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हेल्थ

जामुन के रेगुलर सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ा सकते हैं

आप सबने कभी न कभी जामुन जरूर खाया होगा. यह गर्मी के दिनों में बाजार में बहुत अधिक मात्रा में मिलता है. इसके बीज को कई औषधि के रूप में इस्तेाल किया जाता है. इसमें कई ऐमे तत्व पाए जाते हैं जो हमें कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करता है.

 

आपको बता दें के जामुन के रेगुलर सेवन से शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है. यह बता दें के शरीर के स्वस्थ्य रखने के लिए हीमोग्लोबिन मात्रा सही रखना बहुत जरूरी है.

आपको बता दें कि जामुन स्किन के लिए बहुत फायदेमंद है. यह चेहरे पर होने वाले दाग धब्बे जैसे- झुरिया, मुंहासे और एक्ने जैसी परेशानियों को कम करता है. इसके साथ ही यह स्किन को खूबसूरत बनाने में मदद करता है.

जामुन में भारी मात्रा में पोटैशियम और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो हार्ट को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है. यह ब्लड में शुगर लेवल कंट्रोल करके डायबिटीज के खतरे को कम करता है.

क्या आप भी नाश्ते में करते है स्मूदी बाउल का सेवन तो पढ़े ये खबर

ब्रेकफास्ट को कभी नहीं छोड़ने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये दिन के भोजन का सबसे महत्वपूर्ण खाना है. लेकिन कोरोना काल के दौरान लोगों के खानपान की आदतों में अचानक बदलाव आया है. लोग पहले से ज्यादा हेल्थी और पौष्टिक फूड को प्राथमिकता दे रहे हैं.

 

ये फायदों से भरपूर है और देर तक एक शख्स को भरा रखने के लिए जाना जाता है. कई न्यूट्रिशनिस्ट उसे न सिर्फ हेल्दी बदलाव बल्कि एक लाइफस्टाइल के तौर पर परिभाषित करते हैं. ये विटामिन्स, फोलेट, मिनरल्स, डाइटरी फाइबर, प्रोटीन्स और कार्बोहाइड्रेट्स का शानदार स्रोत है.

रेड्डी का कहना है कि स्मूदी बाउल बनाना आसान है अगर आप सही सामग्री जैसे केला, सेब, डेयरी और चीकू इस्तेमाल करते हैं, जो आपके शरीर को विटामिन्स, कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम उपलब्ध कराएगा, और आपकी स्किन, आंख और हड्डियों के लिए भी शानदार होगा. अपने नियमित ओट्स को स्मूदी बाउल से बदलें और अपने शरीर में पोषक तत्व का पावरहाउस चालू करें.

हाइपरटेंशन से ग्रसित मरीजों के लिए ये जानना हैं बेहद जरुरी

बाइक की चाबी इधर-उधर रखने की आदत से परेशान हैं? बाद में चाबी खोजते समय पूरा घर सिर पर उठा लेते हैं? अगर हां तो भूलने की इस बीमारी को हल्के में न लें। यह हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) की निशानी हो सकती है। अमेरिका स्थित मेयो क्लीनिक का हालिया अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है।

इसमें स्मृति, ध्यान, मौखिक प्रवाह और एकाग्रता जैसी चीजें शामिल हैं। 120 mmHg-129 mmHg सिस्टोलिक (शीर्ष संख्या) या उच्चतर के उच्च रक्तचाप को उच्च माना जाता है। सिस्टोलिक दबाव 130 मिमी एचजी से अधिक है। डायस्टोलिक दबाव (कम संख्या) 80 मिमीएचजी या अधिक उच्च रक्तचाप माना जाता है।

यह स्थिति तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं पर भारी पड़ती है और वे दम तोड़ने लगती हैं। इससे न सिर्फ याददाश्त, बल्कि तर्क शक्ति और एक साथ कई काम निपटाने की क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है।

