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हेल्थ

औषधीय गुण से भरपूर कटहल आपके इम्यून सिस्टम को बनेगा बेहतर, जानिए कैसे

कटहल को दुनिया के चुनिंदा सबसे बड़े और भारी फलों में गिना जाता है। यह फल पकने पर बहुत ही मीठा और स्वादिष्ठ लगता है। खासकर, भारत में इस फल से सब्जी, आचार और कई तरह के जायकेदार व्यंजन बनाए जाते हैं। यह फल सिर्फ पेट भरने तक सीमित नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि कटहल वजन घटाने से लेकर कैंसर जैसी घातक बीमारियों से बचाव कर सकता है।

कटहल खाने के फायदे और इस खास फल के औषधीय गुण आपके शरीर के लिए और किस प्रकार लाभदायक हो सकते हैं। उससे पहले कटहल क्या होता है और इस फल के विषय में कुछ और खास बातों के बारे में जान लेते हैं।

1. कटहल एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ विटामिन सी से भरपूर होता है जो हमारे शरीर के लिए आवश्यक है। यह हमारे इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाता है और बीमारियों, संक्रमणों और वायरस से लड़ने में मदद करता है।

2. यह मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिजों का एक समृद्ध स्रोत है जो हमारी हड्डियों और मांसपेशियों के लिए आवश्यक हैं। आप अपने आहार में कटहल को शामिल करने से अपनी हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत कर सकते हैं।

3. कटहल में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है जो हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक खनिज है। यह ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है और हमारे हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह हृदय रोग के जोखिम को भी कम करता है।

इलायची और अदरक से बनी चाय का सेवन करने से होंगे ये फायदे

चाय का स्वाद बढ़ाने में इलायची और अदरक का खास रोल होता है। चायपत्ती को बैलेंस करने के लिए भी इलायची और अदरक का इस्तेमाल किया जाता है जिससे तेज चायपत्ती सेहत को नुकसान न पहुंचा सके।

अदरक वाली चाय का सबसे ज्यादा सेवन किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्मियों में अदरक की बजाय चाय में इलायची का सेवन करना चाहिए। आइए, जानते हैं चाय में इलायची डालने के क्या फायदे हैं

इलायची में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व और न्युट्रियंस पाएं जाते है। जो आपके के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें अधिक मात्रा में मैग्नीशियम, आयरन, विटामिन ए, बी, सी, पोटैशियम, कॉपर, जिंक के अलावा अन्य तत्व पाएं जाते हे।

इलायची में एंटीमाइक्रोबॉयल जैसे तत्व पाए जाते है। जिसकी चाय पीने से आपका पाचन तंत्र ठीक ढंग से काम करता है। जिसके कारण डायरिया, अपच, कब्ज जैसी समस्याएं कोसों दूर रहती है।

खाली पेट कॉफी पीने से आपके पेट के एंजाइम हो सकते हैं डिस्टर्ब, देखिए इसके नुकसान

दुनियाभर में कई लोग हैं जो अपनी सेहत को लेकर बड़े सावधान रहते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी कॉफी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे पीने से बड़े लाभ होते हैं.

खाली पेट कॉफी पीने से बचते हैं क्योंकि यह पेट के एंजाइम को डिस्टर्ब कर सकती है. लेकिन आपको बता दे कि कॉफी में घी डालकर पीने से पेट की कई समस्याओं से बचा जा सकता है.

एक्सपर्ट्स का मानना है की घी बटर से कम नमकीन और थोड़ा सा मिठास लिए होता है डायजेस्टिव सिस्टम को सबसे पहले खाना भी नहीं पचाना पड़ता और फैट से आपको एनर्जी भी मिल जाती है.

वहीं अगर कॉफी की खुशबू से ही आपका मूड बन जाता है तो इसके जायदा फायदे लेने के लिए इसमें घी भी डाल ले घी में मौजूद फैट दिमाग के लिए अच्छा होता है, नर्व कनेक्शन ठीक रखता है और मूड अच्छा रखने वाले हॉर्मोन्स रिलीज करता है.

