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हेल्थ

एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी घातक बिमारियों से आपको छुटकारा दिलाएगी ब्लू टी

कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सोशल मीडिया में कई तरह के पोस्ट वायरल हो रहे है और इसी बीच Dalgona कॉफ़ी बनाए का ट्रेंड भी छाया हुआ है लेकिन कॉफ़ी के बीच भी चाय पीने वालो का मन नहीं भरता , एक बेहद ही नए और सेहतमंद चाय ब्लू टी के बारे में जो सेहत के लिए भी बहुत गुणकारी है , तो देर किस बता की है आइये जानते है इसके कुछ लाभ

– ब्लू टी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं इसमें मौजूद बायो कंपाउड शरीर से टॉक्सिन्स निकालने में मदद करते हैं और सेहत के लिए लाभकारी होते हैं।

– एंग्जायटी और डिप्रेशन नहीं होता है ब्लू टी में मौजूद अमीनो एसिड सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता हैं। ये डिप्रेशन और एंग्जायटी को कम करते हैं और तनाव को दूर करने में मदद करते हैं।

– ब्लू टी में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स बालों और त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं।

– त्वचा को जवां और बालों को घना और खूबसूरत बनाने के लिए ब्लू टी का सेवन फायदेमंद होता है।

वायरल और बेक्टेरियल इन्फेक्शन को रोकने में बेहद कारगर हैं बेल का जूस

बील बहुत पुराना पारम्परिक औषधीय पेड़ है । लगभग 4000 सालों से इसे उपयोग में लाया जा रहा है। आयुर्वेद ने दशमूल जड़ीबूटी में इसे शामिल किया है। दशमूल दस ऐसी आयुर्वेदिक दवाओं का मिश्रण है जिनकी मदद से कई प्रकार की लाभकारी आयुर्वेदिक दवा बनाई जाती है जो विभिन्न रोगों को ठीक करती है।

बेल-मूल तथा पेड़ का छाल से बने क्वाथ से विभिन्न तरह के ज्वरों का उपचार किया जाता है. गूदे से बने शर्बत में जल में घुलनसील एंटी-ऑक्सीडेंट्स, फेनोलिक तत्व तथा एंटी-म्यूटाजेन्स पाए जाते हैं, आयुर्वेदिक चिकित्सा में बेल-मूलों से वात-कफ-पित्त से होने वाले दोषों तथा ज्वरों को सही किया जाता है.

बेल का फल अनेक प्रकार के रोगों की दवा है। ये कब्ज , अपच , पेट के अल्सर , बवासीर , साँस की तकलीफ , डायरिया आदि से मुक्ति दिलाता है। वायरल और बेक्टेरियल इन्फेक्शन को रोकता है। । कैंसर जैसे रोग से बचाता है। इनके अलावा भी कई रोगों में काम आता है।

उदर विकारों में बेल का फल रामवाण दवा के रूप में उपयोग किया जाता है. फल के नियमित सेवन से कब्ज जड़ से खत्म हो जाता है. बेल फल उदर की स्वच्छता के अतिरिक्त आंतों को साफ कर उन्हें ताकत भी देता है.

 

शरीर को प्रोटीन युक्त आहार देने से आपको नहीं होगी ये जानलेवा बीमारियाँ

कार्यालय या घर पर कार्य करने के दौरान हम एक ही मुद्रा में बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहते हैं. इससे हमारे शरीर में रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से नहीं हो पाता है. पानी शरीर के लिए बहुत आवश्यक है. पानी की कमी से शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है जिससे थकावट महसूस होती रहती है. इसलिए पानी खूब पिएं.

बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि हमारे शरीर को प्रोटीन युक्त आहार की आवश्यकता होती है लेकिन पौष्टिक व स्वास्थ्यवर्धक आहार लेने के बजाय हम ऊलजलूल चीजें खाते रहते हैं.जब भी थकान महसूस होती है, फोकस करने में दिक्कत होती है,.

काम पर कॉन्सनट्रेशन नहीं हो पाता है या फिर एनर्जी की कमी महसूस होती है तो सबसे पहले आपको क्या याद आता है? हम में से 80 प्रतिशत लोगों का जवाब होगा- 1 कप कॉफी। इसमें कोई शक नहीं कि अगर कभी काम के दौरान एनर्जी की कमी महसूस हो रही है,

इसलिए कार्य करने के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें व स्ट्रेचिंग करते रहें इससे आपकी शरीर को थकान महसूस नहीं होगी व आप लम्बे समय तक कार्य भी कर पाएंगे.हरी साग-सब्जी का सेवन करेंगे तो शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण मिलेगा व शरीर नहीं थकेगा.

