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घास में रहने वाला कीड़ा ले रहा लोगों की जान, देश में अब तक 14 मौतें, फैला रहे ये बीमारी

भारत में इस समय कई बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है. डेंगू फैल रहा है और केरल में निपाह ने फिर से दस्तक दे दी है. इस बीच देश में स्क्रब टाइफस बीमारी भी फैल रही है. इस बीमारी की चपेट में आने से ओडिशा और शिमला में मिलाकर 14 लोगों की मौत हो चुकी है.

स्क्रब टाइफस एक ऐसी बीमारी है जो कीड़े के काटने से होती है. इस कीड़े को चिगर्स कहते हैं. ये कीड़ा घास में और जंगलों में रहता है. अगर ये किसी इंसान को काट लेता है तो उसको स्क्रब टाइफस का संक्रमण हो जाता है. इस बीमारी के लक्षण एक से दो सप्ताह बाद दिखते हैं. ये कीड़ा कुछ जानवरों के शरीर पर भी रहता है. जंगल वाले इलाकों में रहने वाले लोग आसानी से इस कीड़े के संपर्क में आ जाते हैं. अगर समय पर इलाज ने मिले तो 15 से 20 दिन में मरीज की मौत हो जाती है.

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक,स्क्रब टाइफस बीमारी को बूश टाइफस भी कहा जाता है. इस बीमारी के होने के बाद पहले बुखार आता है और उसके बाद शरीर में तेज दर्द होने लगता है. शरीर के जिस हिस्से पर कीड़े ने काटा है वहां लाल रंग का निशान होने लगता है. चिंता की बात यह है कि संक्रमित होने के काफी दिनों बाद इसके लक्षण दिखते हैं. इतने समय में इस बीमारी का संक्रमण पूरे शरीर में फैलने लगता है. ऐसे में मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है.

इन लोगों को खतरा

सीडीसी ने कहा है कि स्क्रब टाइफस से प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों को बुखार की समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए. अगर बुखार है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. इस मामले में की गई देरी मौत का कारण बन सकती है. जो लोग जंगल के इलाकों में रहते हैं या अपने रोजाना के काम के लिए जंगल जाते हैं उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. कीड़े के काटने के बाद होने वाली इस बीमारी में मृत्यु दर काफी ज्यादा है. ऐसे में इसको हल्के में नहीं लेना चाहिए.

क्या है इलाज

वेटनरी डॉ. एन.आर रावत Tv9 से बातचीत में बताते हैं कि स्क्रब टाइफस के लक्षण फ्लू या वायरल बुखार की तरह ही होते हैं. फर्क बस इतना है कि इस बीमारी में कीड़ा काटने वाले स्थान पर लाल रंग का घाव हो जाता है. यही इस बीमारी की सबसे बड़ी पहचान है. अगर ऐसी कोई परेशानी दिख रही है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं.

डॉक्टर ब्लड टेस्ट के जरिए बीमारी की पहचान कर सकता है. कुछ एंटीबायोटिक दवाओं से बीमारी का को काबू में किया जा सकता है.हालांकि इस बीमारी का कोई निर्धारित इलाज नहीं है और न ही आज तक कोई वैक्सीन बन चुकी है. स्क्रब टाइफस को दुनियाभर में आए 100 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन ये अब भी लोगों की मौत का कारण बन रही है. एक कीड़े से होने वाली ये बीमारी काफी खतरनाक है.

डिजिटल युग में बढ़ रही मेंटल डिजीज की दर, जानिए Anxiety से कैसे डील करें युवा?

आज की युवा पीढ़ी कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें से एक है एंग्जायटी. एंग्जायटी एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जो चिंता, बेचैनी और तनाव की भावनाओं को जन्म दे सकती है.

यह एक सामान्य समस्या है, लेकिन यह युवा लोगों में अधिक आम हो रही है. एंग्जायटी एक गंभीर समस्या हो सकती है, लेकिन इस समस्या का इलाज संभव है. सही उपचार और सपोर्ट के साथ, युवा लोग एंग्जायटी को कंट्रोल करके, एक हेल्दी और अच्छा जीवन जीना सीख सकते हैं.

यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सलाहकार-मनोचिकित्सक डॉ. समंत दर्शी बताती हैं कि एंग्जायटी से निपटने के लिए युवा पीढ़ी को सशक्त बनाना महत्वपूर्ण है. हमें खुली बातचीत को बढ़ावा देने और मानसिक स्वास्थ्य के आसपास के कलंक को तोड़ने की आवश्यकता है. इमोशनल ज्ञान का पोषण करके, स्व-विश्वास को बढ़ावा देकर और एक मजबूत समर्थन नेटवर्क बनाकर, हम अपने युवाओं को एंग्जायटी का सामना करने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करते हैं. आइए उन्हें याद दिलाएं कि कभी-कभी ठीक नहीं होना ठीक है और मदद लेना एक साहसी काम है, कमजोरी का संकेत नहीं. साथ में, हम एक ऐसी पीढ़ी तैयार कर सकते हैं, जो न केवल जीवित रहती है बल्कि पनपती है, एंग्जायटी को विकास और लचीलेपन के अवसर में बदल देती है.

डॉ. समंत दर्शी ने कहा कि निगेटिव सोच की पकड़ पर काबू पाने के लिए, बिना किसी निर्णय के एंग्जायटी को स्वीकार करने से शुरुआत करें. पहचानें कि यह मानव होने का एक स्वाभाविक हिस्सा है. अपना ध्यान सौम्य तरीके से पुनः निर्देशित करें. आत्म-आलोचना को आत्म-करुणा से बदलें, क्योंकि आप स्वयं अपने सबसे बड़े सहयोगी हैं. सचेतनता को अपनाएं और वर्तमान क्षण में स्थिर रहें. अतीत के पछतावे या भविष्य की चिंताओं पर ध्यान देने से बचें. जीवन के सबसे सरल क्षणों में सुंदरता की सराहना करते हुए कृतज्ञता का दैनिक अभ्यास विकसित करें. दोस्तों से सहयोग मांगकर, प्रेरक पुस्तकें पढ़कर या उत्थानकारी गतिविधियों में शामिल होकर अपने आप को पॉजिटिविटी से घेरें.

याददाश्त मजबूत करने के लिए रोज चलें इतने कदम, कैंसर और डिमेंशिया का खतरा भी होगा कम

रोजाना 10 हजार कदम चलने से डिमेंशिया (मनोभ्रंश), कैंसर, दिल की बीमारी और असामयिक मृत्यु का खतरा कम होता है. यह दावा ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी और दक्षिणी डेनमार्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है.

शोध में कहा गया कि इंसान जितना अधिक चलेगा उसकी याददाश्त उतनी मजबूत होगी. शोध में दैनिक कदमों की संख्या और डिमेंशिया के बीच लिंक पाया गया है. अध्ययन के निष्कर्ष जामा न्यूरोलॉजी में प्रकाशित किए गए हैं.

शोध में ब्रिटेन के 78,500 वयस्कों को शामिल किया गया. इसमें 35,040 पुरुष और बाकी महिलाएं थीं. अध्ययन के दौरान आकस्मिक कदमों को ध्यान में रखा गया, जो 40 कदम प्रति मिनट से कम थे. इसमें पाया गया कि एक दिन में कम से कम 3,800 कदम चलने से डिमेंशिया का जोखिम करीब 25% तक कम किया जा सकता है.

कई घातक बीमारियों से बचा जा सकेगा
दक्षिणी डेनमार्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अध्ययन के सहायक लेखक बोरजा डेल पॉजो क्रूज ने बताया कि कई ऐसे लोकप्रिय ऐप हैं, जिससे लोग अपनी शारीरिक गतिविधियों को रोजाना आसानी से ट्रैक कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि लोग ऐसा करते भी हैं. लेकिन कदमों की गति के बारे में कभी नहीं सोचते. उन्होंने कहा कि रोजाना कदम आधारित शारीरिक गतिविधि कर कई बीमारियों से बचा जा सकता है.

शोध में क्या चीज आई सामने?
क्रूज ने बताया कि शोध में शामिल प्रतिभागियों की उम्र 40 से 79 वर्ष के बीच थी. इनकी सात वर्षों तक निगरानी की गई. जिसमें पाया गया कि जो लोगों रोज 9,826 कदम चले, उनमें डिमेंशिया होने की संभावना 50% कम थी. आमतौर पर बैठे-बैठे जीवन जीने वाले लोग इस डर के साथ पैदल यात्रा शुरू करने से हिचकिचाते हैं कि पैदल चलना तब फायदेमंद होता है, जब कदमों की गिनती 10 हजार से ऊपर हो, लेकिन यह एक मिथक है.

