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साउथ कैंपस में चाकूबाजी की घटना से मचा हड़कंप, आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली के साउथ कैंपस इलाके से एक चाकूबाजी की घटना सामने आई है. यहां एक युवक ने साथ काम करने वाले लड़के को चाकू मारकर घायल कर दिया है. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है.

नई दिल्ली: देश की राजधानी में लगातार आपराधिक घटनाएं बढ़ती जा रही है. ताजा मामला साउथ वेस्ट दिल्ली के साउथ कैंपस थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक लड़के को चाकू मारा गया है. इस घटना में वह गंभीर रूप से घायल हो गया है. पीड़ित की पहचान आशीष (19) के रूप में हुई है, जो सागरपुर दिल्ली का रहने वाला है. घटना दुर्गाबाई देशमुख मेट्रो स्टेशन के पास सत्य निकेतन की है. पुलिस मामले में आगे की जांच पड़ताल कर रही है.

डीसीपी मनोज सिंह सी ने बताया कि पुलिस को चाकूबाजी के संबंध में पीसीआर कॉल प्राप्त हुई थी. कॉलर संदीप ने बताया कि एक राहगीर ने उसका मोबाइल फोन छीन लिया है और 112 नंबर पर कॉल कर दी. स्थानीय पूछताछ में पता चला कि सत्य निकेतन के एक कैफे में दो लड़कों के बीच झगड़ा हुआ था. इस झगड़ें में एक यूवक ने दूसरे यूवक को चाकू मार दी. गंभीर हालत में उसे सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है.

पुलिस को दिए बयान में पीड़ित ने बताया कि सत्य निकेतन के मित्रों कैफे में वह सर्विस बॉय के रूप में काम करता है. वहां पर उसके साथ एक लड़का गुड्डू भी काम करता है. आज ग्राहकों को लेकर गुड्डू से विवाद हो गया. इसके बाद आरोपी ने उसके साथ अभद्र व्यवहार और गली-गलोज करने लगा. कैफे मालिक कुणाल ने जैसे ही गुड्डू से लड़ाई के बारे में पूछना शुरू किया. तभी चाकू से उसने वार कर दिया. इस संबंध में साउथ कैंपस थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है. आरोपी को पकड़ लिया गया है. उसके खिलाफ संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है.

किंग खान-राजकुमार हिरानी की ‘डंकी’ के लिए उत्साहित हैं एटली, थिएटर में फिल्म देखने की जताई इच्छा

‘पठान’ के बाद बड़े पर्दे पर हाल ही में रिलीज हुई ‘जवान’ के साथ शाहरुख खान का जादू एक बार फिर देखने को मिला। शाहरुख खान, नयनतारा, विजय सेतुपति और दीपिका पादुकोण अभिनीत फिल्म की कमाई के साथ ही इसकी कहानी की भी सभी खूब तारीफ कर रहे हैं।

इन सितारों के दमदार अभिनय के साथ, जिस एक व्यक्ति ने फिल्म को काबिले-तारीफ बनाया है वह और कोई नहीं बल्कि ‘जवान’ के निर्देशक एटली कुमार हैं। उनकी शानदार कारीगरी ने फिल्म को ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर बना दिया है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि एटली कुमार अपनी फिल्म से ज्यादा शाहरुख खान की आगामी फिल्म ‘डंकी’ देखने के लिए उत्साहित हैं।

अपनी हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘जवान’ की सफलता का आनंद ले रहे निर्देशक एटली कुमार इन दिनों हर छोटी से छोटी बात के चलते सुर्खियों में आ जाते हैं। जहां एक तरफ उनकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ कमाई करते हुए रिकॉर्ड तोड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ सभी उनकी कहानी और निर्देशन की भी जमकर तारीफ कर रहे हैं। इन सभी के बीच एटली कुमार लगातार इंटरव्यू दे रहे हैं। ऐसे ही एक साक्षात्कार में एटली ने हाल ही में बताया कि कैसे वह शाहरुख खान की आगामी फिल्म ‘डंकी’ को लेकर बेहद उत्साहित हैं। राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में तापसी पन्नू भी नजर आएंगी।

