Friday , October 25 2024

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‘कर्नाटक की स्थिति पाकिस्तान-अफगानिस्तान जैसी’, भाजपा ने किया राज्यव्यापी प्रदर्शन का एलान

हुबली :  कर्नाटक के हुबली में कांग्रेस पार्षद की बेटी की हत्या का मामले में अब राजनीति तेज हो गई है। इस मामले को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी और भाजपा के बीच वार-पलटवार जारी है। भाजपा ने मामले में लव जिहाद का एंगल बताते हुए राज्य सरकार पर आरोपी को बचाने का आरोप लगाया है। साथ ही कर्नाटक भाजपा ने हुबली कॉलेज की छात्रा नेहा हिरेमठ की हत्या के विरोध में राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। इसके लिए राज्य भाजपा ने कल यानी 22 अप्रैल की तारीख तय की है।

भाजपा ने राज्य सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
इस मामले पर पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र येदियुरप्पा ने राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा है। विजयेंद्र ने ट्वीट करते हुए लिखा कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से महिलाओं के लिए सुरक्षा की गारंटी की बात बेमानी हो गई है। महिलाओं पर हमले और हत्या जैसे अपराधों बढ़ रहे हैं। यह चिंता का विषय है। विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस सरकार हमारी बहन बेटियों की सुरक्षा में पूरी तरह विफल रही है।

उन्होंने लिखा कि हिन्दू ‘जय श्री राम’ के नारे नहीं लगा सकते। यहां गाने की तारीफ करने पर युवक की बेरहमी से पिटाई की जाती है। भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया जाता है। कन्नड़ अभिनेत्री के साथ कन्नड़ में बात करने पर दुर्व्यवहार किया जा रहा है। हर छोटे शहर से हर दिन चेन स्नैचिंग की खबरें आ रही हैं।कैफे में बम विस्फोट हो रहा है। विधानसौधा के अंदर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं। राज्य में कानून और व्यवस्था की खराब स्थिति साफ है। यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान की खराब स्थिति की याद दिलाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य के सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार लोगों के जीवन में परेशानी बढ़ा रहे हैं। कांग्रेस के हाथ खून से सने हुए हैं।

आगे उन्होंने 22 अप्रैल को राज्य भर में कांग्रेस सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की अपील की। उन्होंने कहा कि राज्य में अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण की नीतियों और कानून व्यवस्था की हालत को देखते हुए भाजपा सोमवार को राज्य भर में जोरदार विरोध प्रदर्शन कर रही है। इस दौरान उन्होंने लोगों से खास तौर पर महिलाओं से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील भी की। विजयेंद्र ने अपने पोस्ट में यह भी लिखा कि मैं इस राज्य के प्रत्येक नागरिक, विशेष रूप से महिलाओं, हमारी नारी शक्ति से अपील करता हूं कि वे भारी संख्या में भाग लें और राज्य में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के खिलाफ एक मजबूत संदेश दें।

यह है पूरा मामला
दरअसल, गुरुवार को हुबली में आरोपी फैयाज ने कथित तौर पर नेहा को प्रपोज किया था लेकिन छात्रा ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया था। इससे आहत होकर फैयाज ने उस पर पांच-छह बार चाकू से हमला कर दिया।

कटाई, सहालग और गर्मी से गिरा मतदान; यूपी में वोटिंग के पहले ही चरण में पस्त दिखे अभियान

लखनऊ: मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अभियान चलाए गए। पर, पहले चरण के मतदान में ये प्रयास सफल नहीं हो सके। मतदान 5.4 फीसदी कम हो गया। सियासी पंडित इसके पीछे तमाम वजहें गिना रहे हैं। गेहूं की कटाई, सहालग और गर्म हवा के थपेड़े तो जिम्मेदार माने ही जा रहे हैं, स्थानीय राजनीतिक कारणों के चलते भी मतदाताओं में उत्साह नहीं दिखा। हालांकि मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने कहा, अगले चरणों में मतदान बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। पहले से किए जा रहे उपायों को और भी प्रभावी बनाएंगे।

