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नया वैरिएंट पिरोला पिछले वैरिएंट्स से कितना अलग? जानिए वैश्विक स्तर पर बढ़ते इस नए जोखिम के बारे में

कोरोना के नए वैरिएंट्स के मामले वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। एरिस (EG.5) और पिरोलो जैसे नए वैरिएंट्स की प्रकृति काफी संक्रामकता वाली देखी जा रही है, जिसको लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। पिरोला के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं और बेहद कम समय में 55 से अधिक देशों में पहुंच चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस नए वैरिएंट की प्रकृति को देखते हुए इसे ‘वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग’ के रूप में वर्गीकृत किया है।

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि नए वैरिएंट्स में अधिक म्यूटेशन देखे गए हैं, जो शरीर में वैक्सीन और पहले के संक्रमण से बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा देकर लोगों को संक्रमित कर सकता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, वैश्विक स्तर पर कोरोना के नए वैरिएंट्स के मामले जिस तरह से बढ़ते जा रहे हैं, ये बड़ा स्वास्थ्य जोखिम हो सकता है, इससे सभी लोगों को बचाव करते रहना जरूरी है। पिरोला की प्रकृति अत्यधिक संक्रामकता वाली हो सकती है क्योंकि इसमें मूल वैरिएंट की तुलना में 35 से अधिक म्यूटेशन हैं। आइए जानते हैं कि ओमिक्रॉन के अब तक के वैरिएंट्स की तुलना में ये नया वैरिएंट कितना अलग है?

ओमिक्रॉन का सबसे अधिक म्यूटेशन वाला वैरिएंट

अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना के इस नए वैरिएंट को इसके अत्यधिक म्यूटेशन काफी अलग बनाते हैं। म्यूटेशंस की अधिकता का मतलब है कि ये पिछले वैरिएंट्स की तुलना में अपने आनुवंशिक अनुक्रम के आधार पर कितने भिन्न हैं?

हाल ही में सामने आए वैरिएंट BA.2.86 में 35 नए उत्परिवर्तन हैं जो इसे पहले से ज्ञात कोविड वैरिएंट से अलग करते हैं। अधिक म्यूटेशनों का मतलब यह भी है कि यह आसानी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में सफल हो रहा है, जिसके कारण कम समय में अधिक से अधिक लोगों में संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है।

एसिडिटी जैसे ये लक्षण कहीं हार्ट अटैक की तरफ इशारा तो नहीं?

एसिडिटी, लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण होने वाली समस्या है, जो काफी असहज करने वाली स्थिति हो सकती है। एसिडिटी के कारण पाचन स्वास्थ्य से संबंधित कई तरह की समस्याओं के होने का भी खतरा रहता है। इसमें आमतौर पर खाने के बाद सीने में जलन की समस्या, पेट में दर्द और ऐंठन होने लगती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, एसिडिटी का मुख्यकारण भोजन का सही तरीके से पाचन न हो पाना माना जाता है, इसके लक्षणों पर ध्यान देकर समय रहते इलाज कराना आवश्यक हो जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि एसिडिटी के कई लक्षण अन्य बीमारियों से भी मिलते-जुलते हो सकते हैं, जिसके बारे में ध्यान देना आवश्यक हो जाता है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, हृदय रोगों, विशेषकर हार्ट अटैक के कई लक्षण एसिडिटी जैसे ही हो सकते हैं। यही कारण है कि दिल के दौरे के प्रमुख लक्षणों को गलत तरीके से एसिडिटी या गैस्ट्रिक की समस्या समझ लिया जाता है। वहीं अगर हार्ट अटैक की स्थिति की समय पर पहचान की जाए और इसका उपचार न किया जाए तो इसके कारण मृत्यु का भी खतरा हो सकता है।

आइए जानते हैं कि हार्ट अटैक के कौन से लक्षण एसिडिटी जैसे ही हो सकते हैं, जिनपर गंभीरता से ध्यान दिया जाना और समय पर इलाज कराना आवश्यक हो जाता है?
दोनों समस्याओं के लक्षण हो सकते हैं एक जैसे