हर साल बढ़ रहे डिमेंशिया के मरीज
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, वर्तमान में दुनियाभर में 5.5 मिलियन (5.5 करोड़) से ज्यादा लोग डिमेंशिया से ग्रसित हैं. इतना ही नही, हर साल लगभग एक मिलियन (10 लाख) नए मामले सामने आते हैं.

विश्वकर्मा पूजा कल, जानिए पूजा विधि, मंत्र, महत्व और कथा

विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर, रविवार को है। हिन्दू धर्म में भगवान विश्वकर्मा की उपासना का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी दिन देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था।

भक्तों के बीच दुनिया के सबसे पहले इंजीनियर के तौर पर लोकप्रिय भगवान विश्वकर्मा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने ही देवताओं के महल, स्वर्ग आदि का निर्माण किया।

यही नहीं उन्हें देवताओं के शस्त्र-अस्त्र का भी निर्माता कहा गया है जिसमें भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, शंकर जी का त्रिशूल, यमराज का कालदंड आदि शामिल हैं। यही कारण है कि भगवान विश्वकर्मा की विशेष पूजा कल-कारखानों और कार्यालयों में की जाती है लेकिन उत्तर भारत में कई घरों में भी उनका पूजा का विधान बहुत प्रचलित है।

विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कन्या संक्रांति 17 सितंबर 2023, रविवार के दिन पड़ रही है। ऐसे में विश्वकर्मा भगवान की पूजा भी इसी दिन की जाएगी। पंचांग के अनुसार, पूजा समय दोपहर 01 बजकर 43 मिनट रहेगा और इसी समय सूर्य गोचर करेंगे।

विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी उठे और घर या दफ्तर में लगे मशीनों की अच्छे से सफाई करें। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर लगाएं और उनकी पूजा करें। इस दिन अपने घर में रखें औजार, गाड़ी आदि की पूजा करें। दफ्तर या कल-कारखानों में भी लगे मशीनों की पूजा अवश्य करें। भगवान विश्वकर्मा को पीले या सफेद रंग के फूल चढ़ाए और उनके सामने सुगंधित धूप और दीपक जलाएं।

पूजा के दौरान मंत्र ‘ॐ श्री श्रीष्टिनतया सर्वसिधहया विश्वकरमाया नमो नमः’ का जाप करें। इस पूजा के दौरान ‘ॐ आधार शक्तपे नम:’ और ॐ कूमयि नम:, ॐ अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:’ मंत्र का भी जाप करें।

मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा के अनेक रूप हैं। इसके तहत दो बाहु वाले, चार बाहु एवं दस बाहु वाले तथा एक मुख, चार मुख एवं पंचमुख वाले विश्वकर्मा की बात कही गई है। विश्वकर्मा जी के मनु, मय, त्वष्टा, शिल्पी एवं दैवज्ञ नामक पांच पुत्र भी हैं। यह भी मान्यता है कि ये पांचों वास्तु शिल्प की अलग-अलग विधाओं में पारंगत थे।

विश्वकर्मा पूजा की कथा के अनुसार प्राचीन काल में वाराणसी में एक रथ बनाने वाला अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह हमेशा धर्म की राह पर चलता था। हालांकि, तमाम अथक प्रयास के बावजूद वह दो जून के भोजन से अधिक धन हासिल नहीं कर पाता था। इस दंपत्ति के कोई संतान नहीं थे। इस वजह से पत्नी भी चिंतित रहती थी।

इस परेशानी के बीच एक पड़ोसी ब्राह्मण ने रथकार और उसकी पत्नी से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए कहा। ब्राह्मण की बात मानकर रथकार और उसकी पत्नी ने भगवान विश्वकर्मा की पूजा की, जिससे उन्हें धन-धान्य और पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और वे सुखी जीवन व्यतीत करने लगे।

इन मंत्रों और आरती के साथ करें ऋषि पंचमी की पूजा

सनातन धर्म में ऋषि पंचमी व्रत का खास महत्व है. ऋषि पंचमी व्रत व्यक्ति को पाप कर्मों से मुक्ति दिलाता हैं. ऋषि पंचमी व्रत मुख्य तौर पर महिलाएं रखती है. भारत में कई स्थानों पर ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है.

