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दबंगों, सूरमाओं और दलबदलुओं के बीच नई पौध, बसपा तय करेगी समीकरण

लखनऊ:  होली दस्तक दे रही है। होरियारी खुमारी में चुनावी शहनाई भी बज गई है। चुनावी पिचकारी की बौछारों से अवध के आंगन में सतरंगी नजारे हैं। यहां सियाराम की जय जयकार है, तो लोकतंत्र के उत्सव में चल रही शह-मात की बयार है। सुल्तानपुर में मां मेनका गांधी के टिकट पर बेटा वरुण गांधी पर मगजमारी, तो कैसरगंज में ब्रजभूषण शरण सिंह की सीट पर कई विधायकों की दावेदारी है।

यहां दबंग हैं। दलबदलू हैं। परिवारवादी हैं, तो सियासत के मास्टर राजनाथ सिंह और स्मृति जूबिन इरानी भी हैं। परिवारवाद के उलाहने हैं, अमृत महोत्सव की खुमारी है, लेकिन कौशल किशोर (पत्नी विधायक) और रितेश पांडेय (पिता विधायक) कई बड़ों पर पड़े भारी हैं। एक दल में होने के बावजूद कीर्तिवर्धन सिंह और ब्रजभूषण शरण सिंह के बीच दिल न मिलने की चर्चा जुबान-जुबान पर तारी है, तो श्रावस्ती से साकेत मिश्र (भाजपा), गोंडा से श्रेया वर्मा (सपा) और बाराबंकी से तनुज पुनिया (कांग्रेस) अवध की सियासत की होनहार तैयारी हैं।

बाराबंकी में उपेंद्र सिंह रावत से जुड़े अश्लील वीडियो का शोर है, तो वीडियो वायरल कराने के शक में होशियार दावेदार पर उल्टा पड़ा रौब है। रायबरेली, कैसरगंज और सुल्तानपुर के लिए सपा-भाजपा-कांग्रेस के टिकट में पहले आप-पहले आप का अनकहा जाप है तो भाजपा के लिए सीतापुर से राजेश वर्मा, मिश्रिख से अशोक सिंह रावत, अयोध्या से लल्लू सिंह फिर निर्विवाद निकले खास हैं। सपा ने बहराइच में पड़ोसी जिले गोंडा के रमेश गौतम से लड़ाई साधी है, तो अयोध्या सामान्य सीट पर दलित समाज के 79 वर्षीय अवधेश प्रसाद उसकी उम्मीदों की आखिरी लाठी हैं।

चुनावी उत्सव का एलान होने के बाद
लोगों की टकटकी भाजपा, सपा-कांग्रेस के बकाया उम्मीदवारों पर तो है ही, सबकी नजर गणित बनाने से ज्यादा बिगाड़ने में माहिर बसपा वालों पर है।

बसपा सभी 80 सीटों पर खुद ही लड़ेगी चुनाव…
कोआर्डिनेटरों के स्तर से सहित कई सीटों पर संभावित प्रत्याशियों की घोषणा शुरू करवा दी गई है। लेकिन बसपा सुप्रीमो की ओर से अधिकृत उम्मीदवारों के एलान का इंतजार है। बसपा के उम्मीदवारों से तय होगा कि अवध में किस सीट पर लड़ाई आमने-सामने वाली होगी या त्रिकोणीय।

‘उनका दावा बेबुनियाद, मैं सोनिया गांधी से मिला भी नहीं’, राहुल के बयान पर बिगड़े भाजपा नेता

राहुल गांधी के दावे पर महाराष्ट्र भाजपा के नेता अशोक चव्हाण ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो दावा कर रहे हैं, वो बेबुनियाद है और वह सोनिया गांधी से नहीं मिले थे। अशोक चव्हाण ने बीते दिनों ही कांग्रेस की सदस्यता छोड़कर भाजपा का सदस्यता ली थी। रविवार को मुंबई की रैली के दौरान राहुल गांधी ने बिना किसी का नाम लिए दावा किया था कि ‘महाराष्ट्र के एक नेता ने उनकी मां के सामने रोते हुए कहा था कि उन्हें शर्म आती है कि वे इस ताकत से नहीं लड़ सकते और वह जेल नहीं जाना चाहते।’

