Saturday , October 26 2024

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इटावा के तीन प्रमुख देवी मंदिरों में ब्रह्माणी देवी की माहिमा अपरम्पार

इटावा के तीन प्रमुख देवी मंदिरों में ब्रह्माणी देवी की माहिमा अपरम्पार
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*जिला मुख्यालय से 35 और जसवंतनगर से 15 किलोमीटर दूर
* यमुना बीहड़ में विराजित है,देवी
* पर्यटन स्थल घोषित हो

जसवंतनगर(इटावा)। इटावा जिले की आराध्य देवी स्थलों में कालका देवी लखना ,काली वाहन इटावा, और ब्रह्माणी देवी जसवंत नगर में ब्रह्माणी मैया की महिमा और चमत्कार की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई है। इसी कारण हजारों भक्त यमुना के बीहड़ों में विराजित इन देवी के दर्शन करने के लिए झंडे घंटे और प्रसादी लेकर पहुंचते हैं।

अष्टमी और नवमी के दिन नवरात्रियों पर भारी भीड़ भक्तजनों को जमा होती है। हजारों घंटे और झंडे चढ़ने से यमुना के जंगल में मंगल जैसा माहौल उत्पन्न हो जाता है ।ब्रह्माणी मैया का विहंगम मंदिर उत्तर रेलवे के बलरई स्टेशन से दक्षिण में 6 किलोमीटर दूर यमुना की तलहटी और ऊंचे ऊंचे खारों में स्थित है

जसवंत नगर कस्बे से करीब 14-15 किलोमीटर दूर स्थित देवी मैया के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 15-20 वर्ष पूर्व मुलायम सिंह यादव ने अपने शासन काल मे पक्की सड़क का निर्माण कराया था ,अन्यथा लोग पैदल और साइकिलों से लंगुरिया गाते ,जमीन पर दंडवत करते वहां मनौती मांगने पहुंचते थे ।

देवी ब्रह्माणी के मंदिर का कोई अधिकृत इतिहास नहीं है ,मगर मूर्ति देखने से यह सैकड़ों वर्ष पुरानी लगती है। मंदिर की स्थापना के बारे में किंबदंती है कि मध्य प्रांत के कोई राजा गंगा स्नान व दर्शन करने फर्रुखाबाद गए हुए थे।वहां उन्हें स्वप्न दिखाई दिया कि वह जहां पर स्नान कर रहे, वहां गंगा की खुदाई करेंऔर वहां तलाशने पर ब्रह्माणी मैया की मूर्ति मिलने को कहा गया था। देखे गए स्वप्नानुसार ब्रह्माणी मैया की मूर्ति राजा को प्राप्त हुई ।स्वप्न में उन राजा से यह भी कहा गया था कि वह हाथी पर इस मूर्ति को लेकर अपने राज्य की सीमा की ओर चले और जहां भी हाथी बैठ जाए, वही इन देवी का मंदिर बनवा कर उन्हें विराजित करवा दे।

तदनुसार राजा जब यमुना के किनारे स्थित जाखन शहर के पास पहुंचा तो वहां उसका हाथी बैठ गया। राजा ने तभी वहां इन प्राप्त देवी ब्रह्माणी देवी का मंदिर बनवा दिया।
आज ब्रह्माणी का मंदिर यमुना के बीहड़ में मौजूद है। मगर जाखन शहर के अवशेष ही आसपास में अब शेष हैं। जाखन अब बीहड़ी क्षेत्र का बड़ा गांव है। कालांतर में मंदिर खंडहर की स्थिति में पहुंच गया था। मगर सन 18सौ के आसपास भिंड ,मध्य प्रदेश के एक मुद्गल पंडित कमलापति ,जो जमीदार थे और प्रायः देवी दर्शन को आते थे,उन्होंने देवी मंदिर का जीर्णोद्धार आरंभ कराया । फिर वहां स्वयं पुजारी हो गए। उनकी नौ पीढ़ियों से उनके परिवारी ही मंदिर के पुजारी के रूप में हैं। इन पुजारी के वंशज मध्यप्रदेश के भिंड से आकर नगला तौर में बस गए थे।उन्होंने मंदिर की आमदनी और जीर्णोद्धार के लिए राजा भदावर से सहयोग लेकर काम कराया। बाउंड्री और कमरे आदि बनवाये।

बताते हैं की मंदिर से लगी लगभग 6 एकड़ जमीन भी है।बारी बारी से एक एक साल सर्वकारी इसी पुजारी परिवार के सदस्यगण संभालते हैं। इन पुजारियों में मंदिर की सर्वकारी को लेकर कोर्ट में मुकदमा भी चलता रहा है, मगर दोनों गुट आपस में 1-1 वर्ष मेला व्यवस्था को लेकर समझौता किए हैं। दूसरी हो नगला तौर के कुछ स्वयंभू देवी ब्रह्माणी मंदिर से लगी जमीन को अपनी बताते अपनी लंबरदारी हांकते नहीं अघाते हैं।

ब्रह्माणी मंदिर घने बीहड़ में होने के कारण वर्ष भर रोज आसपास के भक्त व इक्का-दुक्का लोग ही पहुंचते थे। चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ पूर्णिमा तथा क्वार की नौ देवियों में भारी मेला लगता है।

