Thursday , October 24 2024

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क्या आपका बच्चा भी अक्सर स्कूल जाने से कतराता है? कहीं वह स्कोलियोनोफोबिया का शिकार तो नहीं

आपने भी अक्सर बच्चों को स्कूल जाने से कतराते हुए देखा होगा। शायद आपके साथ भी बचपन में ऐसा हुआ हो। पेट दर्द का बहाना करना हो या किसी अन्य तरीके से स्कूल जाने से बचना बच्चों की सामान्य आदत है, पर अगर आपका बच्चा अक्सर ऐसा करता है तो इसपर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी हो जाता है। स्कूल जाने का ये डर कहीं किसी मनोवैज्ञानिक विकार या फोबिया के कारण तो नहीं है?

बच्चों के अक्सर स्कूल जाने से बचने की इस समस्या को मेडिकल साइंस में ‘स्कोलियोनोफोबिया’ के नाम से जाना जाता है। इसमें उनके मन में स्कूल को लेकर खौफ बन जाता है। वैसे तो इसे कोई मानसिक बीमारी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है और इसका कोई क्लीनिकल डाइग्नोसिस भी नहीं है हालांकि इसके कारणों का पता लगाना बहुत जरूरी हो जाता है।

कुछ मामलों में इसे चिंता विकार के लक्षण के रूप में भी जाना जाता है। स्कूल फोबिया से पीड़ित बच्चे अक्सर स्कूल जाने के विचार से शारीरिक रूप से बीमार भी हो जाते हैं और स्कूल का समय खत्म होने के बाद ठीक भी हो जाते हैं।अगर आपका बच्चा भी इसका शिकार है तो समय रहते सतर्क हो जाइए।

क्या है स्कोलियोनोफोबिया?

स्कोलियोनोफोबिया, स्कूल जाने को लेकर बच्चों के मन में बना डर है जिसका असर लंबे समय तक रह सकता है। वैसे तो बच्चे कभी न कभी स्कूल जाने में अनिच्छुक होते हैं, लेकिन स्कोलियोनोफोबिया वाले बच्चे स्कूल जाने के विचार से ही असुरक्षित या चिंतित महसूस कर सकते हैं। वे शारीरिक रूप से बीमार भी हो सकते हैं।

अगर आपका बच्चा स्कूल जाने के समय रोने लगता है, नखरे करता है या बीमार हो जाता है तो इस स्थिति पर ध्यान दिया जाना चाहिए। डॉक्टर्स का मानना है कि इस तरह की समस्या उन बच्चों में अधिक देखी जाती है जिनका देखभाल करने वाले या माता-पिता ओवरप्रोटेक्टिव (अत्यधिक सुरक्षात्मक) हों।

स्कोलियोनोफोबिया की क्या पहचान है?

आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि स्कूल फोबिया लगभग दो से पांच प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करता है, यानी हर 20 बच्चों में से एक को ये समस्या हो सकती है। यह पांच से आठ साल के छोटे बच्चों में सबसे आम है। कई बच्चों में स्कोलियोनोफोबिया के प्राथमिक लक्षण शारीरिक होते हैं। जब वे स्कूल जाने के बारे में सोचते हैं, तो बच्चों को दस्त, सिरदर्द, मतली और उल्टी, पेटदर्द, कंपकंपी या अनियंत्रित कंपन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

करीब 40 तरह की बीमारियों से बचाव का मिल गया आसान तरीका, वजन घटाने के लिए तो सबसे फायदेमंद

वैश्विक स्तर पर बढ़ती क्रोनिक बीमारियां स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं। कम उम्र में ही लोग मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो रहे हैं जिससे न सिर्फ क्वालिटी ऑफ लाइफ पर नकारात्मक असर पड़ता है साथ ही लोगों की औसत आयु भी कम हो गई है। कई अध्ययनों में शोधकर्ता बताते रहे हैं कि आहार और दिनचर्या में गड़बड़ी के कारण स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता है, इसलिए इसमें सुधार के प्रयास करना जरूरी है।

