एक और अमेरिकी खुफिया एजेंसियां चीन पर सख्त नजर रखने का प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ चीनी अमेरिकियों को चिंताएं भी बढ़ रही हैं।अमेरिकी जासूसी एजेंसियों की नजर चीन पर है जिस चीनी-अमेरिकियों की मुसीबत से बढ़ सकती है ।
परमाणु हथियारों, भू-राजनीति और कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति सहित और भी विभिन्न मुद्दों पर चीन के निर्णय को बेहतर ढंग से समझने के लिए अमेरिकी खुफिया एजेंसियों पर लगातार दबाव है.दोनों देशों में तनातनी के बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने चीन के खिलाफ अपने प्रयासों को तेज कर दिया है. लेकिन यह प्रयास नागरिक अधिकार समूहों के बीच चिंता बढ़ा दी है.
क्योंकि उन्हें नागरिक स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाली जासूसी के बारे में नयी चिंताएं बढ़ रही हैं. अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के कार्यालय की एक नयी रिपोर्ट में कई सिफारिशें की गई हैं.आपको बता दें की द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी-अमेरिकियों को नजरबंदी शिविरों में रखा गया था, 1960 के नागरिक अधिकार आंदोलन के दौरान अश्वेत नेताओं की जासूसी की गई थी.
चीन को लेकर अमेरिकी दृष्टिकोण को जहां द्विदलीय समर्थन है प्राप्त है, वहीं नागरिक अधिकार समूह और पैरोकार चीनी मूल के लोगों पर बढ़ी हुई निगरानी के असमान प्रभाव के बारे में चिंतित हैं।