Thursday , November 21 2024

बिज़नेस

गुरु नानक जयंती पर आज घरेलू शेयर बाजार बंद, एशियाई सूचकांकों में दिखी बढ़त

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती के उपलक्ष्य में प्रकाश पर्व के मौके पर शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार बंद रहेंगे। यह अवसर, भारत और दुनिया भर में सिख समुदाय की ओर से व्यापक रूप से मनाया जाता है, यह पर्व गुरु नानक देव की शिक्षाओं और विरासत की याद दिलाता है, जिन्होंने समानता, करुणा और मानवता की सेवा का संदेश दिया।

छुट्टी के कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई), और मुद्रा व कमोडिटी बाजारों सहित अन्य प्रमुख वित्तीय बाजार पूरे दिन इक्विटी और डेरिवेटिव ट्रेडिंग दोनों के लिए बंद रहेंगे। सोमवार, 18 नवंबर को बाजार अपने नियमित समय पर खुलेगा।

शुक्रवार को अन्य एशियाई बाजारों में, जापान के निक्केई सूचकांक में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि हांगकांग के हैंग सेंग सूचकांक में 0.54 प्रतिशत की वृद्धि हुई, साथ ही ताइवान के भारित सूचकांक में भी 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि, इस रिपोर्ट को दाखिल करने के समय दक्षिण कोरिया के KOSPI सूचकांक में 0.4 प्रतिशत की गिरावट आई। ब्रेंट क्रूड फिलहाल 72.13 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।

गुरुवार को भारतीय बेंचमार्क शेयर सूचकांक लगातार छठे दिन गिरकर कई महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया। सेंसेक्स 110.64 अंक या 0.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,580.31 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 26.35 अंक या 0.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,532.70 अंक पर बंद हुआ। क्षेत्रीय सूचकांकों में मिले-जुले रुझान दिखे; निफ्टी बैंक, ऑटो और मीडिया हरे निशान पर रहे, जबकि एफएमसीजी, फार्मा और पीएसयू बैंक लाल निशान पर रहे।

सूचकांकों में लगातार गिरावट कई कारकों के कारण है, जिसमें दूसरी तिमाही के परिणामों में कंपनियों की अपेक्षाकृत कम आय, निरंतर विदेशी फंड का बहिर्वाह और बढ़ती घरेलू मुद्रास्फीति- खुदरा और थोक दोनों शामिल हैं। गुरुवार को अमेरिकी बाजारों में, एसएंडपी 500 और नैस्डैक दोनों सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए। एसएंडपी 500 0.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ, जबकि नैस्डैक 0.69 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ।

अदाणी के घर पर हुई बैठक के बारे में शरद पवार ने किया खुलासा, बोले- मुझे भाजपा पर नहीं था भरोसा

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने तीन साल पहले गौतम अदाणी के घर पर हुए डिनर को लेकर बड़ा खुलासा किया है। इससे पहले उनके भतीजे अजीत पवार ने इस डिनर की चर्चा की थी। पवार ने स्वीकार किया है कि वे गौतम अदाणी के घर पर डिनर के दौरान भाजपा नेता अमित शाह से मिले थे। उस दौरान उनके सहयोगी रहे प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार भी मौजूद थे।

पवार ने कहा कि उनके कुछ सहयोगी बीजेपी में शामिल हो गए थे। उन्होंने दावा किया है कि उनके कुछ सहयोगियों को आश्वासन दिया गया था कि उनके खिलाफ चल रहे केंद्रीय एजेंसियों के मामले वापस ले लिए जाएंगे। पर उन्हें इसका भरोसा नहीं था। एक न्यूज पोर्टल को पवार ने बताया कि उनके सहयोगियों ने उनपर बीजेपी नेताओं से मिलकर यह ऑफर खुद सुनने का दबाव डाला था। इसके बाद ही पवार अमित शाह से मिलने गौतम अदाणी के घर डिनर पर गए थे।

गौतम अदाणी के घर हुई थी बैठक
शरद पवार ने बताया कि 2019 में अमित शाह के साथ हुई राजनैतिक बातचीत उद्योगपति गौतम अदाणी के घर पर हुई थी। हालांकि, शरद पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि अदाणी ने सिर्फ डिनर होस्ट किया था और वे राजनैतिक चर्चा में शामिल नहीं हुए थे। इससे दो दिन पहले अजित पवार ने दावा किया था कि 2019 में बीजेपी और अविभाजित एनसीपी के बीच हुई राजनैतिक बातचीत में गौतम अदाणी भी शामिल थे।

