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विदेश

जमाल खशोगी की हत्या के मामले में सऊदी अरब ने दी बड़ी प्रतिक्रिया कहा-“फ्रांस ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किया”

सऊदी अरब ने कहा है कि जमाल खशोगी की हत्या के मामले में फ्रांस ने गलत व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। पेरिस में सऊदी दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि फ्रांस ने जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया है उसका इस मामले से इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।

 सऊदी अरब में सुरक्षा से जुड़े सूत्र ने कहा कि ‘खालिद अलोताइबी’ देश में रहने वाले लोगों में एक बहुत ही सामान्य नाम है और जिस अलोताइबी को फ्रांस ने गिरफ्तार किया है.

गौरतलब है कि जमाल खशोगी की हत्या के मामले में सऊदी शाही गार्ड के एक पूर्व सदस्य को फ्रांस से गिरफ्तार किया गया है। खालिद को मंगलवार को फ्रांस के चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर के न्यायिक हिरासत में रखा गया है।  33 साल का खालिद भी इन्हीं में से एक है।

इससे सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान की छवि काफी खराब हुई थी।  इस हत्या में अपना कोई भी हाथ होने से साफ तौर पर इंकार किया था। खशोगी की हत्या के मामले में सऊदी की अदालत ने आठ लोगों को सजा सुनाई थी।

क्या जल्द दुनिया में देखने को मिलेगा तीसरा विश्व युद्ध, रूस-यूक्रेन के बीच किसी भी समय छिड सकती है जंग

अमेरिका ने साफ कर दिया है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करेगा तो वह पीछे नहीं हटेगा। अमेरिका ने बताया कि रूस को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए यूएस आर्मी पूरी तरह से तैयार है।

व्हाइट हाउस ने कहा कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर सेना को तैनात किया है और हम इसकी निगरानी कर रहे हैं। मैं मास्को से अपील करता हूं कि गंभीर गलती करने से परहेज करे।

बता दें कि अमेरिका की ओर से यह चेतावनी बाइडन-पुतिन के बीच होने वाली बैठक से पहले आई है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री, एंटनी ब्लिंकन ने यूक्रेन के विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद कहा था कि उनका देश रूस की यूक्रेन के नजदीक असामान्य गतिविधि से चिंतित है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और पुतिन के बीच होने वाला वीडियो शिखर सम्मेलन से पहले व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा कि वह यूक्रेन पर हमला करने की किसी भी रूसी योजना को रोकने के लिए नजर बनाए हुए हैं।  यूक्रेन सीमा के पास रूस के करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं । हालांकि, रुस की ओर से किसी भी सैन्य तैनाती को इंकार किया जा रहा है।

एक बार फिर फेसबुक पर छाए संकट के बादल, रोहिंग्याओं के संगठनों ने करी ये बड़ी मांग

फेसबुक के लिए मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। रोहिंग्याओं के संगठनों ने अमेरिका और ब्रिटेन में कंपनी पर कुछ केस डाले हैं। इसमें फेसबुक को म्यांमार में रोहिंग्याओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार बताया गया है।

आरोप में कहा गया है कि फेसबुक की लापरवाही की वजह से ही रोहिंग्याओं का नरसंहार मुमकिन हुआ, क्योंकि सोशल मीडिया नेटवर्क की एल्गोरिदम ने घटनाओं के दौरान नफरती भाषणों (हेट स्पीच) को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।

शिकायत में आगे कहा गया- “आखिर में म्यांमार में फेसबुक के पास हासिल करने के लिए काफी कम था, लेकिन रोहिंग्याओं पर इसके नतीजे इससे भयानक नहीं हो सकते थे। इसके बावजूद फेसबुक ने जरूरी साधन होने के बावजूद गलत बयानी रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि पहले के ढर्रे पर ही आगे बढ़ता रहा।”

शिकायत में आगे कहा गया है कि यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जो कि म्यांमार में 2011 में लॉन्च हुआ और बाद में देशव्यापी बन गया, इसने रोहिंग्याओं के खिलाफ चलाए गए अभियान में एक तरह की मदद की।

2022 में बीजिंग में आयोजित होने वाले ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार का जल्द एलान करेगा अमेरिका

अगले साल यानी 2022 के फरवरी में चीन के बीजिंग नें शीतकालीन ओलंपिक खेल होने हैं। ओलंपिक खेलों की शुरूआत में अब दो महीनों से भी कम समय बचा है। अमेरिका चीन के बीजिंग शहर में होने वाले ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार का एलान कर सकता है।