इस व्रत में सप्तम ऋषियों की पूजा भी की जाती है. यह गणेश चतुर्थी के अगले ही दिन पड़ता है. इस साल ऋषि पंचमी आज 19 सितंबर 2023 को है. ऋषि पंचमी को गुरु पंचमी, भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. ऋषि पंचमी पर सप्तऋषियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. ऋषि पंचमी पर उपवास रखने से पापों से मुक्ति एवं ऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

ऋषि पंचमी पूजा विधि:-
ऋषि पंचमी के दिन प्रातः जल्दी स्नान करने के पश्चात् साफ वस्त्र धारण करें. घर पर साफ जगह पर चौकोर आकार का आरेख मंडल कुमकुम, हल्दी तथा रोली से तैयार करें. मंडल पर सप्तऋषि की प्रतिमा स्थापित करें. फिर शुद्ध जल और पंचामृत छिड़कें. चंदन का टीका लगाएं. सप्तऋषि को पुष्प अर्पित करें. इसके पश्चात उन्हें पवित्र यज्ञोपवीत पहनाएं और सफेद वस्त्र भेंट करें. महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. पूजा के पश्चात् महिलाओं को अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए.

ऋषि पंचमी का मंत्र
ऋषि पंचमी पर इस मंत्र के जाप से सभी पापों से मुक्ति पाई जा सकती है. घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है. विशेष रूप से महिलाओं को ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
‘कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः.
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः’॥

ऋषि पंचमी की आरती:-
ॐ जय -जय शान्तपते , प्रभु जय -जय शान्तपते ।
पूज्य पिता हम सबके, तुम पालन करते । ॐ जय …
शान्ता संग विराजे, ऋषि श्रृंग बलिहारी । प्रभु……
जस गिरिजा संग सोहे, भोले त्रिपुरारी । ॐ जय ….
लोमपाद की रजधानी में, जब दुर्भिक्ष परयो । प्रभु…..
वृष्टि हेतु बुलवाये, जाय सुभिक्ष करयो । ॐ जय …..
महायज्ञ पुत्रेष्ठी, दशरथ घर कीनो । प्रभु…..
प्रकट भये प्रतिपाला, दीन शरण लीनो । ॐ जय …..
शीश जटा शुभ सोहे, श्रृंग एक धरता । प्रभु……
सकल शास्त्र के वेत्ता, हम सबके करता । ॐ जय …..
सब बालक हम तेरे, तुम सबके स्वामी । प्रभु……
शरण गहेंगे तुमरी, ऋषि तव अनुगामी । ॐ जय ……
विनय हमारी तुमसे, सब पर कृपा करो । प्रभु….
विद्या बुद्धि बढ़ाओ,उज्ज्वलभाव भरो । ॐ जय …..
हम संतान तुम्हारी, श्रृद्धा चित्त लावें । प्रभु…..
मंडल आरती ऋषि श्रृंग की, प्रेम सहित गावें ॐ जय …..

मंत्र, आरती, शुभ मुहूर्त से लेकर बप्पा की स्थापना तक, यहाँ जानिए गणेश चतुर्थी से जुड़े हर सवाल का जवाब

सनातन धर्म में कोई भी शुभ कार्य शुरु करने से पहले प्रभु श्री गणेश की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यता है कि प्रभु श्री गणेश की पूजा करने से सारी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं। वही इस बार गणेश चतुर्थी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी।

अंग्रेजी महीने के मुताबिक, यह सितंबर माह की 19 तारीख को पड़ रही है। 10 दिन चलने वाले इस पर्व की धूम पूरे भारत में देखने को मिलेगी। इस के चलते भक्त गणपति की निरंतर 10 दिन तक पूरे विधि विधान से पूजा-अर्चना करेंगे। फिर 10 दिनों बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन कर उन्हें विदा करेंगे।

गणेश चतुर्थी 2023 स्थापना मुहूर्त:-
गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की स्थापना और इसके पश्चात् उनका विसर्जन दोनों ही शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. आइये बताते हैं गणेश चतुर्थी पर गौरी पुत्र गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना का शुभ मुहूर्त.
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि प्रारंभ – सोमवार 18 सितंबर 2023, दोपहर 12:39
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त – मंगलवार 19 सितंबर 2023, दोपहर 01:43

