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क्यूआर कोड लॉकेट की मदद से अभिभावक से मिला मानसिक दिव्यांग बालक, दो दिन से था गायब

नई दिल्ली: शुक्रवार को एक मानसिक दिव्यांग बालक जिसकी उम्र महज 12 वर्ष थी, वह एक क्यूआर कोड की मदद से अपने माता-पिता से मिल पाया। बृहस्पतिवार से वह बालक अपने मां-बाप से बिछड़ गया था और वह किसी को अपने घर का पता बताने में भी असमर्थ था।

तकनीकी की मदद से एक मानसिक दिव्यांग बालक अपने मां-बाप से मिल सका। 12 वर्षीय मानसिक दिव्यांग बालक बृहस्पतिवार को मुंबई के दक्षिण हिस्से कोलाबा में घूम रहा था। कुछ लोगों ने जब उसे देखा तो वह उनको सही नहीं लग रहा था। उन्होंने उससे बात की और उससे घर से पता जानने की कोशिश की। वह कुछ भी बताने में असमर्थ था। वे लोग उसे पुलिसकर्मी के पास ले गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि आस-पास के सभी पुलिस स्टेशन लापता व्यक्ति के लिए अलर्ट भेजा गया। लेकिन वहां से कुछ पता नहीं चल सका।

लड़के के गले में मिला पेंटेंड
एक पुलिसकर्मी को उस लड़के के गले में एक पेंडेंट दिखा, जिस पर क्यूआर कोड था, मोबाइल फोन से उसे स्कैन करने पर एक फोन नंबर मिला। उस नंबर पर बात करने पर पता चला कि वह एक मानसिक दिव्यांग बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ का है। उन्होंने बात कर बालक का हुलिया बताया, उसकी फोटो भेजी, तब एनजीओ ने बालक का पता बताया। उन्होंने बताया कि बालक के मां-बाप भी उसको तलाश कर रहे हैं। उन्होंने बालक के अभिभावक को फोन कर पुलिस स्टेशन बुलाया और उसे उन्हें सुपुर्द कर दिया। बच्चे के खो जाने से मां को रो-रोकर बुरा हाल था।

कांग्रेस ने 17 सीटें जीतने के लिए बनाया खास प्लान, प्रदेश को नौ जोन में बांटकर बनाई गई है योजना

लखनऊ:कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भले ही 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही हो, लेकिन वह प्रदेश की सभी 80 सीटों पर लोगों तक पहुंचने और अपनी बात पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। यही वजह है कि चुनाव में जमीनी प्रचार-प्रसार के साथ-साथ वह सोशल मीडिया का भी भरपूर इस्तेमाल कर रही है। इसके लिए वह पूरी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरी हुई है।

पार्टी ने सोशल मीडिया और मीडिया की एक टीम बनाई है, जो सभी लोकसभा क्षेत्रों में मीडिया समन्वय व प्रत्याशी से समन्वय कर स्थानीय मुद्दों को जोर-शोर से उठा रही है। सोशल मीडिया के लिए राज्य स्तर, लोकसभा स्तर व संगठन स्तर पर समन्वय की एक टीम बनाई है। जो सभी प्रमुख मुद्दों पर अपने शीर्ष नेताओं के साथ-साथ स्थानीय नेताओं, पूर्व विधायक, सांसद आदि की बाइट बनाकर यूट्यूब के माध्यम से प्रचारित-प्रसारित कर रही है।

फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए हर लोकसभा क्षेत्र में एक मीडिया समन्वयक अलग से बनाया गया है। पार्टी के मीडिया विभाग के वाइस चेयरमैन मनीष श्रीवास्तव हिंदवी ने बताया कि हम इसके माध्यम से पार्टी की नीतियों को लोगों तक पहुंचाने के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को भी उठाने का काम कर रहे हैं। साथ ही विपक्ष के वादों की पोल खोलने का भी काम इसके माध्यम से कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रमुख व स्थानीय मुद्दों पर अपने प्रमुख नेताओं, पूर्व विधायक, मंत्री, सांसद की बाइट लेकर उसे आम लोगों तक हर माध्यम से पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर फोकस होकर काम करने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि आज का युवा इस माध्यम का सर्वाधिक प्रयोग कर रहा है। ऐसे में उस तक अपनी बात पहुंचाने का यह एक अच्छा माध्यम है। वहीं नेताओं की रैली, सभा, जनसंपर्क आदि के कार्यक्रम अलग से चल रहे हैं।

