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हेल्थ

तनाव और डिप्रेशन जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए आजमाएं ये उपाए

हाल ही में हुए एक शोध में पाया गया कि लगातर तनाव की गिरफ्त में रहने से वजन बढ़ने की समस्या हो जाती है। लंबे समय तक तनाव झेलने के बाद आपकी वजन पर इसका असर साफ दिखाई देता है। शोध बताता है कि तनाव और डिप्रेशन का गहरा संबंध है। इससे समझने के लिए आएये जानते हैं क्या कारण हैं?

तनाव से वजन बढ़ता है. जब आप तनाव में रहते हैं तब शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का लेवल बढ़ता है, जिसकी वजह से आपके ब्लड में ग्लूकोज रिलीज होता है. इससे आपका वजन बढ़ता है.

तनाव की वजह से हम हर चीज खाते हैं जो भी आंखों के सामने होती है. खासकर हम ऐसी चीजें खाना पसंद करते हैं जो आसानी से मिल जाए. फास्ट फूड हमारा पसंदीदा आहार बन जाता है जिसकी वजह से वजन तेजी से बढ़ने लगता है.

इस मोटापे की वजह से थायराइड का भी खतरा बढ़ता है। आपके बता दें कि देश में डायबटीज के बाद थायरायड की समस्या सबसे बड़ी है। विशेषज्ञों के अनुसार 4 करोड़ 20 लाख से भी ज्यादा भारतीयों को थायराइड की समस्या है।

वजन घटाना इस समय की डिमांड है, हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि आप खुद को भूखा रखें. आप खाने में पौष्टिक आहार खाएं. खाने में प्रोसेस्ड चीजों की जगह हेल्दी चीजों का चुनाव करें.

इससे आपके पेट भी लंबे समय तक भरा रहेगा और भूख भी नहीं लगेगी.कोर्टिसोल का लेवल बढ़ने से शरीर में आलास आ जाता है. आप किसी भी तरह की कोई फिजिकल एक्टिविटी नहीं करना चाहते हैं.

इंफेक्शन या शारीरिक समस्याओं से भी आपको हो सकता हैं बुखार

कोरोना काल (Corona) में जब भी किसी को हल्का सा भी बुखार होता है, तो लगता है कि कहीं कोविड तो नहीं हो गया. जरूरी नहीं कि बुखार होने का कारण कोरोना ही हो, कई अन्य कारणों, इंफेक्शन या शारीरिक समस्याओं से भी आपको बुखार हो सकता है.

 

हालांकि, बार-बार बुखार हो, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. सामान्य रूप से एक व्यक्ति के शरीर का तापमान लगभग 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है, लेकिन दिन भर इसमें उतार-चढ़ाव होता रहता है.  जब तापमान सामान्य रेंज से ऊपर चला जाए.

चाहे कोई भी बुखार हो, यहां तक ​​कि एक निम्न-श्रेणी का भी बुखार होना इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में कोई ना कोई समस्या है. बुखार होना इस बात की तरफ इशारा करता है.

आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस, जीवाणु या अन्य बाहरी कारक द्वारा किए गए हमले के खिलाफ रक्षा कर रही है. शरीर के तापमान में वृद्धि के साथ शरीर इंफेक्शन और बीमारियों के प्रति प्रतिक्रिया करता है, लेकिन कुछ रोग पैदा करने वाले कीटाणुओं के उच्च तापमान में पनपने की संभावना कम होती है, इसलिए लो-ग्रेड फीवर होता है.

पेट में गैस होने से आखिर सर में क्यों होता हैं दर्द ?

कई बार पेट और आंतों की समस्‍या ब्रेन से जुड़ा होता है. कुछ लोगों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम में विकार होने पर सिर में दर्द की समस्‍या होती है. सिर में होने वाले इस दर्द को गैस्ट्रिक हेडेक  भी कहा जाता है.

 

 शोधों में पाया गया है कि कई बार लोगों को पेट में गैस होने, इंफ्लामेटरी बॉवल डिजीज, अल्‍सर, कब्‍ज, अधिक देर तक खाली पेट रहने, गट में बैक्‍टीरिया संक्रमण आदि की वजह से सिर में तेज दर्द होने लगता है.