 

विटामिन सी से भरपूर टमाटर का सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए हैं बेहद लाभदायक

भारतीय व्यंजनों में टमाटर का विशेष महत्व है। इसका उपयोग सब्जियों, सलाद में, सूप के रूप में, सॉस के रूप में और सौंदर्य उत्पाद के रूप में भी किया जाता है।स्टडी में रिसर्चर ने बताया कि कैसे न्यूट्रि‍शनल इंटरवेंशन स्किन कैंसर के खतरे में बदलाव ला सकता है.

रिसर्च के दौरान पुरुषों को खाने में रोजाना 35 हफ्तों तक टोटल खाने का 10% टमाटर पाउडर खिलाया गया और फिर धूप में छोड़ दिया. रिसर्च में देखा गया कि टमाटर ना खाने वालों की तुलना में लगभग 50% में स्किन कैंसर का रिस्क कम था.

गर्भावस्था में टमाटर का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है; इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है, जो गभर्वती के लिए काफी अच्छा होता है.गठिया में टमाटर बहुत फायदेमंद है। अजमोद को टमाटर के रस में मिलाकर रोजाना पीने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।

गर्भावस्था में टमाटर का सेवन बहुत फायदेमंद होता है यह विटामिन सी से समृद्ध है, जो गर्भावस्था के लिए अच्छा है।अगर आपको पेट के कीड़े हैं, तो सुबह खाली पेट टमाटर पर काली मिर्च डालकर खाएं।

तीन हफ़्तों से ज्यादा खांसी का बने रहना भी हैं इस जानलेवा बीमारी के लक्ष्ण

बिना पोषण का आहार केवल पेट ही नहीं भरता बल्कि कई बीमारियों का कारण बनने वाले जीवाणु तथा कीटाणु भी हमारे शरीर में भरता है और शरीर को कमजोर बनाता है। ज्यादातर मरीज बीमारी के इलाज के लिए दवाइयां खाते हैं लेकिन आहार में सही बदलाव नहीं करते जिस कारण शरीर और भी तेज़ी से कमजोर पड़ने लगता है तथा इसकी वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम या खत्म होने लगती है, जिससे फेफड़े कमजोर होना शुरू हो जाते है।

 

जीवाणु को माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम से जाना जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस जीवाणु से प्रभावित है और जीवाणु से ग्रसित व्यक्ति के खांसते, बोलते या छींकते समय उसके मुंह से निकले छींटे कोई अन्य व्यक्ति अवशोषित करता है तो वह व्यक्ति संक्रमित हो सकता हैं। हालांकि टीबी रोग का प्रसार किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से नहीं होता है।

(टीबी) के लक्षण-
1. तीन हफ़्तों से जयादा तथा लगातार खांसी का बना रहना।
2. खांसी के साथ साथ बुखार का आना तथा ठण्ड लगना ।
3. सीने में दर्द होना तथा खांसी आते समय अधिक दर्द होना।
4. कमजोरी तथा थकाबट।
5. भूख न लगना तथा वजन का कम होना।
6. रात में तथा सोते समय अधिक पसीना आना।

उपचार तथा देखभाल-
चूंकि क्षय रोग (टीबी) श्व्सन सम्बन्धी रोग है जिस कारण यह शरीर के अन्य हिस्से जैसे की हड्डिया, मष्तिष्क, पेट, पाचन तंत्र, किडनी तथा लिवर को संक्रमित कर सकता है। इस रोग का इलाज डॉक्टर तथा डाइइटीशियन की सलाह तथा सुझाव के साथ महीनो तक तथा लगातार चलने वाला इलाज है। टीबी के इलाज के दौरान कई प्रकार की एंटीबायोटिक दवाये मरीज को दी जाती है जो की माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु को नष्ट तथा नियंत्रित करती है।
अधिक पोषण युक्त तथा दिन में कई बार भोजन लेना चाहिए। और मरीज के द्वारा लिए जाना भोजन संतुलित होना चाहिए। सन्तुलिन आहार की थाली में यह सुनिश्चित करे की सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे की भिन्न भिन्न प्रकार के अनाज, दालें, दूध, दही, घी, पनीर, हरी तथा अन्य प्रकार की सब्जियां एवं फल, गुड़ तथा सही मात्रा में भोजन में नमक हो। इस प्रकार हम टीबी से होने वाली मृत्यु दर को रोक सकते है तथा मरीज के अच्छे स्वास्थ्य की परिकल्पना करना पूरी तरह संभव है।

विटामिन, मिनरल से भरपूर खीरे का सेवन करने से मिलेगा फूड पॉइजनिंग से छुटकारा

अक्सर अच्छी सेहत के लिए सभी खाने के साथ सलाद का सेवन करते हैं। सलाद में खीरा बड़े चाव से खाया जाता है। खीरे में कई ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए जरूरी होते हैं। इसमें विटामिन, मिनरल और इलेक्ट्रोलाइट्स का पावरहाउस कहा जाता है। इसका सेवन आप किसी भी रूप में कर सकते हैं।

