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विदेश

किंग चार्ल्स का ट्रंप को पत्र; रैली के दौरान हमले में बाल-बाल बचे थे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति

बीते रविवार को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले के बाद से देश दुनिया के नेताओं की तरफ से उसकी आलोचना और ट्रंप के स्वास्थ्य शुभकामनाओं का सिलसिला जारी है। अब इसमें ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय का भी नाम जुड़ गया है। दरअसल ब्रिटेन के किंग चार्ल्स तृतीय ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले के बाद एक पत्र लिखा है।

रविवार को ट्रंप पर हुआ था हमला
अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर रविवार को पेंसिल्वेनिया के बटलर में एक चुनावी रैली के संबोधन के दौरान हमला हुआ था। जिसमें एक 20 वर्षीय युवक की तरफ से उनपर गोलियां दागी गई थी। हालांकि इस हमले में डोनाल्ड ट्रंप बाल-बाल बच गए हैं। वहीं हमले के तुरंत बाद सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर्स ने हमलावर को मौके पर ही ढेर कर दिया था।

एक-दूसरे की मेजबानी कर चुके हैं दोनों नेता
हालांकि ब्रिटिश सम्राट की तरफ से लिखे गए पत्र में क्या लिखा गया है, इसका खुलासा अभी नहीं किया गया है। किंग के पत्र को जल्द ही वाशिंगटन डीसी में मौजूद यूके दूतावास की तरफ से जल्द ही दिया गया था। बता दें कि साल 2019 में, प्रिंस ऑफ वेल्स के रूप में, अमेरिका के दौरे पर पहुंचे किंग चार्ल्स की तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया की दोपहर की चाय के लिए उनकी मेजबानी की थी, इस दौरान किंग चार्ल्स लंदन में एक नॉर्थ अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे। वहीं 2019 में हीं किंग चार्ल्स की मां, क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने ब्रिटेन की यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक राज्य भोज की मेजबानी की थी।

अक्टूबर में अमेरिका का दौरा करेंगे किंग
वहीं बकिंघम पैलेस के अनुसार फिलहाल कैंसर का इलाज करा रहे किंग चार्ल्स, अक्टूबर में दो शाही यात्राएं करेंगे। ऑस्ट्रेलिया के बाद, वह और उनकी पत्नी क्वीन कैमिला कॉमनवेल्थ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट मीटिंग (सीएचओजीएम) 2024 में भाग लेने के लिए समोआ का दौरा करेंगे। किंग और क्वीन ऑस्ट्रेलियाई सरकार के निमंत्रण पर ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेंगे। बकिंघम पैलेस ने बताया कि समोआ के लिए उनके महामहिम राज्य की यात्रा प्रशांत द्वीप राष्ट्र और ब्रिटेन के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध का जश्न मनाएगा।

असाधारण बहादुरी के लिए कैप्टन अविलाश और उनके चालक दल को मिलेगा सम्मान, बचाव मिशन को दिया था अंजाम

लंदन कैप्टन अविलाश रावत और एक तेल टैंकर के चालक दल के सदस्यों को 2024 के अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) पुरस्कार से सम्मानित जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें लाल सागर में बचाव मिशन के दौरान असाधारण बहादुरी दिखाने के लिए दिया जाएगा।

ईरान समर्थित हूती आतंकवादियों ने लाल सागर में उनके जहाज ‘मार्लिन लुआंडा’ पर एंटी-शिप मिसाइल से हमला किया था। इस दौरान जहाज में आग लग गई थी। इसके बाद कैप्टन रावत और उनके चालक दल ने मजबूत संकल्प और धैर्य के साथ अग्निशमन और क्षति को रोकने के लिए मिलकर प्रयास किए। जिसके लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित जाएगा।

आईएनएस विशाखापत्तनम के चालक दल को भी सम्मान
कैप्टन बृजेश नांबियार और भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस विशाखापत्तनम के चालक दल को भी संकट के समय तेल टैंकर को समर्थन देने के लिए एक प्रशस्ति पत्र से सम्मानित जाएगा। इसमें लिखा गया, 26 जनवरी 2024 की शाम मार्लिन लुआंडा 84,147 टन नेफ्था (ज्वलनशील तरल हाइड्रोकार्बन मिश्रण) ले जा रहा था और स्वेज से इंचियोन के रास्ते पर था। तभी इस जहाज पर एंटी-शिप मिसाइल से हमला किया गया। इसके बाद एक कार्गों टैंक में विस्फोट हुआ और आग लग गई। जिससे पांच मीटर से ज्यादा की दूरी तक आग की लपटें फैलने से खतरा पैदा हो गया था।

