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माओवादी चरमपंथ प्रभावित जिलों की संख्या 72 से घटकर हुई 58, गृह मंत्रालय ने की समीक्षा

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वामपंथी चरमपंथ (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित 10 राज्यों की व्यापक समीक्षा की है। समीक्षा के दौरान खासतौर पर विशेष वित्त पोषण योजना के तहत आने वाले जिलों के सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) की समीक्षा की गई।

गृह मंत्रालय के मुताबिक, अब देश में माओवादी चरमपंथ प्रभावित जिलों की संख्या 72 से घटकर 58 रह गई है। एलडब्ल्यूई प्रभावित राज्यों व जिलों की समीक्षा के संबंध में गृह मंत्रालय ने इसी सप्ताह प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) को एक पत्र लिखा था, जिसमें बताया गया था कि नया वर्गीकरण एक अप्रैल को नए वित्त वर्ष से प्रभावी होगा। इसके साथ ही पत्र में बताया गया है कि केंद्र व राज्यों की तरफ से सुरक्षा और विकास से संबंधित उठाए जा रहे कदमों की वजह से वामपंथी हिंसा में कमी आई है।

छत्तीसगढ़ के 15 जिले प्रभावित
प्रभावित जिलों को वामपंथी उग्रवाद से समग्र रूप से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति व कार्य योजना के अंतर्गत एसआरई योजना के तहत विभिन्न अनुदान प्रदान किए जाते हैं। समीक्षा के बाद पता चला है कि वामपंथी चरमपंथ प्रभावित जिलों में सबसे अधिक संख्या 15 जिले छत्तीसगढ़ में है। इसके बाद ओडिशा में 7, झारखंड में 5, मध्य प्रदेश में 3 और केरल, तेलंगाना व महाराष्ट्र दो-दो, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश एक-एक जिले प्रभावित हैं। मंत्रालय के मुताबिक इस श्रेणी में उन जिलों को रखा जाता है, जहां वामपंथी हिंसा लगातार बनी हुई है।

किसान के खेत से सीधे खरीदार के घर पहुंचेंगे उत्पाद, पढ़ें पूरी खबर

नई दिल्ली: किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने किसानों के फायदे के लिए एक बड़ा फैसला करते हुए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को डिजिटल कॉमर्स के ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) से जोड़ दिया है। कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने एक्स पर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस फैसले से किसानों के उत्पाद खेत से सीधे खरीदारों के घर डिलीवर हो पाएंगे। मुंडा ने कहा कि सरकार का यह फैसला किसानों की आय बढ़ाने में मददगार होगा।

ई-नाम के जरिये किसान अब तक अपनी फसल को ऑनलाइन बेच सकते थे। अब इसे ओएनडीसी के साथ जोड़े जाने से किसानों को खरीदारों का व्यापाक आधार मिलेगा, खासतौर पर एफपीओ (फॉर्मर प्रड्यूसर ऑर्गनाइजेशन) के साथ यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसानों की उपज खेतों से सीधे लोगों के घर डिलीवर हो सके। मुंडा ने बताया कि ई-नाम पर पंजीकृत किसानों को ओएनडीसी के जरिये सीधे ग्राहकों तक पहुंचने का मौका मिलेगा। ब्यूरो

2016 में हुई थी ई-नाम की शुरुआत
ई-नाम की शुरुआत 14 अप्रैल, 2016 को हुई थी। आज 23 राज्य व 4 केंद्र शासित प्रदेशों के 1,389 थोक बाजार ई-नाम से जुड़े हैं। यहां किसानों की उपज की प्रतिस्पर्धी बोली लगाई जाती है, जिससे किसानों को फसल की अच्छी कीमत मिलती है।

प्राकृतिक नहीं कोविड वायरस, लैब से फैली महामारी; ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का चौंकाने वाला दावा

