर सिब्बल ने कहा कि हाई कोर्ट के किसी भी निर्णय को अपील के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में ले जाया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा, अगर ऐसा होता है तो ममता बनर्जी के पास यह कहने का संविधानिक अधिकार है ‘मुझे नहीं लगता यह फैसला सही है’।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए सिब्बल ने कहा कि जब अरविंद केजरीवाल को राहत दी गई, तब पीएम मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल को स्पेशल ट्रीटमेंट कैसे दे सकता है? एक तरफ पीएम मोदी सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हैं और दूसरी तरफ ममता बनर्जी कहती है कि ‘मैं यह स्वीकार नहीं करूंगी, मैं सुप्रीम कोर्ट जाऊंगी’।

छठे चरण के मतदान के लिए डेढ़ लाख सुरक्षाकर्मी तैनात, जिलों को भी दिया गया अतिरिक्त पुलिस बल

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के छठे चरण का मतदान शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न कराने के लिए डेढ़ लाख से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। इनमें 8,840 निरीक्षक व उपनिरीक्षक, 68,191 मुख्य आरक्षी व आरक्षी, 48,901 होमगार्ड, 49 कंपनी पीएसी और 229 सीएपीएफ को तैनात किया गया है। इसके अलावा फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में 18,862 ग्राम चौकीदार और 443 पीआरडी जवान भी तैनात किए गए हैं

डीजीपी प्रशांत कुमार ने बताया कि इसके अलावा सभी जिलों में 230 कंपनी पीएसी बल, 8 कंपनी यूपीएसएसएफ, 3 कंपनी एसडीआरएफ, राजपत्रित अधिकारी और अन्य पुलिस बल कानून-व्यवस्था व अन्य सुरक्षा ड्यूटी के लिए तैनात किए गए हैं। उन्होंने बताया कि नेपाल सीमा पर सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती और बलरामपुर में 31 बैरियर लगाकर लगातार चेकिंग की जा रही है। इसके अलावा चुनाव से संबंधित जिलों में 545 बैरियर और पूरे प्रदेश में 1,730 बैरियर के जरिए जांच-पड़ताल की जा रही है। वहीं, सोशल मीडिया टीमों को भी सक्रिय रखा गया है।

‘बंगलूरू की पानी की समस्या को ठीक कीजिए वर्ना कार्रवाई होगी’, डिप्टी सीएम की अधिकारियों को चेतावनी

बंगलूरू:  कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने अधिकारियों को जल्द से जल्द बंगलूरू की पानी की समस्या को सुलझाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने शहर के नगरपालिका के अधिकारियों को तुरंत पीने के पानी की गुणवत्ता का परीक्षण करने और इसे सुधारने के निर्देश दिए। गौरतलब है कि डिप्टी सीएम की तरफ से यह चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब राज्य में दूषित पानी की वजह से कई लोगों के बीमार होने की खबरें सामने आ चुकी हैं।

डीके शिवकुमार, जो कि बेंगलुरु के शहर विकास मंत्री भी हैं, ने बेंगलुरु के वॉटर सप्लाई और सीवरेज बोर्ड के अध्यक्ष और बृहट बेंगलुरु महानगरपालिका के कमिश्नर को एक चिट्ठी लिखी है और उनसे शहर के लोगों को सुरक्षित पानी की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए कहा है।

इतना ही नहीं शिवकुमार ने अपनी चिट्ठी में दोनों अफसरों को निर्देश न मानने की स्थिति में अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। इससे पहले गुरुवार को कर्नाटक डिप्टी सीएम ने एलान किया था कि पीने के पानी की गुणवत्ता को लेकर पूरे राज्य में परीक्षण किए जाएंगे, ताकि लोगों को गंदे पानी से पैदा होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके। उन्होंने कहा था कि कुछ रिपोर्ट्स मिली हैं, जिनमें बारिश की वजह से कई जगहों पर पीने के पानी के दूषित होने की बात सामने आई है। इससे लोगों पर बीमारियों का खतरा बढ़ा है। इसलिए हमने अधिकारियों को पूरे राज्य में परीक्षण करने के लिए कहा है। हमने इसे लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री से भी बात की है।

विदेश मंत्री जयंशकर-NCW अध्यक्ष रेखा शर्मा ने किया मतदान, प्रमाण पत्र से किया गया सम्मानित, जानें क्यों

