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हेल्थ

मात्र 7 दिन में 10 किलो तक वजन कम करने के लिए आजमाएं ये उपाए

आप वजन घटाने (Weight Loss) के लिए जिम जाने का प्लान बना रहे हैं.? अगर हां तो सबसे पहले आप इन तरीकों को आजमा लें. क्योंकि ये खास तरीके 7 दिन में 10 किलो तक वजन कम कर सकते हैं. इन वेट लॉस उपायों (Weight Loss Tips) से आप एक सप्ताह या हफ्ते में तेजी से वजन घटाते हैं. इन घरेलू और जीवनशैली के उपायों में आपको जिम जाने की जरूरत नहीं है. कुछ लोग तेजी से वजन कम करने के लिए दवाइयों का उपयोग करने लगते हैं.

जब आपका शरीर डिहाइड्रेटेड होता है, तो ये आसानी से शरीर के अपशिष्ट और टॉक्सिन्स को नहीं हटा सकता. पानी किडनी की टॉक्सिन्स को फिल्टर करने में मदद करता है. शरीर के डिहाइड्रेटेड रहने पर किडनी तरल बनाए रखता है. डिहाइड्रेशन कब्ज का कारण भी बन सकता है. पानी कठोर मल को हल्का कर मल की गति में मदद करता है.

रिसर्च से ये बात सामने आई है कि लंच और डिनर से आधा घंटा पहले एक ग्लास पानी पीने के बड़े फायदे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक एक ग्लास पानी पीने से भोजन के दौरान आपको ज्यादा खाने से रुकने में मदद मिलेगी. भोजन से पहले पानी पीने से कैलोरी की संख्या को करीब 13 फीसद तक घटाता है.

छोटे बच्चे को सर्दी-जुकाम से बचाने में कारगर हैं केसर…

केसर के सेहत को कई तरह के फायदे होते हैं. जी दरअसल केसर का आयुर्वेदिक गुण, कई छोटी-छोटी बीमारियों को ठीक करने में आपकी मदद कर सकता है. ऐसे में आयुर्वेद में केसर के अनेक गुण बताए गए हैं.यह एंटी-फंगल के तौर पर भी काम करता है। केसर को चेहरे पर लगाने से डेड स्किन हट जाती है और साफ और चमकदार त्वचा सामने आती है।

अगर छोटे बच्चे को सर्दी-जुकाम हो, तो इसके लिए बच्चे को दूध में मिलाकर केसर देना चाहिए. अदरक के रस में केसर और हींग को मिलाकर बच्चे या बड़े की छाती पर लगाने से लाभ मिलता है.

अगर आपके चेहरे पर दाग-धब्बे या चोट के निशान हैं तो 5-6 तुलसी के पत्तों को मसलकर उसमें दो चुटकी केसर मिलाएं। अब इसे चेहरे पर लगाएं और सूखने के बाद धो दें। इससे चेहरे के मार्क्स हट जाएंगे।

आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए 10 केसर के रेशे दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है.असली चंदन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और सिर दर्द नहीं होता है.

अजवाइन के साथ केसर मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है. जी दरअसल केसर का सेवन करने से हृदय संबंधी रोग दूर होते हैं.

गठिया, किडनी स्टोन्स जैसी बिमारियों को जन्म दे सकता हैं यूरिक एसिड

यूरिक एसिड एक केमिकल है, जो हमारे शरीर द्वारा तब रिलीज किया जाता है,  यह प्यूरीन्स नामक केमिकल कंपाउंड को डायजेस्ट करता है. इन्हें हमारा शरीर भी प्रोड्यूज कर सकता है.

शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक बढ़ जाती है. शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने से कई समस्याएं हो सकती हैं- जैसे गठिया, किडनी स्टोन्स आदि. ऐसे में इसकी मात्रा को सही बनाये रखने के लिए खानपान का सही होना बेहद जरूरी है.

