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विदेश

कमला हैरिस का डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनना तय!, अभियान के पहले दिन ही जुटाया पर्याप्त समर्थन

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले जो बाइडन के नाम वापस लेने के बाद मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का नाम समर्थन किया था। फिलहाल पार्टी की उम्मीदवार बनने के लिए कमला हैरिस की तरफ से कड़ी मेहनत की जा रही है। इस बीच, उम्मीदवार के रूप में अपने पहले दिन, कमला हैरिस ने 81 मिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए हैं।

कमला हैरिस के पास 1,976 से अधिक प्रतिनिधियों का समर्थन
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय और अफ्रीकी मूल की कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी के नामांकन को पहले मतपत्र पर जीतने के लिए आवश्यक 1,976 से अधिक प्रतिबद्ध प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त हुआ है। वहीं उन्होंने ने सोमवार देर रात एक बयान में कहा, मैं जल्द ही औपचारिक रूप से नामांकन स्वीकार करने की उम्मीद कर रही हूं।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जब 19-22 अगस्त तक पार्टी के अधिकारी शिकागो में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन से पहले औपचारिक रूप से उम्मीदवार को नामांकित करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की तैयारी कर होंगे। तो डेमोक्रेटिक टिकट के बारे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि कमला हैरिस अपने साथी (उपराष्ट्रपति) के रूप में किसे चुनेंगी।

डेलावेयर में कमला हैरिस ने दिया जोरदार भाषण
जानकारी के मुताबिक कमला हैरिस मंगलवार को मिल्वौकी में एक अभियान कार्यक्रम आयोजित करेंगी। इससे पहले कमला हैरिस ने सोमवार शाम को डेलावेयर में अभियान के मुख्यालय का दौरा करते हुए एक शानदार भाषण के साथ पार्टी के ध्वजवाहक की भूमिका के लिए अपना दावा पेश किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे पास चुनाव के दिन तक 106 दिन हैं और उस समय में हमें कुछ कड़ी मेहनत करनी है। कमला हैरिस ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बताया और उन्हें आश्वासन दिया कि जो लोग बाइडन के नेतृत्व वाले अभियान के लिए काम कर रहे थे, वे साथ बने रहेंगे।

प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप पर कमला हैरिस का हमला जारी
वहीं कमला हैरिस ने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अपना हमला जारी रखा। इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति के कई घोटालों और कानूनी अड़चनों का हवाला दिया गया। उन्होंने जिला अटॉर्नी और कैलिफोर्निया अटॉर्नी जनरल के रूप में अपने कार्यकाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्होंने सभी प्रकार के अपराधियों का सामना किया है। महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वाले, उपभोक्ताओं को ठगने वाले धोखेबाज, अपने खेल के लिए नियम तोड़ने वाले धोखेबाज। तो मेरी बात सुनो, मैं डोनाल्ड ट्रंप जैसे लोगों को जानती हूं।

सालों पुराने बंटवारे को खत्म करेंगे 14 प्रतिद्वंदी फलस्तीन गुट, चीन के दखल के बाद बनी सहमति

बीजिंग: गाजा में छिड़े युद्ध के बीच हमास और फतह समेत 14 फलस्तीन प्रतिद्वंदी गुटों ने एकजुटता दिखाते हुए सालों पुराने बंटवारे को खत्म करने का फैसला किया है। फलस्तीन गुटों ने चीन के दखल के बाद मंगलवार एक बैठक के दौरान घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। तीन दिन से गुटों के बीच बातचीत कराने में जुटे चीन के विदेश मंत्रालय ने इस फैसले को इस्राइली हमलों से जूझ रही गाजा पट्टी में मजबूत और टिकाऊ युद्ध विराम की दिशा में पहला कदम बताया।

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने गुटों के नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि यह सहमति फलस्तीन मुद्दे के बीच एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि इस घोषणा के तहत सभी प्रतिद्वंदी गुटों ने गाजा पर शासन करने के लिए अंतरिम राष्ट्रीय सुलह सरकार की स्थापना पर सहमति जताई है। समझौते का उद्देश्य इस्राइल हमले के दौरान फलस्तीनियों को एकजुट रखना है। हमास के वरिष्ठ अधिकारी मौसा अबू मरजौक और फतह के महमूद अल अलौल के अलावा 12 अन्य फलस्तीन गुटों के प्रतिनिधियों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।

चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि यह पहला मौका है जब 14 फलस्तीन गुट एक मंच पर आए हैं। सुलह फलस्तीन गुटों का आंतरिक मामला है, लेकिन मौजूदा समय में यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग के बिना संभव नहीं है। वांग ने कहा कि पीएलओ (फलस्तीन लिबरेशेन ऑर्गनाइजेशन) फलस्तीन लोगों का एकमात्र प्रतिनिधि है। लेकिन गाजा युद्ध समाप्त होने के बाद अस्थायी राष्ट्रीय सुलह सरकार को लेकर फैसला होगा। हालांकि वांग ने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस समझौते तहत हमास की क्या भूमिका होगी, जोकि पीएलओ का हिस्सा नहीं है।

फिलीपींस और चीन के बीच हुआ अहम समझौता, सबसे विवादित द्वीप पर खत्म हो सकता है टकराव

चीन और फिलीपींस के बीच एक समझौता हुआ है, जिससे दक्षिण चीन सागर में एक द्वीप के सबसे विवादित इलाके ‘सेकंड थॉमस शोल’ में टकराव खत्म होने की उम्मीद है। फिलीपीन सरकार रविवार को यह बात कही।

विवादित इलाके में किसी बड़े संघर्ष की बनी रहती है आशंका
‘सेकंड थॉमस शोल’ फिलीपींस के कब्जे में है, लेकिन चीन भी इस पर दावा करता है। यह दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीप समूह में एक जलमग्न चट्टान है। इसके चलते दोनों देशों के बीच शत्रुतापूर्ण झड़पें होती रही हैं। इस विवाद के चलते दोनों के बीच किसी बड़े संघर्ष की आशंका बनी रहती है, क्योंकि अमेरिका भी इस संघर्ष में शामिल हो सकता है।

दोनों देशों के बीच क्या समझौता हुआ
फिलीपींस और चीनी राजनयिकों के बीच कई बैठकों और राजनयिक नोट के आदान-प्रदान के बाद आज मनीला में यह महत्वपूर्ण समझौता हुआ। इसका उद्देश्य किसी भी पक्ष के क्षेत्रीय दावों को स्वीकार किए बिना ऐसी व्यवस्था बनाना है, जो दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य हो। दोनों देशों के बीच वार्ता की जानकारी रखने वाले फिलीपींस के दो अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर इस सौदे की पुष्टि की। बाद में सरकार ने विवरण प्रदान किए बिना सौदे की घोषणा की और एक बयान जारी किया।

फिलीपींस के विदेश मंत्रालय ने बयान में क्या कहा
फिलीपींस के विदेश मंत्रालय ने कहा, दोनों पक्ष दक्षिण चीन सागर में तनाव कम करने और मतभेदों को बाचतीव व विचार-विमर्श के जरिए सुलझाने की जरूरत को समझते हैं। मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि यह समझौता दक्षिण चीन सागर में एक-दूसरे के रुख पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा।

‘मॉस्को के साथ ऊर्जा संबंधों के कारण भारत पर दबाव बनाना अनुचित’, रूस के विदेश मंत्री का पश्चिम पर निशाना

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मॉस्को के साथ उर्जा सहयोग के कारण नई दिल्ली पर पड़ रहे दबाव को पूरी तरह से अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि भारत एक महान शक्ति है, जो अपने राष्ट्रीय हित खुद ही तय करता है और खुद ही अपने साझेदार चुनता है। इसके अलावा, लावरोव ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई हालिया बैठक पर यूक्रेन की टिप्पणी को अपमानजनक करार दिया।

जुलाई माह के लिए यूएनएससी की अध्यक्षता संभाल रहा रूस
यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए लावरोव ने कहा, मुझे लता है कि भारत एक महान शक्ति है जो खुद ही अपने राष्ट्रीय हित तय करता है और अपने भागीदार चुनता है। हम जानते हैं कि भारत पर भारी दबाव पड़ रहा है, जो पूरी तरह से अनुचित है। लावरोव प्रधानमंत्री मोदी की हालिया मॉस्को यात्रा और रूस के साथ उर्जा सहयोग को लेकर भारत की हो रही आलोचना के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। लावरोव मॉस्को की अध्यक्षता में होने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठकों की अध्यक्षता करने के लिए न्यूयॉर्क में हैं। यूएनएससी की जुलाई महीने की अध्यक्षता रूस के पास है।