अशोक चव्हाण ने जारी किया वीडियो संदेश
राहुल गांधी के इस बयान को अशोक चव्हाण से जोड़कर देखा गया क्योंकि हाल ही में वही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं और आदर्श हाउसिंग घोटाले में उनका भी नाम शामिल है। अशोक चव्हाण ने सोमवार को एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘राहुल गांधी ने रविवार को एक रैली में बयान दिया और किसी का नाम नहीं लिया, अगर वह मेरे बारे में ऐसा कह रहे हैं तो यह अतार्किक और बेबुनियाद है। सच तो यह है कि कांग्रेस से इस्तीफा देने तक मैं पार्टी मुख्यालय में काम कर रहा था। मैंने विधायक पद से इस्तीफा दिया और कुछ देर बाद पार्टी से भी इस्तीफा दे दिया। तब तक किसी को नहीं पता था कि मैंने इस्तीफा दे दिया है।’

चव्हाण ने कहा, ‘मैं सोनिया गांधी से नहीं मिला। यह कहना बेबुनियाद है कि मैंने सोनिया गांधी से मुलाकात की और अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। यह चुनाव के दृष्टिकोण से दिया गया एक राजनीतिक बयान है।’ भाजपा ने चव्हाण को राज्यसभा चुनाव में महाराष्ट्र से टिकट दिया जहां से वह राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए।

मुंबई की रैली में राहुल गांधी ने कही ये बातें
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का रविवार को समापन हो गया। यात्रा के समापन पर विपक्षी गठबंधन की रैली हुई, जिसमें विपक्षी गठबंधन के कई नेता शामिल हुए। इस दौरान राहुल गांधी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘हम एक शक्ति से लड़ रहे हैं। अब सवाल ये उठता है कि शक्ति क्या है। राजा की आत्मा ईवीएम, ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग में बसती है।

हिमाचल प्रदेश के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से झटका, स्पीकर के फैसले पर रोक लगाने से इनकार

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर के उस फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों को वोट देने और विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने की इजाजत भी नहीं दी है।

इन विधायकों को ठहराया गया अयोग्य
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने दल-बदल विरोधी कानून के तहत कांग्रेस के छह विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। अयोग्य घोषित किए गए विधायकों ने पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान किया। जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया, उनमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, रवि ठाकुर, इंद्रदत्त लखनपाल, चैतन्य शर्मा का नाम शामिल है।

राज्यसभा चुनाव में हुई थी कांग्रेस की हार
बागी विधायकों की क्रॉस वोटिंग के चलते 40 विधायकों वाली कांग्रेस को 25 सीटों वाली भाजपा के सामने राज्यसभा सीट गंवानी पड़ी थी। बागी विधायकों के खिलाफ विधायी मामलों के मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बागी विधायकों के खिलाफ याचिका दायर कर उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग की थी क्योंकि उन्होंने पार्टी के व्हिप का उल्लंघन किया। स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया तो स्पीकर के फैसले के खिलाफ विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां से भी उन्हें निराशा हाथ लगी है। अब इन बागी विधायकों की सीटों पर उपचुनाव से राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार का भी भविष्य तय होगा।

डीजीपी के हटाए जाने के बाद भड़की टीएमसी, चुनाव आयोग की कार्रवाई को लेकर भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप

लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के डीजीपी रजीव कुमार को हटाने का आदेश दिया है। इस पर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने भाजपा पर चुनाव आयोग को नियंत्रित करने का आरोप लगाया है।

भाजपा को डर: कुणाल घोष
एक प्रेस कॉन्फेरेंस को संबोधित करते हुए टीएमसी महासचिव कुणाल घोष ने दावा किया कि भाजपा को राज्य में लोकसभा सीटें खोने का डर सता रहा है। लोकसभा चुनाव मं समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने सोमवार को गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के गृह सचिवों को हटाने का आदेश दिया। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के डीजीपी को भी हटाने का आदेश दिया गया।

कुणाल घोष ने आगे कहा, “भाजपा, चुनाव आयोग समेत सभी संस्थानों का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रही है। वे भर्ती पैनलों में बदलाव करके चुनाव आयुकतों की नियुक्ति में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं। आज जो कदम उठाया गया है, वह चुनाव आयोग पर भाजपा के नियंत्रण का एक स्पष्ट उदाहरण है।”

उन्होंने आगे कहा, “भाजपा ऐसे 100 अधिकारियों को बदल दें, इससे फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि बंगाल की जनता ममता बनर्जी के साथ है।” पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों पर सात चरणों में चुनाव होगा। मतदान 19 अप्रैल को शुरू होगा और परिणाम चार जून को जारी किया जाएगा।

पीआरएस पर अपडेट हुई वंदे भारत एक्सप्रेस, टिकटों की बुकिंग शुरू; जानिए लखनऊ तक का किराया