मिसाइल हमले के बाद कैप्टन रावत-चालक दल ने दिखाई बहादुरी
जहाज को नुकसान के बावजूद कैप्टन अविलाश रावत ने तेजी से अग्निशमन के प्रयासों को अंजाम दिया और चालक दल की सुरक्षा भी सुनिश्चित की। इस दौरान उन्होंने जहाज की नौवहन क्षमता को भी बनाए रखा। स्टारबोर्ड लाइफबोट के नष्ट हो जाने के बाद चालक दल के सदस्य तैयार होकर पोर्ट लाइफबोट स्टेशन पर इकट्ठा हुए। अत्यधिक खतरे के बावजूद रावत और उनके चालक दल ने फिक्स्ड फोम मॉनिटर और पोर्टेबल होसेस का इस्तेमाल करके आग पर काबू पाया।

कैप्टन रावत और उनका चालक दल के सदस्य समुद्री सुरक्षा समिति के 109वें सत्र के दौरान 2 दिसंबर को लंदन में अपने पुरस्कार को प्राप्त करेंगे। लंदन में आईएमओ मुख्यालय में वार्षिक समारोह आयोजित किया जाएगा।

उपराष्ट्रपति हैरिस ने डोनाल्ड ट्रंप पर लगाए गंभीर आरोप, कहा- वह लोकतंत्र को तानाशाही में बदलना चाहते हैं

अमेरिका में पांच नवंबर को चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं। यहां राष्ट्रपति पद के लिए दो नेताओं जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुकाबला है। दोनों ही प्रतिद्वंद्वी एक दूसरे पर हमलावर हैं। इस बीच, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने एक बार फिर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी के संभावित उम्मीदवार ट्रंप अमेरिकी लोकतंत्र को तानाशाही में बदल देंगे।

एएएनएसपीआई किया लॉन्च
हैरिस ने लास वेगास में बाइडन-हैरिस के लिए एक एएएनएसपीआई (AANHPI) लॉन्च किया है। यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जो देश भर में एशियाई अमेरिकी, मूल हवाईयन और प्रशांत द्वीप समूह (एएनएसपीआई) मतदाताओं, समुदायों और नेताओं को एक साथ एक मंच पर लाएगा।

इस दौरान उन्होंने कहा, ‘डोनाल्ड ट्रंप हमारे लोकतंत्र को तानाशाही में बदलना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मूल रूप से घोषणा की है कि वह इससे बच सकते हैं।’

ट्रंप लगाए गंभीर आरोप
हैरिस ने आरोप लगाया कि ट्रंप के सलाहकारों ने 900 पन्नों का एक खाका तैयार किया है। इसे प्रोजेक्ट 2025 बताया जा रहा है। इसमें दूसरे कार्यकाल में उनके द्वारा की जाने वाली अन्य सभी योजनाओं का ब्योरा है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा में कटौती, इंसुलिन पर 35 अमेरिकी डॉलर की सीमा को हटाना, शिक्षा विभाग और हेड स्टार्ट जैसे कार्यक्रमों को समाप्त करना शामिल है।

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रोजेक्ट 2025 में गर्भनिरोधक तक पहुंच को सीमित करने और संसद के एक अधिनियम के साथ या उसके बिना देश भर में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने की योजना की रूपरेखा तैयार की गई है। यदि इसे लागू किया जाता है, तो यह योजना डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रजनन स्वतंत्रता पर नया हमला होगा।’

महिलाओं को पता है उनका हित
उपराष्ट्रपति ने लोगों की तालियों की गूंज के बीच कहा, ‘कोई गलती न करें, अगर ट्रंप को मौका मिलता है तो वह हर एक राज्य में गर्भपात को गैरकानूनी घोषित करने के लिए राष्ट्रीय गर्भपात प्रतिबंध पर हस्ताक्षर करेंगे। लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम ऐसा नहीं होने देंगे क्योंकि हम महिलाओं पर भरोसा करते हैं। हम जानते हैं कि महिलाएं जानती हैं कि उनके अपने हित में क्या है और उन्हें सरकार द्वारा यह बताए जाने की जरूरत नहीं है कि उन्हें अपने शरीर के साथ क्या करना है।’