मुरादाबाद : एसटी हसन का टिकट कटने से कम दिखा उत्साह
2019 में लोकसभा चुनाव लिए 12 मार्च को आचार संहिता लागू हुई थी। मुरादाबाद में मतदान 23 अप्रैल को हुआ था। इस बार आचार संहिता 18 मार्च को लागू हुई और मतदान 19 अप्रैल को हुआ। दोनों चुनावों में गर्मी कमोबेश एक जैसे ही रही। पिछली बार करीब 66 प्रतिशत मतदान हुआ था और इस बार 62 प्रतिशत। सियासी पंडितों का मानना है कि ऐसे में मतदान पर मौसम का असर पड़ने की दी जा रही दलील उतनी सही नहीं है। उनका मानना है कि इस बार कहीं कोई लहर नहीं थी, इसलिए मतदाता सुस्त रहे।

  • भाजपा प्रत्याशी कुंवर सर्वेश कुमार चुनाव के दौरान बीमार हो गए और शनिवार को उनका निधन हो गया। भाजपा के चुनाव का संचालन पार्टी के साथ ही उनके बेटे विधायक सुशांत सिंह कर रहे थे। वहीं, दूसरी तरफ सपा में सांसद डॉ.एसटी हसन का टिकट कटने के बाद बिजनौर की रहने वाली रुचि वीरा को टिकट मिला। एसटी हसन फैक्टर की वजह से मुस्लिम मतदाताओं में भी उदासीनता दिखी।
  • राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर है। बसपा प्रत्याशी इरफान सैफी की परफॉर्मेंस जीत-हार का फैसला करेगी।

रामपुर : घरों से कम ही निकले आजम समर्थक मुस्लिम मतदाता
रामपुर सीट पर 55.75 फीसदी मतदान हुआ, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में 64.40 फीसदी मतदान हुआ था। आजम खां की अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी मौलाना मोहिब्बुल्लाह नदवी को लेकर नाराजगी और चुनाव बहिष्कार की अपील को भी राजनीतिक विश्लेषक कम मतदान से जोड़कर देख रहे हैं। उनकी दलील है कि नराजगी की वजह से आजम समर्थकों ने मतदान से परहेज किया। सपा के कई पदाधिकारियों ने भी मतदान से दूरी बनाए रखी। शुक्रवार को अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस था, जबकि पिछले चुनाव में यहां का तापमान 40 डिग्री से नीचे रहा था। शहरी सीट पर मतदाताओं ने कम दिलचस्पी दिखाई।

पीलीभीत : प्रत्याशियों के बाहरी होने से बेरुखी
मतदान के मामले में पीलीभीत पंद्रह साल पीछे चला गया। सीट पर मतदान प्रतिशत 63.11ही रहा। यह 2019 के मुकाबले 4.30 प्रतिशत कम है। वर्ष 2014 में यहां 62.86 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार के मतदान से अधिक वोट वर्ष 2009 और 1984 में पड़े थे। गर्म हवा के थपेड़ों, प्रशासन के प्रयासों में कमी और वरुण गांधी के समर्थकों की कम सक्रियता को सियासी पंडित कम मतदान की वजह मान रहे हैं। पिछले 35 वर्षों से पीलीभीत सीट पर मेनका और वरुण गांधी का कब्जा रहा है।

UP, बंगाल, छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र में बुरा हाल, पांच दिन गंभीर; कई क्षेत्रों में भीषण जल संकट का खतरा

नई दिल्ली: देश के कई राज्य प्रचंड गर्मी से तप रहे हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के साथ ही उसके साथ के लगते तराई वाले राज्यों को छोड़कर पूर्वी, मध्य और दक्षिण भारत के कम से कम 15 राज्य प्रचंड गर्मी और लू की चपेट में हैं। सुबह के 10 बजते ही दोपहरी जैसी गर्मी महसूस होने लग रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के गंगा तट के इलाकों, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों के कई क्षेत्रों में अधिकतम पारा 42-45 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया है। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले पांच दिन और अधिक गर्मी का सामना करना पड़ेगा और तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस तक ही वृद्धि दर्ज की जा सकती है। कई राज्यों में अप्रैल से जून की अवधि में 20 दिनों तक लू चलने की आशंका है।

