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हेल्थ

मुंह की दुर्गंध को दूर करने के लिए सफेद इलायची का यूँ करें इस्तेमाल

आमतौर पर मिठाई का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाली सफेद इलायची सेहत के बहुत फायदेमंद है. अधिकतर लोग इलायची को स्वादिष्ट मसाले के रूप में ही प्रयोग करते हैं और इसके सेवन से सेहत को होने वाले फायदों के बारे में अनजान रहते हैं.  हर दिन दो इलायची खाना आपके लिए फायदेमंद रहेगा. आगे पढ़िए सफेद इलायची खाने से होने वाले फायदों के बारे में.

#बॉडी डिटॉक्‍स करता है- इलायची का पानी बॉडी को डिटॉक्सीफाई करने का एक बेहतर तरीका है। रोजाना इसके सेवन से आपके शरीर के सभी विषाक्त पदार्थ फ्लश आउट हो जाते हैं और आप काफी बेहतर महसूस करते हैं।

# मुंह की दुर्गंध- भोजन के बाद एक इलायची जरूर चबाना चाहिए। इससे मुंह की दुर्गंध को दूर तो करता ही है, साथ ही आपके पेट से जुड़ी कई समस्यों को दूर करने में भी कारगर साबित हो सकता है।

#एसिडिटी में फायदेमंद- खाने के बाद नियमित रूप से इलायची चबाने से एसिडिटी दूर होती है। खाने के एकदम बाद बैठने के बजाय इलायची चबाते हुए कुछ देर सैर करें

नीम के दातुन को करने से आपके दांतों में सड़न की समस्या होगी दूर

आयुर्वेद में नीम को सबसे महत्‍वपूर्ण हर्ब माना गया है। नीम एंटीसेप्टिक होता है। इसकी पत्तियों से बना तेल बालों और त्‍वचा के लिए फायदेमंद होता है वहीं इसका दातुन दांतों के लिए और मसूड़ों के लिए फायदेमंद होता है।’ दातों के लिए नीम के दातुन बहुत बहुत लाभदायक होती हैं।

जिस तरह से आप अपने शरीर को स्वच्छ रखते हैं, ठीक वैसे ही अगर आप अपने मुंह को स्वच्छ नहीं रखेंगे तो दांतों व मसूड़ों से संबंधित कई संक्रमणों के होने का खतरा बढ़ सकता है. दांतों में सड़न, जिंजिवाइटिस, बैक्टीरियल संक्रमण, सांसों की बदबू आदि जैसी परेशानियां तो होंगी ही, साथ ही इससे शरीर के दूसरे हिस्सों में भी समस्याएं हो सकती हैं. एक रिसर्च के मुताबिक, दांतों और मसूढ़ों की समस्‍या हृदय रोग का कारण बन सकती है.

बाज़ार में अलग-अलग ब्रांडेड टूथपेस्ट उपलब्ध होते हैं जो दांतों को मजबूत, साफ और चमकदार बनाने के कई तरह-तरह के दावे भी करते हैं. लेकिन आप की जानकारी के लिए बता दें कि इन अलग-अलग टूथपेस्ट का काम एक जैसा ही होता है.दंतमंजन में नीम, बबूल और नमक के दावे सिर्फ विज्ञापन में इमोशनल टच देने के लिए होते हैं क्योंकि पुराने जमाने में लोग अपने दांत साफ करने के लिए आमतौर पर नीम, बाबूल जैसी चीजों का इस्तेमाल करते थे. ऐसे में आप कौन सा टूथपेस्ट इस्तेमाल करते हैं ये ज़रूरी नहीं, बल्कि इससे ज़्यादा ज़रूरी यह है कि आप कितनी बार उस टूथपेस्ट से अपने दांतों को साफ करते हैं.

