Friday , October 25 2024

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iPhone 13 की कीमत में भारी गिरावट, सिर्फ इतनी से रकम चुका कर घर ले जा सकते हैं आप

iPhone 13 अगर आपको आउटडेटेड मॉडल लग रहा है बता दें कि इसकी डिमांड काफी ज्यादा है. पुराना होने के बाद भी इसकी कीमत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. ऐसे में कई बार लोग इस मॉडल को कीमत की वजह से खरीद नहीं पाते हैं.

हालांकि आपका बजट बेहद कम है और फिर भी इस आईफोन को खरीदने के सपने देख रहे थे तो अब हम आपको एक ऐसे ऑफर के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके होश उड़ा देगा.

फ्लिपकार्ट पर मिल रहा है डिस्काउंट

अगर बात करें डिस्काउंट की तो APPLE iPhone 13 (Midnight, 128 GB) वेरिएंट को आप अगर बिना डिस्काउंट के खरीदते हैं तो इसे खरीदने के लिए आपको फ्लिपकार्ट पर 59,999 रुपये की रकम चुकानी पड़ेगी. ये कीमत 14 परसेंट डिस्काउंट के बाद है. हालांकि जरूरी नहीं कि हर कोई इसे खरीद पाए और इसके लिए अपना बजट बना पाए. अगर आपको ये कीमत ज्यादा लग रही है तो आज हम आपको इस पर मिल रहे एक और तगड़े डिस्काउंट ऑफर के बारे में बताने जा रहे हैं.

एक्सचेंज ऑफर का मिल रहा है लाभ

यकीन करने में थोड़ा मुश्किल है लेकिन आईफोन 13 के इस वेरिएंट पर 58,499 रुपये का एक्सचेंज बोनस दिया जा रहा है. ये डिस्काउंट किसी के भी होश उड़ा सकता है. आपको बता दें कि एक्सचेंज इसे खरीदने के लिए ग्राहकों को 59,999 रुपये चुकाने की जरूरत नहीं है. इसके लिए शर्त ये है कि ग्राहकों के पास कोई आईफोन प्रो मॉडल होना चाहिए जिसकी कंडीशन अच्छी हो. अगर ऐसा होता है तो आप पूरे एक्सचेंज ऑफर का लाभ ले पाएंगे. इसके बाद आपको तकरीबन 1500 रुपये से लेकर 10,000 तक चुकाने पड़ेंगे. यह डिस्काउंट आईफोन 15 की लॉन्चिंग से पहले आया है. ऐसे में ग्राहकों को फायदा मिलेगा. अगर आप भी इस डील का फायदा लेना चाहते हैं तो आपके पास बेहद ही कम समय है.

जयपुर, दौसा, अलवर और भरतपुर में रिमझिम बारिश, राजस्थान में पलटा मौसम.

राजस्थान में मौसम में अचानक बदलाव आया है। आसमान में छाए हुए है। राजस्थान में करीब 15 दिन से चल रहा मानसून ब्रेक अब खत्म होने की संभावना है। शुक्रवार को उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी व पश्चिम बंगाल, उड़ीसा तट पर एक कम दबाव का क्षेत्र बना है।

अगले 2-3 दिन में इस सिस्टम के छत्तीसगढ़ की ओर आगे बढ़ने की संभावना है। इस सिस्टम के असर से अगले तीन-चार दिन कोटा, उदयपुर, भरतपुर, जयपुर व अजमेर संभाग के कुछ भागों में मानसून सक्रिय रहेगा। जिसके कारण बरसात होगी। राजधानी जयपुर समेत अलवर, भरतपुर, दौसा समेत पूर्वी राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में रिमझिम बारिश का दौर शुरू हो गया है। मौसम विभाग केंद्र जयपुर के अनुसार बारिश का यह दौर पांच दिन तक रहेगा।