अपनी मां से जुड़ा किस्सा बताया
उन्होंने कहा, ‘मेरी मां उस समय भारत से अमेरिका आई थीं, जब मैं महज 19 साल की थीं। वह और मेरे पिता नागरिक अधिकार आंदोलन में सक्रिय होने के दौरान मिले थे। वास्तव में, जब मैं छोटी थी तो मेरे माता-पिता मुझे स्ट्रोलर में मार्च में ले जाते थे। मेरी मां के जीवन में दो लक्ष्य थे। एक अपनी दो बेटियों ‘मैं और मेरी बहन माया’ को बड़ा करना और दूसरा स्तन कैंसर को समाप्त करना। वह एक स्तन कैंसर शोधकर्ता थीं। अगर मैं सच कहूं तो मेरी मां ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी किसी की अनुमति नहीं मांगी।’

अमेरिका में भारत दिवस की परेड में पहली बार दिखेगी राम मंदिर की झलक, जानें कौन होगा मुख्य अतिथि?

भारत के स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में अमेरिका में एक परेड होने वाली है। न्यूयॉर्क में भारत दिवस के मौके पर 18 अगस्त को होने वाली परेड में लोगों को एक खास झांकी देखने को मिलेगी। दरअसल, इसमें राम मंदिर की प्रतिकृति प्रदर्शित की जाएगी। इसमें शहर और उसके आसपास से हजारों भारतीय-अमेरिकी शामिल होंगे।

प्रवासी भारतीयों की अग्रणी संस्था फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन एनवाई-एनजे-सीटी-एनई (एफआईए) ने यहां भारतीय महावाणिज्य दूतावास में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि 18 अगस्त को होने वाली 42वीं वार्षिक भारत दिवस परेड में विशेष राम मंदिर की झांकी का प्रदर्शन किया जाएगा।

एफआईए ने बताया कि प्रसिद्ध भारतीय अभिनेता पंकज त्रिपाठी परेड में मुख्य अतिथि होंगे। यह परेड न्यूयॉर्क शहर के लोकप्रिय मैडिसन एवेन्यू से होकर गुजरेगी और इसमें हजारों भारतीय प्रवासी शामिल होंगे।

क्या है भारत दिवस परेड?
भारत दिवस परेड का आयोजन हर साल फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन की ओर से आयोजित किया जाता है। भारतीय स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यह भारत से बाहर होने वाला बड़ा आयोजन माना जाता है। इस परेड में विभिन्न भारतीय-अमेरिकी समुदायों और संस्कृति की विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाली दर्जनों झांकियां न्यूयॉर्क की सड़कों पर देखी जाती हैं। इस दौरान भारतीय लोग झांकियों का सड़क पर स्वागत करते हैं और तिरंगा लहराते हैं।

भारत की महान संस्कृति का प्रदर्शन
न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत बिनय प्रधान ने कहा कि वाणिज्य दूतावास परेड का समर्थन करेगा और न्यूयॉर्क तथा अमेरिका में भारत की महान संस्कृति का प्रदर्शन करेगा।

इतनी लंबी होगी प्रतिकृति
एफआईए के अध्यक्ष डॉ. अविनाश गुप्ता ने बताया कि इस बार परेड की थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ है। उन्होंने कहा कि इस साल परेड में 18 फुट लंबी, नौ फुट चौड़ी और आठ फुट ऊंची राम मंदिर की भव्य प्रतिकृति शामिल होगी। यह पहली बार होगा जब राम मंदिर की प्रतिकृति अमेरिका में प्रदर्शित की जाएगी। यह कदम भारतीय समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा।

वाणिज्य दूतावास में आयोजित कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद अमेरिका, बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) और सिद्धिविनायक मंदिर के प्रतिनिधियों ने राम मंदिर की छोटी प्रतिकृति का अनावरण किया। बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किया था।

कई बड़ी हस्तियां होती हैं शामिल
भारत दिवस परेड आमतौर पर मिडटाउन न्यूयॉर्क में ईस्ट 38वीं स्ट्रीट से ईस्ट 27वीं स्ट्रीट तक जाती है। इसे देखने के लिए 1.50 लाख से ज्यादा लोग आते हैं। हर साल आयोजन में भारत से कोई न कोई बड़ी हस्ती शामिल होती हैं। पिछले साल 41वें वार्षिक भारत दिवस परेड के अवसर पर श्रीश्री रविशंकर, अभिनेता सामंथ प्रभु और अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस शामिल हुई थीं। इस दौरान सड़क पर अद्भुत भारतीय छंटा दिखी थी।

