Friday , November 22 2024

हेल्थ

अत्यधिक मात्रा में ताड़ के तेल का सेवन करने से लिवर हो सकता हैं डैमेज

बहुत अधिक ताड़ के तेल का सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसमें सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है. सैचुरेटेड फैट आपके एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकते हैं.

दैनिक सैचुरेटेड फैट के सेवन को आपके दैनिक कैलोरी के 5-6% से अधिक तक सीमित करने की सिफारिश करता हैअत्यधिक मात्रा में ताड़ के तेल का सेवन करने से सैचुरेटेड फैट की हाई मात्रा के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

1. लिवर डैमेज
पाम ऑयल के अत्यधिक सेवन से भी लिवर खराब हो सकता है,  लिवर को सैचुरेटेड फैट की हाई मात्रा को संसाधित करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है.

2. पोषक तत्वों की कमी
बहुत अधिक ताड़ के तेल का सेवन करने से आपके आहार में अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी विस्थापित हो सकते हैं,  ओमेगा -3 फैटी एसिड, जिससे पोषक तत्वों की कमी हो सकती है.

3. दिल की बीमारी का खतरा
ताड़ के तेल में सैचुरेटेड फैट अधिक होता है, आपके एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती है. इससे दिल की बीमारी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है.

4. वजन बढ़ना और मोटापा
अधिक मात्रा में ताड़ के तेल का सेवन करने से वजन और मोटापा बढ़ सकता है,डायबिटीज और कुछ कैंसर सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है.

5. पाचन संबंधी समस्याएं
अत्यधिक मात्रा में ताड़ के तेल का सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं.

इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को चोट लगने के बाद दीखते हैं कुछ ऐसे लक्ष्ण

हीमोफीलिया एक दुर्लभ अनुवांशिक रोग है, जिसमें खून का थक्का (ब्लड क्लॉट) बनना बंद हो जाता है। यह रोग शरीर में कुछ खास प्रोटीन्स की कमी से होता है।

इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को चोट लगने या त्वचा के कट जाने पर खून निकलना बंद नहीं होता है। हीमोफीलिया के रोगियों के लिए जरा सी भी चोट लगना खतरनाक साबित हो सकता है  इस खतरनाक बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके। इस बीमारी का इलाज बहुत मुश्किल है.

हीमोफीलिया के रोगियों को अपनी डाइट में आयरन से भरपूर भोजन को शामिल करना चाहिए। आयरन शरीर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करता है। हीमोफिलिया रोगियों के लिए शरीर में आयरन के स्तर को बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। क्योंकि जब शरीर से खून बहता है, तो आयरन की कमी हो जाती है।

हीमोफीलिया रोगियों को डाइट में कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। यह हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है और दातों को स्वस्थ रखता है। हीमोफीलिया के मरीजों के लिए दांतों की सही देखभाल करना जरूरी होता है, क्योंकि उन्हें मसूड़ों से संबंधित समस्या होने पर ब्लीडिंग हो सकती है। अपनी डाइट में लो फैट मिल्क, लो फैट चीज, दही, फलियां, सोया मिल्क, बादाम और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक और ब्रोकली शामिल कर सकते हैं।

बच्चों को कभी भी पैकेज्ड फ्रूट जूस न दें, जानिए इससे होने वाले नुक्सान

फलों का रस हमारे स्वास्थ्य के लिए टॉनिक का काम करता है। यह शरीर को एनर्जी देता है और कई बीमारियों से भी बचाता है। आजकल बाजार में कई कंपनियां पैकेज्ड जूस बेच रही हैं।

कंपनियां इसके असली होने का दावा करती हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ये जूस सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। छोटे बच्चों के लिए तो यह ज्यादा खतरनाक (पैकेज्ड फ्रूट जूस साइड इफेक्ट) है।

अक्सर मांएं बच्चों को टिफिन में पैकेज्ड जूस देती हैं। उन्हें लगता है कि इससे शिशु ऊर्जा से भरपूर रहेगा और उसकी सेहत में सुधार होगा।  ऐसा करके आप अनजाने में सही बच्चों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।

पैकेज्ड जूस के साइड इफेक्ट
1. पैकेज्ड जूस में प्रिजर्वेटिव पाए जाते हैं, जो शरीर में चर्बी बढ़ाने का काम करते हैं. यह नर्वस सिस्टम पर भी बुरा प्रभाव छोड़ता है।
2. अगर आप पैकेज्ड जूस का सेवन करते हैं तो गैस या एसिडिटी की समस्या हो सकती है.
3. पैकेट वाले फलों का जूस बहुत मीठा होता है. यह शरीर में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है।
4. बाजार में मिलने वाले पैकेज्ड जूस में चीनी मिलाकर बेचा जाता है। अगर आप इसका रोजाना इस्तेमाल करते हैं तो वजन तेजी से बढ़ सकता है।

