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हेल्थ

High Uric Acid की समस्या से ग्रसित लोगों को जरुर रखना चाहिए इन बातों का ध्यान

शरीर में यूरिक एसिड बढ़ना (High Uric Acid) आजकल बहुत सामान्य समस्या बनती जा रही है। इसकी एक बड़ी वजह लॉकडाउन के कारण शारीरिक गतिविधियों में आई कमी भी है। यदि आपको भी यूरिए एसिड बढ़ने की समस्या है तो यहां जानें कि किन घरेलू और आसान तरीकों से आप इस बढ़े हुए एसिड को नियंत्रित कर सकते हैं…

1- वजन कम रखें- यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के लिए आपको वजन कम रखना बहुत जरूरी है. हेल्दी बॉडी वेट से गाउट फ्लेरेस के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है. वजन बढ़ने से गाउट का खतरा बढ़ जाता है. वजन बढ़ने से मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है. जिससे हार्ट, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है.

2- शुगर वाले ड्रिंक और शराब से बचें- यूरिक एसिड कंट्रोल करने के लिए शराब और मीठे ड्रिंक्स कम पीएं. सोडा, कोल्डड्रिंक जैसे मीठे रस से गाउट का जोखिम बढ़ जाता है. इनमें कैलोरी ज्यादा होती है. जिससे वजन बढ़ने और चयापचय की समस्या हो सकती है.

3- विटामिन सी भरपूर लें- यूरिक एसिड कंट्रोल करने के लिए विटामिन सी से भरपूर भोजन खाना चाहिए. इससे गाउट का खतरा कम हो जाता है. रिसर्च में पाया गया है कि विटामिन सी से ब्लड में यूरिक एसिड का लेवल कम होता है.

 

हड्डियों के कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण हैं कैल्शियम की कमी, इसे ऐसे करें दूर

हमारा लाइफस्टाइल और खान-पान ऐसा हो गया है कि हमारा शरीर कब किस बीमारी की गिरफ्त में आ जाता है हमें पता ही नहीं चलता। तला भुना और मसालेदार खाना हमारा प्रमुख भोजन बनता जा रहा है।

खाने से पोष्क तत्व गायब होते जा रहे है। हेल्दी खाने के नाम पर सिर्फ वसा का सेवन भरपूर मात्रा में कर रहे हैं। नतीजा हमारा वजन दिनों-दिन बढ़ता जा रहा, हड्डियां कमजोर होती जा रही है। हड्डियों के कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण कैल्शियम की कमी होना है। कैल्शियम की कमी को हाइपोकैल्सीमिया भी कहा जाता है।

1 तिल- अगर आप दूध-दही का सेवन नहीं करते हैं तो आप कैल्शियम के लिए खाने में तिल जरूर शामिल करें. कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए तिल काफी फायदेमंद हैं. एक टेबल स्पून तिल में करीब 88 मिग्रा कैल्शियम पाया जाता है. आप तिल का इस्तेमाल सूप, सीरियल्स या सलाद में डालकर भी कर सकते हैं. सर्दियों में तिल के लड्डू भी आप खा सकते हैं.

2- आंवला- आंवला में भी काफी मात्रा में कैल्शियम होता है. इसके अलावा आंवला में एंटीऑक्सीडेंट गुण काफी होते हैं जो शरीर को इंफेक्शन से बचाते हैं. आंवला खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. आप आंवला का जूस या आंवला को पाउडर के रुप में भी खा सकते हैं.

3- जीरा- जीरा सिर्फ खाने में स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है. जीरा खाने से शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा किया जा सकता है. इसके लिए आप 1 गिलास पानी उबाल लें अब उसमें 1 टीस्पून जीरा मिला लें. पानी को ठंडा करके दिन में कम से कम 2 बार पिएं.

