Friday , October 25 2024

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चंद्रयान-3 के बाद भारत ने रचा एक और इतिहास, मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर पहुंचा आदित्य एल-1

चांद पर उतरने के बाद भारत ने एक और इतिहास रच दिया है। सूर्य मिशन पर निकले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के आदित्य एल-1 ने अपनी मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) पर पहुंच कर एक कीर्तिमान हासिल किया है। इसी के साथ आदित्य-एल 1 अंतिम कक्षा में भी स्थापित हो गया। यहां आदित्य दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा। भारत के इस पहले सूर्य अध्ययन अभियान को इसरो ने 2 सितंबर को लॉन्च किया था।

पीएम मोदी ने किया ट्वीट
इसरो की इस सफलता पर पीएम मोदी ने भी खुशी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट कर इसरो की सराहना करते हुए लिखा कि ‘भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई। सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। यह असाधारण उपलब्धि सराहना योग्य है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे। उन्होंने आगे कहा कि वह इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में देश के साथ शामिल हैं।

क्या है एल-1 प्वाइंट
एल-1 प्वाइंट के आसपास के क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बीच मौजूद पांच स्थानों में से एक है, जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता है। मोटे तौर पर ये वे स्थान हैं, जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन बनाती है। पृथ्वी और सूर्य के बीच इन पांच स्थानों पर स्थिरता मिलती है, जिससे यहां मौजूद वस्तु सूर्य या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है।

एल-1 बिंदु पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का केवल 1 फीसदी है। दोनों पिंडों की कुल दूरी 14.96 करोड़ किलोमीटर है। इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ घूमेगा।

उत्सकुता से देख रही दुनिया
इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया में उत्सुकता से देखा जा रहा है, क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन करेंगे और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डाटा मुहैया कराएंगे, जिससे सभी सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन कर पाएंगे। अंतरिक्ष यान में एक कोरोनोग्राफ है, जो वैज्ञानिकों को सूर्य की सतह के बहुत करीब देखने और नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सौर और हेलिओस्फेरिक वेधशाला (एसओएचओ) मिशन के डाटा को पूरक डाटा मुहैया कराएगा। क्योंकि, आदित्य एल-1 अपनी स्थिति में स्थित एकमात्र वेधशाला है।

18 सितंबर से शुरू कर दिया काम
शुक्रवार को आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में सफर करते हुए 126 दिन पूरे हो गए। अपनी यात्रा शुरू करने के 16 दिन बाद यानी 18 सितंबर से आदित्य ने वैज्ञानिक डाटा एकत्र करना और सूर्य की इमेजिंग शुरू कर दी थी। वैज्ञानिकों को अब तक एल-1 से सौर ज्वालाओं के हाई-एनर्जी एक्स-रे, फुल सोलर डिस्क इमेज मिल चुके हैं। पीएपीए और एएसपीईएक्स के सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर सहित चार उपकरण फिलहाल सक्रिय हैं और अच्छी तरह से काम कर रहे हैं। हेलो आर्बिट में पहुंचने के बाद सूईट पेलोड सबसे पहले सक्रिय होगा।

सात पेलोड हैं तैनात
आदित्य पर सात वैज्ञानिक पेलोड तैनात किए गए हैं। इनमें विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (वीईएलसी), सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (सूइट), सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (सोलेक्सस), हाई-एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (हेल1ओएस) शामिल हैं, जो सीधे तौर पर सूर्य को ट्रैक करें। वहीं, तीन इन-सीटू (मौके पर) मापने वाले उपकरण हैं, जिनमें आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीईएक्स), प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए), और एडवांस थ्री डाइमेंशनल हाई रिजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (एटीएचआरडीएम) शामिल हैं।

प्रदेश अध्यक्ष बोले, जनता की समस्याओं को लेकर निरंतर संघर्ष जारी रहेगा

कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय के नेतृत्व में सहारनपुर से निकली यूपी जोड़ो यात्रा में शनिवार को जबरदस्त उत्साह दिखा। लखनऊ के स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ प्रदेश भर से जुड़े कांग्रेस नेताओं ने रकाबगंज से यात्रा की शुरुआत की। नाका, बांस मंडी होते हुए यात्रा चारबाग पहुंची।

