Friday , November 22 2024

विदेश

कश्मीर मुद्दे पर भारत को मिला तालिबान की तरफ से तगड़ा झटका व की पाकिस्तान की सराहना

अफगानिस्तान के डिप्टी इंफॉर्मेशन मिनिस्टर और तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अफगानिस्तान का समर्थन करने के लिए पाकिस्तान की सराहना की है.

मुजाहिद ने कहा कि अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान मुखर रहा है और अंतरराष्ट्रीय ताकतों से अपील करता आया है कि वे अफगानिस्तान के साथ जुड़ें. इसके साथ ही जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कश्मीर को लेकर भी बयान दिया है.

तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद कहा था कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है लेकिन इसके बाद तालिबान की तरफ से ये भी बयान आया था कि कश्मीर के पीड़ित मुस्लिमों के लिए तालिबान आवाज उठाना जारी रखेगा.

उन्होंने आगे कहा कि जहां भी मुस्लिमों के साथ ज्यादती हो रही है, वो चिंताजनक है और हम उसके खिलाफ हैं. जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की भी हम आलोचना करते हैं.

व्यापार और आर्थिक संबंधों का विस्तार करना चाहता है. हमें उम्मीद है कि हमारे पड़ोसी देश अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अफगानिस्तान को समर्थन देना जारी रखेंगे. मुजाहिद ने कहा कि ‘कई देशों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अमेरिका के सामने हमारे पक्ष में आवाज उठाई है. ‘

संयुक्त राष्ट्र महासभा में 38 साल पुराना ये झूठ बोलने पर पाकिस्तान के पीएम की हुई इंटरनेशनल बेइज्जती

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिका पर निशाना साधने के चक्कर में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद ही अपने झूठ के जाल में फंस गए। संयुक्त राष्ट्र में झूठ बोलने को लेकर इमरान खान पर की जमकर बेइज्जती हो रही है।

इमरान ने शनिवार को एक रिकॉर्डेड मेसेज में कहा था कि अफगानिस्तान में ‘अवैध कब्जे’ के खिलाफ 1980 के दशक में चल रही लड़ाई में पाकिस्तान आगे था और अमेरिका के साथ मिलकर मुजाहिदीन समूहों को प्रशिक्षित कर रहा था।

यहां तक की PML-N उपाध्यक्ष मरयम नवाज ने भी कहा कि इमरान का भाषण लिखने वाले को नहीं, खुद इमरान को ‘नौकरी से निकाल देना चाहिए।’  रीगन ने अपने भाषण में मुजाहिदीन की तुलना अमेरिका के ‘फाउंडिंग फादर्स’ से की ही नहीं थी।

ये लगभग हर महाद्वीप पर हो रहा है जहां इंसान है, अफगानिस्तान के पहाड़ों में, अंगोला में, कांपूचिया में, मध्य अमेरिका में। आजादी के लड़ाकों का जिक्र करते हुए, हम सब आज सम्मानित हैं कि हमारे बीच अफगान फ्रीडम फाइटर्स को लीड करने वाले बहादुर कमांडर, अब्दुल हक मौजूद हैं। अब्दुल हक, हम आपके साथ हैं।’

अफगानिस्तान: तालिबान राज़ में एक बार फिर दिखी क्रूरता की तस्वीर, लोगों को मिल रही हाथ काटने की सज़ा

अफगानिस्तान में बेहतर और समावेशी शासन देने के तालिबान के कथित दावों के बीच उसकी हरकतों से आतंकवादी संगठन का असली चेहरा सामने आने लगा है और इसी कड़ी में तालिबान ने ऐलान किया है कि वह अफगानिस्तान में फांसी देने, हाथ हाटने और शरीर के टुकड़े करने जैसी बर्बर सजा को फिर से वापस लाएगा।

एक कुख्यात तालिबान अधिकारी द्वारा फांसी और अंग भंग करने जैसी सजाएं फिर शुरू किए जाने की चेतावनी के एक दिन बाद संगठन ने इस पर अमल भी कर दिखाया।  कहा कि अमेरिका अफगान पत्रकारों, नागरिक कार्यकर्ताओं, महिलाओं, बच्चों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और विकलांग लोगों के साथ खड़ा है और तालिबान से उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कहा है।

तालिबान द्वारा फांसी और हाथ और शरीर काटने जैसी सजाएं फिर शुरू किये जाने की चेतावनी के एक दिन बाद संगठन ने इस पर अमल भी कर दिखाया। चार लोगों के शवों को बड़ी क्रूरता से क्रेन के माध्यम से चौराहों पर लटका दिया गया।

मुंबई हमले के गुनहगारों को नहीं बख्शेगे भारत-अमेरिका, द्विपक्षीय बैठक में दी ये कड़ी चेतावनी

अमेरिका के दौरे पर कल पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच मुलाकात हुई. व्हाइट हाउस में हुई इस द्विपक्षीय बैठक के बाद दोनों ही देशों की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किया गया.

