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हेल्थ

भोजन और नाश्ते में क्या आप भी करते हैं देसी घी का सेवन तो पढ़े ये खबर

देसी घी का उपयोग भारत में वैदिक काल के पूर्व से होता आ रहा है। पूजा पाठ मे घी का उपयोग अनिवार्य है। अनेक औषधियों के निर्माण में देसी घी काम आता है। मक्खन और घी मानव आहार के अत्यावश्यक अंग हैं। इनसे आहार में पौष्टिकता आती है ओर भार की दृष्टि से सर्वाधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।

– आपको बता दें कि देसी गाय के घी से दिमाग तेज होता है. इसी के साथ ऐसा गायों की अलग-अलग प्रजाति और उनके दूध से मिलने वाले अलग-अलग गुणों के कारण होता है.

– बहुत कम लोग जानते हैं देसी गाय का घी हमारे दिमाग को तेज और कुशाग्र बनाता है. इसके अलावा जर्सी गाय और भैंस का दूध हमारे शरीर को बलवान बनाने का काम करता है इसका मतलब है मसल्स बनानी हैं तो भैंस के दूध और घी का उपयोग करना चाहिए.

– आप नहीं जानते होंगे दोनों समय के भोजन और नाश्ते में भी मध्यम मात्रा में देसी घी का उपयोग किया जा सकता है. लेकिन जिन लोगों को हार्ट, शुगर या कोई अन्य गंभीर रोग है, उन्हें अपनी डायट में किसी भी नई चीज को शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए.

दुबलेपन की वजह से होना पड़ता हैं शर्मिंदा तो आजमाएं ये उपाएँ

अगर आप अपने दुबलेपन से तथा कमजोर शरीर से परेशान है। तथा आप अपने शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाना चाहते हैं। तो अपने रेगुलर खाने के साथ अतिरिक्त कैलोरी जोड़ें ताकि आपके शरीर को और ज्यादा कैलोरी मिल सके. जैसे की आप अपने नियमित खाने के साथ दूध केले आदि का सेवन अवश्य करें.

महिलाओं के लिए केला खाना ज्यादा फायदेमंद हैं क्योंकि इससे उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं. इतना ही नहीं, केले में मौजूद पोटैशियम डायट में मौजूद नमक की अधिक मात्रा को कंट्रोल कर सकता है.

रिसर्च के मुताबिक, केला खाने से डिप्रेशन दूर होता है. केले में मौजूद प्रोटीन से ना सिर्फ मूड बेहतर होता है बल्कि आपका अच्छा महसूस करते हैं.केले में मौजूद विटामिन बी6 से ब्लड ग्लूकोस नियंत्रि‍त होता है जिससे पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द कम होता है.

केले में मौजूद आयरन से एनिमिया की शिकायत दूर होती है. केले में मौजूद फाइबर से कब्ज की समस्या दूर होती है. हैगओवर से निजात पानी है तो भी केला और शहद साथ में खा सकते हैं.

डायबिटीज, पाचन संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में कारगर हैं रसोई में रखी ये चीज़

रसोई में पाया जाने वाला ये मसाला आपके शरीर को रख सकता है स्वस्थ, व मेथी में घुलनशील फाइबर होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकती है। मेथी दानों का सुबह खाली पेट सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सकता है।

इसकी पत्तियों का उपयोग एक स्वादिष्ट पकवान और यहां तक कि परांठे तैयार करने के लिए किया जाता है। ये बीज गुणों से भरे होते हैं जो डायबिटीज , पाचन संबंधी समस्याओं और यहां तक कि हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जाने जाते हैं।

मेथी के बीज पेट के कैंसर जैसी बीमारियों को रोकने में भी मददगार हो सकते हैं। एसिड रिफ्लक्स, एसिडिटी और कब्ज से निपटने में फायदेमंद हो सकते हैं।

यह डायबिटीज को कंट्रोल करने और मधुमेह से बचाव में मददगार साबित हो सकते हैं। ब्लड शुगर लेवले को कंट्रोल करने के घरेलू उपायों में आप मेथी के बीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।

Green Tea आपकी याद्दाश्त बढाने में हैं बेहद कारगर

ग्रीन टी, सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है इससे शायद ही आज कोई अंजान है। फिटनेस को प्रियोरिटी देने वालों के तो डाइट का ये बहुत ही खास हिस्सा बन चुकी है।

 