व्हाइट हाउस की तरफ से आमतौर पर ओलंपिक के उद्घाटन और समापन समारोह में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाता है लेकिन इस बार यह संभव नहीं लग रहा है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, जो निजी तौर पर बहिष्कार पर चर्चा कर रही है, ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि पूर्ण बहिष्कार नहीं किया जाएगा, मतलब कि अमेरिकी एथलीटों को अभी भी प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी जाएगी।

मामले पर यूरोपीय संसद के सांसदों ने सहमति जताते हुए कहा कि हमें चीन के मानवाधिकारों के हनन के कारण बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले निमंत्रण को अस्वीकार करना चाहिए।

 1956 (मेलबर्न), 1964 (टोक्यो), 1976 (मॉन्ट्रियल), 1980 (मॉस्को), 1984 (लॉस एंजिल्स) और 1988 (सियोल) में युद्ध, आक्रमण और रंगभेद जैसे कारणों से विभिन्न देशों ने ओलंपिक खेलों का बहिष्कार किया था।

सेना के खिलाफ असंतोष व कोविड प्रोटोकाल तोड़ने के कारण नेता आंग सान सू की को चार साल की जेल

नोबेल पुरस्कार विजेता व म्यांमार की जन नेता आंग सान सू की को चार साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई है। सोमवार को म्यांमार की एक अदालत ने सू की को सेना के खिलाफ असंतोष भड़काने और कोविड नियमों के उल्लंघन के मामले में उन्हें सजा सुनाई।

फिलहाल सेना ने उन्हें दो मामलों में दोषी ठहराया है। सैन्य शासन के खिलाफ आवाज उठाने वालों में आंग सान सू की बड़े नेताओं में से एक हैं। यही वजह है कि म्यांमार के अंदर उनकी लोकप्रियता आज भी बरकार है।

आंग सान सू की के खिलाफ म्यांमार में कई मुकदमे चल रहे हैं। उन पर भ्रष्टाचार, मतदान में धांधली का भी आरोप लगाया गया है। फिलहाल सेना ने उन्हें दो मामलों में दोषी ठहराया है। सैन्य शासन के खिलाफ आवाज उठाने वालों में आंग सान सू की बड़े नेताओं में से एक हैं। यही कारण है कि म्यांमार के अंदर उनकी लोकप्रियता आज भी बरकार है।

तालिबानी शासन के बाद अफगानिस्तान में बुरा हाल, ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में हुआ चौकाने वाला खुलासा

अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद से हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। लोगों में जहां दहशत का माहौल है, वहीं ह्यूमन राइट्स वॉच ने जो अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है वह बेहद चौकाने वाला है।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि तालिबानी लड़ाकों ने अफगानिस्तान में सत्ता में आने के बाद से 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो मार डाला है या जबरन गायब कर दिया है।
अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा और ब्रिटेन सहित पश्चिमी देशों ने कहा कि वे लगातार तालिबान के कार्यों का मूल्यांकन जारी रखेंगे। पश्चिमी देशों ने कहा कि तालिबान की कथित कार्रवाई मानवाधिकार का गंभीर हनन है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान लड़ाकों ने अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद से 100 से अधिक पूर्व पुलिस और खुफिया अधिकारियों को या तो क्रूरतापूर्वक मार डाला है या जबरन गायब कर दिया है।
 मानवाधिकार निगरानी समूह ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि हत्याओं के स्वरूप से पूरे अफगानिस्तान में आतंक उत्पन्न हो गया है। देश में पूर्व सरकार से जुड़ा कोई भी शख्स इन दिनों खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है।

अमेरिका: कांग्रेसी नेता ने अपने सोशल मीडिया पर फैमिली के साथ शेयर की ऐसी तस्वीर जिसे देखकर दंग हुई जनता

अमेरिका में खुलेआम बंदूकों का खेल चल रहा है। बीते दिनों 15 साल के एक बच्चे ने स्कूल में फायरिंग कर चार लोगों की जान ले ली थी। इसके एक कुछ ही बाद वहां के एक कांग्रेसी नेता ने अपने सोशल मीडिया पर बंदुक के साथ तस्वीर साझा की है।

इस तस्वीर में उनके साथ कई और सदस्य हैं, जिनके हाथों में बंदूक है। जी हां, केंटकी के अमेरिकी प्रतिनिधि थॉमस मैसी ने ट्विटर पर फोटो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘मैरी क्रिसमस! पीएस सांता, कृपया बारूद लाओ।’