रेफ्रिजरेटर का पानी पीने की जगह पिए मटके का पानी नहीं होगी कोई बीमारी

देसी फ्रिज कहा जाने वाले मटके की लोकप्रियता एसी और रेफ्रिजरेटर के दौर में कम होने लगी है। लेक‍िन गर्मी के दिनों में फ्रिज का ठंडा पानी पीने की बजाए मटके का पानी पीना ही बेहतर रहता है।

आजकल लोग शरीर का पीएच लेवल मैंटेन करने के लिए अलग-अलग तरीके से एल्‍काइन वाटर को पीने लगे है। जबक‍ि मटके की मिट्टी में मौजूद नेचुरल एल्‍काइन गुण पानी की अम्लता के साथ प्रभावित होकर, शरीर को उचित PH संतुलन देता है। शरीर का पीएच लेवल मैंटेन रहने से कई तरह की बीमारियां शरीर को छू पी नहीं पाती है।

घड़े का पानी पीने से सर्दी-जुकाम जैसी समस्या नहीं होती, जबकि फ्रिज का पानी पीने से इम्यून‍िटी कमजोर होती है। घड़े की पानी की एक खासियत ये भी है क‍ि मिट्टी के घड़े का पानी पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती। घड़े का पानी पीने से टॉक्सिक पदार्थ बाहर न‍िकलते हैं।

पानी के घड़े को तीन महीने से ज्यादा इस्तेमाल में नहीं लेना चाह‍िए, क्योंकि मिट्टी में मौजूद मिनरल तीन म‍हीनें में खत्म हो जाते हैं। तीन महीने बाद नया घड़ा इस्तेमाल लाना चाहिए।

कई स्वास्थ्य समस्याओं से आपको छुटकारा दिला सकता हैं पपीता

पीते को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। लेकिन पपीते में कुछ दुष्प्रभाव भी होते हैं। इसे दुबारा खाने के लिए सोचना पड़ सकता है। सुनहरा पीला पपीता डायटरी फाइबर का एक हेल्दी स्रोत है।

पपीता में कैलोरी और फैट कम मात्रा में होता है।पपीता ना सिर्फ गर्भवती महिलाओं के लिए बल्कि पाचन और एलर्जी वाले लोगों के लिए भी नुकसानदायक हो सकता है। यहां आपको पपीता खाने के दुष्प्रभाव के बारे में बताते हैं।

पपीते में मौजूद लेटेक्स में खून को पतला करने वाले प्रभाव को बढ़ाने की क्षमता होती है। इसलिए अगर आप खून को पतला करने वाली दवाई ले रहे हैं तो अपने आप को इसके बचाने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

सभी रेशेदार फलों की तरह पपीता में अधिक मात्रा में सेवन करने पर दस्त बढ़ा सकता है । जैसे आपको डिहाइड्रेशन का खतरा भी हो सकता है। नंबर कब्ज हो सकता है

आज हम आपको बताएंगे तरबूज खाने का सही तरीका, जिसे नहीं जानते होंगे आप

र्मी के मौसम में खुद को हेल्दी डाइट रखने के लिए हम मौसमी फल खाते हैं । पानी की भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम, पोटेशियम, लोहा और कैल्शियम जैसे कई मिनरल्स होते हैं। कुछ लोग तो गर्मी आते ही अनाज खाना कम कर फल और जूस ज्यादा लेते हैं।

तरबूज खरबूज खरबूज में पानी होता है यह शरीर को ठंडा ,हाइड्रेट एनर्जेटिक हेल्दी रखता है। इसके बावजूद अगर इन्हे गलत तरीके से गलत समय पर खाएंगे तो फायदे की जगह नुकसान होगा।

एक साथ खूब सारा ना खाये। गर्मी में रोज तरबूज खाने से पेट रिलेटेड प्रॉब्लम से छुटकारा मिल सकता है। इसे खाने के कुछ नियम है।जैसे जिन महिलाओं को पीसीओडी की समस्या है उन्हें सुबह खाली पेट तरबूज खाने से बचना चाहिए।

बाजार से लाकर तुरंत ना खाएं कुछ देर पानी में डाल कर रखे और फिर खाए।खाने के तुरंत बाद पानी न पिएं। इससे बैक्टीरिया फैलने का रिस्क बढ़ जाता है। पेट में इन्फेक्शन हो सकता रात के समय तरबूज नहीं खाना चाहिए इस तरह इस समय तरबूज को पचाना मुश्किल होता है जिससे आंतो में जलन हो सकती है .

