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हेल्थ

सुबह-सुबह ग्रीन टी पीने से मेटाबॉलिज्म की क्रिया को शुरू करने में मिलेगी मदद

हम सभी जानते हैं कि ग्रीन टी के ढेर सारे फायदे हैं जो आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं. सिर्फ आपकी सेहत ही नहीं, यह आपकी त्वचा और बालों को भी बेहतर बना सकती है. इसलिए, यह कई लोगों के लिए एक पसंदीदा बन गया है.

 

हम में से अधिकतर लोग ऐसे हैं, जिन्हें लगता है कि ग्रीन टी का सेवन सुबह-सुबह करने से यह हमारे लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है। मेटाबॉलिज्म की क्रिया को शुरू करने में ग्रीन टी मददगार है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।

लेकिन, आपको इसके लाभों को प्रभावित करने के लिए एक निश्चित तरीका होना चाहिए. इससे पहले कि आप एक कप ग्रीन टी पिएं, क्या आप जानते हैं कि दिन में कई बार ऐसा होता है कि आपको ग्रीन टी नहीं पीनी चाहिए?

अगर आप खाली पेट सुबह-सुबह ग्रीन टी पीते हैं, तो इसमें मौजूद मजबूत एंटीऑक्सिडेंट और पॉलीफेनोल्स हमारे शरीर के गैस्ट्रिक एसिड का उत्पादन बढ़ाने लगता है, जिसके कारण आपको पेट से जुड़ी परेशानी हो सकती है।

अगर आप अनिद्रा की शिकायत से परेशान हैं। तो सोने से पहले ग्रीन टी का सेवन करने से बचें। हालांकि, ग्रीन टी में दिमाग को शांत करने का गुण मौजूद होता है। लेकिन सोने से पहले इसका सेवन आपकी नींद में बाधा उत्पन्न करता है। क्योंकि ग्रीन टी में कैफीन होता है, जो मेलाटोनिन हार्मोन को रिलीज करने में बाधा उत्पन्न करता है।

कब्ज की समस्या से परेशान हैं तो आप भी अपनी डाइट में शामिल करें किसमिश

अगर आप भी रोज नट्स और किशमिश खाते हैं, तो अच्छी बात है। अगर आप रोजाना सिर्फ 10 किशमिश के दानों को रात में भिगोकर सुबह खाएं, तो इससे कई तरह के रोगों और बीमारियों से बचाव होगा। साथ ही सेहत भी बेहतर होगी। एक नजर इसके फायदों पर:

 

आजकल कब्ज की समस्या एक आम समस्या बन गई है ज्यादातर लोग कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसे में रोजाना भीगी हुई किशमिश खाने से कब्ज में राहत मिलती है।

आपने आज तक किसमिश को ड्राई फ्रूट की तरह खाया होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि अंगूर को सुखाकर बनाई जाने वाली किशमिश को भिगोकर खाने से स्वास्थ्य अनगिनत फायदे मिलते हैं। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको इसके कुछ बेहतरीन फायदे के बारे में बताते है।

मुलायम सी दिखने वाली किसमिश हड्डियों को मजबूत बनाने में काम आती है। ऐसे में अगर आप जोड़ों के दर्द या घुटनों के दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको किशमिश के पानी का सेवन करना चाहिए।

एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी से भरपूर ये फल आपके लिए हैं लाभदायक

खरबूजा गर्मियों में मिलने वाला बहुत स्वादिष्ट फल होता है. यह गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक पहुंचाने का काम करता है. इसके सेवन से कई प्रकार की सेहत संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. खरबूजे में भरपूर मात्रा में पानी मौजूद होता है, जिसके कारण इसे खाने से शरीर में पानी की कमी नहीं होती है. खरबूजे में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी मौजूद होते हैं. आज हम आपको खरबूजा खाने के कुछ फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं.