इस दौरान हुई सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि जनता के हितों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष जारी रहेगा। यात्रा के जरिए भाजपा को यह एहसास कराया गया है कि जनहित की अनदेखी करने का खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सहारनपुर से लखनऊ तक पहुंची पैदल यात्रा में हर जगह पार्टी नेताओं के साथ ही आम जनता ने भी स्वागत किया है। यह स्वागत बता रहा है कि जनता भाजपा के शासन से ऊब चुकी है और बदलाव चाहती है।

बिना प्रोटोकॉल स्पर्श दर्शन कराना दरोगा को पड़ा भारी, अब वेतन से होगी कटौती

काशी विश्वनाथ मंदिर में बिना प्रोटोकॉल पांच श्रद्धालुओं को स्पर्श दर्शन कराने वाले चौक थाने के उप निरीक्षक आशीष सिंह के वेतन से बतौर सुगम दर्शन शुल्क 1500 रुपये की कटौती की जाएगी। मंदिर के एसडीएम शंभू कुमार ने पुलिस आयुक्त को पत्र भेजकर पांच व्यक्तियों के प्रोटोकॉल टिकट की धनराशि 1500 रुपये दरोगा के वेतन से कटौती कर मंदिर न्यास के खाते में जमा कराने का अनुरोध किया है।

एसडीएम के इस पत्र के बाद पुलिस महकमे में हलचल है और दबी जुबान से मंदिर प्रशासन के नए प्रोटोकॉल व्यवस्था की चर्चा है। मंदिर प्रशासन की ओर जारी पत्र में कहा गया है कि एक जनवरी 2024 से मंदिर प्रशासन ने दर्शन-पूजन के लिए प्रोटोकॉल की नई व्यवस्था लागू हो गई है। मगर, चार जनवरी को चौक थाने में तैनात दरोगा आशीष सिंह ने नियमों की अवहेलना करते हुए बिना किसी प्रोटोकॉल पर्ची या सुगम दर्शन टिकट के पांच व्यक्तियों को गर्भगृह में ले जाकर स्पर्श कराया।

इस स्थिति में आम जनमानस और प्रोटोकॉल टिकट धारी दर्शनार्थियों में रोष का हवाला भी दिया गया। एसडीएम के पत्र में पुलिस आयुक्त से अनुरोध किया गया है कि पांच व्यक्तियों के प्रोटोकॉल टिकट की धनराशि 15 सौ रुपये दरोगा के वेतन से कटौती कर अर्थदंड लगाते हुए मंदिर न्यास के खाते में जमा कराएं।

क्या है नया नियम
एक जनवरी 2024 से मंदिर प्रशासन ने दर्शन पूजन के लिए प्रोटोकॉल की नई व्यवस्था लागू करते हुए 87 लोगों को ही निशुल्क प्रोटोकॉल के योग्य माना है। इसके अलावा किसी भी व्यक्ति के दर्शन पूजन के लिए न्यास अध्यक्ष, कार्यपालक समिति के अध्यक्ष, कार्यपालक समिति के सचिव की सहमति से पात्र का चयन करने का नियम पारित हुआ है। नए नियमों में पुलिस विभाग में अपर पुलिस अधीक्षक और प्रशासन में अपर जिलाधिकारी स्तर तक के अधिकारियों को वीआईपी श्रेणी में रखा गया है। मगर, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी प्रोटोकॉल के पात्र व्यक्ति के चयन का अधिकार नहीं किया गया है।

गेट नंबर चार से हटवाया पुलिस का बूथ

एक जनवरी 2024 से पहले पुलिस के अधिकारियों की ओर से भेजे जाने वाले अतिथियों का प्रोटोकॉल गेट नंबर चार के बाहर एक बूथ बनाकर दर्ज कराया जाता था। मगर, नई व्यवस्था लागू होने के बाद गेट नंबर चार पर बने बूथ को कटवा दिया गया है। इसके साथ ही प्रोटोकॉल कार्यालय पर एकीकृत व्यवस्था लागू करा दी गई है।

मुस्लिम युवती शबनम पदयात्रा कर जा रही अयोध्या, रामलला की पूजा करेंगी, कहा-मंदिरों को तोड़ मस्जिदें बनाईं

दिल्ली से पैदल यात्रा कर अयोध्या जा रही शबनम खान ने कहा कि भारत में मंदिरों को तोड़कर मुगल आक्रांताओं ने मस्जिद बनाई थी। मस्जिद गिराकर मंदिर बना देना राजनीति हैं तो मुझे यह मंजूर है। मैं अकेली मुस्लिम लड़की ही पदयात्रा पर चली हूं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में रामराज की ओर बढ़ रहे हैं।