इन चीजों को अपनी डाइट में शामिल करके आप भी पा सकते हैं स्ट्रांग इम्यून सिस्टम

कोरोना काल में हम सभी एक एक स्ट्रांग इम्यून सिस्टम के महत्व को अच्छी तरह से समझ चुके हैं। हर कोई अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के प्रयास में लगा हुआ है।

हर कोई फार्मेसी से लेकर देसी तरीकों के जरिए अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली बढ़ाने की कोशिश में लगा हुआ है ताकि कोविड के अटैक से बचा जा सके। जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि कोरोना वायरस उन्हें अपना शिकार नहीं बनाता जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यहां हम आपको कुछ देसी नुस्खे ही बता रहे हैं जिनके जरिए आप घर अपनी इम्यूनिटी को आसानी से बढ़ा सकते हैं।

तीखे फल- विटामिन सी आपके इम्यून सिस्टम को बनाने में मदद करता है. समझा जाता है कि उसके इस्तेमाल से सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ता है, जो संक्रमण और जुकाम के खिलाफ लड़ाई की बुनियाद है. करीब सभी तीखे फलों में विटामिन सी पाया जाता है. लोकप्रिय तीखे फलों में नींबू, संतरा, चकोतरा माने जाते हैं.

लहसुन- लहसुन करीब हर घर में पाया जाता है. ये भोजन का स्वाद बढ़ाता है और आपको स्वस्थ भी रखता है. संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में उसका महत्व शुरुआती सभ्यता से बरकरार है. लहसुन के इम्यूनिटी बढ़ानेवाले गुम सल्फर युक्त यौगिकों जैसे एलीसिन से आते हैं.

कीवी- कीवी में फोलेट, पोटैशियम, विटामिन के और विटामिन सी समेत कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. एक तरफ विटामिन सी संक्रमण से लड़ने के लए सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है जबकि दूसरी तरफ कीवी के दूसरे पोषक तत्व आपके शरीर के बाकी काम को मुनासिब रखते हैं.

लहसुन- लहसुन करीब हर घर में पाया जाता है. ये भोजन का स्वाद बढ़ाता है और आपको स्वस्थ भी रखता है. संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में उसका महत्व शुरुआती सभ्यता से बरकरार है. लहसुन के इम्यूनिटी बढ़ानेवाले गुम सल्फर युक्त यौगिकों जैसे एलीसिन से आते हैं.

कीवी- कीवी में फोलेट, पोटैशियम, विटामिन के और विटामिन सी समेत कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. एक तरफ विटामिन सी संक्रमण से लड़ने के लए सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है जबकि दूसरी तरफ कीवी के दूसरे पोषक तत्व आपके शरीर के बाकी काम को मुनासिब रखते हैं.

आंखों की रोशनी कम हो गई हैं तो आप भी करें ये सरल एक्सरसाइज

एक मिनट के लिए अपनी आँखों बन्द करिये, आपने क्या देखा? जाहिर है आपको कला, घना अधेंरा नजर आया होगा । अब जरा सोचिये क्या हो अगर हमें हर जगह यही अधेंरा नजर आए यानि आँखों की रोशनी चली जाए? इसका ख्याल भी हमारे अदंर डर की कपकपी छोड़ देता है ।

क्योकि आँख इंसान के सबसे जरूरी अंगों में से एक है और सबसे जटिल अंग भी है । इसके बिना हम फूलों पर शबनम की बूँदे नही देख सकते, बच्चे की प्यारी मुस्कान और नंगे पहाड पर छाई हरी घास की चादर भी नही देख सकते ।

केवल आँखो रोशनी खराब होने से हम पूरी तरह इस दुनिया से कट जाते है । इस दुनिया में वसी खूबसूरती और प्यार को नही देख सकते । लेकिन अफसोस की बात है की आज लोग कुदरत के द्वारा दिये गए इस दोफे यानी आँखो की रोशनी से खेलते हैं ( मैं भी उनमे से एक हूँ ) ।

जब भी हम लैपटॉप या मोबाइल पर काम करते हैं तो काम में इतने मगन हो जाते हैं कि एक टक लैपटॉप पर काफी देर तक नजरें गड़ाकर रखते हैं. ऐसे में पलकों को झपकने का मौका काफी देर तक नहीं मिल पाता.

हर चार सेकंड में अपनी पलकों को लगातार झपकाएं और फिर आंखें तेजी से बंद कर लें. कुछ सेकंड बंद रखें और फिर आंखों को खोल लें. दिन में 4 से 5 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं. इससे तनाव कम होगा, आंखों की थकान दूर होगी और आंखों में दुबारा से लुब्रिकेशन हो जाएगा.