अगर आप भी इस तरह की समस्‍या से जूझ रहे हैं तो आप कुछ घरेलू उपायों की मदद से गैस से होने वाले इस सिर दर्द में आराम पा सकते हैं.

दहेल्‍थलाइन के मुताबिक, अगर आपको गैस के कारण सिर दर्द हो रहा है तो आप एक तौलिये में कुछ बर्फ के टुकड़े को लपेटें और इससे 15 मिनट तक सिर पर रखें. फिर 15 मिनट का ब्रेक लें और दोबारा ऐसा करें. आपको आराम मिलेगा.

आप एक गिलास पानी में एक चम्मच सौंफ डालें और 3-5 मिनट तक उबालें. अब इसे चाय की तरह पी लें. यह पेट में सूजन, गैस से आराम दिलाता है.

 

ज्यादा कैलोरी लेने पर ओवर वेटेड होने का रिस्क बढ़ जाता हैं…

 हेल्थ  का ख्याल सबको रखना चाहें बच्चे हों या बड़े। बढ़ते हुए बच्चों की हेल्थ और डाइट  पर थोड़ा ज्यादा ध्यान देना होता है ताकि बच्चों की ग्रोथ ठीक से हो पाए और उन्हें किसी भी तरह की शारीरिक कमजोरियां घेर न पाएं।

दिल्ली के जीटीबी अस्पताल की सीनियर डाइटीशियन अंजलि शर्मा  ने हमारे साथ बातचीत में बताया कि ग्रोइंग बच्चों की डाइट न्यूट्रिशस  होने के साथ बैलेंस्ड  भी होनी चाहिए, क्योंकि जरूरत से ज्यादा कैलोरी लेने पर ओवर वेटेड  होने का रिस्क रहता है तो कम कैलोरी लेने पर वीकनेस आ सकती है। इसलिए उनकी डाइट ऐसी होनी चाहिए, जिससे वे हेल्दी-फिट रहें, बीमारियों से बचे रहें और उनका डेवलपमेंट भी अच्छी तरह से हो सके।

इन्हें करें डाइट में शामिल

  • इस एज में बच्चों को कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है, जिससे हड्डियां मजबूत रहें। इसके लिए दूध, दही, पनीर या इससे बने उत्पाद देने चाहिए।
  • हरे पत्ते वाली सब्जियां उन्हें अधिक खिलानी चाहिए। इनमें आयरन की मात्रा अधिक होती है। गुड़ और चना मिक्स कर खाने से आयरन की कमी नहीं होती है।
  • उनके भोजन में कई कलर और न्यूट्रिएंट्स वाले फल-सब्जियां शामिल करें। इससे आपको आवश्यक विटामिन और अन्य आवश्यक तत्व मिलते रहेंगे।
  • प्रतिदिन उन्हें आठ से दस गिलास पानी पीने को कहें, इससे शरीर में नमी बनी रहती है। लेकिन खाना खाने के बीस मिनट बाद ही पानी पीना चाहिए।

विटामिन ए, सी युक्त अंजीर हाई बी पी के लिए हैं वरदान

गलत खानपान व लाइफ स्टाइल के कारण आर्टरीज की दीवार पर खून का प्रेशर बढ़ने लगता है। इसके कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है। वहीं आज दुनियाभर में करीब 20 करोड़ से अधिक लोग हाई बीपी की समस्या से परेशान है।

अंजीर में विटामिन ए, सी, ई, के, कैल्शियम, आयरन, फाइबर, पोटैशियम, कॉपर, एंटी-ऑक्सीडेंट्स गुण आदि होते हैं। यह शरीर में ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद करते हैं। ऐसे में दिल स्वस्थ रहता है। साथ ही शरीर का बेहतर तरीके से विकास होने में मदद मिलती है।

हाई बी पी से परेशान लोग अंजीर वाला दूध पी सकते हैं। इसके लिए 1 गिलास गुनगुने दूध के साथ 2 अंजीर खाएं। आप सोने से पहले इसका सेवन कर सकती हैं। यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल रखने में मदद करेगा।

मोटापे से परेशान लोग अंजीर का सेवन करके इसे कम कर सकते हैं। अंजीर कम कैलोरी वाला फ्रूट है। ऐसे में इसका सेवन करने से वजन कम होने में मदद मिलती है।