देहरादून-लखनऊ-देहरादून वंदे भारत एक्सप्रेस का नियमित संचालन 26 मार्च से शुरू हो जाएगा। रविवार को रेलवे की वेबसाइट, मोबाइल एप और पीआरएस (पब्लिक रिजर्वेशन सिस्टम) पर इस सेमी हाई स्पीड ट्रेन को अपडेट करते हुए टिकटों की बुकिंग भी शुरू कर दी गई है। यह ट्रेन देहरादून-लखनऊ के बीच 590 किमी की यात्रा 8:10 घंटे में पूरी करेगी।

पहले दिन रविवार को बरेली से लखनऊ, हरिद्वार और देहरादून के टिकट ज्यादा बिके हैं। 26 से 31 मार्च तक ट्रेन की दोनों श्रेणियों में सीटें उपलब्ध हैं। 22545/22546 देहरादून-लखनऊ-देहरादून वंदे भारत का संचालन सोमवार को छोड़कर सप्ताह में छह दिन किया जाएगा। मुख्य वाणिज्य निरीक्षक राकेश सिंह ने बताया कि वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रा के लिए यात्री ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से टिकट प्राप्त कर सकते हैं।

किराया ज्यादा लेकिन समय की होगी बचत
वंदे भारत एक्सप्रेस की एसी चेयरकार में देहरादून से लखनऊ का किराया 1,480 रुपये है। एक्जीक्यूटिव श्रेणी में देहरादून-लखनऊ के बीच सफर के लिए 2,715 रुपये देने होंगे। बरेली-लखनऊ के बीच एसी चेयरकार में यात्रा के लिए 910 रुपये और एक्जीक्यूटिव श्रेणी में 1,585 रुपये किराया लगेगा। बरेली-देहरादून का किराया 1,015 और 1,800, बरेली-हरिद्वार का 840 और 1,555, बरेली-मुरादाबाद के बीच एसी चेयरकार में यात्रा के लिए 455 और एक्जीक्यूटिव श्रेणी में 840 रुपये किराया देना होगा।

देहरादून-लखनऊ के बीच कुंभ एक्सप्रेस में एसी प्रथम श्रेणी का किराया 2,155 रुपये है। यह ट्रेन 10:40 घंटे में यात्रा पूरी करती है। राप्ती-गंगा एक्सप्रेस का किराया 2,075 रुपये है। यह ट्रेन 11:10 घंटे में यात्रा पूरी करती है। जनता एक्सप्रेस का एसी प्रथम श्रेणी का किराया 2,075 रुपये है। यह ट्रेन 14:20 घंटे में यात्रा पूरी करती है। वंदे भारत एक्सप्रेस यह यात्रा 8:10 घंटे में पूरी करेगी।

चुनाव ने खड़े किये 360 से ज्यादा स्टार्टअप, इस बार बड़े स्तर पर हो रहा है AI का इस्तेमाल

भारत जैसे विशाल देश में औसतन हर छह महीने में कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। लोकसभा चुनाव में डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपये तक खर्च होने का अनुमान है। पंचायत, नगर निगम और विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक में हर साल औसतन 70 हजार करोड़ रुपये खर्च होते हैं। चुनाव प्रबंधन से जुड़े नौ एक्सपर्ट के मुताबिक कंपनियों के बिजनेस के लिहाज से चुनाव का सालाना बाजार कम से कम 45 हजार करोड़ रुपये का है। यानी 70 हजार करोड़ की इस राशि में सबसे बड़ा हिस्सा चुनाव प्रचार का है।

एआई ने आसान कर दिया कनेक्शन
इस चुनाव में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल पहली बार हो रहा है। सामान्य सेवाओं के एवज में एआई की सेवाएं पांच गुना महंगी हैं, लेकिन इनकी पहुंच और मतदाता से कनेक्शन ज्यादा प्रभावी है। हर मतदाता के साथ व्यक्तिगत रूप से जुड़ने का सबसे सशक्त माध्यम एआई हो गया है। इनका इस्तेमाल तीन हिस्सों में सबसे ज्यादा हो रहा है।

वॉयस क्लोनिंग : नेता की आवाज क्लोन की जाती है। फिर मतदाता या जिससे भी संपर्क करना हो, उसका नाम लेकर नेताजी बात करते हैं। इसे पर्सनलाइज कन्वेसिंग कहते हैं। कॉल सेंटर से फोन का खर्च 30 पैसे प्रति मिनट आता है। एआई सेंटर से यह खर्च डेढ़ रुपये प्रति मिनट तक है।