पहले मुसलमानों को केवल वोट के लिए इस्तेमाल किया है। पहली बार हिंदू जागे हैं। अब वह जय श्रीराम का नारे सड़क पर लगाने से नहीं नहीं डरते हैं। पहले ऐसा नहीं था। पुराने नेताओं ने हिंदू-मुस्लिमों को डराया है। 60 साल कांग्रेस का राज रहा। वह भी श्रीराम का मंदिर बना सकते थे, लेकिन उन्हें मंदिर नहीं बनाना था। उन्हें सिर्फ राजनीति करनी थी।

हाईजैक शिप से क्रू को बचाने के बाद अब लुटेरों की तलाश में नौसेना, खोज में ड्रोन से लेकर युद्धपोत तक

भारतीय नौसेना की सूझबूझ और बहादूरी की हर तरफ तारीफ हो रही है। शुक्रवार को उत्तरी अरब सागर में हाईजैक हुए जहाज में फंसे सभी 21 लोगों को बचाने के बाद अब नौसेना लुटेरों की तलाश में जुटी है। इसके लिए वह संदिग्ध जहाजों की जांच कर रही है।

चेतावनी के बाद गायब लुटेरे
गौरतलब है, नौसेना के मार्कोस कमांडो ने बताया था कि उन्हें सूचना मिली थी कि जहाज पर हथियार से लैस पांच से छह लोग सवार हैं, जिनके बारे में कुछ जानकारी नहीं है। इस पर जहाज की तलाश कर आईएनएस चेन्नई ने शुक्रवार को दोपहर बाद करीब 3:15 बजे अरब सागर में सोमालिया के तट के पास अगवा पोत को घेर लिया था। वहीं, जवानों ने जहाज को चारों ओर से घेर समुद्री लुटेरों को जहाज को छोड़ने की चेतावनी दी। उसके बाद भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो अगवा पोत पर उतरे और उसकी तलाशी ली तो कोई लुटेरा वहां मौजूद नहीं था।

लूटेरों की तलाश में नौसेना
ऐसे में लग रहा कि जब उन्होंने बड़ी संख्या में जवानों को देखा तो वो डर की वजह से रात के अंधेरे में वहां से भाग निकले। हालांकि, अभी भारतीय नौसेना इस मामले में आराम से नहीं बैठी है। उसने लूटेरों की खोज के लिए युद्धपोत, समुद्री गश्ती विमान पी-8 आई और हेलीकॉप्टर सहित लंबी दूरी के प्रीडेटर एमक्यू9बी ड्रोन को समुद्र में तैनात कर दिए हैं।

भारत माता की जय के लगे नारे
इससे पहले भारतीय नौसेना ने बचाए गए भारतीयों का एक वीडियो साझा किया। इसमें एक भारतीय कहता दिख रहा है कि उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। वहीं, एक अन्य ने कहा कि 24 घंटे से डर में थे। अब हमें राहत मिली है। इसी बीच, एक शख्स ने कहा कि हम सब भारत की नौसेना पर गर्व महसूस करते हैं। फिर क्या था सब लोगों ने एक सुर में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।

राम मंदिर का निमंत्रण न मिलने पर उद्धव ठाकरे का एलान, 22 को गोदावरी तट पर करेंगे महाआरती

अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए लोगों को घर-घर जाकर निमंत्रण दिया जा रहा है। इस समारोह के लिए बालासाहेब उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना को अभी तक निमंत्रण नहीं मिला है। इस बीच, पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि पार्टी के नेता 22 जनवरी को नासिक में स्थित कालाराम मंदिर जाएंगे और गोदावरी नदी के तट पर महाआरती करेंगे।

जब मन होगा, तब…
ठाकरे ने अपनी मां दिवंगत मीना ठाकरे को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों से बात की। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी उनका मन होगा, वह अयोध्या जाएंगे।

गर्व और स्वाभिमान की बात
उन्होंने कहा, ‘अयोध्या में राम मंदिर का अभिषेक होना गर्व और स्वाभिमान की बात है। उस दिन हम शाम साढ़े छह बजे कालाराम मंदिर जाएंगे, जहां डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और समाज सुधारक साने गुरुजी ने विरोध प्रदर्शन किया था। शाम साढ़े सात बजे हम गोदावरी नदी के तट पर महाआरती करेंगे।’