शोधकर्ता बताते हैं, हार्ट अटैक भले ही हृदय रोगों के कारण होने वाली समस्या है, पर इसमें होने वाली कुछ दिक्कतें पाचन स्वास्थ्य में गड़बड़ी के कारण होने वाले लक्षणों से मिलते-जुलते हो सकते हैं। दोनों स्वास्थ्य समस्याओं में जो लक्षण सबसे कॉमन है वो है- बर्निंग सेंसेशन। अक्सर इस लक्षण को लेकर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। हालांकि यहां गौर करने वाली बात ये है कि एसिडिटी के कारण होने वाली हार्ट बर्न की समस्या कुछ समय में ठीक हो जाती है, जबकि हार्ट अटैक के कारण होने वाली ये दिक्कत जानलेवा दुष्प्रभावों वाली मानी जाती है।

जी20 बैठकों को लेकर चीन की आपत्ति खारिज, पीएम मोदी बोले- देश के हर हिस्से में बैठक होना स्वभाविक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यह स्वभाविक है कि जी20 की बैठकें देश के हर हिस्से में आयोजित होंगी। प्रधानमंत्री ने चीन की उन आपत्तियों को खारिज कर दिया, जिनमें चीन ने अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर में जी20 बैठकों का आयोजन होने पर नाराजगी जताई थी। बता दें कि भारत की अध्यक्षता में जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश समेत कई जगहों पर जी20 की बैठकें आयोजित की गईं।

प्रधानमंत्री ने कही ये बात
बता दें कि भारत की संस्कृति और विविधता को दर्शाने के लिए सरकार ने देश के अलग-अलग हिस्सों में जी20 की बैठकें आयोजित की थी। ये बैठकें अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में भी आयोजित की गईं थी। इस पर चीन और पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी क्योंकि चीन अरुणाचल प्रदेश को और पाकिस्तान जम्मू कश्मीर को ‘विवादित’ मानते हैं। मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने चीन, पाकिस्तान की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि ‘यह सवाल उस वक्त वैध होता अगर हमने उन जगहों पर बैठकें करने से परहेज किया होता। हमारा देश विशाल और विविधताओं से भरा है। जब देश में जी20 बैठकें हो रही हैं तो ये स्वभाविक है कि यह देश के हर हिस्से में आयोजित की जाएंगी।’

60 शहरों में हुईं जी20 की बैठकें
पर्यटन के मुद्दे पर जी20 वर्किंग ग्रुप की तीन दिवसीय बैठक 22 मई को श्रीनगर में थी। इस दौरान चीन को छोड़कर अन्य जी20 देशों के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में शिरकत की थी। वहीं मार्च में अरुणाचल प्रदेश में भी जी20 की बैठक हुई थी। भारत ने चीन की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि वह अपने क्षेत्र में कहीं भी बैठकें करने के लिए स्वतंत्र है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब जी20 में जब भारत की अध्यक्षता समाप्त होगी, तब तक 220 से ज्यादा बैठकें, देश के 60 शहरों और 28 राज्यों में हो चुकी होंगी। इस दौरान 125 देशों के एक लाख से ज्यादा प्रतिनिधि इन बैठकों में शिरकत कर चुके होंगे।

रेलवे और बैंकिंग में अपरेंटिस सहित कई क्षेत्रों में भर्ती, जानिए आवेदन प्रक्रिया…

सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मध्य रेलवे में अपरेंटिस सहित कई सरकारी विभागों में नौकरी करने का सुनहरा मौका है। इच्छुक उम्मीदवार इन भर्तियों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
Indian Coast Guard Assistant Commandant Recruitment
भारतीय तटरक्षक बल ने असिस्टेंट कमांडेंट पदों पर भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार जॉइन इंडियन कोस्ट गार्ड की आधिकारिक वेबसाइट join Indiancoastguard.cdac.in पर जाकर एक सितंबर 2023 से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2023 तक है।

SSC Delhi Police Constable Recruitment 2023
कर्मचारी चयन आयोग ने दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल 7547 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। आवेदन विंडो 30 सितंबर, 2023 को बंद हो जाएगी। इस भर्ती अभियान के माध्यम से दिल्ली पुलिस में कॉन्सटेबल के कुल 7,547 पद भरे जाएंगे। उम्मीदवारों की आयु सीमा 18 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए। उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 (सीनियर सेकेंडरी) उत्तीर्ण होना चाहिए। इच्छुक उम्मीदवार एसएससी दिल्ली पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 के लिए आधिकारिक वेबसाइट -ssc.nic.in के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।

IOCL Apprentice Recruitment 2023
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) में 490 अपरेंटिस पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इन रिक्तियों के लिए आवेदन की प्रक्रिया जारी है। इच्छुक उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट iocl.com पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 10 सितंबर 2023 तक है।