देशों ने सीमा पार आतंकवाद की निंदा करते हुए 26/11 के मुंबई हमलों के दोषियों को जल्द से जल्द पकड़कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है. साथ ही भारत-अमेरिका ने कहा है कि, वे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित समूहों सहित सभी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेंगे.

व्हाइट हाउस में पीएम मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच हुई इस बैठक के बाद जारी इस संयुक्त बयान में दोनों देशों ने कहा, “अमेरिका और भारत वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई में एक साथ खड़े हैं. दोनों ही देश ”संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव” (यूएनएससीआर) 1267 प्रतिबंध समिति द्वारा प्रतिबंधित समूहों सहित सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेंगे.”

 

17 साल पहले ‘ड्रैगन’ के खिलाफ खड़े हुए थे QUAD देश, हिंद महासागर को बचाने के लिए बना था ग्रुप

अमेरिका में भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों के बीच ऐतिहासिक मुलाकात और बातचीत हुई। ये बातचीत ‘क्वाड’ समिट के तहत हुई।  क्वाड(QUAD) यानी क्वाड्रीलैटरल सिक्योरिटी डायलाग(Quadrilateral Security Dialogue)। 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के बाद भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया साथ आए थे।  हालांकि आस्ट्रेलिया ने समर्थन नहीं किया और यह गठजोड़ नहीं बन पाया। 2017 में आसियान सम्मेलन से ठीक पहले आस्ट्रेलिया के विचार बदले और क्वाड अस्तित्व में आया।

हिंदू-प्रशांत क्षेत्र से अमेरिका के आर्थिक हित जुड़े हैं। यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में 1.9 लाख करोड़ डालर (करीब 140 लाख करोड़ रुपये) का अमेरिकी कारोबार दो महासागरों और कई महाद्वीपों को छूने वाले इस क्षेत्र से होकर गुजरा था। दुनिया का 42 फीसद निर्यात और 38 फीसद आयात यहीं से होकर जाता है। इस क्षेत्र की यथास्थिति को बदलने की चीन की कोशिश अमेरिका के लिए चिंता की बात है। दूसरी ओर, जिस तरह से चीन लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रहा है, उसने अन्य क्वाड देशों की चिंता भी बढ़ाई है।

क्वाड के सभी सदस्य देशों के साथ चीन के संबंध तनावपूर्ण हैं। अमेरिका के साथ चीन की तनातनी जगजाहिर है। वहीं कोरोना महामारी के स्रोत की जांच की मांग के बाद से आस्ट्रेलिया भी चीन के आर्थिक प्रतिबंध ङोल रहा है। भारत और जापान का चीन के साथ सीमाई विवाद है।

Mount Elbrus को फतह कर वापसी कर रहे पांच पर्वतारोही की बर्फीले तूफान की चपेट में आने से हुई मौत

रूस में मौजूद यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रस (Mount Elbrus) को फतह करके वापसी कर रहे पर्वतारोही दल के पांच सदस्यों की यहां बर्फीले तूफान की चपेट में आने से मौत हो गई.

19 पर्वतारोहियों का दल इस माउंट एलब्रस पर 5,000 मीटर की ऊंचाई पर था. इसी दौरान ये पर्वतारोही यहां आए बर्फीले तूफान में फंस गए जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई.

रूस के आपातकालीन और आपदा मंत्रालय ने शुक्रवार को इस घटना की जानकारी दी है. मंत्रालय ने इस घटना पर खेद जताते हुए बताया कि, “दुर्घटना में पांच पर्वतारोही दल के पांच सदस्यों की मौत हो गई है.”

इस अभियान का आयोजन करने वाली कंपनी ने बताया कि पर्वतारोहियों के साथ चार गाइड भी मौजूद थे. चढ़ाई के दौरान एक महिला पर्वतारोही की तबियत खराब हो गई थी. गाइड के साथ वापसी के दौरान उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था.