एटली ने हाल ही में राजकुमार हिरानी द्वारा निर्देशित आगामी फिल्म ‘डंकी’ के लिए अपना उत्साह व्यक्त किया। एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में एटली ने किया कि वह ‘डंकी’ के रिलीज होते ही इसे सबसे बड़े थिएटर में देखने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने डंकी का कोई भी सीन नहीं देखा है, लेकिन मैं फिर भी फिल्म के लिए बहुत उत्साहित हूं। जब यह रिलीज होगी तो मैं इसे दर्शकों के साथ बड़ी स्क्रीन पर देखने की योजना बना रहा हूं।’

‘मोहब्बतें’ के जरिए अमिताभ बच्चन का बॉलीवुड में फिर से उदय

भारतीय फिल्म उद्योग में अमिताभ बच्चन का परिचय कराने की कोई जरूरत नहीं है; उन्हें अक्सर बॉलीवुड का “शहंशाह” कहा जाता है। अपने शानदार करियर के दौरान, जो पांच दशकों से अधिक समय तक चला, उन्होंने अपनी असाधारण अभिनय क्षमताओं और बड़े पर्दे पर आकर्षक उपस्थिति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया है।

हालाँकि, अमिताभ बच्चन, जो स्वयं एक महान व्यक्ति थे, कठिनाइयों से अछूते नहीं थे। एक समय था जब वह बेरोजगार थे और फिल्म इंडस्ट्री से उनके पास कोई नहीं आता था। इस अस्पष्टता के बीच, उन्होंने महान यश चोपड़ा से बात करने का महत्वपूर्ण विकल्प चुना और उस मुलाकात के परिणामस्वरूप, क्लासिक फिल्म “मोहब्बतें” बनाई गई। यश चोपड़ा के साथ “मोहब्बतें” में काम करने से अमिताभ बच्चन का करियर कैसे पुनर्जीवित हुआ, इसकी दिलचस्प कहानी इस लेख में बताई गई है।

अमिताभ बच्चन 1970 और 1980 के दशक में बॉलीवुड स्टारडम की ऊंचाई पर थे, और उनके करियर ने अविश्वसनीय ऊंचाई देखी थी। लेकिन फिल्म व्यवसाय बेहद अप्रत्याशित है, और यहां तक कि सबसे प्रसिद्ध अभिनेता भी मुसीबत में पड़ सकते हैं। 1990 के दशक के अंत में लगातार असफल फिल्मों और महत्वपूर्ण भूमिकाओं की कमी के कारण बच्चन का करियर डावांडोल हो गया। उन्हें अब फिल्म निर्माताओं से प्रस्ताव नहीं मिले क्योंकि उद्योग बदल गया था।

कभी अपने करिश्मा और अभिनय प्रतिभा से इंडस्ट्री पर राज करने वाले अमिताभ बच्चन चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहे थे। हालाँकि, अभिनेता अपनी दृढ़ता और अपने काम के प्रति अटूट जुनून के कारण कायम रहे। वह जानते थे कि उन्हें एक ऐसे किरदार की ज़रूरत थी जो न केवल उनके करियर को पुनर्जीवित करे बल्कि दर्शकों को उनकी असाधारण प्रतिभा की याद भी दिलाए।

इस अनिश्चित स्थिति में अमिताभ बच्चन ने स्वतंत्र रूप से कार्य करना चुना। उन्होंने बॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण निर्देशकों में से एक यश चोपड़ा के संपर्क में आकर जोखिम उठाया। अमिताभ ने सोचा कि यश चोपड़ा के साथ काम करना वह महत्वपूर्ण क्षण हो सकता है जिसकी उन्हें सख्त जरूरत थी। यश चोपड़ा सदाबहार रोमांटिक क्लासिक्स बनाने की अपनी प्रतिभा के लिए प्रसिद्ध थे।

अगस्त में 1028 करोड़ रुपये का निवेश, 16 माह का उच्चस्तर….

अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि जारी रहने के बीच गोल्ड ईटीएफ (गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में अगस्त में 1,028 करोड़ रुपये का निवेश आया है, जो इसका 16 माह का उच्चस्तर है।

अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार प्रभावित हुई है।

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के अनुसार, इसके साथ ही इस श्रेणी में सालाना आधार पर प्रवाह 1,400 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। समीक्षाधीन अवधि में गोल्ड ईटीएफ में प्रवाह के अलावा इसका संपत्ति आधार और निवेशक खातों (फोलियो) की संख्या में भी वृद्धि हुई है।