वीडियो क्लोनिंग : दक्षिण भारत में हाल ही में विधानसभा चुनावों में तीन भाषण इसी तकनीक से दिए गए। फिर इसे अन्य राज्य के नेताओं ने भी आजमाया। इसके लिए नेता के वीडियो और ऑडियो की क्लिपिंग लेकर एआई हावभाव का अध्ययन करता है। फिर नेता की एआई इमेज तैयार की जाती है। इस इमेज के जरिये मनचाहा भाषण दिया जा सकेगा। ये तकनीक सोशल मीडिया से प्रचार के लिए बेहद कारगर है। एक एआई इमेज का खर्च 5 लाख से एक करोड़ रुपये तक है।

कार्यकर्ताओं के लिए : अपने नेता के साथ अपनी फोटो लगाकर वायरल करने का कार्यकर्ताओं में क्रेज होता है। इससे वे पार्टी के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं। नेता के साथ सेल्फी लेने से चुनावी प्रचार में ऊर्जा मिलती है। इसका रास्ता भी एआई ने निकाल दिया है। क्रिएटिव टूल के जरिये एक क्लिक पर दस से ज्यादा बैकग्राउंड तैयार हो जाते हैं। कार्यकर्ताओं में यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय है और खर्च भी एक हजार रुपये महीना ही है।

आज दुनिया देखेगी बरसाना की लठामार होली, मथुरा की गलियों में अगले महीने तक छाया रहेगा उल्लास

बरसाना के श्रीलाडलीजी मंदिर में लड्डूमार होली हर्षोल्लास के साथ खेली गई। देश विदेश से पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं ने होली का अद्भुत आनंद लिया। बरसाना मंदिर परिसर में नंदगांव और बरसाना गोस्वामी समाज के लोगों ने समाज गायन किया। लठामार होली का निमंत्रण स्वीकार होने के बाद मंदिर परिसर में लड्डू बरसाए गए। सोमवार को बरसाना की रंगीली गलियों में लठामार होली खेली जाएगी।

श्रीलाडली जी मंदिर…बरसाना में उमड़े श्रद्धालुु
दो अप्रैल तक छाया रहेगा होली का उल्लास : 17 मार्च लड्डू होली बरसाना, 18 मार्च लठामार होली बरसाना, 19 मार्च लठामार होली नंदगांव व रावल, 20 मार्च जन्मस्थान, ठा. बांके बिहारी, 21 मार्च को गाेकुल में छड़ीमार होली, 24 मार्च फालैन, 25 मार्च धुल्हेड़ी, 26 मार्च बलदेव, गांव जाब, मुखराई, 27 मार्च बठैन, गिडोह, 31 मार्च महावन, दो अप्रैल रंगजी मंदिर।

द्वारिकाधीश मंदिर…यमुना के प्रतीकात्मक किनारे पर भक्तों संग भगवान की होली
पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के मंदिर द्वारिकाधीश में रविवार को राजाधिराज ने पटरानी के साथ रविवार को यमुना के प्रतीकात्मक किनारे पर बैठकर रजत पिचकारी से जमकर भक्तों पर रंग उड़ेला। मंदिर में पुजारी द्वारा उड़ाए जा रहे रंग और गुलाल में महिला, पुरुष और बच्चे लिपटे नजर आए। यह क्रम 25 मार्च तक प्रतिदिन सुबह राजभोग के दर्शनों में सुबह 10 बजे से 11 बजे तक चलेगा। 20 मार्च को ठाकुरजी कुंज में विराजमान होकर होली खेलेंगे।

राधावल्लभ मंदिर…400 साल पुरानी परंपरा निभाने के लिए 20 को निकलेंगे राधाकृष्ण
ठाकुर राधावल्लभ मंदिर की लगभग 400 साल पुरानी होली की परंपरा का का निर्वाह रंगभरनी एकादशी पर 20 मार्च को होगा। बड़े रासमंडल से प्रिया-प्रियतम राधाकृष्ण के स्वरूप निशानों के साथ अठखंभा पहुंचेंगे। यहां से बग्घी में विराजमान होकर राधाकृष्ण के स्वरूप सखियों के साथ नगर भ्रमण कर ब्रजवासियों को होली के लिए आमंत्रित करेंगे। इस सवारी के बाद से वृंदावन के मंदिरों में रंग की होली की शुरुआत हो जाएगी।

मेटियाब्रुज में पांच मंजिला निर्माणाधीन इमारत ढही, दो की मौत; घटनास्थल पर पहुंचीं सीएम ममता बनर्जी

