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विदेश

इजराइल की पहली यात्रा पर एस जयशंकर बोले-“भारत-इजरायल के सामने आतंकवाद बड़ा चैलेंज”

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारतीय-यहूदी समुदाय तथा भारत संबंधित विषयों के विद्वानों से कहा कि भारत और इजराइल के समाजों को कट्टरपंथ और आतंकवाद जैसी एक समान चुनौतियों समेत भूराजनीतिक परिदृश्य पर उभरते कई घटनाक्रम का सामना करना पड़ रहा है।

विदेश मंत्री के तौर पर इजराइल की अपनी पहली यात्रा पर पहुंचे जयशंकर ने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने संबंधों में भारतीय यहूदी विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को 5 दिवसीय यात्रा पर पहुंचे।

जयशंकर ने कहा कि बीते चार वर्षों में यह इजराइल का उनका तीसरा दौरा है लेकिन हर बार यहां से लौटते वक्त उन्हें अहसास होता है कि यात्रा अधूरी रही है। उन्होंने कहा,”भारत की तरह ही इस जगह को भी समझने और खोजने के लिए पूरा जीवन लग जाएगा।

जयशंकर ने कहा था कि ”आपके पास वास्तव में एक बहुत ही ऊर्जावान अर्थव्यवस्था है- जो संदेश मैं इजराइली सरकार के समकक्षों को दे रहा हूं, वह यह है कि हम आपको कई मायनों में अपने सबसे भरोसेमंद और अभिनव भागीदारों में से एक मानते हैं।”

78 साल की उम्र में अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री अहमद शाह अहमदजई का हुआ निधन

 अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री अहमद शाह अहमदजई का 78 साल की उम्र में निधन हो गया है. उनके मृत्यु की खबर एएनआई ने सूत्रों के हवाले से दी है. अहमद शाह अहमदजई 1992 से 1994 तक अफगानिस्तान सरकार में विभिन्न प्रमुख पदों पर कार्यरत रहे. इसके बाद साल 1995 से 1996 तक अफगानिस्तान के प्रधानमंत्री रहे थे.

अहमद शाह अहमदज़ई का जन्म काबुल प्रांत के खाकी जब्बार जिले के एक गांव मलंग में हुआ था. उन्होंने काबुल विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर कृषि मंत्रालय में काम किया. 1972 में उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली. उन्होंने 1975 में मास्टर डिग्री प्राप्त की और सऊदी अरब में किंग फैसल विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन गए.

वो जमीयत-ए-इस्लामी पार्टी के डिप्टी बने लेकिन फिर छोड़ दिया और 1992 में अब्दुल रसूल सय्यफ के इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ अफगानिस्तान पार्टी में शामिल हो गए. उन्होंने कम्युनिस्ट के बाद की अफगान सरकार में एक मंत्री के रूप में विभिन्न आंतरिक, निर्माण और शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया, और बाद में 1995 और 1996 के बीच प्रधान मंत्री बने.

हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण कर चीन ने एक बार फिर मचाया पड़ोसी देशों में आतंक !

दुनिया का बादशाह बनने की तमन्‍ना रखने वाले चीन ने अंतरिक्ष से खतरनाक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है । जानकारी के अनुसार चीन ने यह परीक्षण अगस्‍त महीने में किया और एक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल को अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा।

चीनी मिसाइल का परीक्षण पूरी तरह से सफल नहीं रहा और यह अपने लक्ष्‍य से मात्र 32 किमी की दूरी पर गिरी।रिपोर्ट के अनुसार चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल के इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी हैरत में हैं। चीन के अलावा अमेरिका, रूस और 5 अन्‍य देश हाइपरसोनिक मिसाइलों पर काम कर रहे हैं।

हाइपरसोनिक मिसाइलों के मामले में अभी रूस दुनिया में सबसे आगे चल रहा है। हाइपरसोनिक मिसाइलें अन्‍य मिसाइलों की तरह से ही परमाणु बम ले जा सकती हैं। हालांकि उनकी स्‍पीड साउंड की रफ्तार से 5 गुना ज्‍यादा होती है।

महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा पर क्या बंदिशे लगाएगा तालिबान राज ? यूएन ने किया बड़ा खुलासा

तालिबान राज में महिलाओं और लड़कियों को अपनी सुरक्षा और अधिकारों की सबसे ज्यादा चिंता होने लगी है। तालिबान हमेशा से लड़किओं और महिलाओं की शिक्षा का विरोध करता रहा है।  संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने राहत की खबर दी है। अधिकारियों का कहना है कि तालिबान जल्द ही लड़कियों की शिक्षा को बढ़ाने के लिए कई प्रांतों में माध्यमिक विद्यालय खोलने की घोषणा करने वाला है।

उन्होंने आगे कहा कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से पांच – उत्तर पश्चिम में बल्ख, जवज्जन और समांगन, उत्तर पूर्व में कुंदुज और दक्षिण पश्चिम में उरोजगान पहले से ही लड़कियों को अनुमति दे रहे हैं। आब्दी ने कहा कि जैसा कि आज मैं आपसे बात कर रहा हूं, माध्यमिक विद्यालय की उम्र की लाखों लड़कियां लगातार 27वें दिन शिक्षा से वंचित हैं। अब और अधिक इंतजार सही नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी ने कहा कि वर्ष 1996-2001 तक तालिबान के पिछले शासन के दौरान उन्होंने लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया और उन्हें काम करने एवं सार्वजनिक जीवन जीने से रोक दिया था।

वर्ष 2001 में अफगानिस्तान में केवल 10 लाख बच्चे स्कूल जाते थे लेकिन पिछले 20 वर्षों में अब यह संख्या बढ़कर एक करोड़ हो गई है जिसमें 40 लाख लड़कियां भी शामिल हैं। लेकिन तालिबान के शासन आने के बाद से फिर से इन सभी छात्र/छात्राओं की शिक्षा पर खतरा मंडराने लगा है।

काबुल ड्रोन स्ट्राइक में अफगानी मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने के लिए अमेरिका ने दी मंजूरी

काबुल बम धमाके में मारे गए अमेरिकी सैनिकों के बाद अमेरिका की ओर से काबुल पर ड्रोन स्ट्राइक की गई थी। इस ड्रोन स्ट्राइक में 10 अफगान नागरिकों की मौत हो गई थी। अब अमेरिका इन मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने के लिए तैयार हो गया है।

इसके अलावा उन्होंने बताया कि अमेरिका लाए गए अफगानियों के जीवित परिजनों की मदद के लिए भी रक्षा विभाग, विदेश विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा है।

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद काबुल एयरपोर्ट पर बम से धमाका किया गया था। इस बड़े बम धमाके में 169 अफगानी नागरिकों समेत 13 अमेरिकी सैनिकों की भी मौत हो गई थी।

इसके बाद अमेरिका की ओर से ड्रोन स्ट्राइक की गई थी, इसमें बेगुनाह 10 अफगान नागरिकों की मौत हो गई थी। मामला सामने आने के बाद अमेरिका ने इस गलती को स्वीकार किया था।

अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रचेगा UAE का ये स्पेस मिशन, 2033 तक का मास्टर प्लान तैयार

यूनाइटेड अरब अमीरात यानी UAE अपने लिए अंतरिक्ष की दुनिया में पहचान बनाने में जोर-शोर से जुटा हुआ है। पिछले सप्ताह UAE ने कहा था कि वह वीनस यानी शुक्र ग्रह के बारे में जानकारी हासिल करेगा, साथ ही asteroid यानी छोटा तारा पर भी लैंड करने की कोशिश करेगा। वह इस मिशन को इस दशक के अंत तक पूरा करना चाहता है।

UAE के मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और प्रेसिडेंट ऑफ द UAE स्पेस एजेंसी सराह बिंत अल अमीरी ने कहा कि इस मिशन की मदद से लोकल और रिजनल इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के टैलेंटेड लोगों को भी यह आकर्षित करेगा।

UAE ने हमेशा जो काम किया वह ग्रांड किया है। यूनाइटेड अरब अमीरात ने सबसे पहले 2009 और 2013 में साउथ कोरिया के साथ मिलकर पहली बार सैटेलाइट को लॉन्च किया था। उसके बाद 2014 में इसने अपना स्पेस एजेंसी खोल लिया। शुक्र पर जाने की तैयारी को लेकर यूएई पहला देश नहीं है। इससे पहले भी कई देश ऐसा कर चुके हैं। इस प्रोजेक्ट को लेकर वहां के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन राशिद ने कहा कि अंतरिक्ष की दुनिया में हर सफल कदम युवाओं के लिए संभावनाओं का नया द्वार खोलेगा।

चीनी सेना की रातों की नींद हराम करेगी ये टनल, अब भारतीय सेना को तवांग पहुंचने में होगी और आसानी

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सेला सुरंग अरुणाचल प्रदेश में दिरांग घाटी को तवांग से जोड़ेगी। बता दें कि सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए यह सुरंग बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने 2019 बजट में इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड के जरिए तवांग तक हर मौसम में सड़क संपर्क की सुविधा के लिए सेला टनल प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। 14 अक्टूबर 2021 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विस्फोट के जरिए मुख्य ट्यूब का रास्ता खोलने के लिए बटन दबाया है।

1.5 किलोमीटर लंबी और 13,700 फीट की ऊंचाई पर बन रही सुरंग अपने आखिरी चरण में पहुंच चुकी है। 2022 तक इस इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिए जाने की उम्मीद है। इस सुरंग को नए ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड का इस्तेमाल करके बनाया जा रहा है।