दिल्ली पुलिस और एसबीआई सहित कई सरकारी विभागों में नौकरी का मौका…

दिल्ली पुलिस में कॉन्सटेबल और एसबीआई में अप्रेंटिस के लिए बंपर भर्ती चल रही है। सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए कई सरकारी विभागों में नौकरी करने का सुनहरा मौका है। भर्ती की पूरी प्रोसेस नीचे पढ़िए।


SSC Delhi Police Constable Recruitment 2023
कर्मचारी चयन आयोग ने दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के 7000 से भी अधिक पदों पर उम्मीदवारों की भर्ती चल रही है। इच्छुक उम्मीदवार एसएससी दिल्ली पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 के लिए आधिकारिक वेबसाइट -ssc.nic.in के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन विंडो 30 सितंबर, 2023 को बंद हो जाएगी। इस भर्ती अभियान के माध्यम से दिल्ली पुलिस में कॉन्सटेबल के कुल 7,547 पद भरे जाएंगे।

SBI Apprentice Recruitment 2023
भारतीय स्टेट बैंक ने एसबीआई अपरेंटिस भर्ती 2023 के लिए पंजीकरण विंडो खोल दिया है। इच्छुक उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट – sbi.co.in के माध्यम से इस भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 21 सितंबर है। इच्छुक उम्मीदवार इस समय सीमा के भीतर आवेदन जरूर कर दें। इस भर्ती अभियान का लक्ष्य कुल 6,160 पदों को भरना है।

National Seeds Corporation Limited Recruitment
नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने 89 जूनियर ऑफिसर, मैनेजमेंट ट्रेनी और अन्य पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं। इच्छुक उम्मीदवार इन रिक्तियों के लिए आधिकारिक वेबसाइट www.indiaseeds.com पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की आखिरी तारीख 25 सितंबर 2023 तक है।

इन महिलाओं ने यूट्यूब में अपनी टीचिंग स्टाइल से बनायी अलग पहचान, लाखों में है सब्सक्राइबर्स

यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन ऑन स्कूल एजुकेशन की एक सालाना रिपोर्ट (2019-20) के मुताबिक, भारत में लगभग 97 लाख शिक्षक हैं, जिनमें महिला शिक्षकों की भागीदारी लगभग 49 लाख है. इस तरह से देखा जाये, तो शिक्षण के क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से आगे बढ़ चली हैं.

कोरोनाकाल के दौरान ऑनलाइन टीचिंग के बढ़ते चलन ने उन महिलाओं को भी इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया है, जो पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण घर की दहलीज से बाहर जाकर काम करने में असमर्थ थीं.

आज ऑनलाइन टीचिंग एप्स और खासकर यूट्यूब पर आपको ऐसी कई महिलाएं मिलेंगी, जिन्होंने टीचिंग के बलबूते अपनी एक अलग पहचान बनायी है. इन ऑनलाइन शिक्षकों ने इंटरनेट के जरिये दूर-दराज के उन पिछड़े इलाकों के बच्चों तक भी अपनी पहुंच बनायी है, जिनके पास अच्छे स्कूल या महंगे कोचिंग संस्थान में जाने का विकल्प नहीं होता.

ये कहना गलत नहीं होगा कि ऐसे बच्चों तक मुफ्त में अपनी क्लासेज पहुंचाकर ये शिक्षिकाएं सभी को वास्तविक रूप में शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं.

रोशनी मुखर्जी

चैनल : LearnoHub, सब्सक्राइबर्स :

26 लाख, नेटवर्थ : 2 करोड़ (लगभग)

एग्जाम का डर दूर भगाता है ‘एग्जाम फियर’

रोशनी मूल रूप से धनबाद की रहनेवाली हैं. एक मिडिल क्लास बंगाली परिवार में पली-बढ़ी रोशनी शुरू से ही अपने दम पर कुछ करने का सपना देखती थीं. पढ़ाई में हमेशा से अच्छी रही रोशनी ने शुरुआत में टेक्निकल फील्ड में अपना करियर बनाने का सपना देखा था. पढ़ाई करने के दौरान उन्हें कई बार मैथ, फिजिक्स, केमिस्ट्री और कंप्यूटर साइंस के कॉन्सेप्ट्स को समझने में दिक्कत का सामना करना पड़ता था. इन्हें वो खुद कोशिश करके समझती थीं और जरूरत पड़ने पर दूसरों को भी अच्छे तरीके से समझाती थीं. यहीं से उन्हें यकीन होने लगा था कि वो अच्छी टीचर बन सकती हैं. पढ़ाई पूरी होने के बाद रोशनी ने कई मल्टीनेशनल कंपनीज में काम भी किया, पर समाज के वो बच्चे जो पैसों या उचित संसाधन के अभाव में सही शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते, उनके लिए कुछ करने का विचार उनके मन से कभी नहीं गया.