दक्षिण कोलकाता के मेटियाब्रुज में पांच मंजिला एक निर्माणाधीन इमारत ढह गई है। पश्चिम बंगाल अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं के प्रभारी निदेशक अभिजीत पांडे ने बताया कि बचाव दल मौके पर मौजूद है। पुलिस के आला-अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे हैं। अधिकारी की मानें तो फिलहाल किसी के घायल होने की सूचना नहीं मिली है। बंगाल सरकार में मंत्री सुजीत बोस घटनास्थल का मुआयना करने पहुंचे। उन्होंने बताया कि मलबे में दबकर दो लोगों की मौत हो गई। हालांकि, 13 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। वहीं, कुछ और लोग अब भी मलबे में फंसे हुए है।

10 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला
इससे पहले, समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया था कि कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल ने घटनास्थल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब तक 10 लोगों को बचा लिया गया है। लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है, इसी वजह से तलाशी अभियान अब भी जारी है। मौके पर एंबुलेंस तैनात कर दी गईं। वहीं, एक स्थानीय निवासी ने बताया कि निर्माणाधीन इमारत में कोई नहीं रहता था। लेकिन इमारत बगल की झुग्गियों पर गिर गई। हमें डर है कि अब भी मलबे के नीचे लोग फंसे हो सकते हैं।

नेता प्रतिपक्ष ने भी किया ट्वीट
बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि हजारी मोल्ला बागाना, मेटियाब्रुज में एक पांच मंजिला इमारत गिर गई। कोलकाता मेयर फिरहाद हकीम का गढ़ है। उन्होने बताया कि प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर मौजदू हैं और साथ ही आपदा प्रबंधन टीम भी घटनास्थल पर मौजूद है।

राज्य सरकार और राज्यपाल फिर आमने-सामने, गवर्नर ने सीएम की सिफारिश मानने से किया इनकार

चेन्नई:  तमिलनाडु में राज्य सरकार और राज्यपाल फिर आमने-सामने आ गए हैं। दरअसल राज्यपाल आरएन रवि ने सीएम स्टालिन की सिफारिश के बावजूद विधायक पद पर बहाल हुए के पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ दिलाने से इनकार कर दिया है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में के पोनमुडी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था और उनकी विधायकी भी चली गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा पोनमुडी की सजा पर रोक लगाने के बाद राज्यपाल ने उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाने से इनकार कर दिया है।

राज्यपाल ने सीएम स्टालिन की सिफारिश मानने से किया इनकार
के पोनमुडी की विधायकी बहाल होने के बाद सीएम स्टालिन ने राज्यपाल आरएन रवि को चिट्ठी लिखी, जिसमें पोनमुडी को फिर से मंत्रीपद की शपथ दिलाने की सिफारिश की गई। इस चिट्ठी के जवाब में राज्यपाल ने रविवार को राज्य सरकार को चिट्ठी भेजी, जिसमें उन्होंने लिखा कि वह के पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ नहीं दिला सकते क्योंकि पोनमुडी की दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई है।

बता दें कि डीएमके के वरिष्ठ नेता के पोनमुडी और उनकी पत्नी विसालक्षी के खिलाफ विजिलेंस और भ्रष्टाचार रोधी निदेशालय ने मुकदमा दर्ज किया था। पोनमुडी डीएमके की मौजूदा सरकार में उच्च शिक्षा और खनन मंत्री थे। निचली अदालत ने पोनमुडी को बरी कर दिया था, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट गया। बीते दिनों मद्रास उच्च न्यायालय ने के पोनमुडी और उनकी पत्नी को दोषी मानते हुए तीन साल कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के चलते के पोनमुडी विधायक पद से अयोग्य घोषित हो गए और उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा।

के. कविता की सुप्रीम कोर्ट में याचिका, दिल्ली शराब घोटाला केस में गिरफ्तारी को दी चुनौती

नई दिल्ली: भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दिल्ली शराब घोटाले में अपनी गिरफ्तारी को लेकर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

के कविता को ईडी ने किया है गिरफ्तार
बीआरएस एमएलसी और तेलंगाना के पूर्व सीएम के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता को शुक्रवार को ईडी ने गिरफ्तार किया है। ईडी ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में हैदराबाद स्थित के कविता के परिसरों पर छापेमारी की और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। के कविता की गिरफ्तारी दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मामले में हुई है।

ईडी का दावा है कि के कविता दिल्ली आबकारी घोटाले में कारोबारियों की साउथ लॉबी से जुड़ी हुईं थी। के कविता की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए बीआरएस के प्रवक्ता ने के कविता की गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताया और दावा किया कि भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे से मिले हुए हैं। ईडी ने के कविता को हैदराबाद स्थित बंजारा हिल्स के घर से गिरफ्तार किया गया और शनिवार को उन्हें दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया।