Thursday , October 24 2024

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अदालत ने प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा, पीड़िताओं के नाम लेने से किया मना

बंगलूरू: कर्नाटक हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे जनता दल (एस) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की जमानत याचिका पर गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की एकल-न्यायाधीश पीठ ने पहले मामले में रेवन्ना के आवेदन पर और शिकायतों से संबंधित दो अग्रिम जमानत पर दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान अदालत ने वकीलों से पीड़िताओं के नाम का जिक्र करने से मना किया। रेवन्ना की ओर से वरिष्ठ वकील प्रभुलिंग के नवदगी पेश हुए। वकील नवदगी ने कहा कि आरोप मुख्य रूप से रेवन्ना के पिता पर लगे हैं। इसके साथ उन्होंने यह भी बताया कि पीड़िता ने परिवार के लिए चार वर्षों तक काम किया। उन्होंने चार वर्षों तक मामला दर्ज दर्ज न करने पर चिंता जताई।

वकील नवदगी ने कहा कि महिला ने दावा किया कि जब उसके पति ने उसे एक वीडियो के बारे में बताया, तब उसे आवाज उठाने की हिम्मत मिली। उसने पहले आईपीसी की धारा 376 के तहत दुष्कर्म का आरोप नहीं लगाया। उन्होंने आगे कहा, “फॉरेसिक रिपोर्ट ने भी वीडियो को रेवन्ना से नहीं जोड़ा।” उन्होंने इस बात से इनकार किया कि रेवन्ना के फोन पर कोई आपत्तिजनक वीडियो पाया गया था।

अदालत ने फॉरेंसिक रिपोर्टों के निष्कर्षों पर सवाल उठाया। विशेष लोक अभियोजक प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने बताया कि याचिकाकर्ता की धमकियों और पीड़ितों को चुप कराने के प्रयासों के कारण शिकायत दर्ज कराने में देरी उचित थी।

क्या था मामला?
बता दें कि प्रज्वल रेवन्ना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते हैं। उन पर कई महिलाओं से यौन शोषण का आरोप है। प्रज्ज्वल हासन लोकसभा सीट के सांसद थे। उन्होंने इस साल हासन से एनडीए उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले सोशल मीडिया पर कई अश्लील वीडियो वायरल हुए थे। हासन में मतदान के ठीक एक दिन बाद, 27 अप्रैल को प्रप्रज्वल जर्मनी चले गए थे।

‘एक देश-एक चुनाव’ पर सियासी संग्राम; भाजपा और जयंत बचाव में उतरे तो बीजद हुई हमलावर

नई दिल्ली :  मोदी सरकार की कैबिनेट द्वारा वन नेशन वन इलेक्शन के मसौदे को मंजूरी देने के बाद सियासी तूफान आ गया है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर जबरदस्त हमला बोला है। जिसके बाद अब सरकार की ओर से अलग-अलग दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवन ने कहा कि, देश को मजबूत बनाने की दिशा में अहम कदम है। वहीं मोदी सरकार में मंत्री और लोकदल के चीफ जयंत चौधरी ने कहा कि, विपक्ष ‘आलोचना करने में जल्दबाजी कर रहा है’ और टिप्पणी करने से पहले इस मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सीआर केसवन ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का निर्णय राष्ट्र निर्माण और संघवाद को और मजबूत करेगा। यह डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर और अन्य नीति निर्मातोओं द्वारा हमें दिए गए हमारे संविधान की मूल भावना और पवित्रता को भी महत्वपूर्ण रूप से पुनः प्राप्त करेगा। जब पीएम मोदी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया, तो इसने संविधान के मूल आदर्शों को फिर से स्थापित किया था, जिन्हें कांग्रेस ने धोखा दिया था।

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने हमेशा एक साथ चुनाव कराने की परिकल्पना की थी। लेकिन एक साथ चुनाव कराने पर कोई बहस नहीं हुई क्योंकि यही हमारा आगे बढ़ने का तरीका था। किसी ने यह नहीं सोचा था कि इंदिरा गांधी की कांग्रेस जैसी कोई पार्टी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को बेरहमी से गिरा देगी और उन्हें उखाड़ देंगी। केसवन ने आगे कहा, 1952 से 1967 तक, एक साथ चुनाव हुए लेकिन इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने निर्वाचित राज्य सरकार को लगभग 39 बार गिरा दिया। जिससे एक साथ चुनावों का चक्र टूट गया। यहीं नहीं, उन्होंने आपातकाल सिर्फ इसलिए लगाया ताकि वह अपना कार्यकाल जारी रख सकें। यही कारण है कि कांग्रेस अपने अतीत के पापों के कारण परेशान है।

सरकार के बचाव में उतरे जयंत

आरएलडी चीफ और केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि, कैबिनेट ने एक फैसला लिया है। इसके बारे में काफी विचार-विमर्श किया गया था। विपक्ष को कोई बयान देने से पहले इसके बारे में सोचने की जरूरत है। सरकार लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए बेहतरीन फैसले ले रही है।

डॉक्टरों-सरकार के बीच दूसरे दौर की बैठक में भी नहीं बनी बात, डॉक्टरों का काम पर लौटने से इनकार

कोलकाता: आरजी कर मामले में अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शनरत जूनियर डॉक्टरों ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ वार्ता की। पश्चिम बंगाल सरकार और जूनियर डॉक्टरों की करीब दो घंटे चली बातचीत बेनतीजा रही। सचिवालय में राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक के बाद डॉक्टरों ने कहा कि वे हताश और निराश हैं। बैठक में हमने मिनट्स बनाकर दिया लेकिन सरकार ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किए। हम लिखित आश्वासन चाहते हैं। डॉक्टरों ने कहा कि वे हड़ताल वापस लेना चाहते हैं लेकिन सरकार से लिखित आश्वासन नहीं मिलने के चलते हड़ताल जारी रखने का फैसला किया।

गौरतलब है कि सोमवार को सीएम ममता बनर्जी के साथ वार्ता के बाद डॉक्टरों ने काम पर लौटने से इनकार कर दिया था और एक बार फिर बैठक करने की बात कही थी। इसी क्रम में बुधवार को जूनियर डॉक्टरों का 30 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक के लिए नबन्ना पहुंचा था।

दुनियाभर में बदलाव के वाहक बन रहे युवा, विरोध से दिख रही लोकतंत्र की स्वीकार्यता में परिवर्तन की झलक

नई दिल्ली: मौजूदा समय में दुनिया में विरोध-प्रदर्शनों की लहर है। इनमें युवाओं का प्रभुत्व है और ये बदलाव के वाहक बन रहे हैं। इनमें शासन परिवर्तन से लेकर बढ़ी महंगाई तक शामिल है।

अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए बनाई गई प्रतिष्ठित अमेरिकी एजेंसी, यूएसएआईडी (यूएस एजेंसी फार इंटरनेशनल डेवलपमेंट) इन विरोध प्रदर्शनों के मुद्दों व संरचना का परीक्षण किया जाए तो पता चलता है कि इनके पीछे कोई औपचारिक नेतृत्व नहीं है और ये काफी हद तक मुद्दों पर ही आधारित हैं। इस समय दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा युवा आबादी है और यह मुद्दे भी खुद ही तय कर रहे हैं।

युवा पीढ़ी में लोकतंत्र को लेकर दिख रहा अलग-अलग मत
यूनिसेफ के विश्लेषण के अनुसार हाल के सालों में पाया गया है कि पुरानी और नई पीढ़ी में राजनीतिक सहभागिता के तौर पर लोकतंत्र को लेकर अलग अलग मत हैं।

युवाओं के बीच गहरा रहा है रोजगार का संकट
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन भी युवा आबादी के बीच बढ़ते विरोध प्रदर्शनों पर बढ़ती बेचैनी को ध्यान में रखते हुए कहा है कि युवाओं के बीच रोजगार का संकट गहरा रहा है जो केवल सुस्त आर्थिक विकास से जुड़ा हुआ नहीं है।

एक साथ चुनाव कराने पर खर्च में आएगी कमी, तीन से पांच लाख करोड़ रुपये बचेंगे

नई दिल्ली: ‘एक देश, एक चुनाव’ के अमल में आने पर चुनाव खर्च में कम से कम 30 फीसदी की कमी की जा सकती है। हालांकि यह चुनाव आयोग की कार्यकुशलता और राजनीतिक दलों के सहयोग पर निर्भर करेगा। हालांकि तीन दशकों से चुनाव व्यय पर नजर रख रहे एन भास्कर राव ने कहा कि ‘वोट के बदले नोट’ या मतदाताओं को लुभाने पर अंकुश लगाए बिना चुनाव खर्च में उल्लेखनीय कमी नहीं आएगी।

