Friday , October 25 2024

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अखिलेश यादव बोले- पुलिस काम करती तो रोकी बचाई जा सकती थी दो भाइयों की जान

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बदायूं में हुए दोहरे हत्याकांड पर कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बेहाल है। अगर पुलिस ठीक से काम करती तो दो भाइयों की जान बचाई जा सकती थी उन्होंने कहा कि देवरिया में हुई घटना में सरकार ने तीस अधिकारियों को निलंबित किया था। वहां भी वारदात के बाद ही कार्रवाई की गई। यहां पर भी लापरवाही की गई है।

बता दें कि बीते वर्ष देवरिया के फतेहपुर गांव में प्रेमचंद यादव की हत्या के बाद उसके समर्थकों व गांव के लोगों ने सत्य प्रकाश दुबे व उनके परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी। मामले में तीस अधिकारियों व पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था। देवरिया हत्याकांड देश भर में चर्चा का विषय रहा था।

भाजपा सरकार में बने मेडिकल कॉलेज आधुनिक खंडहर हैं
अखिलेश यादव ने कहा कि कई विभागों में कंपटीशन चल रहा है कि कौन अपना स्तर ज्यादा गिराएगा। इस सरकार ने एक भी जिला अस्पताल नहीं बनवाया जिसमें गरीब का इलाज हो पाए, जितने मेडिकल कॉलेज बने वह आधुनिक खंडहर है।

अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने पति व बेटी के साथ किए रामलला के दर्शन, मंदिर ट्रस्ट ने किया अभिनंदन

अयोध्या: अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा बुधवार को अपने पति निक व बेटी के साथ अयोध्या पहुंचीं। इस मौके पर वह इंडियन लुक में नजर आईं। उन्होंने अपने परिवार के साथ रामलला के दर्शन किए। उन्होंने करीब 30 मिनट राम लला के दरबार में दर्शन पूजन किया। राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से उनका अभिनंदन किया गया। प्रियंका चोपड़ा पहली बार अयोध्या पहुंची हैं।

इसके पहले जब वह एयरपोर्ट पहुंची तो जय श्रीराम के नारे लगते रहे। श्रीराम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से उनका अभिनंदन किया गया। प्रियंका के पति निक भी इंडियन लुक में नजर आ रहे थे। उन्होंने सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा पहना हुआ था। वहीं, प्रियंका चोपड़ा पीले रंग की साड़ी में नजर आईं। अयोध्या में 22 जनवरी को हुए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी फिल्म जगत के लोग शामिल हुए थे। तब प्रियंका चोपड़ा वहां पर नहीं थीं। अयोध्या एयरपोर्ट पर निक जोनस व अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा।

प्रेमानंद जी महाराज से मिलने पहुंची भारतीय महिला क्रिकेट टीम, लिया आशीर्वाद

तीर्थनगरी मथुरा के वृंदावन में बुधवार को भारतीय महिला क्रिकेट टीम पहुंची। यहां पर टीम की सभी खिलाड़ी प्रेमानंद जी महाराज से मिलने उनके आश्रम पहुंचीं। प्रेमानंद जी सभी से मिले। उनके साथ काफी देर तक धार्मिक चर्चाएं की। साथ ही उन्हें जीवन पथ पर संघर्ष आने पर धैर्यपूर्वक किस तरह आगे बढ़ना चाहिए, इसके बारे में प्रेरित किया।

खेल के माध्यम से दुनिया में देश का नाम सुविख्यात करने का आशीर्वाद दिया। जैसा कि वह सभी से कहते हैं कि हर किसी को नाम जप करना चाहिए, उन्होंने महिला खिलाड़ियों से भी अपने कर्तव्य के साथ नाम जप करने की सलाह दी। कहा कि इससे उन्हें आगे बढ़ने और परेशानियों से उबरने में संबल मिलेगा।