चैत्र नवरात्रि में अष्टमी-नवमी पर लाखों की भीड़ पहुंचती है ।आषाढ़ पूर्णिमा पर ध्वजा वंदिनीय पूर्णिमा होने के कारण भीड़ कुछ ज्यादा ही एकत्रित होती है। आषाढ़ पूर्णिमा का मेला भी 2 दिन चलता है। ब्रह्माणी देवी मंदिर पुराने राजे रजवाड़ों के लिए आराध्य स्थल रहा है।राजा मानसिंह राजा नरसिंह राव, राजा मलाजनी, राजा प्रताप नेर जूदेव के वंशज यहां मनौती मनाने और अपने अस्त्र शस्त्र पूजने के लिए प्रायः आते थे।

बताते हैं कि भदावर स्टेट के राजा मानसिंह के लंबे समय तक जब कोई संतान नहीं जन्मी, तो उन्होंने देवी ब्रह्माणी की आराधना की। तन उन्हें राजा रिपुदमन सिंह पुत्र के रूप में देवी के वरदान से प्राप्त हुए। इसके बाद उनकी राजमाता शिरोमणि देवी ने संवत 2012 में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
ब्राह्मणी मैया का नाम दस्युओं और बागियों के कारण काफी चर्चित रहा है । नवरात्रों में मंदिर पर झंडा चढ़ाने और देवी आराधना के लिए पूर्व बागी डाकू मानसिंह ,माधो सिंह, तहसीलदार सिंह, मोहर सिंह, मलखान सिंह ,फूलन देवी, छविराम अवश्य ही आते थे। पुलिस नाकेबंदी के बावजूद वह वेष बदलकर मैया के द्वार पर माथा अवश्य टेक जाते थे। ब्रह्माणी का बीहड़ सदैव से वैसे ही बागियों के लिए सबसे सुरक्षित शरण स्थली थी ।

नवरात्रियों पर अष्टमी-नवमी पर लगने वाले मेले में इटावा ,भिंड ,ग्वालियर, मुरैना ,वाह, फिरोजाबाद, मैनपुरी, फरुखाबाद, आदि जिलों के देवी भक्त तो पधारते ही हैं।एमपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, बंगाल से भी भक्त मनौती मांगने आते है।इस वजह से मंदिर के सकरे भवन में विराजमान देवी ब्रह्माणी की मूर्ति के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं मंदिर परिसर में जलने वाली धूप और दीपको के कारण दर्शन और भी दुर्लभ होजाते हैं। मगर दसियों किलोमीटर दूर से आए भक्तगण दर्शन पाकर ही हटते हैं झंडे चढ़ाने वालों की लाइन भी देखते ही बनती हैं ।लांगुरिया गाती महिलाएं नंगी पीठ पर चाबुक बरसाते लांगुर वीर और अपने शरीर को तीरों,भालों, चाकुओं से गोदते भक्त अलग ही छटा पैदा करते रोमांच पैदा करते हैं ।झंडों की संख्या हजारों में होने के कारण, उन्हें ए कुंड में डालकर लहराया जाता है ।देवी गीतों और लगुरिया का स्वाद यहां इतना रस भरा सुनने को मिलता है कि उड़ती धूल, तेज धूप के बीच भी भक्त धक्के खाते हटाये नहीं हटते -‘”मैंया नौ बच्चन का बाप खिलौना मांगे लांगुरिया”, देवी गीत सुनकर आखिर कौन व्यक्ति हंसता-हंसाता मन्त्र मुग्ध नहीं होगा? देवी ब्राह्मणी तक अब सड़क बन गई है ,मगर पेयजल तथा बिजली की व्यवस्था इतनी अच्छी नहीं है ,जितनी इस क्षेत्र में होनी चाहिए। मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में लक्खी भीड़ के कारण व्यवस्थाएं प्रायः चरमरा जाती हैं। पुलिस व्यवस्था ढीली पड़ जाती है। इसी वजह कुछ वर्षों पूर्व झंडा चढ़ाते समय पीएसी ने गोलियां चला दी थी और कईं लोग मारे गए थे।जिला प्रशासन के अधिकारी 200 सालों से मेले में आते रहे हैं ।अंग्रेज कलेक्टर ह्यूम भी ब्राह्मणी आकर मंत्र मुग्ध हुआ था। आजाद भारत के कई कलेक्टर और पुलिस कप्तानों को भी देवी मेले में होने वाली भीड़ ने दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर किया।
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके अनुज शिवपाल सिंह यादव अपना चुनाव अभियान प्रायः देवी ब्रह्माणी के दर्शन करके ही शुरु करते रहे थे।खुद स्व मुलायम सिंह का कहना था कि वह बचपन में देवी ब्राह्मणी के दर्शनों को अपने गांव सैफई से साइकिल से आते थे। मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह यादव के प्रयासों से देवी ब्रह्माणी मंदिर के चारों ओर काफी कुछ व्यवस्थाकी गईं। मगर अभी भी इस क्षेत्र का विकास बहुत ही जरूरी है।