क्यों पड़ा मंदिर का नाम कालाराम
बता दें, नासिक के पंचवटी इलाके में स्थित कालाराम मंदिर भगवान राम को समर्पित है। मंदिर का नाम काले पत्थर से बनाई गई भगवान राम की मूर्ति से लिया गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान पत्नी सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ पंचवटी में रुके थे। सन् 1930 में डॉ आंबेडकर ने मंदिर में दलितों के प्रवेश की मांग के लिए कालाराम मंदिर में एक विरोध प्रदर्शन किया था।

23 को निकालेंगे रैली
अयोध्या में राम मंदिर का अभिषेक समारोह 22 जनवरी को होगा। ठाकरे को इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण नहीं मिला है। उन्होंने 23 जनवरी को अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की जयंती पर नासिक में एक रैली आयोजित करने की बात कही है।

रामलला सभी के हैं
ठाकरे ने पिछले शनिवार को बताया था कि उन्हें कोई निमंत्रण नहीं मिला है। उन्होंने कहा था कि अयोध्या जाने के लिए किसी के बुलाने की जरूरत नहीं है क्योंकि रामलला सभी के हैं। जब भी मन करेगा, वह जाएंगे। शिवसेना ने राम मंदिर आंदोलन में बहुत योगदान दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में पेश की गईं शराब की बोतलें, जानिए क्या है मामला

ट्रेडमार्क के उल्लंघन के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुछ ऐसा हुआ, जो असामान्य था। दरअसल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में शराब की बोतलें पेश की गईं। मामला दो शराब कंपनियों के एक जैसे ट्रेडमार्क और पैकेजिंग से जुड़ा है। जिस पर एक कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शराब निर्माता कंपनी पेरनोड रिकार्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई की।

पेरनोड रिकार्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ब्लेंडर्स प्राइड और इंपीरियल ब्लू के नाम से अपने दो व्हिस्की ब्रांड बेचती है। मध्य प्रदेश की कंपनी जेके इंटरप्राइजेज लंदन प्राइड के नाम से व्हिस्की की बिक्री करती है। पेरनोड रिकार्ड कंपनी का आरोप है कि लंदन प्राइड व्हिस्की ने उनके जैसा मिलता जुलता नाम और पैकेजिंग की है और यह ट्रेडमार्क नियम का उल्लंघन है।

हाईजैक शिप से क्रू को बचाने के बाद अब लुटेरों की तलाश में नौसेना, खोज में ड्रोन से लेकर युद्धपोत तक

भारतीय नौसेना की सूझबूझ और बहादूरी की हर तरफ तारीफ हो रही है। शुक्रवार को उत्तरी अरब सागर में हाईजैक हुए जहाज में फंसे सभी 21 लोगों को बचाने के बाद अब नौसेना लुटेरों की तलाश में जुटी है। इसके लिए वह संदिग्ध जहाजों की जांच कर रही है।

चेतावनी के बाद गायब लुटेरे
गौरतलब है, नौसेना के मार्कोस कमांडो ने बताया था कि उन्हें सूचना मिली थी कि जहाज पर हथियार से लैस पांच से छह लोग सवार हैं, जिनके बारे में कुछ जानकारी नहीं है। इस पर जहाज की तलाश कर आईएनएस चेन्नई ने शुक्रवार को दोपहर बाद करीब 3:15 बजे अरब सागर में सोमालिया के तट के पास अगवा पोत को घेर लिया था। वहीं, जवानों ने जहाज को चारों ओर से घेर समुद्री लुटेरों को जहाज को छोड़ने की चेतावनी दी। उसके बाद भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो अगवा पोत पर उतरे और उसकी तलाशी ली तो कोई लुटेरा वहां मौजूद नहीं था।

लूटेरों की तलाश में नौसेना
ऐसे में लग रहा कि जब उन्होंने बड़ी संख्या में जवानों को देखा तो वो डर की वजह से रात के अंधेरे में वहां से भाग निकले। हालांकि, अभी भारतीय नौसेना इस मामले में आराम से नहीं बैठी है। उसने लूटेरों की खोज के लिए युद्धपोत, समुद्री गश्ती विमान पी-8 आई और हेलीकॉप्टर सहित लंबी दूरी के प्रीडेटर एमक्यू9बी ड्रोन को समुद्र में तैनात कर दिए हैं। बता दें, फिलहाल, भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस चेन्नई कार्गो शिप एमवी लीला नॉरफॉक के पास मौजूद है। जहाज में बिजली उत्पादन और नेविगेशन सिस्टम को बहाल करके उसे अगले बंदरगाह तक यात्रा शुरू करने में मदद की जा रही है।