हल्की-मध्यम बारिश होने की संभावना

शनिवार व रविवार को कोटा, जयपुर, भरतपुर, उदयपुर व अजमेर संभाग के कुछ भागों में मेघगर्जन के साथ हल्की-मध्यम बारिश होने की संभावना है। वहीं 21 अगस्त को धौलपुर, भरतपुर व जयपुर संभाग के कुछ भागों में जारी रहेगा। पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों को छोड़कर जोधपुर, बीकानेर संभाग में भी हल्की बरसात हो सकती है। अलवर जिले में शुक्रवार को मौसम के रूख में बदलाव देखा गया। शाम 5 बजे जिले से ही हल्की बूंदाबांदी देखी गई। लेकिन उमसभरी गर्मी से निजात नहीं मिला। बूंदाबांदी से उमस और बढ़ गई। जिले में शुक्रवार का अधिकत तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 25.2 डिग्री सेल्सिय दर्ज किया गया है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD की मानें तो अभी मानसून ट्रफ लाइन हिमालय के तलहटी की और बनी हुई है। वहीं उत्तर–पश्चिमी बंगाल की खाड़ी में एक परिसंचरण तंत्र बना हुआ है। इसके आगामी 12 घंटे में एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। जिससे धीरे-धीरे एक बार फिर बारिश का दौर शुरू हो जाएगा।भारतीय मौसम विभाग के जयपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 19 से 20 अगस्त के दौरान राजस्थान के अलवर, बाँसवाड़ा, बारां, भरतपुर, बूंदी, चित्तौरगढ़, दौसा, धौलपुर, जयपुर, झालावाड़, झुंझुंनू, करौली, कोटा, प्रतापगढ़, सवाई माधोपुर, सीकर, टोंक एवं उदयपुर जिलों में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।

विदेश जाना हो जाएगा आसान, भारत की बॉर्डर पर मौजूद हैं ये रेलवे स्टेशन.

आप में से कई लोग ये बात जानते होंगे, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे सात देशों के साथ भारत बॉर्डर शेयर करता है. लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं इनमें से कुछ देशों तक जानें के लिए आप ट्रेन की भी मदद ले सकते हैं?

जी हां, ऐसे कुछ रेलवे स्टेशन हैं, जहां से आप दूसरे देशों तक पहुंच सकते हैं. अगर आप विदेश के लिए सफर करना चाहते हैं तो ये खबर आपके बेहद काम की हो सकती है.

भारतीय रेलवे की ओर से कई ऐसी ट्रेनें संचालित की जाती हैं, जो विदेश तक का सफर कराती हैं. आप भी ट्रेन से विदेश जाना चाहते हैं तो आपके पास पासपोर्ट और यात्रा का परमिट होना चाहिए. साथ ही जिस ट्रेन में आप सफर करना चाहते हैं, उसके लिए टिकट की भी बुकिंग करानी होगी. आइए जानते हैं कौन कौन सी ट्रेनें हैं, जो विदेश के लिए चलाई जाती हैं.

कौन कौन से देश जाती है ट्रेन

सबसे पहले हम आपको बताते हैं हमारे देश से ट्रेन किन किन देशों में जाती है. इसमें बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान शामिल है. हमारे देश से कई लोग नेपाल घूमने जाते हैं. क्योंकि यहां आपको वीजा की जरूरत नहीं होती. अगर आप कम पैसों में भारत से बाहर किसी देश की यात्रा करने की सोच रहे हैं तो नेपाल बहुत ही अच्छा ऑप्शन है. जहां घूमने फिरने वाली जगहों की कोई कमी नहीं. यहां दुनिया के सबसे बड़े में से एक पशुपतिनाथ मंदिर है, इसके अलावा पोखरा झील, बौद्धनाथ काठमांडू के पूर्वी भाग में स्थित प्रसिद्ध बौद्ध स्तूप तथा तीर्थस्थल है.

यहां से चलती है बांग्लादेश के लिए ट्रेनें

हल्दीबाड़ी यह पश्चिम बंगाल में न्यू जलपाई गुड़ी रेलवे स्टेशन से अलग स्टेशन है. ये बांग्लादेश से केवल 4.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह स्टेशन एक ट्रांजिट पॉइंट है. आप आराम से यहां से बांग्लादेश जा सकते हैं. पेट्रोपोल स्टेशन से भी आप बांग्लादेश जा सकते हैं. इसका स्टेशन का इस्तेमाल मुख्य रूप से दोनों देशों के बीच आयात निर्यात के लिए किया जाता है. सिंघाबाद रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में है. यहां से भी बांग्लादेश के लिए ट्रेन मिलती है.

