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बिज़नेस

जुलाई-दिसंबर में प्रीपेड कार्ड से लेनदेन 30 फीसदी घटा, डेबिट कार्ड में भी गिरावट

देश की डिजिटल भुगतान प्रणाली में यूपीआई का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके उलट, कार्ड के प्रति लोगों का आकर्षण कम हो रहा है। खासकर डेबिट कार्ड के प्रति। हालांकि, क्रेडिट कार्ड के जरिये लेनदेन में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्ल्डलाइन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की दूसरी छमाही यानी जुलाई-दिसंबर अवधि में देश में कुल 1.78 अरब क्रेडिट कार्ड जारी हुए। यह आंकड़ा जुलाई-दिसंबर, 2022 की तुलना में 21 फीसदी ज्यादा है। मूल्य के लिहाज से 2023 की दूसरी छमाही में क्रेडिट कार्ड के जरिये लेनदेन 11 फीसदी बढ़कर 9.39 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।

इसके उलट, डेबिट कार्ड के जरिये जुलाई-दिसंबर, 2023 में लेनदेन मूल्य के लिहाज से सालाना आधार पर 16 फीसदी घटकर 3.02 लाख करोड़ रुपये रह गया। इस अवधि में कुल 1.15 अरब डेबिट कार्ड जारी हुए, जो जुलाई-दिसंबर, 2022 के मुकाबले 34 फीसदी कम हैं। वहीं, प्रीपेड कार्ड के जरिये मूल्य के लिहाज से लेनदेन सालाना आधार पर 30 फीसदी घटकर 241 अरब रुपये रह गया।

औसत टिकट साइज : नेटबैकिंग का सबसे ज्यादा
मूल्य व संख्या के लिहाज से दिसंबर, 2023 में यूपीआई लेनदेन के मामले में फोनपे, गूगल पे और पेटीएम का दबदबा रहा। संख्या के लिहाज कुल यूपीआई लेनदेन में तीनों एप की संयुक्त हिस्सेदारी 94.8 फीसदी से बढ़कर 95.4 फीसदी पहुंच गई। मूल्य के हिसाब से इन तीनों एप की कुल यूपीआई लेनदेन में संयुक्त हिस्सेदारी 93% पहुंच गई। दिसंबर, 2022 में यह 92.2 फीसदी थी।

कार्ड संख्या में 34% गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की दूसरी छमाही में कुल 3.70 अरब कार्ड (क्रेडिट, डेबिट और प्रीपेड कार्ड) जारी हुए। यह आंकड़ा सालाना आधार पर 7 फीसदी कम है। इसकी प्रमुख वजह जारी डेबिट कार्ड की संख्या में बड़ी गिरावट है। जुलाई-दिसंबर, 2023 में क्रेडिट, डेबिट और प्रीपेड कार्ड के जरिये कुल 12.66 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन हुए। यह आंकड़ा सालाना आधार पर 13 फीसदी ज्यादा है।

नेटबैंकिंग : 505 लाख करोड़
नेटबैंकिंग के जरिये जुलाई-दिसंबर, 2023 अवधि में 505.5 लाख करोड़ रुपये के कुल 2.25 अरब लेनदेन हुए। एक साल पहले की समान अवधि में इसके जरिये 467 लाख करोड़ रुपये के 2.16 अरब लेनदेन हुए थे। मोबाइल से लेनदेन की संख्या 45.58 अरब से बढ़कर 62.95 अरब पहुंच गई। मूल्य के लिहाज से लेनदेन 116 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 152.33 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।

मजबूत मांग के कारण मार्च में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर साढ़े 13 वर्ष के हाई पर, पीएमआई के आंकड़े जारी

मजबूत मांग के कारण मार्च में देश के सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर साढ़े 13 साल की सबसे मजबूत वृद्धि दर में से एक रही। एचएसबीसी इंडिया सविर्सिज बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स फरवरी के 60.6 से बढ़कर मार्च में 61.2 पर पहुंच गया।परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) की भाषा में सूचकांक का 50 से ऊपर रहना विस्तार को दर्शाता है जबकि 50 से नीचे रहना संकुचन को दर्शाता है। एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल द्वारा लगभग 400 सेवा क्षेत्र की कंपनियों के एक पैनल को भेजे गए प्रश्नावली के जवाबों से संकलित किया गया है।