अपनी इसी कोशिश के लिए उन्होंने 2011 में ‘एग्जाम फियर’ नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत की, जो आज ‘लर्नो हब’ के नाम से जाना जाता है. आज इस यूट्यूब चैनल के 26 लाख से भी ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. यहां वे अपने स्टूडेंट्स को सारा कंटेंट मुफ्त में उपलब्ध करवाती हैं. अपने इस चैनल पर उन्होंने अब तक 7800 से भी ज्यादा वीडियो लेसन्स पोस्ट किये हैं, जो मुख्य रूप से 9वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ्स और डीआइवाइ साइंस की जानकारी देते हैं. अपने बेहतरीन काम के कारण रोशनी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के ‘100 वीमन अचीवर्स ऑफ इंडिया’ में भी शामिल हो चुकी हैं. साथ ही उन्हें ‘एडूट्यूबर प्रेजिडेंट अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है.

अलीना रईस

चैनल : Aleena Rais Live, सब्सक्राइबर्स : 37 लाख, नेटवर्थ : 7 करोड़ (लगभग)

फ्लूएंट इंग्लिश ने बनाया स्पोकन इंग्लिश ट्रेनर

मूल रूप से लखनऊ की अलीना रईस ऑनलाइन स्पोकन इंग्लिश सीखने वालों के बीच एक जाना-पहचाना नाम हैं. वैसे तो अलीना ने सीए की पढ़ाई की है, पर उनकी इंग्लिश भी काफी अच्छी थी और वो चाहती थीं कि वो इसके जरिये भी अपनी एक पहचान बनाये. उन्होंने खुद इतनी अच्छी इंग्लिश कैसे सीखी, ये बताने के लिए उन्होंने एक वीडियो बनाया था, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. तभी उन्हें एहसास हुआ कि लोग इस तरह की चीजें देखना पसंद करते हैं. फिर दोस्तों के साथ फ्यूचर प्लान्स डिसकस करते हुए 2018 में उन्हें इंग्लिश स्पीकिंग ट्रेनिंग कराने का ख्याल आया. ये वो दौर था, जब ऑनलाइन क्लासेज का चलन काफी तेजी से बढ़ने लगा था. हालांकि, उनके माता पिता ने उनके इस फैसले का विरोध किया. क्योंकि उनका मानना था कि यूट्यूब जैसी चीजें कभी कोई करियर ऑप्शन नहीं हो सकतीं. मगर अलीना ने सबको गलत साबित कर दिखाया. आज उनके यूट्यूब चैनल के करीब 37 लाख सब्स्क्राइबर हैं और वे अब तक इंग्लिश स्पीकिंग की ट्रेनिंग से जुड़े 675 वीडियोज पोस्ट कर चुकी हैं.

नेहा अग्रवाल

चैनल : मैथेमेटिकली इंक्लाइंड,

सब्सक्राइबर्स : 14.2 लाख, नेटवर्थ : 36 लाख (लगभग)

मुफ्त मैथ पढ़ाने के लिए ठुकराया 1 करोड़ का ऑफर

जहां मैथ्स से बच्चे डरकर दूर भागते हैं, वहीं नेहा को बचपन से ही मैथ्स से खासा लगाव था. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मैथ्स में एमएससी की डिग्री ली है. टीचिंग में अपना करियर बनाने को लेकर नेहा का रुख हमेशा से ही स्पष्ट था. 2017 में उन्होंने ‘मैथेमेटिकली इंक्लाइंड’ की शुरुआत की और बच्चों को मैथ्स की ऑनलाइन क्लासेज देने लगीं. नेहा की टीचिंग की खास बात ये है कि वो सीरियस लहजे में पढ़ाने की बजाय हंसते-हंसाते पढ़ाना पसंद करती हैं. अपनी क्लासेज के दौरान वो हमेशा एक पॉजिटिव वाइब बनाये रखती हैं, जिससे बच्चे कभी बोर या हताश महसूस नहीं करते. फिलहाल, नेहा यूट्यूब की एकमात्र ऐसी टीचर हैं, जो 11वीं और 12वीं कक्षाओं के मैथ्स की ट्रिक्स बताती हैं. उनके बताने का तरीका ऐसा होता है कि स्टूडेंट उसे आसानी से याद कर पाते हैं. फिलहाल वो अपने यूट्यूब चैनल के जरिये जेइइ, एनडीए, बीआइटीएसएटी, एमएचसीइटी की तैयारी में भी स्टूडेंट्स की हेल्प करती हैं. नेहा को एक ऑनलाइन टीचिंग संस्थान में बतौर टीचर काम करने के लिए करोड़ों का पैकेज भी ऑफर किया गया, मगर उन्होंने साफ इंकार कर दिया और बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के अपने इरादे पर अडिग रहीं.