दुनियाभर में 70 लाख से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले कोविड वायरस को लेकर ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा, वायरस प्राकृतिक नहीं है। एक विशेष उपकरण से वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड वायरस के लैब रिसाव की वजह से दुनिया में फैलने की आशंका 50% है। मूल रूप से प्राकृतिक महामारी और जानबूझकर किए गए जैविक हमलों के बीच अंतर करने के लिए डिजाइन किए गए ग्रुनो-फिन्के टूल (एमजीएफटी) को संशोधित कर वैज्ञानिकों ने कोविड वायरस का विश्लेषण किया। एमजीएफटी को छोटे स्तर के प्रकोपों के लिए तैयार किया गया, जिसे न्यू साउथ वेल्स व जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने संशोधित किया।

टूल का पहली बार कोविड महामारी के लिए इस्तेमाल
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में चल रहे बैट वायरस अनुसंधान के जैविक जोखिम, असामान्य तनाव और महामारी की तीव्रता और गतिशीलता जैसे कारकों को 3, 3 और 2 अंक मिले, जबकि नैदानिक लक्षणों को 2 अंक मिले। स्कोर की गणना करने के लिए प्रत्येक मानदंड को एक भार कारक (1-3) से गुणा किया गया था। इसके आधार पर 50 फीसदी ज्यादा अंतिम स्कोर आया, जो बताता है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक नहीं थी। इस टूल को पहली बार कोविड महामारी के संदर्भ में इस्तेमाल किए जाने को लेकर शोधकर्ताओं ने कहा कि इन नतीजों का दूसरे तरीकों से परीक्षण किया जा सकता है।

व्यापक विश्लेषण किया
वैज्ञानिकों ने सिफारिश करते हुए कहा कि एमजीएफटी एक जोखिम विश्लेषण ढांचा प्रदान करता है। इसे प्राकृतिक और अप्राकृतिक महामारी के बीच अंतर करने के लिए लागू किया जा सकता है और इस उपकरण को महामारी की उत्पत्ति की जांच के लिए टूलसेट में शामिल किया जाना चाहिए। इस अध्ययन में पारंपरिक वायरोलॉजी, महामारी विज्ञान और चिकित्सा कारकों से लेकर स्थितिजन्य और अन्य बुद्धिमत्ता तक के कारकों के आधार पर व्यापक विश्लेषण किया गया है। इसे लेकर वैज्ञानिक काफी हद तक आश्वस्त हैं।

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करते हैं ये पांच योगासन, हाई बीपी और लो बीपी से राहत पाने के लिए करें अभ्यास

रक्तचाप की समस्या से हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप पर लोगों का ध्यान होता है लेकिन तुलना में निम्न रक्तचाप पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है। निम्न रक्तचाप को हाइपोटेंशन कहा जाता है। स्वस्थ जीवन के लिए पौष्टिक खानपान के साथ योगासनों का अभ्यास भी असरदार है। रूटीन में योगासन को शामिल करके निम्न रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। निम्न रक्तचाप में ऐसी स्थिति है, जिसमें किसी शरीर के अंगों में रक्त का प्रवाह अपर्याप्त होता है जिसके परिणामस्वरूप चक्कर आना, बेहोशी, अधिक प्यास लगना, उथली सांस लेना, थकान, सीने में दर्द और मतली जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। बीपी के मरीज हैं तो रोजाना प्राणायाम करना फायदेमंद होता है। हाई बीपी और लो बीपी की समस्या में अलग अलग तरह के योगासनों का अभ्यास किया जाता है। आइए जानते हैं बीपी की समस्या में किए जाने वाले योगासनों के बारे में।

निम्न रक्तचाप में किए जाने वाले योग

सुखासन

इस आसन के अभ्यास के लिए दंडासन की मुद्रा में दोनों पैरों को फैलाकर सीधी स्थिति में बैठ जाएं। अब दाएं पैर को मोड़कर दाहिनी जांघ के अंदर दबा लें। फिर दाएं पैर को मोड़कर बाईं जांघ के अंदर दबाते हुए हथेलियों को घुटनों पर रखें। इस दौरान रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए सीधी मुद्रा में बैठें।