प्रदेश को नौ जोन में बांटकर कर रहे काम
पार्टी ने प्रदेश को सोशल मीडिया के लिहाज से नौ जोन में बांटा है। इसमें लखनऊ, कानपुर, झांसी, आगरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, वाराणसी व प्रयागराज शामिल हैं। राज्य स्तरीय टीम से यहां पर मीडिया इंचार्ज तैनात किए गए हैं। ये इन प्रमुख जिलों के साथ-साथ आस-पास के जिलों को भी कवर करेंगे। वहां के स्थानीय नेताओं से संपर्क कर यह मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे। साथ ही पार्टी के प्रमुख नेताओं के ट्वीट व बाइट को भी हर व्यक्ति तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

पीडीएम गठबंधन ने सात प्रत्याशी किए घोषित, रायबरेली से हाफिज मोहम्मद मोबीन और बरेली से सुभाष पटेल को उतारा

लखनऊ: अपना दल कमेरावादी ने शनिवार को सात लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। कार्यालय स्थित लखनऊ में डॉ पल्लवी पटेल के उपस्थति में कल देर शाम तक चली बैठक के बाद पीडीएम (पिछड़ा, दलित, मुस्लिम) गठबंधन के प्रत्याशियों की पहली सूची आज सुबह जारी की गई।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अजय पटेल ने कहा कि पीडीएम उत्तर प्रदेश मजबूती से चुनाव लड़ेगी। शेष अन्य सीटों पर शीघ्र ही प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी। पीडीएम ने रायबरेली से हाफिज मोहम्मद मोबीन और बरेली से सुभाष पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, हाथरस से डॉ. जयवीर सिंह धनगर, फिरोजाबाद से प्रेमदत्त बघेल, फतेहपुर से रामकिशन पाल, भदोही से प्रेमचंद बिन्द, चंदौली से जवाहर बिन्द को उम्मीदवार बनाया है।

बता दें कि अखिलेश यादव के पीडीए के जवाब में अपना दल कमेरावादी ने तीन और पार्टियों के साथ मिलकर पीडीएम न्याय मोर्चा का गठन किया है। इस गठबंधन में अपना दल कमेरावादी, ए.आई.एम.आई.एम., राष्ट्र उदय पार्टी एवं प्रगतिशील मानव समाज पार्टी शामिल हैं। यह गठबंधन यूपी की कई सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगा।

पल्लवी पटेल ने इस गठबंधन को लेकर कहा था कि नए राजनीतिक परिस्थितियों में विभिन्न सामाजिक समूहों खासकर अन्य पिछड़ा वर्ग की अनेक जातियों, दलित एवं मुसलमान का दमन उत्पीड़न एवं अन्याय बढ़ा है। सरकार की कार्यशैली एवं मुख्य विपक्ष का इन सवालों पर पीछे हटना नए राजनीतिक विकल्प की मांग करता है। इसलिए हम पीडीएम के नारे के साथ पिछड़ा दलित, मुसलमान की भागीदारी के सवाल पर और दमन, उत्पीड़न एवं अन्याय के खिलाफ नए राजनीतिक विकल्प की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

अब ओरल इम्यूनोथेरेपी से होगा बच्चों में फूड एलर्जी का इलाज, विशेषज्ञों ने कही ये बात

नई दिल्ली: दुनियाभर में लगभग चार प्रतिशत बच्चे फूड एलर्जी से जूझ रहे हैं। पश्चिमी देशों में करीब आठ फीसदी बच्चों और चार फीसदी वयस्कों को फूड एलर्जी है। लेकिन अब ओरल इम्यूनोथेरेपी के जरिये इसका इलाज किया जा सकेगा।