आंकड़ों के अनुसार, गोल्ड ईटीएफ में अगस्त में 1,028 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। इससे पहले जुलाई में इसमें 456 करोड़ रुपये का निवेश मिला था। इससे पहले, गोल्ड ईटीएफ में लगातार तीन तिमाहियों की बिकवाली के बाद अप्रैल-जून की अवधि के दौरान 298 करोड़ रुपये का निवेश देखा गया था।

मार्च तिमाही में इस श्रेणी से 1,243 करोड़ रुपये, दिसंबर तिमाही में 320 करोड़ रुपये और सितंबर तिमाही में 165 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी। अप्रैल, 2022 के बाद से अगस्त, 2023 में गोल्ड ईटीएफ में सबसे अधिक मासिक प्रवाह देखा गया। अप्रैल, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस श्रेणी में 1,100 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था।

सोने के भाव में 180 रुपये का इजाफा, चांदी में 400 रुपये की मजबूती

विदेशी बाजारों में पीली धातु की कीमतों में तेजी के बीच दिल्ली सर्राफा बाजार में सोमवार को सोना 180 रुपये की तेजी के साथ 60,200 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। पिछले कारोबारी सत्र में सोना 60,020 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर बंद हुआ था।

इस दौरान चांदी भी 400 रुपये उछलकर 74,400 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई।

एचडीएफसी सिक्युरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक सौमिल गांधी ने कहा, ”विदेशी बाजारों में सकारात्मक रुख के बीच दिल्ली सर्राफा बाजार में सोमवार को सोने का हाजिर भाव 180 रुपये की तेजी के साथ 60,200 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। वैश्विक बाजार में सोना और चांदी की कीमत तेजी के साथ क्रमश: 1,927 डॉलर प्रति औंस और 23.10 डॉलर प्रति औंस हो गई।”

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में कमोडिटी रिसर्च के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवनीत दमानी ने कहा, “पिछले सप्ताह के अंत में देखी गई रिकवरी के बाद सोने में स्थिरता जारी है, क्योंकि निवेशकों ने फेडरल रिजर्व की ओर से इस सप्ताह होने वाली नीतिगत बैठक में ब्याज दरों की वृद्धि में ठहराव की उम्मीद में कीमतों को स्थिर रखा हुआ है।”

3 लाख रुपये का लोन, ब्याज दर कम; जानें किन दस्तावेजों के साथ कर सकेंगे अप्लाई

भारत सरकार की ओर से कई तरह की योजनाओं को शुरू किया जाता है जिनमें से कुछ योजनाएं आम जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए होती हैं। जबकि, कुछ ऐसी योजनाएं होती हैं जो आर्थिक कमजोर लोगों को मजबूती देने के काम आती है।

एक ऐसी ही योजना की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है।

विश्वकर्मा जयंती यानी 17 सितंबर 2023 को देश के पीएम मोदी ने नई स्कीम की घोषणा की है। पीएम विश्वकर्मा योजना के नाम से पेश की गई इस स्कीम में लोगों को 3 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है। साथ ही सब्सिडी का फायदा भी दिया जा रहा है। आइए पीएम विश्वकर्मा योजना के बारे में जानने के साथ ये भी जानते हैं कि कितने ब्याज दर और किन-किन दस्तावेजों के साथ आप 3 लाख रुपये के लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

PM Vishwakarma Scheme 2023

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को कारीगरों के फायदे के लिए पेश किया गया है। इस स्कीम के तहत सरकार की ओर से करीगरों को लोन दिया जाएगा। इस योजना के तहत कारीगरों को 5 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी के साथ 3 लाख रुपये तक का लोन दिया जाएगा। हालांकि, इसके लिए आपका एलिजिबल होना जरूरी है।

PM Vishwakarma Scheme Loan Eligible

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत लोहार, स्वर्णकार, मिट्टी या पत्थर की मूर्तिकार, बढ़ई, राजमिस्त्री, लोहार, नाविक और नाई समेत 18 पारंपरिक कौशल वाले व्यवसायों को शामिल किया है। इस योजना का लाभ देश भर के मौजूद ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों समेत शिल्पकारों को मिलेगा।

PM Vishwakarma Yojana Eligibility

उम्र 18 साल से अधिक और 50 साल से कम होनी जरूरी।
भारतीय नागरिक होना जरूरी
किसी PM SVANidhi, मुद्रा लोन या PMEGP का लाभ न उठाया हो।
मान्यता प्राप्त संस्थान से जुड़े ट्रेड में प्रमाण पत्र का होना जरूरी है।
योजना के तहत 140 जातियों में से एक से जुड़ा होना चाहिए।
PM Vishwakarma Scheme Documents