गले का इंफेक्शन दूर करना है तो आप भी आजमाएं काली मिर्च का ये नुस्खा

आप सभी ने अब तक काली मिर्च के फायदे के बारे में तो सुना ही होगा. काली मिर्च वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ जबरदस्त काम करती है. जी हाँ और इससे सेहत को बड़े फायदे होते है.काली मिर्च का चूर्ण और आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में 4 बार चाटने से खांसी दूर हो जाती है

जगह के हिसाब से काली मिर्च के अलग-अलग नाम हैं। तेलुगू में इसे नाला मिरियालु, तमिल में करूमिलाकु व कन्नड़ में कारे मनसु कहा जाता है। यहां बता दें कि काली मिर्च एक फूल वाली बेल है, जिसकी खेती इसके फल के लिए की जाती है।

वैज्ञानिक रूप से इसे पाइपर नाइग्रम (Piper nigrum) कहा जाता है। जब इस बेल का फल सूख जाता है, तो इसे मसाले के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसी मसाले को काली मिर्च कहा जाता है। इसे पेपरकॉर्न भी कहा जाता है।

कहा जाता है घी और मिश्री के साथ काली मिर्च का चूरण चाटने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है.अगर गले का इंफेक्शन दूर करना है तो आठ-दस काली मिर्च पानी में उबालकर पानी से गरारें करें.

आधा चम्मच पिसी काली मिर्च को थोड़े से घी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है.कहा जाता है काली मिर्च को बारीक पीसकर घी में मिलाकर दाद-फोड़े और फुंसी पर लगाने से लाभ होता है.

डिप्रेशन जैसी जानलेवा बीमारी से निजात पाने के लिए अपनाएं ये नुस्खा

इस बात से कोई इंकार नहीं करेगा कि अब हमारे समाज में भी अवसाद यानी डिप्रेशन को एक गंभीर बीमारी के रूप में देखा जाने लगा है और ये बदलाव सराहनीय है। पिछले कई सालों तक डिप्रेशन से घिरे इंसान को कमज़ोर माना जाता था। लेकिन अब इसके प्रति जागरुकता बढ़ी है और अब इसे एक गंभीर मानसिक स्वास्थ की तरह देखा जाता है, जिसे उचित इलाज की ज़रूरत होती है।

अवसाद के कुछ ही लक्षण होते हैं, लेकिन लक्षणों की गंभीरता एक व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करती है। हम आपको बता रहे हैं ऐसे तीन लक्षणों के बारे में जिनसे पता लगाया जा सकता है कि कहीं आप भी डिप्रेशन में तो नहीं!

कुछ लोगों के लिए सामाजिक सपोर्ट सिस्टम तैयार करने का मतलब दोस्तों या परिवार के साथ मजबूत संबंध बनाना हो सकता है. आप अपने प्रियजनों को अपने डिप्रेशन को ठीक करने की दिशा में मदद में ला सकते हैं.

डाइट और मेंटल हेल्थ के बीच संबंध खोजने के लिए शोध अभी भी जारी है. अब तक ऐसे कई स्टडीज हुए हैं, जिनमें पोषण में सुधार की बात कही गई है. इसके चलते मानसिक बीमारी को रोका जा सकता है और इसका इलाज भी किया जा सकता है. कई ब्रेन एसेंशियल न्यूट्रिएंट्स ऐसे हैं जो डिप्रेशन को प्रभावित कर सकते हैं.

कुछ के लिए ये एक डिप्रेशन सपोर्ट ग्रुप के रूप में हो सकती है. इसमें एक समुदाय समूह शामिल हो सकता है जो आपके इलाके में ही मौजूद हो या आपको एक ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप भी मिल सकता है.