2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के प्रमुख राव ने अनुमान लगाया था कि यदि देश में सभी स्तरों पर चुनाव 2024 में होते हैं तो इस पर 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे। उन्होंने कहा कि ये अनुमान संसदीय चुनावों से पहले लगाए गए थे और भविष्य के चुनावों में वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन आंकड़ों में राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव आयोग को बताए गए आधिकारिक व्यय के आंकड़ों तथा चुनाव कराने में सरकार के किए गए व्यय के अतिरिक्त बेहिसाबी व्यय भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करने पर अनुमानित 10 लाख करोड़ रुपये के चुनाव खर्च में से 3-5 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। हालांकि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि चुनाव आयोग कितना प्रभावी है और पार्टियां कितनी सहयोगी हैं। ‘एक देश, एक चुनाव’ पहल से अकेले चुनाव खर्च में कोई महत्वपूर्ण या पर्याप्त कमी नहीं आएगी, जब तक राजनीतिक दलों की ओर से उम्मीदवारों के चयन, प्रचार और मौजूदा पदाधिकारियों की सहूलियत से संबंधित वर्तमान प्रथाओं पर अंकुश नहीं लगाया जाता, चुनाव आयोग अधिक प्रभावी नहीं हो जाता, इसकी आदर्श आचार संहिता को राजनीतिक दलों की ओर से नहीं अपनाया जाता और चुनाव कार्यक्रम अधिक तर्कसंगत नहीं हो जाता।

लहरों में बहा एनएच-31, तीन हजार की आबादी पानी में घिरी; बाढ़ के बीच NDRF ने संभाला मोर्चा

बलिया:  बैरिया थाना क्षेत्र के बैरिया मांझी मार्ग एनएच 31 चांददीयर पुलिस चौकी से करीब 200 मीटर की दूरी पर बुधवार की देर रात करीब एक बजे मेन रोड को सरयू नदी की लहरों ने करीब 15 मीटर की चौड़ाई में काट दिया, जिससे यादव नगर बस्ती के करीब तीन हजार की आबादी पानी में घिर गई। एनएच 31 क्षतिग्रस्त होने के कारण मांझी पुल से संपर्क टूट गया है।

सड़क टूटने के करीब 3 घंटे बाद पहुंची एनडीआरएफ की टीम ने दो नावों से 10 से अधिक परिवारों को बाहर निकाला। एनडीआरएफ के इंचार्ज श्रीनिवास मीणा ने बताया कि फंसे परिवारों को बाहर निकालने की कवायद चल रही है।उधर, सूचना पर पहुंचे क्षेत्राधिकारी बैरिया उस्मान व एस एच ओ बैरिया रामायण सिंह पहुंच कर दोनों तरफ से आने जाने वाले वाहनों को रुकवाते हुए नाव की व्यवस्था कर फंसे लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।

वहीं, सूचना पर पूर्व विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह मौके पर पहुंच कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बात कर घटना की जानकारी दी। वहीं उपजिलाधिकारी बैरिया सुनील कुमार भी पहुंच उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी। बताया कि मौके पर पुलिस बल लगाकर वाहनों का डायवर्सन किया जा रहा है।

आज फिर अयोध्या पहुंचेंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, देंगे विकास परियोजनाओं की सौगात

लखनऊ:  रामनगरी के विकास के लिए योगी सरकार लगातार धनवर्षा कर रही हैं। अयोध्या को विश्व के पटल पर स्थापित करने में मोदी-योगी सरकार कोई कसर नहीं रख रही है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी निरंतर यहां विकास का पहिया चल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब भी अयोध्या पहुंचते हैं तो यहां विकास के मार्ग प्रशस्त करते हैं। सीएम योगी गुरुवार को फिर अयोध्या पहुंच रहे हैं। इस बार वे यहां एक हजार करोड़ से भी अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। मुख्यमंत्री स्थानीय जनप्रतिनिधियों संग बैठक भी करेंगे।

मिल्कीपुर में जनसभा भी करेंगे सीएम
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में जनसभा भी करेंगे। वह 10:40 पर मिल्कीपुर के विद्या मंदिर इंटर कॉलेज पहुंचेंगे। एक बजे तक मिल्कीपुर में ही रहेंगे। मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव की कमान संभाले सीएम योगी तीन महीने के अंदर दूसरी बार जिले को विकास का तोहफा देंगे।