सर्दियों के मौसम में मूंगफली को अपनी डायट में जरुर करें शामिल

सर्दियों के दिनों में लगभग सभी लोगों को कुछ न कुछ गर्म चीजें खाने का मन होता है। मगर ऐसा जरूरी तो नहीं कि जो चीज आप खा रहे हैं वो आपको गर्मी देने के साथ स्वस्थ भी रखे। तो ऐसे में आप सर्दियों के मौसम में मूंगफली को अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं जो आपके सेहत के लिए काफी फायदेमंद होगी।

– सर्दियों में मूंगफली खाना शरीर के लिए बहुत ही पौष्टिक माना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाए जाते हैं और यह आपकी शारीरिक एवं मांसिक शक्तियों का विकास करती है।

– अगर आप मोटापे से परेशान है तो ऐसे में मूंगफली खाना बहुत ही मददगार साबित हो सकता है क्योंकि मूंगफली आपकी भूख को ज्यादा समय के लिए शांत करती है और आप ज्यादा खाने से बचते हैं। कम खाने से आपका वजन कम करने में आसानी होती है।

– मूंगफली में भरपूर मात्रा में रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले गुण होते हैं और इसके कारण आपके दिमाग को मजबूती मिलती और साथ ही माइंड स्ट्रोक और हृदय संबंधि बीमारियों का खतरा भी कम होता है।

– हफ्ते में कम से कम दो बार मूंगफली का सेवन करने से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी लड़ने की ताकत मिलती है और यह डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक कम करने में मददगार साबित होती है।

सुबह नाश्ते में यदि आप भी करते हैं ब्रेड का सेवन तो पढ़े ये खबर

ब्रेड का इस्तेमाल हर घर में होता है. लेकिन, आप ऐसा ब्रेड खाना चाहेंगे जो कीड़े से बनाई जाती है. फिनलैंड की एक कंपनी ने 2017 में ब्रेड बनाने के लिए उसमें कीड़े का इस्तेमाल करना शुरू किया.

यह सुनने में ही घिनौना लगता है, लेकिन इस ब्रेड में 70 फीसदी मात्रा कीड़े-मकोड़े की होती है. कंपनी का कहना है कि कीड़े का इस्तेमाल करने की वजह से यह ब्रेड स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, विटामिन और फैटी एसिड की बहुत ज्यादा मात्रा होती है.

एक फूड इनसाइडर की माने तो दुनिया में करीब 2 अरब लोग ऐसे ब्रेड का इस्तेमाल करते हैं. कीड़ों का इस्तेमाल होने की वजह से यह ब्रेड सस्ती बिकती है. ऐसी ब्रेड फिनलैंड के अलावा डेनमार्क, बेल्जियम और नीदरलैंड्स जैसे देशों में खूब बिकती है.

यह दुनिया की इकलौती ऐसी बेकरी है जो ब्रेड बनाने के लिए कीड़ों का इस्तेमाल करती है. कीड़ों के रूप में झिंगुर का इस्तेमाल किया जाता है. पहले उसका पाउडर तैयार किया जाता है फिर आंटे में मिलाकर गूंथ लिया जाता है.

जो लोग इस ब्रेड का इस्तेमाल करते हैं उनका कहना है कि यह खाने में बहुत ही टेस्टी है. खाते वक्त बिल्कुल भी पता नहीं चलता है कि इसमें कीड़ों का इस्तेमाल किया गया है.

बेकरी के मालिक का कहना है कि पौष्टिक आहार सभी की जरूरत है. ऐसे में कम पैसे में लोगों को पौष्टिक आहार मिल जाता है. दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं. कुछ लोग इसे सही मान रहे हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह बेहद घिनौना है.

क्या आप जानते हैं स्लीप पैरालिसिस की अवस्था में होता हैं ये…

स्लीप पैरालिसिस यानी ऐसी स्थिति जब दिमाग और शरीर के बीच संतुलन या तालमेल नहीं रह जाता है। ये स्थिति लकवे की तरह शरीर को कुछ सेकेंड के लिए शिथिल कर देती है। हालांकि ये अवस्था 5 से 15 सेकेंड तक रहती है। इसमें दिमाग तो एक्टिव रहता है और सबकुछ देख सकता है। वहीं, शरीर हिलने-डुलने से इंकार कर देता है। कई बार व्यक्ति हिलने-डुलने के साथ ही बोलने की शक्ति भी खो देता है।

स्लीप पैरालिसिस की अवस्था में शरीर का नींद से उठने के बाद जोर नहीं रहता। वहीं, दिमाग का सिग्नल बॉडी रिसीव नहीं कर पाती गै। इससे शरीर के किसी भी हिस्से को हिलाना तक मुश्किल हो जाता है।

कुछ लोगों को इस दौरान सांस रुकने या दम घुटने जैसा अहसास भी हो सकता है। वहीं, कुछ में इस तकलीफ के साथ नार्कोलैप्सी जैसे नींद से जुड़े अन्य डिसऑर्डर भी हो सकते हैं। वैसे तो स्लीप पैरालिसिस जानलेवा नहीं लेकिन रेयर केस में ये गंभीर मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण बन सकती है।

क्यों नहीं हिलता शरीर
आप दो चरणों के बीच नींद लेते हैं। पहला नॉन रैपिड आई मूवमेंट (NREM)और दूसरा रैपिड आई मूवमेंट (REM)। जब आप दूसरे चरण में पहुंचते हैं, तो नींद गहरी होती है और इसी के साथ बंद आंखें भी तेजी से मूवमेंट करती हैं। इसी दौरान दिमाग शरीर को शिथिल कर देता है। इससे आप गहरी नींद में सपने देखते हुए उन पर प्रतिक्रिया ना दें।

कई बार कुछ सेकेंड के लिए हल्की नींद टूट जाती है पर शरीर शिथिल रहता है। कई बार लोग इस दौरान मतिभ्रम का शिकार भी हो जाते हैं। वह भूत या कुछ ऐसी चीजें देखने की बात करते हैं, जिनका कोई अस्तित्व नहीं होता।

ऐसे करें नियंत्रित

  1.  वैसे तो स्लीप पैरालिसिस खतरनाक नहीं होती लेकिन लंबे समय तक रहने पर यह नुकसानदायक हो सकती है। इसे नियंत्रित करने के लिए आप आरामदायक और गहरी नींद लें।
  2. तनाव, डिप्रैशन और स्ट्रेस के चलते स्लीप पैरालिसिस की समस्या हो सकती हैं। इसलिए तनाव और डिप्रैशन से बचने की कोशिश करें। सोते समय टीवी, लैपटॉप या फोन इस्तेमाल से बचें।
  3.  शुरू में मेडिटेशन 5-10 मिनट करें और धीरे-धीरे आप 20-30 मिनट के लिए मेडिटेशन करना शुरू करें। रोज मेडिटेशन करने से आप जल्दी ही स्लीप पैरालिसिस से उभर जाएंगे।
  4. डॉक्टर के संपर्क में रहें।

ये हैं कारण
स्लीप पैरालिसिस ड्रग्स, एल्कोहल का सेवन और नींद की कमी के चलते ये समस्या होती है। इसके अलावा यह समस्या तनाव, चिंता, अवसाद, नींद का अनियमित समय, अत्यधिक नींद भी इसके कारण है। वहीं, पीठ पर टिककर सोना, बाइपोलर डिसऑर्डर, पूरी नींद न लेना, लाइफस्टाइल में बदलाव और अनुवांशिक कारण से भी स्लीप पैरेलिसिस हो सकता है।

विटामिन डी की कमी और फेफड़ों की कार्यक्षमता में हैं सीधा संबंध

ये बात सच है कि विटामिन डी और बी-12 हड्डियों के लिए बहुत जरूरी हैं । अगर ये कम हो तो आस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों हो सकती हैं। लेकिन विटामिन डी की कमी से केवल इतना ही नहीं होता बल्कि इसकी कमी से कैंसर और डिप्रेशन जैसी बीमारी होने का खतरा बना रहता है। डायबिटीज और दिल की बीमारी का कारण भी विटामिन डी की कमी बन सकती है।

विटामिन डी की कमी से अस्थमा की शिकायत हो सकती है। विटामिन डी की कमी और फेफड़ों की कार्यक्षमता में सीधा संबंध होता है। विटामिन डी सूजन पैदा करने वाले प्रोटीन को फेफड़ों से दूर रखने का काम करता है।  अगर इस विटामिन की कमी होती है तो सूजन बढ़ने लगती है और अस्थमा की दिक्कत हो सकती है। विटामिन डी की कमी से ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा होता है। विटामिन डी की कमी से हार्ट अटैक तक आ सकता है।

विटामिन डी की कमी का सीधा संबंध सूजन संबंधी बीमारियों से है। शरीर में अगर प्रचुर मात्रा में विटामिन डी न हो तो रहेयूमेटॉयड अर्थराइटिस, लुपस, इंफ्लेमेटरी बॉउल डिजीज (आईबीडी) और टाइप वन डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।  जब शरीर को धूप नहीं मिलती तो विटामिन डी बनाने वाले तत्व  कोलेस्ट्रॉल में बदल जाते हैं। विटामिन डी का स्तर कम होने से इम्यून सिस्टम तेजी से कम होने लगता है। इससे सर्दी व जुकाम और संक्रमण और बीमारियों की शिकायत बढ़ जाती है।

इनमें भरा है विटामिन डी का खजाना

  • मछली: सालमोन और ट्यूना ‘विटामिन डी’ का खजाना हैं। सालमोन से विटामिन डी की हमारी रोजाना जरूरत का एक तिहाई हिस्सा पूरा हो सकता है।
  • दूध: दूध से रोजाना के विटामिन डी का 20 फीसदी हिस्सा पूरा हो जाता है।
  • अंडे: अंडे की जर्दी में सफेदी से ज्यादा विटामिन डी पाया जाता है।
  • संतरे का रस: दूध की तरह ही संतरे का रस भी विटामिन डी से भरपूर होता है। संतरे के जूस को अपने आहार का में शामिल करें।
  • मशरूम: मशरूम में भी विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है। शीटेक मशरूम में सफेद मशरूम के तुलना में अधिक विटामिन डी होता है। अगर आप अपने आहार में विटामिन डी को जोड़ना चाहते है तो उसमें शीटेक मशरूम को शामिल करें।
  • पनीर: पनीर के सभी प्रकार में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। रिकोटा चीज में अन्य पनीर की तुलना में ज्यादा विटामिन डी होता है।
  •  कॉड लिवर ऑयल: कॉड लिवर ऑयल विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद विटामिन ए और डी का काफी उच्च स्तर होता है।

मानव शरीर के लिए दिन में इतना पानी पीना हैं लाभदायक, देखें

मानव बॉडी का 70% भाग पानी से बना होता है बॉडी में पानी की कमी होने से कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा रहता है अगर आप दिन की आरंभ में एक गिलास पानी का सेवन करते हैं तो पूरा दिन आपके बॉडी में एनर्जी  तंदुरुस्ती बनी रहती है खाली पेट पानी का सेवन करने से आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है

1- खाली पेट पानी पीने से कब्ज की समस्या से छुटकारा मिलता है  पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है इसके अतिरिक्त बॉडी में ऊर्जा का संचार भी अच्छी तरीके से होता है

2- प्रतिदिन प्रातः काल खाली पेट पानी का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म  इम्यून सिस्टम मजबूत हो जाते हैं अगर आपको कब्ज की समस्या रहती है तो प्रातः काल खाली पेट एक गिलास पानी का सेवन करें ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा

3- भूख लगने की समस्या में भी खाली पेट पानी पीना लाभकारी साबित हो सकता है प्रातः काल खाली पेट पानी पीने से आंत में जमा गंदगी साफ हो जाती है  भूख लगने लगती हैइसके अतिरिक्त प्रातः काल खाली पेट पानी पीने से किडनी से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं

4- बॉडी की इम्युनिटी क्षमता को मजबूत बनाने के लिए प्रतिदिन प्रातः काल खाली पेट एक गिलास पानी का सेवन करें ऐसा करने से बॉडी में फ्लूड का लेवल बैलेंस में रहता है जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत हो जाता है खाली पेट पानी पीने से मेटाबॉलिज्म रेट एक्टिव रहता है  वजन करने में भी मदद मिलती है

