Friday , October 25 2024

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अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत पोषाहार वितरण में बायोमैट्रिक प्रणाली होगी लागू,ई-पॉस मशीनों का होगा इस्तमाल…

योगी सरकार ने प्रदेश की बाल विकास परियोजनाओं के तहत संचालित आंगनबाड़ी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत पोषाहार वितरण को और सुदृढ़ तथा पारदर्शी बनाने के लिए बायोमैट्रिक्स प्रणाली लागू किए का निर्णय लिया है। इसके तहत ई-पॉस मशीनों की स्थापना एवं संचालन के लिए उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीडेस्को) को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है। ई-पॉस मशीनों की स्थापना के लिए टेंडर के साथ ही ई-टेंडरिंग के माध्यम से रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) तैयार करने की जिम्मेदारी यूपीडेस्को की होगी।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में योगी कैबिनेट ने ई-पॉस मशीनों के माध्यम से अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत पोषाहार वितरण की व्यवस्था को मंजूरी दी है। इसके माध्यम से लाभार्थी के हिस्से का पोषाहार कोई दूसरा नहीं ले सकेगा। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा प्रदेश की बाल विकास परियोजनाओं के तहत संचालित आंगनबाड़ी व मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों पर अनुपूरक पुष्टाहार योजना के तहत 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों (अति कुपोषित सहित), गर्भवती एवं धात्री महिलाओं तथा 14 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं (केवल आकांक्षात्मक जनपदों में) को पोषाहार उपलब्ध कराया जा रहा है।

ई-पॉस मशीन की बिड प्रक्रिया में मल्टीपल कंपोनेंटट सम्मिलित होने के कारण इसे उत्तर प्रदेश शासन के ई-प्रोक्योरमेन्ट पोर्टल https://etender.up.nic.in के माध्यम से किए जाने के प्रबंध किए गए हैं। निदेशक, यूपीडेस्को की अध्यक्षता में क्रय समिति का गठन किया जाएगा। समिति में प्रशासकीय विभाग के सदस्य के रूप में संयुक्त निदेशक, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार सदस्य के रूप में सम्मिलित होंगे।

इसके अतिरिक्त आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा समिति में जरूरत के अनुसार अन्य विभागीय अधिकारियों एवं वित्त विभाग के प्रतिनिधि को सदस्य नामित किया जाएगा। चयनित होने वाली सिस्टम इंटीग्रेटर संस्थाओं को ई-पॉस मशीन सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन, आइरिश आइडेंटिफिकेशन, फील्ड लेबल मैनपावर, तकनीकी मैनपावर, मोबाइल सिम उपलब्ध कराने होंगे। साथ ही इन सभी का 03 वर्षो तक रख-रखाव भी करना होगा।

यह परियोजना सिस्टम इंटीग्रेटर आधारित बीओओ (बिल्ड, ओन, ऑपरेट) मॉडल पर संचालित की जाएगी। ई-पॉस मशीन की बिड प्रक्रिया में विभिन्न कंपोनेंट (हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर आदि) सम्मिलित होंगे, जिसमें एक से अधिक सिस्टम इंटीग्रेटर्स का भी चयन संभावित है।

जनसहयोग से ही सफल होगी सेफ सिटी परियोजना, 18 सेफ सिटी वाला पहला राज्य होगा यूपी

सेफ सिटी परियोजना के प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, चौक-चौराहों, सरकारी व निजी अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य रूप से सीसीटीवी लगाए जाएं। आम जन, व्यापारियों, संस्थान संचालकों को सीसीटीवी के महत्व को बताया जाए और सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए प्रेरित करें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने ‘सेफ सिटी परियोजना’ की सफलता में जनसहयोग का आह्वान किया है। शुक्रवार को ‘सेफ सिटी परियोजना’ के प्रगति की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, चौक-चौराहों, सरकारी व निजी अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य रूप से सीसीटीवी लगाए जाएं। आम जन, व्यापारियों, संस्थान संचालकों को जागरूक कर उन्हें क्राइम कंट्रोल में सीसीटीवी के महत्व को बताया जाए और सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए प्रेरित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग अपनी सुविधानुसार अपने सीसीटीवी फुटेज का डेटा अपने पास ही सुरक्षित रख सकते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आवश्यकता पड़ने पर फुटेज केवल पुलिस को ही उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त, जहां आवश्यकता हो, वहां नगर निगम, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट अथवा स्थानीय प्रशासन व पुलिस द्वारा सीसीटीवी लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने अगले 01 सप्ताह के भीतर सभी पुलिस थानों को सीसीटीवी से लैस करने के निर्देश भी दिए हैं।

समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन सुनिश्चित करने के संकल्प की पूर्ति में “सेफ सिटी परियोजना” अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। प्रदेश में इस परियोजना के माध्यम से लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के अंतर्गत मॉडर्न कंट्रोल रूम, पिंक पुलिस बूथ, आशा ज्योति केंद्र, सीसीटीवी कैमरे, महिला थानों में परामर्शदाताओं के लिए हेल्प डेस्क, बसों में पैनिक बटन व अन्य सुरक्षा उपायों को लागू करने में सहायता मिली है। अब हमें इसे और विस्तार देना होगा।

कभी 65 रुपये थी सैलरी, 13000 से शुरू किया बिजनेस, गांवों में हाथठेले पर बेची कुल्फी, अब बन गए करोड़पति…

देश में कई कारोबारियों ने छोटे स्तर से काम शुरू करके बड़ा मकाम हासिल किया है. लेकिन, सभी सफल बिजनेसमैन के बीच एक चीज कॉमन रही, और वह है कड़ा संघर्ष. हम आपको कई सफल कारोबारियों की कहानी बता चुके हैं और इसी कड़ी में आज एक और किस्सा बताने जा रहे हैं.

आपके लिए इस बात पर यकीन करना मुश्किल होगा कि कभी हाथ ठेले पर कारोबार करने वाला शख्स आज 19,077 करोड़ की कंपनी का मालिक है.

कामयाबी की ये कहानी है आरजी चंद्रमोगन की, जिन्होंने 1970 में अपना छोटा आइसक्रीम बिजनेस शुरू किया था. 74 वर्षीय आर जी चंद्रमोगन देश की सबसे बड़ी निजी डेयरी कंपनियों में से एक हटसन एग्रो प्रोडक्ट के अध्यक्ष हैं.
कंपनी से जुड़े 400000 किसान

आर जी चंद्रमोगन दक्षिण भारत के बिजनेस टाइकून्स में से एक हैं. महज 13,000 रुपये से बिजनेस शुरू करने वाले चंद्रमोगन आज 20,000 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं और यह संभव हुआ है उनकी मेहनत और कड़े संघर्ष से.

हटसन एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड बिक्री के हिसाब से देश की सबसे बड़ी निजी डेयरी कंपनियों में से एक है. आरजी चंद्रमोगन की यह कंपनी 10000 गांवों के 40,0000 किसानों से दूध लेती है. उनकी कंपनी 42 से अधिक कंपनियों को डेयरी सामग्री का निर्यात भी करती है.

बिजनेस के लिए छोड़ी नौकरी

आरजी चंद्रमोगन ने अपने करियर की शुरुआत एक लकड़ी डिपो में नौकरी से की. यहां उन्हें 65 रुपये महीना सैलरी मिलती थी. हालांकि, अपना बिजनेस शुरू करने के लिए उन्होंने एक साल बाद नौकरी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने 13,000 की पूंजी और 3 मजदूरों के साथ आइसक्रीम बिजनेस की शुरुआत की. खास बात है इस काम के लिए उन्हें यह रकम परिवार से मिली थी. शुरुआती दिनों में उन्होंने अपना फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर रखा और ठेला गाड़ियों के जरिए आइसक्रीम बेचीं.