अकेले मिल्कीपुर की 40 परियोजनाएं
सीएम द्वारा अयोध्या में एक हजार चार करोड़ 74 लाख 63 हजार की कुल 83 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया जाएगा। इनमें विधानसभा मिल्कीपुर की कुल 40 परियोजनाएं हैं, जिनकी कुल लागत 4975.06 लाख है।

37 परियोजनाओं का किया लोकार्पण
जनपद में 8283.43 लाख की 37 परियोजनाओं का लोकार्पण किया जाएगा। लोकार्पित परियोजनाओं के अन्तर्गत नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति की 21, लोक निर्माण विभाग की 15, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास-उद्यमशीलता की दो एवं समाज कल्याण विभाग की एक परियोजना सम्मिलित है। विधानसभा मिल्कीपुर में सात परियोजनाओं का लोकार्पण किया जाना है। लोकार्पित परियोजनाओं के अन्तर्गत नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति की 05 एवं लोक निर्माण विभाग की दो परियोजनाएं सम्मिलित हैं।

कई परियोजनाओं का किया जाएगा शिलान्यास
जनपद में 92191.20 लाख की 46 परियोजनाओं का शिलान्यास मुख्यमंत्री के हाथों होगा। लोक निर्माण विभाग की 34, नगर विकास विभाग की दो, आवास एवं शहरी नियोजन विभाग की दो. चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की दो. चिकित्सा शिक्षा विभाग, पर्यटन विभाग, उच्च शिक्षा विभाग स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग, व्यवसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास, उद्यमशीलता एवं युवा कल्याण विभाग की एक-एक परियोजनायें सम्मिलित हैं। विधानसभा मिल्कीपुर में 3456 लाख की 33 परियोजनाओं का शिलान्यास किया जा रहा है। शिलान्यास की जाने वाली परियोजनाओं के अन्तर्गत लोक निर्माण विभाग की 30 चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग एवं युवा कल्याण विभाग की एक-एक परियोजना सम्मिलित हैं।

दो बार अतंरिक्ष में जन्मदिन मनाने वाली इस भारतीय मूल की महिला के साहस की कहानी सुन करेंगे सलाम

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स स्पेसक्राफ्ट में तकनीकी खराबी के कारण बीते जून माह से स्पेस में फंसी हुई हैं। उनकी 8 दिन की यात्रा 8 महीने में बदल गई है। उम्मीद है कि वह फरवरी माह तक धरती पर वापस लौट आएं। सुनीता विलियम्स तीसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर गई हैं। सुनीता विलियम्स 19 सितंबर को अपना 59वां जन्मदिन मना रही हैं। वह इस बार धरती से लगभग 400 किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में अपना जन्मदिन मना रही हैं। हालांकि ये पहली बार नहीं है जब सुनीता ने अपना जन्मदिन स्पेस पर सेलिब्रेट किया है। आइए जानते हैं भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स के बारे में, उनका जीवन परिचय और उपलब्धियां।

सुनीता विलियम्स का जीवन परिचय

सुनीता विलियम्स के पिता का नाम डाॅ. दीपक पांड्या और मां बोनी पांड्या हैं। उनके पिता गुजरात के मेहसाणा जिले के झुलासान में पैदा हुए थे और पेशे से एक न्यूरोएनाटोमिस्ट थे। हालांकि बाद में अमेरिका चले गए और बोनी पांड्या से शादी की।

सुनीता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को यूक्लिड, ओहियो में हुआ था। 1987 में उन्होंने अमेरिकी नौसेना अकादमी से फिजिकल साइंस में बैचलर की डिग्री ली। बाद में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर किया। नासा ज्वाइन करने से पहले सुनीता अमेरिका की नौसेना में काम करती थीं। उन्होंने 30 से अधिक विभिन्न विमानों में 3000 से ज्यादा उड़ान घंटे दर्ज किए थे।

उनके नाम एतिहासिक उपलब्धि दर्ज है। सुनीता साल 2006 और 2012 में दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं। इन दोनों मिशनों पर विलियम्स ने अंतरिक्ष पर कुल 322 दिन बिताए, जो अपने आप में रिकॉर्ड है। इसके बाद 6 जून को उन्होंने स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से तीसरी बार उड़ान भरी थी। उन्हें स्पेस पर गए तीन महीने से अधिक वक्त बीत गया है। हालांकि तकनीकी खराबी के कारण वहां फंसी सुनीता विलियम्स की वापसी की उम्मीद फरवरी 2025 तक है।