रूसी राजनयिक ने पीएम मोदी को दौरे को बताया महत्वपूर्ण, कहा- यह ऐतिहासिक और खेल बदलने वाला था

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के दो दिवसीय दौरे के बाद अब ऑस्ट्रिया पहुंच गए। पीएम मोदी के रूस दौरे को लेकर रूसी राजनयिक रोमन बाबुश्किन ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक ऐतिहासिक और खेल बदलने वाला था। रूसी राजनयिक ने बताया कि पीएम मोदी का रूस दौरा पूरे विश्व ने देखा और इससे यह साबित होता है कि उनका यह दौरा कितना महत्वपूर्ण था।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच वार्ता के एक दिन बाद रूसी राजनयिक रोमन बाबुश्किन ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मॉस्को दौरा पूरे विश्व ने देखा था और यह इस बात का सबूत है कि यह दौरा कितना महत्वपूर्ण था।” उन्होंने आगे बताया कि दोनों नेताओं के बीच भारत-रूस के व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ाने पर चर्चा हुई।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच बातचीत के परिणामों पर प्रकाश डालते हुए रोमन बाबुश्किन ने कहा, “भारत और रूस ने राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय भुगतान प्रणाली को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। भारत की मांग पर रूस अपनी सेना में भर्ती किए भारतीय नागरिकों को वापस भेजने के लिए तैयार है।” उन्होंने कहा, “इस मामले में हम भारत के साथ है। हमें उम्मीद है कि इसे जल्द सुलझा लिया जाएगा।”

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष रूसी सेना में भारतीयों के फंसे होने का मुद्दा उठाए जाने के बाद रूस ने रूसी सेना में कार्यरत सभी भारतीयों को बर्खास्त करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि कई भारतीयों को धोखा देकर रूसी सेना में भर्ती करने का खुलासा हुआ था। दर्जनों भारतीय रूसी सेना में फंसे हैं और कई भारतीय रूस-यूक्रेन युद्ध में मोर्चे पर तैनात हैं।

पीएम मोदी का रूस दौरा
पीएम मोदी सोमवार शाम दो दिवसीय दौरे पर मॉस्को पहुंचे। रूस के यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने के बाद से पीएम मोदी की यह रूस की पहली यात्रा है। रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव ने हवाई अड्डे पर पीएम मोदी स्वागत किया। प्रधानमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। सोमवार शाम को पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आवास पर उनसे मुलाकात की। प्रधानमंत्री मंगलवार को राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भाग लिए और मॉस्को में 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भी शामिल हुए।

श्रीलंका में राष्ट्रपति और संसद के कार्यकाल पर संवैधानिक पेंच खत्म, इस प्रस्ताव को दी गई मंजूरी

श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने राष्ट्रपति और संसद दोनों के कार्यकाल को स्पष्ट करने के लिए संविधान में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि नए प्रस्ताव के आधार पर कार्यकाल केवल पांच वर्ष तक सीमित हो जाएगा।

श्रीलंका में जब स्वतंत्र चुनाव आयोग अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान की तारीख की घोषणा करने की तैयारी में था तब राष्ट्रपति के कार्यकाल को लेकर विवाद खड़ा हो गया। वर्ष 2015 से 19वें संशोधन के अनुसार दोनों पदों का कार्यकाल पहले से ही पांच वर्ष है। हालांकि, समस्या अनुच्छेद 83 को लेकर थी, जिसमें कहा गया था कि जनमत संग्रह के साथ कार्यकाल को पांच से छह तक बढ़ाया जा सकता है। एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से यह परिभाषित करने के लिए संपर्क किया कि कार्यकाल पांच वर्ष का है या छह वर्ष का।