पीएम मोदी ने किया था रूस का दो दिवसीय दौरा
प्रधानमंत्री मोदी ने 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति पुतिन के निमंत्रण पर 8-9 जुलाई के रूस का आधिकारिक दौरा किया। यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद मोदी की यह पहली रूस यात्रा थी। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निदा नहीं की है और लगातार बातचीत व कूटनीति के जरिए संघर्ष के समाधान की पैरवी की है।

जेलेंस्की ने की थी मोदी-पुतिन की मुलाकात की आलोचना
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने मोदी की मॉस्को यात्रा की आलोचना की थी। उन्होंने एक्स पर कहा था, “एक रूसी मिसाइल ने यूक्रेन में बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल पर हमला किया, जिसमें युवा कैंसर रोगियों को निशाना बनाया गया। कई लोग मलबे में दब गए।” मोदी और पुतिन की बैठक को लेकर उन्होंने कहा था, “दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को ऐसे दिन मॉस्को में दुनिया के सबसे बड़े खूनी अपराधी को गले लगाते देखकर बड़ी निराशा हुई। यह शांति प्रयासों के लिए एक झटका है।” भारत ने उनकी टिप्पणी पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।

लावरोव ने जेलेंस्की के बयान को बताया ‘अपमानजनक’
जेलेंस्की की टिप्पणी का जिक्र करते हुए लावरोव ने कहा, “यह बहुत अपमानजनक था और यूक्रेनी राजदूत को तलब किया गया था और भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनके बात की कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए।” कुछ अन्य यूक्रेनी राजदूतों द्वारा की गई टिप्पणियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “राजदूत वास्तव में ऐसा व्यवहार कर रहे थे जैसे वे गुंडे हों। इसलिए मुझे लगता है कि भारत सब कुछ सही कर रहा है।”

जयशंकर की पश्चिम पर की गई टिप्पणी का दिया हवाला
लावरोव ने जिक्र किया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिमी देशों का दौरा करने के बाद इन सवालों के जवाब दिए हैं। जिनमें यह भी शामिल है कि भारत रूस से अधिक तेल क्यों खरीद रहा है। उन्होंन कहा कि जयशंकर ने आंकड़ों का हवाला दिया, जो दिखाते हैं कि पश्चिमी देशों ने भी कुछ प्रतिबंधों के बावजूद रूस से गैसे और तेल की खरीद बढ़ाई है। रूस के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत खुद फैसला करेगा कि उसे किसके साथ कैसे व्यवहार करना है और कैसे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी है।

इच्छामृत्यु चाहने वालों के लिए बनी खास मशीन, बटन दबाते ही निकल जाएगी जान, जानें कैसे करती है काम

स्विट्जरलैंड में पहली बार इच्छामृत्यु करने वालों के लिए अहम कदम उठाया गया है। लोगों को इच्छामृत्यु के लिए यहां एक पोर्टेबल मशीन बनाई गई है, जहां बिना किसी चिकित्सा पर्यवेक्षण के ही मौत हो सकती है। अंतरिक्ष के तरह दिखने वाले इस कैप्सूल को 2019 में बनाया गया था। इस मशीन में ऑक्सीजन नाइट्रोजन में बदल जाता है, जिसके कार हाइपोक्रेसी से व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसे इस्तेमाल करने में केवल 20 डॉलर का खर्च आता है।

लास्ट रिजॉर्ट संगठन ने कहा कि स्विट्जरलैंड में इसके इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं है, क्योंकि यहां पर कानून इच्छामृत्यु की अनुमति देता है। लास्ट रिजॉर्ट के मुख्य कार्यकारी फ्लोरियन विलेट ने कहा, “हमारे पास कई ऐसे लोग हैं जो सरको का उपयोग करने के लिए कह रहे हैं। ऐसा बहुत जल्द होगा।” उन्होंने आगे कहा, “मैं अनंत निद्रा अवस्था में बिना ऑक्सीजन के हवा में सांस लेने की इससे अधिक सुंदर प्रक्रिया की कल्पना नहीं कर सकता हूं।”

