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विदेश

अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता आते ही पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बढ़ा प्रेम, कह दी ये बड़ी बात…

पाकिस्तान का एकबार फिर तालिबान प्रेम जगजाहिर हुआ है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री का कहना है कि शांत अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही उपाय है.

उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी होने के नाते पाकिस्तान, अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार गठित होने के बाद उसे छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता है. हम यह भी मानते हैं कि अफगानिस्तान के साथ निरंतर अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव सभी के लिए सबसे अच्छा आतंकवाद विरोधी निवेश है.

वह यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि साल 2001 से आतंक के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के 80 हजार लोगों की जान गई है और हमारी अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

अफगानिस्तान में पाकिस्तान का डिप्लोमेटिक मिशन ने कड़ी मेहनत की और बहुराष्ट्रीय निकासी मिशन में गंभीर मदद मुहैया कराई. हमने उन अफ़गानों की निकासी लिए भी विशेष व्यवस्था की है जिन्हें विदेशों में फिर से बसाया जाना है.

एक तरफ जहां कई देश तालिबानी सरकार को मान्यता देने के पक्ष में नहीं है, चीन और पाकिस्तान तालिबानी सरकार के साथ गलबहियां करता नजर आ रहा है.

अफगानिस्तान की सत्ता पर जबरन कब्जा करने वाले तालिबान को घेरने की कोशिश हुई शुरू, देखें यहाँ

अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद तालिबान को घेरने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। इसके मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से रूसी समकक्ष निकाले पेत्रुशेव से मुलाकात शुरू हो गई है।

रूस के एनएसए निकाले पेत्रुशेव मंगलवार रात ही भारत पहुंचे हैं। वह अजीत डोभाल से मिलने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात कर सकते हैं।

इससे पहले भारत ने ब्रिटे के एमआई-6 चीफ रिचर्ड मूर व सीआईए चीफ विलिमय बर्न्स के सामने भी अफगानिस्तान के प्रति अपनी चिंता जाहिर की थी। अब भारत रूस के एनएसए निकाले पेत्रुशेव को भी यही बात समझाने का प्रयास करेगा।

इस मंत्रिमंडल ने कई देशों की चिंता बढ़ा दी है। दरअसल, अमेरिका की ओर से घोषित आंतकी सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबान कैबिनेट में आंतरिक मंत्रालय व खुफिया प्रभारी है। वहीं मुल्ला ओमर का बेटा मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री बनाया गया है।

अफगानिस्तान में तालिबानी के सत्ता में आते ही अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत ने दिया ये बड़ा बयान

अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के एलान के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का पहला बयान आया है. संयुक्त राष्ट्र में शांति की संस्कृति पर आयोजित बैठक में भारत ने बिना किसी का नाम लिए कहा है कि वैश्विक महामारी में भी असहिष्णुता, हिंसा और आतंकवाद में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव विदिशा मैत्रा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को कहा, ‘शांति की संस्कृति सम्मेलनों में चर्चा के लिए केवल एक अमूर्त मूल्य या सिद्धांत नहीं है बल्कि सदस्य देशों के बीच वैश्विक संबंधों में इसका दिखना जरूरी है.’

उन्होंने कहा, ‘हमने भारत के खिलाफ नफरत भरे भाषण के लिए संयुक्त राष्ट्र मंच का दुरुपयोग करने के पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की एक और कोशिश को आज देखा जबकि वह अपनी सरजमीं और सीमा पार भी हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है.’

अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार से क्या भारत को होगा कोई बड़ा खतरा ? जानिए पूरी सच्चाई

अफगानिस्तान में तालिबान ने नई सरकार के गठन का ऐलान कर दिया है. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार का मुखिया होगा. मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगानिस्तान का नया प्रधानमंत्री और अब्दुल गनी बरादर उप-प्रधानमंत्री होगा.

अफगान मंत्रिमंडल में अमेरिका नीत गठबंधन और तत्कालीन अफगान सरकार के सहयोगियों के खिलाफ 20 साल तक चली जंग में दबदबा रखने वाली तालिबान की शीर्ष हस्तियों को शामिल किया गया है.