बताते चलें कि इन दिनों पूरी मथुरा नगरी में होली की धूम है। बुधवार को रंगभरनी एकादशी पर वृंदावन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पहुंची है। वह आराध्य के साथ होली खेलने को लालायित दिखे। इस विशेष मौके पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ी भी बांके बिहारी के धाम पहुंची।

तस्वीरों में देखें, धधकती चिताओं के बीच भस्म की होली खेलने के लिए उमड़ी लाखों की भीड़

काशी की अनोखी होली खेलने बुधवार को हरिश्चंद्र घाट पर लाखों की भीड़ पहुंची। शोभायात्रा में नरकंकाल पहनकर तांडव करते हुए भोलेभक्त घाट तक पहुंचे। अनोखी होली खेलने के लिए हरिश्चंद्र घाट पर शिव भक्तों का हुजूम इस कदर उमड़ा हुआ था कि पैर रखने की जगह भी नहीं बची थी। एक तरफ शव की कतार के बीच करुण कंद्रन तो दूसरी तरफ हर-हर महादेव का उद्घोष सुनाई दे रहा था। इस दौरान जलती चिताओं के बीच होली खेली गई। भारी भीड़ के बीच होरी खेलें मसाने में… के बोल पर लोग थिरकते रहे। चिता भस्म की होली में जनसैलाब देखते ही बन रहा। आगे की स्लाइड्स में देखें तस्वीरें…

प्राचीन नगरी काशी अनोखे आयोजनों और परंपराओं के लिए विख्यात है। रंगभरी एकादशी पर बुधवार को एक ऐसा आयोजन हुआ जिसमें जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाश्मशान हरिश्चंद्र घाट पर पैर रखने की भी जगह नहीं बची थी। हरिश्चंद्र महाश्मशान पर सुबह होली का अद्भुत नजारा लोगों के लिए यादगार बन गया। घाट पर एक तरफ चिताएं धधकती रहीं तो दूसरी ओर बुझी चिताओं की भस्म से जमकर साधु-संत और भक्त होली खेलने में रमे रहे। ढोल, मजीरे और डमरुओं की थाप के बीच भक्तगण जमकर झूमे और हर-हर महादेव के उद्घोष से महाश्मशान गूंजता रहा।

होरी खेलें मसाने में… के बोल पर होरी गूंजी तो लोग थिरकने से खुद को नहीं रोक सके। दुनिया के कई देशों के पर्यटक भी चिता की भस्म से होली खेलने के उन क्षणों के साक्षी बने। यहां शोभायात्रा पहुंचते ही ठंडी चिताओं की भस्म के साथ भभूत उड़ाई जाने लगी। साथ में कुछ युवक अबीर और गुलाल की भी बौछार घाटों से करने लगे। श्मशान पर अंतिम संस्कार के लिए शवों को लेकर गमगीन लोग भी घाट पर पहुंचते रहे। कहीं चिताएं लगती रहीं तो कहीं मुखाग्नि दी जाती रही।

बाबा के गणों के रूप में गंजी, गमछा लपेटे युवाओं की होली तमाम विदेशी पर्यटकों के लिए भी यादगार बनी। लोग उन क्षणों को कैमरे में कैद करने के लिए आसपास की छतों, मुंडेरों पर जमे रहे। पूरी दुनिया में काशी ही एक ऐसा शहर है जहां महाश्मशान में भी फागुन मनाया जाता है। राग और विराग की नगरी काशी में हरिश्चंद्र घाट पर महाश्मशान पर बाबा भोले के भक्तों ने चिता भस्म की होली खेली। काशी की यह विधान युगों पुरानी मानी जाती है।

राजनीतिक दलों के मुफ्त ‘उपहार’ देने के वादे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, जनहित याचिका पर सुनवाई को तैयार