उपलब्धि

सुनीता विलियम्स को कई देशों की सरकार ने सम्मानित किया है। भारत सरकार ने उन्हें 2008 में पद्मभूषण से सम्मानित किया। वहीं रूस ने मेडल आफ मेरिट इन स्पेस एक्सप्लोरेशन दिया। स्लोवेनिया ने गोल्डन आर्डर ऑफ मेरिट सम्मान से नवाजा। इसके अलावा नासा स्पेसफ्लाइट मेडल भी उनके पास है।

हिमेश रेशमिया के पिता विपिन रेशमिया का निधन, सांस लेने में थी परेशानी

मशहूर संगीतकार हिमेश रेशमिया के पिता विपिन रेशमिया का बुधवार को निधन हो गया। वो 87 साल के थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका निधन बुधवार रात साढ़े आठ बजे हुआ। उनका अंतिम संस्कार आज सुबह 11 बजे ओशिवारा श्मशान घाट पर किया जाएगा।

सांस लेने में थी दिक्कत, कोकिलाबेन अस्पताल में कराया था भर्ती
विपिन रेशमिया को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें उम्र से जुड़ी भी कुछ स्वास्थ्य समस्याएं थीं। वनिता थापर, जो हिमेश के परिवार की करीबी हैं, ने ईटाइम्स से बात करते हुए बताया कि विपिन जब से टीवी शो बना रहे थे, वो तभी से उन्हें पापा कहा करती थी।

लता मंगेशकर और किशोर कुमार के साथ भी बनाया था गाना
वनिता ने कहा कि टीवी शो बनाने के बाद वो संगीतकार बन गए। उन्होंने कहा कि विपिन के बेटे हिमेश ने भी पिता की तरह संगीत की दुनिया में कदम रखा। मालूम हो कि विपिन रेशमिया ने एक बार लता मंगेशकर और किशोर कुमार के साथ भी गाना बनाया था। इसकी जानकारी खुद हिमेश रेशमिया ने अपनी एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए दी थी और बताया था कि वो गाना कभी रिलीज नहीं हुआ।

हिमेश ने कहा था कि जल्द उस गाने को लेकर आएंगे
हिमेश ने उस गाने के बारे में बात करते हुए कहा था कि उन्हें लगता है कि ये अब तक की सबसे कमाल की क्लासिक धुनों में से एक है, जिसे बाजार में आना चाहिए। उन्होंने कहा था कि वो जल्द ही उस गाने को लेकर आएंगे। हिमेश ने कहा था कि उन्हें खुशी है कि यह गाना जल्द सभी लोगों के लिए आएगा और इसे अपना प्यार दें।

हंसल मेहता बोले- वे लोग टिप्पणीकार बन जाते हैं, जिनका फिल्म निवेश से लेना-देना नहीं

द बकिंघम मर्डर्स को सिनेमाघरों में आने के बाद आलोचकों की सराहना तो मिली, लेकिन इसका टिकट खिड़की पर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। फिल्म पहले दिन से ही बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष कर रही है और अब तो इसे एक-एक करोड़ रुपये कमाने के लिए भी बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है। फिल्म के निर्देशक हंसल मेहता ने एक हालिया साक्षात्कार में इसकी कम कमाई को लेकर बात की है।

हंसल मेहता ने कहा कि फिल्मों को केवल एक संख्या तक सीमित कर दिया जाता है। उन्हें लगता है कि इससे काम को काफी कम करके आंका जाता है। हंसल ने कहा कि उनका मानना है कि फिल्म आने वाली पीढ़ियों के लिए होती है, इसलिए वक्त पर सोच-विचार किया जा सकता है, लेकिन अब हम फिल्म को समय ही नहीं देते।

हंसल ने डीएनए को दिए साक्षात्कार में आगे कहा कि वे लोग जिनका फिल्म और उसमें हुए निवेश से कोई नाता नहीं है, वे भी टिप्पणीकार बनकर ऐसा बर्ताव करते हैं, जैसे वे हितधारक हो और वो भी बगैर ये जानें कि फिल्मों का बिजनेस मॉडल काम कैसे करता है।

हंसल मेहता ने कहा कि मैं अब फिल्म रिलीज होने से पहले ही उसे छोड़ देता हूं, ताकि आगे बढ़ा जा सके, नहीं तो आप इसमें फंस सकते हैं। उन्होंने बताया कि अगर वो ऐसा कहेंगे कि वो घबराते नहीं हैं, तो ये झूठ होगा। उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्य है कि फिल्मों को एक बहुत छोटा खेल बना दिया गया है, एक वीकेंड गेम।