फ्रंटिर्नयर्स इन न्यूट्रिशन जल में प्रकाशित हालिया शोध के आधार पर अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि खान-पान में कुछ बदलाव करके आप करीब 35-40 प्रकार की क्रोनिक बीमारियों और इसके कारकों से सुरक्षित रह सकते हैं। इसके लिए आहार में प्लांट बेस्ड चीजों की मात्रा बढ़ाना सबसे कारगर तरीका हो सकता है। पौधों पर आधारित आहार के दीर्घकालिक रूप से बेहतर स्वास्थ्य परिणाम देखे गए हैं। विशेष रूप से मोटापा कम करने और इससे संबंधित कई बीमारियों से बचाव में ये फायदेमंद तरीका हो सकता है।

कई बीमारियों से हो सकता है बचाव

अध्ययनों से पता चलता है कि पौधों पर आधारित आहार के सेवन की आदत वजन को नियंत्रित करने और मेटाबॉलिज्म संबंधी विकारों को रोकने में विशेष लाभकारी हो सकती है। अधिक वजन और मेटाबॉलिज्म संबंधी विकारों को करीब 40 तरह की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार पाया गया है।

चीन स्थित शांदोंग यूनिवर्सिटी के क्यूलु अस्पताल के शोधकर्ताओं ने अध्ययनों की समीक्षा में पाया कि प्लांट बेस्ड डाइट का अधिक सेवन करने वालों में मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर जैसी तेजी से बढ़ती बीमारियों का खतरा अपेक्षाकृत कम होता है।

अध्ययन में क्या पता चला?

अध्ययनों के विश्लेषण में वजन घटाने और हृदय रोगों की रोकथाम के लिए पौधे पर आधारित चीजों के अधिक सेवन की सलाह दी गई है। इसके अनुसार शाकाहारी और वेगन डाइट का सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बेहतर तरीके से मैनेज करने, हृदय और मस्तिष्क, पाचन क्रिया, प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती में बहुत लाभकारी पाया गया है।

इसका मतलब यह नहीं है कि मासांहार का सेवन नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन विशेषज्ञों ने यह सुझाव दिया है कि जहां तक संभव हो मांस पर आधारित चीजों का सेवन कम करने से स्वास्थ्य पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ सकता है।

गणपति विसर्जन से पहले अपने हाथों पर रचाएं खूबसूरत मेहंदी

हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ काम होता है, तो उससे पहले महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी रचाती हैं। खासतौर पर जब समय आता है शादी-विवाह और त्योहारों का तब तो मेहंदी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। महिलाएं और लड़कियां हर त्योहार के हिसाब से मेहंदी की डिजाइन का चयन करती हैं। अब जब गणेशोत्सव मनाया जा रहा है तो इसकी धूम हर जगह दिखाई दे रही है।

गणेशोत्सव के आखिरी दिन बप्पा को विसर्जन के साथ विदाई दी जाती है। ऐसे में आप भी बप्पा की विदाई से पहले भी अपने हाथों में मेहंदी की खूबसूरत डिजाइन लगा सकती हैं। यहां हम आपको इसके लिए लेटेस्ट डिजाइन दिखाने जा रहे हैं, ताकि इन डिजाइन्स से टिप्स लेकर आप अपने लिए मेहंदी की डिजाइन का चयन कर सकती हैं।

पहली डिजाइन

इस तरह से बप्पा के मंदिर की झलक आप अपनी हथेली पर बना सकती हैं। ये डिजाइन देखने में प्यारी लगेगी। इसे बनवाने के साथ मेहंदी की बारीकी का ध्यान रखें। मेहंदी जितनी बारीक होगी, उतनी ही ज्यादा खूबसूरत लगेगी।

दूसरी डिजाइन

बप्पा को मोदक सबसे प्रिय है। ऐसे में बिना सोचे हाथ में मोदक पकड़े बप्पा की तस्वीर को अपने हाथ पर रचाएं। बप्पा के आस-पास भी अपने हाथों को अच्छी तरह से अवश्य सजाएं।

तीसरी डिजाइन

बप्पा की तस्वीर वाली ये डिजाइन आपके हाथों की खूबसूरती बढ़ाने का काम करेगी। इस डिजाइन में बप्पा के साथ आस-पास फूल-पत्ती अवश्य बनाएं। उसी से हाथ और भी प्यारा लगेगा।