विशेषज्ञों के मुताबिक, बच्चों के लिए फूड एलर्जी एक बड़ी समस्या हो सकती है। स्कूल में टिफिन बांटकर खाने से भी उन्हें इसका खतरा होता है। इसके अलावा उनके घूमने-फिरने की योजनाओं और पार्टियों में जाने पर भी असर पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने पहली बार इसके लिए मानकीकृत दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। जो बच्चों में फूड एलर्जी कर सकने वाले खाद्य पदार्थों के प्रति सहनशक्ति विकसित करने में मदद करेंगे। ओरल इम्यूनोथेरेपी में बच्चों को मूंगफली जैसे एलर्जी करने वाले खाद्य पदार्थ बहुत थोड़ी मात्रा में दिए जाते हैं। धीरे-धीरे उनकी मात्रा बढ़ाई जाती है ताकि, बच्चों में उनके प्रति सहनशक्ति विकसित हो सके।

डगलस मैक इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और बाल रोग विशेषज्ञ ने कहा, यह एक ऐतिहासिक अध्ययन है क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं किया गया। हमें ओरल इम्यूनोथेरेपी के बारे में मार्गदर्शन की बहुत जरूरत है।

भारत में आम है गेहूं, अंडे और दूध से होने वाली एलर्जी
एक बच्चे का खाना दूसरे बच्चे को बीमार कर सकता है। मूंगफली से होने वाली एलर्जी ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में ज्यादा होती है। एशिया में यह एलर्जी उतनी अधिक नहीं है। यहां पर गेहूं, अंडे और दूध से होने वाली एलर्जी सबसे ज्यादा आम है।

‘अन्य दृष्टिकोण की संभावना पर बरी करने का फैसला नहीं पलट सकते’; हत्या के मामले में बोली अदालत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलीय अदालत सिर्फ इस आधार पर किसी आरोपी को बरी करने का फैसला नहीं पलट सकती कि कोई अन्य दृष्टिकोण संभव है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि अपीलीय अदालत जब तक बरी करने के फैसले में कोई त्रुटि नहीं पातीं, उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं।

शीर्ष अदालत ने हत्या के एक मामले में अपील पर फैसला करते समय ये टिप्पणियां कीं, जहां निचली अदालत के बरी करने के आदेश को हाईकोर्ट ने पलट दिया था। पीठ की तरफ से फैसला लिखने वाले जस्टिस ओका ने कहा, यह एक स्थापित कानून है कि बरी किए जाने के खिलाफ अपील पर फैसला करते समय, अपीलीय अदालत को सबूतों की फिर से पड़ताल करनी होती है।

पीठ ने आगे कहा, अपीलीय अदालत को यह देखना चाहिए कि निचली अदालत का फैसला मौजूद सबूतों के आधार पर उचित है या नहीं। इस मामले में ऐसा लगता है कि हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को इस कसौटी पर नहीं परखा। गुजरात में 1996 में हुई एक हत्या मामले में निचली अदालत ने आरोपी पिता-पुत्र को बरी कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने पलट दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बहाल कर दिया।

मुंबई कस्टम ने जब्त किया आठ किलो सोना, कीमत 4.69 करोड़; चार लोग गिरफ्तार; पढ़ें अहम खबरें

मुंबई:  महाराष्ट्र के दक्षिण मुंबई स्थित एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल ने ऑनलाइन धोखादड़ी में गंवाए 82.55 लाख रुपये पुलिस ने बरामद किया है। यह रुपये स्कूल मैन ऑफ द मिडल आनलाइन हमले में गंवाए थे। मैन इन द मिडल (एमआईटीएम) हमला वह है जिसमें हमलावर गुप्त रूप से दो पक्षों के बीच संदेश को रोकता है और दोनों पक्षों क बीच संदेशों का प्रसार करता है।

यह ऑनलाइन धोखाधड़ी 23 फरवरी से लेकर 16 मार्च तक चला, जब स्कूल ने कैफेटेरिया खोलने के लिए प्रक्रिया शुरू की। स्कूल ने एक यूएई स्थित फर्म को कॉन्ट्रैक्ट दिया था। एक अज्ञात व्यक्ति ने ऐसी ही आईडी बनाकर यूएस आधारित बैंक का विवरण प्रदान किया। यूएस आधारित फर्म की तरफ से भेजे गए मेल को देखते हुए स्कूल ने उन्हें 87.26 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। बाद में स्कूल को इसमें कुछ गड़बड़ी का अनुभव हुआ। अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