महावीर जयंती4अप्रैल को, जसवंत नगर में रथ यात्रा की तैयारियां शुरू

 जसवंतनगर (इटावा)। यहां भगवान महावीर जयंती की तैयारियां जोर शोर से शुरू हो गई है। भगवान महावीर का जन्मोत्सव इस बार यहां 2 दिन मनाया जाएगा।
   यह जानकारी महावीर जयंती महोत्सव समिति के अध्यक्ष चेतन जैन, मंत्री विनीत जैन और कोषाध्यक्ष सौरभ जैन ने संयुक्त रूप से एक प्रेसवार्ता में दी है।
उन्होंने बताया कि महावीर भगवान जयंती चैत्र शुक्ल, त्रयोदशी को हर वर्ष की तरह 4अप्रैल को मनाई जाएगी।जन्मोत्सव के तहत तीन अप्रैल, दिन सोमवार को अभिषेक ,शांति धारा, व महावीर विधान का आयोजन किया जा रहा हैl
    उस दिन शाम के समय गर्भ कल्याणक कार्यक्रम मंदिर जी में मनाया जाएगा,जिसमे माता के सोलह सपने ,उनका फल सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत दिखाया जाएगा।
4अप्रैल,दिन मंगलवार को महावीर भगवान के जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर प्रातः7 बजे अभिषेक, 7•30 बजे शांति धारा,8 बजे से सौधर्म इन्द्र की सभा,जिसमे स्वर्ग से आकर इंद्र भक्ति करेगे तथा भगवान का जन्मोत्सव मनाएंगे ।
   दिन में 10 बजे से रथ यात्रा के रूप में शोभा यात्रा निकलेगी। प्राचीन रथ को सजाने संवारने का काम शुरू कर दिया गया है। रथ यात्रा पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर से  प्रारम्भ होकर नगर भृमण करेगी,जो दिगंबर जैन मंदिर लुधपुरा भी पहुंचेगी।
उन्होंने बताया कि4 अप्रैल को जैन समाज के सारे प्रतिष्ठान और दुकान है बंद रहेंगी।
*वेदव्रत गुप्ता*
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फोटो:- वार्ता करते चेतन जैन और सौरभ जैन