हालांकि, आरजी चंद्रमोगन के लिए सफलता की राह इतनी आसान नहीं थी, क्योंकि उन्हें शुरुआती दिनों में संघर्ष करना पड़ा. लेकिन, पहले साल में उनकी पूंजी बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई, जिससे उन्हें बिजनेस को आगे बढ़ने का भरोसा मिला. इसके बाद 1981 में अपने छोटे से व्यवसाय बड़े शहरों में पहुंचाने के लिए ‘अरुण’ आइसक्रीम ब्रांड स्थापित किया. 1986 में उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर वर्तमान Hatsun Agro Product कर दिया.

स्टूडेंट्स पढ़ेंगे अपने मन के विषय, साल में दो बार देंगे परीक्षा

शायद ही कोई ऐसा स्टूडेंट हो, जिसे बोर्ड परीक्षा से डर न लगता हो. अब नई शिक्षा नीति के तहत स्टूडेंट्स पर पड़ने वाले इस प्रेशर को कम किया जा रहा है. इसके लिए बोर्ड परीक्षाओं को साल में 2 बार कंडक्ट करवाया जाएगा.

इससे स्टूडेंट्स पर परफॉर्मेंस प्रेशर नहीं पड़ेगा और वह अपना बेस्ट दे सकेंगे.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के हिसाब से नया करिकुलम फ्रेमवर्क लॉन्च किया है (New Education Policy, NEP 2020). अब देश के सभी स्कूलों में उसी के हिसाब से शेड्यूल तैयार किया जाएगा. सिर्फ यही नहीं, पेरेंट्स की जेब पर पड़ने वाले खर्च के बोझ को भी कम करने की कोशिश की जा रही है.

बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट कैसे तैयार होगा?

बोर्ड परीक्षाएं किसी भी स्टूडेंट की जिंदगी का अहम पड़ाव होती हैं. इनका डर एक-दो साल पहले से शुरू हो जाता है. अब बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार होंगी. इससे स्टूडेंट्स को तैयारी के लिए काफी समय मिल जाएगा. इसके साथ ही उनका रिजल्ट बेस्ट स्कोर के आधार पर तय किया जाएगा. स्टूडेंट्स दोनों बार परीक्षाएं दे सकते हैं, फिर जिसमें स्कोर बेहतर होगा, उसे फाइनल रिजल्ट माना जाएगा.

कम होगा कोचिंग का झंझट

अभी तक 10वीं के बाद स्टूडेंट्स पर स्ट्रीम चुनने का झंझट होता था. अब इस कॉन्सेप्ट को भी खत्म किया जा रहा है. स्टूडेंट्स की जिन विषयों में रुचि हो, वह अपनी मर्जी से उन्हें चुन सकते हैं. इसके साथ ही सिलेबस को ऐसे डिजाइन किया जा रहा है कि स्टूडेंट्स को महीनों तक कोचिंग के झंझट में न फंसना पड़े. अब परीक्षा में समझ और दक्षता के आधार पर स्टूडेंट का आकलन किया जाएगा.

बिना कवर के चलेंगी कॉपी-किताबें

स्कूल खुलने से पहले सभी कॉपी-किताबों पर कवर चढ़ाना भी बड़ी जिम्मेदारी का काम होता है. जहां बच्चों के लिए यह किसी फन एक्टिविटी से कम नहीं होता है, वहीं पेरेंट्स की जेब पर अतिरिक्त बोझ की तरह प्रहार करता है. लेकिन अब इस प्रैक्टिस को भी खत्म करने पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा पाठ्यपुस्तकों की लागत को भी कंट्रोल किया जाएगा.

विक्रम लैंडर के चांद पर उतरने के बाद प्रज्ञान रोवर से जुड़े पांच सवालों के जवाब…

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 का लैंडर.
चंद्रयान-3 उपग्रह की चांद के दक्षिणी ध्रुव के क़रीब सफल लैंडिंग हो गई है. भारत के लिए ये एक बड़ी उपलब्धि है. दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है और इसी के साथ जुडी मिशन के तीनों ही लक्ष्य पूरे हो गए हैं.

भारत के चांद पर पहुंचने की उपलब्धि पर दुनिया के कई देशों ने बधाई दी है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को बधाई देते हुए कहा कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग विज्ञान और तकनीक की दुनिया में भारत की तरक्की को दिखाता है.

पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद चौधरी ने भी इसरो को बधाई दी है. उन्होंने एक ट्वीट में भारत के इस क्षण को बड़ी उपलब्धि करार दिया है. उन्होंने कहा, “चंद्रयान-3 का चांद पर पहुंचना इसरो के लिए बड़ी उपलब्धि है. इसरो के अध्यक्ष मिस्टर सोमनाथ के साथ युवा वैज्ञानिकों के जश्न को भी मैं देख रहा हूं. सपने देखने वाले युवा ही दुनिया को बदल सकते हैं. गुड लक.”

हालांकि सफल लैंडिंग के बाद अब सबकि नज़रें प्रज्ञान रोवर पर है. चंद्रयान-3 की लैंडिंग के आधे घंटे के भीतर ही प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर बाहर आ गया. मिशन के अब आगे का काम रोवर ही पूरा करेगा.

रोवर कैसे काम करेगा, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ये कौन सी चीज़ें तलाशेगा, ऐसे कुछ सवाल हमने पूछा शिव नादर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर आकाश सिन्हा से. आकाश सिन्हा की स्पेस, रोबोटिक्स, एआई जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता है.

1. चंद्रयान का लैंडर अब चांद की सतह पर लैंड कर गया है, अब आगे क्या?

किसी भी स्पेस मिशन का फाइनल आउटपुट किसी भी रोवर या रोबट से ही आता है.

मिशन तो हो गया पूरा, हम चांद पर पहुंच गए..तो अब रोवर का क्या?

तो अब रोवर का काम यहां से शुरू होता है.

रोवर को बहुत ही स्मार्टली डिज़ाइन किया गया है कि वो चांद पर सैंपल कलेक्ट कर सके, चांद पर नैविगेट कर सके और हमें डेटा भेज सके.

2. रोवर चंद्रमा की सतह पर कैसे चलेगा?

रोवर एक ड्राइवरलेस कार की तरह है और उसे चांद पर ख़ुद ही ड्राइव करना है.

उसे ख़ुद ही फै़सले लेने हैं कि सामने कहीं कोई क्रेटर तो नहीं है, कोई पत्थर तो नहीं है, क्या मैं उसे पार कर सकता हूं, क्या नहीं कर सकता हूं.

इसे तय करने के लिए हमने रोवर में दो बहुत स्मार्ट कैमरे फिक्स किए हैं.

इसी कैमरे की मदद से रोवर अपना थ्रीडी मॉडल बना लेता है और उसकी मदद से नैविगेट करता है.

3. रोवर यहां क्या-क्या चीज़ें तलाशेगा?

पानी सबसे बड़ी चीज़ है. इसके अलावा दुर्लभ चीज़ें मिलने की भी संभावना है.

यहां पर यूरेनियम, गोल्ड या किसी भी प्रकार का दुर्लभ धातु मिल सकता है.

हीलियम-3 होने की भी संभावना है, जिससे न्यूक्लियर ईंधन बन सकता है.

इन सब चीज़ों को करने के लिए रोवर में विशेष सेंसर हैं.

4. रोवर संपर्क कैसे स्थापित करेगा?

संपर्क के लिए इसरो ने इस बार ख़ास ध्यान रखा है.

रोवर, प्रोपोर्शन और लैंडर मिलाकर दस से ज़्यादा एंटीना हैं और एक ख़ास बात ये है कि रोवर चंद्रयान-3 के मॉड्यूल से तो संपर्क साध ही सकता है.

साथ में चंद्रयान-2 के मॉड्यूल से भी संपर्क कर सकता है.

यहां तक कि लैंडर भी दोनों ही चंद्रयानों के मॉड्यूल से कम्युनिकेट कर सकता है.

ये धरती पर इसरो के स्टेशन से सीधे भी संपर्क साध सकता है.

तो इतने रास्ते हैं कि संपर्क टूटने की अवसर शायद ही आए.

5. क्या रोवर के साथ भारत का तिरंगा भी गया है?