मांग बढ़ने से बिक्री और कारोबारी गतिविधियों में तेजी आई
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत की सेवाओं का पीएमआई फरवरी में मामूली गिरावट के बाद मार्च में बढ़ा और मजबूत मांग के कारण बिक्री और कारोबारी गतिविधियों में तेजी आई। एचएसबीसी के अर्थशास्त्री इनेस लैम ने कहा, “उत्पादन क्षमता का विस्तार करने के लिए सेवा प्रदाताओं ने अगस्त 2023 के बाद से सबसे तेज गति से हायरिंग में वृद्धि की।”

सितंबर 2014 में शृंखला शुरू होने के बाद से नया निर्यात कारोबार सबसे तेज दर से बढ़ा। सर्वेक्षण प्रतिभागियों ने अफ्रीका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अमेरिका और मध्य पूर्व से लाभ की सूचना दी। सेवा कंपनियों ने संकेत दिया कि नए कारोबार की मात्रा में भारी तेजी ने उनकी क्षमताओं पर दबाव डाला। इस कारण, सेवा प्रदाताओं ने मार्च में अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती की।

प्रतिस्पर्धी दबाब की चिंताओं के बावजूद, अनुकूल रुझान बने रहने की उम्मीद
सर्वेक्षण में कहा गया है, “इनपुट लागत तेज दर से बढ़ी है, इसके बावजूद सेवा प्रदाता उच्च आउटपुट मूल्य वसूलकर मार्जिन बनाए रखने में सक्षम हैं। आगे चलकर सेवा क्षेत्र की कंपनियों को मांग का रुझान अनुकूल बने रहने की उम्मीद है और विपणन प्रयासों को भी वृद्धि के अवसर के रूप में देखा जा रहा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि हालांकि प्रतिस्पर्धी दबाव को लेकर कुछ चिंताएं हैं।”

उतार-चढ़ाव के बाद हरे निशान पर क्लोजिंग; सेंसेक्स 351 अंक चढ़ा, निफ्टी 22500 के पार

वीकली एक्सपायरी के दिन गुरुवार को शेयर बाजार में जबरदश्त एक्शन दिखा। उतार-चढ़ाव के बाद बेंचमार्क इंडेक्स नई ऊंचाइयों पर बंद हुए। हफ्ते के चौथे कारोबारी दिन सेंसेक्स पहली बार 350.81 (0.47%) अंकों की मजबूती के साथ 74,227.63 के लेवल पर बंद हुआ। वहीं दूसरी ओर, निफ्टी 80.00 (0.36%) अंक मजबूत होकर नई ऊंचाई पर बंद हुआ। गुरुवार के कारोबारी सत्र के दौरान वेदांता के शेयरों में चार प्रतिशत का उछाल दिखा वहीं डाबर के शेयर पांच प्रतिशत तक टूट गए।

निफ्टी बैंक, ऑटो और वित्तीय सेवाओं के शेयर हरे निशान पर बंद हुए
व्यापक बाजार की बात करें तो निफ्टी नेक्स्ट फिफ्टी और निफ्टी मिड कैप फिफ्टी में मामूली गिरावट को छोड़ दें तो बाकी सभी इंडेक्स हरे निशान पर बंद हुए। इंडिया VIX 1.34% (0.15) घटकर 11.22 पर आ गया। निफ्टी के अलग-अलग सेक्टर की बात करें तो निफ्टी बैंक, ऑटो और वित्तीय सेवाओं के शेयर हरे निशान पर बंद हुए। निफ्टी आईटी, निफ्टी प्राइवेट बैंक और निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स भी बढ़त के साथ बंद हुए। दूसरी ओर, निफ्टी एफएमसीजी, मीडिया, मेटल, फार्मा, पीएसयू बैंक में गिरावट दिखी। निफ्टी रियल्टी, हेल्थकेयर और निफ्टी ऑयल एंड गैस भी लाल निशान पर बंद हुआ।