भारत माता की जय के लगे नारे
इससे पहले भारतीय नौसेना ने बचाए गए भारतीयों का एक वीडियो साझा किया। इसमें एक भारतीय कहता दिख रहा है कि उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। वहीं, एक अन्य ने कहा कि 24 घंटे से डर में थे। अब हमें राहत मिली है। इसी बीच, एक शख्स ने कहा कि हम सब भारत की नौसेना पर गर्व महसूस करते हैं। फिर क्या था सब लोगों ने एक सुर में ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।

तेजी से फैल रहे JN.1 वैरिएंट से बच्चों को भी खतरा, डॉक्टर बोले- इन उपायों पर गंभीरता से दें ध्यान

कोरोनावायरस का नया वैरिएंट JN.1 दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है। चीन से शुरू हुई इसकी रफ्तार अभी थमने का नाम नहीं ले रही है। 30-40 दिनों के भीतर सिंगापुर, अमेरिका और भारत सहित ये तमाम देशों में फैल चुका है। अमेरिका की मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि नवंबर में जहां JN.1 वैरिएंट की प्रसार गति केवल सात प्रतिशत के करीब थी वह दिसंबर के मध्य तक 44 फीसदी से अधिक हो गई, यहां एक और लहर की आशंका जताई जा रही है।

इसी तरह से भारत में भी अब तक ये नया वैरिएंट 12 से अधिक राज्यों में फैल जा चुका है, शुक्रवार तक करीब 619 लोगों में इसके कारण संक्रमण की पुष्टि की जा चुकी है। अध्ययनों में भी कहा जा रहा है कि ओमिक्रॉन और इसके तमाम म्यूटेटेड वैरिएंट्स की रफ्तार काफी अधिक है और ये शरीर में बनी प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देकर आसानी से संक्रमण को बढ़ाने वाली हो सकती है। जिसका मतलब है कि किसी आबादी में इसके संक्रमण की पुष्टि के बाद तेज गति से अधिक लोगों में संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं सभी लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है। बच्चों में भी ये संक्रमण बढ़ाने वाला हो सकता है, इसलिए उन्हें भी कोरोना से बचाने के लिए जरूरी उपाय किए जाने चाहिए।

बच्चों-बुजुर्गों में भी संक्रमण का खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अध्ययनों में अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि मौजूदा टीकाकरण इस नए वैरिएंट से पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है या नहीं? इसलिए बच्चों सहित कमजोर इम्युनिटी वाले सभी लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए निवारक उपायों का पालन करना बहुत आवश्यक है। मास्क लगाने से लेकर स्वच्छता उपायों का पालन करने तक, माता-पिता के लिए बच्चों को वायरस के बारे में शिक्षित करना और इसके प्रसार को रोकना महत्वपूर्ण है। बच्चों में भले ही संक्रमण के कारण गंभीर रोगों का खतरा न देखा जाता रहा हो पर वे वाहक जरूर हो सकते हैं, जिससे कोरोना का प्रसार बढ़ने का खतरा हो सकता है।

क्या कहती हैं डॉक्टर?

श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ अमृता सिंह कहती हैं, दुनिया के कई देश नवीनतम कोविड-19 सब-वैरिंएंट JN.1 के कारण होने वाली समस्याओं से जूझ रहे हैं, भारत में भी इसके मामले बढे हैं इसलिए निवारक उपायों को सुदृढ़ करना जरूरी हो जाता है, खासकर बच्चों-बुजुर्गों के लिए जो अधिक असुरक्षित हो सकते हैं। बच्चों को कोरोना के संभावित खतरे से बचाने के लिए, भीड़-भाड़ वाली जगहों और समारोहों में न ले जाएं, बाहर-स्कूल जाते समय मास्क लगाने और हाथों की स्वच्छता का ध्यान देने की सलाह दी जाती है। मास्क पहनना और नियमित रूप से हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है।

बच्चों में संक्रमण के लक्षण?