चंद्रमा के साउथ लूनर पोल पर भारत ने अपना झंडा साल 2008 में ही गाड़ दिया था. साल 2008 में चंद्रयान-1 ने एक इम्पैक्ट प्रोब भेजा था, जिसने तकरीबन साउथ पोल पर जाकर हिट किया.

उसमें स्पेक्ट्रोमीटर भी गया था, जिसने इस हिस्से में पानी के कणों की पुष्टि की थी.

साथ ही उसके साथ भारत का एक तिरंगा भी शामिल था. इस बार रोवर ने कोई तिरंगा तो साथ नहीं रखा है पर एक ख़ास तैयारी की गई है.

रोवर के दोनों पहियों में आप कह सकते हैं कि स्टैंप यानी मुहर बने हुए हैं. एक तरफ़ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है, तो दूसरी तरफ़ इसरो का लोगो है

नाशपाती का सेवन करना सेहत के लिए हो सकता है फायदेमंद, जानिए क्या है लाभ…

बरसात के मौसम में फलों का सेवन करना बेहद फायदेमंद माना जाता है. इस सीजन में कई ऐसे फल बाजार में आते हैं, जो सेहत के लिए बेहद चमत्कारी साबित हो सकते हैं. इनमें से एक स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर नाशपाती (Pears) है.

इस फल को सेहत के लिए वरदान कहा जा सकता है. नाशपाती में पोषक तत्वों और कई लाभकारी प्लांट कंपाउंड्स की भरमार होती है, जो इसे अमृत जैसा लाभकारी बना देते हैं. नाशपाती को डायबिटीज से बचाने और वजन घटाने के लिए बेहद असरदार माना जाता है. क्रॉनिक डिजीज से बचाव के लिए भी नाशपाती का सेवन किया जा सकता है. नाशपाती के हेल्थ बेनिफिट्स पर कई रिसर्च में मुहर लग चुकी है. आपको नाशपाती खाने के सबसे बड़े फायदों के बारे में बता रहे हैं.

शरीर को मिलता है भरपूर पोषण – नाशपाती खाने से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है. हेल्थलाइन की रिपोर्ट के अनुसार नाशपाती में प्रोटीन, कार्ब्स, फाइबर, विटामिन C, विटामिन K, पोटेशियम समेत तमाम पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है. नाशपाती को एंटीऑक्सिडेंट्स का अच्छा स्रोत माना जाता है. ये सभी पोषक तत्व हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर बीमारियों से बचाव करने में मदद करते हैं. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को नाशपाती का सेवन जरूर करना चाहिए. शुगर के मरीज भी बेहद कम मात्रा में नाशपाती खा सकते हैं.

पेट साफ कर कब्ज करे दूर – नाशपाती घुलनशील और अघुलनशील फाइबर का एक बेहतरीन स्रोत है, जो पाचन तंत्र के लिए जरूरी होते हैं. फाइबर शरीर में जाकर पेट साफ करने में मदद करता है और आंतों की परेशानियों से राहत दिलाता है. एक नाशपाती में करीब 6 ग्राम फाइबर होता है, जो आपकी दैनिक जरूरत का 21 प्रतिशत है. नाशपाती पेक्टिन से भरपूर होता है, जो पेट की सेहत को बेहतर बनाता है. यह फल कब्ज से राहत दिलाता है. नाशपाती के छिलके में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है, इसलिए इस फल को बिना छीले खाना सबसे अच्छा है.

डायबिटीज का जोखिम होता है कम – नाशपाती खाने से डायबिटीज का खतरा कम करने में मदद मिलती है. खासतौर से लाल रंग की नाशपाती बेहद फायदेमंद होती है. एक अध्ययन में पाया गया था कि लाल नाशपाती जैसे एंथोसायनिन युक्त फलों को प्रतिदिन खाने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 23% कम हो सकता है. नाशपाती में मौजूद फाइबर पाचन को धीमा कर देता है, जिससे आपके शरीर को कार्बोहाइड्रेट को तोड़ने और अवशोषित करने के लिए अधिक समय मिलता है. इससे ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है.