संविधान में 30(2) और 83 के बीच अस्पष्टता पर निर्णय लेने की मांग की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। जिसका अर्थ यह है कि यह केवल पांच वर्ष का होगा। लेकिन इस याचिका को इस सप्ताह की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। उसके बाद अब पेश किया जाने वाला संशोधन अनुच्छेद 83 (बी) से उत्पन्न होने वाले मुद्दे को हल करने की कोशिश है। क्योंकि कार्यकाल को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। नए प्रस्ताव में लिखा है, “राष्ट्रपति के पद की अवधि या संसद की अवधि को मौजूदा छह वर्षों से घटाकार पांच वर्ष किया जाए।”

अगले महीने होगी राष्ट्रपति चुनाव के तारीख की घोषणा
चुनाव आयोग के प्रमुख आरएमएएल रत्नायके ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रपति चुनाव की तारीख की घोषणा महीने के अंत तक की जा सकती है। आयोग ने पहले घोषणा की थी कि चुनाव 16 सितंबर से 17 अक्टूबर के बीच होंगे।

‘भारत के साथ काम करने के लिए तैयार’, एनएसए अजीत डोभाल से बोले चीनी विदेश मंत्री वांग यी

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के दूसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाए जाने पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बधाई संदेश भेजा है। वहीं भारत-चीन सीमा मुद्दे के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में अजीत डोभाल की फिर से नियुक्ति पर वांग यी ने कहा कि चीन और भारत के बीच ऐसे संबंध हैं जो द्विपक्षीय सीमाओं से परे हैं और जिनका वैश्विक महत्व बढ़ रहा है।

‘दोनों देश दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाएं’
वांग यी चीनी विदेश मंत्री के साथ-साथ भारत-चीन सीमा वार्ता तंत्र के चीन के विशेष प्रतिनिधि और सीपीसी केंद्रीय समिति के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं। अपने बधाई संदेश में वांग यी ने कहा कि चीन और भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों देशों के बीच संबंध द्विपक्षीय दायरे से परे हैं और इनका वैश्विक महत्व तेजी से बढ़ रहा है। वांग यी ने कहा कि मैं दोनों देशों के नेताओं की तरफ से पहुंची महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, प्रासंगिक सीमा मुद्दों को ठीक से संभालने और सीमावर्ती क्षेत्रों में संयुक्त रूप से शांति बनाए रखने के लिए अजीत डोभाल के साथ काम करने को तैयार हूं।

कजाकिस्तान में हुई दोनों देशों के विदेश मंत्री की बैठक
चीनी विदेश मंत्री वांग यी का यह संदेश कजाकिस्तान के अस्थाना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ उनकी हाल में हुई बैठक के बाद आया है। भारत में हाल ही में हुए आम चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार के गठन के बाद यह भारतीय और चीनी अधिकारियों के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक थी।

दोनों देशों के बीच हो चुकी हैं 19 बैठकें
बता दें कि भारत-चीन सीमा के 3,488 किलोमीटर लंबे जटिल विवाद को व्यापक रूप से सुलझाने के लिए 2003 में गठित विशेष प्रतिनिधि तंत्र का नेतृत्व भारत के एनएसए और चीनी विदेश मंत्री करते हैं। जिसकी कुल 19 बैठकें हो चुकी है, लेकिन विश्लेषकों के अनुसार यह बहुत आशाजनक द्विपक्षीय तंत्र नहीं बन पाया, हालांकि यह दोनों देशों के बीच बार-बार होने वाले तनाव को दूर करने में बहुत उपयोगी और सुविधाजनक तंत्र था।

21 बार हो चुकी है कोर कमांडर स्तर की वार्ता
5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों देशों के बीच व्यापार को छोड़कर संबंध नए निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। यह गतिरोध गलवान के पास पैंगोंग त्सो (झील) क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ था। मई 2020 की झड़पों के बाद से, दोनों पक्षों ने गतिरोध को हल करने के लिए अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता की है। अब जल्द ही 22वीं बैठक होने वाली है। चीनी सेना के अनुसार, दोनों पक्ष अब तक पूर्वी लद्दाख में चार बिंदुओं, अर्थात् गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और जियानन दबान (गोगरा) से पीछे हटने पर सहमत हुए हैं।

हमास और इस्राइल बीते नौ महीने से जंग लड़ रहे हैं। इस्राइल द्वारा हमास को खत्म करने का संकल्प गाजा पट्टी के लोगों पर भारी पड़ रहा है। गाजा में पैदा हुई मानवीय परिस्थितियों को लेकर देशभर में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस बीच, हमास का रुख कुछ नरम होता दिख रहा है। वह किसी भी समझौते पर पहुंचने से पहले इस्राइल पर लगातार स्थायी युद्धविराम के लिए दबाव डालने की अपनी जिद पर पुनर्विचार करने के लिए तैयार है।