लेकिन इसे कब पीना चाहिए, कितनी मात्रा में पीना चाहिए जैसी चीज़ों पर कम ही लोगों का ध्यान ज्यादा है। तो आपको बताना चाहेंगे कि किसी भी चीज़ को फायदा लेने के लिए जरूरी है उसे सही तरीके से खाना या पीना। तो आज हम ग्रीन टी के बारे में जानेंगे।

याद्दाश्त बढ़ाता है

हमारे दिमाग में तंत्र-तंत्रिका को लगातार सुचारू रूप से काम करने के बहुत सारी रक्तवाहिकाओं की जरूरत पड़ती है। जिसे रोजाना ग्रीन टी (Green Tea) का सेवन करके मजबूत बनाया जा सकता है।  जो लोग रोजाना ग्रीन टी पीते हैं, तो उनकी याद्दाश्त बढ़ती है जिससे लंबे समय तक चीजों और बातों को याद रख पाते हैं।

बालों के लिए फायदेमंद

अगर आप दो मुंहे बालों, झड़ते बालों की समस्या से हमेशा परेशान रहते हैं, तो ऐसे में आप नियमित रूप से ग्रीन टीपीना शुरू कर दें। क्योंकि ग्रीन टी में पाया जाने वाला विटामिन B दो मुंहे बालों को खत्म करता हैं, तो वहीं ग्रीन टी में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट बालों के ग्रोथ को बढ़ाता है साथ ही मुलायम और घने बनाता है।

डायबिटीज

अगर आप डायबिटीज के पेशेंट हैं तो आपके लिए ग्रीन टी पीना बेहद फायदेमंद रहेगा, क्योंकि उसमें पैलीफेनॉल्स और पोलीस्च्चराइड्स नामक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के इंसुलिन को कंट्रोल रखता है।

विटामिन और मिनरल्‍स आपके आहार में हैं बेहद जरुरी, जानिए इसके लाभ

शरीर को स्‍वस्‍थ्‍य रहने के लिए विटामिन और मिनरल्‍स की जरूरत होती है। शरीर में कमी होने पर बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। स्‍वस्‍थ्‍य रहने के लिए शरीर में जरूरी पोषक तत्‍व होना चाहिए।

ऐसा जरूरी भी नहीं है कि हम भोजन में सभी विटामिन और मिनरल्‍स खा रहे हैं। इसलिए शरीर में कमी होने पर वह प्रतिक्रिया देना शुरू कर देते हैं इसलिए आइए जानते हैं, विटामिन और मिनरल की कमी होने पर क्‍या करें।

नाखून और बालों गिरना- नाखून बढ़ नहीं रहे हैं, टूट रहे हैं और बाल लगातार गिर रहे हैं। इसका मतलब आपके शरीर में मिनरल्‍स और विटामिन की कमी है। शरीर में पोषक तत्‍वों की कमी होने पर यह संकेत नजर आते हैं।

दांतों से खून आना – अक्‍सर ब्रश करने के दौरान मुंह से ब्‍लड आ जाता है। ऐसे में आपको विटामिन सी की कमी है। शरीर में विटामिन सी की कमी होने पर हड्डियां भी कमजोर होने लगती है। इस कमी को पूरा करने के लिए डॉक्‍टर अलग से सप्‍लीमेंट्स देते हैं।

त्‍वचा लाल हो जाना – कुछ लोगों को जरा सी खरोच या रगड़ लगने पर त्‍वचा एकदम लाल हो जाती है। ऐसे में आपके शरीर में विटामिन बी 6 की कमी है। विटामिन बी 6 शरीर में कोलेजन बढ़ाने में मदद करता है। इससे त्‍वचा पर ग्‍लो बना रहता है।

आप एक दिन में कितने सेब खा सकते हैं? जानकार उड़ जाएंगे होश

किसी भी चीज की अधिकता सेहत के लिए हानिकारक होती है। फिर चाहे वो फल हो या फिर सब्जी या फिर फास्ट फूड। सेब एक ऐसा फल है जो आपको बाजार में 12 महीने आराम से मिल जाएगा। ये ना केवल स्वाद में बेहतरीन होता है बल्कि सेहत के लिए भी अच्छा होता है। लेकिन क्या आपको पता है सेब का अधिक सेवन करना भी आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है। जानें सेब के अधिक सेवन से सेहत को कौन कौन से नुकसान हो सकते हैं।

 

आप एक दिन में कितने सेब खा सकते हैं? शोध के मुताबिक एक व्यक्ति एक दिन में एक से दो सेब खा सकता है. लेकिन अगर आप इसका अधिक मात्रा में सेवन कर रहे हैं तो संभवतः इसके कुछ खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं.