क्‍या वाकई ब्राउन ब्रेड हेल्थ के लिए है अच्‍छा?रोजाना डाइट में आप कर सकते है इसे शामिल

सुबह-सुबह अधिकतर घरों में ब्रेकफास्‍ट के लिए लोग ब्रेड अंडा खाना पसंद करते हैं. कुछ लोग व्‍हाइट ब्रेड शौक से खाते हैं तो कुछ ब्राउन ब्रेड. दरअसल, कुछ लोगों का मानना है कि सामान्‍य ब्रेड की तुलना में ब्राउन ब्रेड सेहत के लिए अधिक फायदेमंद होता है.

क्‍या ये बात वाकई सच है? इन दोनों ब्रेड की बात की जाए तो किसी हद तक यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप इन ब्रेड का इस्‍तेमाल किस तरह करते हैं. चलिए हम यह जानते हैं कि सही ब्रेड का चुनाव कैसे करें और इसे हेल्‍दी डाइट के रूप में किस तरह इस्‍तेमाल करना चाहिए.

सही ब्रेड का कैसे करें चुनाव

ईटहेल्‍दी के मुताबिक, अगर आप ब्रेड खाना पसंद करते हैं तो उस ब्रेड का ही चुनाव करें, जिसमें भरपूर फाइबर यानी 100 प्रतिशत होल ग्रेन या स्‍प्राउट ग्रेन का इस्‍तेमाल किया गया हो. आप फ्लेक्‍स, ओट्स आदि ब्रेड का चुनाव भी कर सकते हैं. आप जब भी बाजार से ब्रेड खरीदें तो उसके पैकेजिंग पर लिखे इंग्रेडिएंट को जरूर पढ़ें. अगर इसमें सोडियम, कलर या चीनी का इस्‍तेमाल किया गया है तो ये सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. बता दें कि ब्राउन ब्रेड को भूरा रंग देने के लिए कई कंपनियां रंग का इस्‍तेमाल करती हैं जो हानिकारक हो सकता है.

इस तरह बनाएं हेल्‍दी

अगर आपको ब्रेड पसंद करते हैं तो आप इसे हेल्‍दी तरीके से ही डाइट में शामिल करें तो बेहतर होगा. इसके लिए आप साथ में फाइबर और प्रोटीन रिच फूड का कॉम्बिनेशन बनाएं और‍ इसका सेवन करें. मसलन, ब्रेड के साथ अंडा, ढे़र सारा सलाद जरूर खाएं. आप दूध, पीनट बटर भी ले सकते हैं.

क्‍या होता है ब्राउन ब्रेड

-ब्राउन ब्रेड होल वीट यानी समूचे गेहूं के आटे से बनाई जाती है. इसे बनाने के लिए आटे में मौजूद चोकर को हटाया नहीं जाता है. जिस वजह से इसमें फाइबर काफी मात्रा में पाया जाता है.

-साबुत गेहूं के आटे से बनी होने के कारण यह अधिक पौष्टिकता से भरा होता है. इसमें सामान्‍य ब्रेड की तुलना में अधिक फाइबर और पोषक तत्व मौजूद होते हैं.

बेसकीमती हीरा है कृष्णा फल, जानिए क्या है इसके फायदे…

कई लोगों के नाम भगवान के नाम पर होते हैं लेकिन क्या कभी आपने किसी फल का नाम भगवान के नाम पर सुना है. एक अनोखा फल है जिसका नाम बांके बिहारी के नाम पर पड़ा है.

इस फल का नाम है ‘कृष्ण फल’. कृष्ण फल थोड़ा मिलना मुश्किल है क्योंकि यह कम जगहों पर पाया जाता है लेकिन गुणों में यह अमृत समान है. कृष्ण फल में प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. कृष्ण फल से ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को ठीक किया जा सकता है.