बादाम से केवल दिमाग ही तेज नहीं होता  इनमें प्यूरीन्स लो होता है और यह विटामिन ई, मैग्नीशियम आदि से भरपूर होता है. इसलिए यूरिक एसिड को कंट्रोल में रखने के लिए आप इनका सेवन कर सकते हैं. भरपूर होता है और इसमें प्रोटीन भी पाया जाता है. यही नहीं इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं.

ड्राई खुमानी इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती है जिसके कारण हाई यूरिक एसिड लेवल के कारण होने वाली समस्याओं जैसे इंफ्लेमेशन से काफी हद तक राहत मिलती है.  इसके साथ ही इस समस्या से राहत पाने के लिए अपने लाइफस्टाइल को हेल्दी रखें.

गर्भावस्था में करेले का सेवन करने से होते हैं कई फायदें

करेला ऐसी सब्जी है जिसे देखकर अधिकतर लोग नाक सिकोड़ लेते हैं , असल में देखा जाए तो ये पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है जिसे फाइबर का भंडार कहा जाता है.यूं तो करेला डाइबिटीज के लोगों को भी खाने के लिए कहा जाता है .

गर्भावस्था यानी प्रेग्नेंसी में करेले का सेवन काफी लाभदायक हो सकता है. करेला एक ऐसी सब्जी है जो गर्भवती महिलाओं के मेटाबॉलिज्म को बूस्ट कर सकती है.

करेला प्रेग्नेंसी के दौरान फाइबर की कमी दूर करता है जिससे महिलाओं में उन दिनों आमतौर पर होने वाली कब्ज और बवासीर से छुटकारा मिलता है.  खनिज प्रेग्नेंट महिला की दिनभर की खनिज की जरूरतों को पूरा करता है.

वेब एमडी क अनुसार करेले में इतना फाइबर होता है कि इससे प्रेग्नेंसी के टाइम में मीठा और हाई कैलोरी फूड खाने की इच्छा कम होती है. इतना ही नहीं, करेले में पॉलीपेप्टाइड-पी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो डायबिटीज के जोखिम को कम करते हैं.करेला प्रेग्नेंसी के समय में महिलाओं को संक्रमण और बैक्टीरिया से लड़ने की शक्ति देता है. इसके भीतर मौजूद विटामिन सी संक्रमणरोधी क्षमता बढ़ाता है.

बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता हैं ऑरिगेनो, जानिए इसके लाभ

ऑरिगेनो का इस्तेमाल अक्सर आपने पिज्जा खाते वक्त किया होगा.  पिज्जा और पास्‍ता का स्‍वाद दोगुना करने वाला इटालियन हर्ब ऑरिगेनो दुनियाभर में मशहूर है. ड्राई ऑरिगेनो का प्रतिदिन सिर्फ एक चम्मच सेवन करने से विटामिन K की लगभग 8 प्रतिशत जरूरत की पूर्ति की जा सकती है.

ऐसे ही कई हेल्थ बेनिफिट्स हैं जिसे जानना बेहद जरूरी है.ऑरिगेनो में कई ऐसे कंपाउंड होते हैं जो शरीर में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकते हैं. इसे एक जड़ी बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता है.ऑरिगेनो में हाई एंटीऑक्सीडेंट होता है जो कैंसर के खतरे को कम कर सकता है.

ऑरिगेनो और इसके कुछ कंपाउंड कैंसर की कोशिकाओं को मारने में मदद कर सकते हैं. इसकी पत्तियों के नियमित सेवन से कोलन कैंसर के विकास और प्रसार को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

बैक्टीरिया से लड़ने के अलावा ऑरिगेनो कुछ वायरस से भी शरीर की रक्षा कर सकता है. ऑरिगेनो की पत्तियों में कार्वक्रोल और थाइमोल नामक दो कंपोनेंट्स होते हैं जो एंटी वायरल गुणों से भरपूर होते हैं.

एक नई स्टडी में हुआ खुलासा, Diabetes से छुटकारा पाने के लिए करें ये उपाए

 वर्तमान समय में डायबिटीज सबसे कॉमन बीमारियों में से एक है. दुनिया में करोड़ों लोग डायबिटीज की समस्या से जूझ रहे हैं. ब्लड शुगर  सामान्य से अधिक हो जाता है और शरीर में इंसुलिन की फंक्शनिंग सही तरीके से नहीं हो पाती  .

ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए वॉकिंग और एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है. डायबिटीज के मरीजों के लिए दोपहर या शाम के वक्त वर्कआउट करना फायदेमंद होता है. इस बारे में जरूरी बातें जान लीजिए.

 हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए दोपहर या शाम को एक्सरसाइज या अन्य फिजिकल एक्टिविटी करना ज्यादा फायदेमंद होता है. मिडिल एज वाले लोगों में सुबह की अपेक्षा दोपहर से लेकर रात तक वर्कआउट करने से इंसुलिन रजिस्टेंस में 25% की कमी आती है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है.

एक्सरसाइज की टाइमिंग और इंसुलिन रजिस्टेंस में बदलाव के बारे में पता लगाना था. इस स्टडी में 45 से 65 साल के करीब 70000 लोगों को शामिल किया गया था.

फिजिकल एक्टिविटी करने वाली महिलाओं को नहीं होती हैं ये समस्या

छोटे बच्चों वाली माओं में मीडियम से हाई एक्सरसाइज के जरूरी लेवल को पाने की संभावना सबसे कम होती है। ये आधी से भी कम महिलाएं करती हैं। फिजिकल एक्टिविटी, विशेष रूप से जब ये मीडियम से ज्यादा होती है,टाइप 2 डायबिडिज और हार्ट प्रॉबमल तक की बीमारियों की एक काफी बड़ी रेंज के जोखिम को कम करते हैं, साथ ही हेल्थी वजन बनाए रखने में मदद करते हैं।

सबूत बताते हैं कि फिजिकल एक्टिविटी वाले पेरेंट्स की डेली रूटीन की चुनौतियों से निपटने में ये मदद कर सकती है और अगर वे एक साथ सक्रिय हैं तो बच्चों के साथ संबंध मजबूत कर सकते हैं। हालांकि, बच्चो के पेरेंट्स गैर-पेरेंट्स की तुलना में कम एक्टिव होते हैं।

स्कूल-एज ग्रुप के बच्चों वाली महिलाओं ने प्रति दिन औसतन लगभग 26 मिनट मीडियम से हाई फिजिकल एक्टिविटी की, जबकि केवल छोटे बच्चों  वाली आओं ने प्रति दिन लगभग 18 मिनट क मैनेजमेंट किया।

लगभग 21 मिनट मीडियम से हाई फिजिकल एक्टिविटी कर पाती हैं, लेकिन दिलचस्प बात ये है कि पांच साल से कम उम्र के कई बच्चों वाली मॉमेल ने स्कूली उम्र के बच्चों की तुलना में अधिक लाइट से हाई फिजिकल एक्टिविटी की।

खानपान का ठीक से ध्यान नहीं रखना भी आपको बना सकता हैं बीमार…

 तेजी से बदली हुई जीवनशैली में हर कोई कभी न कभी किसी न किसी वजह से तनाव में रहता है. हम जिस तरह से जीवन व्यतीत करते हैं उसका मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है.

अभी तक ऐसा माना जाता रहा है कि वर्क लोड, पारिवारिक समस्याओं या फिर जिम्मेदारियों की वजह से मनुष्य को तनाव होता है अगर आप अपने आहार में ज्यादा नमक वाली चीजों का सेवन करते हैं या फिर खाने में एक्स्ट्रा नमक लेते हैं तो इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है. उनकी यह आदत स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकती है.

वैसे तो ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल वाले मरीजों को कम नमक खाने की सलाह दी जाती रही है, अगर आप मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना चाहते हैं तो भी आपको नमक के सेवन पर रोक लगाने की जरूरत है. तनाव का स्तर करीब 75 फीसदी तक बढ़ सकता है जो शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक हानिकारक है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अच्छे स्वास्थ्य के लिए मनुष्य को एक दिन में करीब 6 ग्राम नमक का सेवन करना चाहिए. लेकिन, अधिकांश लोग अपनी डेली रूटीन में करीब 9 ग्राम नमक का इस्तेमाल करते हैं.