पाचन संबंधी समस्याएं
फाइबर हमारे पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. लेकिन बहुत अधिक मात्रा में इसका सेवन पाचन संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है.

यह आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है

सेब अम्लीय होते हैं. इसका बहुत अधिक सेवन आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है.

एलर्जी
सेब उन लोगों के लिए बल्कुल ठीक नहीं है जिन लोगों को इसे खाने से एलर्जी का अनुभव होता है.

बादाम के साइड इफेक्ट्स के बारे में नहीं जानते होंगे आप

पुरानी कहावत है कि बादाम खाने से दिमाग तेज हो जाता है। बादाम कई मायनों में शरीर के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन बादाम कम मात्रा में ही खाने चाहिए। ज्यादा मात्रा में बादाम खाना आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। अत्यधिक मात्रा में बादाम खाने से किडनी में पथरी की समस्या भी हो सकती है। बादाम के साइड इफेक्ट्स के बारे में कम लोग ही जानते हैं।

 

कब्ज
अगर आप बादाम का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं तो यह कब्ज, सूजन और आपके पेट में परेशानी पैदा कर सकता है. बादाम फाइबर से भरपूर होते हैं. बादाम के अधिक सेवन से होने वाले अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण हैं जैसे- सूजन, गैस, पेट में ऐंठन और दस्त आदि.

एलर्जी
कुछ लोगों को बादाम खाने से एलर्जी हो सकती है. इसके लक्षणों में मुंह में खुजली, गले में खराश और जीभ, मुंह और होंठ में सूजन शामिल हैं. जिन लोगों को इससे एलर्जी है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए.

वजन बढ़ना
बादाम में वसा की मात्रा और कैलोरी अधिक होती है. इसका एक बड़ा हिस्सा मोनोसैचुरेटेड वसा का है, जो हृदय के लिए स्वस्थ हैं. अगर आप व्यायाम नहीं करते हैं और आपकी लाइफस्टाइल ठीक नहीं है तो इससे आपके शरीर में वसा जमा हो सकती है. इसलिये इसका सेवन सीमित मात्रा में करें.

क्या आपको भी हैं भूलने की बिमारी तो जरा पढ़ ले ये खबर

बाइक की चाबी इधर-उधर रखने की आदत से परेशान हैं? बाद में चाबी खोजते समय पूरा घर सिर पर उठा लेते हैं? अगर हां तो भूलने की इस बीमारी को हल्के में न लें। यह हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) की निशानी हो सकती है। अमेरिका स्थित मेयो क्लीनिक का हालिया अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है।

 

इसमें स्मृति, ध्यान, मौखिक प्रवाह और एकाग्रता जैसी चीजें शामिल हैं। 120 mmHg-129 mmHg सिस्टोलिक (शीर्ष संख्या) या उच्चतर के उच्च रक्तचाप को उच्च माना जाता है। सिस्टोलिक दबाव 130 मिमी एचजी से अधिक है। डायस्टोलिक दबाव (कम संख्या) 80 मिमीएचजी या अधिक उच्च रक्तचाप माना जाता है।

यह स्थिति तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं पर भारी पड़ती है और वे दम तोड़ने लगती हैं। इससे न सिर्फ याददाश्त, बल्कि तर्क शक्ति और एक साथ कई काम निपटाने की क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है।

किसी भी उम्र में रक्तचाप के समान प्रभाव: ब्राजील में यूनिवर्सिड फेडरल डे मिनस गेरैस में मेडिसिन के प्रोफेसर और अध्ययन लेखक सैंडी एम। बरेटो ने कहा कि हमने शुरू में यह अनुमान लगाया था कि संज्ञानात्मक कार्यों पर उच्च रक्तचाप का नकारात्मक प्रभाव तब अधिक महत्वपूर्ण है, जब उच्च रक्तचाप कम उम्र में शुरू होता है, लेकिन हमारे परिणामों से पता चलता है कि संज्ञानात्मक प्रदर्शन में एक समान गिरावट तब देखी जाती है जब उच्च रक्तचाप मध्यम आयु या यहां तक ​​कि बड़ी उम्र में शुरू होता है।

