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हेल्थ

छह सप्ताह एब्डामनल ट्रैनिंग करने से पेट की चर्बी को किया जा सकता हैं कम

आपने अक्सर टीवी पर पेट की चर्बी घटाने और मोटापा कम करने के एड जरूर देखें होगें। जिसमें वो ग्रीन टी , हर्बल टी और कई तरह की एक्सरसाइज  या स्वेट बेल्ट के बारे में बताते हैं। लेकिन ये सारे उपाय हमेशा बहुत मंहगे होते हैं। ऐसे में अगर हम आपको घर में ही कुछ आसान उपायों से पेट की चर्बी घटाने मोटापा घटाने के उपाय

इलिनोइस यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पाया गया कि छह सप्ताह एब्डामनल ट्रैनिंग भी अकेले पेट की चर्बी को कम करने के लिए काफी नहीं थी. इसलिए यदि आप पेट की चर्बी कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो आपको अपने शरीर का वजन कम करना होगा. कई टिप्स को अपनाकर पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है.

पेट की चर्बी बढ़ने में शरीर में हार्मोनल बदलाव भी एक अहम भूमिका निभाते हैं। महिलाओं में अक्सर पेट या कमर में चर्बी यानि फैट 40 साल के बाद बहुत तेजी से बढ़ता है। मोटापे या पेट की चर्बी बढ़ने के लिए जरूरत से ज्यादा तनाव होना भी नुकसानदायक होता है, क्योंकि आमतौर पर लोग तनाव में होने पर बेहिसाब कुछ न कुछ खाते रहते हैं। जिससे पेट पर चर्बी जमा होने लगती है।

कार्डियो एक्सरसाइज महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए ट्रेडिशनल कार्डियो होना जरूरी नहीं है. यदि आप जॉगिंग नहीं करना चाहते हैं हाई इंटेनसिटी इंटरवल ट्रेनिंग (HIIT) को ट्राई करें. वहीं, एब वर्कआउट आपको पेट की चर्बी को लूज में मदद नहीं करेगा, लेकिन वे मांसपेशियों को बिल्ड करेगा. यदि आप एब मसल्स का लक्ष्य बना रहे हैं, तो एब वर्कआउट्स को न छोड़ें.

पुरुष में इस वजह से बढ़ जाता हैं डायबिटीज होने का खतरा

प्रेग्‍नेंसी में मूड स्‍व‍िंग्‍स की समस्या के लक्षण और इससे छुटकारा पाने के 5 उपाय

प्रेग्‍नेंसी में मूड स्विंग्स होना आम है. बार-बार मूड बदलने से महिलाएं परेशान हो जाती हैं. चूंकि यह उनके लिए काफी नाजुक टाइम होता है. इस दौरान उनके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं.

इस दौरान जितनी शारीर‍िक समस्‍याएं होती हैं, उससे ज्यादा महिलाएं मानसिक कठिनाई से गुजरती हैं. ऐसी ही एक समस्या मूड स्विंग भी हैजिसे पोस्‍टपार्टम मूड स्‍व‍िंग्‍स नाम से जानते हैं. यहां जानें मूड स्‍व‍िंग्‍स की समस्या के लक्षण और इससे छुटकारा पाने के 5 उपाय..

मूड स्विंग्‍स के क्या-क्या लक्षण हैं

1. मूड स्विंग्‍स के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं. हालांकि, कुछ फीलिंग्‍स ज्यादातर प्रेग्नेंट महिलाओं में पाई जाती है.

2. इस दौरान बिना किसी बात के मन उदास रहता है या बेवजह ही खुश हो जाता है.

3. कई बार प्रेग्‍नेंसी ब्रेन की समस्या भी देखने को मिलती है, जिसमें चीजें भूल जाना आम होता है मतलब उनकी याद्दाश्‍त कमजोर हो जाती है.

4. मूड स्विंग होने के दौरान चिड़चिड़ापन और गुस्‍सा आना भी लाजिमी है.

5. ​प्रेग्‍नेंट महिलाएं बच्चों की सेफ्टी के लिए साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देती हैं. बच्‍चे की इम्‍यूनिटी कमजोर होने के चलते उन्हें क्लीनिंग अच्छी लगती है.