पैन कार्ड
पहचान पत्र
आधार कार्ड
वैध फोन नंबर
आय प्रमाण पत्र
जाति प्रमाण पत्र
निवास प्रमाण पत्र
बैंक खाते की पासबुक
पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ
PM Vishwakarma Scheme Apply Process in Hindi

सबसे पहले https://pmvishwakarma.gov.in/ वेबसाइट पर जाएं।
रजिस्ट्रेशन करने के लिए अपना फोन नंबर और आधार कार्ड नंबर एंटर करें।
इसके बाद दिख रहे रजिस्ट्रेशन फॉर्म में पूछी गई जानकारी को भरें।
फॉर्म भरने के साथ मांगे जा रहे दस्तावेजों की स्कैन कॉपी को अपलोड कर दें।
फॉर्म भरने के बाद सब्मिट के ऑप्शन को सिलेक्ट करें।
संबंधित विभाग की ओर से वेरिफिकेशन की जाएगी और फिर सारी जानकारी सही होने के बाद आपको लोन मिल सकेगा।
दो चरण में मिलेगा लोन

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत लाभार्थियों को दो चरणों में लोन दिया जाएगा। शुरुआत में 1 लाख रुपये का लोन मिलेगा, जिसे लोन कर्ता को 18 महीनों में भुगतान करना होगा। इसके बाद 2 लाख रुपये का लोन मिल सकेगा। ये लोन 5 प्रतिशत इंटरेस्ट रेट के साथ मिलेगा।

शिक्षकों के बीएड ब्रिज कोर्स को लेकर ऐसे फंसा पेच, समझिए खबरों के अंदर की बात

एनसीटीई का नियम पहले से है कि बीएड डिग्री वालों को बेसिक शिक्षक बनाया जाता है तो पहले छह माह का ब्रिज कोर्स करवाया जाएगा। उसके बाद ही स्कूलों में तैनाती दी जाएगी। विभाग ने यहां नियमों को दरकिनार कर बिना ब्रिज कोर्स करवाए ही तैनाती दे दी।
तब तो शिक्षकों को भी लगा कि उनको सीधे नौकरी मिल गई और उनकी ओर से भी कोई मांग नहीं उठी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद उनको ये डर सता रहा है कि कहीं कोई आपत्ति न उठा दे। वहीं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की गई मांग पर बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने अब हाई कोर्ट का हवाला दे दिया है।सचिव ने लिखा है कि 69,000 शिक्षक भर्ती की मेरिट को लेकर ही हाई कोर्ट में केस चल रहा है। अगर मेरिट बदलती है तो उसमें भी वर्तमान के कई शिक्षकों की मेरिट बदलेगी। वर्तमान के कुछ शिक्षक बाहर हो सकते हैं और नए आ सकते हैं। ऐसे में हाई कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के कारण अभी ट्रेनिंग नहीं करवाई जा सकती। दरअसल, विभाग का मानना है कि मेरिट बदली तो फिर नए वालों को फिर ब्रिज कोर्स करवाना पड़ेगा।

बेसिक शिक्षा विभाग ने रेलवे को नहीं माना सरकारी, शिक्षिका ने न्यायालय में लगायी गुहार

बेसिक शिक्षा विभाग रेलवे को सरकारी विभाग नहीं मानता है। इसीलिए अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण में शिक्षक- शिक्षिकाओं को उनके रेलवे में • कार्यरत पति व पत्नी को सरकारी कर्मचारी का मिलने वाले अंक का लाभ नहीं दिया गया।

अब रेलवे कर्मचारी की पत्नी ने न्यायालय से गुहार लगाकर उसे अंक • दिलाकर स्थानान्तरण प्रक्रिया की काउन्सिलिंग में स्कूल आवण्टन में शामिल कराने को कहा है। इस पर न्यायालय ने काउन्सिलिंग के दौरान एक स्कूल को रिक्त रखने को कहा है।

दरअसल, दूसरे जनपदों से गृह जनपद स्थानान्तरण में शिक्षक-शिक्षिकाओं को भरांक दिए गए। इसमें शिक्षकों को दूसरे जनपद में नौकरी के कार्यकाल, नियुक्ति व अन्य कार्यों के आधार पर अंक दिए गए। साथ ही स्थानान्तरण प्रक्रिया में शिक्षक व शिक्षिकाओं को उनके पति व पत्नी के सम्बन्धित जनपद में सरकारी सेवा में नियमित रूप से कार्यरत होने पर 10 अंक अतिरिक्त भरांक दिए जाने का प्राविधान है। स्थानान्तरण प्रक्रिया | को लेकर 2 जून 2023 को जारी