किसी भी उम्र में रक्तचाप के समान प्रभाव: ब्राजील में यूनिवर्सिड फेडरल डे मिनस गेरैस में मेडिसिन के प्रोफेसर और अध्ययन लेखक सैंडी एम। बरेटो ने कहा कि हमने शुरू में यह अनुमान लगाया था कि संज्ञानात्मक कार्यों पर उच्च रक्तचाप का नकारात्मक प्रभाव तब अधिक महत्वपूर्ण है, जब उच्च रक्तचाप कम उम्र में शुरू होता है, लेकिन हमारे परिणामों से पता चलता है कि संज्ञानात्मक प्रदर्शन में एक समान गिरावट तब देखी जाती है जब उच्च रक्तचाप मध्यम आयु या यहां तक ​​कि बड़ी उम्र में शुरू होता है।

रात के समय अधिक खांसी की वजह से सोने में होती हैं तकलीफ तो आजमाएँ ये उपाए

अगर व्यक्ति को सर्दियों के मौसम में सीने में ठंड लग गई हो तो, पसली चलने लगती है. यह एक बड़ी समस्या है. इससे जान जाने का खतरा भी बढ़ जाता है. कई बार उल्टी भी आने लगती है. खांसी की समस्या बहुत जटिल होती है. इसमें कई बार अचानक मौसम बदलना और तापमान के गिरने के चलते लोगों की सेहत बिगड़ने लगती है.

हल्की खांसी में उतनी दिक्कत नहीं होती है, लेकिन रात होते ही खांसी का बढ़ना समस्या पैदा कर देता है. इसके कारण नींद भी नहीं आती है. खांसी की कई वजह हो सकती हैं, जिसमें कई अंतर्निहित कारण भी हो सकते हैं.  सांस संबंधी समस्याएं, जैसे अस्थमा और सीओपीडी के कारण, लंग कैंसर, हार्ट फेलियर, पल्मोनरी इबोलिज्म और टीबी जैसी बीमारियों का लक्षण भी हो सकती है.

रात के समय अधिक खांसी आने पर आप बेहतर महसूस करने के लिए कुछ घरेलू उपाय कर सकते हैं. ज्यादातर मामलों में गले और फेफड़ों में वायरल संक्रमण की वजह से खांसी होती है. कुछ मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाती है.

 सर्दियों में खांसी होने पर आप हमेशा गुनगुना पानी ही पिएं. साथ ही अन्य तरल पदार्थों का सेवन करके स्वयं को हाइड्रेटिड रखें.
गले की सूजन को कम करने के लिए नमक के पानी (1 गिलास पानी में आधा चम्मच नमक) से गरारा करें.

आप सर्दियों में रूम हीटर का इस्तेमाल करते हैं, तो बता दें इससे आपकी खांसी बढ़ सकती है. आपको ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि कमरे की हवा नम और गर्म रहे.

विटामिन-सी से भरपूर पालक सेहत के लिए साबित हो सकती हैं खतरनाक

पालक विटामिन-सी, कैल्शियम, आयरन और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण इसे सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। अगर इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो यह आपके लिए हानिकारक हो सकता है.

आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि पालक में कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है। जिससे पेशाब में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है।  अगर आप लगातार और अधिक मात्रा में पालक खा रहे हैं तो इससे किडनी में पथरी हो सकती है। पालक में मौजूद विटामिन खून को पतला भी कर सकते हैं, जिससे आपके शरीर को कई तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।

जो अधिक मात्रा में खाने पर पथरी की समस्या पैदा करते हैं। ये पथरी पेशाब में अंडे के नमक की मात्रा बढ़ने के कारण बनती है।  पालक को उबालकर खाने से ऑक्सालेट का स्तर कुछ हद तक कम हो सकता है।  अगर इससे बचना है तो दही, पनीर और पालक जैसे कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों को एक साथ खाने से इससे बचा जा सकता है।

पेट दर्द को भूल से भी न करें नज़रंदाज़, इन बीमारियों के होने का बढ़ सकता हैं खतरा

रीर के किसी भी हिस्से में दर्द होना सामान्य है।मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी से शरीर में दर्द होना लाजमी है। लेकिन अगर शरीर के किसी खास हिस्से में हमेशा दर्द बना रहता है तो इसे नजरअंदाज करने की गलती न करें।

कभी-कभी साधारण दर्द के पीछे भी बीमारी छिपी होती है। पेट के दाहिने हिस्से में दर्द हो तो ज्यादातर लोगों को एसिडिटी होती है। पेट में बनने वाला एसिड गले और पेट को जोड़ने वाली नली में बैक अप लेने लगता है।