चौथी डिजाइन

बहुत सी महिलाओं को मेहंदी की ऐसी डिजाइन पसंद आती है, जिसे सिर्फ हथेली पर लगाया गया हो। ऐसे में आप भी अपने हथेली पर ऐसी ही डिजाइन लगा सकती हैं। अगर आपके पास वक्त कम है तो इस डिजाइन को अपने हिसाब से बदल दें।

पांचवीं डिजाइन

अगर आपके पास ज्यादा समय नहीं है तो आप इस तरह की मेहंदी की अरेबिक डिजाइन को अपने हाथों पर लगा सकती हैं। इसे लगाना भी काफी आसान होता है और ऐसी डिजाइन रच के काफी खूबसूरत लगती है। ऐसे में इस डिजाइन का चयन करें।

मलबे में दब गए छह भाई-बहन, एक की मौत…दो गंभीर, ग्रामीणों में मच गई चीख पुकार

अमरोहा:  बारिश के चलते नौगांवा सादात के मोहल्ला नई बस्ती में कच्चा मकान भर-भरा कर गिर पड़ा। मलबे में छह भाई-बहन दब गए। पुलिस व स्थानीय लोगों ने मलबा हटाकर बच्चों को बाहर निकाला। बाद में सभी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां डॉक्टरों ने हारिश (13) को मृतक घोषित कर दिया। जबकि, दो बहनों की हालत गंभीर बनी हुई है।

प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया है।प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और हादसे के बारे में जानकारी ली। हारिश पानीपत की रुई फैक्टरी में मजदूरी करने वाले शकील का बेटा है। शकील के परिवार में पत्नी शबनम और छह बच्चे हरीश (13), रहमीना (12), अलफिजा (8), सालिया (6), अदनान (4) माहिरा (2) हैं।

पांच दिन पहले ही शकील मजदूरी करने के लिए पानीपत गए थे। इस दौरान उनकी पत्नी शबनम और बच्चे घर पर थे। मोहल्ले के बीचों-बीच शकील का कच्चा मकान है। बुधवार की रात से जिले में रुक-रुक कर लगातार बारिश हो रही है। जिसके चलते उनके मकान की नींव कमजोर हो गई।

शनिवार की सुबह करीब दस बजे शकील के सभी बच्चे घर के भीतर थे, जबकि पत्नी शबनम घर परिसर में बर्तन धुल रही थी। तभी, अचानक मकान भर-भरा कर गिर पड़ा। इस दौरान हारिश, रहमीना, अलफिजा, अदनान, सालिया और माहिरा मालबे में दब गए। मकान के गिरते ही शबनम में शोर मचा दिया।

तभी स्थानीय लोगों की भीड़ जमा हो गई। हादसे की जानकारी मिलते ही नौगांवा सादात पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस और स्थानीय लोगों ने कड़ी मशक्कत के बाद मलबे को हटाकर बच्चों को बाहर निकाला और जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने हारिश को मृत घोषित कर दिया।

गंभीर रूप से घायल अलफिजा और सालिया को हायर सेंटर रेफर कर दिया। दोनों की हालत नाजुक बनी हुई है। जबकि, अदनान, माहिरा, रहमीना का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। जानकारी मिलते ही एसडीएम बृजपाल सिंह हल्का लेखपाल के साथ मौके पर पहुंचे और जांच पड़ताल की।

मुस्लिम शिक्षण संस्थाओं का अगुवा रहा है उमर, कई संस्थाओं को करता था फंडिंग

फतेहपुर: फतेहपुर जिले में इस्लाम को बढ़ाने और धर्मांतरण के लिए मो. उमर गौतम ने शैक्षणिक संस्थाओं का सहारा लिया था। खासतौर से मुस्लिम शिक्षण संस्थानों में उसने पकड़ बना रखी थी। कई संस्थाओं को वह फंडिंग भी करता था। लखनऊ के अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन का उमर गौतम उपाध्यक्ष रहा है।