नेपाल के लिए ट्रेन

जय नगर रेलवे स्टेशन बिहार के मधुबनी में है. यह रेलवे स्टेशन भारत नेपाल सीमा के पास है. दिलचस्प बात तो ये है स्टेशन पड़ोसी देश से सिर्फ 4 किमी दूर है और जनकपुर के कुर्था स्टेशन के माध्यम से नेपाल से जुड़ा हुआ है. जोगबनी बिहार का एक जिला है. यह स्टेशन नेपाल के इतना नजदीक है कि आपको वहां जाने के लिए ट्रेन पकड़ने की भी जरूरत नहीं है. आप पैदल ही भारत से नेपाल जा सकते हैं.

भारत समाधानों के लिए एक आदर्श परीक्षण प्रयोगशाला है; पीएम मोदी

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत समाधानों के लिए एक आदर्श परीक्षण प्रयोगशाला है, साथ ही उन्होंने कहा कि जो उपाय देश में सफल साबित होते हैं उन्हें कहीं भी आसानी से लागू किया जा सकता है।

बेंगलुरु में जी20 डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्यकारी मंत्री समूह की बैठक को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक सुरक्षित और समावेशी समाधान पेश करता है। भारत एक विविधतापूर्ण देश है प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत एक विविधतापूर्ण देश है। हमारी दर्जनों भाषाएं और सैकड़ों बोलियां हैं। यहां दुनिया के सभी धर्मों के लोग रहते हैं और असंख्य सांस्कृतिक प्रथाओं का पालन होता है।

भारत में प्राचीन परंपराओं से लेकर आधुनिक तकनीक तक, हर किसी के लिए कुछ न कुछ है।’ उन्होंने कहा कि इतनी विविधताएं होने के कारण भारत समाधान तलाशने के लिए एक आदर्श परीक्षण प्रयोगशाला है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत में सफल साबित होने वाले उपायों को दुनियाभर में कहीं भी आसानी से लागू किया जा सकता है।’ भारत अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार प्रधानमंत्री ने बैठक में मौजूद प्रतिनिधियों से कहा कि भारत दुनिया के साथ अपने अनुभव साझा करने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोई पीछे नहीं छूटे यह सुनिश्चित करने के लिए देश ने ऑनलाइन एकीकृत डिजिटल बुनियादी ढांचा ‘इंडिया स्टैक्स’ बनाया है। उन्होंने डिजिटल अर्थव्यवस्था के बढ़ने के साथ ही इसके समक्ष पेश आने वाली सुरक्षा संबंधी चुनौतियों के प्रति जी20 प्रतिनिधियों को आगाह करते हुए ‘सुरक्षित, विश्वसनीय और लचीली डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए जी20 उच्च स्तरीय सिद्धांतों’ पर सर्वसम्मति बनाने की जरूरत पर जोर दिया।

एस्टेरॉयड से होने वाली तबाही,एक सेकेंड में तय करते हैं इतनी दूरी

एस्टेरॉयड से होने वाली तबाही को आप सबने हॉलीवुड फिल्मों में देखा होगा लेकिन रीयल जिंदगी में इनकी टक्कर धरती के किसी हिस्से से हो जाए तो बर्बादी की कल्पना की जा सकती है.

अक्सर हर एक सप्ताह हम एस्टेरॉयड की साइज जैसे बस के बराबर, ट्रक के बराबर, वेंडिंग मशीन के बराबर या जिराफ की साइज के बारे में सुनते रहते हैं, इसके साथ ही सिटी किलर, प्लेनेट किलर भगवान की तबाही के बारे में भी दो चार होते हैं. हालांकि सवाल यह है कि इस तरह के खतरे सिर्फ कहने सुनने के लिए है या वास्तव में खतरा है. करीब 65 मिलियन साल यानी 6.5 करोड़ साल पहले जब एस्टेरॉयड ने धरती को घुटनों पर झुका दिया था. डॉयनसोर का सफाया हो गया .