 

सौंफ खाने से होने वाले लाभ के बारे में नहीं जानते होंगे आप…

इन दिनों हर कोई अपने गोल्स को कंपलीट करने के पीछे भाग रहा है. जिसका सीधा सीधा असर लाइफस्टाइल (Lifestyle) पर पड़ रहा है. ज्यादातर लोगों की आदत होती है कि वह खाना खाते ही सो जाते हैं या फिर टीवी देखते हुए बैठे रहते हैं. ऐसे लोग उठने के बाद भी भरा पेट ही महसूस करते हैं जिसके चलते डाइजेशन बिगड़ने लगता है

1. सौंफ
खाने के बाद सौंफ खाने से न केवल आपके मुंह को फ्रेश फील होता है बल्कि आपको बेड स्मेल से भी छुटकारा मिल जाता है. यही नहीं, सौफ खाने से आपको टॉक्सिन से निजात मिल जाती है साथ ही, आपका डाइजेशन बेहतर होने लगता है.

2. मसाज
आयुर्वेद के अनुसार, पेट की मालिश करने से आपके पेट की मांसपेशियों (Muscles) को आराम मिलता है. जिसके चलते आपका डाइजेशन बेहतर बनता है, कब्ज की परेशानी दूर होती है सूजन कम होती है.

3. वॉक
खाने के बाद बहुत ज्यादा हैवी कसरत आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है आपको प्रॉब्लम फेस करनी पड़ सकती है. ऐसे में आप खाना खाने के बाद तेज चल सकते हैं.

पैरों की दुर्गंध से पाना हैं छुटकारा तो आप भी आजमाएं ये उपाए

अक्सर दिनभर जूते पहने रखों तो पैर से गंदी बदबू आने लगती है ये बदबू किसी से भी बर्दाश्त नहीं होती पैरों की दुर्गंध आपको सबके बीच शर्मिंदा करती है तो इससे छुटकारा आप जरूर चाहेंगे जानिए ऐसे 5 घरेलू उपाय, जिनकी मदद से आप पैरों से आनी वाली पसीने की दुर्गंध से छुटकारा पा सकते है

नमक वाला पानी : बाहर से आने के बाद गुनगुने पानी में नमक मिलाकर उसमें 15 से 20 मिनट तक रोज पैर सेंकें इससे न सिर्फ पैरों से दुर्गंध गायब होती है बल्कि उनकी नमी भी बनी रहती है  एड़ियां नहीं फटतीं

चाय का पानी : चाय में मिलने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स संक्रमण से बचाते हैं  बैक्टीरिया मारते हैं जिससे पैरों से दुर्गंध नहीं आती एक ग्लास पानी में दो टी बैग डालें, 15 मिनट उबालने के बाद ठंडा होने के लिए छोड़ दें अब इस पानी को टब में पानी डालकर उसमें मिलाएं  30 मिनट तक पैर भिगोएं

कपड़ा भी रखता है मायने : नायलॉन  कॉटन के मोजे इस मामले में अच्छा विकल्प हैं क्योंकि ये पसीने को सोखने में मदद करते हैं जिससे पैरों से दुर्गंध नहीं आती है

पाउडर : टाइम बिल्कुल नहीं है तो रोज नहाने के बाद पैरों पर भी पाउडर लगाएं जिससे नमीं की वजह से पैरों से दुर्गंध न आ सके

जीभ पर झनझनाहट होना हैं इस खतरनाक बीमारी के शुरूआती लक्ष्ण

गर आपको हेल्दी रहना है तो आपके लिए जरूरी है कि हेल्दी चीजों का सेवन करें और साथ एक्सरसाइज करें। हेल्दी डाइट आपके शरीर का आधार है क्योंकि आप अपनी डाइट से सभी जरूरी विटामिंस और मिनरल्स प्राप्त करते हैं।

 इस विटामिन की कमी आपको तुरंत पता नहीं चलती है अगर आपको पता लगाना है कि कैसे बिना टेस्ट किस विटामिन की कमी का पता लगाया जाए तो यह तरीका आपके काम आ सकता है