Coronavirus से बचाव के लिए मुलेठी और लौंग हैं बेहद कारगर, जानिए कैसे

चाय और कॉफी पीने के अपने फायदे और नुकसान हैं। हम सभी चाहते हैं कि कोई गर्म हेल्दी और बनाने में आसान ड्रिंक के साथ हमारे दिन की शुरुआत हो।

ताकि ना सिर्फ हमारे दिन की शुरुआत फुल एनर्जी के साथ हो बल्कि हमारे शरीर को तेजी से बदलते इस मौसम में बीमारियों से लड़ने की शक्ति भी मिले। फिलहाल हर तरफ Coronavirus का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में यह भी जरूरी हो जाता है कि दिन की शुरुआत की पहली ड्रिंक हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाए…

मुलेठी

मुलेठी का इस्तेमाल आयुर्वेद में कई तरह के रोगों से लड़ने के लिए किया जाता है. अगर आप इस कमाल की चीज को अपनी रोजाना की चाय में मिलाएंगे तो आपको इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिल सकती है. मुलेठी में इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने वाले कई तरह के गुण मौजूद हैं जो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. आयुर्वेद में इसे औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है.

लौंग

क्या आप जानते हैं कि लौंग को चाय में मिलाने से आपको काफी फायदा हो सकता है. लौंग वाली चाय पीने से आपको इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिल सकती है. इससे न सिर्फ आपकी चाय में फ्लेवर आ सकता है बल्कि यह एंटी वायरल और एंटी ऑक्सीडेंट से भी भरपूर हो सकती है. लौंग शरीर में मौजूद कंजेशन को खत्म करने में मदद करती है.

Health Care Tips: साग खाने से होने वाले इन फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे आप

कई लोग हरी साग सब्जियां तभी खाते हैं जब वो किसी बीमारी से गुजर रहे होते हैं। क्या आपको पता है कि साग का सेवन रोजाना करना आपकी सेहत के लिए अच्छा होता है।

ज्यादातर लोगों को हरी सब्जियां और साग खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि साग हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. कई लोग हरी साग सब्जियां तभी खाते हैं जब वो किसी बीमारी से गुजर रहे होते हैं।

सरसों का साग  – सरसों का साग खाने में तो बहुत स्वादिष्ट होता है। वहीं इसके साथ ही सर्दियों में इसका सेवन करने से हमारी सेहत भी अच्छी रहती है।

चने का साग  – चने का साग खाने में पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है. चने के साग मे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, जैसे विटामिन पाये जाते हैं। यह डायबिटीज, पीलिया जैसे रोगों में बहुत फायदेमंद होता है. इसके लिए आप रोजाना इसका सेवन कर सकते हैं।

बथुए का साग – बथुआ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसमें बहुत से विटामिन, कैल्शियम, फॉस्फोरम, और पोटैशियम पाए जाते है। वहीं बथुआ के साग का रोजाना सेवन करने से आपको गुर्दे की पथरी का खतरा काफी कम हो जाता है।

 

 

 

दांतों की अच्छी हेल्थ के लिए इन छोटी-छोटी बातों का आप भी रखें विशेष ध्यान

शरीर को स्वस्थ रखने और सुंदर दिखाने के लिए लोग जितनी मेहनत करते हैं, कई बार उतनी ही लापरवाही दांतों की देखभाल करने में दिखा देते हैं! बदलते लाइफस्टाइल का जितना असर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है.

दांतों में कैविटी का मुख्य कारण खाने की चीजों का जमना व बैक्टीरिया का पनपना होता है! इसके लक्षणों की बात की जाए तो अगर दांतों में दर्द महसूस हो रहा है या काले धब्बे दिखाई दे रहे हैं तो ये कैविटी हो सकती है! इससे बचने के लिए डेंटल एक्सपर्ट्स खाना खाने के बाद कुल्ला करने की सलाह देते हैं!इसका मुख्य कारण गलत तरीके से ब्रश करना और खाना खाते समय गलत तरीके से चबाना है!

दांतों की अच्छी हेल्थ के लिए क्या करें?
1) मुलायम ब्रश का इस्तेमाल करें और दांतों को रगड़े नहीं!
2) अच्छे टंग-क्लीनर से जीभ की ठीक से सफाई करें ताकि उसके ऊपर बैक्टीरिया न पनप सकें और मुंह से बदबू न आए!
3) अधिक मात्रा में मीठी या शुगर युक्त चीजें खाने से बचें!
4) पर्याप्त मात्रा में फलों का सेवन करें!
5) खूब सारा पानी पीएं!
6) दांतों में किसी भी तरह की दिक्कत महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें!