इसे अंग्रेजी में पैशन फ्रूट कहा जाता है. कृष्ण फल मुख्य रूप से ब्राजी, परांग्वे और अर्जेंटीना का फल है. हालांकि अब एशियाई देशों में भी इसके पेड़ लगाए जाते हैं. वैसे शास्त्रों में इसे महाभारत कालीन और देसी फल बताया गया है. कुछ बी हो लेकिन यह फल बेहद बेशकीमती है जिसके कई फायदे हैं. 100 ग्राम कृष्ण फल में 23 ग्राम कार्बोहाइड्रैट, 10 ग्राम डायट्री फाइबर, 11.2 ग्राम शुगर, 2 ग्राम प्रोटीन के साथ-साथ विटामिन ए, आयरन, पोटैशियम, फॉलेट जैसे तत्व पाए जाते हैं.

कृष्ण फल के फायदे

इंडियन एक्सप्रेस की खबर में सीनियर डायटीशियन एन लक्ष्मी बताती हैं कि कृष्ण फल में विटामिन सी, बीटा कैरोटीन, पोलीफिनॉल जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले डैमेज को बचाते हैं. फ्री रेडिकल्स के कारण कई तरह की क्रोनिक बीमारियां होती है. यानी कृष्ण फल डायबिटीज, हार्ट डिजीज जैसी क्रोनिक बीमारियों से बचाएगी. आइए जानते हैं कि कृष्ण फल के क्या-क्या फायदे हैं.

1.पाचन के लिए बेहतरीन-कृष्ण फल में प्रचूर मात्रा में फाइबर होता है, जो डाइजेशन को बूस्ट करता है. कृष्ण फल के सेवन से कॉन्स्टिपेशन की समस्या नहीं होगी. पेट का पाचन दुरुस्त रहेगा.

2. इम्यूनिटी बूस्ट करे-कृष्ण फल इम्यूनिटी को भी बूस्ट करता है. इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी होता है जो इम्यून सिस्टम के लिए फायदेमंद है.

3.हार्ट हेल्थ के लिए बेस्ट-कृष्ण फल में सोडियम और हाई पोटैशियम होता है जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है जिससे हार्ट हेल्थ सही रहती है. कृष्ण फल हर तरह की दिल की बीमारियों से बचाता है.

4.नींद में सुधार-नींद की गुणवत्ता में सुधार-कृष्ण फल के सेवन से नींद की गुणवत्ता में सुधार आती है. कृष्णफल में सेरोटोनिन और ट्रिप्टोफेन जैसे कंपाउंड पाए जाते हैं जो नींद वाले हार्मोन को रिलीज करने में मददगार है. कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि कृष्ण फल में एंटी-कैंसर गुण भी होता है.

5.डायबिटीज में रामबाण-कृष्ण फल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है. इसका मतलब है कि कृष्ण फल खाने के बाद ब्लड शुगर के लेवल बहुत धीरे-धीरे बढ़ता है जो डायबिटीज मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. डायबिटीज मरीजों में ब्लड शुगर अचानक बढ़ जाता है जिससे परेशानियां होती है. फाइबर की मात्रा ज्यादा होने के कारण कृष्णफल में कार्बोहाइड्रैट का असर कम हो जाता है.

प्याज नीलामी शुरू होकर फिर बंद; नहीं पहुंचे नाफेड के अफसर तो नाराज हुए कारोबारी…

महाराष्ट्र के नासिक में कुछ एपीएमसी में प्याज की नीलामी गुरुवार को थोड़ी देर के लिए शुरू हुई लेकिन फिर उसे बंद कर दिया गया। यहां प्याज की नीलामी सोमवार से रुकी हुई थी जब केंद्र सरकार की ओर से प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए 500 से अधिक किसानों ने मुंबई-आगरा राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया था। सोमवार को अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि देश की सबसे बड़ी थोक प्याज मंडी लासलगांव एपीएमसी के साथ-साथ पिंपलगांव और चंदवाड़ में सुबह नीलामी शुरू हुई, लेकिन कुछ समय बाद किसानों को नाफेड और एनसीसीएफ की ओर से किए गए वादे के अनुसार 2,410 रुपये प्रति क्विंटल का भाव नहीं मिलने के बाद नीलामी रोक दी गई। अधिकारियों ने कहा कि किसानों ने नीलामी रोक दी क्योंकि नेफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड) के कर्मचारी नीलामी के दौरान अनुपस्थित थे।