कंचन केशरी

चैनल : English Connection,

सब्सक्राइबर्स : 1 करोड़, 26 लाख

पेन पेपर से शुरू हुआ सिखाने का सिलसिला

लोगों को फ्लूएंट इंग्लिश सिखाने के लिए कंचन केशरी ने 2015 में ‘इंग्लिश कनेक्शन’ नाम से यूट्यूब चैनल की शुरुआत की. शुरू में कंचन बस एक पेन पेपर और मोबाइल की मदद से वीडियो क्रिएट कर उसे यूट्यूब पर डाला करती थीं. मगर उनके पढ़ाने का अलग अंदाज लोगों को इतना पसंद आया कि धीरे-धीरे लोग जुड़ते गये और कारवां बढ़ता गया. आज उनके यूट्यूब चैनल के सवा करोड़ से भी ज्यादा सब्स्क्राइबर हैं. अब तक वो अपने ट्रेनिंग क्लासेज के करीब 1200 वीडियोज पोस्ट कर चुकी हैं. कंचन ने खुद भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी भाषा और साहित्य/पत्र में मास्टर ऑफ आर्ट्स किया है और अब वो यूट्यूब के माध्यम से बच्चों को इंग्लिश सीखने में मदद कर रही हैं. इस काम में उन्हें उनके पति और बेटी का भी पूरा सहयोग मिला. कंचन के नक्शे कदम पर चलते हुए उनकी बेटी अद्विता केशरी भी इंग्लिश ट्रेनर हैं और उनका नाम सिर्फ पांच साल की उम्र में सबसे कम उम्र की इंग्लिश ट्रेनर बनने के लिए ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स – लंदन’ में भी दर्ज किया गया है.

हिमांशी सिंह

चैनल : Let’s LEARN, सब्सक्राइबर्स : 41.8 लाख, नेटवर्थ : 30-40 लाख

पढ़ने-पढ़ाने का शौक बन गया करियर

दिल्ली की हिमांशी सिंह ने महज 24 साल की उम्र में कई उपलब्धियां हासिल करने के साथ ही टीचिंग में अपनी अलग पहचान भी बनायी है. जहां इस उम्र के बच्चे अपने करियर के लिए चिंतित रहते हैं, हिमांशी ने यह साबित किया है कि कैसे हम अपने लक्ष्य को कठिन परिश्रम से हासिल कर सकते हैं. हिमांशी के माता-पिता दोनों ही टीचर हैं और वह खुद भी हमेशा से अपना करियर इसी फील्ड में बनाना चाहती थी. पढ़ाने का शौक तो उन्हें ऐसा था कि अक्सर बचपन में वो अपने माता-पिता के स्कूल में खुद से छोटे बच्चों को पढ़ाती रहती थी. दिल्ली विवि से शिक्षण में 2 वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम करने के बाद उन्होंने सीटीइटी पास किया.

बस इसके बाद ये सफर कभी नहीं रुका. 2016 में उन्होंने ‘लेट्स लर्न’ नाम से अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया और अपना पहला वीडियो ‘हाउ टू क्रैक सीटीइटी विदाउट कोचिंग’अपलोड किया. लोगों ने इसे खूब पसंद किया. हालांकि, ये काम उन्होंने शौकिया तौर पर शुरू किया था. बाद में उनके इसी शौक ने उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा दिया. ‘लेट्स लर्न’ आज दिल्ली का सबसे बड़ा कोचिंग संस्थान बन चुका है. आज उनके यूट्यूब चैनल पर करीब 42 लाख सब्स्क्राइबर हैं. अपने चैनल के जरिये वो मुख्य रूप से सीटीइटी, टीइटीएस, डीएसएसएसबी, केवीएस, एनवीएस जैसे टीचिंग एग्जाम्स की तैयारी हिंदी में करवाती हैं और ये सब भी बिल्कुल मुफ्त. उनकी टीचिंग की खासियत है कि वो मुश्किल से मुश्किल टॉपिक को भी बड़े आसान शब्दों में समझा देती हैं.

भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता होगी खत्म, 2047 तक भारत बनेगा विकसित राष्ट्र- PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत को जी20 की अध्यक्षता मिलना बड़ी बात है. पीएम ने कहा कि दुनिया का नजरिया अब बदल रहा है. पहले दुनिया जीडीपी-केंद्रित थी, अब मानव-केंद्रित हो रही है, और इसमें भारत की बड़ी भूमिका है.

पीएम ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास विश्व कल्याण के लिए भी एक मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकता है. 2024 तक भारत विकसित राष्ट्र बन जाएगा. हमारे राष्ट्रीय जीवन में भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की कोई जगह नहीं होगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि G20 में हमारे शब्दों और विजन को दुनिया हमारे भविष्य के लिए एक रोडमैप के रूप में देखती है, और यह केवल एक विचार नहीं है. लंबे समय तक भारत को एक अरब भूखे पेट वाले देश के रूप में जाना जाता था, अब एक अरब एसपिरेश्नल माइंडसेट, दो अरब स्किल्ड हैंड्स हैं. भारतीयों के पास आज भविष्य की नींव रखने के लिए अच्छा मौका है. आज के विकास की नींव अगले एक हजार साल का भविष्य तय करेगा.

पीएम ने आने वाले समय में भारत के दुनिया की टॉप तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने की वकालत की. पांचवें पायदान का लक्ष्य हासिल करने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दशक से भी कम समय में भारत अपना टॉप थर्ड इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल कर लेगा. पीएम मोदी ने G20 बैठक पर पाकिस्तान, चीन की आपत्तियों को खारिज किया. चीन ने अरुणाचल प्रदेश में जी20 की बैठक पर आपत्ति जताई थी तो पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में बैठक का विरोध किया था. इसपर पीएम मोदी ने कहा कि कश्मीर हो या अरुणाचल प्रदेश, हर जगह बैठक आयोजित करना स्वभाविक है. बातचीत और कूटनीति ही अलग-अलग समाधान का रास्ता है.

20 प्रमुख देशों के संगठन की अध्यक्षता भारत को पहली बार मिली है. शिखर सम्मेलन के लिए 9-10 सितंबर को विदेशी नेता भारत आ रहे हैं. केंद्र सरकार दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में विदेशी नेताओं के स्वागत की तैयारी में है. प्रधानमंत्री अफ्रीकन यूनियन को जी20 में शामिल करने की वकालत कर चुके हैं.

एक मीडिया संस्थान से बातचीत में पीएम मोदी ने हाल ही में जी20 समिट और भारत के भविष्य से जुड़े तमाम मुद्दों पर बात की थी. पीएम मोदी मानव-केंद्रित विकास की वकालत करते रहे हैं. भारत ग्लोबल साउथ में हाल के महीनों में दिलचस्पी ले रहा है. पीएम मोदी आईलैंड देशों के दौरे पर भी गए थे, जहां उनके भव्य स्वागत हुआ था. पीएम मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा कि जी20 ग्लोबल साउथ की आवाज को दबा रहा है. पीएम ने जलवायु परिवर्तन, भारत को बिजनेस डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने की दिशा में आगे बढ़ने पर बात की थी.

आदित्य- एल1: रूस और चीन को पीछे छोड़ स्पेस मार्केट में कैसे अगली कतार में पहुंचा भारत

चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग के बाद अब भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी इसरो ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए श्री हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सोलर मिशन ‘आदित्य-एल1’ को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है.

इसके साथ ही आकाशगंगा में अंतरिक्ष अन्वेषण का एक नया युग शुरू हो गया है.

यह मिशन, चंद्रयान की तरह, पहले ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर यह अधिक तेजी से सूर्य की ओर उड़ान भरेगा. ‘आदित्य-एल1’ पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचेगा. जब तक कि यह पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल पर काबू नहीं पा लेता, ये बीच में एक बिंदु (लैगरेंज प्वाइंट) पर रुकेगा जिसे वैज्ञानिक भाषा में एल1 नाम दिया गया है.

‘आदित्य-एल1’ अंतरिक्ष यान यह दूरी करीब चार महीने में तय करेगा. यहां से वह सूर्य की विभिन्न गतिविधियों, आंतरिक और बाहरी वातावरण आदि का अध्ययन करेगा.