अस्थायी युद्ध विराम पर बातचीत को तैयार
गाजा में युद्ध विराम तक पहुंचने के लिए चल रहे प्रयासों में यह बयान एक महत्वपूर्ण पल है। हमास लगातार कई मांगे रखता आ रहा है। हालांकि अब वह बिना किसी शर्त के एक अस्थायी युद्ध विराम पर बातचीत शुरू करने के लिए तैयार है।

छह सप्ताह तक हो सकती है वार्ता
हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संशोधित दृष्टिकोण से समझौते के प्रारंभिक चरण के दौरान स्थायी युद्धविराम पर बातचीत जारी रखने की अनुमति मिल जाएगी, जिसके छह सप्ताह तक चलने की उम्मीद है। महत्वपूर्ण बात यह है कि मध्यस्थ अस्थायी युद्धविराम के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगे, गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने में सुविधा प्रदान करेंगे, तथा वार्ता जारी रहने तक इस्राइली सैनिकों की वापसी की निगरानी करेंगे।

मसौदे में कहा गया है कि 16वें दिन से पहले, इस समझौते के दूसरे चरण के कार्यान्वयन की शर्तों को अंतिम रूप देने के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू हो जाएगी। पहले चरण के पांचवें सप्ताह के अंत से पहले यह बातचीत पूरी हो जानी चाहिए।

कतर में हो रहीं बैठक
हमास के रुख में यह बदलाव कतर में इस्राइल और हमास के प्रतिनिधियों के बीच फिर से शुरू हुई वार्ता के बीच आया है। बता दें, इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की ओर से व्यापक समझौते पर मध्यस्थता के उद्देश्य से विस्तृत चर्चा करने की अनुमति मिलने के बाद यह बातचीत फिर से शुरू हुई।

एक रिपोर्ट के अनुसार, मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया ने मध्यस्थों से मिलने तथा युद्ध विराम और बंधकों की रिहाई को शामिल करते हुए संभावित नए समझौते की शर्तों पर चर्चा करने के लिए कतर की यात्रा की। वहीं एक इस्राइली मसौदा प्रस्ताव का विवरण स्थानीय मीडिया में सामने आया है। इसमें एक तय समय सीमा के भीतर बातचीत शुरू करने के प्रावधान शामिल हैं। हालांकि, इस्राइल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने इन दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि करने से परहेज किया है।

हमास और इस्राइल के बीच एक समझौते को सुरक्षित करने के प्रयासों को हाल के महीनों में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। नेतन्याहू पर इस्राइली बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए दक्षिणपंथी मंत्रियों और बंधकों के परिवारों सहित विभिन्न क्षेत्रों से दबाव है।

श्रीलंका ने विदेशी शोध जहाजों से प्रतिबंध हटाने का किया एलान, जानिए भारत-चीन से क्या है संबंध

श्रीलंका ने अगले साल से उनके देश में विदेशी शोध जहाजों के आने पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। दरअसल श्रीलंका में भारत और अमेरिका द्वारा हाई-टेक चीनी निगरानी जहाजों के बार-बार श्रीलंका के बंदरगाहों पर डॉक करने पर सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताओं के बाद विदेशी शोध जहाजों पर प्रतिबंध लगाया था। इसकी जानकारी जापान दौरे पर पहुंचे श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने दी।

भारत-अमेरिका ने किया था आग्रह
बता दें कि हिंद महासागर में चीनी शोध जहाजों की बढ़ती आवाजाही के को लेकर नई दिल्ली ने चिंता जताई थी और आशंका जताई थी कि चीनी जहाज जासूसी जहाज़ हो सकते हैं और कोलंबो से ऐसे जहाजों को अपने बंदरगाहों पर डॉक करने की अनुमति न देने का आग्रह किया था। भारत द्वारा चिंता जताए जाने के बाद श्रीलंका ने जनवरी में अपने बंदरगाह पर विदेशी शोध जहाजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल की शुरुआत में, श्रीलंका ने एक चीनी जहाज़ को अपवाद के तहत मंजूरी दी थी, लेकिन प्रतिबंध जारी रखा था। श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग नियम नहीं रख सकती। उन्होंने कहा कि उनका देश दूसरों के बीच विवाद में किसी का पक्ष नहीं लेगा।