तालिबान के पिछले शासन के अंतिम सालों में अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था. मुल्ला हसन तालिबान के शुरुआती स्थल कंधार से ताल्लुक रखते हैं और सशस्त्र आंदोलन के संस्थापकों में से हैं.

अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) की वेबसाइट के अनुसार, 2008 में अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या के प्रयास की साजिश में भी वह कथित रूप से शामिल था.

सुरंग के रास्ते गिलबोया जेल से फरार हुए छह फलस्तीनी कैदी, इस्राइली की बढ़ी चिंता

इस्राइल की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और सुरक्षा बलों के अभूतपूर्व पहरे को धता बताते हुए छह फलस्तीनी कैदी सुरंग के रास्ते गिलबोया जेल से भागने में कामयाब रहे। जेल से रातोंरात भागने के बाद इस्राइली सेना ने पश्चिमी तट में फलस्तीनी कैदियों की तलाश में अभियान छेड़ दिया है।
इस्राइल के प्रधाननमंत्री नफ्ताली बेनेट ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और सुरक्षाबलों द्वारा अधिकतम सतर्कता बरते जाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस्राइल के यहूदी नववर्ष के कुछ घंटे पहले हुए जेल ब्रेक पर उन्हें लगातार अपडेट मिल रहे थे। सुरक्षा एजेंसियों को यकीन नहीं था कि फरार कैदी आम लोगों के सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं ।

जहां अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा फलस्तीन प्रशासन को मान्यता हासिल है। यहां हाल ही में इस्राइली बलों की उग्रवादियों के साथ झड़प हुई थी। सोमवार की सुबह जेनिन के ऊपर इस्राइली हेलिकॉप्टर गश्त लगाते नजर आए। फलस्तीनी कैदी क्लब के मुताबिक फरार होने वाले कैदियों की उम्र 26 से 49 के बीच है।

13वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की वर्चुअल माध्यम से अध्यक्षता करेंगे पीएम मोदी, जानें क्‍या हैं ख़ास

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुवार को वर्चुअल माध्यम से ब्रिक्स देशों के तेरहवें शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। इस सम्मेलन के सदस्य देशों में ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका शामिल है। भारत वर्ष 2021 में ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है

ब्राजील के राष्ट्रपति जाइर बोलसोनारो, रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरिल रामाफोसा उपस्थित रहेंगे।

शिखर सम्मेलन का विषय अंतर-ब्रिक्स निरंतरता, एकजुटता और सहमति के लिये सहयोग है। भारत ने अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल चार प्राथमिक क्षेत्रों का खाका तैयार किया है। इन चार क्षेत्रों में बहुस्तरीय प्रणाली, आतंकवाद से मुकाबला, सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये डिजिटल और प्रौद्योगिकीय उपायों को अपनाना तथा लोगों के बीच मेल-मिलाप बढ़ाना शामिल है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि सम्‍मेलन में भारत के अलावा ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हो रहे हैं। माना जा रहा है कि बैठक में सभी देशों का फोकस अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद बदलते हालात पर होगा.

पाकिस्तान विरोधी रैली में तालिबान ने अचानक शुरू की गोलियों की बारिश, कई पत्रकार गिरफ्तार

अफगानिस्तान में  तालिबान  सगंठन की सरकार बनने जा रही है। काबुल में तालिबान ने पाकिस्तान विरोधी रैली  में भीड़ को तितर बितर करने के लिए उनके ऊपर गोलियां चलाईं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में भीड़ को देखा जा सकता है।

इसी भीड़ को हटाने के लिए तालिबान ने गोलियां चलाई हैं। रैली को कवर कर रहे कई पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सोमवार को कतर की अमीर कोर्ट ने बताया कि सत्तारूढ़ दल और अमेरिकी विदेश राज्य मंत्री-रक्षा विभाग ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम और सुरक्षा बढ़ाने पर चर्चा की।

तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिकियों और अफगानिस्तान में छोड़े गए जोखिम वाले अफगानों को निकालने के लिए समर्थन मांगा। इस पर सहयोगियों के बीच आम सहमति बनाने के लिए बातचीत हुई। इस बीच, तालिबान ने पंजशीर घाटी में विपक्षी ताकतों पर जीत का दावा किया है।

चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, कतर और तुर्की को सरकार गठन के कार्यक्रम के लिए अफगानिस्तान ने भेजा न्योता