खरबूजे में विटामिन-सी की दैनिक जरूरत का एक बड़ा हिस्सा मौजूद होता है। यह हमारे इम्यून सिस्टम के लिए काफी जरूरी है। कई शोधों में यह बात सामने आई है .

पर्याप्त विटामिन-सी का सेवन करने से सामान्य जुकाम जैसे कई रेस्पिरेटरी इंफेक्शन से राहत मिलती है। इसके अलावा, इसमें मौजूद विटामिन-ए भी शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स का उत्पादन बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है।

खरबूजा का सेवन करने से ना सिर्फ वजन नहीं बढ़ता, बल्कि यह वेट लॉस में भी मददगार हो सकता है। सबसे पहली बात यह है कि यह एक लो कैलोरी फ्रूट है और इसमें 90 प्रतिशत के करीब पानी होता है। इस तरह से यह बिना कैलोरी के आपके शरीर को हाइड्रेट करता है। शरीर के हाइड्रेट होने से पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है और आपका वजन कम होने लगता है।

सफेद या ब्राउन जानिए आखिर कौन से चावल हैं आपके लिए बेस्ट

चावल, दुनियाभर के लोगों की डाइट का सबसे अहम हिस्सा है. खासकर एशिया के ज्यादातर देशों में तो चावल का बहुत अधिक इस्तेमाल किया जाता है. भारत में भी अधिकतर लोग चावल खाना पसंद करते हैं.

सफेद और ब्राउन दोनों चावल कार्बोहाइड्रेट का स्रोत हैं. ब्राउन और सफेद चावल में मुख्य अंतर ये है कि ब्राउन चावल साबुत अनाज में शामिल है. वहीं सफेद चावल रिफाइंड होते हैं. ब्राउन राइस में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं. जबकि सफेद चावल की पॉलिशिंग के कारण पोषक तत्व काफी कम हो जाते हैं.

राजमा चावल और कढ़ी चावल हो या फिर सांभर चावल और रसम चावल- उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक चावल सभी लोगों का फेवरिट है. लेकिन इन दिनों हेल्थ कॉन्शस लोगों के बीच ब्राउन राइस (Brown Rice) भी काफी पॉपुलर हो गया है. तो सेहत के लिहाज से वाइट राइस या ब्राउन राइस क्या है ज्यादा बेहतर, यहां जानें.

ब्राउन राइस में फाइबर की मात्रा सफेद चावल की तुलना में अधिक होती है. ब्राउन राइस में मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है जो शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करती है.

वजन घटाने के लिए प्लान करते समय कैलोरी के सेवन की मात्रा का ध्यान रखना चाहिए. ब्राउन राइस में कैलोरी की मात्रा कम होती है. ब्राउन राइस में सफेद चावल की तुलना में अधिक फाइबर होता है.

गर्म पानी पीने से पाचन क्रिया रहेगी मजबूत और शरीर को मिलेंगे कई लाभ

अधिकतर सुनने को मिलता है कि सेहतमंद रहने के लिए आपको दिन में 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए। आज हम आपको गर्म पानी पीने से सेहत को होने वाले कई तरह के फायदों के बारे में बताएँगे। जानिए गरम पानी कैसे शरीर को कई बीमारियों से बचाता है।

गर्म पानी पीने से पाचन क्रिया अच्छी रहती है और यह गैस की समस्या में भी राहत देता है। खाना खाने के बाद एक ग्लास गर्म पानी पीने की आदत जरूर डालें। ऐसा करने से खाना जल्दी पच जाता है और पेट हल्का रहता है।

चेहरे पर पड़ती झुर्रियां आपको परेशान करने लगी हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। आज ही से गर्म पानी पीना शुरू कर दें। कुछ ही हफ्तों में स्किन में कसाव आने लगेगा और स्किन चमकदार भी हो जाएगी।

