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हेल्थ

हमारे मस्तिष्क की संरचना पर प्रभाव डालता हैं अत्यधिक चाय का सेवन

चाय दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय कैफीनयुक्त पेय पदार्थों में से एक है। पेय में बहुत सी किस्में होती हैं और प्रत्येक में कैफीन का स्तर भिन्न होता है। इसी समय, इसे एक व्यापक, लगभग सार्वभौमिक अपील मिली है, भले ही तैयारी और व्यंजनों में अंतर हो।

 

चाय पीने के लाभों को इंगित करने वाले कुछ बिखरे हुए सबूत हैं, जिनमें कुछ अध्ययनों में मस्तिष्क के लिए चाय के लाभों के बारे में बात करना शामिल है।एक शोध में पता चला है कि चाय का हमारे मस्तिष्क की संरचना पर प्रभाव पड़ता है. अध्ययन पता चला है कि नियमित रूप से चाय पीने वाले उन लोगों की अपेक्षा फायदे में होते हैं, जो लोग चाय नहीं पीते हैं.

सभी प्रतिभागियों ने अपने मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य, दैनिक जीवन शैली और समग्र स्वास्थ्य के बारे में विवरण प्रदान किया है. आंकड़ों के आधार पर, प्रतिभागियों को दो समूहों में विभाजित किया गया था. एक चाय पीने वाले और दूसरे चाय नहीं पीने वाले. इसके बाद सभी की एमआरआई स्कैन और अन्य जांच की गईं.

इसमें सवाल था कि उनके पास कितने प्रकार की चाय है और कितनी बार वो लोग चाय पीते हैं. शोध के लिए जिन प्रतिभागियों को शामिल किया गया था उनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक थी.

 

सब्जियों को काटकर क्या अप भी सीधा इन्हें पकाते हैं तो हो जाएं थोडा सावधान

मारे लंच में डिनर में ज्यादातर रोटी , दाल ,चावल, सब्जियां सलाद और रायता जैसी चीजें होती है जो एक तरह से कंप्लीट मील होती है। उसके पोषण को जान लें फिर उसे पकाए इस तरह सब्जियों को काटकर हम धोते हैं कुछ सब्जियों को काटकर नहीं धोना चाहिए हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों।

 हमें मौसम में मिलने वाली सब्जियां खानी चाहिए। जहां तक हो सके सब्जियों और फलों के छिलके सहित खाने की कोशिश करें। क्योंकि इनमें मौजूद फाइबर कब्ज दूर करने में सहायक होता है।  आजकल सब्जियों पर कई तरह के हानिकारक कीटनाशकों का छिड़काव होता है इसलिए काटने से पहले उन्हें 5 मिनट तक गर्म पानी में डूबकर अच्छी तरह धो लें

खासकर ठंड में मिलने वाली सब्जियां पालक ,सरसों ,सरसो ,चौलाई , बथुआ ,सोया ,मेथी, गाजर, मूली आदि को काटकर नहीं धोना चाहिए। इनमें मौजूद पोषक तत्व पानी के साथ में जाते हैं इसलिए सब्जियों को काटने से पहले अच्छी तरह से धो लें।

गाजर को बहुत देर तक पकाना चाहिए क्योंकि ज्यादा देर तक पकाने से उसमे मौजूद पोषक तत्व लाइकोपीन की मात्रा को बढ़ाते हैं उबला हुआ या बैक किया हुआ आलू खाना सेहत के लिए अधिक फायदेमंद साबित होता है।

गाजर के जूस का सेवन पेट साफ करने में होता है कारगर

र्दी आ गई और इसके साथ ही कई सब्जियां भी आती हैं। इन सब्जियों में लाल, हरी और पीली जैसी रंग-बिरंगी सब्जियां भी शामिल हैं। इन्हीं सब्जियों में से एक ऐसी सब्जी है जिसका सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है .

अगर आप भी अपच या कब्ज से परेशान हैं तो गाजर के जूस का सेवन आपके लिए फायदेमंद रहेगा। गाजर के रस में बीटा-कैरोटीन, विटामिन ए, सी, डी और कुछ एंटी-ऑक्सीडेंट भी होते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।

गाजर विटामिन ए से भरपूर होता है जो आंखों की रोशनी में सुधार करता है। इसलिए आपको ज्यादा से ज्यादा गाजर या गाजर के जूस का सेवन करना चाहिए। खाने के साथ गाजर का सलाद खाना चाहिए।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में गाजर बहुत कारगर है। गाजर में विटामिन सी होता है इसलिए गाजर का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

क्या आपको भी रात में सोते समय आता हैं पसीना तो आज ही हो जाएं सावधान

व्यायाम करते समय या गर्म-नम वातावरण में पसीना आना बहुत आम बात है, अगर सर्दियों में भी एसी में पसीना आ रहा है तो यह खतरनाक हो सकता है। कई लोगों को रात में बहुत पसीना आता है, जिसके कारण वे ठीक से सो नहीं पाते हैं।