पान के पत्ते का ज्यादा इस्तेमाल आपकी सेहत को पहुंच सकता हैं नुकसान

पान के पत्‍ते  सबसे ज्यादा भारत में इस्तेमाल होते है।  क्या आप जानते है कि पान के ज्यादा इस्तेमाल से आपके सेहत पर नुकसान पहुंच सकता है। जी हां, जानकारों का कहना है कि पान को केवल सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करना चाहिए ताकि आपका सेहत ठीक रहे .अगर कोई ज्यादा पान खाता है तो उसे इससे क्या-क्या नुकसान होता है।

जिन लोगों को पान के पत्तों से एलर्जी होती है, उन्हें इससे दूर ही रहना चाहिए। अगर फिर भी वे इसका इस्तेमाल करते है तो इससे उनके स्‍क‍िन में रैशेज, खुजली और रेडनेस की समस्‍या भी हो सकती है।

बहुत से लोग ऐसे होते है जो पान बस शौक के लिए खाते है और उन्हें इसका कोई नशा नहीं होता है। ऐसे में कई और लोग भी ऐसे है जो इसे माउथ फ्रेशनर के तौर पर भी इस्तेमाल करते है ताकि उनके मुंह से बदबू न आए। इन लोगों को पान के इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जाती है।

उन्हें हाई बीपी की भी समस्या हो सकती है। उनके रक्‍तचाप ऊपर-नीचे हो सकता है और उनकी हार्ट बीट भी असामान्‍य हो सकती है। इसके अलावा आपके शरीर का तापमान भी घट और बढ़ सकता है और इससे आपके बॉडी में थायराइड हार्मोन असंतुल‍ित हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर आपको भी हो सकती हैं हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत

कोलेस्ट्रॉल आपके रक्त में पाया जाने वाला एक मोमी पदार्थ है।  आपके शरीर को स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण के लिए कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है।

 कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है। कभी-कभी, वे जमाव अचानक टूट सकते हैं और एक थक्का बना सकते हैं जो दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बनता है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना हृदय को प्रभावित करता है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर आपको छाती या सीने में दर्द का अनुभव हो सकता है. दरअसल, कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियां प्रभावित होती हैं. इससे सीने में दर्द और कोरोनरी धमनी रोग हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर आपको हार्ट अटैक का जोखिम भी काफी ज्यादा बढ़ जाता है।  इससे दिल के हिस्से में रक्त का प्रवाह रुक जाता है और हार्ट अटैक आ सकता है।

कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने पर स्ट्रोक का जोखिम भी काफी बढ़ जाता है। स्ट्रोक तब होता है, जब रक्त का थक्का मस्तिष्क के हिस्से में रक्त के प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है। ब्लड प्रेशर तब बढ़ता है, जब हृदय पर अधिक दबाव पड़ता है।

सर्दियों में तिल खाने के फायदे के बारे में नहीं जानते होंगे आप…

सर्दियों में तिल का सेवन सेहत के लिए बहुत ही अच्छा होता है.इसका सेवन आप कई तरीकों से कर सकते हैं. ये स्वादिष्ट होने के साथ बहुत हेल्दी भी होते हैं. इनमें कई सारे पोषक तत्व होते हैं.

इसमें मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे कई पोषक तत्व होते हैं. इसमें कैल्शियम होता है. ये हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है. ये जोड़ों के दर्द से छुटकारा दिलाता है.

तिल में मैग्नीशियम होता है. ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है. बीपी के मरीज डॉक्टर से सलाह लेकर तिल का सेवन कर सकते हैं. ये हाई ब्लड प्रेशर से परेशान लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

हृदय संबंधित समस्याओं को दूर रखने का काम करता है.  तिल में प्रोटीन, आयरन, मिनरल, कैल्शियम, मैग्नीशियम और कॉपर जैसे पोषक तत्व होते हैं. सर्दियों में इनका रोजाना सेवन याददाश्त को बढ़ाने का काम करता है.