ये इलाके भयंकर गर्मी की चपेट में
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को अगले पांच दिनों के लिए लू और गर्मी का पूर्वानुमान जारी करते हुए बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, गंगा के तटीय पश्चिम बंगाल, उत्तरी रायलसीमा, मध्य ये इलाके भयंकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गर्मी की चपेट में विदर्भ, मराठवाड़ा, महाराष्ट्र के कुछ हिस्से, तेलंगाना, ओडिशा के अलग-अलग हिस्सों में अधिकतम तापमान 42-44 डिग्री सेल्सियस रहेगा।

झारखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर के कुछ हिस्सों में 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान रहने का अनुमान है। इस दौरान बंगाल के गंगा के तटी इलाकों में भीषण लू चल सकती है। कर्नाटक के आंतरिक इलाकों, तमिलनाडु, पुडुचेरी, उत्तराखंड, विदर्भ और पश्चिमी मध्य प्रदेश में अधिकतम तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री अधिक दर्ज किया गया।

17 राज्यों में तेज बारिश का अनुमान
मौसम विभाग ने बताया कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर के लगभग सभी राज्यों और महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कर्नाटक के कुछ इलाकों में तेज बारिश होने की संभावना है। रविवार को मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में बिजली गिरने का अनुमान है। इसके अलावा, महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ में 50 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।

उत्तर भारत में तापमान में नहीं होगी गिरावट
आईएमडी ने बताया कि अगले 24 घंटों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश में अधिकतम तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है और उसके बाद इसमें कुछ कमी आएगी। अगले दो दिन के दौरान पश्चिम भारत में अधिकतम तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है। उसके बाद तापमान में 3 डिग्री तक की वृद्धि हो सकती है। उत्तर भारत में अधिकतम तापमान में कोई खास बदलाव होने की संभावना नहीं है।

तापमान वृद्धि सीमित रखने के लक्ष्य से दुनिया को दूर ले जा रहा प्लास्टिक उद्योग, उत्पादन पर नकेल जरूरी

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के खतरनाक प्रभावों से बचने के लिए पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने से रोकना होगा। इसके लिए दुनिया को 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन की स्थिति हासिल करनी है। लेकिन, वैश्विक प्लास्टिक उद्योग दुनिया को इस लक्ष्य से दूर ले जा रहा है। अगर मौजूदा दर से दुनिया में प्लास्टिक उत्पादन जारी रहा, तो शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य 2060 से 2083 के बीच हासिल होगा। हालांकि, तब तक काफी देर हो चुकी होगी, क्योंकि दुनिया 1.5 डिग्री सेल्सियस औसत तापमान वृद्धि की सीमा लांघ चुकी होगी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव स्थायी व भयानक हो जाएंगे।

स्विस गैर-लाभकारी संस्था अर्थ एक्शन ने पिछले सप्ताह द प्लास्टिक ओवरशूट डे रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया कि 2021 के बाद से वैश्विक प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन में 7.11 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसके अलावा दुनिया में इस साल 22 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होगा, जिसमें से 7 करोड़ टन पर्यावरण को प्रदूषित करेगा। इसके अलावा एक बड़ा हिस्सा समुद्र में समा जाएगा, जो उसके पारिस्थितिकी तंत्र को तबाह करेगा। इसके अलावा समुद्रों के गर्म होने में भी इसके असर पर अध्ययन किया जा रहा है। इन तमाम चिंताओं को ध्यान में रखकर कनाडा के ओटावा में प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए 23-29 अप्रैल के दौरान अंतरराष्ट्रीय संधि के लिए संयुक्त राष्ट्र वार्ता के चौथे दौर की बातचीत होनी है। इस बातचीत से पहले अमेरिका की लॉरेंस बर्कले नेशनल लैबोरेटरी (एलबीएनएल) ने एक अध्ययन में बताया है कि वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन तेल की कुल मांग का लगभग 12 फीसदी और प्राकृतिक गैस की कुल मांग का 8.5 फीसदी है। एजेंसी

22 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होगा इस साल दुनिया में
2050 तक शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करते हुए 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की सीमा को तोड़ने से बचने के लिए यह जरूरी है कि प्लास्टिक उत्पादन में 12 से 17 फीसदी की कमी की जाए। प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन का बाय-प्रोडक्ट है। इसके अलावा प्लास्टिक उत्पादन में बिजली बनाने से लेकर गर्मी पैदा करने के लिए जीवाश्म ईंधन काम में लाया जाता है, जिससे ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। करीब 75 फीसदी उत्सर्जन तो प्लास्टिक बनने से पहले ही हो जाता है। जीवाश्म ईंधन जलाना वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती सांद्रता का प्राथमिक कारण है, जो वैश्विक तापमान बढ़ा रहा है।