इटावा के तीन प्रमुख देवी मंदिरों में ब्रह्माणी देवी की माहिमा अपरम्पार

जसवंतनगर(इटावा)। इटावा जिले की आराध्य देवी स्थलों में कालका देवी लखना ,काली वाहन इटावा, और ब्रह्माणी देवी जसवंत नगर में ब्रह्माणी मैया की महिमा और चमत्कार की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई है। इसी कारण हजारों भक्त यमुना के बीहड़ों में विराजित इन देवी के दर्शन करने के लिए झंडे घंटे और प्रसादी लेकर पहुंचते हैं।
     अष्टमी और नवमी के दिन  नवरात्रियों पर भारी भीड़ भक्तजनों को जमा होती है। हजारों घंटे और झंडे चढ़ने से यमुना के जंगल में मंगल जैसा माहौल उत्पन्न हो जाता है ।ब्रह्माणी मैया का विहंगम मंदिर उत्तर रेलवे के बलरई स्टेशन से दक्षिण में 6 किलोमीटर दूर यमुना की तलहटी और ऊंचे ऊंचे  खारों में स्थित है
   जसवंत नगर कस्बे से करीब 14-15 किलोमीटर दूर स्थित देवी मैया के इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 15-20 वर्ष पूर्व मुलायम सिंह यादव ने अपने शासन काल मे पक्की सड़क का निर्माण कराया था ,अन्यथा लोग पैदल और साइकिलों से लंगुरिया गाते ,जमीन पर दंडवत करते वहां मनौती मांगने पहुंचते थे ।
     देवी ब्रह्माणी के मंदिर का कोई अधिकृत इतिहास नहीं है ,मगर मूर्ति देखने से यह सैकड़ों वर्ष पुरानी लगती है। मंदिर की स्थापना के बारे में किंबदंती है कि मध्य प्रांत के कोई राजा गंगा स्नान व दर्शन करने फर्रुखाबाद गए हुए थे।वहां उन्हें स्वप्न  दिखाई दिया कि वह जहां पर स्नान कर रहे, वहां गंगा की खुदाई करेंऔर वहां तलाशने पर ब्रह्माणी मैया की मूर्ति मिलने को कहा गया था। देखे गए स्वप्नानुसार ब्रह्माणी मैया की मूर्ति  राजा को प्राप्त हुई ।स्वप्न में उन राजा से यह भी कहा गया था कि वह हाथी पर इस मूर्ति को  लेकर अपने राज्य की सीमा की ओर चले और जहां भी हाथी बैठ जाए, वही इन देवी का मंदिर बनवा कर उन्हें विराजित करवा दे।
     तदनुसार राजा जब यमुना के किनारे स्थित जाखन शहर के पास पहुंचा तो वहां उसका हाथी बैठ गया। राजा ने तभी वहां इन प्राप्त देवी ब्रह्माणी देवी का मंदिर बनवा दिया।
  आज ब्रह्माणी का मंदिर यमुना के बीहड़ में मौजूद है। मगर जाखन शहर के अवशेष ही आसपास में अब शेष हैं। जाखन अब बीहड़ी क्षेत्र का  बड़ा गांव है। कालांतर में मंदिर खंडहर की स्थिति में पहुंच गया था। मगर सन 18सौ के आसपास भिंड ,मध्य प्रदेश के एक मुद्गल पंडित कमलापति ,जो जमीदार थे और प्रायः देवी दर्शन को  आते थे,उन्होंने देवी मंदिर का जीर्णोद्धार आरंभ कराया । फिर वहां स्वयं पुजारी हो गए। उनकी नौ पीढ़ियों से उनके परिवारी  ही मंदिर के पुजारी के रूप में हैं। इन पुजारी के वंशज मध्यप्रदेश के भिंड से आकर नगला तौर में बस गए थे।उन्होंने मंदिर की आमदनी और जीर्णोद्धार के लिए राजा भदावर से सहयोग लेकर काम कराया। बाउंड्री और कमरे आदि बनवाये।
     बताते हैं की मंदिर से लगी लगभग 6 एकड़ जमीन भी है।बारी बारी से  एक एक साल सर्वकारी इसी पुजारी परिवार के सदस्यगण संभालते हैं। इन पुजारियों में मंदिर की सर्वकारी को लेकर कोर्ट में मुकदमा भी चलता रहा है, मगर दोनों गुट आपस में 1-1 वर्ष मेला व्यवस्था को लेकर समझौता किए हैं। दूसरी हो नगला तौर के कुछ स्वयंभू देवी ब्रह्माणी मंदिर से लगी जमीन को अपनी बताते अपनी लंबरदारी हांकते नहीं अघाते हैं।
     ब्रह्माणी मंदिर घने बीहड़  में  होने के कारण वर्ष भर रोज आसपास के भक्त व इक्का-दुक्का लोग ही पहुंचते थे। चैत्र नवरात्रि, आषाढ़ पूर्णिमा तथा क्वार की नौ देवियों में भारी मेला लगता है।
 चैत्र नवरात्रि में अष्टमी-नवमी पर लाखों की भीड़ पहुंचती है ।आषाढ़ पूर्णिमा पर ध्वजा वंदिनीय  पूर्णिमा होने के कारण भीड़ कुछ ज्यादा ही एकत्रित होती है। आषाढ़ पूर्णिमा का मेला भी 2 दिन चलता है।  ब्रह्माणी देवी मंदिर पुराने राजे रजवाड़ों के लिए आराध्य स्थल रहा है।राजा मानसिंह राजा नरसिंह राव, राजा मलाजनी, राजा प्रताप नेर जूदेव के वंशज यहां मनौती मनाने और अपने अस्त्र शस्त्र पूजने के लिए प्रायः आते थे।
    बताते हैं कि भदावर स्टेट के राजा मानसिंह के लंबे समय तक जब कोई संतान नहीं जन्मी, तो उन्होंने देवी ब्रह्माणी की आराधना की। तन उन्हें राजा रिपुदमन सिंह पुत्र के रूप में देवी के वरदान से प्राप्त हुए। इसके बाद उनकी राजमाता शिरोमणि देवी ने संवत 2012 में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।
  ब्राह्मणी मैया का नाम दस्युओं और बागियों के कारण काफी चर्चित रहा है । नवरात्रों में मंदिर पर झंडा चढ़ाने और देवी आराधना के लिए पूर्व बागी डाकू मानसिंह ,माधो सिंह, तहसीलदार सिंह, मोहर सिंह, मलखान सिंह ,फूलन देवी, छविराम अवश्य ही आते थे। पुलिस नाकेबंदी के बावजूद वह वेष बदलकर मैया के द्वार पर  माथा अवश्य टेक जाते थे। ब्रह्माणी का  बीहड़ सदैव से वैसे ही बागियों के लिए सबसे सुरक्षित शरण स्थली थी ।
  नवरात्रियों पर अष्टमी-नवमी पर लगने वाले मेले में इटावा ,भिंड ,ग्वालियर, मुरैना ,वाह, फिरोजाबाद, मैनपुरी, फरुखाबाद, आदि जिलों के देवी भक्त तो पधारते ही हैं।एमपी, राजस्थान, महाराष्ट्र, बंगाल से भी भक्त मनौती मांगने आते है।इस वजह से मंदिर के सकरे भवन में विराजमान देवी ब्रह्माणी की मूर्ति के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं  मंदिर परिसर में जलने वाली धूप और दीपको के कारण दर्शन और भी दुर्लभ होजाते हैं। मगर दसियों किलोमीटर दूर से आए भक्तगण दर्शन पाकर ही हटते हैं झंडे चढ़ाने वालों की लाइन भी देखते ही बनती हैं ।लांगुरिया गाती महिलाएं नंगी पीठ पर चाबुक बरसाते लांगुर वीर और अपने शरीर को तीरों,भालों, चाकुओं से गोदते भक्त अलग ही छटा पैदा करते रोमांच पैदा करते हैं ।झंडों की संख्या हजारों में होने के कारण, उन्हें ए कुंड में डालकर लहराया जाता है ।देवी गीतों और लगुरिया का स्वाद यहां इतना रस भरा सुनने को मिलता है कि उड़ती धूल, तेज धूप के बीच भी  भक्त धक्के खाते हटाये नहीं हटते -‘”मैंया नौ बच्चन का बाप खिलौना मांगे लांगुरिया”, देवी गीत सुनकर आखिर कौन व्यक्ति हंसता-हंसाता मन्त्र मुग्ध नहीं होगा? देवी ब्राह्मणी  तक अब सड़क बन गई है ,मगर पेयजल तथा बिजली की व्यवस्था इतनी अच्छी नहीं है ,जितनी इस क्षेत्र में होनी चाहिए। मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में लक्खी भीड़ के कारण  व्यवस्थाएं प्रायः चरमरा जाती हैं। पुलिस व्यवस्था ढीली पड़ जाती है। इसी वजह कुछ वर्षों पूर्व झंडा चढ़ाते समय पीएसी ने गोलियां चला दी थी और  कईं लोग मारे गए थे।जिला प्रशासन के अधिकारी 200 सालों से मेले में आते रहे हैं ।अंग्रेज कलेक्टर ह्यूम भी  ब्राह्मणी आकर मंत्र  मुग्ध हुआ था। आजाद भारत के कई कलेक्टर और पुलिस कप्तानों को भी देवी मेले में होने वाली भीड़ ने दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर किया।
समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके अनुज शिवपाल सिंह यादव अपना चुनाव अभियान प्रायः देवी ब्रह्माणी के दर्शन करके ही शुरु करते रहे थे।खुद स्व मुलायम सिंह का कहना था कि वह बचपन में देवी ब्राह्मणी के दर्शनों को अपने गांव सैफई से साइकिल से आते थे। मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह यादव के प्रयासों से देवी ब्रह्माणी मंदिर के चारों ओर काफी कुछ व्यवस्थाकी गईं। मगर अभी भी इस क्षेत्र का विकास बहुत ही जरूरी है।
         कई बार सैफई महोत्सव के प्रबंधक ने अपनी पहुंच के बल पर पर्यटन और संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश के अफसरों को देवी ब्रह्माणी मंदिर ले जाकर मंदिर का सर्वे कराया।  2015 में इस सर्वे की रिपोर्ट तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार को पेश भी की गई।अखिलेश सरकार इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ब्रह्माणी देवी मंदिर को पर्यटक स्थल घोषणा करने की तैयारी में जुटी भी थी, मगर तभी उनकी सरकार चली गई और ब्रह्माणी मंदिर पर्यटक स्थल घोषित नहीं हो सका ।अभी भी मौका है कि इसे सरकार पर्यटक स्थल घोषित करदे,तो इस बीहड़ी इलाके में जंगल मे मंगल जैसा माहौल हो जाएगा।
*वेदव्रत गुप्ता
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यहाँ जानिए कैसा रहेगा आज आपका दिन, देखें अपना राशिफल