उसके फाउंडेशन के मलीहाबाद के रहमान खेड़ा समेत अन्य जगहों में स्कूल संचालित होते थे। रहमानखेड़ा में 500 बच्चों को मुफ्त शिक्षा का दावा किया जाता है। यह स्कूल 900 वर्गमीटर में फैला है। दूसरी संस्था हरदोई के रसूलपुर में थी, जो छात्राओं का स्कूल भी संचालित करती है।

धर्मांतरण के दबाव पर शिक्षिका ने दर्ज कराया था मुकदमा
शहर के नूरुल हुदा स्कूल की तत्कालीन शिक्षक कल्पना सिंह ने बताया कि 2020 में छात्र-छात्राओं के परीक्षा फल वितरण में उमर गौतम ने खुलकर सनातन धर्म की मुखालफत की थी। शिक्षक ने बताया कि उमर स्वयं को हिंदू से मुस्लिम बनने के कारण सनातन धर्म को आडंबर बताता था।

आसानी से मान जाते हैं लोग
कहता था कि सनातन धर्म (हिंदू धर्म) आडंबर का पुलिंदा है। पूजा पाठ के नाम पर केवल ठगी होती है। उसने समय रहते सनातन धर्म की असलियत जानकर इस्लाम स्वीकार किया है। मुस्लिम बने हिंदू की बातें आसानी से मानकर लोग इस्लाम स्वीकार करने को राजी हो जाते हैं।
उमर गौतम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था
इसके साथ ही गरीब, दिव्यांगों को आर्थिक मदद का भी आश्वासन देने में नहीं चूकता था। शिक्षिका का कहना है कि तकरीर सुनने के बाद उससे भी उमर गौतम ने इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा था, लेकिन जब इन्कार किया, तो स्कूल प्रबंध कमेटी ने उसे स्कूल से बर्खास्त कर दिया। 19 मार्च 2012 को कल्पना ने सदर कोतवाली में स्कूल प्रबंधन के साथ उमर गौतम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।

तकरीर के वीडियो में बोलता था सबसे पहले दोस्त का धर्मांतरण कराया
खुद श्याम प्रताप सिंह से उमर गौतम बनने के बाद परिवार संग दिल्ली के जामिया नगर बटला हाउस नूह मस्जिद के पास रहने लगा और अपनी धार्मिक संस्था इस्लामिक दावा सेंटर के जरिए जिले के लोगों को जोड़ने व फंडिंग का काम करता था। उमर के सबसे ज्यादा अनुयायी अंदौली में हैं। एसटीएफ के हत्थे चढ़ने से पहले मोहम्मद उमर गौतम की तकरीर के कई वीडियो यूट्यूब पर अपलोड थे।

राम जन्मभूमि मंदिर की सफाईकर्मी से सामूहिक दुष्कर्म, अलग-अलग होटलों में जाकर की वारदात

अयोध्या:  अयोध्या जिले के रौनाही थाना क्षेत्र की रहने वाली एक छात्रा से तीन युवकों ने पखवारे भर तक अलग-अलग होटलों में ले जाकर दुष्कर्म किया। उसके पांच अन्य दोस्तों ने भी उससे छेड़छाड़ की। छात्रा की तहरीर पर कैंट थाने की पुलिस ने आठ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

रौनाही थाना क्षेत्र की रहने वाली एक छात्रा ने दर्ज एफआईआर में बताया कि वह एक महाविद्यालय में बीए तृतीय वर्ष की छात्रा और राम जन्मभूमि मंदिर में सफाई कर्मी है। वह सहादतगंज निवासी वंश चौधरी नामक युवक को पिछले चार वर्ष से जानती है। 16 अगस्त को वंश चौधरी उसके दोस्त विनय और शारिक घूमाने के बहाने उसे अंगूरी बाग स्थित एक गेस्ट हाउस में ले गए। वहां तीनों ने उसके साथ दुष्कर्म किया।

इसके बाद वे लोग उसे बनवीरपुर स्थित एक गैराज में लेकर गए, जहां वंश चौधरी ने फिर से दुष्कर्म किया और उसके दोस्त शिवा ने नशे की हालत में उसके साथ छेड़छाड़ की। इस बीच वह आरोपियों के चंगुल में रही और 18 अगस्त की सुबह 11:00 बजे विनय ने उसे देवकाली बाईपास के पास छोड़ दिया। 22 व 23 अगस्त की रात वंश चौधरी व विनय ने उसी गैराज में उससे दुष्कर्म किया।