शरद के भतीजे अजित पवार ने किया था ये दावा
अजित पवार के अनुसार यह बैठक दिल्ली में अदाणी के घर पर हुई थी। इस बैठक में अमित शाह, गौतम अदाणी, प्रफुल्ल पटेल, देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और शरद पवार मौजूद थे। इसके बाद शरद पवार ने एक इंटरव्यू में कहा कि 2019 में महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर बीजेपी के साथ हुई बातचीत के दौरान वे खुद अदाणी के घर पर डिनर में शामिल हुए थे।

वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों की कीमत बढ़ने से महंगी हुई थाली; यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट

खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी के कारण अक्तूबर और उसके बाद भी वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतों में 7.3 फीसदी का अच्छा-खासा उछाल देखने को मिला है। इस वजह से वैश्विक खाद्य सूचकांक पिछले 18 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने एक रिपोर्ट में दी है।

एफएओ का खाद्य मूल्य सूचकांक अंतराष्ट्रीय स्तर पर हर माह खाद्य कीमतों में हो रहे उतार-चढ़ाव को साझा करता है। रिपोर्ट के अनुसार अक्तूबर 2024 में खाद्य मूल्य सूचकांक सितंबर माह के मुकाबले दो फीसदी बढ़कर 127.4 तक पहुंच गया। अक्तूबर में खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी खासा उछाल देखा गया। केवल मांस की कीमतों में ही गिरावट आई है। इस दौरान खाद्य तेल मूल्य सूचकांक औसतन 152.7 अंक तक पहुंच गया। यह पिछले साल अक्तूबर की तुलना में 5.5 फीसदी ज्यादा है। कीमतों में यह वृद्धि मुख्य रूप से पाम, सोया, सूरजमुखी और रेपसीड तेलों की बढ़ती कीमतों के कारण हुई है। पाम तेल की कीमतों में लगातार पांचवें महीने वृद्धि हुई। पाम आयल की बढ़ती कीमतों का मुख्य कारण दक्षिण पूर्व एशिया में अपेक्षा से कम उत्पादन है। मलेशिया, इंडोनेशिया इसके मुख्य उत्पादक हैं।

डेयरी उत्पादों की कीमतों में भी बढ़ोतरी
रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान डेयरी मूल्य सूचकांक भी 139.1 अंक तक पहुंच गया, जो सितंबर की तुलना में 1.9 फीसदी की अधिक है। पिछले साल अक्टूबर के महीने से तुलना करें तो यह 21.4 फीसदी ज्यादा है। यह वृद्धि खासतौर पर वैश्विक बाजार में पनीर और मक्खन की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई। इसकी वजह यूरोपियन यूनियन में मौसमी रूप से दूध के उत्पादन में गिरावट है। मक्खन की कीमतों में लगातार 13वें महीने उछाल देखा गया है।

भारत की वजह से चावल मूल्य सूचकांक गिरा
भारत की वजह से चावल मूल्य सूचकांक में में 5.6 फीसदी की गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण इंडिका चावल की कीमतों में गिरावट रही, क्योंकि भारत ने साबुत चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया। इसकी वजह से निर्यातकों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा बढ़ गई।

एलन मस्क की कुल संपत्ति में बड़ा इजाफा, तीन साल में पहली बार 300 बिलियन डॉलर के पार

अमेरिकी अरबपति एलन मस्क की कुल संपत्ति तीन साल में पहली बार 300 बिलियन डॉलर को पार कर गई। फोर्ब्स रियल-टाइम अरबपतियों की सूची के मुताबिक, मस्क की संपत्ति 300 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शानदार जीत के बीच मस्क की कंपनियों और उनकी खुद की संपत्ति में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

सीएफआरए रिसर्च के वरिष्ठ इक्विटी विश्लेषक गैरेट नेल्सन ने बताया कि टेस्ला और सीईओ एलन मस्क शायद चुनाव परिणाम से सबसे बड़े विजेता हैं। हमारा मानना है कि ट्रंप की जीत कंपनी को और आगे बढ़ाने की रफ्तार में तेजी लाने में मदद करेगी।

