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विदेश

Bird Flu in France: तेज़ी से बढ़ रहे बर्ड फ्लू के मामलों ने बढ़ाई सरकार की चिंता, जारी हुआ अलर्ट

फ्रांस  के पड़ोसी देश बेल्जियम और लक्जमबर्ग  में बर्ड फ्लू  के मामलों के बढ़ने के बाद फ्रांस ने अपना बर्ड फ्लू अलर्ट का लेवल बढ़ा दिया है. यहां पर वायरस का एक नया रूप देखने को मिला है. फ्रांस के कृषि मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी.

वहीं, प्रशासन ने एहतियात के तौर पर सभी जानवरों को मार दिया गया. मंत्रालय ने कहा, एवियन इन्फ्लूएंजा के संबंध में स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक है. एक अगस्त से यूरोप (Europe) में जंगली और घरेलू पक्षियों के बीच 25 मामलों का पता चला है. फ्रांसीसी मंत्रालय ने कहा, बेल्जियम में पिछले हफ्ते H5N8 के दो मामले सामने आए.

बड़े पैमाने पर बर्ड फ्लू प्रकोप ने सरकार को पोल्ट्री क्षेत्र के साथ नए जैव सुरक्षा उपायों पर सहमत व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया. इसके तहत बर्ड फ्लू प्रकोप सामने आने पर पक्षियों के झुंड को सीमित करने के लिए फार्म में बंद करना. बर्ड फ्लू का प्रकोप ऐसे समय पर आया है, जब दुनिया कोरोनावायरस (Coronavirus) से जूझ रही है.

India-Australia के बीच हुई पहली 2+2 Meet, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित इन मुद्दों पर हुई वार्ता

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ‘2+2’ मंत्रिस्तरीय बैठक नई दिल्ली में हो रही है. वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ( Rajnath Singh ) और विदेश मंत्री एस जयशंकर ( EAM S Jaishankar ) कर रहे हैं. वहीं ऑस्ट्रेलिया के पक्ष का प्रतिनिधित्व पायने और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री पीटर डटन कर रहे हैं. पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के बीच रिश्तों में काफी नजदीकी आई है.

राजनाथ सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री डटन के साथ शुक्रवार को विभिन्न मुद्दों पर व्यापक चर्चा की वहीं जयशंकर ने विदेश मंत्री पायने से ‘टू-प्लस-टू’ वार्ता से ठीक पहले मुलाकात की। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने वार्ता में अफगानिस्तान में नाजुक सुरक्षा हालात पर चर्चा की और तालिबान शासित अफगानिस्तान से आतंकवाद फैलने की आशंका से संबंधित ‘साझा चिंताओं’ के बारे में बात की।

विदेश और रक्षा मंत्री स्तरीय वार्ता ऐसे समय हो रही है जब क्वाड समूह के सदस्य देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के नए सिरे से प्रयास कर रहे हैं। इस समूह में भारत और ऑस्ट्रेलिया के अलावा अमेरिका और जापान भी हैं। ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में एक मजबूत नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए भारत की सराहना करता है।

 

9/11 हमले के बाद आज भी आतंकवाद से जंग नहीं जीत पाया अमेरिका! यहाँ जानिए क्यों?

काबुल हवाई अड्डे से सैनिकों की वापसी ने उत्तर कोरिया और वियतनाम में अमेरिका की हार की यादें ताजा कर दी हैं. 911 आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवाद विरोधी के नाम पर अफगानिस्तान में युद्ध शुरू किया और वहां एक अमेरिकी समर्थक शासन खड़ा दिया.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका विश्व शक्ति के शिखर पर चढ़ गया. अमेरिकी अर्थव्यवस्था एक बार दुनिया के आधे हिस्से के लिए जिम्मेदार थी. शिखर की ताकत ने अमेरिकियों को पागलपन का भ्रम पैदा कर दिया है, जिससे उन्हें लगता है कि उनकी प्रणाली, संस्कृति और जीवन शैली दुनिया के लिए उच्चतम मॉडल हैं और पूरी दुनिया को इनका स्वीकार करना चाहिए.