ओमिक्रॉन और इसके अन्य वैरिएंट्स से संक्रमण की स्थिति में बच्चे हों या वयस्क सभी में लगभग एक ही तरह के लक्षण देखे जा रहे हैं। ज्यादातर संक्रमित एसिम्टोमेटिक हैं, वहीं जिनमें इसके लक्षण हैं उन्हें बुखार, खांसी, सर्दी, दस्त-उल्टी, सिरदर्द, शरीर में दर्द जैसी हल्की दिक्कतें हो रही हैं। ज्यादातर रोगी सामान्य उपचार के माध्यमों से आसानी से घर पर ही ठीक हो रहे हैं, हालांकि यदि बच्चों में ये लक्षण कुछ दिनों से बने हुए हैं तो किसी बाल रोग विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।

इस गंभीर समस्या पर भी दें ध्यान

हाल ही में कोरोना के कारण बच्चों में होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर अलर्ट करते हुए लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने एक कार्यक्रम में कहा, कोरोना ने खसरा और सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई) का जोखिम भी बढ़ा दिया है। महामारी के दौरान बच्चों में इन बीमारियों के टीकाकरण में समस्या आई है जिसके कारण इन रोगों का जोखिम हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं जिन बच्चों का टीकाकरण रह गया है उन्हें डॉक्टर से मिलकर इस बारे में सलाह लेना जरूरी है। बच्चों की इम्युनिटी को बढ़ाने वाले उपाय करते रहना भी बहुत आवश्यक है।

ठंडी जगहों पर जाना है घूमने तो ऐसे रखें स्किन का खास ध्यान, वरना बेजान हो जाएगी त्वचा

सर्दियों के मौसम की शुरुआत होने के साथ-साथ अब ये साल अपने अंत के करीब है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि दिसंबर के महीने की शुरुआत से ही और भी ज्यादा कड़ाके की ठंडी पड़ने वाली है। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी की संभावना भी जताई जा रही है।

ऐसे में ज्यादातर लोग साल के अंत में अपने परिवार से साथ घूमने का प्लान बनाते हैं। सर्दियों में मौसम में अच्छा होता है और बच्चों के स्कूल की छुट्टियां भी हो जाती हैं। इसके साथ जो लोग कामकाजी हैं, वो भी अपनी सालभर की बची हुई छुट्टियों का इस्तेमाल दिसंबर के महीने में ही करते हैं। अगर आप भी कहीं ऐसी जगह घूमने का प्लान बना रहे हैं, जहां काफी सर्दी होती है तो ये खबर आपके लिए है। दरअसल, ठंड वाली जगहों पर जाने के लिए आपको अपनी त्वचा का ध्यान रखने की काफी ज्यादा जरूरत होती है। आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं, अगर आप ठंडी जगह घूमने जा रहे तो इन तरीकों को अपनाकर अपनी त्वचा का खास ध्यान रख सकते हैं।

हाइड्रेशन का रखें खास ध्यान

अगर आप किसी ऐसी जगह घूमने जा रहे हैं, जहां पर काफी ज्यादा सर्दी पड़ती है, तो वहां अपनी बॉडी को हाइड्रेटेड रखें। ऐसे में पानी का सेवन कम ना करें। ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी, हर्बल चाय, सूप आदि चीजों का सेवन करें। इनके सेवन से आपकी त्वचा अंदर से ग्लो करेगी।

त्वचा को प्रोटेक्ट करना है जरूरी

सर्दी वाली जगहों पर त्वचा का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है। इसके लिए आपको सर्दियों में भी अच्छे क्लींजर का इस्तेमाल करना है। इसके साथ अच्छी क्वालिटी के फेसवॉश का इस्तेमाल तो कभी ना भूलें। चेहरा धोने के बाद सर्दियों में तुरंत मॉइश्चराइजर लगाएं और सबसे आखिर में त्वचा पर सनस्क्रीन लगाकर त्वचा का बचाव करें।

नाइट केयर रूटीन ना भूलें

जब भी हम कहीं बाहर घूमने जाते हैं तो थकान की वजह से अपनी त्वचा का ध्यान रखना हमें याद नहीं रहता। जबकि ये काफी जरूरी है। हर किसी को अपना नाइट केयर रूटीन जरूर फॉलो करना चाहिए। इससे त्वचा ग्लो करती है।

स्क्रब है जरूरी स्टेप

जिस तरह से हम सांस लेते हैं, ठीक उसी तरह से हमारी त्वचा का भी सांस लेना बेहद जरूरी होता है। ऐसे मे सर्दियों के मौसम में भी स्क्रब ना भूलें। खासतौर पर जब आप बाहर घूमने जाते हैं, तो चेहरे की गंदगी साफ करने के लिए चेहरे पर स्क्रब करना बेहद जरूरी हो जाता है।