छींक से कैसे करें बचाव यहाँ जानिए इससे बचाव के कुछ तरीके

सर्दी हो या गर्मी, छींकना हमारे लिए बहुत नॉर्मल बात होती है। कई बार हम जुकाम की समस्या से ग्रस्त नहीं होते हैं, तब भी हमें छींक आ जाती है। किसी व्यक्ति को ज्यादा छींक आए तब यह समस्या की बात हो सकती है। छींकना आपके शरीर के विजिबल, माइक्रोस्कोपिक एलर्जी, वायरस से छुटकारा पाने का बहुत ही बेहतरीन और प्रकृति द्वारा निर्धारित सेफ तरीका है।

 नाक के अंदर डस्ट और पाउडर जैसी चीजें जाने की वजह से भी छींक आ जाती है। जब कोई पार्टिकल हमारे नाक के जरिये शरीर में घुसने की कोशिश करता है, तो इंसान को इरिटेशन और अनकंफर्टेबल महसूस होता है।

छींक से कैसे करें बचाव

– विटामिन सी का सेवन करें: NCBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक विटामिन सी एक एंटीहिस्टामाइन है। यह कई खट्टे फलों और सब्जियों में पाया जाता है। जिन लोगों को लगातार छींक आती रहती है, उन्हें अपने आहार में विटामिन सी का सेवन जरूर करना चाहिए।

– कैमोमाइल चाय: बता दें कि कैमोमाइल चाय न केवल आपकी थकान दूर करती है बल्कि छींक को रोकने में भी मदद करती है। फ्लू के दौरान एक कप कैमोमाइल चाय बहुत लाभकारी होती है।

मूली का सेवन करने से शरीर को होते हैं कई लाभ

मूली का सेवन करने से कई फायदे होते है आप मूली की सब्जी और सलाद बनाकर भी सेवन कर सकती है आज हम आपको मूली से होने वाले फायदों के बारे में बताने जा रहे है तो चलिए जानते है |

 

सर्दी-जुकाम
कच्ची मूली का 20-30 मिली जूस निकालकर मिले लें। इसे सर्दी-जुकाम की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।

एसिडिटी को करे छूमंतर
अगर आप एसिडिटी की समस्या से परेशान है तो कच्ची मूली का सेवन करें। इससे आपको लाभ मिलेगा।

पथरी
पथरी की समस्या से निजात दिलाने में भी मूली फायदेमंद साबित हो सकती हैं। इसके लिए 100 ग्राम मूली के पत्तों का रस निकाल लें। इसे दिन में करीब 3 बार पिए। इससे स्टोन यूरीन के माध्यम से बाहर निकल जाएगा।

 

क्या आपके बच्चे की आंखों में हो रही हैं सूखापन की समस्या तो इसे न करें नज़रंदाज़

बच्चे की आंखों में सूखापन होने की समस्या आम नहीं होती है। इसके कारण बच्चे बार-बार आंख रगड़ते हैं। इसे आंखें लाल हो सकती है और इसके कई अन्य परिणाम हो सकते हैं। अगर ये दिक्कत आपके बच्चे में भी हो रही है, तो इसे बिल्कुल इग्नोर न करें।

यदि बच्चे की आंखें बार-बार सूख रही हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं और उचित इलाज कराएं। ऐसा नहीं करने पर बच्चे की आंखों को नुकसान हो सकता है और ये परेशानी अधिक बढ़ सकती है। आइए बच्चों की आंखों में सूखेपन के कारण और कुछ उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

बच्चे की आंखों में सूखापन के लक्षण

1. सूखापन और बेचैनी के कारण बच्चे अक्सर अपनी आँखें रगड़ना

2. आंखों का गर्म और शुष्क महसूस होना

3. आँखों में बार-बार पानी आना

4. और चुभन महसूस होना

5. आंखों से धुंधला दिखना

आंखों के सूखेपन का उपचार

इसके लिए आप सबसे पहले बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं और उन्हें समस्या के बारे में बताएं ताकि इसका समाधान हो सके। इसके अलावा आप बच्चे की आंखों को लगातार नमी देना का प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर द्वारा सुझाए गए आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

 

केसर को चेहरे पर लगाने से डेड स्किन से पाए छुटकारा जानिए इसके कुछ बेनेफिट्स

केसर के सेहत को कई तरह के फायदे होते हैं. जी दरअसल केसर का आयुर्वेदिक गुण, कई छोटी-छोटी बीमारियों को ठीक करने में आपकी मदद कर सकता है. ऐसे में आयुर्वेद में केसर के अनेक गुण बताए गए हैं केसर को चेहरे पर लगाने से डेड स्किन हट जाती है और साफ और चमकदार त्वचा सामने आती है।

अगर छोटे बच्चे को सर्दी-जुकाम हो, तो इसके लिए बच्चे को दूध में मिलाकर केसर देना चाहिए. अदरक के रस में केसर और हींग को मिलाकर बच्चे या बड़े की छाती पर लगाने से लाभ मिलता है.

अगर आपके चेहरे पर दाग-धब्बे या चोट के निशान हैं तो 5-6 तुलसी के पत्तों को मसलकर उसमें दो चुटकी केसर मिलाएं। अब इसे चेहरे पर लगाएं और सूखने के बाद धो दें। इससे चेहरे के मार्क्स हट जाएंगे।

आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए 10 केसर के रेशे दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है.असली चंदन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और सिर दर्द नहीं होता है.अजवाइन के साथ केसर मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है. जी दरअसल केसर का सेवन करने से हृदय संबंधी रोग दूर होते हैं.