कमजोर पड़ी मांग, सोना 1650 रुपये गिरकर 79500 रुपये प्रति 10 ग्राम, चांदी 2900 रुपये लुढ़की

लगातार कमजोर मांग के चलते सोने-चांदी के भाव गिर रहे हैं। राजधानी दिल्ली में गुरुवार को सोने की कीमतों में 1650 रुपये की गिरावट आई और यह 80 हजार के आंकड़े से नीचे आ गया। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार के 10 ग्राम सोने की कीमतें 79500 रुपये रह गईं। जबकि चांदी की कीमतों में भी 2900 रुपये की गिरावट दर्ज की गई। यह 93800 रुपये प्रतिकिलो रहीं। सर्राफा संघ के अनुसार स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की सुस्त मांग के कारण सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट आई है।

बुधवार को सोने की कीमत 81150 रुपये प्रति दस ग्राम और चांदी की कीमत 96700 रुपये प्रतिकिलो रही थीं। वहीं 99.5 फीसदी शुद्धता वाले सोने का भाव भी 1650 रुपये घटकर 79100 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। जबकि इससे पहले यह 80750 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ था। कारोबारियों का कहना है कि स्थानीय आभूषण विक्रेताओें की कमजोर मांग के कारण सोने की कीमतों पर दबाव पड़ा है।

एमसीएक्स पर भी गोल्ड फ्यूचर्स की कीमतें रहीं स्थिर और चांदी की कीमतों में गिरावट
वहीं वायदा कारोबार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने के अनुबंध की कीमतें 76655 रुपये प्रति दस ग्राम पर स्थिर रहीं। जबकि दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी की कीमत 9 रुपये या 0.01 प्रतिशत की गिरावट के साथ 90811 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष व रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी एवं करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा कि सोने में स्थिर से लेकर सीमित दायरे में कारोबार हुआ। क्योंकि बाजार को आज रात फेडरल रिजर्व की बैठक का इंतजार है, क्योंकि इसमें 0.25 फीसदी तक ब्याज दर में कटौती की उम्मीद है।

साइरस मिस्त्री पर रतन टाटा का ‘नो कमेंट’ बहुत असरदार था, जीवनीकार थॉमस मैथ्यू ने किताब में किए ये दावे

दिवंगत उद्योगपति की जीवनी के लेखक थॉमस मैथ्यू के अनुसार, जब रतन टाटा से पूछा गया कि क्या वे टाटा समूह के कुछ दिग्गजों की उन आशंकाओं से सहमत हैं, जिन्हें लगता है कि साइरस मिस्त्री समूह को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं? जवाब में रतन टाटा का ‘नो कमेंट’ कुछ कहने से भी अधिक असरदार था।

मैथ्यू ने पीटीआई वीडियो को दिए साक्षात्कार में कहा कि टाटा ने 2012 में अपने उत्तराधिकारी के रूप में दिवंगत मिस्त्री का पूर्ण रूप समर्थन किया था, हालांकि बाद के वर्षों में मिस्त्री की उपयुक्तता पर पुनर्विचार किया गया था और 2016 में टाटा संस के चेयरमैन के पद से उनकी विदाई कंपनी के प्रदर्शन के साथ-साथ नैतिक मुद्दों से भी जुड़ा था।

रतन टाटा की जीवनी ‘रतन टाटा ए लाइफ’ में टाटा समूह के कुछ दिग्गजों के हवाले से कहा गया है कि उन्हें आशंका है कि मिस्त्री नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक के कारोबार वाले समूह को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह आशंका मिस्त्री की चेयरमैन के रूप में कार्यशैली और शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह की ओर से टाटा संस में शेयरों के अधिग्रहण के पिछले रिकॉर्ड के आधार पर जताई है।

इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर पूर्व नौकरशाह ने कहा, “इस बारे में दो विचारधाराएं हैं। टाटा के कुछ दिग्गजों का कहना है कि जिस तरह से एसपी समूह ने टाटा संस के शेयर हासिल किए, वह अच्छा संकेत नहीं था।”

टाटा के दिग्गजों के अनुसार, मैथ्यू ने कहा, “जिस तरह से उन्होंने (एसपी समूह ने) शेयर एकत्रित किए, उससे जेआरडी नाराज थे, इसे हल्के ढंग से कहें तो, और वह बहुत, बहुत असहज थे… उनके अनुसार एक गुप्त तरीके से, एसपी समूह ने पारिवारिक सदस्यों की कमजोरियों का फायदा उठाते हुए शेयर हासिल किए। यह मैं नहीं कह रहा। यह सब टाटा के दिग्गजों का कहना है।”

पुस्तक के अनुसार, एसपी समूह ने टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे बढ़ाकर लगभग 18 प्रतिशत कर ली थी और कंपनी के वे शेयर खरीद लिए थे, जो जेआरडी ने अपने भाई-बहनों को दे दिए थे।

मैथ्यू, का टाटा के साथ लंबा जुड़ाव 1995 में शुरू हुआ, उस समय वे तत्कालीन उद्योग मंत्री के सचिव थे, ने कहा, “अब दूसरा सहायक कथन यह है कि जब रतन टाटा टाटा संस के अध्यक्ष थे, तो टाटा संस के निदेशक टाटा की बड़ी कंपनियों के भी निदेशक थे। लगभग 15-20 निदेशक पद थे, जिनमें ये लोग टाटा ट्रस्ट, टाटा संस और टाटा कंपनियों के बीच की कड़ी थे।”

उन्होंने आगे कहा, “यह (टाटा संस के निदेशकों को अन्य टाटा कंपनियों में बोर्ड सदस्य के रूप में रखने की प्रथा) साइरस मिस्त्री के समय में काफी हद तक गायब रही। सिर्फ दो लोगों को छोड़कर, वे भी विशेष रूप से सबसे बड़ी (टाटा) कंपनियों (के बोर्ड) में थे। इसलिए उन्होंने कहा कि प्रमुख कंपनियों (बोर्ड) से टाटा के दिग्गजों को बाहर रखना अच्छा संकेत नहीं था।”

टाटा के दिग्गजों हुई बातचीत के आधार पर मैथ्यू ने कहा, “उनका कहना है कि (टाटा समूह को तोड़ने का) कोई जांच नहीं की गई, लेकिन यह मकसद हो सकता है।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या रतन टाटा भी टाटा के दिग्गजों की तरह ही चिंतित थे, तो उन्होंने कहा, “रतन टाटा बहुत ही मितभाषी व्यक्ति थे, वह बहुत ही दयालु व्यक्ति थे। उन्होंने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की। लेकिन मेरे लिए, उनकी ओर से टिप्पणी न करना किसी टिप्पणी से भी अधिक जोरदार बात है… मैंने कहा, ‘सर, क्या आपको लगता है कि यह सच है? नो कमेंट्स (टाटा ने जवाब दिया)’। मुझे लगता है कि यह उनकी ओर से कोई बयान देने से भी अधिक महत्वपूर्ण बात है।”

हालांकि, मैथ्यू ने जोर देकर कहा कि 2016 में टाटा संस के चेयरमैन के रूप में मिस्त्री को ‘बदलने’ का कारण “एक नैतिक मुद्दा था, और कंपनियों के प्रदर्शन का मामला दूसरा मुद्दा था।” मिस्त्री को 2011 में टाटा के उत्तराधिकारी के रूप में वैश्विक खोज के बाद चुना गया था। रतन टाटादिसंबर 2012 में टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। समूह के दिग्गजों की आरे से व्यक्त की गई आशंकाओं और आपत्तियों के बावजूद, रतन टाटा ने मिस्त्री का पूरा समर्थन किया था। टाटा के सेवानिवृत्त होने के बाद टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने से पहले एक साल तक मिस्त्री ‘नामित चेयरमैन’ रहे।

सरकारी सब्सिडी चिंता का विषय, आरबीआई गवर्नर बोले- जीडीपी पर पड़ सकता है असर

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार की ओर से दी जा रही सब्सिडी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों का पूंजीगत व्यय बढ़ रहा है, लेकिन उच्च सब्सिडी व्यय चिंता का विषय है।

दास मुंबई में आयोजित बीएफएसआई शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सब्सिडी व्यय बहुत अधिक है और पहली तिमाही में सरकारी व्यय जीडीपी को नीचे खींच रहा है। गवर्नर ने कहा, “सरकारी व्यय में वृद्धि शुरू हो गई है। केंद्र और राज्यों के राजस्व और पूंजीगत व्यय दोनों में वृद्धि शुरू हो गई है। सब्सिडी व्यय एक मुद्दा बना हुआ है।”