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के लिए एक जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की है। दरअसल, राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों के दौरान मुफ्त उपहार का वादा करने की प्रथा के खिलाफ एक जनहित याचिका दी गई है। बता दें, 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने बुधवार को कहा कि यह जरूरी है और हम इस मामले पर कल सुनवाई जारी रखेंगे। जनहित याचिका दायर करने वाले अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने दलील दी कि याचिका पर लोकसभा चुनाव से पहले सुनवाई की आवश्यकता है। इस पर शीर्ष अदालत ने संज्ञान लिया।

चुनाव चिह्न जब्त करने व पंजीकरण रद्द करने की मांग
याचिका में राजनीतिक दलों के ऐसे फैसलों को संविधान के अनुच्छेद-14, 162, 266 (3) और 282 का उल्लंघन बताया गया है। याचिका में चुनाव आयोग को ऐसे राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न को जब्त करने और पंजीकरण रद्द करने का निर्देश देने की मांग की-है, जिन्होंने सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त ‘उपहार’ वितरित करने का वादा किया था। याचिका में दावा किया गया है कि राजनीतिक दल गलत लाभ के लिए मनमाने ढंग से या तर्कहीन ‘उपहार’ का वादा करते हैं और मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाते हैं, जो रिश्वत और अनुचित प्रभाव के समान है।

‘मूल निवासियों पर नहीं होगा नागरिकता कानून का असर’, केंद्रीय मंत्री बोले- असम में 12 सीटों पर जीतेगा NDA

केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने बुधवार को कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) का असम के मूल निवासियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी, जलमार्ग और आयुष मंत्री ने दावा किया कि समाज के सभी वर्ग राजग सरकार से खुश हैं, भले ही उनकी जाति, नस्ल और धर्म कुछ भी हो, क्योंकि सरकार ने पिछले 10 वर्षों में उनके हितों की रक्षा की है।

मूल निवासियों पर नहीं होगा सीएए का असर
असम के पूर्व सीएम रहे सोनोवाल ने कहा कि, ‘सीएए एक राष्ट्रीय कानून है। विपक्ष बेबुनियाद भड़काऊ बयानों से चाहे जो भी स्थिति पैदा कर रहा हो, इससे असम के सामान्य और पढ़े लिखे नागरिकों पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। आम लोग जानते हैं कि कानून उनके हितों को प्रभावित नहीं करने वाला है और वे कानून की असलियत जानते हैं। असम के मूल निवासियों के हितों पर इसका कोई असर नहीं होगा। सोनोवाल ने कहा कि लोगों को भड़काने के लिए बयान देने की कोशिश हो रही है। कहा जा रहा है कि लाखों विदेशी आएंगे और असम के लोगों की पहचान को नष्ट कर देंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं होगा और भविष्य में भी ऐसा नहीं होगा।’

केंद्र सरकार ने हाल ही में नागरिकता संशोधन कानून के नियम लागू कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के ऐसे गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है, जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं और जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए थे।

लोकसभा चुनाव में 12 सीटों पर जीतेगा एनडीए
लोकसभा चुनाव पर सोनोवाल ने कहा, ‘हम राजग (एनडीए) के लिए 12 से ज्यादा सीट की उम्मीद कर रहे हैं। अभी तक जो स्थिति सामने आई है और लोग आपस में जो भी चर्चा कर रहे हैं, उससे यह आंकड़ा काफी हद तक संभव लगता है।’ भाजपा ने असम की 14 में से 11 सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं

‘यह कोई अंकगणित नहीं बल्कि राजनीति है’, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने इंडिया गठबंधन पर कही ये बात

लोकसभा चुनाव में अब एक महीना से भी कम समय बचा हुआ है। सभी राजनीतिक दल जोर शोर से तैयारियों में लगे हुए हैं। सभी पार्टियों के नेताओं ने कमर कस ली है। ऐसे में अब सवाल उठने लगे हैं कि देश का धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र बरकरार रहेगा या नहीं। इसी पर सवाल उठाते हुए माकपा (सीपीआईएम) महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि यह तय करने में लोकसभा चुनाव अहम होंगे क्योंकि पिछले 10 सालों में लोकतंत्र के मूल स्तंभों पर हमला होता देखा गया है।