इसके लिए एक पेन या पेंसिल को एक हाथ की दूरी पर रखकर अपनी आंखों के सामने पकड़ें और उसकी टिप पर फोकस करें. धीरे-धीरे उसे अपनी आंखों की ओर लेकर आएं. जब तक टिप आपको एक से दो न दिखाई देने लगे, तब तक उसे देखते रहें. जैसे ही टिप दो भागों में बंटे, इसे फिर से दूर ले जाएं और इस क्रम को फिर से दोहराएं. एक बार में ये क्रम 10 से 15 बार दोहराएं.

रस्सी कूदना आपके शरीर के लिए कुछ इस प्रकार हैं लाभदायक, नहीं जानते होंगे आप

रस्सी कूदना लगभग हर किसी को पसंद होता है और बचपन में तो आपस में शर्तें लगती थीं कि कौन सबसे ज्दाया रस्सी कूद सकता है. हालांकि आझ भी लोगों में इसका क्रेज कम नहीं हुआ है, इसे अगर आप दिन में दो बार करते हैं.

तो इससे आपीक पूरी बॉडी का वर्कआउट हो जाता है. रस्सी कूदने की अच्छी बात ये है की आप इसे कहीं भी कभी भी कर सकते हैं और ये आपके साथ कहीं भी जा सकता है.

फार्मेसी डॉट इन की एक रिपोर्ट के मुताबिक रस्सी कूदना सबसे अच्छा कार्डियो व्यायाम है क्योंकि यह हृदय गति को बढ़ाता है. इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा काफी कम हो सकता है.

अगर आप अपने पूरे शरीर पर जोर देकर कोई काम कर रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि इससे आपका शरीर ज्यादा थका हुआ महसूस करता है. रस्सी कूदने से हाथों, पैरों के शरीर के अन्ये अंगों का भी व्याकयाम हो जाता है और पूरा शरीर ऊर्जावान बन जाता है.

लगातार काम करने से आप थका हुआ महसूस कर सकते हैं. स्किपिंग आपको अपनी सहनशक्ति में सुधार करने में मदद कर सकता है. जितना अधिक आप नियमित रूप से स्किपिंग करते हैं, उतना ही आपकी सहनशक्ति बढ़ती है. लगातार स्किपिंग रेंज का अभ्यास थकान से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है.

पुश अप्स लगाने का ये सही तरीका महिलाओं के लिए हैं बेस्ट, डाले एक नजर

डायमंड, क्लोज़, स्पाइडर मैन या स्फिंक्स- पुश अप्स के बहुत से अच्छे प्रकार हैं। अगर हम इनके परिणाम की बात करें, तो वो और भी ज्यादा अच्छे हैं। लेकिन पुश अप्स की दुनिया में एक कदम आगे बढ़ाने के लिए, पहले यह जरूरी है कि आप उसके मौलिक तरीके सीख लें। एक बार आप ने वो सीख लिया, तो फिर आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।

नी पुश अप्स को काफी हद तक सामान्य पुश अप्स की तरह ही किया जाता है. आप सबसे पहले अपनी कमर, गर्दन और कूल्हों को एक सीध में रखते हुए दोनों हथेलियों को जमीन पर टिका लें और दोनों पैरों को पीछे की तरफ खोलते हुए सीधा रखें.

फुल-फ्लोर पुश-अप करने से पहले अपने कंधों में ताकत लाएं। अगर आपके रोटेटर कफ़ मसल्स में किसी तरह की कमज़ोरी है तो वॉल या लेज पुश अप करें। एक बार आपके कंधो में ताकत आ जाए फिर आप फ्लोर पुशअप कर सकते हैं।

इसके बाद घुटनों को नीचे लाते हुए जमीन पर टिकाएं, ध्यान रखें कि कूल्हों के ठीक नीचे नहीं लाना है. अब दोनों पैरों को एक के ऊपर एक चढ़ा लें. इसके बाद कोहनी मोड़ते हुए छाती को जमीन के पास लाकर वापिस पहले वाली स्थिति में ले जाएं. इसके 8 से 10 रैप्स के तीन सेट्स करें.