नई दिल्ली:  देश में आज छठे चरण के लिए मतदान हो रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की प्रमुख रेखा शर्मा ने भी आज दिल्ली में मतदान किया। खास बात यह है कि दोनों मतादाताओं को आज मतदान के बाद एक प्रमाण पत्र दिया गया। आखिर यह प्रमाण पत्र उन्हें क्यों दिया गया, आइये जानते हैं…

विदेश मंत्री ने मतदान के बाद अपनी तस्वीर एक्स पर साझा की। फोटो में उनके हाथों में एक प्रमाण पत्र था। एक्स पर उन्होंने प्रमाण पत्र मिलने का कारण भी बताया। उन्होंने बताया कि मैं अपने बूथ का पहला पुरुष मतदाता था इसिलए प्रमाण पत्र देकर मुझे सम्मानित किया गया। वहीं, रेखा शर्मा ने भी अपनी फोटो एक्स पर साझा की। फोटो साझा करते हुए उन्होंने कहा कि मैं अपने मतदान केंद्र की पहली वरिष्ठ नागरिक हूं। जयशंकर और शर्मा दोनों ने जनता से मतदान करने के लिए अपील की। उन्होंने कहा कि सभी मतदाता अपने-अपने घरों से निकलें और मतदान करें।

जयशंकर बोले- भाजपा सत्ता में आएगी मुझे विश्वास
विदेश मंत्री ने विश्वास जताया कि एक बार फिर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सभी सातों सीट जीतेगी। उन्होंने मतदाताओं से वोटिंग की अपील की है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि लोग बाहर आएं और अपना वोट डालें। यह देश के लिए एक निर्णायक क्षण है। मुझे विश्वास है कि भाजपा एक बार फिर सत्ता में वापसी करेगी।

आठ राज्यों की 58 सीटों पर मतदान
लोकसभा के छठे चरण में आठ राज्यों की 58 सीटों पर मतदान हो रहे हैं। 58 सीटों में बिहार-बंगाल की आठ-आठ, दिल्ली की सात, हरियाणा की 10, झारखंड की चार, उत्तर प्रदेश की 14, ओडिशा की छह और जम्मू-कश्मीर की एक सीट पर मतदान हो रहा है। वहीं, दिल्ली में सभी सात लोकसभा क्षेत्रों में वोटिंग हो रही है, जिसमें चांदनी चौक, पूर्वी दिल्ली, नई दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिम दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली हैं।

वो खास पकवान जिसे मुगल भी खाना पसंद करते थे, आप भी घर पर आसानी से बनाएं

खिचड़ी एक ऐसा पकवान है, जिसे देखकर बड़ों से लेकर बच्चे तक मुंह बिचकाते हैं। दिमाग में एक बात बैठी हुई है कि खिचड़ी तो सिर्फ बीमार लोग खाते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। खिचड़ी एक ऐसा पकवान है जो मुगल काल से लोगों को पसंद है। मुगल बादशाह अकबर और उनके बेटे जहांगीर को खिचड़ी बेहद पसंद थी। कई किताबों में इस चीज का जिक्र भी है। जब भी वह कहीं बाहर जाते थे और उन्हें कुछ भारी खाने का मन नहीं होता था तो वह खिचड़ी ही खाना पसंद करते थे। उनकी खिचड़ी में दाल-चावल के साथ-साथ कई तरह के मेवा मिलाई जाती थी।

अब जब गर्मी में लोगों की हालत खराब है और पारा 45 डिग्री के पास जा रहा है तो इस मौसम में खिचड़ी एक ऐसा पकवान है जिसे खाकर आप अपनी सेहत को दुरुस्त रख सकते हैं। घर पर आसानी से मसाला खिचड़ी बनाकर आप अपने परिवार वालों को खिला सकते हैं। आज के इस लेख में हम आपको मसाला खिचड़ी बनाने का आसान तरीका बताएंगे। इस खिचड़ी को पापड़, अचार और दही के साथ भरोसें, जिससे इसका स्वाद और भी ज्यादा बढ़ जाए।

सामग्री
1 कप चावल
1/2 कप मूंग दाल (धुली)
1 बड़ा प्याज
1 बड़ा टमाटर
1 छोटा आलू
1/2 कप मटर
2-3 हरी मिर्च
1 इंच अदरक
4-5 लहसुन की कलियां

ताजा हरा धनिया (सजावट के लिए)

2 टेबलस्पून घी या तेल
1 टीस्पून जीरा
1 टीस्पून हल्दी पाउडर
1 टीस्पून धनिया पाउडर
1 टीस्पून गरम मसाला
1/2 टीस्पून लाल मिर्च पाउडर
1/2 टीस्पून जीरा पाउडर
नमक स्वादानुसार
4-5 कप पानी

विधि

खिचड़ी बनाने के लिए सबसे पहले चावल और मूंग दाल को अच्छे से धोकर 15-20 मिनट के लिए पानी में भिगो दें। इसी बीच अब सभी सब्जियों को धोकर काट लें। अब प्रेशर कुकर में घी या तेल गर्म करें। उसमें जीरा डालें और जब वह चटकने लगे, तब कटी हुई हरी मिर्च, अदरक और लहसुन डालें। इन्हें कुछ सेकंड के लिए भूनें। इसके बाद प्याज डालें और सुनहरा भूरा होने तक भूनें। फिर टमाटर डालें और तब तक पकाएं जब तक वे नरम न हो जाएं। अब हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और नमक डालें।

मसालों को अच्छी तरह मिलाएं और 1-2 मिनट तक पकाएं। कटी हुई सब्जियां डालें और 2-3 मिनट तक भूनें। अब आखिर में भीगे हुए चावल और दाल को छानकर कुकर में डालें और अच्छे से मिलाएं। 4-5 कप पानी डालें और मिलाएं। अब इसमें स्वादानुसार नमक डालें और फिर प्रेशर कुकर का ढक्कन बंद करें। मध्यम आंच पर 3-4 सीटी लगाएं, बस खिचड़ी तैयार है।

कौन हैं निदर्शना गोवानी जिन्होंने कान फेस्टिवल में दिखाई भारत की समृद्धता

कान फिल्म फेस्टिवल 2024 में भारत की तरफ से कई दिग्गज हस्तियों ने रेड कार्पेट पर अपना जलवा बिखेरा। इन सेलेब्स में अभिनेत्रियों के अलावा फैशन डिजाइनर, इंफ्लूएंसर और उद्योगपति महिलाएं शामिल रहीं। जहां सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर नैंसी त्यागी ने खुद की डिजाइन और सिलाई किए हुए खूबसूरत आउटफिट को फ्लाॅन्ट किया तो वहीं एक ऐसी महिला भी हैं, जिन्होंने भारत की समृद्धता और विरासत का कान फिल्म फेस्टिवल के जरिए पूरी दुनिया को प्रदर्शित किया। इस महिला का नाम निदर्शना गोवानी है। आइए जानते हैं कौन हैं निदर्शना गोवानी, उनकी उपलब्धि और कान फिल्म फेस्टिवल के कारण क्यों निदर्शना चर्चा में हैं।

कान फिल्म फेस्टिवल में 118 साल पुराने गहने पहनकर पहुंची निदर्शना

फांस में हुए कास फिल्म फेस्टिवल 2024 में निदर्शना गोवानी ने भी शिरकत की। वह खूबसूरत जरी वर्क की साड़ी पहनकर पहुंचीं और भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित किया। निदर्शना ने पीले रंग की ऑर्गेंजा साड़ी पहनी, जिसे 100 से ज्यादा बुनकरों ने बारीक जरदोजी की कढ़ाई से तैयार किया है। साड़ी पर सफेद स्टोन की बारीक कढ़ाई की गई है और वी नेकलाइन वाला ब्लाउज कैरी किया था।

उनकी आउटफिट से ज्यादा निदर्शना के गहनों ने ध्यान खींचा। उन्होंने घन सिंह के कलेक्शन से 118 साल पुराने मीना जादाऊ जूलरी को पहना था। कृष्णा गुआ नवरत्न हार की खूबसूरती में पोल्का हीरे चार चांद लगा रहे थे। इस नवरत्न हार को बनाने में 200 कारीगर और 1800 घंटे का वक्त लगा है।

कौन हैं निदर्शना गोवानी

करोड़ों के खूबसूरत शाही नवरत्न हार को कान फेस्टिवल में पहनने वाली निदर्शना कमला इंडस्ट्री की मालकिन हैं। रियल एस्टेट और बिजली उत्पादन संयंत्र की मैनेजिंग डायरेक्टर निदर्शना ने साबित किया कि महिलाएं अगर अपने दिमाग में कुछ सोच लें तो उसे पूरा करके ही रहती हैं। उन्होंने वनवास नाम का एक ब्रांड भी सफलतापूर्वक लॉन्च किया है।