पंपकिन सीड्स के फायदे नहीं जानते होंगे आप, डालिए एक नजर

हमारे आसपास कई ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें हम कूड़ा समझ कर फेंक देते हैं लेकिन इनमें से कई चीजें ऐसी होती हैं जो हमारी हेल्थ के लिए बेशकीमती हीरा साबित होती है.

कद्दू के बीज हमारी सेहद के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. कद्दू के बीज शक्तिशाली पोषक तत्वों से भरे होते हैं और नसों में ब्लड फ्लो को बढ़ाकर दिमाग की तंत्रिकाओं को सक्रिय करते हैं. पंपकिन सीड्स हार्ट हेल्थ से लेकर फर्टिलिटी बढ़ाने तक में मदद करते हैं.. पंपकिन सीड्स से हार्ट हेल्थ, प्रोस्टेट हेल्थ मजबूत होता है और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर का जोखिम भी कम हो जाता है.

1. हार्ट हेल्थ की मजबूती-पंपकिन सीड्स में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, मैग्नीशियम, जिंक और अनसैचुरेटेड फैट पाया जाता है. ये सब मिलकर हार्ट को मजबूत बनाते हैं.हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ाने में ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं.

2. ब्लड शुगर कम-कद्दू के बीज का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को भी फायदा होता है. इससे ब्लड शुगर को कम करने में मदद मिलती है. पंपकिन सीड्स के पाउडर, पंपकीन सीड्स के जूस का सेवन ब्लड शुगर को कम करने में मददगार है.

3. स्पर्म काउंट बढ़ाने में-अगर शरीर में जिंक की कमी हो जाए तो स्पर्म की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों कम हो जाता है. पंपकिन सीड्स के सेवन से जिंक की मात्रा शरीर में तुरंत बढ़ जाती है.  पंपकिन सीड्स स्पर्म की क्वालिटी को बहुत जल्दी सही कर देता है.

याददाश्त में कमी, चलने-फिरने में संतुलन गड़बड़ाना हैं इस चीज़ की निशानी

थकान मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है शारीरिक थकान और मानसिक थकान। आज कल कि व्यस्त जिन्दगी में लोगो को आराम करने का समय कम मिलता हैं देर रात तक काम करने से नीद पूरी न होना जिसके कारण थकान महसूस होने लगती हैं.

दोपहर के ढाई बज चुके थे, लेकिन पल्लव ने अभी तक लंच नहीं किया था. उसे थकावट लग रही थी, इसलिए उसने एक कप कॉफी पी व सैंडविच खा लिया. वह दंग था कि इतनी जल्दी थक क्यों जाता है.

स्नायु रोगों में विटामिन बी की जरूरी किरदार होती है. इसकी कमी से याददाश्त में कमी, चलने-फिरने में संतुलन गड़बड़ाना, हाथ-पैरों में सनसनाहट व नसों की बीमारी पैरिफर्ल न्यूरोपैथी व सबएक्यूट कंबाइंड डिजनरेशन कॉर्ड भी हो सकती है.

आजकल ज्यादातर लोग देर रात तक टीवी या सोशल साइट्स पर चिपके रहते हैं, इससे उनकी नींद पूरी नहीं होती व हड़बड़ी में प्रातः काल उठकर वे बिना नाश्ता किए कार्यालय चले जाते हैं.

जामुन से होता है ब्लड शुगर कंट्रोल, नहीं जानते होंगे आप इसके फायदें

आज के समय में किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है? ये बहुत बड़ा सवाल है. वहीं ब्लड शुगर खत्म करने को लेकर भी डायबिटीज के मरीजों के मन में ये सवाल आता है.

ऐसे में आपको बता दें कि हां शुगर को जड़ से कंट्रोल किया जा सकता है. ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं. चलिए हम यहां आपको बताएंगे कि डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आपको कौन से तरीके अपनाने चाहिए.