मेष: कार्यस्थल पर सहयोगियों का भरपूर साथ मिलेगा। आपके काम के जज्बे का सम्मान होगा। कानूनी विवादों या झगड़ों से छुटकारा मिलेगा। शाम का समय अच्छा रहने वाला है। परिवार और मित्रों के साथ कहीं पर्यटन की योजना बन सकती है।

वृषभ: दिन अच्छा रहने वाला है और कार्यों में सफलता मिलेगी। दिन के उतर्राध का समय ज्यादा शुभ रहने वाला है। पुराने समय से रूके हुए पैसे वापस आ सकते हैं। व्यवसाय में कोई नहीं डील मिल सकती है।

मिथुन: समय से जूझना पड़ सकता है। काम की आपाधापी रहेगी। भागदौड़ बनी रहेगी। आर्थिक मोर्चों पर सफलता मिलने की उम्मीद है। पुराना प्यार लौट सकता है।

कर्क: धार्मिक कार्यों की ओर आपकी रूची बढ़ने वाली है। काम को लेकर कुछ दबाव रह सकता है। परिवार में कुछ बातों को लेकर कलह की आशंका है। इसलिए क्रोध और वाणी पर संयम बरतें। नौकरीपेशा जातकों को प्रोमोशन या वेतन में वृद्धि का समाचार मिल सकता है।

सिंह: व्यापार में जुटे जातकों के लिए दिन अच्छा है। पुराने निवेश से अच्छे मुनाफे की उम्मीद है। नई नौकरी तलाश रहे जातकों को शुभ समाचार मिल सकता है। स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें।

कन्या: मेहनत और प्रयास करने की जरूरत है। सफलता के लिए कुछ और इंतजार करना पड़ सकता है। पुरुष जातक महिलाओं से विवाद से बचें। सेहत के लिहाज से दिन सामान्य है।

तुला: परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे। शादी के इच्छुक जातकों को अच्छा समाचार मिल सकता है। कारोबार के लिए दिन अच्छा और मुनाफा भरा है।

वृश्चिक: आपको नकारात्मकता से दूर रहने की जरूरत है। कार्यस्थल पर किसी षडयंत्र से सतर्क रहने की जरूरत है। काम पर ध्यान दें और उन चर्चाओं से बचे जिसमें आपकी कोई कोई जरूरत या भूमिका नहीं हो। क्रोध पर काबू रखें। कार्यालय में अधिकारियों से मनमुटाव या बहस हो सकती है।

धनु: काम का दबाव आज आप पर बना रहेगा। दिन की शुरुआत भागदौड़ से होगी। कहीं अचानक यात्रा का भी योग बन सकता है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए दिन अच्छा रहने वाला है। शुभ समाचार मिलने की संभावना है।

मकर: मान-सम्मान बढेगा और धनलाभ होने के भी योग हैं। आसानी से आपके काम पूरे होंगे और सफलता मिलेगी। मित्रों के साथ पर्यटन पर जाने का आयोजन भी हो सकता है।

कुंभ: आज आपको कुछ सतर्क रहने की जरूरत है। सोच-समझ कर फैसला लें। आपके भरोसेमंद लोगों से निराशा मिल सकती है। व्यापार में सावधानी बरतें। छात्र-छात्राओं के लिए दिन अच्छा है।

मीन: दिन शुभ रहने वाला है। उर्जा के साथ काम करने से सफलता मिलेगी। कार्यस्थल पर सहकर्मियों की सराहना मिलेगी। जीवनसाथी या पार्टनर के साथ किसी मुद्दे पर विवाद हो सकता है, इसका ध्यान रखें।