गणेश चतुर्थी 2023 की महत्वपूर्ण तिथियां:-
गणेश चतुर्थी 2023 आरम्भ- मंगलवार, 19 सितबंर 2023
गणेश चतुर्थी 2023 समाप्त – गुरुवार 28 सितंबर 2023
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शुरू – सोमवार 18 सितंबर 2023, दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त – मंगलवार 19 सितंबर 2023, दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक
गणेश स्थापना समय – 19 सितंबर 2023, सुबह 11:07 – दोपहर 01:34 तक
गणेश चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त – 19 सितंबर 2023, सुबह 11:01 से दोपहर 01:28 तक

गणेश चतुर्थी पर बन रहे हैं 2 शुभ संयोग:-
पंचांग के मुताबिक, 19 सितंबर को स्वाति नक्षत्र दोपहर 01 बजकर 48 तक रहेगा। तत्पश्चात, विशाखा नक्षत्र रात तक रहेगा। ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन 2 शुभ योग बनेंगे। इसके अतिरिक्त इस दिन वैधृति योग भी रहेगा जो बेहद ही शुभ माना गया है।

इस पूजा विधि के साथ करें भगवान गणेश की स्थापना:-
प्रभु श्री गणेश जी की स्थापना चतुर्थी के दस दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसलिए गणेश चतुर्थी 2023 के चलते विधि अनुसार भगवान की पूजा और उनकी स्थापना करनी चाहिएः
प्रभु श्री गणेश के आगमन से पहले घर को अच्छी तरह से साफ कर लें तथा उसे फूलों और रंगोली से सजा दें।
तत्पश्चात, प्रभु श्री गणेश की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का चुनाव करें तथा आप किसी पुजारी या ज्योतिषी से सलाह लेकर भी शुभ मुहूर्त का चुनाव कर सकते है।
अपने घर या पंडाल में प्रभु श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। आप पर्यावरण के अनुकूल मूर्ति खरीद सकते हैं या घर पर ही बना सकते हैं।
फिर प्रभु श्री गणेश जी का हल्दी, चंदन और सिंदूर से श्रृंगार करें तथा भगवान को दूर्वा घास अवश्य चढ़ाएं।
अब गणेश जी के सामने धूप, दीपक जलाएं तथा इनकी आरती करें।
आरती करने के बाद प्रभु श्री गणेश जी को मोदक व लड्डू का भोग लगाएं।
भगवान को भोग लगाने के पश्चात् भोग का प्रसाद सभी लोगों में अवश्य बांटे।
दसवें दिन, भगवान गणेश की प्रतिमा को किसी जल निकाय में विसर्जित कर दें।

गणेश जी की आरती:-
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥

अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥

राशिनुसार करें इन मंत्रों का जाप:-
मेष: मेष राशि के जातकों को गणेश जी की पूजा करते समय एक मंत्र बोलना चाहिए – ॐ वक्रतुण्डाय हुं।।
वृषभ: वृषभ राशि के जातकों को ॐ हीं ग्रीं हीं मंत्र को रोज बोलना है।
मिथुन:- मिथुन राशि के जातक श्रीगणेशाय नमः या ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें और प्रतिदिन फूल चढ़ाएं।
कर्क:- कर्क राशि के जातकों को ॐ वरदाय नः या ॐ वक्रतुण्डाय हूं मंत्र का जाप करना है।
सिंह:- सिंह राशि के जातकों को गणेश जी का मंत्र ॐ सुमंगलाये नमः का जाप करना है, एक माला रोज करें।
कन्या:- कन्या राशि के जातकों को ॐ चिंतामण्ये नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
तुला:- तुला राशि के जातकों को प्रतिदिन ॐ वक्रतुण्डाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
वृश्चिक:- वृश्चिक राशि के जातकों को मंत्र ॐ नमो भगवते गजाननाय का जाप रोज करना चाहिए।
धनु:- धनु राशि के जातक हर रोज ॐ गं गणपते मंत्र का जाप करें।
मकर:- मकर राशि के जातकों को ॐ गं नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
कुंभ:- कुम्भ राशि के जातकों को ॐ गण मुत्कये फट् मंत्र का रोजाना जाप करना चाहिए।
मीन:- मीन राशि के जातकों को ॐ गं गणपतये नमः य ॐ अंतरिक्षाय स्वाहा मंत्र की माला रोजाना करनी चाहिए।