जीभ पर कमी के लक्षण

विटामिन बी12 की कमी के यूं तो बहुत सारे लक्षण है लेकिन इनमें से एक लक्षण जो आपके मुंह के अंदर दिखाई देता है वह है लिंगुअल पैरेस्थीसिया ,यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपको अपनी झील पर कुछ विशिष्ट प्रकार की परेशानियां होने लगती है जिसमें शामिल है।

1 -जीभ पर झनझनाहट

2-जीभ पर सुईयों सी चुभन

3-जीभ पर सूजन महसूस होना

एक स्टडी के अनुसार 61 साल की महिला ने जी भी प्रचलन में जैसा महसूस किया जिसके बाद जांच की गई तो इस बीमारी का पता चला इन लक्षणों का खाने पीने से कोई संबंध नहीं था यह करीब 6 महीने तक आप ही मुंह में रह सकते हैं जब डॉक्टरों ने जांच में पाया तो महिला के शरीर में विटामिन बी12 की कमी थी।

दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ाता हैं हार्टबर्न, जानिए इसके लक्ष्ण

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग  एक क्रॉनिक कंडीशन है,  एसिड रिफ्लक्स का अनुभव होता है.होने पर पेट का एसिड भोजन नली या एसोफेगस में वापस जाता है.

इसके सबसे आम लक्षणों में सीने में दर्द होना शामिल है जिसे आमतौर पर “हार्टबर्न” कहा जाता है. बता दें कि ये रोग दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ाता है.

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग से पीड़ित लोगों के क्लिनिकल डेटा का विश्लेषण करने वाले कई अध्ययनों से पता चलता है कि ये रोग दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है. इसकेरोगियों में इस्केमिक हार्ट डिसीज होने की आशंका बढ़ जाती है और इससे दिल में खून का प्रवाह भी कम हो जाता है.

गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स पाचन से जुड़ी परेशानी और आंतों के खराब स्वास्थ्य से जुड़ा है, जिसे क्रॉनिक कंडीशन की जड़ माना जाता है. इसकी वजह से होने वाली बीमारियों में कार्डियोवैस्कुलर रोग भी शामिल हैं.  यह बढ़ी हुई सूजन सीधे-सीधे दिल के रोगों और आर्टरियल प्लाक जमा करने का कारण बनती है.एसिड रिफ्लक्स की वजह से वेगस नर्व भी ट्रिगर हो सकती है.

अनानास का जूस है बेस्ट इम्यूनिटी बूस्टर, ठण्ड में जरुर करें इसका सेवन

धरती पर तरह-तरह के फलों को उगाया जाता है. हर फल को खाने के फायदे भी अलग हैं. कोई फल मिनरल्स में रिच है, तो कोई कैल्शियम में, किसी से पाचन शक्ति अच्छी होती है, तो किसी को खाने से इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होती है.

इन्ही में से एक है अनानास जो कि बहुत ही फेमस फल है. इसे लोग काटकर कम खा पाते हैं, अनानास और उसके रस को लोग कई संस्कृतियों में अलग-अलग बीमारियों के इलाज या रोकथाम के लिए उपचार के रूप में उपयोग में लाते हैं.

हाल ही में एक शोध किया गया जिसमें पाया गया कि अनानास का रस स्वास्थ्य लाभ के लिए बेमिसाल है. इसका जूस बेहतर पाचन, हृदय स्वास्थ्य और कुछ तरह के कैंसर से सुरक्षा में सहायक होता है. चलिए जानते हैं रिसर्च के अनुसार, क्या हैं अनानास जूस के फायदे.

अनानास फल का स्वाद खट्टा होता है.  लोग इसका जूस आसानी से पी लेते हैं. बता दें अनानास का जूस एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जिसे पीने से आपका शरीर कई तरह की बीमारी से बचा रहता है.

ये एंजाइम्स का एक समूह जो सूजन को कम कर सकता है, पाचन में सुधार करता है और प्रतिरक्षा को बढ़ाता है.अनानास जूस पर की गई कई रिसर्च के बाद ये सामने आया कि ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है.

साथ ही अनानास का रस विशेष रूप से मैंगनीज, कॉपर, विटामिन-बी6 और सी से भरपूर होता है. यह सभी पोषक तत्व हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जो अनानास के रस से प्राप्त किए जा सकते हैं.