नवी मुंबई में महिला के साथ दुष्कर्म के मामले में एक गिरफ्तार
नवी मुंबई में एक महिला ने दो लोगों पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। पुलिस ने उन दो में से एक को गिरफ्तार कर लिया है और फिलहाल दूसरे की तलाश जारी है। महिला ने शिकायत में बताया कि दुष्कर्म दो साल पहले हुआ। महिला ने बताया कि वह आरोपी विजय चौधरी उर्फ विरजीभाई महियाल और सद्दाम से जून 2022 में तुर्भे क्षेत्र के एक होटल में मिली थी।

महिला ने आरोप लगाया कि दोनों ने उसके ड्रिंक में कुछ मिलाया और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने गुरुवार को मामला दर्ज किया। एक अधिकारी ने बताया कि महियाल को गुजरात के बनासकांठा जिले से गिरफ्तार किया गया है, जबकि सद्दाम की तलाश जारी है।

मुंबई कस्टम ने जब्त किया 7.94 किलो सोना
मुंबई कस्टम ने आठ से दस अप्रैल के बीच नौ मामलों में 7.94 किलो से अधिक सोना जब्त किया। इसकी कीमत 4.69 करोड़ रुपये है। सोना यात्री के शरीर और बैग में छिपाकर रखा गया था। एक मामले में यात्री ने सोना एयरपोर्ट स्टाफ को दे दिया। इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

बच्चे की उम्र है 10 साल तो जरूर सिखाएं ये बातें, तभी उसे मिलेंगे सही संस्कार

एक समय था जब लोग अपने बच्चों को काफी छोटे से ही सख्ती बरते हुए संस्कार का पाठ पढ़ाने लगते हैं, लेकिन आज का समय बदल गया है। आजकल लोग अपने बच्चों पर सख्ती बरतना नहीं चाहते, जिस वजह से कई बार बच्चे काफी जिद्दी बन जाते हैं। ऐसे में अगर आप आप चाहते हैं, कि आपका बच्चा जिद्दी न बनें, तो अपने बच्चे को अभी से कुछ बातें अवश्य सिखाएं।

दरअसल, आपकी सूकून भरी जिंदगी के लिए ये बेहद जरूरी है, कि आपका बच्चे में संस्कार हों। ऐसे में अगर आपके बच्चे की उम्र 10 साल है, तो अभी से उसे कुछ बातें अवश्य सिखाएं। बच्चों के जहन में अगर ये बातें बस जाएंगी, तो उन्हें आगे जाकर किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। हम 10 साल के उम्र के बच्चों को सिखाने की बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इस उम्र के बच्चे जल्दी सीखते भी हैं, और चीजों को अच्छी तरह समझते भी हैं।

हर किसी का आदर करना

अपने बच्चे को ये सिखाएं कि वो कभी किसी का अनादर न करें। उन्हें छोटे से ही ये सिखाएं कि वो हर किसी से सम्मानपूर्वक बात करें। ये एक ऐसी आदत है, जो एक बार पड़ जाए तो आखिरी दम तक नहीं छूटती।

सिखाएं अपना काम करना

छोटे बच्चे अक्सर अपने पैरैंट्स पर निर्भर होते हैं। ऐसे में अब बढ़ती उम्र में उन्हें अपने छोटे-छोटे काम करना सिखाएं। ताकि उन्हें स्कूल में भी किसी तरह की कोई परेशानी न हो। अगर वो अपना काम खुद से करेंगे तो उन्हें कहीं जानें में भी परेशानी नहीं होगी।

सौंपें जिम्मेदारी

अपने छोटे बच्चे को संस्कारी बनाने के लिए उसे 10 साल की उम्र से ही जिम्मेदारी सौंपना शुरू कर दें। जैसे कि आप उन्हें कह सकते हैं, कि वो आपके साथ पौधों में पानी डालें, या फिर आप उनसे छोटे-मोटे काम करा सकते हैं।

सिखाएं पैसे की अहमियत

ये सबसे जरूरी पाठ है। अपने बच्चे को इस चीज का एहसास जरूर कराएं कि पैसे की कितनी अहमियत है। इसके साथ ही उन्हें ये भी बताएं कि आप कितनी मेहनत से पैसे कमा रहे हैं। कम उम्र से उनके हाथ में थोड़े पैसे दें, ताकि वो मनी मैनेज करना सीख पाएं।

नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को लगाएं केले से बने इन पकवानों का भोग

चैत्र नवरात्रि में लोग सच्चे मन से मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा करते हैं। अपने घरों में माता रानी की स्थापना करने के बाद लोग व्रत-उपवास करते हैं, और मां को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि, जो भी व्यक्ति सच्चे मन से माता रानी से सभी स्वरूपों की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस वजह से हर कोई दिन के हिसाब से ही माता रानी को पूजता है।

बात करें नवरात्रि के पांचवें दिन की तो नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। अगर आप माता रानी के स्वरूप के हिसाब से उनके प्रिय रंग पहनेंगे और उनकी पसंदीदा चीज का भोग लगाएंगे तो आपकी हर मनोकामना पूरी होगी। मां स्कंदमाता को केले से बने पकवानों का भोग लगाना काफी शुभ माना जाता है। ऐसे में आप नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को केले से बनें पकवानों का भोग लगा सकते हैं।

केले की खीर

केले की खीर बनाना काफी आसान है। इसे बनाकर आप माता रानी को इसका भोग लगा सकते हैं। ये फलाहारी होती है। ऐसे में आप माता रानी को इसका भोग लगाने के बाद खुद भी इसका सेवन कर सकते हैं।

बनाना शेक

बनाना शेक बनाना काफी सरल होता है। आप गर्मी के मौसम में ठंडे-ठंडे बनाना शेक को बनाकर मां स्कंदमाता को इसका भोग लगा सकते हैं। अगर व्रत में आप भी इसका सेवन करेंगे तो आपका पेट पूरे दिन भरा रहेगा और एनर्जी बनी रहेगी।

केले का हलवा

केले का हलवा बनाने के लिए आपको रवा यानी की सूजी की भी जरूरत पड़ती है। ऐसे में आप इसका भोग माता रानी को लगा सकते हैं, लेकिन व्रत में इसका सेवन नहीं करते। आप चाहें तो केले का हलवे का भोग लगाकर उसे प्रसाद में बंटवा सकते हैं।

कच्चे केले की बर्फी

ये खाने में काफी स्वादिष्ट लगती है। इसे आप बनाकर फ्रिज में रख सकते हैं, और फिर पूजा के वक्त माता रानी को इसका भोग भी लगा सकते हैं।

बैसाखी पर दिखाना है जलवा तो बालों में लगाएं परांदा, लुक दिखेगा सबसे अलग

पंजाबियों के लिए बैसाखी का त्योहार काफी अहम होता है। इस त्योहार के लिए लोग काफी पहले से तैयारी करने लगते हैं। बैसाखी वसंत फसल पर्व है, जो हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है, इस साल ये त्योहार 13 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा। बैसाखी के दिन पुरुष और महिलाएं पारंपरिक परिधान में दिखाई देते हैं। इस त्योहार में जहां एक तरफ लड़के पारंपरिक कुर्ता और पायजामा पहनते हैं, तो वहीं महिलाएं पटियाला सूट पहनकर अपना जलवा दिखाती हैं। महिलाएं अपने लुक को और खूबसूरत बनाने के लिए खास तरह से मेकअप भी करती हैं।

अगर आप भी अपने लुक को खास बनाना चाहती हैं, तो अपने बालों में परांदा जरूर लगाएं। परांदा देखने में काफी कमाल का लगता है। अगर आप भी परांदा लगाना चाहती हैं, तो ये लेख आपके लिए मददगार है। इस लेख में हम आपको कई तरह के परांदा लगाना सिखाएंगे, जिनको लगाने के बाद आपका लुक खूबसूरत दिखेगा।

मैचिंग परांदा

अगर आप सूट के मैचिंग का परांदा लगाने का सोच रही हैं, तो ये एक बेहतर विकल्प है। ऐसा परांदा देखने में काफी खूबसूरत लगता है। इससे आपका लुक भी प्यारा दिखेगा।

हेयर स्टाइल के साथ लगाएं परांदा

अगर कुछ अलग तरह की हेयर स्टाइल बनाना चाहती हैं, तो इस तरह से बालों में ब्रेड्स बनाकर आप परांदा लगा सकती हैं। इस तरह की हेयर स्टाइल देखने में कमाल की लगती है।