50-60 साल की आयु के बाद मांसपेशियों को यूँ रखें ठीक

शरीर में होने वाली पोषक तत्त्वों की कमी की पूर्ति के लिए हर चिकित्सा पद्धति में सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं. ये मुख्यत: कैल्शियम  आयरन के होते हैं जिन्हें हर आयु और वर्ग के आदमी को देते हैं. प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के अर्क से तैयार होने के कारण ये दुष्प्रभाव नहीं छोड़ते. आइए जानते इनके फायदाें के बारे में :-

 

गर्भावस्था में लाभदायक : प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में आयरन तत्त्व की कमी से एनीमिया रोग आम है. ऐसे में गर्भावस्था के दौरान चौथे माह से महिला को फैरम फॉस आठवें माह तक दिन में 4-4 गोली तीन बार लेने की सलाह देते हैं.

वृद्धावस्था : आयु के इस पड़ाव पर 50-60 साल की आयु के बाद ज्यादातर पुरुष और स्त्रियों की मांसपेशियां  हड्डियां निर्बल होने लगती हैं. ऐसे में कैल्शियम फॉस दिन में तीन बार 4-4 गोली  जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए कैल्केरिया फ्लोर देते हैं.

प्राकृतिक स्रोत से पूर्ति: महत्वपूर्ण पोषक तत्त्वों की पूर्ति के लिए खाए जाने वाले सप्लीमेंट्स तभी प्रभाव करते हैं जब इनके प्राकृतिक स्रोतों को नियमित लेते रहें. जैसे कैल्शियम की पूर्ति के लिए दूध और आयरन के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां रोज खानी चाहिए. कई बार इन्हें खाने के बावजूद आंतें इनमें उपस्थित तत्त्वों को अवशोषित नहीं कर पाती. होम्योपैथी सप्लीमेंट इनके अवशोषण और काम को ठीक करने में मददगार है.

सर्दियों में अपने शरीर की इम्‍यूनिटी बढ़ाने के लिए करें इन चीजों का सेवन

सर्दियों में आमतौर पर पानी पीना कम व कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन बढ़ जाता है जो आपकी हेल्‍थ के लिए हानिकारक है. लेकिन आप परेशान न हो क्‍योंकि चिकित्सकों का बोलना है कि ठंड के मौसम में कुछ सरल चीजों को अपनाकर अच्छी हेल्‍थ पाई जा सकती है.फिजिकल एक्टिविटी की कमी और अहेल्‍दी जंक फूड खाने से सर्दियों में वजन का बढ़ना बहुत ही आम बात है. लेकिन लोगों को सर्दियों में इन चीजों की स्थान अखरोट, हरे पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फलों, शकरकंद व अंडे खाना चाहिए.”

दूसरा विकल्प आयुर्वेदिकमेंवजन न बढ़े इसके लिए लाइफस्‍टाइल अपनाना है. आयुर्वेद के हिसाब सेइम्‍यूनिटीआपके डाइजेशन से जुड़ी है. जब डाइजेशन मजबूत होगा व भूख अच्छी लगेगी तो इम्‍यूनिटी मजबूत रहेगी. जब कभी डाइजेशन निर्बल होता है, इम्‍यूनिटी अपने आप निर्बल हो जाती है.

ध्यान देने वाली बात ये यही कीजैसे ही भूख बढ़ती है, लोग अधिक जंक फूड, भारी खाना व सरलता से हजम नहीं होने वाली चीजें खाने लगते हैं. लेकिन यह समझना जरूरी है कि बेकार रोग इम्‍यून सिस्‍टम का निर्माण हम खुद कर रहे हैं व प्रकृति इसके लिए दोषी नहीं है. इस सीजन के लिए यह अधिक जरूरी है कि लोग जाड़े के दौरान इम्‍यूनिटी बढ़ाने वाली चीजें खाएं औरआयुर्वेदके हिसाब से लाइफस्‍टाइल अपनाएं.

आयुर्वेद के मुताबिकसर्दियों का मौसम ऐसा सीजन होता है जब प्रकृति हमारा पोषण करने को तैयार रहती है. डाइजेशन का लेवल बहुत ऊंचा होने की वजह से भूख व डाइजेशन की ताकत अन्य सीजन के मुकाबले अधिक होती है. लोग सोचते हैं कि यह सीजन इम्‍यूनिटी के लिए बेकार है क्योंकि वे अस्वास्थ्यकर खाना व जल्दी हजम नहीं होने वाला खाना खाती हैं जिससे उनकी इम्‍यून सिस्‍टम सुस्त हो जाती है.