मिशिगन में 15 साल के एक हाई स्कूल के छात्र ने अपने स्कूल में अचानक गोलियां चला दीं, जिसमें चार छात्र मारे गए। इसके अलावा एक शिक्षक और छह अन्य घायल हो गए थे। इसके बाद अमेरिका में बंदूक के अधिकार और स्कूल में सुरक्षा को लेकर कई सारे सवाल उठने लगे हैं।

अगले साल यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ सकता हैं तनाव, 94 हजार रुसी सैनिक सीमा पर हुए तैनात

यूक्रेन और रूस की सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। यूक्रेन ने  दावा किया कि रूस ने सीमा पर 94 हजार से अधिक सैनिकों को तैनात किया है और जनवरी के अंत तक इसमें और इजाफा हो सकता है।

अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने पता लगाया है कि रूस यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई करने की फिराक में है और इसकी शुरुआत 2022 की शुरुआत में हो सकती है। इसके लिए रूस यूक्रेन की सीमा पर 1 लाख 75 हजार सैनिकों की तैनात करने की योजना बना रहा है।
बाइडन ने कहा, ‘हम लंबे समय से रूस की कार्रवाइयों से अवगत हैं और हम इस मामले में पुतिन के साथ लंबी चर्चा करने वाले हैं।’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हम रूस के आक्रमण को रोकने के लिए व्यापक और सार्थक कदम उठा रहे हैं। पुतिन जो करने जा रहे हैं, उससे लोग काफी चिंतित हैं। उनके लिए यह करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।’

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा है कि अगर रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई हुई तो बाइडन प्रशासन इसमें हस्तक्षेप करेगा।

श्रीलंका की संसद में पहुंचा सियालकोट में बेरहमी से श्रीलंकाई नागरिक की हत्या करने का मामला

लाहौर से 100 किलोमीटर दूर सियालकोट में एक श्रीलंकाई नागरिक की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। इसके बाद उसके शव को जला दिया गया। श्रीलंका की संसद ने इस घटना की घोर निंदा की है।

इसके साथ ही संसद ने वहां के अधिकारियों से देश में बाकी श्रीलंकाई प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। इस घटना को लेकर श्रीलंकाई सरकार और विपक्ष दोनों एकजुट दिखे।

राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने ट्वीट कर कहा कि सियालकोट की घटना निश्चित रूप से बहुत दुखद और शर्मनाक है और किसी भी तरह से धार्मिक नहीं है।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘प्रियांथा ने कथित तौर पर कट्टरपंथी टीएलपी का एक पोस्टर फाड़ दिया, जिसमें कुरान की आयतें लिखी हुई थीं और उसे कूड़ेदान में फेंक दिया।

उनमें से ज्यादातर टीएलपी के कार्यकर्ता और समर्थक थे। अधिकारी ने कहा, ‘भीड़ ने प्रियांथा को कारखाने से खींच लिया और उसी पीट पीटी कर हत्या कर दी। ‘

इस देश में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट से बचने के लिए सरकार ने जनता को सुनाया ये बड़ा फरमान !

दुनियाभर में कोरोना महामारी से अब तक 5,233,901 लोगों की मौत हो चुकी है।  विश्व में कोरोना के 692885 नए मामले सामने आए। इनमें से 140875 मामले अमेरिका में दर्ज किए गए।

वहीं, अगर टीकाकरण की बात करें तो ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, 184 देशों में 8.09 बिलियन से अधिक खुराक दी गई हैं। वहीं, अमेरिका में अब तक 462 मिलियन डोज दी जा चुकी हैं।

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने पूरे विश्व में एक बार फिर से चिंता बढ़ा दी है। इसको देखते हुए कई देशों ने टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया है। जर्मनी और इस्राइल ने कोरोना वैक्सीन लेना अनिवार्य कर दिया है। वैक्सीन नहीं लेने वाले लोगों पर ग्रीस जुर्माना लगा रहा है। वहीं स्पेन टीका नहीं लगवाने वाले यात्रियों पर प्रतिबंध लगा रहा है।यहां की सरकार ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए टीके को अनिवार्य कर दिया है। अलगे महीने से जो लोग वैक्सीन नहीं लेंगे, उन्हें हर महीने 100 यूरो (113 डॉलर यानी 8,470.90 रुपये) का जुर्माना भरना पड़ेगा। देश में 60 वर्ष से अधिक उम्र के 580,000 लोगों में से केवल 60,000 लोगों ने वैक्सीन ली है।