केला देवी मंदिर से ब्रह्माणी देवी तक पैदल गए भक्त

केला त्रिगमा देवी से ब्रह्माणी मैया तक 400 भक्तो ने की पदयात्रा
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  * लांगुरिया और देवी गीतों से गुंजायित रहा,16 कि.मी.लंबा रास्ता
जसवंतनगर(इटावा)।देवी भक्तों का उत्साह इन दिनों चरम पर है।वह  तरह-तरह से देवी मैया को प्रसन्न करने का यत्न और प्रयास कर रहे हैं।
   रविवार को इसी के तहत करीब 300- 400 श्रद्धालु यहां नगर के केला गमा देवी मंदिर से बीहड़ों में विराजमान देवी ब्राह्मणी के लिए।पैदल ही उनके दर्शनों के लिए रवाना हुए। इनमे महिलाएं, पुरुष और बच्चे भी शामिल थे।
     नगर से 16 किलोमीटर दूर स्थित ब्राह्मणी मंदिर जाने के लिए सभी जब पैदल यात्रा पर निकले,उनको जोरदार विदाई अन्य भक्तों ने दी।  गर्मीले, तपते मौसम में माता के जयकारे के  नारे लगाते भक्तों का जोश देखते ही बन रहा था।
    तड़के सुबह इन श्रद्धालुओं ने  जसवंत नगर की विख्यात माता कैला त्रिगमा देवी मंदिर से अपनी यात्रा आरंभ की। पहले सभी भक्  केला मंदिर पर एकत्रित हुए तथा मैया के चरणों में नमन वंदन कर कर आशीषे लीं और जयकारों के  साथ अपनी यात्राआरंभ की।  यात्रा भर देवी गीत और लांगुरिया गुंजायमान  रहीं। भक्तों ने करीब 4 घण्टे में15 किलोमीटर की यात्रा पूरी की। वहां पहुंचकर सभी ने माता ब्रह्माणी की मंदिर में पूजा,अर्चना की, फिर  वापस  जसवंतनगर की ओर  लौटे।
  केला त्रिगमा देवी मंदिर से माता ब्रह्माणी देवी मंदिर तक की यह  पदयात्रा भक्तों ने लगातार छठवीं वर्ष पूरी की है। सन 2017 में इस यात्रा का शुभारंभ देवी भक्त सूर्यांश ने किया था।तब से यह परंपरा निरंतर जारी है, प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
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फोटो- जसवंत नगर से ब्रह्माणी देवी की पदयात्रा पर जाते देवी भक्त।
*वेदव्रत गुप्ता*

आर्थिक तंगी के चलते मजदूर ने कीटनाशक पिया

जसवंतनगर(इटावा)। महंगाई व आर्थिक तंगी की वजह से बलरई इलाके के नगला रामसुंदर गांव एक व्यक्ति ने कीटनाशक दवा निगल ली।

हालत बिगड़ने पर परिजनों द्वारा इलाज को सैंफई भर्ती कराया है।

उक्त गांव निवासी 50 वर्षीय सत्यराम पुत्र रामकिशन मेहनत मजदूरी कर अपना व परिवार का भरणपोषण करता है। आर्थिक तंगी के चलते वह मानसिक तौर पर परेशान थ उसने रविवार देर शाम अचानक घर में कीटनाशक दवा निगल ली। जिससे उनकी तबीयत खराब बिगड़ गई।

।उसे गंभीर हालत में सैफई पीजीआई में ले जाया गया जहां इलाज जारी है। बताया गया है कि सत्यराम के तीन बड़ी पुत्री व तीन छोटे पुत्र हैं।

*वेदव्रत गुप्ता 

उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के चुनाव निर्विरोध हुए

फोटो:- मंडलीय अधिवेशन और चुनाव होता हुआ

इटावा,27 मार्च। उत्तरप्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ कानपुर मण्डल कानपुर का त्रिवार्षिक मण्डलीय अधिवेशन/निर्वाचन इटावा के एक उत्सव गार्डन में मुख्य अतिथि प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी विशिष्ठ अतिथि नरेश कौशिक प्रदेश महामंत्री अरुण (अन्नू) गुप्ता महामंत्री भाजपा की गौरवमयी उपस्थिति में माँ सरस्वती की विधिवत पूजा अर्चना के साथ प्रारम्भ हुआ।

मण्डलीय अधिवेशन में कानपुर नगर कानपुर देहात औरैया इटावा फरुखाबाद कन्नौज के जिला पदाधिकारी व डेलिगेट्स शामिल हुये।

आपसी सहमति से निर्विरोध निर्वाचन सम्पन्न हुआ। अखिलेश चतुर्वेदी औरैया को मण्डल अध्यक्ष प्रमोद कुमार पांडेय मण्डल महामंत्री सुनीता शुक्ला कानपुर नगर उपाध्यक्ष रामजनम सिंह उपाध्यक्ष इटावा सर्वेश कुमार दुबे उपाध्यक्ष इटावा हंसराज सोनकर उपाध्यक्ष कानपुर नगर अखिलेश कुमार मिश्रा उपाध्यक्ष औरैया लोकेश कुमार शुक्ला औरैया उपाध्यक्ष हरिओम शुक्ला उपाध्यक्ष फरुखाबाद अम्बेश कटियार उपाध्यक्ष कानपुर देहात संजय वर्मा उपाध्यक्ष कानपुर देहात धीरेन्द्र सिंह चौहान उपाध्यक्ष कानपुर देहात राघवेंद्र शुक्ला मंत्री इटावा दिलीप वर्मा संयुक्त मंत्री इटावा शोभित शुक्ला संयुक्त मंत्री कानपुर देहात बसन्त कुमार संयुक्त मंत्री कानपुर नगर सुरेंद्र पाल सिंह संयुक्त मंत्री श्याम नारायण कटियार कानपुर देहात अच्युत त्रिपाठी संयुक्त मंत्री इटावा राजीव कुमार दुबे संयुक्त मंत्री इटावा घनश्याम दास कोषाध्यक्ष कन्नौज निर्वाचित हुए। पर्यवेक्षक अलीगढ़ मण्डल के अध्यक्ष रजनीश यादव व मथुरा मण्डल अध्यक्ष नृत्यगोपाल द्विवेदी ने चुनाव सम्पन्न कराया।