तनाव कई कारणों से हो सकता है, जिनमें काम में परेशानी, प्यार में धोखा, गंभीर बीमारी आदि शामिल हैं। रात को जब इन बातों के बारे में सोचते हैं तो पसीने छूट जाते हैं।

जो लोग बहुत अधिक शराब पीते हैं, उनका शरीर अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है। कुछ लोगों को देर रात शराब पीने की आदत होती है। जिससे सोने वाले को बहुत पसीना आता है। वास्तव में, कभी-कभी यह आदत व्यक्ति की हृदय गति को बढ़ा सकती है।

रक्त शर्करा का स्तर गिर जाता है, तब भी व्यक्ति को पसीना आ सकता है। इस चिकित्सा स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। जब हार्मोन एड्रेनालाईन ग्लूकोज के स्तर को कम करने के लिए जारी किया जाता है, तो पसीने की ग्रंथियां सक्रिय हो जाती हैं।

आखिर क्या हैं ‘बॉर्डरलाइन’ डायबिटीज जिसे माना जाता हैं खतरनाक

धुमेह अब एक बहुत ही आम बीमारी हो गई है। यह समस्या छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति तक हर उम्र के लोगों में देखी जाती है। दुनिया में हर तीन में से एक व्यक्ति को मधुमेह की समस्या है।

टाइप-2 डायबिटीज विकसित होने से पहले शरीर में कुछ प्रकार के लक्षण देखे जा सकते हैं। जिसे मेडिकल भाषा में ‘बॉर्डरलाइन’ डायबिटीज कहा जाता है। प्री-डायबिटीज के दौरान हमारे शरीर में कुछ प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं। तो आइए जानते हैं बॉर्डरलाइन डायबिटीज के लक्षणों के बारे में

बॉर्डरलाइन डायबिटीज की स्थिति में व्यक्ति के शरीर में ज्यादातर मामलों में कोई विशेष लक्षण विकसित नहीं होते हैं। बॉर्डरलाइन मधुमेह वाले व्यक्ति को दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

बॉर्डरलाइन डायबिटज होने पर शरीर अधिक थका हुआ और कमजोर महसूस करता है। थकान के कारण किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता हैअचानक हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बॉर्डरलाइन डायबिटीज के लक्षण माने जाते हैं।

बॉर्डरलाइन डायबिटीज के शुरूआती लक्षणों को पहचानना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन पैरों की समस्या के कारण इसकी पहचान की जा सकती है। कई मामलों में पैरों में दर्द, झुनझुनी की समस्या हो सकती है।

पीरियड्स में क्या आपको भी होता हैं पेट दर्द और कमर दर्द ? तो यूँ पाएं निजात

पीरियड्स किसी भी महिला के लिए एक सामान्य प्रोसेस है। इन 5 दिनों तक महिलाएं पेट दर्द और कमर दर्द से परेशान रहती है। सर्दियों के मौसम में ये दर्द काफी बढ़ जाता है। हर 10 में से 6 महिलाओं को ठंड के मौसम में पेट दर्द की समस्या को अनुभव किया है।

ऐसे में ज्यादातर महिलाओं के जेहन में ये सवाल आता है कि सर्दियों के मौसम में पीरियड्स के दौरान दर्द क्यों होता है? सर्दियों में लोग अक्सर घर के अंदर रहना पसंद करते हैं। खासकर महिलाओं में विटामिन- डी की कमी हो जाती है। इसी वजह से पीरियड्स के दौरान दर्द बढ़ जाता है।

ठंड के मौसम में लोगों को के खानपान में बदलाव आ जाता है। सर्दियों के मौसम में लोगों को ऑयली फूड और जंक फूड का सेवन करना बहुत पसंद होता है। पीरियड्स के दौरान दर्द का ये भी एक कारण है।

ठंड के मौसम में पीरियड्स पेन को कम करने के लिए दालचीनी बेहद फायदेमंद होता है। दालचीनी की तासीर गर्म होती है ऐसे में इसे आप अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इससे आपको पीरियड क्रैम्प से राहत मिलेगी।

विटामिन सी की कमी और हाई बी. पी जैसे रोगों से छुटकारा दिलाएगी हरी मिर्च

 हरी मिर्च हम सभी के घरों में मौजूद होती है और हम इसका इस्तेमाल सब्जी और सलाद बनाने में करते हैं.  अगर हम कहें कि आपको रोजाना एक साबुत काली मिर्च खानी चाहिए। इसके बाद इसमें कैप्साइसिन, कैरोटीन, क्रिप्टोक्सैंथिन, ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन जैसे कई एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो फेफड़ों और दिल की बीमारियों से बचाते हैं।  कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनमें हरी मिर्च का सेवन जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं उन बीमारियों के बारे में।