मिरर वाला परांदा

अगर आपके बाल लंबे हैं, तो आप ऐसा मिरर वाला परांदा लगा सकती हैं। पटियाला सूट के साथ ऐसा परांदा देखने में प्यारा लगता है। इसके साथ आप मांगटीका लगा सकती हैं।

गोटे वाला परांदा

इस तरह की चोटी देखने में काफी प्यारी लगती है। सिंपल चोटी में आप गोटे वाला परांदा लगा सकती हैं। इसे लगाते समय कुछ जुल्फों को बाहर की तरफ निकाल लें, ताकि आपका लुक खूबसूरत दिखे।

फ्रेंच चोटी के साथ लगाएं परांदा

अगर आप चाहें तो फ्रेंच चोटी बनाकर उसमें परांदा लगा सकती हैं। ये देखने में काफी खूबसूरत लगती है। इसके साथ अगर आप कानों में झुमने पहनेंगी, तो आपका लुक बेहद खूबसूरत दिखेगा।

बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर के जीवन से जुड़े रोचक किस्से

भारत के महान नेता, सामाजिक सुधारक और संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू नामक स्थान पर हुआ था।दलित समुदाय से जुड़े डॉक्टर आंबेडकर ने अपने जीवन में दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। उन्होंने लाॅ और सामाजिक विज्ञान से डिग्री हासिल की और अपनी शिक्षा के बल पर दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

भारतीय संविधान के निर्माण में बाबा साहेब का अभूतपूर्व योगदान रहा। संविधान में दलितों के अधिकारों की गारंटी और समानता की मांग की। बाद में 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया। भारत समेत पूरे विश्व में अपने समाज सुधारक कार्यों के लिए सम्मानित बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के जीवन से जुड़े कई रोचक किस्से हैं, जो प्रेरणा भी देते हैं और उन्हें एक आदर्श पुरुष भी प्रदर्शित करते हैं।

होनहार आंबेडकर ने किया छूआछूत का सामना

14 भाई बहनों में आंबेडकर अकेले थे जो स्कूल एग्जाम में कामयाब हुए। दूसरे बच्चों की तुलना में भी वह काफी तेज थे लेकिन उनकी काबिलियत के बावजूद आंबेडकर को स्कूल में अन्य बच्चों से अलग बैठाया जाता था। उनको क्लास रूम के अंदर बैठने की इजाजत नहीं थी। प्यास लगने पर कोई ऊंची जाति का शख्स ऊंचाई से उनके हाथों में पानी डालता था, क्योंकि पानी के बर्तन को छूने की इजाजत नहीं थी।

कैसे रखा आंबेड

कर नामआंबेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल और मां भीमाबाई थीं, लेकिन आंबेडकर ने एक ब्राह्मण शिक्षक महादेव आंबेडकर के कहने पर ही अपने नाम से सकपाल हटाकर आंबेडकर जोड़ लिया, जो उनके गांव के नाम अंबावडे पर था।

बाबा साहेब का ब्राह्मण कनेक्शन

बाबा साहेब की दो पत्नियां थीं। उनकी सगाई नौ साल की लड़की रमाबाई से हिंदू रीति रिवाज से हुई। शादी के बाद उनकी पत्नी ने पहले बेटे यशवंत को जन्म दिया। आंबेडकर के निधन के बाद परिवार में दूसरी सविता आंबेडकर रह गईं, जो कि जन्म से ब्राह्मण थीं। शादी से पहले उनका नाम शारदा कबीर था।

प्रोफेसर होते हुए भी जात-पात से परेशान

लंदन में पढ़ाई के दौरान उनकी स्कॉलरशिप खत्म हो जाने के बाद वह स्वदेश वापस आ गए और मुंबई के कॉलेज में प्रोफेसर के तौर पर नौकरी करने लगे। हालांकि उन्हें यहां पर भी जात पात और समानता का सामना करना पड़ा। इसी कारण आंबेडकर दलित समुदाय को समान अधिकार दिलाने के लिए कार्य करने लगे। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से पृथक निर्वाचिका की मांग की थी, जिसे मंजूरी भी मिल गयी लेकिन गांधीजी ने इसके विरोध में आमरण अनशन कर दिया तो अंबेडकर को अपनी मांग वापस लेनी पड़ी ।