बहुत से लोग इसे सलाद, सैंडविच, रायता जैसी चीजों में खाना पसंद करते हैं। गर्मियों में हल्का और साफ भोजन करना चाहिए, क्योंकि सर्दियों के मुकाबले इस सीजन में डायरिया और फूड पॉइजनिंग की समस्‍या अधिक होती है। इसलिए हमें अपने डायट का विशेष ख्याल रखना चाहिए। चलिए जानते हैं खीरा खाने के दौरान हमें किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

खीरे में लगभग 95 फीसदी पानी होता है।  स्किन और बालों के लिए खीरा काफी अच्छा माना जाता है। इसमें 95 फीसदी पानी होने की वजह से इसे खाने के बाद पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं, तो खीरे में मौजूद पोषक तत्‍वों से वंचित रह सकते हैं। खीरे में मौजूद पोषक तत्वों के बेहतर अवशोषण के लिए आप कच्ची सब्‍जियां और फलों के साथ खीरे का सेवन कर सकते हैं।

आंखों की थकावट को दूर करने के लिए टी-बैग का इस प्रकार करें प्रयोग

हर कोई चाहता है कि उसकी त्वचा हमेशा खूबसूरत और जवां दिखे लेकिन प्रदूषण और काम के बोझ की वजह से ऐसा हो नहीं पाता। दिन भर काम करने के बाद थकान आपके चेहरे पर साफ दिखने लगती है।

ऐसे में अगर किसी पार्टी या दोस्तों की शादी में जाना पड़ जाए तो किसी तरीके से चेहरे पर आई इस थकान को छिपाना पड़ता है। चेहरे पर दिखने वाली यह थकान कुछ नुस्खों से तुरंत दूर की जा सकती है। दिन भर काम करने के बाद भी चेहरे को फ्रेश और ब्राइट बनाने के लिए आप इन टिप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।

आंखों की थकान के लिए टी- बैग- आंखों की थकावट भी आपके लुक को खराब कर देती है। इसे दूर करने के लिए दो टी-बैग 1 घंटे के लिए रेफ्रिजरेटर में रख दें। अब इन टी-बैग्स को आंखें बंद करके कुछ मिनट के लिए अपनी पलकों पर रखें। इससे आंखों की थकान दूर हो जाती है और आंखें थकी हुई भी नहीं लगतीं।

होठों के लिप बॉम – सूखे होंठ आपकी सुंदरता पर बट्टा लगाते हैं। चेहरे को ब्राइट दिखाने के लिए आप ब्राइट कलर के लिप बॉम का इस्तेमाल करें। ध्यान रहे कि आपके होंठ नम रहें। इससे भी चेहरे की थकावट को दूर करने में मदद मिलती है।

कंसीलर – चेहरे को ब्राइट बनाने के लिए कंसीलर बेहतर विकल्प है। अगर आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो आंखें डल लगने लगती हैं। इसके लिए कंसीलर का इस्तेमाल करें। आप जिस कंसीलर का इस्तेमाल करें उसका टोन आपकी त्वचा से एक शेड लाइट होना चाहिए। यह चेहरे को ब्राइट करने में मदद करता है।

क्या आपको भी होता हैं बात बात पर शक तो आप भी हैं सिजोफ्रेनिया का शिकार

सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति की सोच, समझ और व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है। ऐसा मस्तिष्क में होने वाले रासायनिक असंतुलन के कारण होता है।बिना किसी वजह के हर बात और हर शख्स को शक की नजर से देखना, कल्पना की दुनिया में खोये रहना, वैसी ध्वनि सुनाई देना, जो वास्तव में नहीं होती आदि एक मनोरोग है

इसके लक्षण कई तरह के होते हैं। शुरुआत में ही अगर इसके लक्षण पहचान लिए जाएं तो इस रोग को काबू में किया जा सकता है। अक्सर यह बीमारी किशोरावस्था के बाद से ही शुरू हो जाती है। धीरे-धीरे पीड़ित को हर बात पर और हर किसी पर शक होने लगता है। वह अपनों से ही कटा-कटा रहने लगता है।

सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। दिमाग के लिम्बिक सिस्टम में रासायनिक असंतुलन के कारण मतिभ्रम की समस्या उत्पन्न होती  है। पीड़ित डरा-डरा सा रहता है। उसे वैसी आवाजें सुनाई देती है, जो वास्तव में नहीं होती। पीड़ित को हर समय लगता है कि उस पर नजर रखी जा रही है।
नियंत्रण का भ्रमः  इससे पीड़ित व्यक्ति में एक ऐसा गलत विश्वास या सोच बैठ जाता है कि उसका मन, उसके विचार, या बर्ताव पर किसी दूसरे इंसान का नियंत्रण होता है।
आरोपी मानने का भ्रमः ऐसे भ्रम में मरीज पश्चाताप या अपराधी होने की गलत भावना का शिकार होता है।
संदर्भ का भ्रमः इसमें पीड़ित को लगता है कि उसके चारों तरफ होने वाली नकारात्मक घटनाएं उससे जुड़ी हुई हैं।
दैहिक भ्रमः इसमें इंसान को बिना किसी वजह लगता है कि वह बीमार है, जबकि वास्तव में वह बीमार नहीं होता।
साजिश का भ्रमः इसमें पीड़ित को लगता है कि लोग उसके खिलाफ साजिश रच रहे हैं। उसे महसूस होता है कि सभी उसके बारे में बातें करते हैं या उसे घूर रहे हैं। रोगी को ऐसा भी लगता है कि जैसे कुछ लोग उसके ऊपर जादू-टोना करवा रहे हैं या फिर उसके खाने में जहर मिलाया जा रहा है।

अगर आप भी हर छोटी बड़ी समस्या में करते हैं पैन किलर का इस्तेमाल तो पढ ले ये खबर

बारिश  के मौसम में हमारी सेहत को कई तरह के नुकसान होने लगते हैं. बदलते मौसम में सिर दर्द,बदन दर्द, पेट दर्द आदि समस्याओ का सामना करना पड़ता है. बहुत से लोग इन चीजों से जल्दी आराम पाने के लिए पेनकिलर ले लेते हैं. अगर ज्यादा परेशानी होती है तो आपको पैन किलर लेना ही पड़ता है चाहे कुछ भी हो जाये. ये पैन किलर आपको राहत तो देती है लेकिन भविष्य में होने वाली परेशानी बढ़ा देती है. इससे कई नुकसान होते हैं आइये जानते हैं उनके बारे में.

* लीवर के लिए पेन किलर का सेवन बहुत फायदेमंद होता है, ज़्यादा पेन किलर खाने से लीवर के खराब होने का भी खतरा होता है.

* जो लोग अधिक मात्रा में पेन किलर का सेवन करते है उनकी किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है. इसके अधिक सेवन से किडनी सही तरीके से काम नहीं कर पाती है.

* ब्लड प्रैशर एक बहुत ही गंभीर बीमारी होती है, बहुत से लोग थोड़े से दर्द में पेनकिलर खा लेते है लेकिन अधिक मात्रा में पेन किलर का सेवन करने से आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है.

* अधिक मात्रा में पेन किलर खाने से ब्लड डिस्क्रैसिया नाम की बीमारी होने का खतरा होता है, इस बीमारी में हमारे शरीर का खून पतला हो जाता है.

रोज़ सुबह जिस ब्रेड का आप नाश्ते में करते हैं सेवन क्या जानते हैं उससे जुड़ा ये सीक्रेट

 

ब्रेड का इस्तेमाल हर घर में होता है. लेकिन, आप ऐसा ब्रेड खाना चाहेंगे जो कीड़े से बनाई जाती है. फिनलैंड की एक कंपनी ने  ब्रेड बनाने के लिए उसमें कीड़े का इस्तेमाल करना शुरू किया.

यह सुनने में ही घिनौना लगता है, लेकिन इस ब्रेड में 70 फीसदी मात्रा कीड़े-मकोड़े की होती है. कंपनी का कहना है कि कीड़े का इस्तेमाल करने की वजह से यह ब्रेड स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, विटामिन और फैटी एसिड की बहुत ज्यादा मात्रा होती है.

एक फूड इनसाइडर की माने तो दुनिया में करीब 2 अरब लोग ऐसे ब्रेड का इस्तेमाल करते हैं. कीड़ों का इस्तेमाल होने की वजह से यह ब्रेड सस्ती बिकती है. ऐसी ब्रेड फिनलैंड के अलावा डेनमार्क, बेल्जियम और नीदरलैंड्स जैसे देशों में खूब बिकती है.

यह दुनिया की इकलौती ऐसी बेकरी है जो ब्रेड बनाने के लिए कीड़ों का इस्तेमाल करती है. कीड़ों के रूप में झिंगुर का इस्तेमाल किया जाता है. पहले उसका पाउडर तैयार किया जाता है फिर आंटे में मिलाकर गूंथ लिया जाता है.

जो लोग इस ब्रेड का इस्तेमाल करते हैं उनका कहना है कि यह खाने में बहुत ही टेस्टी है. खाते वक्त बिल्कुल भी पता नहीं चलता है कि इसमें कीड़ों का इस्तेमाल किया गया है.

बेकरी के मालिक का कहना है कि पौष्टिक आहार सभी की जरूरत है. ऐसे में कम पैसे में लोगों को पौष्टिक आहार मिल जाता है. दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं हैं. कुछ लोग इसे सही मान रहे हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह बेहद घिनौना है.