जब लीवर में अतिरिक्त चर्बी जमा होने लगती है तो यह फैटी लिवर की बीमारी का रूप ले लेती है।  इस बीमारी के लक्षण तब तक सामने नहीं आते, जब तक लिवर सिरोसिस विकसित नहीं हो जाता। पेट के दाहिनी ओर भरा हुआ महसूस होना या पेट में दर्द इस रोग के लक्षण हैं।

अपेंडिक्स कोलन से जुड़ी एक छोटी सी थैली होती है। दर्द पेट के बीच में शुरू होकर निचले हिस्से तक जाए तो यह दर्द अपेंडिक्स के बढ़ने के कारण होता है।

पीरियड्स के दर्द से परेशान रहती हैं तो उसे दूर करने के लिए इस्तेमाल करें ये घरेलू नुस्खों

पीरियड्स पेन महिलाओं को हर महीने होने वाली ऐसी परेशानी है जिसका सामना 12 साल की उम्र से ही लड़कियों को करना पड़ता है। पीरियड शुरु होने के पहले 3 दिन महिलाओं के लिए काफी तकलीफ देते हैं।

इस दौरान महिलाओं को पीठ से लेकर पेट और जांघों तक के दर्द की शिकायत रहती है। मसल्स में होने वाले इस खिंचाव को दूर करने के लिए अक्सर महिलाएं दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करती है,

पीरियड्स के दर्द से छुटकारा पाने के लिए पेट के निचले हिस्से पर हिटिंग पेड का इस्तेमाल करें, दर्द से राहत मिलेगी। साल 2018 के अध्ययन की समीक्षा में पाया गया कि हीट थेरेपी पीरियड पेन से छुटकारा पाने में बहुत प्रभावी है।

पीरियड के दौरान बॉडी में ऐंठन होती है ऐसे में पानी का ज्यादा सेवन करने से बॉडी को फायदा पहुंचता है। बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए गर्म पानी का सेवन करें, ज्यादा फायदा होगा। गर्म पानी का सेवन करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहेगा और मांसपेशियों को आराम मिलेगा।आयुर्वेद के अनुसार नारियल के तेल में एंटीऑक्सिडेंट, एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण और लिनोलिक एसिड पाया जाता है ।

दही खाने से महिलाओं में नहीं होगी इस जानलेवा बीमारी की शिकायत

स्तन कैंसर तेजी से महिलाओं को अपनी चपेट में ले रहा है। एक नए शोध में बताया गया है कि अगर आपको स्तन कैंसर के जोखिम को कम करना है तो रोज की डाइट में दही को जरूर शामिल करें। हर दिन दही खाने से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम होता है।

 

इस शोध में बताया गया है कि जो प्रोबायोटिक सप्लीमेंट होते हैं वो स्तन कैंसर के हानिकारक विषाणुओं के प्रभाव को कम कर देते हैं।दरअसल दही में मौजूद सूक्ष्म जीव सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। ब्रिटेन की लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि बैक्टीरिया से प्रेरित सूजन कैंसर से जुड़ी हुई है.

दही इसे कम करती है। यह शोध जर्नल मेडिकल हाइपोथिसिस में प्रकाशित हुई है। शोध में कहा गया है कि दही में फायदेमंद बैक्टीरिया लैक्टोज एवं माइक्रोफ्लोरा पाया जाता है जो कि उसी तरह का बैक्टीरिया है जो स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्तन से निकलने वाले दूध में पाया जाता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि दही में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया कैंसर के हानिकारक बैक्टीरिया के प्रभाव को कम कर देते हैं। वैसे भी दही सिर्फ कैंसर के जोखिम को ही कम नहीं करती बल्कि आपको कई तरह की बीमारियों से बचाती है। अगर आपको पेट से संबंधित परेशानियां लगातार होती रहती हैं तो आपको अपनी डाइट में दही और छाछ को शामिल करना चाहिए। दही एक प्रो-बायोटिक फूड है जिसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। दही खाने से आपके दांत और हड्डियां मजबूत होती हैं। दही के सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और आपको कई तरह की बीमारियां नहीं घेरती हैं।