डायबिटीज के मरीजों को भूल से भी इन चीजों का नहीं करना चाहिए सेवन

डायबिटीज में अक्सर लोगों को चीनी से दूर रहने की सलाह दी जाती है। वहीं शुगर पैशेंट के लिए कई तरह के नियम भी होते हैं जैसे भूखे न रहना, समय समय पर खाना, हर तरह के फल खाने पर भी रोक-टोक होती है। आज ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में हम आपको बताने वाले हैं।

सफेद ब्रेड – सफेद ब्रेड में हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, इसका मतलब यह है कि इसमें ज्यादा मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

ड्राई फ्रूट्स – ड्राई फ्रूट्स स्वस्थ और शरीर के लिए बहुत अच्छे होते हैं। लेकिन डायबिटीज के मरीजों के लिए नहीं। इनमें ज्यादा मात्रा में कार्ब्स होते हैं और इसे संतुलित करने के लिए पानी नहीं होता है।

सिरीअल बार – डायबिटिज होने के नाते अनाज बार आपके लिए सही स्नैक नहीं है जिसका आपको सेवन करना चाहिए। ग्रेनोला और अनाज जैसे बार रिफाइंड कार्ब्स में न केवल हाई होते हैं, बल्कि यह सिरप और शुगर से भी भरे होते हैं।

आइसक्रीम – आइसक्रीम में चीनी होती है, इसलिए डायबिटिक हों या न हों, उन्हें बिना सोचे-समझे नहीं खाना चाहिए। यह मस्तिष्क के आनंद केंद्रों को भी सक्रिय करता है और डोपामाइन रिसेप्टर्स को बाहर निकालता है।

 

अप्लास्टिक एनीमिया जैसी दुर्लभ बीमारी से बचने के लिए समय रहते जान ले इसके लक्ष्ण

अप्लास्टिक एनीमिया एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इस अवस्था में आपका बोन मैरो नए ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं कर पाता है। इसे मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम भी कहा जाता है।

इससे पीड़ित व्यक्ति को थकान अधिक महसूस होती है, संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और अनियंत्रित रक्तस्राव होता है। अप्लास्टिक एनीमिया खून की कमी से जुड़ी बीमारी है जिसमें शरीर में रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम हो जाता है।

अप्लास्टिक एनीमिया के कारण-  अप्लास्टिक एनीमिया रोग हड्डियों में मौजूद बोन मैरो के अंदर पाई जाने वाली स्टेम सेल को नुकसान पहुंचने की वजह से होता है। बोन मैरो,में मौजूद स्टेम सेल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करती हैं, इनके क्षतिग्रस्त होने पर शरीर में लाल और सफ़ेद रक्त कोशिका व प्लेटलेट्स का निर्माण नही हो पाता। अप्लास्टिक एनीमिया रोग के प्रमुख कारण ये हैं-
-कीमोथेरेपी।
-कुछ खास दवाओं का अधिक उपयोग
-ऑटोइम्यून संबंधी समस्या
-वायरल इन्फेक्शन
-प्रेगनेंसी
-बेंजीन जैसे रसायनों की वजह से
-नॉनवायरल हेपेटाइटिस

अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण-
-सांस संबंधी समस्या
-थकान
-धड़कन का अचानक बढ़ जाना
-किसी भी चोट की जगह पर लंबे समय तक खून का बहना
-शरीर पर लाल रंग के चकत्तों का पड़ना
-सिर चकराना
-सरदर्द
-बुखार
-छाती में दर्द

कैसे की जाती है अप्लास्टिक एनीमिया रोग की जांच – अप्लास्टिक एनीमिया का पता लगाने के लिए CBC यानी कम्प्लीट ब्लड काउंट के टेस्ट का विकल्प चुना जाता है। इसके अलावा बोन मैरो बायोप्सी भी अप्लास्टिक एनीमिया का पता लगाने का एक खास तरीका है।