Thursday , November 21 2024

हेल्थ

लीवर को हेल्दी रखने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल लेवल को कण्ट्रोल करते हैं तिल के बीज

तिल के बीज देखने में बेशक छोटा लगें, लेकिन यह बेहद काम की चीज है. प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर तिल के बीज सेहत के लिए वरदान हैं.

बिना छिलके वाले बीज में भूसी बरकरार होती है, छिलके वाले बीज बिना भूसी के आते हैं. तिल सफेद भी होते हैं और काले भी. हालांकि दोनों तरह के तिल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं.  जो पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद है. तिल के लड्डू बनाने के अलावा, ब्रेड और डेसर्ट के लिए गार्निश के रूप में भी खाने से ये बहुत लाभाकारी होते हैं.

तिल के बीज हेल्दी फैट का एक बेहतरीन स्रोत हैं, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को घटाते हैं. साथ ही कब्ज को रोकते और मेटाबॉलिज्म में सुधार करते हैं. इन बीजों में मेथिओनाइन भी होता है, जो लीवर को हेल्दी रखने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कंट्रोल में रखते हैं.हार्ट डिजीज का जोखिम बहुत कम हो जाता है. यदि दो महीने तक 40 ग्राम तिल का रोजाना सेवन किया जाए तो बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत कम हो जाएगा.

यूरिक एसिड को नेचुरल तरीकों से भी किया जा सकता हैं कंट्रोल

यूरिक एसिड हमारे लिवर में बनने वाला एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है, जो किडनी से होते हुए यूरिन के रास्ते बाहर निकल जाता है.पुरुषों के शरीर में यूरिक एसिड का नॉर्मल स्तर 3.5 से 7 mg/dL माना जाता है, महिलाओं का यूरिक एसिड लेवल 2.5 से 6 mg/dL तक सामान्य माना जाता है.यूरिक एसिड को बिना दवा के नेचुरल तरीकों से भी कंट्रोल किया जा सकता है. 

सर गंगाराम हॉस्पिटल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर अमरेंद्र पाठक कहते हैं कि यूरिक एसिड कंट्रोल करने के लिए लोगों को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए. समय पर सोना-जागना और खाना-पीना चाहिए. देर रात तक जागने से बचना चाहिए. एक जगह घंटों बैठने की आदत से बचना चाहिए. 

 इसके अलावा नॉन वेज और हाई प्रोटीन फूड्स का सेवन कम से कम करना चाहिए. नॉन वेज खाने से यूरिक एसिड ट्रिगर हो सकता है और गाउट की समस्या पैदा हो सकती है. ऐसे में नॉन वेज और जंक फूड से दूरी बनानी चाहिए. 

इस Mother’s Day पर अपनी माँ को दे अच्छी हेल्थ का ख़ास तोहफा

परिवार और बच्चों की खुशी के चक्कर में मां अपनी सेहत का ख्याल रखना भूल जाती हैं. इससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है.

आप कुछ आसान तरीकों से मां की देखभाल करें, तो उनकी हेल्थ हमेशा बेहतर रहेगी. साथ ही बीमारियों से भी बचाव करने में मदद मिलेगी. आज 14 मई को मदर्स डे (Mother’s Day) मनाया जा रहा है. इससे मां को बहुत खुशी मिलेगी.

खाने-पीने का रखें ख्याल- आपने कई बार नोटिस किया होगा कि मां सभी को खाना खिला देती हैं, लेकिन घर में कामों में व्यस्त होने के कारण खुद खाना नहीं खा पातीं. ऐसा आमतौर पर हो जाता है, जिससे उनकी हेल्थ बुरी तरह प्रभावित होती है.

हर चीज का टाइम टेबल बनाएं- आप अपनी मां के लिए सोने-जागने, खाने-पीने, एक्सरसाइज करने के लिए टाइम टेबल बनाएं. यह सुनिश्चित करें कि वे टाइम टेबल के  पर्याप्त मात्रा में फिजिकल एक्टिविटी कराएं. अगर वे किसी परेशानी की दवा ले रही हैं, तो टाइमिंग का भी ख्याल रखें.