25 अगस्त की सुबह चार बजे उदित, वंश चौधरी, सत्यम और दो अज्ञात लोग उसे रामजन्मभूमि ले जाने के बहाने आए और रास्ते में सभी ने छेड़छाड़ की। इस वजह से गाड़ी भी डिवाइडर से टकरा गई, जिससे वह घायल हो गई तो सभी ने उसे नाका के पास छोड़ दिया। कैंट थानाध्यक्ष अमरेंद्र सिंह ने बताया कि आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई की जा रही है।

ओबीसी सूची विवाद पर 30 सितंबर से पहले ही सुनवाई कर सकता है सुप्रीम कोर्ट, आज आदेश जारी करेंगे CJI

नई दिल्ली :ओबीसी सूची विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 30 सितंबर से पहले ही सुनवाई कर सकता है। मुख्य न्यायाधीश आज इसे लेकर आदेश जारी कर सकते हैं। दरअसल बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई की जाए क्योंकि उच्च न्यायालय के फैसले के चलते आरक्षण के तहत प्रवेश प्रक्रिया बाधित हो गई है। इस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इसे लेकर दोपहर में आदेश जारी करेंगे। सीजेआई ने बंगाल सरकार के वकील को इस संबंध में ईमेल करने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है बंगाल सरकार
गौरतलब है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीती अगस्त में दिए अपने फैसले में बंगाल में ओबीसी सूची में 77 नई जातियों को शामिल करने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी। बंगाल सरकार ने उच्च न्यायालय के इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की थी, लेकिन बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आरक्षण से बाहर होने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार दोपहर को इस संबंध में आदेश जारी करने की बात कही है।

क्या है पूरा विवाद
पश्चिम बंगाल सरकार ने साल 2012 में बंगाल आरक्षण कानून के प्रावधान के तहत 77 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल किया था। ओबीसी सूची में शामिल की गईं अधिकतर जातियां मुस्लिम समुदाय की थीं। बंगाल सरकार के इस फैसले को कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बंगाल सरकार के फैसले पर रोक लगा दी। इस दौरान अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा कि पिछड़ी जातियों में 77 जातियों को शामिल करने का फैसला मुस्लिम समुदाय को ध्यान में रखकर लिया गया है।

कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार ने राजनीतिक कारणों और वोटबैंक के लिए 77 जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने का फैसला किया है। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से ओबीसी सूची में शामिल की गईं जातियों के आर्थिक और सामाजिक आंकड़े भी पेश करने का निर्देश दिया था। साथ ही सरकारी नौकरियों में भी ओबीसी सूची में शामिल जातियों को प्रतिनिधित्व का आंकड़ा पेश करने को कहा था।

केजरीवाल की रिहाई होते ही पलटी भाजपा, सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा- हमने नहीं की राष्ट्रपति शासन की मांग

नई दिल्ली: भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने अरविंद केजरीवाल की रिहाई पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई में देरी के आधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री को जमानत दी गई है। लेकिन इसे रिहाई नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी सुनवाई में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताया है। उसके पहले भी अदालत की कार्रवाई में शराब घोटाले को सही पाया गया है, इसीलिए इस मामले पर आम आदमी पार्टी का रुख बिल्कुल सही नहीं है।

बांसुरी स्वराज ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को इस मामले में केवल सुनवाई में देरी होने के आधार पर जमानत मिली है। वे न तो ऑफिस जा सकेंगे, ही किसी आधिकारिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर सकेंगे और न ही इस मामले पर कोई टिप्पणी कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी आम आदमी पार्टी जश्न मना रही है तो यह आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल पूरे शराब घोटाले के सूत्रधार हैं और उन्हें जल्द ही दुबारा जेल जाना पड़ेगा।