अगर आपका वजन लगातार बढ़ रहा है और लाख कोशिशों के बावजूद कुछ फर्क नहीं पड़ रहा है तो, गर्म पानी में शहद और नींबू मिलाकर लगातार तीन महीने तक पिएं। आपको फर्क जरूर महसूस होगा। खाना खाने के बाद एक ग्लास गर्म पानी पीना भी फायदेमंद होता है।

10 किशमिश के दानों को रोज़ सुबह खाने से मिलते हैं ये लाभ

अगर आप भी रोज नट्स और किशमिश खाते हैं, तो अच्छी बात है। अगर आप रोजाना सिर्फ 10 किशमिश के दानों को रात में भिगोकर सुबह खाएं, तो इससे कई तरह के रोगों और बीमारियों से बचाव होगा। साथ ही सेहत भी बेहतर होगी। एक नजर इसके फायदों पर:

 

आजकल कब्ज की समस्या एक आम समस्या बन गई है ज्यादातर लोग कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसे में रोजाना भीगी हुई किशमिश खाने से कब्ज में राहत मिलती है।

आपने आज तक किसमिश को ड्राई फ्रूट की तरह खाया होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि अंगूर को सुखाकर बनाई जाने वाली किशमिश को भिगोकर खाने से स्वास्थ्य अनगिनत फायदे मिलते हैं। अगर नहीं तो चलिए आज हम आपको इसके कुछ बेहतरीन फायदे के बारे में बताते है।

मुलायम सी दिखने वाली किसमिश हड्डियों को मजबूत बनाने में काम आती है। ऐसे में अगर आप जोड़ों के दर्द या घुटनों के दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको किशमिश के पानी का सेवन करना चाहिए।

शारीरिक थकान और मानसिक थकान को करना हैं दूर तो आजमाएं ये उपाए

थकान मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है शारीरिक थकान और मानसिक थकान। आज कल कि व्यस्त जिन्दगी में लोगो को आराम करने का समय कम मिलता हैं देर रात तक काम करने से नीद पूरी न होना जिसके कारण थकान महसूस होने लगती हैं.

 

दोपहर के ढाई बज चुके थे, लेकिन पल्लव ने अभी तक लंच नहीं किया था. उसे थकावट लग रही थी, इसलिए उसने एक कप कॉफी पी व सैंडविच खा लिया. वह दंग था कि इतनी जल्दी थक क्यों जाता है.

स्नायु रोगों में विटामिन बी की जरूरी किरदार होती है. इसकी कमी से याददाश्त में कमी, चलने-फिरने में संतुलन गड़बड़ाना, हाथ-पैरों में सनसनाहट व नसों की बीमारी पैरिफर्ल न्यूरोपैथी व सबएक्यूट कंबाइंड डिजनरेशन कॉर्ड भी हो सकती है.

आजकल ज्यादातर लोग देर रात तक टीवी या सोशल साइट्स पर चिपके रहते हैं, इससे उनकी नींद पूरी नहीं होती व हड़बड़ी में प्रातः काल उठकर वे बिना नाश्ता किए कार्यालय चले जाते हैं.

यहाँ जानिए आखिर क्या हैं अप्लास्टिक एनीमिया और जाने इसके लक्ष्ण

अप्लास्टिक एनीमिया एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति है, जो किसी भी उम्र में हो सकती है। इस अवस्था में आपका बोन मैरो नए ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं कर पाता है। इसे मायेलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम भी कहा जाता है।

 

इससे पीड़ित व्यक्ति को थकान अधिक महसूस होती है, संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और अनियंत्रित रक्तस्राव होता है। अप्लास्टिक एनीमिया खून की कमी से जुड़ी बीमारी है जिसमें शरीर में रक्त कोशिकाओं का निर्माण कम हो जाता है।

अप्लास्टिक एनीमिया के कारण-  अप्लास्टिक एनीमिया रोग हड्डियों में मौजूद बोन मैरो के अंदर पाई जाने वाली स्टेम सेल को नुकसान पहुंचने की वजह से होता है।
-कीमोथेरेपी।
-कुछ खास दवाओं का अधिक उपयोग
-ऑटोइम्यून संबंधी समस्या
-वायरल इन्फेक्शन
-प्रेगनेंसी
-बेंजीन जैसे रसायनों की वजह से
-नॉनवायरल हेपेटाइटिस

अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण-
-सांस संबंधी समस्या
-थकान
-सिर चकराना
-सरदर्द
-बुखार
-छाती में दर्द

कैसे की जाती है अप्लास्टिक एनीमिया रोग की जांच – अप्लास्टिक एनीमिया का पता लगाने के लिए CBC यानी कम्प्लीट ब्लड काउंट के टेस्ट का विकल्प चुना जाता है। इसके अलावा बोन मैरो बायोप्सी भी अप्लास्टिक एनीमिया का पता लगाने का एक खास तरीका है।

 

 

दांतों में कैविटी लगने के पीछे हो सकती हैं आपकी ये गलतियाँ

शरीर को स्वस्थ रखने और सुंदर दिखाने के लिए लोग जितनी मेहनत करते हैं, कई बार उतनी ही लापरवाही दांतों की देखभाल करने में दिखा देते हैं! बदलते लाइफस्टाइल का जितना असर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है.

दांतों में कैविटी का मुख्य कारण खाने की चीजों का जमना व बैक्टीरिया का पनपना होता है! इसके लक्षणों की बात की जाए तो अगर दांतों में दर्द महसूस हो रहा है या काले धब्बे दिखाई दे रहे हैं तो ये कैविटी हो सकती है! इससे बचने के लिए डेंटल एक्सपर्ट्स खाना खाने के बाद कुल्ला करने की सलाह देते हैं!इसका मुख्य कारण गलत तरीके से ब्रश करना और खाना खाते समय गलत तरीके से चबाना है!

दांतों की अच्छी हेल्थ के लिए क्या करें?
1) मुलायम ब्रश का इस्तेमाल करें और दांतों को रगड़े नहीं!
2) अच्छे टंग-क्लीनर से जीभ की ठीक से सफाई करें ताकि उसके ऊपर बैक्टीरिया न पनप सकें और मुंह से बदबू न आए!
3) अधिक मात्रा में मीठी या शुगर युक्त चीजें खाने से बचें!
4) पर्याप्त मात्रा में फलों का सेवन करें!
5) खूब सारा पानी पीएं!
6) दांतों में किसी भी तरह की दिक्कत महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क जरूर करें!

अपनी उम्र के अनुसार जानिए आखिर कितने कदम चलना आपके लिए हैं फायदेमंद

स्मार्ट फोन और वॉच जैसे गैजेट्स में लेटेस्ट फीचर्स में स्टेप काउंट की फैसिलिटी भी दी जाती है.लोग इस फीचर को फॉलो करते हैं, लेकिन उन्हें ये नहीं पता होता कि उम्र के हिसाब से दिन में कितने कदम चलने चाहिए.

लोगों को एक दिन में कम से कम 10 हजार कदम चलना चाहिए, हालांकि उम्र के हिसाब से इनको कम या ज्यादा भी किया जा सकता है.पांच से 10 साल के बच्चों को ज्यादा चलने की सलाह दी जाती है.   18 से 45 साल वालों को 9 से 11 हजार कदम के बीच चलना चाहिए.

इस उम्र वालों को फिजिकल एक्टिविटी ज्यादा करनी चाहिए, क्योंकि उम्र के इस दौर में बाहर रहने वाले ज्यादातर लोग जंक फूड या दूसरी चीजों का सेवन करते हैं.

 इसके अलावा 45 से 60 आयु वालों के लिए 10 हजार कदम काफी होते हैं. वहीं 60 से ऊपर में 5 से 8 हजार कदम बहुत हैं, लेकिन अगर कोई पुरानी बीमारी, आर्थराइटिस या किडनी की समस्या है तो वॉर्क से पहले डॉक्टरों से सलाह जरूर लेनी चाहिए.