अगर एस्टेरॉयड की सीधी टक्कर धरती से हो तो असर कितना भयावह होगा इसके बारे में नासा ने अध्ययन किया है. नासा का कहना है कि बड़े एस्टेरॉयड की जगह छोटे की संख्या अधिक है लिहाजा नुकसान उस स्तर का नहीं होगा जिसे बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है. एस्टेरॉयड के छोटे आकार की वजह से धरती से टकराने के बाद नुकसान अधिक नहीं होगा. यही नहीं छोटे आकार की वजह से क्षुद्र ग्रह यानी एस्टेरॉयड वायुमंडल में ही जलकर खत्म हो जाते हैं. जब ये धरती के वायुमंडल में दाखिल होते हैं तो घर्षण की वजह से फायरबॉल में बदल जाते है जिसे आप आग का गोला समझ सकते हैं. जब इनका कुछ हिस्सा पृथ्वी तक आने में कामयाब होते हैं तो उन्हें उल्कापिंड कहा जाता है.

अब सवाल यह है कि आप कितने एस्टेरॉयड की कल्पना कर सकते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक प्रत्येक वर्ष करीब चार मीटर साइज वाले क्षुद्र ग्रहों के धरती से टकराने की आशंका बनी रहती है. जैसे जैसे आप धरती के क्षेत्रफल को बढ़ाते जाएं तो टकराने की आशंका और अधिक बढ़ जाती है. 2022 में करीब 126 एस्टेरॉयड धरती के करीब थे और 2023 में अब तक यह आंकड़ा 50 है. अगर आप किसी एस्टेरॉयड के बारे में जिसका व्यास एक किमी से अधिक हो तो ठीक वहीं सिद्धांत लागू होता है जो चार मीटर वाले साइज में होती है

रत्नावली परिचय……..

रामचरितमानस तुलसीदासजी का सुदृढ़ कीर्ति स्तंभ है, जिसके कारण वे संसार में श्रेष्ठ कवि के रूप में जाने जाते हैं. मगर राम की भक्ति से पहले अर्थात् जब तक उन्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई थी तब तक उनका जीवन एक साधारण मानव की तरह ही था.

राम की भक्ति एवं प्रभु के प्रति उनकी प्रीति के पीछे उनकी पत्नी रत्नावली की ही प्रेरणा थी. वे उनसे इतना प्रेम करते थे कि उनके बिना नहीं रहते थे.

एक बार आधी रात को पत्नी ने जब रामबोला को विक्षिप्त हालात में अपने पास आया देखा तो अनादर करते हुए कहा-

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।

अर्थात्- इस हाड़-मांस के देह से इतना प्रेम, अगर इतना प्रेम राम से होता तो जीवन सुधर जाता.’ इस पर रामबोला का अंतर्मन जाग उठा और वह एक पल भी वहां रुके बिना राम की तलाश में चल दिये. राम नाम की धुन ऐसी लगी कि फिर वे प्रभु राम के ही होकर रह गये. आज जहां भी रामकथा होती है, वहां राम के साथ तुलसीदास जी का भी नाम लिया जाता है.

रत्नावली परिचय

रत्नावली के बारे में समकालीन रचनाकारों में संत प्रियादास ने भक्तमाल की टीका लिखी थी. इसमें रत्नावली के बारे में कुछ परिचय मिलता है, लेकिन संवत् 1772 में लिखी गयी मुरलीधर चतुर्वेदी कृत रत्नावली चरित पुस्तक से उनके जीवनकाल का पूर्ण परिचय इन्हीं के शब्दों में प्राप्त होता है. इनके कुल 102 दोहे और सात पद प्राप्त हैं, जो कहीं-कहीं तुलसी को भी पीछे छोड़ देते हैं. तुलसी तो अमर हो गये, लेकिन रत्ना के पीछे गहन अंधकार छोड़ गये. तुलसी के परिव्राजक बनने में रत्ना सहज ही हेतु बन गयी. रत्ना की जो पीड़ा है, वह तुलसी के अन्यनतम प्रेम के कारण है और यही प्रेम तुलसी को परमात्मा के तरफ जाने को बल देता है.