लासलगांव में प्याज से लदे 300 वाहन सुबह नीलामी के लिए पहुंचे, जिनका प्रति क्विंटल न्यूनतम मूल्य 600 रुपये, अधिकतम 2,500 रुपये और औसत मूल्य 2,251 था। चंदवाड़ में में यह मूल्य 1700-1800 रुपये प्रति क्विंटल था। अधिकारी ने बताया कि नीलामी सुबह साढ़े आठ बजे शुरू हुई लेकिन यह केवल 15 से 20 मिनट तक ही चली। हालांकि, नीलामी दोपहर तक फिर से शुरू नहीं हुई, लेकिन अधिकारियों ने विश्वास जताया कि यह बाद में शुरू होगी।

बाद में, 500 से अधिक किसानों ने निर्यात शुल्क के फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए जिले के ग्रामीण हिस्से चंदवाड़ में एक आंदोलन में भाग लिया। सड़क को करीब डेढ़ घंटे तक बंद रखा गया जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने में सफल रही। निर्यात शुल्क के खिलाफ जिले में सोमवार से आंदोलन चल रहा है, जिससे बुधवार तक प्याज की नीलामी भी प्रभावित हुई थी।
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कही ये बात
मामले में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा, “प्याज के मामले में राज्य सरकार किसानों के साथ है। नेफेड के 13 केंद्रों पर खरीदारी चल रही है। इन केंद्रों पर खरीद बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री से अनुरोध किया गया है। नेफेड की ओर से अब तक 500 मीट्रिक टन प्याज खरीदा जा चुका है। एक पत्र के माध्यम से, किसानों के पास प्याज की उपलब्धता के मद्देनजर, खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाने का अनुरोध किया गया है।

सुप्रिया सुले बोलीं- सरकार नीतिगत पंगुता दिखा रही
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की नेता सुप्रिया सुले ने प्याज पर निर्यात शुल्क को लेकर महाराष्ट्र में जारी आंदोलन पर गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की और कहा कि सत्तारूढ़ सरकार ‘पूरी तरह नीतिगत पंगुता’ और समन्वय की कमी का प्रदर्शन कर रही है।

शेयर बाजार में भारी बिकवाली, सेंसेक्स 404 अंक गिरा.

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन वैश्विक बाजारों से मिले कमजोर संकेतों के बाद घरेलू शेयर बाजार में भी बिकवाली दिखी। इस दौरान सेंसेक्स में 400 अंकों जबकि निफ्टी में 100 अंक की गिरावट दर्ज की गई। रिजर्व बैंक की नीतिगत बैठक के ब्योरे में मुद्रास्फीति के जोखिम का संकेत दिए जाने और फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की ओर से वैश्विक केंद्रीय बैंकों की बैठक में स्पीच दिए जाने से पहले शुक्रवार के कारोबार में घरेलू शेयर बाजार गिरावट के साथ खुले

शुक्रवार को शुरुआती करोबारी सेशन में सभी सेक्टरों में बिकवाली देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स 445 अंक या 0.68% की गिरावट के साथ 64,807 पर कारोबार करता दिखा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी सुबह 118 अंकों की गिरावट के साथ 19,268 पर कारोबार कर रहा था।

सेंसेक्स की कंपनियों में जियो फाइनेंशियल सर्विसेज, अल्ट्राटेक सीमेंट, महिंद्रा एंड महिंद्रा, विप्रो, रिलायंस, एक्सिस बैंक और इंफोसिस गिरावट के साथ खुले, जबकि केवल एशियन पेंट्स और पावर ग्रिड बढ़त के साथ खुले।

भारत के केंद्रीय बैंक ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति बैठक के मिनट्स में, खाद्य कीमतों में हालिया वृद्धि और घरेलू मुद्रास्फीति पर बैंकिंग प्रणाली में तरलता की अधिकता के प्रभाव की बारीकी से निगरानी करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। इंडिविजुअल शेयरों में पेटीएम चार प्रतिशत की तेजी के साथ खुला। जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयर लगातार पांचवें सत्र में 5% की गिरावट के साथ खुले।