क्या है पूरी प्रक्रिया
जो व्यक्ति इच्छामृत्यु चाहता है, उसे पहले अपनी मानसिक क्षमता का मनोरोग मूल्यांकन कराना होगा। इसके बाद व्यक्ति को बैगनी कैप्सूल पर चढ़ाकर उसका ढक्कन बंद कर दिया जाएगा। इस दौरान उससे कुछ सवाल भी पूछे जाएंगे, जैसे आप कौन हैं, आप कहां हैं इत्यादि। उनसे यह भी पूछा जाएगा कि क्या आपको मालूम है कि बटन दबाने से क्या होगा? सरको के आविष्कारक फिलिप निट्स्के ने कहा, “अगर आप मरना चाहते हैं तो प्रोसेसर से एक आवाज आएगी, यह बटन दबाएं।” उन्होंने पूरी प्रक्रिया समझाते हुए कहा कि एक बार जब बटन दब जाएगा, तब प्रोसेसर में ऑक्सीजन का स्तर 20 फीसदी से गिरकर 0.05 फीसदी तक पहुंच जाएगा। ऐसा होने में केवल 30 सेकेंड का समय लगेगा।

प्रोसेसर में ऑक्सीजन की कमी होने से ही व्यक्ति की हो जाएगी मौत
प्रोसेसर में ऑक्सीजन का स्तर गिरने से ही अंदर मौजूद व्यक्ति बेहोशी की हालत में आ जाएगा। मृत्यु से पांच मिनट पहले तक वह बेहोशी की ही हालत में रहेगा। फिलिप निट्स्के ने बताया कि एक बार आपने बटन दबा दिया तो फिर इसे वापस नहीं लिया जा सकता है।

चाहइस मशीन का इस्तेमाल करने वाला पहला व्यक्ति कौन होगा, फिलहाल इसपर निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस तरह के विवरण घटना के बाद तक सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे। वकील फियोना स्टेवर्ट ने कहा, “हम नहीं चाहते कि किसी व्यक्ति की इच्छा स्विट्जरलैंड की मीडिया सर्कस में आ जाए।” उन्होंने बताया कि इसका इस्तेमाल एकांत स्थान और प्राकृतिक सुंदरता के बीच किया जाएगा।

‘यात्रा करने से बचें’, बांग्लादेश में भड़की हिंसा को देखते हुए भारतीय उच्चायोग ने जारी की एडवाइजरी

बांग्लादेश में फिलहाल माहौल अशांत बना हुआ है। यहां सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, पुलिस भी जवाबी कार्रवाई कर रही है। हालात किस कदर बेकाबू हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में मंगलवार को तीन विद्यार्थियों सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा अन्य लोग घायल हो गए। बिगड़े हालातों को देखते हुए ढाका में भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश में रहे रहे अपने नागरिकों और छात्रों के लिए एक तत्काल एडवाइजरी जारी की। इसमें देश में बढ़ती अशांति के वजह से गैर जरूरी यात्रा से बचने और अपने घरों से बाहर कम से कम निकलने की सलाह दी है।

यह सलाह बांग्लादेशी सरकार द्वारा सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को बंद करने के फैसले और ढाका में छात्रों तथा पुलिस के बीच हाल ही में हुई हिंसक झड़पों को देखते हुए दी गई है।

सरकारी नौकरियों में लागू कोटा प्रणाली में सुधार की मांग
बता दें, बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में छात्र सरकारी नौकरियों में लागू कोटा प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है। ढाका यूनिवर्सिटी के छात्रों ने फर्स्ट और सेकंड क्लास की सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए चल रहे विरोध प्रदर्शन में अग्रणी भूमिका निभाई है। छात्रों की मांग है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली में सुधार करते हुए प्रतिभा के आधार पर सीटें भरी जाएं।

हालांकि, देखा जाए तो छात्र जिस आरक्षण व्यवस्था को खत्म करने की मांग कर रहे हैं वह मौजूदा समय में है ही नहीं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बच्चों और पौत्र-पौत्रियों के लिए 30 फीसदी आरक्षण लागू करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई हुई है।

झड़प के बाद विरोध-प्रदर्शन तेज
ढाका के विभिन्न स्थानों पर गुरुवार को छात्रों और पुलिस के बीच झड़प के बाद विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए। बीआरएसी विश्वविद्यालय के पास मेरुल बड्डा में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम कर दिया और पुलिस से भीड़ गए। इस भड़की हिंसा में कई घायल हो गए। ढाका ट्रिब्यून की खबर के अनुसार सुबह तक पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे इलाके में यातायात बाधित हो गया।