रत्ना का विरह अनूठा है, आंसू है, और दर्द भरी पुकार ऐसी कि वह एक क्षण को भी भूलती नहीं. रत्ना कहती है- प्रभु बराह पद पूत महि, जनम मही पुनि एहि। सुरसरि तट महि त्यागि अस, गये धाम पिय केहि।।

हे प्रिय भगवान बराह के इस पवित्र भूमि में आपका जन्म हुआ और इस पावन तट का त्याग कर आप कहां चले गये. वह सब खोने को तैयार है, लेकिन उसे तुलसी को खोना स्वीकार नहीं. उन्हें वह पलभर नहीं भूलती. ”रातों में नींद नहीं, न जाने कब तुम्हारा आना हो जाये और मैं सोयी रहूं, तुम द्वार पर दस्तक दो और लौट जाओ.” तुलसी ज्योति हैं, तो रत्ना एक चिन्मय है. ज्योति के बिना दीये का क्या मोल. अपने प्रिय की याद अन्यनतम दशा में रत्ना कहती है-

कर गहि लाये नाथ तुम, बादन बहु बजवाय।

पदहु न परसाये तजत, रत्नावलिहि जगाय।।

रत्ना की यह स्थिति भी स्वीकार है कि महाभिनिष्कर्मण के समय मुझे जगाकर पांव भी स्पर्श करने नहीं दिया. अपना परिचय रत्ना दो दोहे में करती है-

दीनबंधु कर घर पली, दीनबंधु कर छांह।

तौउ हों दीन अति, पति त्यागी मो बांह।।

जैसा कि ग्रियर्सन ने अपनी पुस्तक ‘इंडियन एंटी क्वेरी’ में कहा है कि उनके पिता दीनबंधु पाठक वेद विद्या में निपुण थे. उनके तीन पुत्र और एक कन्या थी, जो तुलसी को ब्याही गयी. पति के गृह त्याग के बाद साध्वी रत्नावली का जीवन स्त्रियों को उत्तम धर्म की शिक्षा देने एवं स्वयं भी पालन करने में बीता.

दोहो में झलकती है पीड़ा

रत्नावली के दोहो में ब्रज भाषा का अच्छा प्रवाह है एवं अलंकारों का स्वाभाविक प्रस्फुटन है, जो हृदय को द्रवीभूत करने की अपूर्व क्षमता से ओत-प्रोत है. भाषा में शृंगार, करूणा, शांति आदि रस प्रधान है. वे एक ओर पति वियोग में विह्वल है, तो दूसरी ओर अपनी स्वभाव की मृदुलता, परोपकारिता एवं अध्यात्मिक रूझान के लिए सबों की पूज्य बन जाती है. इनकी कविता में उपमा एवं रूप अलंकारों का संयोजन कथ्य को अत्यंत ही प्रभावी बना देते हैं. तुलसी तो मानस में राम से यह कहवाते हैं- प्रिया विहीन डरपत मन मोरा। लेकिन उन्हें रत्ना का ख्याल नहीं आया. रत्ना तो कहती है कि हे प्रिय अब मैं चुप रहूंगी. मैंने तो आपको सहज ही कहा था, मेरे अपराध को क्षमा कर आ जाएं-

नाथ रहौंगी मौन हों, धारहु पिय जिय तोय।

कबहुं न देउं उराहनौं, देउं कबहुं न दोष।।

लेकिन अलंकार का ऐसा संयोजन जहां उसकी अन्यनतम पीड़ा साक्षी बन प्रतिबिंबित होती है, वे कहती हैं-

वैस बारहीं कर गहयो, सोरहि गौन कराय। सत्ताइस लागत करी, नाथ रतन असहाय।।

वे कहती हैं कि बारह वर्ष में नाथ ने मेरा पाणिग्रहण किया, सोलह साल में गौना करा कर लाये और 27 वर्ष के आरंभ में ही मुझे छोड़ कर चले गये.

चले गये.