उन्होंने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में सरकार की सब्सिडी के लिए भुगतान बढ़ा है। सरकार ने वित्त वर्ष 25 में खाद्य सब्सिडी के लिए 2,05,250 करोड़ रुपये का बजट रखा है। यह 2023-24 के लिए 2,12,332 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 3% कम है। सरकार ने रबी सीजन के लिए पोषक तत्व आधारित उर्वरक सब्सिडी के लिए 24,475.53 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया है।

अप्रैल-जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.7 प्रतिशत बढ़ी, जो RBI के 7.1 प्रतिशत पूर्वानुमान से कम है। 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2 2024-25) के लिए जीडीपी अनुमान 29 नवंबर को जारी होंगे। दास ने कहा कि उच्च सब्सिडी व्यय का जीडीपी पर प्रभाव पड़ेगा। गवर्नर ने कहा, ” हालांकि, मुझे लगता है कि आर्थिक गतिविधि काफी मजबूत बनी हुई है।”

आरबीआई ने भारत की 2024-25 की जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत आंकी है। आईएमएफ और विश्व बैंक के अनुसार यह 7.0 प्रतिशत रह सकती है। कई वैश्विक रेटिंग एजेंसियों और बहुपक्षीय संगठनों ने भी भारत के लिए अपने विकास पूर्वानुमानों को संशोधित किया है।

इस साल की शुरुआत में संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण ने “रूढ़िवादी रूप से” 2024-25 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5-7 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत की जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि हुई, जो सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रही। 2022-23 में अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत और 2021-22 में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
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सोना 150 रुपए कमजोर होकर 81150 रुपए प्रति 10 ग्राम पर, चांदी स्थिर

कमजोर वैश्विक रुझानों के बीच बुधवार को देश की राजधानी दिल्ली में सोने की कीमत 150 रुपये की गिरावट के साथ 81,150 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, आभूषण विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं की कमजोर मांग के कारण भी कीमतों पर असर पड़ा। हालांकि, इस दौरान चांदी 96,700 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रही। मंगलवार को 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव 150 रुपए घटकर 80,750 रुपए प्रति 10 ग्राम रह गया, जबकि इससे पहले इसका भाव 80,900 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।

एमसीएक्स पर गोल्ड फ्यूचर्स की कीमत में गिरावट
वायदा कारोबार में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने के अनुबंध की कीमत 333 रुपये या 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 78,174 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई। दिन के कारोबार के दौरान सोना 1,007 रुपये या 1.3 प्रतिशत गिरकर 77,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के निचले स्तर पर आ गया। अमेरिकी चुनाव के नतीजों से डॉलर सूचकांक में मजबूती आने के कारण सोने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया और यह 78,500 रुपये से 77,500 रुपये के बीच झूलता रहा।

एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष व रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी एवं करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा, “डॉलर की मजबूती से सोना 2,700 डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया। हालांकि, सोने में कुछ स्थिरता देखी गई और यह 2,700 डॉलर के आसपास के ओवरसोल्ड स्तर से उबरकर 2,725 डॉलर प्रति औंस के आसपास पहुंच गया।”

एमसीएक्स पर चांदी भी नरम पड़ी
इसके अलावा दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी की कीमत 1,122 रुपये या 1.19 प्रतिशत की गिरावट के साथ 93,526 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। एमसीएक्स पर चांदी की कीमत 3,158 रुपये या 3.33 प्रतिशत की गिरावट के साथ 91,490 रुपये प्रति किलोग्राम के निचले स्तर पर पहुंची। वैश्विक बाजारों में कॉमेक्स सोना वायदा 0.57 प्रतिशत या 15.60 डॉलर प्रति औंस की गिरावट के साथ 2,734.10 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार करता दिखा।

डॉलर सूचकांक में उल्लेखनीय वृद्धि के बाद बुधवार को यूरोपीय सत्र में सोने की कीमतों पर बिकवाली का भारी दबाव दिखा। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक सौमिल गांधी ने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में विजयी हुए हैं और वह 47वें राष्ट्रपति बनने की ओर अग्रसर हैं।”