वह एक सोशल वर्कर भी हैं जो देश के विभिन्न समुदाय को बेहतर बनाने के लिए कार्य कर रही हैं। करोड़ों की संपत्ति की मालकिन निदर्शना ट्रांसजेंडरों के लिए भी कार्य कर रही हैं। निदर्शना भारत के सबसे अमीर लोगों में से हैं। कमला इंडस्ट्रीज के मालिक के रूप में उनके प्रयास उन महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो उद्यमिता की दुनिया में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं।

आहार की ये चीजें कम कर सकती हैं कोर्टिसोल का स्तर, तनाव-चिंता में मिलेगा आराम

तनाव-चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं पर अगर ध्यान न दिया जाए तो इससे अवसाद जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। पर क्या आप जानते हैं कि आखिर ये समस्याएं होती क्यों हैं? मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में कोर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर सामान्य से अधिक हो जाने के कारण चिंता-तनाव का खतरा बढ़ सकता है। नकारात्मक परिस्थितियों में हमारा शरीर कोर्टिसोल हार्मोन स्रावित करने लगता है जो तनाव-चिंता को बढ़ाने का कारण बनती हैं। आप लाइफस्टाइल और आहार में कुछ सामान्य से बदलाव करके भी इस हार्मोन के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि कोर्टिसोल हार्मोन के क्या कार्य हैं और इसे आहार के माध्यम से कैसे कंट्रोल किया जा सकता है?

कोर्टिसोल हार्मोन और इसके कार्य

कोर्टिसोल हार्मोन शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाता है। नींद के चक्र को ठीक रखने, शरीर में सूजन को कम करने के साथ-साथ कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के उपयोग को नियंत्रित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कोर्टिसोल वैसे तो शरीर के लिए कई प्रकार से आवश्यक है पर इसकी अधिकता के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है। कोर्टिसोल को बढ़ाने में आहार की भी विशेष भूमिका मानी जाती है। इसके स्तर को नियंत्रित रखने के लिए आइए जानते हैं कि किन चीजों के सेवन से लाभ पाया जा सकता है?

विटामिन-बी वाले खाद्य पदार्थ जरूरी

क्लीवलैंड क्लीनिक द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार आहार में विटामिन-बी वाली चीजों को आहार का हिस्सा बनाना कोर्टिसोल के स्तर को ठीक रखने में सहायक हो सकता है। साबुत अनाज और कुछ पशु आधारित स्रोतों में विटामिन-बी होता है, विशेष रूप से विटामिन-बी12 कोर्टिसोल के मेटाबॉलिज्म में मदद करता है। चिकन, अंडे, मांस आदि के सेवन से शरीर में आसानी से इसकी पूर्ति की जा सकती है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड जरूरी

ओमेगा-3 फैटी एसिड को मस्तिष्क की सेहत के लिए आवश्यक माना जाता है। ये शरीर में इंफ्लामेशन को कम करने में भी मददगार है। आहार विशेषज्ञ गरिमा चंदेला बताती हैं इसका सबसे अच्छा स्रोत वसायुक्त मछलियां मानी जाती हैं। आप इसे कुछ पौधों पर आधारित स्रोतों से भी प्राप्त कर सकते हैं। एवोकाडो, चिया सीड्स, ऑलिव ऑयल, अखरोट को आहार का हिस्सा बनाना भी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

मैग्नीशियम वाली चीजें हैं फायदेमंद

मैग्नीशियम वाली चीजें शरीर में सूजन को कम करने, कोर्टिसोल का मेटाबॉलिज्म करने और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में फायदेमंद हो सकती हैं। इसके लिए आहार में एवोकाडो, केले, ब्रोकली, डार्क चॉकलेट और कद्दू के बीज को शामिल किया जा सकता है। मैग्नीशियम वाली चीजों के सेवन से संपूर्ण शरीर को लाभ मिल सकता है।

इन तरीकों से अपनी त्वचा के मुताबिक करें सही सनस्क्रीन का चयन, तेज धूप और गर्मी का नहीं होगा असर