संयुक्त राज्य अमेरिका पहले इसी तरह का एक मिशन एल-2 क्षेत्र में सूर्य के करीब भेज चुका है.

भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण में ‘आदित्य एल1’ को एक बड़ा कदम माना जा रहा है. पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ कि.मी. है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने स्पेस लॉन्च के काम को प्राइवेट कंपनियों के लिए खोल दिया है और इस क्षेत्र में विदेशी निवेश की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. सरकार का लक्ष्य अगले दशक में ग्लोबल लॉन्च मार्केट में अपनी हिस्सेदारी पांच गुना तक बढ़ाने का है. स्पेस सेक्टर जैसे-जैसे ग्लोबल बिजनेस में बदल रहा है, इस सेक्टर में अपनी काबिलियत साबित करने के लिए देश की उम्मीदें इसरो की कामयाबी पर टिकी हैं.

अंतरिक्ष में भारत का बढ़ता प्रभाव

23 अगस्त को चंद्रमा पर चंद्रयान-3 उतारने वाला भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद दुनिया का चौथा देश बन गया.

यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है, जहां अभी तक किसी भी देश का कोई मिशन नहीं पहुंचा है. यह भारतीय वैज्ञानिकों की एक बड़ी उपलब्धि है.

शिव नादर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. आकाश सिन्हा का कहना है, “चंद्रयान 3 के रोवर को बहुत ही स्मार्ट तरीके से डिजाइन किया गया है. छह पहियों वाली यह छोटी सी मशीन एक कार की तरह है. रोवर अपने निर्णय स्वयं लेता है, अपने रास्ते स्वयं चुनता है. चंद्रमा की सतह के वातावरण और तापमान आदि पर नज़र रखता है. यह अपना काम अच्छे से कर रहा है.”

भारत ने 1950 और 1960 के दशक में उस समय अंतरिक्ष अनुसंधान का काम शुरू किया जब देश गरीबी और निर्धनता की चुनौती का सामना कर रहा था. 1963 में जब इसने अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया तो किसी को यह भ्रम नहीं था कि यह अमेरिका और रूस जैसे विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है.

फ़िल्म ‘इंटरस्टेलर’ के बजट से तुलना

लेकिन आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अब यह निश्चित रूप से दुनिया के प्रमुख देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों की कतार में खड़ा है.

भारत ने चंद्रयान-3 मिशन पर लगभग 70 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं, जो क्रिस्टोफर नोलन की 2014 की अंतरिक्ष मिशन फ़िल्म ‘इंटरस्टेलर’ पर खर्च किए गए 131 मिलियन डॉलर के आधे से भी कम है.

अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास को आमतौर पर अमीर देशों का साहसिक कार्य माना जाता है.

लेकिन भारत की सफलता ने दुनिया के उभरते देशों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नया उत्साह और जुनून भी पैदा किया है.

चंद्रमा या सूर्य के अनुसंधान और उससे प्राप्त ज्ञान पर किसी एक देश का एकाधिकार नहीं है. यह दुनिया भर में मानव विकास और मानवता के लिए समर्पित है.

चंद्रमा और सूर्य के अनुसंधान से भारतीय वैज्ञानिकों को जो भी मिलेगा, उससे पूरी दुनिया को फायदा होगा. दुनिया ने जो भी प्रगति की है वह वैज्ञानिक अनुसंधान और नए आविष्कारों के कारण ही संभव हो पाई है.

माइग्रेन के ट्रिगर को पहचानकर 50% तक मिल सकता है इससे छुटकारा, डॉक्टर से जानें क्या हो सकता है

अगर आपको, परिवार के किसी सदस्य या आपके दोस्त को माइग्रेन की समस्या है, तो आपको बता दें कि 50 प्रतिशत तक इसका इलाज आपके हाथ में ही होता है।