शासनादेश में कहा गया कि भारत सरकार, भारतीय थल सेना भारतीय वायु सेना, भारतीय नौ सेना, केन्द्रीय अर्ध सैनिक बल उत्तर प्रदेश सरकार व उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन सरकारी सेवा करने वाले शिक्षक व शिक्षिका पति व पत्नी को भरांक दिया जाना है। इस शासनादेश के तहत झाँसी में सरकारी विभाग में नौकरी कर रहे पुरुष व महिला शिक्षिकाओं को अपने घर आने में वरीयता मिली है। इसी आधार पर मथुरा में कार्यरत शैफाली सिंह ने ऑनलाइन आवेदन किया। उसके पति संजीव कुमार झाँसी में रेलवे में सीनियर सेक्शन एंजिनियर के पद पर कार्यरत हैं। मथुरा में बीएसए कार्यालय में भरांक की गणना में रेलवे को सरकारी विभाग ही नहीं माना, जबकि रेलवे भारत सरकार का सबसे बड़ा उपक्रम है। इससे शिक्षिका को स्थानान्तरण प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है। इस

शासन ने बीएसए को सीधे नहीं दिए निर्देश, बढ़ा असमजंस उच्च न्यायालय के आदेश पर शासन के विशेष सचिव ने सचिव बेसिक शिक्षा को काउन्सिलिंग में एक स्कूल को रिक्त रखने को कहा है, लेकिन इस आदेश में स्कूल की वरीयता तय नहीं की है। दूसरे आदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के पत्र को बीएसए झाँसी व मथुरा को प्रतिलिपि की है। झाँसी बीएसए को सीधे कोई आदेश नहीं दिए हैं। बेसिक शिक्षा परिषद ने 13 सितम्बर से काउन्सिलिंग का कार्यक्रम तय कर दिया है, लेकिन इस आदेश में काउन्सिलिंग में कौन सा विद्यालय रिक्त रखने को कहा है, इसको लेकर कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। इससे असमजंस की स्थिति बन गई है।

पर शिक्षिका ने उच्च न्यायालय में गुहार लगायी। न्यायालय ने में बेसिक शिक्षा विभाग को शिक्षिका के लिए काउन्सिलिंग के समय एक स्कूल रिक्त रखने को कहा क है। इस सम्बन्ध में प्रदेश शासन के सचिव अवधेश कुमार तिवारी प ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद को है स्कूल को रिक्त रखने को कहा क्ष है। इधर, बेसिक शिक्षा परिषद ने भी रेलवे में कार्यरत पति को रि लेकर शिक्षिका को भरांक पर सुनवाई के लिए प्रयागराज बुलाया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने रेलवे के साथ भेल व अन्य संस्थाओं को भी सरकारी विभाग नहीं माना है। उल्लेखनीय है कि बेसिक शिक्षा परिषद ने 2 माह पहले स्थानान्तरित शिक्षक-शिक्षिकाओं की विद्यालय आवण्टन के लिए 13 सितम्बर से प्रक्रिया प्रारम्भ होगी। दूसरे जनपदों से स्थानान्तरण पर आए 120 से अधिक शिक्षक- शिक्षिकाएं विद्यालय आवण्टन के लिए इन्तजार कर रहे हैं।

MSc-BEd के बाद नहीं मिली सरकारी नौकरी तो बनी किसान, खेती करके चला रही घर

जिन हाथों में कलम और डस्टर होना चाहिए, उनमें ट्रैक्टर की स्टेयरिंग और ब्रेक है. मास्टर्स इन साइंस और बीएड की पढ़ाई करके खेतों में हल चला रही अंजू ने सरकारी नौकरी का सपना देखा था.

सालोंसाल तैयारी के बावजूद नौकरी नहीं मिली तो पिता की दस एकड़ की खेती संभालने का बीड़ा उठा लिया. अंजू की कहानी बताती है कि लाख मजबूरियां हों, लेकिन अगर लड़कियां काम करना चाहें तो वो कोई भी जिम्मेदारी उठा सकती हैं.