सूरज की हानिकारक किरणों ने धरती तप रही है। तेज गर्मी के साथ लू ने लोगों को परेशान कर रखा है। हालांकि तेज कड़क धूप में भी जरूरी कामों के लिए घर से निकलना जरूरी होता ही है। ऐसे में त्वचा को एक्स्ट्रा पोषण और सुरक्षा कवच देना जरूरी हो जाता है। पूरी बांहों के कॉटन के कपड़ों से लेकर सनग्लासेस जैसे साधन सहायता करते हैं लेकिन सूरज की हानिकारक किरणों से बचाव में कारगर होता है ‘सनस्क्रीन’। एक अच्छा सनस्क्रीन त्वचा पर सुरक्षा की परत चढ़ाता है। इससे घातक किरणों से तो त्वचा सुरक्षित होती ही है, त्वचा के लिए जरूरी नमी और पोषण भी मिल सकता है। लेकिन क्या कोई भी सनस्क्रीन त्वचा पर अप्लाई की जा सकती है? क्या सनस्क्रीन को लेकर भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है? कैसे चुनें सही सनस्क्रीन? जानिए गर्मी में त्वचा को सुरक्षित रखने वाली सनस्क्रीन से जुड़े इन सवालों के जवाब।

सनस्क्रीन क्यों लगाना चाहिए?

केवल सूरज की हानिकारक किरणों के प्रभाव से त्वचा को ऊपरी तौर पर बचाने के लिए ही नहीं, सनस्क्रीन कई गम्भीर बीमारियों से भी बचाव में सक्षम होता है। यही कारण है कि गर्मी ही नहीं बल्कि हर मौसम में धूप में निकलते समय सनस्क्रीन लगाने की सलाह विशेषज्ञों द्वारा दी जाती है। यहां तक कि घर पर रहते हुए भी सनस्क्रीन लगाए रखने को कहा जाता है।

सनस्क्रीन के इस्तेमाल में इन बातों का रखें ख्याल

-सनस्क्रीन का उपयोग समय सीमा के हिसाब से किया जाना चाहिए। अगर आप 4 घंटे से ज्यादा समय के लिए घर से बाहर हैं तो आपको कम से कम 2 बार सनस्क्रीन की परत त्वचा पर अप्लाई करनी होगी।

-बाजार में कई तरह के सनस्क्रीन उपलब्ध होंगे। इसमें लोशन, क्रीम से लेकर पिल्स तक उपलब्ध हैं। खास बात यह है कि आपकी त्वचा के हिसाब से आप पर कौन सा सनस्क्रीन सूट करता है। लोशन भी वॉटर और ऑइल बेस्ड दोनों तरह के हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि जब सनस्क्रीन खरीद रहे हों तो अपनी त्वचा के प्रकार को ध्यान में रखें। उदाहरण के लिए ऑइली त्वचा के लिए ऑइल बेस्ड लोशन ठीक नहीं होगा।

-एसपीएफ यानी सन प्रोटेक्टिंग फैक्टर का 30 या इससे अधिक होना महत्वपूर्ण है। जितना अधिक एसपीएफ उतनी ज्यादा सुरक्षा। उदाहरण के लिए, एसपीएफ 15 वाला सनस्क्रीन करीब 93 प्रतिशत यूवीबी किरणों को त्वचा तक पहुंचने से रोक पाता है। जबकि एसपीएफ 30 का प्रयोग 97 प्रतिशत, एसपीएफ 50 का प्रयोग 98 प्रतिशत और एसपीएफ 100 का प्रयोग 99 प्रतिशत किरणों को फिल्टर कर पाता है। अर्थात 100 प्रतिशत सुरक्षा की गारंटी तो कोई भी नही देता।

-अगर आप बीच या किसी अन्य पानी वाले जगह पर जा रहे हैं और वाटर रेजिस्टेंस सनस्क्रीन का उपयोग करने वाले हैं तो यह ध्यान रखें कि इस तरह के सनस्क्रीन वॉटरप्रूफ नहीं होते। वॉटर रेजिस्टेंस सनस्क्रीन का मतलब होता है पानी में रहने या पसीना आने की सूरत में ज्यादा से ज्यादा 1 घंटे तक उसका असर बने रहना। इसलिए ऐसी स्थिति में हर 2 घंटे में सनस्क्रीन का उपयोग करना सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।

