पाकिस्तान का एकबार फिर तालिबान प्रेम जगजाहिर हुआ है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री का कहना है कि शांत अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही उपाय है.
उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी होने के नाते पाकिस्तान, अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार गठित होने के बाद उसे छोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता है. हम यह भी मानते हैं कि अफगानिस्तान के साथ निरंतर अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव सभी के लिए सबसे अच्छा आतंकवाद विरोधी निवेश है.
वह यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि साल 2001 से आतंक के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के 80 हजार लोगों की जान गई है और हमारी अर्थव्यवस्था को सीधे तौर पर 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
अफगानिस्तान में पाकिस्तान का डिप्लोमेटिक मिशन ने कड़ी मेहनत की और बहुराष्ट्रीय निकासी मिशन में गंभीर मदद मुहैया कराई. हमने उन अफ़गानों की निकासी लिए भी विशेष व्यवस्था की है जिन्हें विदेशों में फिर से बसाया जाना है.
एक तरफ जहां कई देश तालिबानी सरकार को मान्यता देने के पक्ष में नहीं है, चीन और पाकिस्तान तालिबानी सरकार के साथ गलबहियां करता नजर आ रहा है.