अक्सर हम देखते हैं कि माइग्रेन के पेशेंट लंबे-लंबे समय तक दवाएं खाते रहते हैं, लेकिन उनकी स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिलता है। क्योंकि वास्तव में दवाएं और डॉक्टर के द्वारा दिया गया उपचार सिर्फ 50 प्रतिशत ही माइग्रेन के उपचार में मदद करता है, बाकी इसका इलाज आपके अपने हाथ में होता है। लेकिन ज्यादातर लोग सिर्फ दवाएं खाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन उन्हें किन वजहों से माइग्रेन सिरदर्द होता है, इस पर ध्यान नहीं देते हैं। जबकि यह माइग्रेन के उपचार में बहुत अहम भूमिका निभाता है। AIIMS की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका सहरावत (MD, DM- Neurology, AIIMS Delhi) की मानें, तो अगर आप अपने माइग्रेन सिरदर्द को ट्रिगर करने वाले कारकों के बारे में जान लें या उन्हें पहचान लें, तो आधा इलाज लगभग हो चुका है। इसके साथ आप सही उपचार, स्वस्थ जीवनशैली, मेडिटेशन, संतुलित आहार और नियमित एक्सरसाइज के साथ इससे पूरी तरह छुटकारा पा सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आप आप अपने माइग्रेन के ट्रिगर को कैसे पहचान सकते हैं? डॉ. प्रियंका ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में माइग्रेन सिरदर्द के लिए जिम्मेदार कुछ आम ट्रिगर्स के बारे में बताया है, जो ज्यादातर रोगियों में माइग्रेन का कारण बनते हैं। इस लेख में हम आपको इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं…

माइग्रेन के ट्रिगर्स- Triggers Of Migraine In Hindi

चाय और कॉफी
अन्य कैफीन युक्त फूड्स और ड्रिंक्स
शराब
बहुत लंबे समय तक बिना कुछ खाए या खाली पेट रहना
नींद पूरी न होना और नींद से जुड़ी अन्य समस्याएं
तनाव, चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक स्थितियां
डॉ. प्रियंका बताती हैं कि “मैं हमेशा अपने माइग्रेन से पीड़ित पेशेंट को चाय, कॉफी और शराब से परहेज करने, साथ ही बीच-बीच में कुछ न कुछ खाने की सलाह देती हूं।”

आई फ्लू होने पर काला चश्मा क्यों पहनना चाहिए? डॉक्टर बता रहे हैं इसके फायदे

आई फ्लू होने पर आपने अक्सर देखा होगा कि लोग काला चश्मा पहनते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि आखिर वे ऐसा क्यों करते हैं या डॉक्टर काला चश्मा पहनने की सलाह क्यों देते हैं?

एक आम धारणा है कि काला चश्मा लगाने से आई फ्लू किसी अन्य व्यक्ति को नहीं होता है, जबकि ऐसा नहीं है। यह धारणा पूरी तरह गलत है। आपको बता दें कि आई फ्लू या कंजक्टिवाइटिस देखने से नहीं फैलता है। यह तब फैलता है, जब कोई व्यक्ति अपनी आंखों पर हाथ लगाता है और वह उसी हाथ से किसी वस्तु को छूता है, या किसी से हाथ मिलाता है। इस तरह संक्रमण के कण दूसरे व्यक्ति तक फैल जाते हैं और जब वे संक्रमण वाले हाथों से जब अपनी आंखों को छूता है, तो उसे भी इस स्थिति आई फ्लू हो जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर लोग काला चश्मा क्यों पहनते हैं? इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने AIIMS की डॉ. प्रियंका सहरावत (MD, DM- Neurology, AIIMS Delhi) से बात की। इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं…

आई फ्लू होने पर काला चश्मा क्यों पहनते हैं?- Why To Wear Black Glasses During Eye Flu In Hindi

डॉ. प्रियंका की मानें, तो यह सही है कि काला चश्मा पहनने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आई फ्लू को फैलने से रोकने में कोई मदद नहीं मिलती है। लेकिन काला चश्मा पहनने से आई फ्लू के जल्द उपचार और आंखों को नुकसान से बचाने में बहुत मदद मिलती है। संक्रमण की स्थिति में यह आपकी आंखों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है जैसे,

यह चमकीली रोशनी के कारण आंखों को जलन और इर्रिटेशन से बचाता है

जब आप बहुत अधिक रोशनी या सूरज की रोशनी के सीधे संपर्क में आते हैं, तो ऐसी स्थिति में हमारी आंखों में इर्रिटेशन होने लगती है। ऐसे में काला चश्मा पहनने से उन्हें असजता कम होती है और जलन से भी राहत मिलती है।

आंखों को धूल-मिट्टी से बचाता है

जब आप घर से बाहर निकलते हैं, तो बाहर वातावरण में मौजूद प्रदूषण व धूल-मिट्टी आंखों में चली जाती है, जिसके कारण आपकी स्थिति गंभीर हो सकती है और इससे आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है। काला चश्मा लगाने से इससे बचाव होता है और संक्रमण को जल्द ठीक करने में मदद मिलती है।