भगवान गणेश की पूजा से जुड़ी कुछ अहम बातें:-
गणेश जी की पूजा में तुलसी को सम्मिलित न करें।
आपको प्रभु श्री गणेश को गुड़ के मोदक और बूंदी के लड्डू, शामी वृक्ष के पत्ते तथा सुपारी अर्पित करनी चाहिए, क्योंकि ये चीजें भगवान को अति प्रिय होती हैं।
गणपति जी की पूजा हमेशा हरे रंग के कपड़े पहनकर करनी चाहिए।
गणेश चतुर्थी में भगवान की स्थापना करने के पश्चात् प्याज और लहसुन का सेवन न लगाएं।
पूजा के चलते भगवान को दूर्वा घास अवश्य चढ़ाएं।

गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए:-
हिंदू संस्कृति में ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए। यह मान्यता पीढ़ियों से चली आ रही है। कहा जाता है कि प्रभु श्री कृष्ण पर एक बहुमूल्य रत्न चोरी करने का झूठा आरोप लगाया गया तथा उन्हें सजा दी गई। तत्पश्चात, भगवान को कोढ़ की बीमारी हो गई, जिससे छुटकारा पाने का सिर्फ एक ही तरीका था, भक्ति-भाव के साथ गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति की पूजा करना। हालांकि, इस त्यौहार की रात जब भगवान ने चंद्रमा को देखा, तो उनकी बीमारी और बढ़ गई। यही वजह है कि इस दिन चंद्रमा को नहीं देखना चाहिए।

10 दिनों में इन 10 चीजों का लगायें भोग:-
प्रभु श्री गणेश को मोदक अति प्रिय है। इस लिए गणेश चतुर्थी यानि प्रभु श्री गणेश के जन्मोत्सव के दिन सबसे पहले मोदक का भोग लगाना चाहिए।
गणेश महोत्सव के दूसरे दिन गणपति को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाना उत्तम होता है।
तीसरे दिन प्रभु श्री गणेश की पूजा में बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
हिन्दू धर्म में प्रभु श्री गणेश को केले का भोग लगाना उत्तम माना जाता है। इस लिए गणेश चतुर्थी पूजा के चौथे दिन केले का भोग लगाना चाहिए।
गणेश जन्मोत्सव के पांचवें के दिन घर में स्वादिष्ट मखाने की खीर बनाकर उसी का भोग लगायें।
गणेश चतुर्थी को पूजा के 6वें दिन गणपति को नारियल का भोग लगाएं।
जन्मोत्सव के 7वें दिन गणेश पूजा में मेवे के लड्डू का भोग लगाएं।
दूध से बना कलाकंद प्रभु श्री गणेश को बहुत प्रिय है। इस लिए पूजा में कलाकंद का भोग लगायें।

स्थानांतरण में कैडर सुधार करने की मांग…

स्थानांतरण में कैडर सुधार करने की मांग

हराजगंज। बेसिक शिक्षक
वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने शुक्रवार को बीएसएस को ज्ञापन देकर अंतः जनपदीय स्थानांतरण में कैडर सुधार कराने की मांग की है।

कहा है कि यदि कैडर में सुधार कराकर वंचित शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं किया गया तो | अधिकांश शिक्षक स्थानांतरण से वंचित हो जाएंगे।जिलाध्यक्ष श्रवण कुमार चौरसिया ने कहा कि बीएसए ने अपने 11 सितंबर के आदेश के द्वारा अंतः जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण में प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापक की श्रेणी को पेयर और फाइल जमा करने से अलग कर दिया है। इस दौरान रोशन गुप्ता, अमरजीत भारती, अरविंद गुप्ता, दिलीप साहनी, गोपाल, मनोज गुप्ता, बृजेश, विकास रौनियार, अखिलेश पटेल, शिवेंद्र आदि मौजूद रहे।

संगम विहार में शराब के नशे में तोड़ी भगवान की मूर्ति, आरोपी गिरफ्तार

दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार इलाके में स्थित शनि मंदिर में रखी मूर्ति को तोड़ दिया गया. पुलिस ने मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में बदमाशों के हौसले बुलंद है, आए दिन किसी न किसी वारदात को अंजमा देते हैं.