उल्लेखनीय है कि दो चीनी जासूसी जहाजों को नवंबर 2023 तक 14 महीने के भीतर श्रीलंका के बंदरगाहों में डॉक करने की अनुमति दी गई थी। चीनी शोध जहाज 6 अक्टूबर 2023 में श्रीलंका पहुंचा और उसने कोलंबो बंदरगाह पर डॉक किया। इस जहाज के डॉक करने का उद्देश्य समुद्री पर्यावरण पर रिसर्च थी। अमेरिका ने इस जहाज के आगमन को लेकर श्रीलंका के प्रति चिंता व्यक्त की थी।

चीनी जासूसी जहाजों को लेकर उठे थे सवाल
इससे पहले अगस्त 2022 में, चीनी नौसेना का जहाज युआन वांग 5 ने दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा में डॉक किया। नकदी की कमी से जूझ रहा श्रीलंका, वित्तीय मदद के लिए भारत और चीन, दोनों को समान रूप से महत्वपूर्ण भागीदार मानता है। इस बीच, सबरी ने सोनार से लैस जहाज उपलब्ध कराने की जापान की योजना के लिए भी आभार व्यक्त किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इससे श्रीलंका को ‘अपना स्वयं का सर्वेक्षण करने और अपना डेटा एकत्र करने और उसका व्यावसायिक रूप से दोहन करने का अवसर मिलेगा।’ जापानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि श्रीलंका के पास अप्रयुक्त समुद्री संसाधन हैं, इसलिए शोध आवश्यक है, लेकिन इसे पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए। बता दें कि हिंद महासागर में एक रणनीतिक बिंदु पर स्थित श्रीलंका दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया के बीच समुद्री यातायात के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो वैश्विक व्यापार मार्ग का हिस्सा है।

‘शुरू हुआ इस्लामाबाद-बीजिंग सहयोग का नया युग’, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बांधे चीन के तारीफों के पु

नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर चीन की तारीफ की। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), संचार, खनन और उर्जा क्षेत्रों में इस्लामाबाद-बीजिंग सहयोग का एक नया युग शुरू हुआ है। शरीफ ने कहा, इससे आर्थिक विकास होगा और समय की कसौटी पर खरे उतरे द्विपक्षीय संबंध गहरे होंगे।

रेडियो पाकिस्तान की खबर के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने यह टिप्पणी शनिवार को इस्लामाबाद में की, जहां उनके हालिया चीन दौरे के दौरान हुए समझौतों के क्रियान्वयन पर एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी। प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा कि इन क्षेत्रों में पाकिस्तान-चीन सहयोग को बढ़ावा देने से आर्थिक विकास, क्षेत्रीय संबंधों और दोनों देशों के बीच संबंधों को गहरा करने में मदद मिलेगी।

पाकिस्तान-चीन दोस्ती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने हमेशा मुश्किल वक्त में पाकिस्तान का साथ दिया है। उन्होंने कहा, चीन सबसे मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में उभर है और पाकिस्तान उसका अनुसरण कर सकता है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेता ने कहा कि उनके चीन दौरे के दौरान हस्ताक्षरित समझौतों और समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के क्रियान्वयन में कोई व्यवधान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने जूते बनाने वाली चीनी कंपनियों के एक प्रतिनिधिमंडल के बारे में भी जानकारी दी, जो हाल ही में पाकिस्तान में अपने विनिर्माण इकाइयों को स्थानांतरित करने के लिए पाकिस्तान आया था। इन चीनी कंपनियों के पास इस क्षेत्र में 5-8 अरब डॉलर का निवेश करने की क्षमता है। शरीफ ने बताया कि इस साल पाकिस्तान में होने वाले फूड एंड एग्री एक्सपो में चीन की 12 प्रमुख कंपनियां भाग लेंगी।उन्होंने कृषि क्षेत्र में उन्नत प्रशिक्षण के लिए सरकारी छात्रवृत्ति पर पाकिस्तान से एक हजार छात्रों को चीन भेजने के संबंध में प्रगति की भी समीक्षा की।

उन्होंने निर्देश दिए कि गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) सहित सभी चार प्रांतों के छात्रों को योग्यता के आधार पर चीन भेजा जाना चाहिए।