प्रांतीय अध्यक्ष योगेश त्यागी ने सभी ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि प्रदेश में शिक्षकों की समस्या प्रमुखता से रखने वाला केवल जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ही है।संचालन मंजुल चतुर्वेदी ने किया अधिवेशन में प्रांतीय उपाध्यक्ष गौरव पाठक दिनेश तिवारी निवर्तमान मण्डल अध्यक्ष सरिता कटियार विकास तिवारी अखिलेश चतुर्वेदी हंसराज राजपूत अभिलेष कुमार वीरेंद्र त्रिवेदी विवेक चतुर्वेदी अरबिंद राजपूत अशोक राजावत संजय सचान संजय द्विवेदी अहसान अहमद मंजू यादव संजय राजेश जादौन भानु अवस्थी विनय दीक्षित राजेश मिश्रा राघवेन्द्र शुक्ला अच्युत त्रिपाठी अवनीश दुबे अवधेश राठौर धर्मनारायण चौधरी अरशद हुसैन पुष्पा यादव वरिष्ठ अध्यापक इसरार, मो०सुल्तान, मो० असलम, मो०यूसुफ, अभिलाषा तिवारी, सहित सैकड़ों शिक्षक शिक्षिकायें शामिल हुए।

*वेदव्रत गुप्ता 

भोजेश्वरी देवी पर झंडे और घंटे चढ़ाने दूर-दूर से आते हैं ,श्रद्धालु

फोटो:- नगला भीखन में स्थित देवी भोजेश्वरी का मंदिर, इनसेट में देवी प्रतिमा

जसवंतनगर(इटावा),27 मार्च। (वेदव्रत गुप्ता)।यहां इलाके में कई सुप्रसिद्ध देवी मंदिर हैं,जिनमें शक्तिपीठ के रूप में ब्रह्माणी देवी मंदिर का सर्वोच्च स्थान है ,साथ ही धरवार गांव में स्थित देवी मैया मंदिर और जसवंतनगर कस्बे की केला त्रिगमा देवी के प्रति भी लोगों की अटूट आस्था है। क्योंकि यह मंदिर काफी पुराने हैं।

इनके अलावा जसवंतनगर मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम भतौरा के मजरा नगला भीखन में एक शताब्दी से अधिक।प्राचीन मां भोजेश्वरी उर्फ भुजंग देवी का मंदिर लोगों में अनेकानेक मान्यताओं के चलते क्षेत्र भर में बहुत ही प्रसिद्ध और लोगों की आस्था का केंद्र है।

भोजेश्वरी देवी के मंदिर में स्थापित आठ फीट लंबी देवी की प्राचीन प्रतिमा अपने आप में विहंगम है। इस तरह की देवी प्रतिमा अयंत्र कम ही दर्शन को उपलब्ध है।

आसपास के लोगों में मान्यता है कि वह यहां भोजेश्वरी देवी के दर्शन बगैर कोई भी शुभ काम या धार्मिक पर्व व त्यौहार नहीं मनाते। शुभ कार्यों की शुरूआत भी यहां पूजा करके करते हैं।

इन दिनों यहां चैत्र नवरात्रि के मौके पर आसपास इलाकों के ग्रामीण श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां जुट रहे हैं। पूजा अर्चना कर घंटे, झंडे और जवारे चढ़ा रहे है।साथ ही वह देवी दर्शनों के बाद मन्नते मांग रहे हैं। इस लिए यहां का वातावरण भक्तमय है। बताया गया है कि चैत्र मास की नवरात्रि के 9 दिनों इस मंदिर पर जो भी श्रद्धालु जवारे व झंडा चढ़ा कर पूजा-अर्चना व आरती वंदना करते हैं ,उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

मंदिर में अद्भुत नक्काशी से बनी देवी भोजेश्वरी की विशाल प्रतिमा के साथ-साथ, अन्य देवी-देवताओं की छोटी-छोटी और भी प्रतिमाएं है। शताब्दी पुरानी परंपरा के तहत वहां नवरात्रियों में वृहद मेले का आयोजन किया जाता है।

इस मंदिर तक जिले से गुजरने वाले हाइवे के जरिए, इटावा-जसवंत नगर के मध्य स्थित ग्राम मलाजनी गांव के चौराहा से दक्षिण दिशा में 1 किलोमीटर चलकर पहुंचा जा सकता है।

बताते हैं की भोजेश्वरी देवी मंदिर के आसपास की खुदाई में पाषाण काल की बड़े आकार की इंटे निकलती हैं। जिससे बने घरों को देखने से प्रतीत होता है कि यहां किसी जमाने में कोई बड़े गांव या नगर का अस्तित्व रहा होगा।

भतौरा गांव के निवासी प्रदीप बबलू शाक्य ने बताया है कि अट्ठारहवीं शताब्दी में भतौरा, मलाजनी स्टेट के करीब का गांव था, जिसके राजा लक्ष्मी नारायण प्रताप सिंह हुआ करते थे। राजा को सपने में यहां कटीली झाड़ियों के बीच खंडहर में माता भुजंग देवी की प्रतिमा दबी होना दिखाई दी थी। बाद में राजा ने ग्रामीणों की मदद से उन झाड़ियों को कटवा कर उस खंडहर की खुदाई कराई,तो वहां देवी माता भुजंग की प्रतिमा निकली। प्रतिमा को वही एक मंदिर बनवा कर उन्होंने स्थापित करा दिया। बाद में राजा नंगे पांव चलकर देवी पूजा करने आने लगे थे। इसी दौरान राजा को देव योग से एक पुत्र की प्राप्ति हुई थी। तब से अब तक अन्य गांवों के लोग यहां लोग पूजा अर्चना करते हैं। राजा का राजपाट समाप्त होने और उनके निधन के बाद मंदिर की देखरेख भतौरा निवासी जगन्नाथ प्रसाद शाक्य करने लगे थे।