वज्रासन

इस आसन के अभ्यास के लिए भुजाओं को बगल में रखते हुए धीरे धीरे घुटनों को नीचे लाएं और चटाई पर घुटनों के बल बैठ जाएं। पैर की उंगलियों को बाहर की ओर रखते हुए श्रोणि को एड़ी पर रखें। हथेलियों को घुटनों के ऊपर प्रथिमुद्रा में रखें। अब पीठ सीधी करें और आगे देखें। इसी अवस्था में कुछ देर रुके, बाद में सामान्य स्थिति में आ जाएं।

मलासन

इस आसन में भुजाओं को शरीर के बगल में रखकर सीधे खड़े हो जाएं। फिर घुटनों को मोड़ते हुए श्रोणि को नीचे करें और एड़ी के ऊपर रखें। पैर फर्श पर सपाट रहे, फिर हथेलियों को पैरों के पास फर्श पर रखें य़ा छाती के सामने जोड़ सकते हैं। इस अवस्था में रीढ़ की हड्डी सीधी रहनी चाहिए।

वृक्षासन

सीधे खड़े होकर दाहिने पैर को फर्श से उठाएं और शरीर के वजन बाएं पैर पर संतुलित करें। दाहिने पैर को भीतरी जांघ पर रखें। जितना संभव हो कमर के करीब रखें। फिर पैर को अपनी जगह पर लाने के लिए हथेलियों से सहारा दे सकते हैं। संतुलन स्थापित करने के बाद हथेलियों को हृदय चक्र पर प्रणाम मुद्रा में जोड़ें। अब प्रणाम को आकाश की ओर ले जाएं। इस दौरान कोहनियों को सीधा रखें और ध्यान रखें कि सिर भुजाओं के बीच में हो। श्वास पर ध्यान दें। कुछ देर बाद दूसरे पैर से भी दोहराएं।

क्या प्रयोगशाला में रिसाव से फैला था कोरोनावायरस? विशेषज्ञों ने कोरोना की उत्पत्ति को लेकर उठाए सवाल

कोरोना महामारी, वैश्विक स्तर पर पिछले चार साल से अधिक समय से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ है। दिसंबर 2019 में पहली बार नोवेल कोरोनावायरस के मामले चीन में सामने आए और समय के साथ ये दुनियाभर में फैल गया। वर्ल्डोमीटर के आंकड़ों के मुताबिक अब तक कोरोनावायरस 70.42 करोड़ से अधिक लोगों को अपना शिकार बना चुका है, इस वायरस के संक्रमण के कारण 70 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। टीकाकरण और हर्ड इम्युनिटी ने इस वायरस और इसके कारण होने वाली गंभीर समस्याओं के जोखिमों को तो कम कर दिया है, पर म्यूटेटेड वैरिएंट्स के कारण खतरा अब भी बना हुआ है।

कोरोना महामारी की शुरुआत से ये बड़ा सवाल रहा है कि आखिर कोरोना आया कैसे, कहीं ये मानव निर्मित तो नहीं है? इसी से संबंधित एक हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने बड़ा दावा किया है। अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं की टीम ने कहा, कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति प्राकृतिक से कहीं अधिक अप्राकृतिक जान पड़ती है। संभव है कि ये प्रयोगशाला से रिसाव के कारण फैला वायरस हो सकता है। वैज्ञानिकों के इस दावे ने कोरोना के उद्भव को लेकर एक बार फिर से चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है।

एमजीएफटी टूल की ली गई मदद

कोरोना का प्रसार कैसे हुआ ये जानने के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने ग्रुनो-फिन्के टूल (एमजीएफटी) की मदद ली, जिसमें ये जानने की कोशिश की गई कि ये मूल रूप से फैली महामारी थी या फिर जैविक हमला जैसा कुछ। एमजीएफटी उपकरणों का प्रयोग पहले भी वायरस के स्रोतों का पता लगाने के लिए प्रयोग में लाया जाता रहा है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं की टीम ने कई मापदंडों के आधार पर डेटा एकत्रित किया।

क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता?

ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक स्रोत से प्राप्त डेटा और केस हिस्ट्री के आधार पर आंकड़ों का अध्ययन किया। लेखकों ने अपने अध्ययन में लिखा, इस अध्ययन में पारंपरिक वायरोलॉजी, महामारी विज्ञान और चिकित्सा कारकों के साथ इसके डेटा एकत्रित किए गए। सार्स-सीओवी-2 की उत्पत्ति के बारे में बहस काफी हद तक चिकित्सा साक्ष्य पर केंद्रित है, जो अप्राकृतिक महामारी की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण है।

ईद पर घर को सजाना है तो इन बाजारों से ले आएं खूबसूरत होम डेकोर के सामान

रमजान का पाक महीना चल रहा है। इस महीने में इस्लाम धर्म से जुड़े लोग रोजा रखते हैं। अल्लाह की इबादत करते हैं और ईद के चांद दिखने का इंतजार करते हैं। इस बार ईद उल फितर 8 से 10 अप्रैल के बीच मनाई जा सकती है। ईद के मौके पर दोस्त, परिजन, आस पड़ोस के लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और ईद की शुभकामनाएं देते हैं। ईद इस्लाम धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस मौके पर तरह तरह के पकवान बनते हैं। घर पर दावत की जाती है।

ईद की तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं। नए कपड़ों की खरीदारी होने लगी है, जिसे ईद के मौके पर बच्चों से लेकर बड़े पहनकर तैयार हो सकते हैँ। वहीं मेहमान घर आते हैं, इसलिए घर की साफ सफाई और सजावट का काम भी शुरू हो गया है। अगर आप भी ईद के मौके पर घर की खास सजावट करना चाहते हैं तो कुछ सस्ते और खूबसूरत होम डेकोर आइटम्स को घर ले आएं ताकि मेहमान आपके घर की सजो-सजावट देखकर इंप्रेस हो जाएं।

हालांकि त्योहारों में खर्च काफी बढ़ जाता है। इसलिए सजावट का सामान ऐसी जगह से खरीदें, जहां कम पैसों में बहुत ही क्लासी और स्टाइलिश होम डेकोर आइटम्स मिल सकें। दिल्ली अपनी सस्ती बाजारों के लिए मशहूर है। दिल्ली में कई ऐसी बाजारें हैं, जहां घर की सजावट का शानदार सामान कम पैसों में आसानी से मिल सकता है। इस लेख में सजावट के सामान की खरीदारी के लिए सस्ती बाजारों के बारे में जान लीजिए।

हौज रानी बाजार

घर को किसी महल की तरह सजाना है तो दिल्ली के हौज रानी बाजार में आपको एक से बढ़कर एक सजावट का सामान मिल जाएगा। होम डेकोर के सामान के लिए यह बाजार किसी खजाने से कम नहीं है। हौज रानी बाजार साउथ दिल्ली में स्थित है, जहां आपको आसानी से सिरेमिक बर्तन, प्ले, सूप बाउल, टेराकोटा टाॅय, वाॅल हॅंगिंग और बाथरूम एक्सेसरीज आसानी से मिल जाती है। यहां पहुंचने के लिए येलो लाइन से मालवीय नगर जाएं। मेट्रो से कुछ ही दूर पर बाजार है।