सागर खरस ससि रतन, संवत मो दुखदाय।

पिय वियोग जननी मरन, करन न भूल्यो जाय।।

मैं भूल नहीं पाती, जिस वर्ष संवत् (1604) मेरे पति का वियोग एवं माता का मरन हुआ.

मानस साक्षी है कि जगह-जगह तुलसी ने भी अलग-अलग रूपों में रत्ना के वियोग का जिक्र किया है.

भक्ति, वैराग्य एवं सामाजिक दायित्व के उपदेश

तुलसीदास जी के पद सबकुछ बिना कहे ही कह जाते हैं-

तन धन जन बल रूप को, गरव करो जनु कोय।

को जाने विधि गति रतन, छन मे कछु कछु होय।।

अर्थात्- आदमी को धन, बल, पौरुष का अभिमान कभी नहीं करना चाहिए. क्षण में कुछ का कुछ हो जाता है. इस संसार में वही व्यक्ति जीवित है, जो यश और ज्ञान को हृदय में धरण कर थोड़े दिन ही जीता है. इस जगत में जीने का अर्थ तो परोपकार करना है-

परहित जीवन जासु जग, रतन सफल है सोइ।

रामचरित मानस की एक चौपाई खुद तुलसीदास जी पर भी लागू होती है, जिन्होंने इसकी रचना की है –

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।

को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

अर्थात्- अगर राम की इच्छा नहीं होती तो प्राणों से भी अधिक प्रिय पत्नी उनका तिरस्कार नहीं करती और रामबोला से वह तुलसीदास नहीं बनते. यह बात स्वयं तुलसीदास जी भी स्वीकर करते हैं, इसलिए पत्नी को क्षमा करके बाद में उन्हें अपना शिष्य बना लेते हैं.

Chandrayaan 3: चांद पर जाने की होड़, मंगल मिशन से क्या है इसका कनेक्शन

चंद्रयान-3 चांद की सतह छूने को बेताब है, ये डीऑर्बिटिंग कर रहा है, यानी धीरे-धीरे ये चंद्रमा की सतह से अपनी दूरी घटा रहा है. ठीक इसी वक्त रूस का लूना-25 भी चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए खुद को तैयार कर रहा है.

माना ये जा रहा है कि लूना-25 चंद्रयान-3 से पहले लैंडिंग कर लेगा. खास बात ये है कि दोनों ही मिशन चांद के दक्षिणी पोल पर लैंडिंग करेंगे. मून मिशनों के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब कोई स्पेस क्राफ्ट चांद के साउथ पोल पर लैंड करेगा.

सिर्फ चंद्रयान-3 और लूना-25 ही नहीं, बल्कि दुनिया भर की तमाम स्पेस एजेंसियां चांद पर जाने की होड़ में जुटी हैं. चंद्रयान-3 के बाद नासा का आर्टेमिस मिशन, चीन का चांग-ई, जापान, यूरोप, स्पेस एक्स और ब्लू ओरिजन के मून मिशन भी कतार में हैं, अंतरिक्ष विज्ञानी मानते हैं कि दुनिया भर की स्पेस एजेंसियों की अचानक चांद में दिलचस्पी यूं ही नहीं हैं, इसके कई अहम कारण हैं, इनमें सबसे प्रमुख हैं मंगल ग्रह पर पहुंचने के लिए चांद का एक बेस के तौर पर इस्तेमाल करना. यही वजह है कि स्पेस एजेंसियां यहां पानी-खनिज, ऑक्सीजन की खोज में जुटी हैं, ताकि चांद पर एक ऐसा बेस बन सके, इससे मंगल ही नहीं बल्कि अन्य ग्रहों पर पहुंचना भी आसान होगा.

चांद पर इस होड़ की वजह मंगल ग्रह

स्पेस में मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना तलाशी जा रही है, 1960 से लेकर अब तक मंगल के लिए अनगिनत मिशन लांच हो चुके हैं, अमेरिका और रूस इनमें सबसे आगे हैं, भारत, चीन और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी भी इस लिस्ट में शामिल है. अंतरिक्ष विज्ञानी मानते हैं कि मंगल ग्रह पर दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियों की नजर है, लेकिन धरती से इसकी दूरी अधिक होने की वजह से सिर्फ गिने-चुने मिशन ही सफल हो सके हैं. चूंकि एक समय ऐसा आता है जब चंद्रमा धरती और मंगल ग्रह के बीच से गुजरता है, ऐसे में अंतरिक्ष एजेंसियां इसे एक बेस के तौर पर प्रयोग करना चाहती हैं.