अफगानिस्तान के सभी प्रांतों में कब्जे का दावा करने के बाद तालिबान ने जल्द ही सरकार गठन का फैसला किया है। इसके मद्देनजर संगठन ने चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, कतर और तुर्की को सरकार गठन के कार्यक्रम के लिए न्योता भी भेजा है।

चीन, रूस, तुर्की और पाकिस्तान ने तो अपने दूतावासों में भी पहले की तरह काम जारी रखा है। हालांकि, भारत से तालिबान का अब तक कोई आधिकारिक संपर्क नहीं हुआ।

अफगान अधिकारियों की हालिया उड़ान को कलीबाफ ने अमेरिकी कठपुतली देश भर में तालिबान की सुचारू तैनाती के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा, यह 20 साल के अमेरिकी कब्जे के साथ अफगान लोगों के व्यापक असंतोष का परिणाम है।

अफगानिस्तान की घटनाओं पर कलीबाफ ने कहा, यह दर्शाता है कि वाशिंगटन में कुछ अफगान सरकारी अधिकारियों का अपने देश में समृद्धि सुरक्षा लाने का भरोसा एक रणनीतिक गलती थी।

माना जा रहा है कि तालिबान अगले कुछ दिनों में काबुल में नई सरकार के गठन की घोषणा करेगा, जिसका नेतृत्व संगठन का सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कर सकता है।

पंजशीर में कब्जे को लेकर तालिबान और रेजिस्टेंस फोर्सेस के बीच हुई खून की जंग, क्या यही हैं अफगानिस्तान का भविष्य ?

अफगानिस्तान के पंजशीर में कब्जे को लेकर तालिबान और रेजिस्टेंस फोर्सेस के बीच खूनी जंग जारी है.  रेजिस्टेंस फोर्सेस ने दावा किया है कि पंजशीर के उत्तर-पूर्वी प्रांत में करीब 600 तालिबानी मारे गए हैं और 1000 से ज्यादा तालिबानी लड़ाकों ने घुटने टेक दिए हैं यानी कि उन्होंने सरेंडर कर दिया है.

रेजिस्टेंस फोर्स के प्रवक्ता फहीम दास्ती ने ट्वीट में लिखा, “पंजशीर के विभिन्न जिलों में 600 तालिबानियों का सफाया कर दिया गया है. एक हजार से अधिक तालिबान को पकड़ लिया गया है या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है.”

विद्रोही गुट के नेता अमरुल्ला सालेह ने उन खबरों को खारिज कर दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि तालिबान ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है.  उन्होंने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम एक मुश्किल स्थिति में हैं. हम पर तालिबान का हमला हुआ है. हमारी सेना आत्मसमर्पण नहीं करेगी.’

Afghanistan Crisis: सत्ता को लेकर आपस में भिड़े तालिबान-हक्कानी नेटवर्क, मुल्ला बरादर को लगी गोली

तालिबान ने बंदूक के दम पर अफगानिस्तान पर कब्जा तो कर लिया, लेकिन अब सरकार नहीं बना पा रहा है। ताजा खबर यह है कि सत्ता को लेकर अब वहां तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच संघर्ष शुरू हो गया है।

अगर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हक्कानी गुट के कुछ नेताओं तालिबान के सह-संस्थापक अब्दुल गनी बरादर उर्फ मुल्ला बरादर के बीच गोलीबारी हो गई है. अफगानी अखबार पंजशीर ऑब्जर्वर के मुताबिक अनस हक्कानी की गोली से मुल्ला बरादर घायल हो गया है, जिसका इलाज पाकिस्तान में चल रहा है.

तालिबान हक्कानी गुट में बढ़ते विवाद को खत्म कराने के लिए ही पाकिस्तान ने आईएसआई (ISI) चीफ लेफ्टीनेंट जनरल फैज हमीद को काबुल भेजा है, लेकिन अभी तक उन्हें विवाद खत्म कराने में सफलता नहीं मिली है.

अफगानिस्तान के अखबार ‘पंजशीर ऑब्जर्वर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों गुटों के बीच गोलीबारी होने लगी है। ऐसे ही एक घटनाक्रम में तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला बरादर घायल हो गया है। हालांकि सत्ता के लिए खूनी संघर्ष की कहीं पुष्टि नहीं हुई है।