मेंटल हेल्थ इंप्रूव करने में मदद करें- ज्यादा उम्र के लोगों को मेंटल हेल्थ संबंधी समस्याएं जल्दी घेर लेती हैं. इससे बचाने के लिए आप हर दिन कुछ वक्त माता-पिता के साथ बिताएं. उनकी बातों को सुनें और उनके साथ बातचीत करें.

गोलगप्पे खाने से शरीर को मिलने वाले इन फायदों के बारे में नहीं जानते होंगे आप

 भारत में मशहूर स्ट्रीट फूड गोलगप्‍पे खाने का चलन बड़ा फेमस है. खट्टा-मीठा और मसालेदार गोलगप्‍पे को देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ सकता है.

 लोग खाना खाने के बाद भी एक-दो खा ही लेते हैं. गोलगप्पे का स्वाद हर उम्र के लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि गोलगप्पे खाने से न सिर्फ मुंह का टेस्ट बदलता है बल्कि ये हेल्थ के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है. गोलगप्पे एक कम कैलोरी वाला भोजन है. ये पेट से जुड़ीं दिक्कतों से छुटकारा दिलाता ही है,

1. मुंह के छालों का इलाज: गोलगप्पे मैग्नीशियम, मैंगनीज, पोटैशियम, फोलेट, जिंक और विटामिन ए, बी-6, बी-12, सी और डी के अच्छे स्रोत होते हैं.

2. ब्लड शुगर को करता है कंट्रोल: डायबिटीज के मरीजों सबसे ज्यादा ध्यान अपने खाने पर देना होता है. क्योंकि खाने में जरा सा भी इधर-उधर हुआ तो शुगर लेवल बढ़ जाता है. इसकी डॉक्टर से सलाह लेनी जरूरी है.

3. एसिडिटी खत्म करने में कारगर: जलजीरा पानी में मिला जीरा मुंह से आने वाली दुर्गंध को रोकने के साथ ही पाचन में मदद करता है. वहीं, पुदीना एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट से भरपूर होता है जो डाइजेशन में हेल्‍प करता है.

4. मोटापा घटाने में मददगार: गोलगप्पे मोटापा घटाने में भी मददगार होते हैं. क्योंकि इनको प्रोटीनयुक्त बनाने के लिए उबले हुए चने का इस्तेमाल किया जाता है. इसके चलते इनमें कैलोरी की मात्रा बेहद कम होती है,

 

जानिए आखिर क्या हैं प्री-हाइपरटेंशन और कैसे इससे रहा जा सकता हैं दूर

प्री-हाइपरटेंशन को नजरअंदाज करना सेहत के लिए हानिकारकहो  सकता है। प्री-हाइपरटेंशन तब माना जाता है जब प्रेशर रीडिंग 120 mm Hg सिस्टोलिक और 80 से 89 mm Hg डायस्टोलिक होता है।

हाई बीपी की समस्या को हाइपरटेंशन कहते हैं। जब शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सामान्य से तेज हो जाता है तो ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है। हाई बीपी या हाइपरटेंशन से पहले शरीर में जो बदलाव होते हैं, वह प्री-हाइपरटेंशन की स्थिति होती है।

प्री-हाइपरटेंशन एक ऐसी स्थिति है, जहां हाई बीपी शुरू हो जाता है। इसे स्टेज 1 हाइपरटेंशन भी कहते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, प्री-हाइपरटेंशन एक चेतावनी संकेत है, जो सही समय पर सही कार्रवाई का संकेत देता है। हालांकि, इस समस्या का कोई खास इलाज नहीं है। जीवनशैली में बदलाव कर आप खुद को हाइपरटेंशन से बचा सकते हैं।

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर मामलों में प्री-हाइपरटेंशन के लक्षण नजर नहीं आते हैं। जिन लोगों की यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

 

विटामिन और खनिजों से भरपूर खरबूजा त्वचा को बनाएं ग्लोविंग

रबूजा  कई लोग इसे अधपका खाना पसंद करते हैं तो कुछ लोग इसे पूरी तरह पकाकर खाना पसंद करते हैं. शुरू में इसका रंग हरा होता है लेकिन पकने के बाद यह पीला नारंगी हो जाता है।

तरबूज विभिन्न विटामिन और खनिजों से भरपूर होता है, लेकिन सबसे खास बात यह है कि इसमें 95 प्रतिशत पानी होता है, जो गर्मियों के लिहाज से बहुत फायदेमंद होता है।