लोकप्रियता हासिल कर रहा इंडिया गठबंधन
उन्होंने कहा कि विपक्षी इंडिया गठबंधन लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है लेकिन काफी कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि सभी दलों को चुनाव में समान अवसर मिलते हैं या नहीं। माकपा महासचिव ने एक साक्षात्कार में लोकसभा चुनाव को देश के लिए अस्तित्व का चुनाव करार दिया।

पिछले 10 वर्षों में एक गंभीर…
उन्होंने कहा, ‘चुनाव तय करेंगे कि हम अपना धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र बनाए रखने जा रहे हैं या नहीं। पिछले 10 वर्षों में एक गंभीर कटान हुआ है। मैं वास्तव में इसे संवैधानिक मूल्यों और हमारे संविधान के मूल स्तंभों पर हमला कहूंगा। क्या हम भारतीय गणतंत्र और धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक चरित्र की रक्षा करने जा रहे हैं? या इसे और अधिक खराब होने दें? यही कारण है कि चुनाव मौजूदा समय में बेहद महत्वपूर्ण हैं।’

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए गठित पैनल में चीफ जस्टिस क्यों नहीं? सरकार ने दिया यह जवाब

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर केंद्रीय मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। नियुक्ति के लिए बनाए गए नए कानून पर रोक लगाने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने कहा, कानून के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज की जाए। गौरतलब है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्तों के चयन पैनल से हटाने के लिए सरकार ने संसद से विधेयक पारित कर कानून बनाया है। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

पारदर्शिता की जवाबदेही न्यायिक सदस्य की नहीं है
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून पर अपना रूख स्पष्ट करते हुए दायर हलफनामे में केंद्र सरकार ने कानूनों पर रोक लगाने की मांग करने वाले आवेदनों का विरोध किया। सरकार ने कहा कि चुनाव आयोग, या किसी अन्य संगठन या प्राधिकरण की स्वतंत्रता, केवल चयन समिति में न्यायिक सदस्य की उपस्थिति से सुनिश्चित नहीं की जा सकती। सरकार के मुताबिक पारदर्शिता के लिए पैनल में मौजूद न्यायिक सदस्य जिम्मेदार नहीं है।

नियुक्ति संबंधी कानून सुप्रीम कोर्ट के सिद्धांतों के मुताबिक बना है
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (सेवा की नियुक्ति शर्तें और कार्यालय की शर्तें) अधिनियम, 2023 चुनाव आयोग जैसी उच्च संवैधानिक संस्था की रक्षा करता है। इस कानून की मदद से आयोग के कामकाज के लिए कहीं अधिक लोकतांत्रिक, सहभागी और वैधानिक तंत्र बनता है। हलफनामे में सरकार ने दावा किया है कि कानून सुप्रीम कोर्ट के फैसले में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार ही बनाया गया है।

पड़ोसी के खुलेआम रोमांस से परेशान महिला ने की पुलिस में शिकायत, लगाया ये आरोप

बंगलूरू में पानी की किल्लत और ट्रैफिक जाम की परेशानियों के बीच एक महिला ने पुलिस थाने में एक अजीबोगरीब शिकायत लेकर पहुंची। अवलाहल्ली इलाके में रहने वाली 44 वर्षीय महिला ने अपने पड़ोसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। दरअसल, महिला ने आरोप लगाया कि उनका पड़ोसी जोड़ा खिड़कियों और दरवाजों को खुला रखकर रोमांस करता है, जिससे न केवल उन्हें चिढ़ होती है, बल्कि उन्हें हिंसा की धमकी भी मिली है।