1. जामुन से होता है ब्लड शुगर कंट्रोल
जामुन बहुत ही फायदेमंद फल है. वहीं जामुन के बीजों से भी डायबिटीज के मरीजों का इलाज किया जा सकता है. आप इसके बीजों का इस्तेमाल किसी भी तरह कर सकते हैं. अगले दिन उस पानी का सेवन करें. इससे भी आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते हैं.

2. अंजीर के पत्तों से मिलेगा फायदा
डायबिटीज की बीमरी को अंजीर के पत्तों से भी आपको फायदा मिल सकता है. अगर आप रोज सुबह अंजीर के पत्तों को खाली पेट चबाएंगे तो शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा आप इन पत्तों को पानी में उबाल कर पी सकते हैं.

3. मेथी भी शुगर कंट्रोल करती है
मेथी भी डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.  आपको मेथी से फायदा नहीं मिलेगा तो आप गलत साबित हो सकते हैं. इसके लिए आपको नियमित तौर पर इसका सेवन करना होगा.

30 वर्ष से ऊपर के पुरुषों को अपनी डाइट में जरुर शामिल करनी चाहिए ये चीज़

30 वर्ष से ऊपर के पुरुषों के लिए स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है क्योंकि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे शरीर में कई बदलाव होते हैं जो हमारे पूरे स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को प्रभावित कर सकते हैं.

विशेष रूप से पुरुषों के लिए, यह एक महत्वपूर्ण उम्र है जहां उन्हें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने और इसे बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता होती है. एक हेल्दी डाइट इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

30 वर्ष से ऊपर के पुरुषों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे फिट और स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व प्राप्त करते हैं या नहीं. साथ ही उन्हें खाने के प्रकार के बारे में सावधान रहने की भी आवश्यकता है.

1. नट्स और बीज
नट्स और बीज हेल्दी फैट, फाइबर और प्रोटीन का एक बड़ा सोर्स हैं. वे विटामिन और मिनरल्स से भी रिच होते हैं जो मनुष्य की इम्यून सिस्टम को बूस्ट करते हैं और पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं.

2. साबुत अनाज
ब्राउन राइस, क्विनोआ और गेहूं की रोटी जैसे साबुत अनाज फाइबर और पोषक तत्वों का एक बड़ा सोर्स हैं जो मनुष्य के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं.

3. हरी पत्तेदार सब्जी
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, काले और कोलार्ड विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होते हैं जो पुरुषों को उनकी उम्र के अनुसार स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं. वे एंटीऑक्सीडेंट में भी रिच होते हैं, जो दिल की बीमारी और कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं.

गर्मी के मौसम में यदि आपको भी हो रही हैं स्किन एलर्जी तो ऐसे पाएं इससे निजात

र्मी में सूरज की किरणें अपने साथ त्वचा सम्बन्धी कई समस्याएँ भी लेकर आती हैं। ऐसे में दोपहर के समय ज्यादा देर तक बाहर रहने से त्वचा पर हीट रैश हो जाते हैं। यदि त्वचा अधिक संवेदनशील है या किसी प्रकार की एलर्जी के लक्षण मौजूद हैं तो खुजली और रैश होने की आशंका बन जाती है।

 आज हम इस कड़ी में अपने पाठकों को चकत्तों व खुजली से राहत पाने के कुछ आसान घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं, जिनको आजमाने से आप इनसे मुक्ति पा सकते हैं।

नारियल का तेल

नारियल के तेल की कुछ बूंदों को टी ट्री ऑयल में मिलाकर एक घोल तैयार कर लें। इसे हल्के हाथों से प्रभावित भाग में लगा रें। 20 मिनट बाद साबुन का प्रयोग किए बिना सादे पानी से नहा लें।

बर्फ से सिकाई

बर्फ के कुछ टुकड़ों को तौलिए में लपेटकर या तौलिए को ठंडे पानी में डालकर, ज्यादा खुजली होने वाले क्षेत्र पर 5-7 मिनट तक सिकाई करें। सिकाई के बाद जब आप उस स्थान को देखेंगे तो उसे कुछ लालिमा लिए हुए पाएंगे। यह लालिका बर्फ की सिकाई की वजह से आती है। कुछ देर बाद आप महसूस करेंगे कि अब आपको खुजली नहीं हो रही है और लालिमा धीरे-धीरे सामान्य हो गई है।