सामान्य पुश अप्स को ही फुल पुश-अप्स कहा जाता है. इसे करने के लिए आपको प्लैंक की पोजीशन में आना होता है. उसके बाद अपनी कोहनियों को मोड़ते हुए छाती को जमीन के पास लाना होता है और फिर वापिस पुरानी स्थिति में जाना होता है. इसके 8 से 10 रैप्स के तीन सेट्स करने चाहिए.

गर्भावस्था में मछली और समुद्री फूड के साथ साथ इन चीजों का नहीं करना चाहिए सेवन

बाहर खाना खाना आज के समय में सोशलाइज होने का एक तरीका बन गया है, फिर चाहे परिवार के साथ अच्छा समय बिताना हो, अपने पार्टनर के साथ मूवी एंजॉय करना हो या काम के बाद कलीग्स के साथ बाहर जाना हो, बाहर खाना खाना अब एक प्रचलन बन गया है। लेकिन जब गर्भावस्था की बात आती है तो आपको कोई भी कदम उठाने से पहले सोचना चाहिए।

चाइनीज फूड दुनिया भर में सबसे पॉपुलर खानों में एक माना जाता है, अगर आप प्रेगनेंट हैं तो आपको थोड़ा रुक कर इस विषय में सोचना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान आपको चाइनीज फूड खाने की क्रेविंग हो सकती, इसलिए आपको किस चीज से परहेज करना चाहिए यह जानना आपके लिए जरूरी है।

मछली और समुद्री फूड- बड़ी मछली जिसमें पारा का उच्च लेवल होता है, उसका इस्तेमाल नवजात या छोटे बच्चे के लिए नुकसानदेह होता है. उसका इस्तेमाल नर्वस सिस्टम और दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए, टूना शार्क, स्वोर्डफ़िश, वॉली, मार्लिन जैसी मछलियों के इस्तेमाल से परहेज करें. उसके अलावा, अधपकी मछली को भी न खाएं.

पपीता- प्रेगनेन्सी में पपीता खाना रिस्की और खतरनाक हो सकता है. कच्चा या अधपका पपीता में लाटेकस नामक एंजाइम होता है, जो यूटराइन कॉन्ट्रैक्शन्स को बढ़ावा देता है.

चाइनीज फूड- नूडल्स और चाइनीज फूड से तो प्रेगनेन्सी में बिल्कुल बचा जाना चाहिए. चाइनीज भोजन में अजीनोमोटो का इस्तेमाल होता है. अजीनोमोटो एक तरह का कैमिकल है. अजीनोमोटो को मोनोसोडियम ग्लूटामेट भी कहते हैं. उसके इस्तेमाल से भ्रूण का दिमागी विकास प्रभावित हो सकता है.

ब्‍लड प्रेशर की समस्या से हैं ग्रसित तो खानपान में जरुर करें ये बदलाव

अगर आपको ब्‍लड प्रेशर की प्रॉब्‍लम है तो खानपान में बदलाव लाने से आपको कई फायदे हो सकते हैं. ये कोई बड़े नहीं बल्कि मामूली से बदलाव हैं.

एक नए अध्ययन से पता चला है कि बादाम, सोया, दाल, फलियां खाने से कई बीमारियों में राहत मिलती है. इस अध्‍ययन में कहा गया है कि इन्‍हें प्रतिदिन खाने से रक्तचाप, सूजन (इनफ्लेमेशन) समेत हृदयरोग संबंधी बीमारी के कई जोखिम कम हो सकते हैं

पादप आधारित भोजन को कम संतृप्त वसा वाले आहार के साथ सेवन करने से कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रोल) में 30 प्रतिशत की कमी आती है.

पानी या तरल पदार्थ- पानी या जूस की शक्ल में तरल पदार्थों का सेवन डिहाइड्रेशन से लड़ने में मदद करता है. अपर्याप्त पानी का इस्तेमाल खून की मात्रा कम कर देता है और आगे ब्लड प्रेशर कम होने का कारण बनता है. डॉक्टरों के मुताबिक, लो बीपी वालों को रोजाना कम से कम 8 प्याला पीना चाहिए. उनको अल्कोहल के इस्तेमाल से भी दूरी बनानी चाहिए.

कैफीन- कॉफी और कैपीन युक्त चाय कार्डियोवास्कुलर सिस्टम को उत्तेजित करते हैं और हृदय गति को बढ़ावा देते हैं. इस वजह से कैफीन का इस्तेमाल कम समय में मुफीद साबित हो सकता है.