हाई बी. पी. रोगी को हरी मिर्च का सेवन करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि हरी मिर्च में पाए जाने वाले कैप्साइसिन के संपर्क में आने पर रक्त वाहिकाएं शिथिल हो जाती हैं। यह आराम महसूस करता है।

हरी मिर्च सूजन-रोधी होती है जिसका अर्थ है कि वे दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकती हैं। जिससे गठिया के रोगियों को आराम मिलता है। साथ ही हरी मिर्च कैल्शियम का अच्छा स्रोत होती है जो हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाती है।

तो रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और आप किसी भी संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं और जिसके कारण आप संक्रमण के शिकार हो जाते हैं। इसलिए विटामिन सी से भरपूर हरी मिर्च का सेवन करना चाहिए।

सर्दी खांसी और दर्द में औषधि की तरह कर सकते हैं कच्ची हल्दी का सेवन

र्दियों में कच्ची हल्दी सेहत के लिए फायदेमंद होती है इसमें कई तरह के औषधीय गुण होते हैं जो हमें कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। स्किन डिजीज , सर्दी खांसी और दर्द में ये औषधि की तरह काम करती है इसलिए सर्दियों में स्ट्रांग इम्यूनिटी सिस्टम और बीमारियों से बचने के लिए हमें कच्ची हल्दी को अपनी में जरूर शामिल करना चाहिए और से मिलेगा।

हल्दी में विटामिन सी ,के पोटेशियम , प्रोटीन, कॉपर, जिंक, फॉस्फोरस जैसे जरूरी मिनरल्स पाए जाते हैं। इसमें बैक्टीरियल और एंटी फंगल तत्व भी मौजूद होते हैं।  सर्दी खांसी इन्फेक्शन जैसी परेशानियों से छुटकारा मिलता है अगर गले में दर्द और खांसी से परेशान है तो कच्ची हल्दी को दूध में उबालकर रोजाना सुबह-शाम पीएं आराम मिलेगा।

ऑर्थराइट्स में जोड़ों में दर्द की समस्या है तो कच्ची हल्दी का सेवन करें। दर्द और सूजन से छुटकारा पाने के लिए कच्ची हल्दी को दूध में उबालकर उसे पिए या फिर कच्ची हल्दी को पानी में डालकर उबालें साथ ही काली मिर्च मिलाएं जब पानी आधा रह जाए तो इसमें पिए।

दही में गुड़ मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी होगी दूर

दही में गुड़ मिलाकर सेवन करने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं. ये इम्युनिटी को बढ़ाने के साथ-साथ पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है. आइए जानें दही में गुड़ मिलाकर खाने के फायदे.

गुड़ में आयरन भरपूर मात्रा में होता है. दही में गुड़ मिलाकर सेवन करने से शरीर में खून की कमी नहीं होती है. ये शरीर की कमजोरी को दूर करता है. दही में गुड़ मिलाकर सेवन करने से पेट स्वस्थ रहता है. ये ब्लोटिंग से राहत दिलाने का काम भी करता है. इससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है.

दही में गुड़ मिलाकर सेवन करने से पीरियड्स के दर्द से भी राहत मिलती है. इससे पेट की ऐंठन दूर होती है. इम्युनिटी कमजोर होने के कारण बहुत से लोग मौसमी बीमारियों का शिकार बहुत जल्द हो जाते हैं. ऐसे में दही गुड़ का सेवन इन बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है.

 

डिहाइड्रेशन के मरीजों को मूली से परहेज करना चाहिए, जानिए इसकी वजह

र्दियों में मूली खाना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। इसमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और सर्दी-जुकाम से राहत दिलाते हैं।जिनमें मूली का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए नहीं तो आपकी सेहत बिगड़ सकती है। आइए जानते हैं किन बीमारियों में मूली का सेवन नहीं करना चाहिए।

जिन लोगों को लो ब्लड शुगर की समस्या है उन्हें मूली खाने से बचना चाहिए। इन्हें खाने से उनकी ब्लड शुगर की समस्या और बढ़ सकती है, जिसके लिए आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।

जो लोग कम पानी पीते हैं या जिन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या है उन्हें मूली नहीं खानी चाहिए (मूली खाने के नुकसान)। ऐसा करने से शरीर अधिक मूत्र उत्पन्न करता है।

लो ब्लड प्रेशर के मरीज भी मूली न खाएं तो बेहतर होगा। यह उनके रक्तचाप को और कम करता है, जिससे रक्त की आपूर्ति में विभिन्न समस्याएं होती हैं। साथ ही अन्य बीमारियां भी शरीर में पनपने लगती हैं।