तरबूज खाने के फायदे –

1. कब्ज

तरबूज कब्ज जैसी समस्या से भी निजात दिला सकता है।

2. सीने की जलन दूर करे

सीने में जलन होने पर भी खरबूजा खाना आपके लिए फायदेमंद रहेगा। विशेषज्ञ भी स्वस्थ किडनी के लिए खरबूजा खाने की सलाह देते हैं।

3. त्वचा को बनाएं ग्लो

खरबूजे में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो चेहरे पर निखार लाते हैं। यह हमारी त्वचा को चमकदार बनाता है।

4. कैंसर से बचाव

खरबूजे में कई ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जो कैंसर से बचाव में मदद करते हैं। इसके अलावा ये लू से बचाव में भी मददगार होते हैं।

5. वजन कम करता है खरबूजा

अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तब भी यह फल काफी कारगर साबित हो सकता है। तरबूज फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन के लिए फायदेमंद होता है।

शिलाजीत का कभी भूल से भी न करें इन चीजों के साथ सेवन

शिलाजीत हिमालय और हिन्दुकुश पर्वतमाला से प्राप्त होने वाला एक नेचुरल खनिज पदार्थ है. इसे पौधों और उनके अंग हजारों सालों के विघटन  के बाद तैयार होता है.

शिलाजीत का उपयोग बहुत से रोगों के इलाज में किया जाता है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि इसे कौन-कौन सी चीजों के साथ नहीं लेना चाहिए. शिलाजीत का गलत चीजों के साथ सेवन करने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है.

1. खट्टे फल
विशेषज्ञों के अनुसार शिलाजीत को कभी भी खट्टे फलों के साथ नहीं लिया जाना चाहिए. खट्टे फलों में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है, जो नेचुरल में एसिडिक होते हैं. शिलाजीत और खट्टे फलों को साथ में लेने से पेट खराब हो सकता है.

2. नॉन-वेज
अगर आप शिलाजीत के साथ दूध का सेवन करते हैं, तो इस दौरान मांस या मछली न खाएं. वैसे तो दूध और मछली दोनों ही पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं, लेकिन दूध के साथ शिलाजीत और मछली का कॉम्बिनेशन बहुत खराब होता है.

3. शहद और गुनगुना पानी
शिलाजीत का स्वाद जले हुए रबड़ की तरह होता है, इसलिए कुछ लोग इसे शहद और पानी में मिलाकर लेते हैं ताकि इसका स्वाद बेहतर हो सके. हालांकि ऐसा करना आपकी त्वचा के लिए नुकसानदायक हो सकता है.

4. मूली
शिलाजीत और दूध के साथ सेवन करना तो अच्छा है, लेकिन इस दौरान मूली का सेवन न करें.  जितना हो सके, इस कॉम्बिनेशन से बचें.

गर्मी के मौसम में आपको हाइड्रेटेड रखने में मदद करेगी लीची

लीची सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। लीची गर्मी के मौसम में आपको हाइड्रेटेड रहने में मदद करती है, क्योंकि यह पानी से भरपूर होती है।मधुमेह के रोगियों को इसका सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए।

लीची में वे सभी ड्रेसिंग तत्व होते हैं जो आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। लीची दिखने में जितनी खूबसूरत और आकर्षक होती है स्वाद में उतनी ही मीठी होती है। लोग इसका मीठा स्वाद पसंद करते हैं।लीची वजन घटाने के लिए भी कारगर मानी जाती है.

कुछ लोगों को लीची का जूस पसंद होता है तो कुछ को इसकी स्मूदी और आइसक्रीम। डायबिटीज का मरीज भी लीची का सेवन कर सकता है या नहीं। मधुमेह के रोगी को यह चिंता रहती है कि कहीं इसका सेवन करने से रक्त शर्करा का स्तर न बढ़ जाए। डायबिटीज के मरीज को इस बात का ध्यान रखना होता है कि वह क्या खाए ताकि उसका शुगर लेवल कंट्रोल में रहे।

मधुमेह रोगी भी कम मात्रा में लीची का सेवन कर सकते हैं। लीची में शुगर की मात्रा अधिक होती है इसलिए इसके सेवन से ब्लड शुगर लेवल के कंट्रोल से बाहर होने का खतरा रहता है। जिन मरीजों को डायबिटीज में तेजी से उतार-चढ़ाव होता है.