चांद पर होड़ के ये भी कारण

सिर्फ बेस बनाना ही नहीं बल्कि चांद पर पहुंचने की होड़ के अन्य कारण भी हैं, इनमें पानी की खोज भी प्रमुख है, दरअसल ये माना जा रहा है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी और ऑक्सीजन हो सकती है, अगर पानी है तो वहां खेती भी हो सकती है और जीवन भी बसाया जा सकता है.
ये भी माना जा रहा है कि चांद की सतह के लिए सोना, टाइटेनियम, प्लेटिनम और यूरेनियम जैसे खनिज हो सकते हैं, जो किसी भी देश को मालामाल कर सकते हैं

चांद पर पहुंचने का तीसरा कारण अपना वर्चस्व स्थापित करना भी है, अमेरिका और रूस इसमें सबसे आगे हैं, चीन भी इस दौड़ से खुद को पीछे नहीं रखना चाहता और भारत भी लगातार अपनी ताकत का अहसास कराता रहता है.

चंद्रयान-3 और लूना-25 के बाद कतार में हैं ये मिशन

2 खूंखार गेंदबाजों ने 6 गेंदों में छुड़ाए छक्के, अब वर्ल्ड कप दूर नहीं

वही पुराना रंग अप और कसी हुई लाइन लेंथ…बैक सर्जरी के बाद करीब 11 महीने बाद मैदान पर उतरे जसप्रीत बुमराह को देखकर लगा नहीं कि वो इतने लंबे वक्त से बाहर थे. पहली 6 गेंद में उन्होंने दिखा दिया कि वो इंटरनेशनल क्रिकेट में छाने के लिए दोबारा आए हैं.

उनकी गेंदबाजी को देखकर ये नहीं लगा कि उन्होंने एक्शन में कोई बदलाव किया या वापसी पर वो किसी तरह की तकलीफ में नजर आए. ऐसा ही कुछ बुमराह की तरह सर्जरी के बाद वापसी कर रहे दूसरे तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा को भी देखकर लगा.

प्रसिद्ध ने तो पहले ही ओवर में 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की. यानी कुल मिलाकर दोनों गेंदबाजों का कमबैक शानदार रहा और इससे भारतीय टीम मैनेजमेंट और कप्तान रोहित शर्मा के सिर से बड़ा बोझ उतर गया होगा और उन्होंने राहत की सांस ली होगी. क्योंकि वनडे विश्व कप में अब 50 दिन से भी कम का वक्त बचा है और 10 दिन बाद टीम इंडिया को एशिया कप में उतरना है. ऐसे में बुमराह और प्रसिद्ध के ड्रीम कमबैक से भारतीय पेस अटैक मजबूत होगा.

जसप्रीत बुमराह की वापसी पर पहली गेंद पर चौका पड़ा लेकिन अगली ही गेंद पर उन्होंने एंडी बालबर्नी को झटका दे दिया. बुमराह की इस गेंद की रफ्तार भले ही 130 किमी प्रति घंटे के आसपास थी. लेकिन बल्लेबाज को छकाने के लिए हल्का सा स्विंग और सीम मूवमेंट था. ये गेंद तेजी से अंदर की तरफ आई और शॉट खेलने के चक्कर में गेंद बालबर्नी के बल्ले का किनारा लेकर स्टम्प्स पर जा लगी. इसके बाद बुमराह ने रफ्तार बढ़ाई और 3 गेंद बाद बुमराह की गेंद पर विकेटकीपर के पीछे स्कूप शॉट खेलने के चक्कर में लॉरकन टकर कैच आउट हो गए. पहली गेंद पर चौका खाने के बाद बुमराह ने अगली पांच गेंद डॉट फेंकी और 2 विकेट झटके. इससे बेहतर कमबैक की शायद ही कोई उम्मीद करे.