अपनी आंखों के सामने देखी बेटी की हत्या, महिला ने आरोपी शख्स को पत्थर से कुचलकर मारा

बंगलूरू:  कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में एक डबल मर्डर का मामला सामने आया है। एक 44 वर्षीय व्यक्ति ने 24 वर्षीय महिला की चाकू मारकर हत्या कर दी। बाद में आरोपी को एक पत्थर से मारा गया, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। यह घटना जयनगर की है, और आरोपी व्यक्ति की पहचान सुरेश के तौर पर की गई है।

बंगलूरू में डबल मर्डर केस
आरोपी सुरेश ने पहले पीड़िता अनुशा पर दो बार चाकू से वार किया, इसके बाद लड़की की मां ने आरोपी पर पत्थर से वार कर दिया। पुलिस ने बताया कि अनुशा और सुरेश दोनों एक-दूसरे को पिछले पांच वर्षों से जानते थे। प्राथमिक जांच के अनुसार, पार्क में अनुशा और सुरेश के बीच झगड़ा हो गया। दरअसल, अनुशा सुरेश से दूरी बना रही थी और सुरेश को अनुशा का यह निर्णय अच्छा नहीं लगा।

अनुशा ने अपनी मां को बताया कि वह पार्क में किसी से मिलने जा रही है। मां को कुछ संदेह हुआ और उन्होंने अपनी बेटी का पीछा किया। सुरेश ने मां के सामने ही अनुशा की हत्या कर दी। पुलिस ने कहा कि अनुशा की मां अपनी बेटी को बचाने के लिए भागी और सुरेश पर पत्थर से वार कर दिया। सिर पर पत्थर लगने के कारण सुरेश की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) लोकेश भरमप्पा जगलासर ने बताया कि अनुशा और सुरेश की मौत पार्क में शाम के 4.45 बजे हुई। उन्होंने आगे बताया कि हादसे में अनुशा बुरी तरह से घायल हो गई थी। उसे सीने और गले में गंभीर चोट लगी थी। अस्पताल में उसे मृत घोषित किया गया।

गवाहों से पूछताछ जारी
पुलिस फिलहाल इस मामले को लेकर गवाहों से पूछताछ कर रही है। डीसीपी ने बताया कि दोनों ही एक-दूसरे को कार्यस्थल से ही जानते हैं। अनुशा एक केयरटेकर थी, जबकि सुरेश कंपनी में इवेंट मनेजमेंट के लिए काम करता था। अनुशा सुरेश से दूरी बनाकर रखने की कोशिश कर रही थी। इस घटना को लेकर दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं। अनुशा की मां से पूछताछ की जा रही है। फिलहाल मामले की जांच जारी है।

भारत का सबसे ठंडा शहर, गर्मियों में भी महसूस होती है कंपकपी

गर्मियों के मौसम आ गया है। इस मौसम में तापमान बढ़ने लगता है। चिलचिलाती धूप और गर्मी के कारण पसीना छूटने लगता है। ऐसे मौसम में न तो बाहर निकलते बनता है और न ही लगातार घर में रहने का मन करता है। गर्मियों में लोग किसी ठंडी जगह पर राहत भरी छुट्टियां मनाना चाहते हैं। हालांकि कई हिल स्टेशन ऐसे हैं, जहां गर्मियों में अन्य जगहों की तुलना में तापमान कम होता है लेकिन धूप और गर्मी भी महसूस हो सकती है। धूप में हिल स्टेशनों को भी लोग घूमना नहीं चाहते हैं।

वैसे भारत विविधताओं का देश है। यहां अलग अलग शहरों में अलग-अलग तरह का मौसम होता है। कहीं धूप तो कहीं बारिश, कहीं गर्मी तो कहीं सर्दी रहती है। ऐसे में अगर मई जून की चिलचिलाती गर्मी में ठंडक का अहसास करना चाहते हैं तो देश की सबसे ठंडी जगह पर वक्त बिताने के लिए जा सकते हैं। इस लेख में देश के सबसे ठंडे शहर के बारे में बताया जा रहा है, जहां आप गर्मियों के मौसम में भी कंपकंपा देने वाले सर्द मौसम का आनंद उठा सकते हैं।