अंजू यादव मैनपुरी के हवेली की रहने वाली हैं. उनकी उम्र अब 26 साल की है. अंजू यादव बताती हैं कि उन्होंने साल 2018 में केमेस्ट्री विषय से एमएससी की. वो तब अपने मन में सरकारी टीचर बनने का सपने संजोए थी जिसे पूरा करने के लिए उन्होने साल 2020 में बीएड भी पूरी कर ली. अंजू ने सरकारी नौकरी की आस में यूपी पुलिस, यूपीटीईटी और लेखपाल के लिए भी पेपर दिए. मगर किस्मत ने अंजू का साथ नहीं दिया. अंजू इसके पीछे रोजगार की कमी को भी वजह भी बताती हैं.

पकड़ी किसानी की राह
अंजू एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं. अंजू के पिता 65 साल के हैं. जब अंजू ने देखा कि इतने साल की पढ़ाई के बावजूद सरकारी नौकरी नहीं मिली तो पिता की मदद का ख्याल आया. उनके पिता अब बुढ़ापे की वजह से खेती नहीं कर पाते थे. वहीं घर में उनका भाई भी बीटेक के बाद एमटेक करके निजी कंपनी में जॉब कर रहा है. ऐसे में अंजू ने खुद ही 10 एकड़ की खेती संभालने की जिम्मेदारी ली. चूंकि वो पढ़ाई के दौरान भी कभी-कभी खेती बाड़ी का काम देख लेती थीं, इसलिए उनके लिए ये एकदम नया भी नहीं था. इसी दौरान उन्होंने ट्रैक्टर चलाना सीखा, स्प्रे मशीन से खेतों में कीटनाशक का छ‍िड़काव, खेतों की बुआई और निराई सबकुछ सीखकर वो इस काम में रम गईं. अब अंजू सारी खेती-किसानी खुद संभालकर घर चला रही हैं.

अंजू को इस बात का गम जरूर है कि खेती में कड़ी मेहनत करने के बावजूद उनकी सालाना कमाई बहुत कम है. अगर सरकारी नौकरी मिल जाती तो इससे कम मेहनत में ही वो अपनी जिंदगी को आसान बना सकती थी. अब सुप्रीम कोर्ट की ओर से बीएड डिग्री धारकों के प्राइमरी शिक्षक न बन पाने का फैसला भी आ गया. इस पर अंजू कहती हैं कि पहले ही नौकरी की संभावनाएं कम थीं, अब ये एक सपने के टूट जाने जैसा है. इतनी मेहनत के बाद भी जब नौकरी ना मिले तो बुरा लगता है. मगर क्या किया जा सकता है, मेरा तो भविष्य ही चौपट हो गया.

महिला किसान होने की वजह से झेली परेशानियां
अंजू कहती हैं कि गांव-समाज ने इतना पढ़ लिखकर खेती करने पर खूब ताने दिए. मगर मैंने इस पर ज्यादा गौर नहीं किया, क्योंकि ये तो स्वाभाविक है. नौकरी नहीं मिली तो खेती से गुजारा करना ही आखिरी रास्ता बचा था. मुझे काम तो करना ही था. अंजू कहती हैं, मेरी उम्र 26 साल हो गई है. गांव-देहात में लड़की की उम्र 20-22 होते ही शादी की सलाह मिलनी शुरू हो जाती है. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. मगर लोगों का तो काम ही है कहना. अगर मैं समाज की बातों पर ध्यान देती तो मैं अपना काम नहीं कर पाती. कई बार रात में भी खेतों में पानी देने जाना पड़ता है. कई बार लाइट नहीं रहती है. मगर काम तो करना ही है. कई बार गांव के लोग सवाल भी उठाते हैं कि लड़की होकर रात में अकेली जा रही है. मगर मैं इन सब बातों पर ध्यान नहीं देती. मेरे घर वाले मेरा साथ देते हैं और शादी करने का भी कोई प्रेशर नहीं है.

कुछ यूं बीतता है अंजू का दिन
सारे कृषि कार्य की जिम्मेदारी अंजू के सर पर ही है. अंजू बताती हैं कि वो रबी, खरीफ और जायद तीनों फसलें उगाती हैं. फसल उगाने से लेकर कटवाने तक सारे काम वो ही करती हैं. सुबह चार बजे अंजू का दिन शुरू हो जाता है. उसके बाद वो अपने जानवरों के लिए चारे का बंदोबस्त करती हैं. उसके बाद फसल संभालने के लिए 9-10 बजे अपने खेतों में चली जाती हैं. इसके बाद घर के काम में जुट जाती हैं.

तिन से मिलने के बाद वापस उत्तर कोरिया लौटे किम जोंग, तोहफे में मिली खास चीजें

उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग रूस की ऐतिहासिक यात्रा पर मॉस्को गए थे। वे रूस की यात्रा पर अपनी खास बख्तरबंद ट्रेन से गए थे। खास बात यह है कि यह ट्रेन रूस के नेता लेनिन ने ही किम जोंग के पिता ​को गिफ्ट में दी थीं।

इसी बीच किम जोंग ने 6 दिन के दौरे के दौरान उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ रक्षा और हथियार सौदों पर चर्चा की। इस यात्रा के बाद जब किम जोंग उत्तर कोरिया के लिए वापस रवाना हुए तो उन्हें पुतिन की ओर से शानदार गिफ्ट्स दी गईं। जानिए रूस से वे हैरान करने वाले तोहफों में अपने साथ क्या-क्या चीजें ले गए हैं।

तोहफे में मिलीं ये खास चीजें

रूस से वापस लौटते वक्त किम जोंग को इन उपहारों में जो खास चीजें मिलीं, उनमें बुलेटप्रूफ जैकेट और ड्रोन्स खास हैं। रूसी मीडिया एजेंसी टास के मुताबिक, उन्हें तोहफे में 5 कामिकाजे ड्रोन, एक जेरान-25 जासूसी ड्रोन मिले हैं। इसके अलावा प्रिमोरी क्षेत्र के गवर्नर ने किम जोंग को एक बुलेटप्रूफ जैकेट और थर्मल कैमरा में डिटेक्ट न हो पाने वाले खास कपड़े भी दिए हैं। इन तोहफों ने पश्चिम देशों की चिंता को और गहरा दिया है।

पुतिन ने गिफ्ट किया दस्ताना, जानिए क्यों है वह खास?

किम जोंग ने अपनी यात्रा के दौरान पुतिन से चर्चा की और दोनों देशों के परस्पर रक्षा सहयोग पर चिंतन किया गया। तानाशाह किम जोंग 12 सितंबर को रूस के दौरे पर पहुंचे थे। 13 सितंबर को उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी। दोनों ने 40 सेकंड तक हैंडशेक किया था। न्यूज चैनल अलजजीरा के मुताबिक मुलाकात के बाद किम जोंग उन और पुतिन ने एक-दूसरे को राइफल्स गिफ्ट की थीं। पुतिन ने किम जोंग उन को स्पेस में पहना जाने वाला दस्ताना भी गिफ्ट किया था। ये वो दस्ताना था, जिसे रूस के अंतरिक्ष यात्री ने स्पेस विजिट के दौरान पहना था। इस बात की जानकारी क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने दी।

किम जोंग ने पुतिन को भेंट की खास गन

दिमित्री पेस्कोव ने बताया था कि किम जोंग उन ने नॉर्थ कोरिया में बनी कई चीजें पुतिन को गिफ्ट कीं। इसमें एक गन भी शामिल है। दरअसल, पुतिन को आउटडोर एक्टिविटीज का काफी शौक है। पिछले दिनों उनके कई फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे, जिनमें वो जंगलों में राइफल्स लिए नजर आए थे।

रॉकेट लॉन्चिंग सेंटर भी गए थे किम जोंग

रूस और उत्तर कोरिया के नेताओं ने देश के सुदूर पूर्वी क्षेत्र में साइबेरियाई रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र में मुलाकात की। यह मुलाकात यह प्रतीत कराती है कि अमेरिका के साथ जारी टकराव के बीच दोनों नेताओं के हित कैसे एक हो रहे हैं। दोनों नेताओं ने मुलाकात के बाद सोयूज-2 अंतरिक्ष रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र का दौरा किया। इस दौरान उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने उन रॉकेट के बारे में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से प्रश्न पूछे। इसके बाद 6 दिन की यात्रा पूरी होने के बाद किम जोंग उत्तर कोरिया के लिए जब रवाना हुए तब उनका विदाई समारोह आर्टेम-प्रिमोर्स्की 1 स्टेशन पर हुआ। इसके बाद किम अपनी बुलेटप्रूफ ट्रेन में बैठकर नॉर्थ कोरिया लौट गए।