नमक- नमक गिरते हुए ब्लड प्रेशर को ऊपर उठाने में मदद करता है. अगर आपको ब्लड प्रेशर की समस्याओं का अनुभव हो रहा है, तो आपको सोडियम के सेवन को संयमित रूप से बढ़ाना चाहिए.

हरे बादाम में मौजूद विटामिन ई बच्चे को अस्थमा के जोखिम से करेगा दूर

कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें बादाम डाइजेस्ट नहीं होते लेकिन डॉक्टर ने उन्हें बादाम खाने की सलाह दी होती है। ऐसे में डाइट को मेंटेंन रखना बहुत मुश्किल हो जाता है। आपको भी अगर ऐसी ही समस्या है। तो आप हरे बादाम को डाइट में शामिल कर सकते हैं। हरा बादाम भी पोषण से भरा होता है।

हरे बादाम के फायदे
-हरे बादाम स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं, क्योंकि ये एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होते हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल सकते हैं। ये रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
-ये बादाम वजन घटाने के लिए अच्छे हैं, क्योंकि इनमें स्वस्थ वसा शामिल है। ये अतिरिक्त वसा को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
-हरे बादाम पेट के लिए अच्छे होते हैं, क्योंकि इनमें बहुत अधिक फाइबर होता है, जो पाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाता है और कब्ज से मुक्ति दिलाता है।
-ये बालों के लिए भी फायदेमंद हैं, क्योंकि इनमें विटामिन, खनिज और कई अन्य पोषक तत्व होते हैं।
-हरा बादाम फोलिक एसिड का अच्छा स्रोत है, जो भ्रूण के मस्तिष्क और न्यूरोलॉजिकल विकास में मदद करता है। इसमें मौजूद विटामिन ई बच्चे को अस्थमा के जोखिम से बचाता है।

कैसे खाएं हरा बादाम – बादाम को गुनगुने पानी में भिगोकर रात भर के लिए रख दें और सुबह छीलकर खा लें। बादाम को खाने का सही तरीका रात में भिगाकर सुबह खाना है। ऐसा करने से सुबह यह नर्म होने के साथ चबाने में आसान भी हो जाता है। इसके अलावा आपके शरीर को भी बादाम पचाने में आसानी होती है।

 

थकान दूर करने वाली कॉफी को पीने का ये सही तरीका नहीं जानते होंगे आप

भारत में चाय जहां लोगों के लिए इमोशन है। वहीं कॉफी भी किसी अडिक्शन से कम नहीं। कई लोग सुबह उठकर सबसे पहले कॉफी पीते हैं। माना जाता है। कॉफी आपकी थकान दूर करती है। और मूड अच्छा करती है। कॉफी में कैफीन होती है।

एक्सपर्ट्स की मानें तो 1 कप कॉफी भी नींद न पूरी होने की वजह से हुई थकान दूर करके आपको अलर्ट कर सकती है। लेकिन हर चीज की तरह कॉफी पीने की भी एक लिमिट है। जिससे ज्यादा पीने पर आपको नुकसान हो सकता है।

कई लोग सुबह उठते ही सबसे पहले कॉफी पीने लगते हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है। कि उठने के लगभग तीन घंटे बाद ही कॉफी पीनी चाहिए। इसकी वजह यह है। कि सुबह के वक्त स्ट्रेस हॉरमोन कॉर्टिसॉल की मात्रा ज्यादा होती है। फिर भी सेफ्टी के लिए आप कुछ रुककर कॉफी पिएं तो बेहतर होगा

माना जाता है कि कैफीन से कुछ ब्रेन केमिकल्स रिलीज होते हैं जो कोकीन की तरह काम करते हैं।  कैफीन से ड्रग्स जैसा अडिक्शन नहीं होता लेकिन ज्यादा कॉफी पीने से आप मानसिक या शारीरिक रूप से इस पर डिपेंड हो सकते हैं।

खाली पेट कॉफी पीने से पेट की लाइनिंग को नुकसान पहुंचता है। इसलिए कुछ खाने के बाद ही कॉफी पिएं। सामान्य लोगों को भी एक दिन में 4 कप से ज्यादा कॉफी नुकसान कर सकती है।