भारत की सबसे ठंडी जगह

लेह लद्दाख में पूरे साल ठंडक रहती है। लद्दाख हिमालय पर्वतमाला के बीच बसा है, जहां सर्दियों में तो इतनी ठंड होती है कि तापमान माइनस के पार चला जाता है। वहीं गर्मियों में यह जगह घूमने के लिए बेहतर रहती है। गर्मियों के मौसम में यहां का पारा 2 से 12 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। इस दौरान बर्फीले पहाड़ देख सकते हैं और मई जून की चिलचिलाती गर्मी में ठिठुरन वाली सर्दी को महसूस कर सकते हैं।

द्रास और सियाचिन ग्लेशियर

अप्रैल के महीने में जहां राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है, वहीं द्रास में लगभग 7 डिग्री सेल्सियस है। द्रास लेह लद्दाख में कारगिल जिले में स्थित एक टाउन है, जिसे भारत का सबसे ठंडा शहर माना जाता है। वहीं सियाचिन ग्लेशियर भी सबसे ठंडे स्थानों में से एक है। यहां का तापमान शून्य से -50 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। सियाचिन ग्लेशियर हिमालय की पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला में भारत पाक नियंत्रण रेखा के पास स्थित एक हिमानी यानी ग्लेशियर है।

तवांग

अरुणाचल प्रदेश का तवांग शहर भी सबसे ठंडी जगहों में शामिल है। इस स्थान पर सर्दियों के मौसम में यहां भारी बर्फबारी और हिमस्खलन होता है। वहीं गर्मियों में यहां का तापमान कम ही होता है। तवांग की प्राकृतिक सुंदरता और ठंडक गर्मियों में पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रोत्साहित करती है।

पहचान छुपाकर आधी जिंदगी पुरुष की वेशभूषा में रही महिला, जानें तमिलनाडु की पेचियम्मल की कहानी

एक महिला किसी भी स्वरूप में ढल सकती है। महिला केवल मां बहन, बेटी या पत्नी ही नहीं, बल्कि कई अन्य भूमिकाओं को भी अपना लेती है और उसी के अनुरूप जीवन बिताने लगती है। ऐसी ही एक महिला हैं, जिन्होंने लगभग अपना आधा जीवन पुरुष की वेशभूषा में बिता दिया। ये सुनकर अजीब लगा होगा कि एक महिला कैसे अपनी पहचान और अस्तित्व को छिपाकर एक पुरुष की वेशभूषा में जीती रही, और आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया?

शादी के 15 दिन बाद पति की मौत

जब बात संतान की आती है, तो एक मां कुछ भी कर सकती है। वह मां से बाप और घर की जिम्मेदारी संभालने वाली परिवार की मुखिया बन सकती है, फिर चाहे उसके लिए महिला को अपना अस्तित्व और पहचान छिपानी ही क्यों न पड़े। ये दिलचस्प कहानी तमिलनाडु की एक महिला की है, जिन का नाम पेचियम्मल है। पेचियम्मल थूथुकड़ी जिले के काटुनायक्कनपट्टी गांव की रहने वाली हैं। उनकी शादी 20 साल की उम्र में हुई और शादी के 15 दिन बाद ही पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई। जीवन ने इतनी बड़ी चोट दी लेकिन कुछ वक्त बाद पता चला कि वह गर्भवती हैं। कुछ महीनों बाद उन्होंने बेटी को जन्म दिया, जिसका नाम शन्मुगसुंदरी रखा।

बेटी के पालन पोषण के लिए बनी महिला से पुरुष

पति के बिना अकेले ही बेटी का पालन पोषण करने की जिम्मेदारी पेचियम्मल पर आ गई। उन्होंने कोई काम करने का सोचा लेकिन एक महिला होने के कारण उन्हें काम मिलने में परेशानी हो रही थी। कहीं काम मिल भी जाता तो उन्हें परेशान किया जाता। इससे बचने और बेटी को एक अच्छी जिंदगी देने के लिए उन्होंने अपने नाम और वेश को बदलने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने अपने बाल कटवाए, साड़ी छोड़कर लुंगी एवं शर्ट पहन ली।