दूध, दही, पनीर को डाइट में शामिल करने से होते हैं ये फायदे

 हेल्थ  का ख्याल सबको रखना चाहें बच्चे हों या बड़े। बढ़ते हुए बच्चों की हेल्थ और डाइट  पर थोड़ा ज्यादा ध्यान देना होता है ताकि बच्चों की ग्रोथ ठीक से हो पाए और उन्हें किसी भी तरह की शारीरिक कमजोरियां घेर न पाएं।

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल की सीनियर डाइटीशियन अंजलि शर्मा  ने हमारे साथ बातचीत में बताया कि ग्रोइंग बच्चों की डाइट न्यूट्रिशस  होने के साथ बैलेंस्ड  भी होनी चाहिए, क्योंकि जरूरत से ज्यादा कैलोरी लेने पर ओवर वेटेड  होने का रिस्क रहता है तो कम कैलोरी लेने पर वीकनेस आ सकती है। इसलिए उनकी डाइट ऐसी होनी चाहिए, जिससे वे हेल्दी-फिट रहें, बीमारियों से बचे रहें और उनका डेवलपमेंट भी अच्छी तरह से हो सके।

इन्हें करें डाइट में शामिल

  • इस एज में बच्चों को कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है, जिससे हड्डियां मजबूत रहें। इसके लिए दूध, दही, पनीर या इससे बने उत्पाद देने चाहिए।
  • हरे पत्ते वाली सब्जियां उन्हें अधिक खिलानी चाहिए। इनमें आयरन की मात्रा अधिक होती है। गुड़ और चना मिक्स कर खाने से आयरन की कमी नहीं होती है।
  • उनके भोजन में कई कलर और न्यूट्रिएंट्स वाले फल-सब्जियां शामिल करें। इससे आपको आवश्यक विटामिन और अन्य आवश्यक तत्व मिलते रहेंगे।
  • प्रतिदिन उन्हें आठ से दस गिलास पानी पीने को कहें, इससे शरीर में नमी बनी रहती है। लेकिन खाना खाने के बीस मिनट बाद ही पानी पीना चाहिए।

 गुर्दे की बीमारी के प्रारंभिक चरण के लक्षणों को जानिए यहाँ

आपके गुर्दे आपकी पीठ के निचले हिस्से के क्षेत्र में स्थित अंगों की एक जोड़ी हैं। गुर्दे आपके रक्त को फ़िल्टर करते हैं और आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं। ये विषाक्त पदार्थ आपके मूत्राशय में जाते हैं और जब आप पेशाब करते हैं तो समाप्त हो जाते हैं।

 गुर्दे की बीमारी के प्रारंभिक चरण के लक्षणों को पहचानना मुश्किल हो सकता है। वे अक्सर सूक्ष्म और पहचानने में कठिन होते हैं।
गुर्दे की विफलता कई स्थितियों या कारणों का परिणाम हो सकती है। गुर्दे में रक्त प्रवाह का नुकसान आपके गुर्दे में रक्त प्रवाह का अचानक नुकसान गुर्दे की विफलता का संकेत दे सकता है
गुर्दे में रक्त के प्रवाह को नुकसान पहुंचाने वाली कुछ स्थितियों में शामिल हैं: दिल का दौरा दिल की बीमारी जिगर या जिगर की विफलता का निशान निर्जलीकरण गंभीर जलन एलर्जी गंभीर संक्रमण, जैसे सेप्सिस उच्च रक्तचाप और सूजन-रोधी दवाएं भी रक्त के प्रवाह को सीमित कर सकती हैं।
 आपके मूत्र का रंग आपके शरीर के स्वास्थ्य में एक छोटी सी खिड़की है। यह आपके गुर्दे की कार्यप्रणाली की स्थिति के बारे में तब तक बहुत कुछ नहीं बताता जब तक कि गुर्दे की क्षति बढ़ न जाए।फिर भी, मूत्र के रंग में परिवर्तन कुछ मुद्दों का चेतावनी संकेत हो सकता है।