क्या अरविंद केजरीवाल की रिहाई के बाद भी भाजपा दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने के पक्ष में है?  के इस प्रश्न पर बांसुरी स्वराज ने कहा कि भाजपा ने कभी भी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग नहीं की है। लेकिन अरविंद केजरीवाल के कारण दिल्ली की जनता के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि, इस मामले में भाजपा नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलकर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी और राष्ट्रपति ने भाजपा नेताओं की इस मांग का पत्र गृह मंत्रालय को भेज दिया है।

गिरफ्तार संजय रॉय का नार्को टेस्ट कराने की योजना बना रही CBI, कोर्ट से मांगी अनुमति

कोलकाता:  पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई इस मामले में गिरफ्तार संजय रॉय का नार्को टेस्ट कराने की योजना बना रही है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने सियालदह कोर्ट में अपील कर संजय रॉय पर नार्को टेस्ट करने की अनुमति मांगी है।

एक अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, “यह मुख्य रूप से यह जांचने के लिए है कि संजय रॉय सच बोल रहा है या नहीं।” सीबीआई अधिकारी ने बताया कि नार्को टेस्ट के दौरान सोडियम पेंटोथल ड्रग संजय रॉय के शरीर में इंजेक्ट किया जाएगा, जिससे वह हिप्नोटिक स्थिति में चला जाएगा। अधिकारी ने कहा, “कई मामलों में आरोपी ने नार्को टेस्ट के दौरान सही जानकारी दी है।” सीबीआई ने पहले ही संजय रॉय पर पॉलीग्राफी टेस्ट कर चुकी है।

क्या है पूरा मामला?
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ दरिंदगी की घटना नौ अगस्त की है। मृतक मेडिकल कॉलेज में चेस्ट मेडिसिन विभाग की स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्रा और प्रशिक्षु डॉक्टर थीं। आठ अगस्त को अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद रात के 12 बजे उसने अपने दोस्तों के साथ डिनर किया। इसके बाद से महिला डॉक्टर का कोई पता नहीं चला। घटना के दूसरे दिन सुबह उस वक्त मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया जब चौथी मंजिल के सेमिनार हॉल से अर्ध नग्न अवस्था में डॉक्टर का शव बरामद हुआ। घटनास्थल से मृतक का मोबाइल फोन और लैपटॉप बरामद किया गया।

पोस्टमॉर्टम की शुरुआती रिपोर्ट से पता चला है कि महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी। जूनियर महिला डॉक्टर का शव गद्दे पर पड़ा हुआ था और गद्दे पर खून के धब्बे मिले। शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि मृतक महिला डॉक्टर के मुंह और दोनों आंखों पर था। गुप्तांगों पर खून के निशान और चेहरे पर नाखून के निशान पाए गए। होठ, गर्दन, पेट, बाएं टखने और दाहिने हाथ की उंगली पर चोट के निशान थे।

इंडिगो की मुंबई-फुकेट फ्लाइट को मलेशिया डायवर्ट किया गया, खराब मौसम के चलते लिया फैसला

मुंबई:  शुक्रवार को खराब मौसम के कारण इंडिगो की मुंबई से फुकेट जाने वाली फ्लाइट को मलेशिया के पेनांग की ओर डायवर्ट करना पड़ा। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है। इंडिगो ने एक बयान में कहा, ‘फुकेट में खराब मौसम की स्थिति के कारण मुंबई से फुकेट जाने वाली उड़ान 6ई 1701 को मलेशिया के पेनांग की ओर मोड़ दिया गया है, जो सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है।’

एयरलाइन ने यह भी कहा कि फुकेट (थाईलैंड में) के लिए उड़ान भरने की आवश्यक अनुमति प्राप्त करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इसमें कुछ समय लग सकता है। बयान में कहा गया है, ‘यात्रियों को इस डायवर्जन के बारे में पूरी जानकारी दे दी गई है। इस बीच, उनकी सुविधा सुनिश्चित करने के लिए जलपान की व्यवस्था की गई है।’

विमान में सवार यात्रियों की संख्या के बारे में तुरंत जानकारी नहीं दी गई है। फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट फ्लाइटराडार24 पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह उड़ान ए320 विमान से संचालित की जा रही थी। इंडिगो ने कहा कि, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक एहतियात के तौर पर इस डायवर्जन को किया गया।