पुरुषों वाले काम किए

यहां से हालात से लाचार एक महिला के पेचियम्मल से मुत्थु बनने की कहानी शुरू हुई। अपना वेश परिवर्तित कर उन्होंने आस-पास के गांवों में ऐसे काम किए, जो आमतौर पर महिलाएं नहीं करती थीं। इस दौरान उन्होंने चाय-पराठे की दुकान पर काम किया, जहां लोग उन्हें मुत्थु मास्टर बुलाने लगे। वह अपनी पहचान छुपाए रखने के लिए गांव के लोगों से बात नहीं करतीं और बस में यात्रा के दौरान पुरुषों की ही सीट पर बैठती थीं, ताकि किसी को उन पर शक न हो। उनकी असल पहचान के बारे में बेटी के अलावा उनके कुछ परिजन ही जानते थे कि वह मुत्थु नहीं, बल्कि पेचियम्मल हैं। अब पेचियम्मल की बेटी की शादी हो चुकी है और वह एक अच्छा जीवन जी रही है। पेचियम्मल का कहना है कि अब वह आखिरी सांस तक इसी तरह जीना चाहती हैं।

भारत में मस्तिष्क विकारों के बढ़ते मामले चिंताजनक, स्वास्थ्य देखभाल को लेकर सरकार का बड़ा फैसला

मस्तिष्क विकार स्वास्थ्य क्षेत्र पर बढ़ते दबाव के प्रमुख कारणों में से एक हैं। भारत में भी इससे संबंधित रोगों के मामले बढ़ते हुए रिपोर्ट किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं मस्तिष्क हमारे पूरे शरीर का संचालक होता है, इसमें होने वाली किसी भी तरह की समस्या का असर संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। शनिवार को जारी एक कार्यालय ज्ञापन के अनुसार- ”मस्तिष्क स्वास्थ्य एक उभरती समस्या है। इसमें सुधार करना न सिर्फ लोगों के जीवन की गुणवत्ता को सुधारने के लिए जरूरी है साथ ही ये स्वास्थ्य क्षेत्र पर बढ़ते दबाव भी कम करने में सहायक हो सकती है।”

इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मस्तिष्क स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच को बढ़ाने और इलाज की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘नेशनल टास्क फोर्स ऑफ ब्रेन हेल्थ’ गठित की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया, देश में कई प्रकार के मस्तिष्क विकारों का जोखिम देखा जा रहा है। कम उम्र के लोग भी इसका शिकार पाए जा रहे हैं।

भारत में मस्तिष्क विकारों की समस्या

ज्ञापन में कहा गया है कि तंत्रिका तंत्र से संबंधित विकार डिसेबिलिटी एडजस्टेड लाइफ ईयर्स (डीएएलवाई) का प्रमुख कारण और वैश्विक स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण हैं। प्रति वर्ष 90 लाख से अधिक लोगों की इससे मौतें हो जाती है।पिछले तीन दशकों में भारत में किए गए अधिकांश अध्ययनों में पाया गया है कि यहां स्ट्रोक, मिर्गी, पार्किंसंस रोग और डिमेंशिया सहित मस्तिष्क की बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है। ज्यादातर मामले शहरी भारतीय आबादी में देखे जा रहे हैं।

लोगों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुंचाने का लक्ष्य

रिपोर्ट के मुताबिक लोगों तक स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच में सुधार के बावजूद सामाजिक-आर्थिक स्थिति, क्षेत्र और लिंग के आधार पर कई प्रकार की असमानताएं बनी हुई हैं। इस संबंध में टास्क फोर्स 15 जुलाई को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।यहां जानना जरूरी है कि हमारा मस्तिष्क, तंत्रिका तंत्र का हिस्सा है। तंत्रिकाओं का एक नेटवर्क शरीर में संकेतों का संचार करने करता है। मस्तिष्क से संबंधित विकारों के मामले ऑटोइम्यून होने के साथ, कुछ प्रकार के संक्रमण और ट्यूमर के कारण हो सकते हैं।

मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के बारे में जानिए

मस्तिष्क रोगों के मामले भारत ही नहीं पूरी दुनिया भर के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं। समय पर निदान और उपचार न मिल पाने के कारण इसके जोखिमों के बढ़ने का खतरा अधिक देखा जाता रहा है। इन आंकड़ों पर एक नजर डालिए।

  • अल्जाइमर रोग 6 मिलियन (60 लाख) से अधिक लोगों को प्रभावित करता है।
  • ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार लगभग 44 बच्चों में से एक में होता है।
  • ब्रेन ट्यूमर और अन्य तंत्रिका तंत्र के कैंसर अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं, जो सभी कैंसर का 1.3% है।
  • मिर्गी से दुनियाभर की 1.2% आबादी प्रभावित है, जिसमें 30 लाख वयस्क और 4.70 लाख बच्चे शामिल हैं।
  • मानसिक बीमारी बहुत आम है, जो 5 में से 1 वयस्क को प्रभावित करती है।
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसके लगभग 10 लाख लोग प्रभावित हैं।
  • प्रत्येक वर्ष लगभग 8 लाख लोगों को स्ट्रोक होता है।

 

‘जय हो पूरी तरह से एआर रहमान की रचना थी’, सुखविंदर ने राम गोपाल वर्मा के दावों का किया खंडन

फिल्म निर्माता राम गोपाल वर्मा ने हाल ही में एक घटना साझा की जहां एआर रहमान ने फिल्म ‘युवराज’ के निर्माण के दौरान सुभाष घई की हताशा पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया था कि ‘जय हो’ गाने का निर्माण ए आर रहमान ने नहीं बल्कि सुखविंदर सिंह ने किया है। हालांकि, अब खुद सुखविंदर सिंह ने इस पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। आइए जानते हैं कि गायक ने क्या कहा है।

एक साक्षात्कार में, राम गोपाल वर्मा ने सुझाव दिया कि गाने के संगीत के पीछे सुखविंदर थे, एआर रहमान नहीं। हालांकि, सुखविंदर ने खुद इन दावों का खंडन किया है और कहा है कि प्रतिष्ठित चार्टबस्टर पूरी तरह से अकादमी पुरस्कार विजेता संगीतकार रहमान की रचना थी।

सुखविंदर सिंह ने स्पष्ट किया कि यह एआर रहमान थे, जिन्होंने गीत की रचना की थी, और उन्होंने इसमें केवल अपनी आवाज दी थी। उन्होंने कहा, “मैंने इसे केवल गाया है। राम गोपाल वर्मा जी कोई छोटी हस्ती तो नहीं है, शायद उन्हें कुछ गलत पता चला होगा।” सुखविंदर सिंह ने बताया कि कैसे गुलजार ने गाना लिखा, जो रहमान को पसंद आया और फिर इसे मुंबई के जुहू में सुखविंदर के स्टूडियो में तैयार किया। रहमान ने इसे सुभाष घई के लिए भी गाया था , लेकिन उस समय सुखविंदर की आवाज रिकॉर्ड नहीं की गई थी।

सुखविंदर सिंह ने उस पल को याद किया जब घई और रहमान चले गए, जिससे सुखविंदर निराश हो गए। इसके बाद गायक ने गुलजार से 10-15 मिनट रुकने की अपील की। जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों है, तो उन्होंने जवाब दिया कि गीत इतनी खूबसूरती से तैयार किए गए थे कि वह उन्हें खुद गाने का प्रयास करना चाहते थे।

गायक ने आगे कहा, “नाचते कूदते मैंने गा दिया। यह वही जय हो था जिसे आप आज सुनते हैं। मैंने इसे रहमान साहब को भेजा, जिन्होंने इसे स्लमडॉग मिलियनेयर के निर्देशक डैनी बॉयल को सुनाया। रहमान उन्होंने अपना वादा निभाया और युवराज के लिए सुभाष जी को एक और गाना दिया।”

बरसाती का 400 रुपये किराया, 200 का पेट्रोल, 200 में खाना, बाकी 200 में हम ऐश करते थे