रक्षा, अफगानिस्तान और चीन इन तीन मुद्दों पर पीएम मोदी और जो बाइडन आज करेंगे वार्ता

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन शुक्रवार को जब पहली बार आमने-सामने मिलेंगे, तो पूरी दुनिया की नजर उनकी बैठक और उसके बाद होने वाले एलानों पर होगी।  ट्रंप के अमेरिकी चुनाव हारने और बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बीच दुनियाभर में कूटनीतिक स्तर पर कई बदलाव आए हैं।

2016 में अमेरिका का प्रमुख रक्षा साझेदार बनने के बाद से ही भारत लगातार अमेरिका की आधुनिक सैन्य तकनीक हासिल करने में सफल रहा है। किसी भी अन्य देश के मुकाबले भारत और अमेरिका की सेनाएं सबसे ज्यादा युद्धाभ्यास में शामिल रही हैं।

पिछले महीने ही जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से सैनिकों को निकालना शुरू कर दिया, तब चीन से लेकर पाकिस्तान तक ने दबी जुबान में अमेरिका पर निशाना साधा था। साथ ही अफगानिस्तान की कमान उसके लोगों के हाथों में सौंपने की वकालत भी की थी।

जहां अमेरिका लगातार स्वच्छ ऊर्जा का प्रचार कर इन लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश में है, वहीं एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत इकलौता ऐसा देश है, जो पेरिस जलवायु समझौते के तहत किए गए वादों को पूरा करने की ओर अग्रसर है

मुश्किल समय में अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति देख पिघला पाकिस्तान का दिल, कहा ये…

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति पर  चिंता व्यक्त की है, इसके साथ ही पाकिस्तान ने दुनिया से युद्ध प्रभावित देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करने का आग्रह किया.

पाकिस्तान के विदेश सचिव सोहेल महमूद ने यह टिप्पणी अफगानिस्तान के लिए चीन और रूस के विशेष दूतों या प्रतिनिधियों क्रमश: यू शियाओयोंग और राजदूत जमीर काबुलोव के साथ एक बैठक के दौरान की.

बता दें कि इससे पहले भी पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के लिए पैरवी कर चुका है. पाकिस्तान ने SAARC विदेश मंत्रियों की बैठक में तालीबान शासन का समर्थन किया था.

उनका कहना था कि अगर ऐसा नहीं होता है तो अफगानिस्तान में गृह युद्ध की स्थिति बन सकती है और देश आतंकवादियों के लिए एक ”आदर्श जगह” बन सकता है. इमरान खान ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं को शिक्षा लेने से रोकना गैर इस्लामिक होगा.

 

US Visit: भारतीय समुदाय ने किया PM Modi का गर्मजोशी से स्वागत कहा-“यह प्रशंसनीय है कि…”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अमेरिका के दौरे (PM Narendra Modi US Visit) के लिए रवाना हो गए और भारतीय समयानुसार तड़के करीब 3.30 बजे वाशिंगटन पहुंचे. अपने इस अहम दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी कई अहम कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे.

अमेरिका पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि गर्मजोशी से स्वागत के लिए वाशिंगटन डीसी में भारतीय समुदाय का आभारी हूं. हमारे प्रवासी हमारी ताकत है. यह प्रशंसनीय है कि कैसे भारतीय लोगों ने दुनिया भर में खुद को प्रतिष्ठित किया है.

पीएम मोदी आज गुरुवार को पांच बड़ी कंपनियों- क्वालकॉम (Qualcomm), एडोब (Adobe), फर्स्ट सोलर, जनरल एटॉमिक्स और ब्लैकस्टोन के सीईओ से मुलाकात करेंगे. इसके बाद वह करीब 11 बजे (IST) विलार्ड होटल में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से मुलाकात करेंगे.

अमेरिका पहुंचने से पहले पीएम ने विमान के अंदर की एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें वह कुछ जरूरी फाइलों को पढ़ रहे हैं. खुद की तस्वीर पोस्ट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, ‘लंबी उड़ान का मतलब पेपर्स और कुछ फाइल वर्क के माध्यम से जाने का अवसर.’

अफगानिस्तान में हुई त्रासदी के कारण इस साल 6.35 लाख लोग अपना घर छोड़ने पर हुए मजबूर

अफगानिस्तान में इस साल हिंसा के चलते 6.35 लाख लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। इनमें 12,000 से ज्यादा को अकेले पंजशीर प्रांत से काबुल का रुख करना पड़ा।

मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओसीएचए) ने बताया है कि विश्व संगठन और उसके सहयोगियों ने 2021 की पहली छमाही में ऐसे 80 लाख लोगों तक सहायता पहुंचाई है।

सैन्य संस्था में काम कर चुके अकरमुद्दीन ने बताया, उन्हें सात महीनों से वेतन नहीं मिला है। मैं किराए के मकान में रहता हूं, जिसका किराया और बिजली खर्च सात हजार रुपये हैं। लेकिन इन दिनों 10 रुपये भी दैनिक आमदनी नहीं रही।

वहीं, गुलाम नबी ने कहा कि लोगों को बहुत परेशानियां हैं और हम सरकार से इस पर ध्यान देने का आग्रह करते हैं। लोगों के लिए गुजर-बसर त्रासदीपूर्ण हो गया है।