‘रुपये में दूसरी मुद्राओं की अपेक्षा अक्तूबर में मामूली गिरावट’, बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में टिप्पणी

बैंक ऑफ बड़ौदा की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्तूबर में भारतीय रुपये में मामूली गिरावट आई है, वहीं अन्य प्रमुख मुद्राओं में भारी गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हालांकि रुपया 84.09 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन उसके बावजूद यह अमेरिकी डॉलर में महीने भर में 3.2 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि के मुकाबले मामूली गिरावट है।

अक्तूबर के दौरान रुपये का कारोबार 83.82 और 84.09 प्रति डॉलर के बीच रहा। इसमें कहा गया है कि “अक्तूबर 2024 में रुपये में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई (सितंबर 2024 में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि) और यह 84.09/ USD के अपने सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर भी पहुंच गया। हालांकि, अन्य प्रमुख मुद्राओं में भारी गिरावट की तुलना में यह गिरावट मामूली ही थी।”

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अमेरिकी डॉलर में तेजी से मजबूती आई है, जिसका मुख्य कारण आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बढ़ती अनिश्चितताएं और फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती की कम संभावना है। इस माहौल में कई मुद्राओं को भारी नुकसान हुआ। न्यूजीलैंड डॉलर, ब्राजीलियन रियल, जापानी येन, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर और थाई भाट सभी में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई।

उदाहरण के लिए, जापान का येन देश के भीतर राजनीतिक अनिश्चितता से प्रभावित होकर तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। रिपोर्ट के अनुसार, “जिन मुद्राओं को सबसे अधिक नुकसान हुआ, वे हैं- न्यूजीलैंड डॉलर , ब्राजीलियन रियल, जापानी येन, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर और थाई बहत। USD को मजबूत करने के अलावा, JPY ने घरेलू राजनीतिक अनिश्चितता के कारण अपने 3 महीने के निचले स्तर को छुआ।”

सरकार ने 2024-25 खरीफ सीजन के लिए रिकॉर्ड 119.93 मीट्रिक टन चावल उत्पादन का अनुमान लगाया

कृषि मंत्रालय के अनुसार अच्छे मानसून के कारण 2024-25 के खरीफ सत्र में भारत का चावल उत्पादन रिकॉर्ड 119.93 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंचने की संभावना है। सरकार ने इस बारे में मंगलवार को पहला अग्रिम अनुमान जारी किया। यह अनुमान सरकारी गोदामों में पर्याप्त स्टॉक की जानकारी के बीच आया है। पिछले साल के खरीफ सीजन की तुलना में इस बार 6.67 मिलियन टन अधिक चावल का उत्पादन होने का अनुमान है। देश भर में मुख्य खरीफ फसल की कटाई चल रही है।

मोटे अनाजों में, मक्का का उत्पादन 2024-25 खरीफ सीजन (जुलाई-जून) के लिए 24.54 मीट्रिक टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 22.24 मीट्रिक टन से अधिक है। ज्वार का उत्पादन 2.19 मीट्रिक टन रहने का अनुमान है, जबकि बाजरा उत्पादन घटकर 9.37 मीट्रिक टन रहने की संभावना है।

अनुमान के अनुसार मोटे अनाज का कुल उत्पादन एक वर्ष पूर्व की समान अवधि के 56.93 मिलियन टन की तुलना में घटकर 37.81 मीट्रिक टन रह सकता है। मंत्रालय का मानना है कि 2024-25 खरीफ सीजन के लिए कुल खाद्यान्न उत्पादन 164.70 मीट्रिक टन होगा, जो पिछले वर्ष के 155.76 मीट्रिक टन से अधिक है।

दलहन उत्पादन 6.97 मीट्रिक टन की तुलना में 6.95 मीट्रिक टन पर लगभग स्थिर रहने की उम्मीद है, जबकि तिलहन उत्पादन 24.16 मीट्रिक टन से बढ़कर 25.74 मीट्रिक टन होने की संभावना है। भारत दालों और तिलहनों की घरेलू कमी को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। नकदी फसलों में गन्ने का उत्पादन पिछले वर्ष के 453.15 मीट्रिक टन से घटकर 439.93 मीट्रिक टन रहने का अनुमान है।