उड़ानों की लेटलतीफी और रद्द होने की वजह क्या? जानें AI में मर्जर से पहले क्यों मुश्किल में एयरलाइन

देश का एयरलाइन उद्योग फिर चर्चा में है। इस बार चर्चा में टाटा समूह की स्वामित्व वाली विस्तारा एयरलाइन है। विस्तारा का एयर इंडिया के साथ विलय होना है, पर इस विलय से पहले एयरलाइन की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। पिछले कुछ दिनों में विस्तारा के विमानों के रद्द होने और देरी से चलने की खबरें आ रही है। एयरलाइन को बीते कुछ दिनों में अपनी उड़ानों की संख्या को अस्थाई रूप से कम करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

सोमवार को विस्तारा की विमानों के साथ क्या हुआ?
सोमवार को विस्तारा एयरलाइन की लगभग 50 उड़ानें रद्द की गई है। वहीं लगभग 160 के करीब विमान देरी से उड़े। सूत्रों को आशंका है df मंगलवार को करीब 70 उड़ानें रद्द हो सकती हैं। अगर ऐसा होता है विस्तारा के यात्रियों को भारती परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार विस्तारा एयरलाइन 300 से अधिक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का परिचालन करती है। विमानन कंपनी प्रभावित यात्रियों का बैकलॉग हटाने के लिए घरेलू मार्गों पर बड़े आकार के ड्रीमलाइनर और एयरबस ए321 तैनात करने की योजना बना रही है।

विमानों के रद्द होने का एयर इंडिया के साथ होने वाले मर्जर से क्या संबंध है?
एयर इंडिया में विस्तारा के विलय की प्रक्रिया चल रही है। इस विलय से पहले विमानन कंपनी के परिचालन में आ रही दिक्कतों को इस मर्जर से भी जोड़कर देखा जा रहा है। विस्तारा एयरलाइन के कर्मचारियों में इस बात को लेकर असंतोष है कि मर्जर के बाद उनके वेतन में कटौती हो सकती है। हाल के महीनों में कई पायलट्स ने बीमार होने की भी जानकारी दी है। ऐसी स्थिति में चालक दल की अनुपलब्धता विमानों के देर होने और रद्द होने का कारण बनी है। विशेष रूप से पिछले 2-3 दिन एयरलाइन के लिए चिंताजनक रहे हैं। इस दौरान सोशल मीडिया पर शिकायतों की बाढ़ आ गई है।सोमवार शाम को एयरलाइन ने परिचालन में बाधा आने की खबरों को स्वीकार भी किया। हालांकि मुंबई में सोमवार को अन्य एयरलाइनों की उड़ानों में भी 30-40 मिनट की देरी हुई, लेकिन इसकी वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुंबई यात्रा से जुड़ी वीवीआईपी गतिविधियों को माना गया।

2024-25 में घटकर 2.1 फीसदी रह जाएगा बैंकों का कुल एनपीए, 2.5-2.7 फीसदी रह सकता है जीएनपीए

घरेलू बैंकों के सकल बुरे फंसे कर्ज (जीएनपीए) 2024-25 के अंत तक घटकर 2.1 फीसदी पर आ सकते हैं। 2023-24 में बैंकिंग प्रणाली का जीएनपीए 2.5-2.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। घरेलू रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने शुक्रवार को कहा, 2015-16 की एक्यूआर प्रक्रिया के कारण जीएनपीए 2013-14 के 3.8 फीसदी से बढ़कर 2017-18 में 11.2 फीसदी पहुंच गया। इसने बैंकों को एनपीए की पहचान करने और गैर-जरूरी पुनर्गठन को कम करने के लिए प्रेरित किया।

रिपोर्ट के मुताबिक, जीएनपीए में 2018-19 से सुधार देखा जा रहा है। 2022-23 में यह सुधरकर एक दशक के निचले स्तर 3.9 फीसदी पर आ गया। 2023-24 की दिसंबर तिमाही में जीएनपीए तीन फीसदी था। एजेंसी ने कहा, वसूली और खराब कर्ज को बट्टे खाते में डालने से संपत्ति की गुणवत्ता सुधरी है।

एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचेगा निर्यात, नए बाजारों में पहुंच से 2030 तक बढ़ेगी भारतीय उत्पादों की मांग

दुनियाभर में व्यापार संबंधी अनिश्चितताओं के बावजूद भारत से निर्यात तेजी से नई दिशा में आगे बढ़ रहा है। द्विपक्षीय करार, मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) और अफ्रीका, लैटिन अमेरिका व मध्य एशिया जैसे नए बाजारों तक पहुंच से भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 2030 तक बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है।

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन नई पहलों के साथ भारत से कीमती धातुओं, खनिजों, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग उत्पादों, फार्मास्यूटिकल्स, कार्बनिक रसायन, कपड़ा, मसालों और रक्षा उपकरणों के निर्यात में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है। इससे भारत से निर्यात फरवरी, 2024 में सालाना आधार पर 11.9 फीसदी बढ़कर 41.4 अरब डॉलर पहुंच गया। यह मार्च, 2023 के बाद सर्वाधिक निर्यात है।

इसके अलावा, भारत ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और मध्य एशिया जैसे नए बाजारों में अप्रैल-दिसंबर, 2023 अवधि के दौरान 23.4 करोड़ डॉलर की कारों, दोपहिया-तिपहिया वाहनों व कीमती धातुओं समेत अन्य उत्पादों का निर्यात किया। एजेंसी

बेहतर संभावनाओं के बीच लक्ष्य पाना संभव
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, मध्य से लंबी अवधि में भारतीय निर्यात को लेकर संभावनाएं काफी उत्साहजनक हैं। हम 2030 तक एक-एक लाख करोड़ डॉलर की वस्तुओं व सेवाओं दोनों के निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने की दिशा में अग्रसर हैं। हालांकि, 2024-25 की पहली तिमाही में उच्च महंगाई व विभिन्न देशों के बीच तनाव से निर्यात के मोर्चे पर भारत को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सहाय ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी फेड रिजर्व अपनी अगली समीक्षा में दरों में कटौती करना शुरू कर देगा। इससे अन्य देश के केंद्रीय बैंक भी दरें घटाने को प्रेरित होंगे, जिससे मांग को बढ़ावा मिलेगा।

आईपीओ से 70,000 करोड़ जुटा सकती हैंं कंपनियां, 2024-25 में शेयर बाजारों में तेज उछाल का मिलेगा फायदा

कंपनियां 2024-25 में प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) से 70,000 करोड़ रुपये जुटा सकती हैं। 2023-24 में कंपनियों ने आईपीओ से 62,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। शेयर बाजार की तेजी अगले वित्त वर्ष में भी जारी रहने की उम्मीद है। इसलिए, इसका फायदा इश्यू लाने वाली कंपनियां उठा सकती हैं। विदेशी निवेशक भी बाजार में अच्छी खासी रकम निवेश कर सकते हैं।

आंकड़ों के अनुसार, 19 कंपनियां मिलकर 25,000 करोड़ रुपये जुटा सकती हैं। इन सबको पूंजी बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिल चुकी है। 37 कंपनियां इश्यू से 45,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही हैं। इन्होने सेबी के पास मसौदा जमा कराया है। सभी कंपनियां सेबी से मंजूरी का इंतजार कर रही हैं।

कुल 56 कंपनियों में से नौ कंपनियां नए जमाने की टेक सेक्टर की हैं। ये करीब 21,000 करोड़ रुपये आईपीओ के जरिये जुटा सकती हैं। अगले वित्त वर्ष में आईपीओ की रफ्तार तेज रहने की उम्मीद है। बड़ी कंपनियां भी बाजार में उतरने वाली हैं। इसमें टाटा कैपिटल से लेकर बिग बॉस्केट तक शामिल हैं।

इसलिए आएगी तेजी
आईपीओ को जिस वजह से तेजी मिलेगी, उनमें घरेलू पूंजी में वृद्धि, बेहतर गवर्नेंस, एफडीआई समर्थन के साथ अनुकूल सरकारी नीतियां और संस्थागत निवेशक शामिल हैं। विशेषज्ञों की मानें तो आम चुनाव के बावजूद अप्रैल व मई में कुछ आईपीओ लॉन्च होते दिखेंगे।