सदर बाजार

दिल्ली की सदर बाजार सस्ते और थोक सामान के लिए मशहूर है। ऐसा कोई सामान नहीं जो सदर बाजार में न मिल सके। घर की सजावट का सामान भी आसानी से यहां मिल जाता है। क्लासिक घड़ी से लेकर वाॅल हॅंगिंग, लैंपशेड से लेकर आर्टिफिशियल प्लांट्स तक सब कुछ बेहद किफायती दामों में खरीद सकते हैं। सदर बाजार पहाड़गंज के पास है। राजीव चौक और आरके आश्रम मार्ग के बीच में सदर बाजार पड़ती है, यहां से भी बाजार पहुंच सकते हैं।

पंचकुइयां रोड

घर के लिए अगर आपको फर्नीचर लेना है तो पंचकुइयां रोड एक बार जरूर जाना चाहिए। इस बाजार में आपको लकड़ी का सामान अच्छा मिलेगा। बाजार में छोटी-छोटी दुकानें हैं जहां से आप होम डेकोर का सामान भी आसानी से खरीद सकते हैं। पंचकुइयां बाजार के लिए आरके आश्रम मार्ग मेट्रो स्टेशन उतरना होगा, वहां से रिक्शा लेकर बाजार तक पहुंच सकते हैं।

किडनी-लिवर की 40 फीसदी बीमारियों के लिए ये हैं दो प्रमुख कारण, ज्यादातर भारतीय इसके शिकार

किडनी और लिवर हमारे शरीर के दो सबसे प्रमुख अंग हैं। किडनी जहां रक्त को फिल्टर करके उससे अपशिष्टों को बाहर निकालने, शरीर में रसायनों-द्रव के संतुलन को ठीक रखने में मदद करती है, वहीं लिवर रक्त में अधिकांश रासायनिक स्तरों को नियंत्रित करता है और पित्त नामक उत्पाद का उत्सर्जन करता है। भोजन के पाचन को ठीक रखने में भी लिवर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शरीर को स्वस्थ रखने और विषाक्तता को दूर करने के लिए इन दोनों अंगों का ठीक रहना जरूरी है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पिछले कुछ वर्षों में जिन अंगों से संबंधित बीमारियों को सबसे ज्यादा बढ़ते देखा गया है, किडनी-लिवर उनमें से एक हैं। लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के अलावा बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता और धूम्रपान-शराब की आदत को इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है।

धूम्रपान-शराब का सेवन सबसे खतरनाक

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, किडनी और लिवर दोनों की बढ़ती समस्याओं के लिए धूम्रपान-शराब पीने की आदत को जोखिम कारक पाया गया है, ये इन दोनों अंगों की 40 फीसदी से अधिक बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। भारतीय आबादी में बड़ी संख्या में लोग इस गड़बड़ आदत के शिकार हैं। किडनी और लिवर की दिक्कतें न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं, साथ ही इसके जानलेवा दुष्प्रभावों का भी खतरा रहता है, इसलिए जरूरी है कि इस आदत से समय रहते दूरी बना लिया जाए।

धूम्रपान से होने वाले नुकसान

धूम्रपान, किडनी-लिवर दोनों अंगों को कई तरह से गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। इतना ही नहीं इससे किडनी के कैंसर का जोखिम भी बढ़ सकता है। धूम्रपान आपके हृदय और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे किडनी में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है और किडनी की दिक्कतें भी बढ़ सकती हैं। इसी तरह से धूम्रपान करने वाले लोगों के लिवर में वसा के निर्माण और लिवर में सूजन का भी खतरा अधिक देखा जाता रहा है। इस तरह के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए धूम्रपान छोड़ना एक प्रभावी तरीका हो सकता है।

शराब से हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

धूम्रपान की ही तरह से शराब के कारण भी लिवर-किडनी से संबंधित गंभीर बीमारियों के विकसित होने का जोखिम रहता है। अल्कोहल का अधिक सेवन करने वाले लोगों में समय के साथ लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारी के विकसित होने का खतरा हो सकता है। लिवर की ही तरह शराब के कारण किडनी पर भी नकारात्मक असर हो सकता है। अत्यधिक शराब के सेवन से किडनी में तरल पदार्थ, इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बाधित हो सकता है। शराब पीने वाले लोग किडनी से संबंधित कई गंभीर समस्याओं के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