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिक लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल को पार कर भारतीय इलाके में घुस आए थे जहां भारतीय सैनिकों के साथ उनकी झड़प हुई थी। चीन और भारत के बीच डेढ़ साल के अधिक से संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। इस टनल के बनने से तवांग सेक्टर में सेना की आवाजाही आसान हो जाएगी।

दक्षिणी ताइवान में हुआ दिल देहला देने वाला हादसा, बहुमंजिला इमारत में लगी भीषण आग

दक्षिणी ताइवान में एक इमारत में रात भर लगी आग से मरने वालों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है, जिन्होंने गुरुवार को कहा कि कम से कम 41 लोग घायल हो गए हैं।

काऊशुंग शहर के दमकल अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार तड़के करीब तीन बजे 13 मंजिला इमारत में आग लग गई। दमकल विभाग के एक बयान में कहा गया है कि आग “बेहद भयंकर” थी और कई मंजिलों को नष्ट कर दिया।

दमकल प्रमुख ली चिंग-हिसु ने घटनास्थल पर संवाददाताओं से कहा कि कम से कम 11 शवों को सीधे मुर्दाघर भेज दिया गया है। अन्य 14 लोगों में जीवन के कोई लक्षण नहीं दिखे, उनमें से 55 को अस्पताल ले जाया गया। ताइवान में मौत की आधिकारिक पुष्टि अस्पताल में ही की जा सकती है।

प्रत्यक्षदर्शियों ने ताइवान मीडिया को बताया कि उन्होंने तड़के करीब तीन बजे विस्फोट की आवाज सुनी।यह इमारत लगभग 40 साल पुरानी है, जिसमें निचले स्तरों पर दुकानें और ऊपर के अपार्टमेंट हैं। निचली मंजिलें पूरी तरह से काली पड़ गई थीं।

वर्चुअल सम्मेलन में अफगानिस्तान पर बोले व्लादिमीर पुतिन कहा-“यह स्थिति आसान नहीं है…”

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि युद्ध के लिए तैयार आतंकवादी सक्रिय रूप से अफगानिस्तान में घुस रहे हैं और यह स्थिति आसान नहीं है।

राष्ट्रपति ने पूर्व सोवियत राज्यों के सुरक्षा सेवा प्रमुखों के एक वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। जाहिर तौर पर पुतिन का मतलब इस्लामिक स्टेट (आईएस) से था, जिन्हें तालिबान ने गंभीरता से नहीं लिया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रेमलिन काबुल में तालिबान नेतृत्व को लेकर आशावादी रहा है, लेकिन वह मध्य एशियाई देशों में फैली अस्थिरता को लेकर चिंतित है।

इस बीच, अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात ने बार-बार कहा है कि उनकी धरती से किसी भी देश को कोई खतरा नहीं होगा। रूसी राष्ट्रपति के बयान तब आया जब मास्को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है और तालिबान को भी आमंत्रित किया जाएगा।

ब्रिटेन की सरकारी एजेंसी ने दुनिया को दी सख्त चेतावनी कहा-“अगर जलवायु परिवर्तन के कारण…”

ब्रिटेन की एक सरकारी एजेंसी ने बुधवार को कहा कि इंग्लैंड अगर जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा होने वाली मौसम की चरम स्थितियों के खिलाफ अपनी सुरक्षा में सुधार नहीं करता है तो उसे भी उसी प्रकार की भीषण बाढ़ों का सामना करना पड़ सकता है, जैसी बाढ़ ने इस बार की गर्मी में जर्मनी को तबाह कर दिया था.

एक रिपोर्ट में, ‘इन्वायरन्मेंट एजेंसी’ ने वैश्विक ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिक गर्म, शुष्क गर्मियां पड़ने, ज्यादा और खतरनाक बाढ़ों के आने, समुद्र तल की ऊंचाई बढ़ने और पानी की आपूर्ति को लेकर मांग बढ़ने की चेतावनी दी है. उसने अनुमान व्यक्त किया है कि वैश्विक औसत तापमान में यदि दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होती है, तो इंग्लैंड की शीतकालीन वर्षा में छह प्रतिशत की वृद्धि होगी, लेकिन 2050 तक गर्मियों की वर्षा 15 प्रतिशत कम हो जाएगी.

उन्होंने कहा, “बदलाव की यह कार्रवाई सरकार, व्यवसायों और समुदायों के लिए भी अभिन्न होनी चाहिए. जब निष्क्रियता की कीमत चुकाने के बजाय जलवायु की बेहतर स्थिति में जल्दी निवेश करना ज्यादा आसान है, तो ऐसे में लोग जल्द ही सवाल करेंगे कि इस संबंध में कदम क्यों नहीं उठाए गए.”