थोड़े से दर्द में पेन किलर का सेवन करने से आपको भी हो सकती हैं ये समस्या

सर्दी के मौसम में हमारी सेहत को कई तरह के नुकसान होने लगते हैं. बदलते मौसम में सिर दर्द,बदन दर्द, पेट दर्द आदि समस्याओ का सामना करना पड़ता है. बहुत से लोग इन चीजों से जल्दी आराम पाने के लिए पेनकिलर ले लेते हैं.  आपको पैन किलर लेना ही पड़ता है चाहे कुछ भी हो जाये. ये पैन किलर आपको राहत तो देती है लेकिन भविष्य में होने वाली परेशानी बढ़ा देती है. इससे कई नुकसान होते हैं आइये जानते हैं उनके बारे में.

* लीवर के लिए पेन किलर का सेवन बहुत फायदेमंद होता है, ज़्यादा पेन किलर खाने से लीवर के खराब होने का भी खतरा होता है.

* जो लोग अधिक मात्रा में पेन किलर का सेवन करते है उनकी किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है. इसके अधिक सेवन से किडनी सही तरीके से काम नहीं कर पाती है.

* ब्लड प्रैशर एक बहुत ही गंभीर बीमारी होती है, बहुत से लोग थोड़े से दर्द में पेनकिलर खा लेते है लेकिन अधिक मात्रा में पेन किलर का सेवन करने से आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है.

* अधिक मात्रा में पेन किलर खाने से ब्लड डिस्क्रैसिया नाम की बीमारी होने का खतरा होता है, इस बीमारी में हमारे शरीर का खून पतला हो जाता है.

विटामिन डी की कमी से आपको भी हो सकती हैं अस्थमा की शिकायत

ये बात सच है कि विटामिन डी और बी-12 हड्डियों के लिए बहुत जरूरी हैं । अगर ये कम हो तो आस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों हो सकती हैं। लेकिन विटामिन डी की कमी से केवल इतना ही नहीं होता बल्कि इसकी कमी से कैंसर और डिप्रेशन जैसी बीमारी होने का खतरा बना रहता है। डायबिटीज और दिल की बीमारी का कारण भी विटामिन डी की कमी बन सकती है।

विटामिन डी की कमी से अस्थमा की शिकायत हो सकती है। विटामिन डी की कमी और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सीधा संबंध होता है। विटामिन डी सूजन पैदा करने वाले प्रोटीन को फेफड़ों से दूर रखने का काम करता है।  विटामिन डी की कमी से हार्ट अटैक तक आ सकता है।

विटामिन डी की कमी का सीधा संबंध सूजन संबंधी बीमारियों से है।   जब शरीर को धूप नहीं मिलती तो विटामिन डी बनाने वाले तत्व  कोलेस्ट्रॉल में बदल जाते हैं। विटामिन डी का स्तर कम होने से इम्यून सिस्टम तेजी से कम होने लगता है। इससे सर्दी व जुकाम और संक्रमण और बीमारियों की शिकायत बढ़ जाती है।

इनमें भरा है विटामिन डी का खजाना

  • मछली: सालमोन और ट्यूना ‘विटामिन डी’ का खजाना हैं। सालमोन से विटामिन डी की हमारी रोजाना जरूरत का एक तिहाई हिस्सा पूरा हो सकता है।
  • दूध: दूध से रोजाना के विटामिन डी का 20 फीसदी हिस्सा पूरा हो जाता है।
  • अंडे: अंडे की जर्दी में सफेदी से ज्यादा विटामिन डी पाया जाता है।
  • संतरे का रस: दूध की तरह ही संतरे का रस भी विटामिन डी से भरपूर होता है। संतरे के जूस को अपने आहार का में शामिल करें।
  • मशरूम: मशरूम में भी विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है। शीटेक मशरूम में सफेद मशरूम के तुलना में अधिक विटामिन डी होता है। अगर आप अपने आहार में विटामिन डी को जोड़ना चाहते है तो उसमें शीटेक मशरूम को शामिल करें।
  • पनीर: पनीर के सभी प्रकार में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। रिकोटा चीज में अन्य पनीर की तुलना में ज्यादा विटामिन डी होता है।
  •  कॉड लिवर ऑयल: कॉड लिवर ऑयल विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद विटामिन ए और डी का काफी उच्च स्तर होता है।