शिकायतकर्ता ने बताया कि उनका पड़ोसी खुलेआम छेड़खानी करता है, जिससे उनका पूरा परिवार निराश है। स्थिति तब बिगड़ गई, जब महिला द्वारा अपनी परेशानी व्यक्त करने पर जोड़े ने उन्हें जान से मारने और उनके साथ दुष्कर्म करने की धमकी दी। महिला ने दावा किया कि मकान मलिक और उसका बेटा भी आरोपी जोड़े के समर्थन में है। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 504, 506, 509 और 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

यूपी में रेड जोन के लिए भगवा खेमे का खास प्लान, भाजपा की नजर बूथ से लेकर यूथ तक

यूपी में ‘मिशन 80’ के तहत भगवा खेमे ने 2019 में हारी हुई 16 सीटों को हथियाने के लिए खास रणनीति तैयार की है। हालांकि उपचुनाव में पार्टी ने दो सीटें जीत लीं। अब इस लोकसभा चुनाव में पार्टी का फोकस उन सीटों पर भी है, जिनपर हार-जीत का अंतर 15 हजार मतों से कम था। नई रणनीति के तहत भाजपा ने हारी के साथ ही कम अंतर से जीत वाली सीटों को भी ‘रेड जोन’ के रूप में चिह्नित किया है। पार्टी रेड जोन के मतदाताओं तक पहुंच बढ़ा रही है। यहां बूथ से लेकर यूथ तक पर नजर रखी जा रही है।

भाजपा ने 2022 में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद से ही ‘बूथ जीतो, सीट जीतो’ के मंत्र के साथ काम शुरू कर दिया था। इस बीच प्रदेश में हुए तमाम सियासी उलटफेर और विपक्षी एकता में बिखराव का फायदा उठाने के लिए भगवा खेमे ने ‘मिशन 80’ का फॉर्मूला तैयार किया है। विपक्ष के कब्जे और कम अंतर से जीत वाली सीटों को मिलाकर 20 से अधिक सीटों के लिए विशेष रणनीति तैयार की गई है। हालांकि विपक्षी खेमे की दो सीटों (आजमगढ़ और रामपुर) पर उपचुनाव में भाजपा ने कब्जा कर लिया था, फिर भी इस चुनाव में इन दोनों सीटों पर भी कड़ी चुनौती मिलने की संभावना को देखते हुए खास तैयारी की गई है।

दरअसल 2014 के चुनाव में 71 सीटें जीतने वाली भाजपा को 2019 में 62 सीटें ही पा सकी थी। हालांकि 2014 की तुलना में 2019 में भाजपा के वोट शेयर में वृद्धि हुई। सहयोगी अपना दल (एस) की सीटों को मिलाकर एनडीए ने कुल 64 सीटें जीती थीं। इसलिए भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि 2024 के चुनाव में भाजपा को विपक्ष के कब्जे वाली सीटों के अलावा उन सात सीटों पर भी कड़ी चुनौती मिल सकती है, जिन पर भाजपा की जीत का अंतर 15 हजार से कम था। इसलिए चुनौती वाली सीटों के लिए भाजपा ने अलग से रणनीति तैयार की है।

बदले सियासी समीकरण को साधने की भी कोशिश
इस बार के चुनाव में भाजपा बदले हुए सियासी समीकरण को भी जीत का हथियार बनाने की कोशिश में है। 2019 में सपा, बसपा और रालोद मिलकर चुनाव लड़े थे और 15 सीटें जीती थीं। पर, इस बार बसपा अपने बल पर अकेले चुनाव मैदान में है। जबकि रालोद एनडीए का हिस्सा हो चुका है। इस बदलाव को देखते हुए भी भाजपा ने हारी सीटों को जीतने के साथ ही कम अंतर से जीत वाली सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की रणनीति तैयार किया है। इन सीटों पर अलग से एक-एक प्रचारकों को लगाया गया है। साथ ही मंत्रियों को भी सीटों की जिम्मेदारी दी गई है।