कारोबारियों को एक अप्रैल से हर हफ्ते देनी होगी गेहूं भंडार की सूचना, केंद्र सरकार का निर्देश

केंद्र ने गेहूं की जमाखोरी व कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए कारोबारियों को इसके भंडार की जानकारी हर सप्ताह सरकारी पोर्टल पर देने का आदेश दिया है। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कारोबारी, थोक कारोबारी, खुदरा विक्रेता, बड़ी शृंखला वाले खुदरा विक्रेता व प्रोसेसर्स को एक अप्रैल से भंडार की घोषणा करनी होगी।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा, भंडार की जानकारी हर शुक्रवार को सरकारी पोर्टल https://evegoils.nic.in/wheat/login पर अगले आदेश तक देनी होगी। सभी संबंधित वैधानिक संस्थाएं सुनिश्चित करें कि पोर्टल पर भंडार की नियमित व उचित रूप से जानकारी प्रदान की जाए। केंद्र ने पिछले साल गेहूं के दाम नियंत्रित करने के लिए इसकी भंडारण सीमा तय की थी। यह सीमा 31 मार्च को खत्म हो रही है।

आपके काम की खबर, 30-31 मार्च को खुले रहेंगे बैंक और एलआईसी ऑफिस

करदाताओं और आम लोगों की सुविधा के लिए एलआईसी और आयकर ऑफिस 30 और 31 मार्च को खुले रहेंगे। एलआईसी से पॉलिसी लेकर टैक्स बचाने की इस वित्त वर्ष की अंतिम तारीख 31मार्च होगी। इसके अलावा आयकर कार्यालय में कर जमा करने समेत अन्य प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी। 30 मार्च को पांचवां शनिवार है, इसलिए बैंक हमेशा की तरह खुले रहेंगे। इसके अगले दिन यानी 31 मार्च को भी बैंक खुले रहेंगे। ऐसा इसलिए ताकि सरकारी लेनदेन को पूरा किया जा सके।

नई बीमा पॉलिसी एक अप्रैल से सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में होंगी जारी, जानें ई-बीमा की पूरी डिटेल्स

अगर आप 1 अप्रैल 2024 के बाद बीमा खरीदने वाले हैं, तो अब यह आपको सिर्फ डिजटल फॉर्मेट में ही मिलेगा। क्योंकि अब बीमा कंपनी भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के पॉलिसीधारकों के हितों के संरक्षण नियमों के अनुसार पॉलिसी सिर्फ डिजिटल रूप में जारी करेगी। नए नियमों के मुताबिक, बीमा कंपनियों के लिए डीमैट फॉर्म में पॉलिसी जारी करना अनिवार्य है और अब इसे चार बीमा रिपोजिटरी – CAMS रिपोजिटरी, Karvy (कार्वी), NSDL डेटाबेस मैनेजमेंट (NDML) और सेंट्रल इंश्योरेंस रिपोजिटरी ऑफ इंडिया द्वारा सुगम बनाया जाएगा।

ई-बीमा खाते क्या हैं?

ई-बीमा खातों में डिजिटल रूप में पॉलिसी जारी करना और रखना शामिल है। जबकि ज्यादातर निजी बीमाकर्ता पहले से ही पॉलिसीधारकों के लिए ई-बीमा खाते खोलते हैं, पॉलिसीधारक अन्य पॉलिसी को इलेक्ट्रॉनिक रूप में खरीदने और रखने का ऑप्शन चुन सकते हैं।

अब क्या बदल जाएगा?

1 अप्रैल से बीमा कंपनियों के लिए सिर्फ डिजिटल पॉलिसी जारी करना अनिवार्य है। IRDAI के नियमों में कहा गया है, “चाहे प्रपोजल इलेक्ट्रॉनिक रूप में मिला हो या किसी और तरीके से, हर बीमाकर्ता सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक रूप में बीमा पॉलिसी जारी करेगा।”