नमक के प्रभाव को जानने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग स्कॉटलैंड में वैज्ञानिकों ने चूहों पर एक स्टडी की. वैज्ञानिकों ने कुछ चूहों को कम नमक दिया जबकि वहीं कुछ चूहों को अधिक नमक दिया गया. एक्सपर्ट की मानें तो अधिक नमक से शरीर में जीन की प्रतिक्रिया बढ़ जाती है.

बच्चे कम उम्र में ही मोटापे का शिकार हो रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान

आजकल की लाइफस्टाइल में बड़े ही नहीं बच्चे भी मोटापे का शिकार हो रहे हैं.  लॉकडाउन लगाया गया था तो बड़ों के साथ बच्चे भी घर में रहने के आदि हो गए थे. आज भी अधिकतर बच्चे पहले की तरह घर से बाहर जाकर खेलने की बजाय मोबाइल चलाना अधिक पसंद करते हैं.

बच्चे कम उम्र में ही मोटापे का शिकार हो रहे हैं. बच्चों में मोटापा की समस्या कई रोगों को भी जन्म दे सकता है. ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों में हेल्दी ईटिंग हैबिट विकसित करने पर ध्यान देना बेहद ही जरूरी है.

आप यहां बताए गए कुछ तरीकों को अपना कर अपने बच्चों को मोटापे का शिकार होने से बचा सकते हैं. लाइफस्टाइल, खानपान में बदलाव करके उन्हें हेल्दी और फिट रख सकते हैं.बच्चों को कम उम्र से ही सारे पौष्टिक तत्वों से भरपूर चीजों को खिलाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.

आप उनके खनपान में शुरू से जो चीज़ें शामिल करेंगे, वे उसे आगे चलकर भी खाएंगे.इन सभी चीजों में फैट बेहद कम होता है. बच्चे को प्रतिदिन 2 फल और एक हरी सब्जी प्रत्येक भोजन के साथ अवश्य खिलाएं.

जिम में एक्सपर्ट ट्रेनर ना होने के कारण तेज़ी से बढ़ रहे इस चीज़ के मामले

कोरोना के बाद जिम में वर्कआउट करने के दौरान मौत होने के अब तक कई केस सामने आ चुके है। यहां हम आपको बताएंगे उन कारणों के बारे में जिनकी वजह से युवाओं में हार्ट प्रॉब्लमस बढ़ रही है।

हार्ट अटैक के मामले सुबह के वक्त होते हैं। दरअसल, सुबह के समय ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहता है। सुबह ब्लड क्लॉटिंग टेंडेंसी भी ज्यादा देखी जाती है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति की कोरोनरी आर्टरी में पहले से ही रिस्क फैक्टर्स हैं । एक्सरसाइज कर रही बॉडी की एक्सट्रा ऑक्सीजन की डिमांड पूरी नहीं होती। जो हार्ट अटैक का कारण बनता है।

अगर आप स्मोकिंग करते हैं, फिर स्टेरॉयड या दूसरी ऐसी दवाएं लेते हैं, जो आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह हैं,  असर आपके दिल की सेहत पर पड़ सकता है। कुछ लोग अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक एक्सरसाइज करते है, जिम के मालिकों और ट्रेनर की जिम्मेदारी है के वह अपने क्लाइंट्स की पूरी डिटेल ले कर अच्छी ट्रेनिंग दे और उनके सेहत की जिम्मेदारी खुद उठाए।

कई बार लोग जिम जाने के लिए अपनी मेडिकल फैमिली हिस्ट्री का भी ख्याल नहीं रखते। जो कि हार्टअटैक की बड़ी वजह हो सकती है। ऐेसे में ये जरूरी है कि जिन लोगों की फैमिली में हार्ट प्रॉब्लमस की हिस्ट्री रही है उन्हें अपनी सेहत को लेकर और भी ज्यादा अलर्ट रहना चाहिए। क्यूंकि आप में हार्ट प्रॉब्लमस बढ़ने का खतरा कई ज्यादा रहता है।