मंदिर के निर्माण के बाद काफी वर्ष बीत जाने के कारण मंदिर जर्जर हो गया था। 19वीं शताब्दी में जगन्नाथ प्रसाद ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। उनके निधन के बाद मंदिर की देखरेख जगन्नाथ प्रसाद के जेष्ठ पुत्र रामसिंह पेशकार करने लगे।

मंदिर के निकट ही 1979 में मां देवी भोजेश्वरी शिक्षा संस्थान का गठन कर एक विद्यालय की स्थापना भी की गई। इससे मंदिर पर लोगों का आवागमन बढ़ गया।

ग्राम भतौरा से ही जुड़े मजरे का नाम बाद में नगला भिखन रख दिया गया।

90 के दशक के शुरुआत में पेशकार राम सिंह शाक्य के निधन के बाद से अब तक मंदिर व स्कूल की देखरेख उनके परिजन करते रहे । दूसरी बार जीर्णोद्धार वर्ष 1998 में पेशकार की पत्नी स्व सुशीला देवी शाक्य ने कराया था। उसके बाद से पूर्व जिला पंचायत सदस्य व प्रदीप शाक्य बबलू कर रहे हैं।वेदव्रत गुप्ता

*वेदव्रत गुप्ता 

युवक ने रेल से कटकर आत्महत्या की, महीने भर पूर्व हुई थी शादी

फ़ोटो: घटनास्थल पर पहुचे प्रभारी निरीक्षक तथा अन्य पुलिस बल

जसवन्तनगर(इटावा)। महीने भर पूर्व ब्याहे एक 20 वर्षीय युवक ने यहां नगला विशुन के पास अज्ञात ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली।

युवक का शव दिल्ली हावड़ा मार्ग रेलमार्ग पर क्षति विच्छत हालत में सुबह के समय ग्रामीणों ने देखा था।

बाद में शव की शिनाख्त उसके सगे भाई ओविंद सिंह द्वारा रिंकू पुत्र हाकिम सिंह निवासी ग्राम रूरा, साजन नगर के रूप में की गई। थाना प्रभारी जसवंतनगर मुकेश सोलंकी ने बताया है कि ग्रामीणों से सूचना मिली थी कि एक अज्ञात व्यक्ति की रेल से कटकर मृत्यु हो गई है। थाना के उपनिरीक्षक करणवीर सिंह को घटनास्थल भेजा गया था। उन्होंने आसपास के लोगों से जानकारी ली,तो संज्ञान में आया कि मृतक युवक तड़के सुबह बाइक द्वारा अपने गांव रूरा स्थित घर से किसी बात पर नाराज होकर निकला था। उसके परिजन उसे खोज रहे थे। घटनास्थल के समीप ही स्थित गांव नगला विशुन में उसकी रिश्तेदारी है। रिश्तेदारों ने शव की अपुष्ट रूप से पहचान करके उसके परिजनों को सूचना दी थी। घटनास्थल के पास ही बाइक खड़ी थी।

सूचना पर मृतक का भाई मौके पर पहुंच गया था और उसके द्वारा शिनाख्त कर दी गई थी। मौके पर पहुंचे मृतक के चाचा किशोर सिंह ने बताया कि रिंकू का विवाह 1महीने पूर्व ही हुआ था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है, साथ ही उसकी बाइक को उसके परिजनों को सौंपा दिया है।

*वेदव्रत गुप्ता 

युवक ने रेल से कटकर आत्महत्या की, महीने भर पूर्व हुई थी शादी

युवक ने रेल से कटकर आत्महत्या की, महीने भर पूर्व हुई थी शादी
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जसवन्तनगर(इटावा)। महीने भर पूर्व  ब्याहे एक 20 वर्षीय युवक ने यहां नगला विशुन के पास अज्ञात ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली।
      युवक का शव दिल्ली हावड़ा मार्ग रेलमार्ग पर क्षति  विच्छत हालत में सुबह के समय ग्रामीणों ने देखा था।
    बाद में शव की शिनाख्त उसके सगे भाई ओविंद सिंह द्वारा रिंकू पुत्र हाकिम सिंह निवासी ग्राम रूरा, साजन नगर के रूप में की  गई।             थाना प्रभारी जसवंतनगर मुकेश सोलंकी ने बताया है कि ग्रामीणों से सूचना मिली थी कि एक अज्ञात व्यक्ति की रेल से कटकर मृत्यु हो गई है। थाना के उपनिरीक्षक करणवीर सिंह को घटनास्थल भेजा गया था। उन्होंने आसपास के लोगों से जानकारी ली,तो संज्ञान में आया कि मृतक युवक तड़के सुबह बाइक द्वारा अपने गांव रूरा स्थित घर से किसी बात पर नाराज होकर निकला था। उसके परिजन उसे खोज रहे थे। घटनास्थल के समीप ही स्थित गांव नगला विशुन में उसकी रिश्तेदारी है। रिश्तेदारों ने शव की अपुष्ट रूप से पहचान करके उसके परिजनों को   सूचना दी थी। घटनास्थल के पास ही बाइक खड़ी थी।
 सूचना पर मृतक का भाई मौके पर पहुंच गया था और उसके द्वारा शिनाख्त कर दी गई थी। मौके पर पहुंचे मृतक के चाचा किशोर सिंह ने बताया कि रिंकू का विवाह 1महीने पूर्व ही हुआ था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है, साथ ही उसकी बाइक को उसके परिजनों को सौंपा दिया है।
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फ़ोटो: घटनास्थल पर पहुचे प्रभारी निरीक्षक तथा अन्य पुलिस बल