‘द अप्रेंटिस’ की रिलीज को रोकना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप! निर्माताओं को भेजा चेतावनी भरा पत्र

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अक्सर अपने बयानों से चर्चा में रहते हैं। ट्रंप एक बार फिर से सुर्खियां बटोर रहे हैं, लेकिन किसी बयान से नहीं, बल्कि एक फिल्म से, जिसका नाम है- ‘द अप्रेंटिस’। दरअसल, ट्रंप के वकीलों की ओर से इस फिल्म के निर्माताओं को एक पत्र भेजा गया है, जिसमें फिल्म के वितरण सौदे को आगे नहीं बढ़ाने की बात कही गई है। वो इस फिल्म को रिलीज होने से रोकना चाहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप के जीवन पर आधारित है फिल्म
‘द अप्रेंटिस’ डोनाल्ड ट्रंप के जीवन पर आधारित है। फिल्म में उनकी जिंदगी से जुड़े कई हैरान करने वाले सीन देखने को मिलते हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें अपनी छवि खराब होने का डर है, इसीलिए फिल्म निर्माताओं को चेतावनी भरा पत्र भेजा गया है। वहीं, निर्माताओं का कहना है कि उनकी फिल्म में डोनाल्ड ट्रंप के किरदार को निष्पक्ष और संतुलित ढंग से दिखाया गया है और वो चाहते हैं कि लोग इस फिल्म को देखने के बाद ही अपनी राय बनाए।

ट्रंप की टीम ने जताई कड़ी आपत्ति
‘द अप्रेंटिस’ में डोनाल्ड ट्रंप का किरदार सेबेस्टियन स्टेन और रॉय कोहन की भूमिका जेरेमी स्ट्रॉन्ग ने निभाई है। फिल्म में कई विवादास्पद घटनाएं शामिल हैं, जैसे- ट्रंप का अपनी पत्नी इवाना से झगड़ा करना। ऐसे ही और भी कई सीन है, जिन पर ट्रंप की टीम की ओर से आपत्ति जताई गई है और कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी गई है। उनका कहना है कि फिल्म में दुर्भावनापूर्ण तरीके से ट्रंप की मानहानि की गई है।

ट्रंप के चुनाव अभियान पर असर डाल सकती है फिल्म
‘द अप्रेंटिस’ का निर्देशन अली अब्बासी ने किया है। वो एक डैनिश-इरानियन फिल्ममेकर हैं। उनकी इस फिल्म से आशंका जताई जा रही है कि इसका असर आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान पर पड़ सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फिल्म को अभी तक किसी भी अमेरिकी डिस्ट्रिब्यूटर ने नहीं खरीदा है। मालूम हो कि हाल ही में, कान फिल्म फेस्टिवल में इसकी स्क्रीनिंग भी हुई। फिल्म के खत्म होते ही 8 मिनट तक तालियां बजती रही थी।

अमोल पालेकर की याचिका पर कोर्ट ने भेजा केंद्र को नोटिस, अभिनेता ने आईटी नियमों को दी हैं चुनौती

दिग्गज फिल्म अभिनेता अमोल पालेकर देश में चल रहे समसामयिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। उन्होंने हाल ही में, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। इस मामले में उनकी ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

याचिका में क्या कहा गया है?
सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का जिक्र करते हुए अमोल पालेकर की याचिका में कहा गया है कि ये आईटी नियमों के खिलाफ हैं, जिससे कलाकारों की स्वतंत्रता का हनन होता है। याचिका में कहा गया है कि ये नियम सरकार को ‘सुपर सेंसर’ करने और किसी भी कंटेट पर रोक लगाने की पूरी ताकत देते हैं। नियम दर्शकों को अपनी इच्छा के अनुसार कंटेट को देखने से भी रोकते हैं। साथ ही ओटीटी प्लेटफॉर्म के कारोबार करने के अधिकार पर भी असर डालते हैं।

अगस्त में होगी सुनवाई
अमोल पालेकर की याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी एस अरोड़ा की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई अगस्त महीने में की जाएगी। बता दें कि कई लोगों द्वारा आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं दाखिल की गई है। उन सभी की सुनवाई भी अमोल पालेकर की याचिका के साथ ही की जाएगी। मालूम हो कि अदालत में अमोल पालेकर का पक्ष नित्या रामकृष्णन रख रही हैं।