भूस्खलन में बह गई दो बसों के यात्रियों की खोज जारी, छह दिन बाद मिले 19 यात्रियों के शव

पिछले सप्ताह भूस्खलन से नदी में बह गई दो बस गई थीं। इसमें सवार 54 यात्रियों में से 19 यात्री भारतीय थे। बचावकर्मी अब तक 19 शव बरामद कर पाए हैं, जिनमें से 4 भारतीय हैं। वहीं तीन यात्री घटना के तुरंत बाद तैरकर सुरक्षित निकल आए थे। खोज और बचाव कार्य अभी भी जारी है।

नेपाल में बीते सप्ताह 12 जुलाई को भूस्खलन चितवन जिले में नारायणघाट-मुगलिंग मार्ग पर सिमलताल क्षेत्र में हुआ। इस दौरान दो यात्री बस भी इसकी चपेट आ कर त्रिशूरी नदी में गिर गईं। एक बस बीरगंज से काठामांडू की ओर जा रही थी। बस में सात भारतीय नागरिकों सहित चौबीस लोग सवार थे। वहीं दूसरी बस काठमांडू से गौर की ओर जा रही थी। इस बस में 30 लोग सवार थे। बसों में सवार 54 में से तीन यात्री सुरक्षित बाहर आ गए थे। वहीं बस में सवार अन्य यात्रियों को खोजने के लिए 500 सुरक्षा और राहतकर्मी लगाए गए थे।

सशस्त्र पुलिस बल के अनुसार, 19 शवों में से चार शव भारतीय नागरिकों के हैं। पांच पुरुष शवों की पहचान अभी नहीं हो पाई है। नेपाल के स्थानीय अधिकारी बचाव कार्य के लिए बिहार और यूपी में भारतीय अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार, गुरुवार को भी खोज और बचाव कार्य जारी रहा। सिमलताल जुड़वां बस दुर्घटना स्थल से अब तक 19 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं।

वहीं दूसरी ओर बुधवार को सुरक्षाकर्मियों ने तलाशी के दौरान तीन शव बरामर किए। तलाशी के दौरान 27 वर्षीय भारतीय नागरिक विवेक कुमार का शव बरामद किया गया। इससे पहले, दुर्घटनास्थल से 28 वर्षीय ऋषि पाल शाह, 30 वर्षीय जय प्रकाश ठाकुर और 23 वर्षीय सज्जाद अंसारी के शव बरामद किए गए थे।

6 दिन से चल रहा बचाव और तलाश कार्य
12 जुलाई को हुई इस घटना के बाद से ही बचाव, राहत और तलाश कार्य जारी है। हालांकि 19 शव भी बरामद किए जा चुक हैं। इस कार्य के लिए अच्छी से अच्छी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारियों ने बचाव कार्य में सहायता के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सोनार कैमरे, शक्तिशाली चुंबक और वाटर ड्रोन का इस्तेमाल किया है। दोनों बसों से शव त्रिशूली नदी में 100 किलोमीटर दूर तक बह गए। पहाड़ी इलाकों के कारण नेपाल की नदियों का बहाव तेज होता है। पिछले कुछ दिनों में भारी मानसूनी बारिश के कारण जलमार्ग उफान पर हैं और उनका रंग गहरा भूरा हो गया है, जिससे मलबे को देखना और भी मुश्किल हो गया है।

भारत के बाहर पहली बार इस देश में खुला जन औषधि केंद्र, MEA जयशंकर बोले- PM मोदी ने किया था वादा

अब दूसरे देश में भी जन औषधि केंद्र से लोग सस्ती दवाएं ले सकते हैं। दरअसल, मॉरीशस में पहला जन औषधि केंद्र खुला है। यह देश के बाहर खुला पहला जन औषधि केंद्र है। विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने इसका उद्घाटन किया। इस दौरान यहां के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ भी मौजूद रहे।

इस साल की शुरुआत में किया था वादा
जयशंकर 16 से 17 जून तक दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस में थे। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा कि इस औषधि केन्द्र की स्थापना का वादा पीएम मोदी ने इस साल की शुरुआत में किया था, जिसे अब पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत-मॉरीशस स्वास्थ्य साझेदारी परियोजना के अंतर्गत भारत में निर्मित और सस्ती दवाओं की आपूर्ति की जाएगी ताकि जन स्वास्थ्य और लोगों की खुशहाली को बढ़ावा दिया जा सके।

विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान साझा किया। कहा- जयशंकर ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ के साथ संयुक्त रूप से भारत के पहले विदेशी जन औषधि केंद्र का उद्घाटन किया, जो दोनों देशों के बीच करीबी सहयोग का सबूत है, खासकर स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण क्षेत्र में।

मेडिक्लिनिक परियोजना का भी उद्घाटन किया
इससे पहले विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर ने मॉरीशस के ग्रैंड बोआ क्षेत्र में भारत की आर्थिक सहायता से बनी मेडिक्लिनिक परियोजना का भी उद्घाटन किया और इसे आपसी मित्रता की नवीनतम अभिव्यक्ति करार दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि मेडिक्लिनिक खुलने से ग्रैंड बोआ क्षेत्र में 16 हजार लोगों को विशेषज्ञ उपचार सेवा मिलेगी। इस पर गर्व महसूस करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य हम सभी के लिए प्राथमिकता का क्षेत्र है और इसके प्रति हम सब जागरूक हैं।

किफायती आधार पर उपलब्ध होंगी दवाएं
उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य मंत्री से यह सुनने को मिला कि जन औषधि केंद्र चालू हो गया है और वास्तव में मॉरीशस सरकार हमसे प्रमुख दवाओं की सूची या आपूर्ति मांगेगी, प्रमुख दवाएं जिनका उपयोग आम नागरिक नियमित रूप से करते हैं, जो किफायती आधार पर उपलब्ध होंगी। यह कुछ ऐसा है जिसे मैं स्वास्थ्य के पक्ष में एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि मानता हूं।’

जयशंकर ने कहा कि भारत में नए अस्पताल, नए क्लीनिक, जन औषधि केंद्र, नए मेट्रो और नई सामाजिक आवास परियोजनाएं आ रही हैं तथा भारतीय बच्चों को डिजिटल शिक्षा मिल रही है। उन्होंने कहा, ‘यह स्वाभाविक है कि हमारे विस्तृत परिवार में, हम विदेश को भी साझा करना चाहेंगे और मुझे आज बहुत खुशी है कि मुझे यह देखने का अवसर मिला है।

नैंसी पेलोसी ने बाइडन से निजी तौर पर कहा- आप नहीं जीत सकते; जवाब मिला- अब भी मौका है

अमेरिका में इस नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। इससे पहले ही राष्ट्रपति जो बाइडन तीसरी बार कोविड पॉजिटिव पाए गए। एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व व्हाइट हाउस स्पीकर नैंसी पेलोनी ने बाइडन से निजी तौर पर कहा था कि वह नहीं जीत सकते। पेलोसी ने कहा कि बाइडन अपनी उम्र के कारण नवंबर में डेमोक्रेट के चुनाव जीतने की संभावनाओं को खत्म कर सकते हैं। पेलोसी के इस बयान पर बाइडन ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव जीतने का उनके पास अभी भी मौका है।

हालांकि, अब ऐसा लगता है कि पेलोसी ने बाइडन का समर्थन करना अब पूरी तरह से बंद कर दिया है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि क्या पेलोसी को ऐसा लगता है कि बाइडन को इस दौड़ से बाहर हो जाना चाहिए। पिछले हफ्ते एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि उन्हें चुनाव लड़ना है या नहीं। हम सभी उन्हें निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

ट्रंप पर हुए हमले पर जताई नाराजगी
दूसरी तरफ नैंसी पेलोनी ने पिछले हफ्ते डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, “एक ऐसे व्यक्ति जिनका परिवार राजनीतिक हिंसा का शिकार रहा है। मैं प्रत्यक्ष रूप से जानती हूं कि किसी भी प्रकार की राजनीतिक हिंसा का हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है। मैं भगवान का शुक्रिया करूंगी की पूर्व राष्ट्रपति सुरक्षित हैं।” पेलोसी के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने (पेलोसी) शुक्रवार से बाइडन के साथ बात नहीं की।

डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख फंडरेजर में से एक, अभिनेता जॉर्ज क्लूनी ने कहा कि जो बाइडन समय से नहीं जीत सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, “शीर्ष डेमोक्रेट्स चक शूमर, हकीम जेफरीज, नैंसी पेलोसी, सीनेटर, प्रतिनिधि और अन्य उम्मीदवार जो इस चुनाव में हार का सामना कर रहे हैं, उन्हें बाइडन को समझाना चाहिए।”

बता दें कि बाइडन ने हाल ही में पेलोसी के पति पर 2022 में हथौड़े से हुए हमले का मजाक उड़ाने के लिए ट्रंप की आलोचना की थी। अपनी उम्र और मानसिक परेशानियों के कारण राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ से हटने के दबाव के बीच राष्ट्रपति बाइडन कोविड पॉजिटिव पाए गए। उनके कोविड पॉजिटिव होने से स्थिति और भी ज्यादा तनावपूर्ण हो गई है।

PM मोदी के लिए जन गण मन गाने वाली सिंगर अब ट्रंप के नामांकन में गाएंगी अमेरिकी राष्ट्रगान; जानें क्या कहा

अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। 78 वर्षीय डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से मैदान में हैं। उनका मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के 81 वर्षीय मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन से है। विस्कोन्सिन के मिल्वौकी में चल रहे चार दिवसीय रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन (आरएनसी) में ट्रंप को नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए औपचारिक रूप से नामित किया जाएगा। इस खास मौके पर लोकप्रिय अफ्रीकी अमेरिकी गायिका मैरी मिलबेन भी नजर आएंगी। वह पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के भाषण से पहले अमेरिकी राष्ट्रगान गाएंगी।

हमें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा…
मिलबेन ने कहा, ‘हमें अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि ट्रंप की हत्या करने की कोशिश की गई। वह एक पूर्व राष्ट्रपति हैं और फिलहाल राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं। इन सबसे हटकर वह मेरे दोस्त हैं। फिर भी मैं सच में ट्रंप की ताकत से प्रोत्साहित हूं।’

इन लोगों के लिए पहले गा चुकी हैं
बता दें, प्रमुख अफ्रीकी-अमेरिकी हॉलीवुड एक्ट्रेस और सिंगर मैरी मिलबेन को अक्सर संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया भर में अमेरिका के राष्ट्रीयगान गायक के रूप में जाना जाता है। वह अब तक अमेरिका के लगातार चार राष्ट्रपतियों जॉर्ज डब्ल्यू बुश, बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन के लिए अमेरिकी राष्ट्रगान और देशभक्ति संगीत प्रस्तुत किए हैं। इसके अलावा सबसे खास बात यह है कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में भी भारतीय राष्ट्रगान जन गण मन प्रस्तुत कर चुकी हैं।

भगवान की रक्षा
उन्होंने कहा, ‘पेंसिल्वेनिया में ट्रंप की जीवन की रक्षा भगवान ने की है, यह बहुत ही साफ है। ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव के लिए औपचारिक रूप से नामित करने से पहले गाने का मौका दिया गया है। अमेरिकियों के रूप में एकजुट होने के लिए अब हम जिस पल का सामना कर रहे हैं, वह साफ है।’

गायिका ने आगे कहा, ‘राष्ट्रगान हमें याद दिलाता है कि हम सभी पहले अमेरिकी हैं। भगवान के अधीन एक देश। रिपब्लिकन या डेमोक्रेट से भगवान को कोई मतलब नहीं है। मगर हमारा एक-दूसरे से प्यार करना मतलब रखता है। हमें अपनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सभ्यता की ओर लौटना चाहिए। मेरी प्रार्थना है कि जब मैं राष्ट्रगान गाऊं तो वो पल हमारे दिलों और आत्माओं को ईश्वर के प्रेम, हमारे देश के प्रति प्रेम, ट्रंप के प्रति प्रेम और एक-दूसरे के प्रति प्रेम से भर दे।’

भारत में भी काफी फेमस
मिलबेन भारत में तब चर्चा में आई थीं, जब भारत के स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगांठ के लिए 2020 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रगान और दिवाली उत्सव के लिए भजन ‘ओम जय जगदीश हरे’ गाकर सुर्खियां बटोरी थीं। पूरे अमेरिका और भारत में लाखों लोगों ने इस वीडियो को देखा था। मिलबेन को अगस्त 2022 में भारत के 76वें स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया गया था। वे स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित की जाने वाली पहली अमेरिकी-अफ्रीकी कलाकार बन गई थीं।