लेकिन बीस साल बाद जब अमेरिका को इस अजेय भूमि से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा, तो आतंकवाद विरोधी और अफगानिस्तान के लोकतांत्रिक परिवर्तन का कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं हुआ.

अमेरिकियों ने अफगानिस्तान में एक नए वियतनाम युद्ध में निवेश किया. लेकिन बीस वर्षों के निर्थक प्रयासों के बाद भी लोगों को यह संदेह है कि क्या अमेरिकियों ने इस बात पर महसूस किया है: यानी बल के माध्यम से अन्य सभ्यताओं को सिर झुकाया नहीं जा सकता है.

अफगान में सत्ता के फेरबदल के बाद पहली बार अमेरिकी और चीनी राष्ट्रपति ने की फोन पर वार्ता

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच फोन पर बात हुई है. चीन की मीडिया का दावा है कि बाइडेन के सत्ता संभालने के बाद दोनों नेताओं के बीच दूसरी बार फोन पर बातचीत हुई है.

जिनपिंग ब्रिक्स सम्मेलन में भी शामिल हुए थे. अमेरिका और चीन में तल्खियां लगातार बरकरार हैं हालांकि दोनों में क्या बात हुई है ये अभी पता नहीं चला है.

इसके साथ ही ब्रिक्स ने अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी अंतर-अफगान वार्ता की वकालत की. ब्रिक्स के शीर्ष नेताओं ने अफगानिस्तान में मानवीय संकट का हल करने और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों सहित सभी के मानवाधिकारों को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया.

तालिबान के मंत्रिमंडल में नहीं शामिल हुई एक भी महिला , कहा-“उन्हें बच्चा ही पैदा करना चाहिए”

अफगानिस्तान में तालिबान ने हाल ही में अपनी कैबिनेट का गठन किया है. इस कैबिनेट में 33 लोगों को शामिल किया गया है, लेकिन किसी भी महिला को जगह नहीं दी गई है. अब तालिबान ने महिलाओं को लेकर बेहूदा बयानबाजी की है.

तालिबान शुरुआत से ही महिलाओं के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र की एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने अफगानिस्तान में तालिबान अधिकारियों से महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने का आह्वान किया है. अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने के बाद, तालिबान अधिकारियों को इन अधिकारों का सम्मान करने और उनकी रक्षा करने का कर्तव्य निभाना चाहिए.”

पैटन ने कहा, “मैं अफगानिस्तान में महिलाओं की पिटाई की तस्वीरों से स्तब्ध और आक्रोशित हूं. उन्हें डंडों से मारा गया और शांतिपूर्ण विरोध के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए पीटा गया. मैं उन सभी अफगान महिलाओं के साथ एकजुटता से खड़ी हूं जो अपने मौलिक अधिकारों, स्वतंत्रता और सम्मान के लिए लड़ रही हैं.”

लॉयड ऑस्टिन ने कहा,”अल-कायदा ने अफगानिस्तान को एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया”

अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि 20 साल पहले अमेरिका पर हमला करने वाला चरमपंथी समूह अल-कायदा ने अफगानिस्तान को एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया था।  ऑस्टिन ने कहा है कि अमेरिका किसी भी तरह के खतरे से निपटने के लिए अफगानिस्तान में अल-कायदा को रोकने को तैयार है।

ऑस्टिन ने कहा है कि एनालिस्ट्स देख रहे हैं कि अल-कायदा अफगानिस्तान में फिर से अपना अड्डा जमाने में सफल होता है या नहीं। अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे चरमपंथी संगठनों की यह प्रकृति रही है कि वह हर हमेशा बढ़ने, फैलने और जगह बनाने की कोशिश में रहे हैं।

ऑस्टिन ने कहा है कि हमने तालिबान से साफ़ शब्दों में कहा है कि वह अल-कायदा या किसी भी चरमपंथी को अफगानिस्तान में आतंक का अड्डा नहीं बनने देंगे। लेकिन अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि तालिबान ने अल-कायदा से संबंध बनाए हुए है।

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आते ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बढ़ा प्रेम, कह दी ये बड़ी बात…

पाकिस्तान का एकबार फिर तालिबान प्रेम जगजाहिर हुआ है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री का कहना है कि शांत अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही उपाय है.

उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी होने के नाते पाकिस्तान, अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार गठित होने के बाद उसे छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता है. हम यह भी मानते हैं कि अफगानिस्तान के साथ निरंतर अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव सभी के लिए सबसे अच्छा आतंकवाद विरोधी निवेश है.

वह यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि साल 2001 से आतंक के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के 80 हजार लोगों की जान गई है और हमारी अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

अफगानिस्तान में पाकिस्तान का डिप्लोमेटिक मिशन ने कड़ी मेहनत की और बहुराष्ट्रीय निकासी मिशन में गंभीर मदद मुहैया कराई. हमने उन अफ़गानों की निकासी लिए भी विशेष व्यवस्था की है जिन्हें विदेशों में फिर से बसाया जाना है.

एक तरफ जहां कई देश तालिबानी सरकार को मान्यता देने के पक्ष में नहीं है, चीन और पाकिस्तान तालिबानी सरकार के साथ गलबहियां करता नजर आ रहा है.

अफगानिस्तान की सत्ता पर जबरन कब्जा करने वाले तालिबान को घेरने की कोशिश हुई शुरू, देखें यहाँ

अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान को घेरने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से रूसी समकक्ष निकाले पेत्रुशेव से मुलाकात शुरू हो गई है।

रूस के एनएसए निकाले पेत्रुशेव मंगलवार रात ही भारत पहुंचे हैं। वह अजीत डोभाल से मिलने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर सकते हैं।

इससे पहले भारत ने ब्रिटे के एमआई-6 चीफ रिचर्ड मूर व सीआईए चीफ विलिमय बर्न्स के सामने भी अफगानिस्तान के प्रति अपनी चिंता जाहिर की थी। अब भारत रूस के एनएसए निकाले पेत्रुशेव को भी यही बात समझाने का प्रयास करेगा।

इस मंत्रिमंडल ने कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, अमेरिका की ओर से घोषित आंतकी सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान कैबिनेट में आंतरिक मंत्रालय व खुफिया प्रभारी है। वहीं मुल्ला ओमर का बेटा मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री बनाया गया है।

अफगानिस्तान में तालिबानी के सत्ता में आते ही अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत ने दिया ये बड़ा बयान

अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के एलान के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का पहला बयान आया है. संयुक्त राष्ट्र में शांति की संस्कृति पर आयोजित बैठक में भारत ने बिना किसी का नाम लिए कहा है कि वैश्विक महामारी में भी असहिष्णुता, हिंसा और आतंकवाद में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को कहा, ‘शांति की संस्कृति सम्मेलनों में चर्चा के लिए केवल एक अमूर्त मूल्य या सिद्धांत नहीं है बल्कि सदस्य देशों के बीच वैश्विक संबंधों में इसका दिखना जरूरी है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने भारत के खिलाफ नफरत भरे भाषण के लिए संयुक्त राष्ट्र मंच का दुरुपयोग करने के पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की एक और कोशिश को आज देखा जबकि वह अपनी सरजमीं और सीमा पार भी हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है.’

अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार से क्या भारत को होगा कोई बड़ा खतरा ? जानिए पूरी सच्चाई

अफगानिस्तान में तालिबान ने नई सरकार के गठन का ऐलान कर दिया है. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार का मुखिया होगा. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगानिस्तान का नया प्रधानमंत्री और अब्दुल गनी बरादर उप-प्रधानमंत्री होगा.

अफगान मंत्रिमंडल में अमेरिका नीत गठबंधन और तत्कालीन अफगान सरकार के सहयोगियों के खिलाफ 20 साल तक चली जंग में दबदबा रखने वाली तालिबान की शीर्ष हस्तियों को शामिल किया गया है.

तालिबान के पिछले शासन के अंतिम सालों में अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था. मुल्ला हसन तालिबान के शुरुआती स्थल कंधार से ताल्लुक रखते हैं और सशस्त्र आंदोलन के संस्थापकों में से हैं.

अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) की वेबसाइट के अनुसार, 2008 में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या के प्रयास की साजिश में भी वह कथित रूप से शामिल था.