बुमराह ने आयरलैंड की पारी का 19वां ओवर भी फेंका और अपने पेस और लेंथ में लगातार बदलाव किया और इस ओवर में महज 1 रन दिया. उन्होंने अपने कोटे के 4 ओवर में 24 रन देकर 2 विकेट झटके. बुमराह ने वापसी पर पावरप्ले और फिर डेथ ओवर में अपना जलवा दिखाकर ये साबित कर दिया कि वो पहले इम्तिहान में पूरी तरह पास रहे और आने वाले दिनों के लिए संकेत दे दिया कि अब वो दोबारा बल्लेबाजों के लिए आफत बनने वाले हैं.

प्रसिद्ध का कमबैक अच्छा रहा

बुमराह की तरह, भारत की वर्ल्ड कप की योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण एक और तेज गेंदबाज प्रसिद्ध कृष्णा ने भी आयरलैंड के खिलाफ पहले टी20 में पीठ की सर्जरी के बाद वापसी की. उनका ये टी20 डेब्यू था. उन्होंने भी बुमराह की तरह कमजोर गेंद से शुरुआत की और अपने कप्तान की तरह ही पहले ओवर में ही हैरी टेक्टर का विकेट हासिल कर लिया. बुमराह के उलट, प्रसिद्ध ने सीधे 130 किमी प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से गेंदबाजी शुरू की और पहले ओवर की उनकी 5वीं गेंद की रफ्तार 90 मील प्रति घंटा थी.

रजनीकांत ने दी जानकारी- CM योगी भी दिखेंगे फिल्म जेलर में

रजनीकांत इन दिनों अपनी फिल्म ‘जेलर’ को लेकर सुर्खियों में हैं। वह शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ‘वह सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ‘जेलर’ देखने लखनऊ आए हैं।

साथ ही उन्होंने फिल्म की सफलता पर भी बात की।

लखनऊ पहुंचे जेलर एक्टर रजनीकांत

रजनीकांत की फिल्म जेलर बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई कर रही है। शुक्रवार को लखनऊ पहुंचे रजनीकांत से जब सीएम से मुलाकात के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हां, मैं उनके साथ अपनी फिल्म (जेलर) देखने जा रहा हूं।” उन्होंने जेलर को मिली अपार सफलता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “सब भगवान की दुआ है।”

SMARTPHONE पर सबसे ज्यादा क्या देखते हैं भारतीय?

स्मार्टफोन हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है. फोन पर बात करनी हो, मैसेज करना हो या फिर इंटरनेट का कुछ भी काम. हर चीज में फोन का इस्तेमाल होता है.

लेकिन कभी आपने सोचा है कि हम फोन पर दिन में कितने घंटे बिताते हैं. एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें पता चलता है कि भारतीय फोन पर सबसे ज्यादा क्या देखते हैं और कितना वक्त बिताते हैं…

तीन घंटे से ज्यादा रहते हैं सोशल मीडिया पर

भारतीय यूजर्स औसतन प्रतिदिन सोशल मीडिया पर तीन घंटे से ज्यादा और ऑनलाइन गेमिंग पर 46 मिनट से ज्‍यादा समय बिताते हैं. नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. टेक्नोलॉजी पॉलिसी थिंक टैंक एशिया सेंटर के अनुसार, सोशल मीडिया इस लिस्ट में टॉप पर है. प्रतिदिन 194 मिटन से ज्यादा लोग सोशल मीडिया पर बिताते हैं. वहीं OTT का समय 44 मिनट और ऑनलाइन गेमिंग का 46 मिनट है.

करते हैं इतना खर्चा

एक औसत यूजर ऑनलाइन गेमिंग पर प्रति माह 100 रुपये से कम और प्रतिदिन एक घंटे से भी कम खर्च करता है. ओटीटी पर वह 200-400 रुपये खर्च करता है. दो हजार प्रतिभागियों के बीच सर्वे किया गया और 143 मोबाइल एप्लिकेशन के 20.6 लाख से अधिक यूजरों के इन-ऐप डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है.