क्या चुनाव की वजह से टल जाएगी कल्कि 2898 एडी की रिलीज? मेकर्स करेंगे रणनीति पर मंथन

प्रभास की फिल्म कल्कि 2898 इन दिनों लगातार चर्चा में बनी हुई है। फैंस को इस फिल्म का लंबे समय से इंतजार है। मेकर्स इस फिल्म को तय समय पर रिलीज करने के लिए पिछले कई दिनों से लगातार मेहनत कर रहे थे। हालांकि, अब इस फिल्म को लेकर एक नया अपडेट सामने आया है

बदल सकती है रिलीज डेट
लोकसभा चुनाव के एलान के बाद अब फिल्म की रिलीज पर संकट के बादल घिरते नजर आ रहे हैं। दरअसल, आम चुनाव की घोषणा के बाद से ही आंध्र प्रदेश की राजनीतिक माहौल गरमा गया है। राज्य में 13 मई को चुनाव होने हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनावी तारीख के एलान के बाद आईपीएल को दुबई में स्थानांतरित करने की बात चल रही है। वहीं, कल्कि को लेकर ऐसी चर्चा है कि इस फिल्म के निर्माता इसकी रिलीज डेट को नौ मई से आगे बढ़ा सकते हैं।

मीटिंग में मेकर्स करेंगे तय
कई मौकों पर फिल्म के मेकर्स इस बारे में बता चुके हैं कि कल्कि 2898 एडी की रिलीज डेट में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन रिपोर्ट्स के दावों के मुताबिक आंध्र प्रदेश के मौजूदा चुनावी माहौल को देखते हुए निर्माता कोई जोखिम उठाने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। खबर है कि आज रात (16 मार्च) को एक मीटिंग में फिल्म की रिलीज डेट पर मेकर्स चर्चा करेंगे। कल्कि 2898 एडी की बात करें तो फिल्म में प्रभास के अलावा दीपिका पादुकोण, अमिताभ बच्चन और कमल हासन जैसे सितारे नजर आने वाले हैं। फिल्म का निर्देशन नाग अश्विन ने किया है।

एआर रहमान ने संगीत में एआई के इस्तेमाल को ठहराया सही, बोले- इसे एक टूल की तरह इस्तेमाल करें

दिग्गज संगीतकार एआर रहमान ने रजनीकांत की फिल्म ‘लाल सलाम’ के ऑडियो म्यूजिक में दो दिवंगत गायकों की आवाज का इस्तेमाल किया। उन्होंने गायक बंबा बाक्या और शाहुल हमीद की आवाजों को एआई की मदद से रिक्रिएट किया। नई तकनीक का इस्तेमाल कर पुरानी यादें ताजा करने के रहमान के प्रयास की कुछ लोगों ने खूब तारीफ की। लेकिन, इसे लेकर एआर रहमान की काफी आलोचना भी हुई। मामले ने काफी तूल पकड़ा। अब इस मामले में एआर रहमान ने अपना बचाव किया है।

बोले- नौकरियों पर खतरा नहीं
तमाम लोगों ने एआर रहमान पर आरोप लगाए कि उन्होंने ऐसा कदम उठाया है, जिससे कई लोगों की नौकरी जा सकती है। हाल ही में ‘द गोट लाइफ’ के म्यूजिक लॉन्च के दौरान ए आर रहमान ने मीडिया से म्यूजिक इंडस्ट्री में एआई के आगमन का बचाव कते हुए कहा कि एआई को नौकरियों पर खतरे की बजाय इसे आगे बढ़ने के लिए एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