अबकी बार की चुनावी चर्चा से अभिनेता शेखर सुमन कोसों दूर हैं। सियासत से उन्हें कोई गिला भी नहीं है और न ही इससे इनकार है। बस, वह इन दिनों अपनी वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ की रिलीज की तैयारियां कर रहे हैं और अपने बेटे अध्ययन के साथ इस सीरीज में किए गए किरदारों को खूब याद कर रहे हैं। मुंबई के पॉश इलाके अंधेरी पश्चिम की एक गगनचुंबी इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल पर रहने वाले शेखर सुमन की शख्सीयत के लोग आज भी कायल हैं। जमीन से जुड़े, बातों में बेफिक्री और दिल मिल जाए तो ठट्ठा लगाकर हंसना उनको खूब भाता है। इस एक घंटे लंबी बातचीत में शेखर सुमन ने याद किया है, अपना वो सफर जिसे उन्होंने पहली बार खुलकर बयां किया है, ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल के सामने।

आपकी पहली फिल्म ‘उत्सव’ से लेकर ‘हीरामंडी’ तक एक विशेष कालखंड की कहानियों का एक चक्र सा पूरा होता दिख रहा है..
जी हां, 26 सितंबर 1985 को रिलीज फिल्म ‘उत्सव’ से गिनें तो अगले साल इसके 40 साल पूरे हो जाएंगे। ‘हीरामंडी’ में भी वैसा ही माहौल है। वैसा ही पीरियड सिनेमा, उतने ही भव्य सेट, उतने ही महान फिल्मकार। ‘उत्सव’ में शशि कपूर, गिरीश कर्नाड, रेखा के साथ काम करना, भी एक कमाल का दौर था। एक कमाल ये भी था कि बंबई (अब मुंबई) आए हुए अभी मुझे दो हफ्ते भी नहीं हुए थे और मुझे ये फिल्म मिल गई थी। इसे ही किस्मत कहते हैं। ये सारा नसीब में होता है।

मैं ‘उत्सव’ और ‘हीरामंडी’ दोनों में अभिनय का मौका मिलने को लेकर आपकी प्रतिक्रियाएं जाना चाहूंगा। पहले ‘हीरामंडी’ की बात करते हैं..
भंसाली साब के साथ एक मौका मिला था मुझे फिल्म ‘देवदास’ में काम करने का जो मैं नहीं कर पाया, वह चुन्नीलाल का रोल था। उनके लिए दिल में बहुत एहतराम है। हमेशा से उनके लिए बहुत सारा प्यार और अकीदत रही है। मुझे यूं लगता है कि जो बड़े फिल्ममेकर रहे हैं जैसे गुरुदत्त, कमाल अमरोही, के आसिफ साब, राज कपूर, बिमल रॉय आदि, इन सबकी मानवीय भावों पर बहुत जबरदस्त पकड़ रही है। खासतौर से गुरुदत्त और राज कपूर जैसे फिल्मकार जब साहिर और शैलेंद्र जैसे गीतकारों के साथ मिलकर कुछ रचते थे तो उसका असर विलक्षणकारी होता था। किरदारों की नब्ज पकड़ लेना और इन किरदारों के भीतर जहनी और रूहानी तौर पर चले जाना ही एक फिल्मकार की जीत है।

संजय लीला भंसाली की पहली फिल्म आपने कौन सी देखी कि क्या प्रतिक्रिया थी फिल्म के निर्देशन को लेकर आपकी?
मैंने उनकी पहली फिल्म ‘खामोशी’ जब देखी तो मुझे लगा कि इस निर्देशक में कोई बात है। उनके अब के सिनेमा के मुकाबले उसमें कोई भव्यता नहीं थी। लेकिन, मानवीय भावनाओं पर उनकी वो पकड़ कमाल थी। किरदार नाना पाटेकर और सीमा बिस्वास के किरदार, और उनका मनीषा कोइराला के किरदार के बीच जो समीकरण बना है, वह बहुत खूबसूरत है। ‘हम दिल दे चुके सनम’ तक आते आते वह थोड़ा कमर्शियल हुए लेकिन इसके बावजूद, जो सारे रिश्ते उन्होंने इस फिल्म में बनाए, अजय देवगन, सलमान और ऐश्वर्या के किरदारों के बीच या कि ऐश्वर्या के किरदार और उनके पिता के बीच, वह एक बहुत ही जज्बाती इंसान ही ऐसा कर सकता है।