ताजा मामलासाउथ दिल्ली के संगम विहार इलाके से सामने आया है, जहां मंदिर में रखी मूर्ति को कुछ शरारती तत्वों में तोड़ दिया. मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. उसकी पहचान सर्वेश के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. पुलिस ने संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी है.

डीसीपी साउथ चंदन चौधरी ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि यह घटना संगम विहार, गुप्ता कॉलोनी के J2 ब्लॉक की है. इससे संबंधित, पुलिस को एक पीसीआर कॉल प्राप्त हुई, बताया गया कि यहां शनि मंदिर की मूर्ति किसी ने पत्थर से तोड़ दी है. सूचना पाकर पुलिस टीम तुरंत घटना स्थल पर पहुंची, वहां देखा कि किसी अज्ञात शख्स ने मंदिर में घुसकर भगवान की मूर्ति को तोड़ दिया है.

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की. मंदिर के आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई. इसके साथ पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस की मदद ली. आखिरकार आरोपी को पहचान कर पकड़ लिया गया. पूछताछ में उससे बताया कि शराब के नशे में आकर इस तरह की वारदात को अंजाम दिया है.

गिरफ्तार आरोपी उत्तर प्रदेश के उन्नाव का मूल निवासी है. शनि मंदिर से आधा किलोमीटर दूरी पर वह रहता था. पुलिस ने शिकायतकर्ता की शिकायत के आधार पर आरोपित के खिलाफ आईपीसी की कई धराओं के तहत मामला दर्ज किया है.

पुलिस और गो तस्करों में मुठभेड़ में एक तस्कर को लगी गोली, तीन पकड़े

दौसा जिले के सदर थाना इलाके में गो तस्करी करने आए तस्करों और पुलिस के बीच शुक्रवार देर रात मुठभेड़ हो गई। बताया जा रहा है कि गो तस्करों ने पुलिस को देखकर फायरिंग कर दी।

इसके जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलाई। जिसमें एक गो तस्कर के पैर में गोली लगी है,जिसका दौसा के राजकीय अस्पताल में पुलिस कस्टडी में इलाज जारी है। इसके साथ ही पुलिस ने दो अन्य गो तस्करों को पकड़ा है। पुलिस ने गिरफ्तार गो तस्करों के कब्जे से हथियार और कारतूस भी बरामद हुए हैं। फिलहाल गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ की जा रही है।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बजरंग सिंह शेखावत ने बताया कि दौसा पुलिस को सूचना मिली थी कि कुछ लोग गाड़ी में भरकर गोवंश को तस्करी के लिए ले जा रहे हैं। इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सर्च अभियान शुरू किया। इसी कड़ी में जीरोता के नांगल बैरसी रोड के पास गोवंश से भरे ट्रक को रुकवाया गया तो ट्रक से उतरकर चार तस्कर खेत में भाग गए। जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस की डीएसटी (डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम), क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम), कोतवाली और कंट्रोल रूम से अन्य पुलिस जाब्ते को बुलाया गया और रात में पुलिस ने गो तस्करों को पकड़ने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया। गो तस्करों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। इस पर पुलिस को भी गो तस्करों पर जवाबी फायरिंग करनी पड़ी। इस मुठभेड़ के दौरान एक गो तस्कर के पैरों में गोली लगी है, जबकि दो अन्य गो तस्कर रात में भागने के दौरान चोटिल हो गए। पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। जहां गोली लगने से घायल हुए गो तस्कर को इलाज के लिए दौसा अस्पताल लाया गया है। इसके साथ ही अन्य गो तस्करों से पुलिस पूछताछ कर रही है।

सदर थाना अधिकारी गौरव प्रधान ने बताया कि गो तस्कर मोहम्मद इरफान, रईस व साजिद को गिरफ्तार करते हुए दौसा जिले के राजकीय अस्पताल में पुलिस कस्टडी में भर्ती कराया है। तीनों आरोपितों का इलाज जारी है। सभी तस्कर हरियाणा के पलवल जिले के हैं। साथ ही रात में अंधेरे का फायदा उठाकर एक तस्कर फरार होने में कामयाब हो गया।