‘समय की होगी बचत’
एआर रहमान ने आगे कहा, ‘टेक्नोलॉजी में हर दिन एक सरप्राइज सामने आ रहा है और यह निश्चित रूप से अचानक नहीं है। मुझे याद है जब मैंने 1984 में एक कंप्यूटर खरीदा था, तो सभी ने सोचा था कि हम सभी अपनी नौकरियां खोने वाले हैं। इसी तरह यह है। इसे आप जितना ज्यादा सुनेंगे, इसका अस्तित्व दिखेगा। मुझे लगता है कि एआई का इस्तेमाल आगे बढ़ने में किया जा सकता है’। एआर रहमान ने कहा, ‘एआई के जरिए हम आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का उत्थान कर सकते हैं। कला और विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिभाओं को शिक्षित और पोषित कर सकते हैं। उनके पास अब एआई जैसे टूल्स मौजूद हैं, ऐसे में उन्हें कई वर्षों तक अध्ययन में जुटे रहने की जरूरत नहीं है।

‘एनिमल’ की आलोचना पर संदीप वंगा के तंज पर जावेद अख्तर का पलटवार, बोले- ‘बहुत ही शर्म की बात है’

बीते वर्ष दिसंबर में आई रणबीर कपूर अभिनीत और संदीप रेड्डी वंगा के निर्देशन में बनी फिल्म ‘एनिमल’ ने बॉक्स ऑफिस हिलाकर रख दिया। इस फिल्म ने कमाई के तमाम रिकॉर्ड तोड़ डाले। लेकिन, डायलॉग और हिंसक दृश्यों को लेकर इस फिल्म की आलोचना भी कम नहीं हुई। आलोचना करने वालों में एक नाम मशहूर गीतकार-कवि जावेद अख्तर का भी शामिल है। उन्होंने इस फिल्म की सफलता को ‘खतरनाक’ करार दिया था। तब संदीप रेड्डी वंगा ने भी तंज कसा था, जिसके जवाब में एक बार फिर जावेद अख्तर ने अपनी चुप्पी तोड़ी है।

यहां से शुरू हुआ था विवाद!
जावेद अख्तर ने एक बातचीत के दौरान ‘एनिमल’ की सफलता को ‘खतरनाक’ बताते हुए इसे महिला विरोधी फिल्म कहा था। इसके बाद संदीप रेड्डी वंगा ने जावेद अख्तर के बेटे और निर्माता-निर्देशक फरहान अख्तर के प्रोडक्शन में बनी ‘मिर्जापुर’ को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया था। अब एक बार फिर जावेद अख्तर ने निर्देशक वंगा पर निशाना साधा है। जावेद अख्तर ने कहा है कि संदीप रेड्डी वंगा उनके 53 साल के करियर में एक भी गलती नहीं निकाल पाए, इसलिए उन्हें उनके बेटे फरहान के ऑफिस में जाना पड़ा’।

क्यों कही शर्म की बात?
जावेद अख्तर ने कहा, ‘जब संदीप रेड्डी वंगा ने मुझे जवाब दिया तो मुझे सम्मानित महसूस हुआ। मेरे 53 साल के करियर में उन्हें एक भी फिल्म, एक स्क्रिप्ट, एक सीन, एक डायलॉग, एक गाना नहीं मिल सका, जिसमें कमी निकाल सकें। इसलिए उन्हें मेरे बेटे के ऑफिस में जाना पड़ा और एक टीवी शो ढूंढना पड़ा, जिसमें न तो फरहान ने अभिनय किया, न ही निर्देशन किया और न ही लिखा’। जावेद अख्तर ने आगे कहा, ‘फरहान की कंपनी ने ‘मिर्जापुर’ का निर्माण किया है। आजकल एक्सेल जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां बहुत सारी चीजें तैयार कर रही हैं तो उनमें से एक यह भी है। उन्होंने इसका जिक्र किया। इसने मुझे अंत तक खुश नहीं किया। मेरे 53 साल के करियर में आप कुछ भी नहीं निकल पाए? कितनी शर्म की बात है’।