6 साल की उम्र तक के बच्चों को दिन में 3 ग्राम नमक देना चाहिए

अगर आपको लगता है नमक या चीनी का सेवन अधिक मात्रा में करने से सिर्फ बड़ों को ही नुकसान होता है तो ऐसा नहीं है। इन दोनों का सेवन बच्चों के लिए भी नुकसानदायक है।

4 से 6 साल की उम्र के बीच के बच्चों को दिन में 3 ग्राम नमक देना चाहिए। जिसमें 0.4 ग्राम सोडियम हो। छोटे बच्चों को एडेड शुगर डाइट भी नहीं देनी चाहिए।

वैसे भी उन्हें फल व अन्य खाद्यों आदि से प्राकृतिक शुगर मिल जाती है केवल वही उनके लिए पर्याप्त होती है। यहां तक कि उनको शहद या खजूर का सिरप भी 8 महीने तक नहीं देना चाहिए।

 ब्रिटल बोन का खतरा

बच्चों की हड्डियों के लिए भी हानिकारक होता है। इससे शरीर में कैल्शियम की कमी देखने को मिल सकती है। अगर शरीर में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम नहीं होगा तो हड्डियां कमजोर होनी शुरू हो सकती हैं।

 डिहाइड्रेशन का खतरा

जिन में अधिक सोडियम होता है वह डिहाइड्रेशन के शिकार हो सकते हैं। इससे शरीर का पानी पसीने या पेशाब के रूप में बाहर निकलता रहता है। छोटे बच्चे खुद से बोल कर नहीं बता सकते हैं कि उन्हें प्यास लगी है इसलिए उनके शरीर में पानी की कमी हो सकती है।

किडनी स्टोन की समस्या

शरीर में अधिक सोडियम के कारण पेशाब में अधिक कैल्शियम निकलता है। यह कैल्शियम किडनी में पथरी उत्पन्न कर सकता है। किडनी स्टोन से बच्चे के शरीर में दर्द, ठंड लगना, बुखार और जी मिचलाने जैसे लक्षण हो सकते हैं। पेशाब में ब्लड भी आ सकता है।

 

इर्रेगुलर पीरियड्स से छुटकारा पाने के लिए डाइट में शामिल करें ये चीजें

कई महिलाएं इर्रेगुलर पीरियड्स की समस्या से परेशान रहती हैं. दिक्कत अब आम दिक्कत जैसी हो गई है. इसके चलते दवाइयां कई सारे कोर्सेज भी करने पड़ते हैं जिसमे आपका आधा हफ्ता हॉस्पिटल में निकलता है.

 इर्रेगुलर पीरियड्स का कारण खराब जीवनशैली, तनाव, अनहेल्दी खानपान, कम सोना, या तनाव होता है. ऐसे ही कई सारे ऐसे खान पान की चीज़ें हैं जो आपके पीरियड्स को इर्रेगुलर से रेगुलर करेंगी. चलिए जानते हैं कौन से हैं वो फूड आइटम्स.

1 हल्दी

हल्दी सेहत के लिए बेहद ही फायदेमंद हर्ब है, जिसमें कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं. हल्दी न केवल शरीर से सारे दर्द को दूर भगाती है बल्कि साड़ी बीमारियों का भी खत्म करती है. अगर आपको इर्रेगुलर पीरियड्स की समस्या है तो आप रात में सोने से पहले शहद के साथ गर्म दूध पिएं. इससे पीरियड क्रैम्प ठीक हो सकता है.

2 जीरा

जीरे में कुछ ऐसे फायदेमंद पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो गर्भाशय की मांसपेशियों को सिकोड़ने पीरियड्स की साइकिल को सुव्यवस्थित करने में मदद करते हैं. आप सीमित मात्रा मं कुछ दिन इसका पानी पीएं.

3 दालचीनी

दालचीनी सप्लीमेंट शरीर में इंसुलिन के स्तर को रेगुलेट करने में मदद करती है. दालचीनी शरीर के लिए गर्म होती है. पीसीओएस होने पर आप दालचीनी का सेवन करें, इससे दर्द कम होता है.