Tuesday , December 3 2024

विदेश

पाकिस्तान में धार्मिक जुलूस को निशाना बनाकर किया गया शक्तिशाली विस्फोट

पाकिस्तान में गुरुवार को शिया मुसलमानों के धार्मिक जुलूस को निशाना बनाकर किए गए शक्तिशाली विस्फोट में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। स्थानीय पुलिस ने यह जानकारी दी। पूर्वी पंजाब प्रांत के शहर बहावलनगर में यह विस्फोट हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पुलिस और एंबुलेंस घटनास्थल की ओर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में दिख रहा है कि घटनास्थल पर कई घायल मदद मिलने के इंतजार में हैं।

शहर के पुलिस अधिकारी मोहम्मद असद और शिया नेता खावर शफकत ने बम विस्फोट की पुष्टि की है। शफकत ने कहा कि यह विस्फोट उस समय हुआ जब जुलूस मुहाजिर कॉलोनी नामक भीड़भाड़ वाले इलाके से गुजर रहा था। उन्होंने इस हमले की निंदा करते हुए सरकार से देश के अन्य हिस्सों में निकाले जा रहे मोहर्रम के जुलूसों की सुरक्षा बढ़ाने का आग्रह किया है। इस बीच, अधिकारियों ने आशूरा (10 मोहर्रम) से एक दिन पहले देश भर में मोबाइल फोन सेवा को निलंबित कर दिया है।

मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है जिसकी 10 तारीख को आशूरा कहा जाता है, क्योंकि सातवीं शताब्दी में पैगंबर मोहम्मद के नवासे हजरत इमाम हुसैन को इसी दिन शहीद किया गया था जिसकी याद में यह मनाया जाता है। गौरतलब है कि सुन्नी बहुल पाकिस्तान में शिया अल्पसंख्यक हैं।

वहीं, अमेरिकी संसद भवन के पुस्तकालय के बाहर गुरुवार को एक पिकअप ट्रक में संभवत: विस्फोटक होने की सूचना की पुलिस जांच कर रही है और आसपास की इमारतों को खाली कराया गया है। कानून प्रवर्तन एजेंसी के दो अधिकारियों ने एसोसिएटेड प्रेस (एपी) को यह जानकारी दी।

अमेरिकी संसद भवन की पुलिस ने कहा कि अधिकारी संसद के पुस्तकालय के पास संदिग्ध वाहन की जांच कर रहे हैं। यह इमारत संसद भवन एवं उच्चतम न्यायालय के समीप है। कानून प्रवर्तक अधिकारियों ने कहा कि जांचकर्ता मौके पर हैं और यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या यह उपकरण एक विस्फोटक था?

अधिकारियों ने कहा कि घटनास्थल पर जांचकर्ता यह पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं कि क्या उपकरण एक विस्फोटक था और क्या ट्रक में मौजूद व्यक्ति के पास डेटोनेटर था।

अधिकारियों के मुताबिक पुलिस मौके पर स्नाइपर्स भेज रही है। पुलिस की गाडिय़ों और बैरिकेड्स से इलाके को बंद कर दिया गया है।व्हाइट हाउस ने कहा कि वह स्थिति की निगरानी कर रहा है और कानून प्रवर्तन उसे इसकी जानकारी दे रहा है।

भारत सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए विभिन्न भागीदार पक्षों से कर रही संपर्क

अफगानिस्तान में फंसे करीब एक हजार भारतीयों को निकालने की चुनौती सरकार के सामने है। भारत सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए विभिन्न भागीदार पक्षों के संपर्क में है। अभी तक भारतीय दूतावास से जुड़े लोगों को निकाला जा चुका है, लेकिन काफी संख्या में भारतीय नागरिक अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। सुरक्षा संबंधी क्लियरेंस मिलने के बाद भारतीय वायुसेना के विमान तुरंत काबुल के लिए रवाना होगा।

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर लगातार नागरिक संपर्क कर रहे हैं। इन सभी को निकालने के लिए भारत सरकार काम कर रही है। वायुसेना के विमान द्वारा इन सभी को लाया जा सकता है। वायुसेना का विमान अभी तक 180 नागरिकों को ला चुका है, इनमें अधिकतर दूतावास से जुड़े हुए लोग थे। सूत्रों के मुताबिक काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी और नाटो फोर्स सुरक्षित रास्ता तैयार कर रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर की इस संबंध में अमेरिकी विदेश मंत्री से बात हुई है।

सरकार ने कुछ दिन पहले संसद में करीब 1500 भारतीयों के काबुल में होने की जानकारी दी थी। करीब 200 लोगों को जिनमे भारतीय दूतावास कर्मी, कुछ पत्रकार शामिल हैं उन्हें वायुसेना के विमान से लाया गया। हालांकि अलग-अलग स्रोतों से जानकारी का हवाला देकर 1600 से 2000 तक भारतीयों के काबुल में होने की आशंका जताई गई है। लेकिन सरकार ने इसकी पुष्टि नही की है।

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा, घर-घर जाकर अफगानी सैनिकों-अफसरों की तलाशी

बीते कुछ समय से जारी खूनी संघर्ष के बाद अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया है। अब तालिबान घर-घर जाकर उन अफगानी सैनिकों-अफसरों की तलाशी कर रहा है, जिन्होंने सरकारी इंटेलीजेंस एजेंसी के लिए काम किया या फिर अमेरिका के लिए। इस बीच सबसे चौंकाने वाली खबर यह सामने आई है कि तालिबान के लड़ाके बुधवार को कंधार और हेरात में बंद पड़े भारतीय वाणिज्य दूतावास भी पहुंचे थे और तलाशी ली थी। काबुल से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबानियों ने कुछ जरूरी कागजात के लिए कंधार में अलमारी की तलाशी ली और दोनों दूतावासों (कंधार और हेरात) पर मौजूद कार भी उठाकर ले गए। हालांकि, जलालाबाद में भारतीय वाणिज्य दूतावास और काबुल में मिशन के साथ क्या हो रहा है, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है।

काबुल से मिली रिपोर्टों के मुताबिक, बताया जा रहा है कि हक्कानी नेटवर्क के करीब 6,000 लड़ाकों ने आतंकवादी समूह के प्रमुख और तालिबान के उप नेता सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई अनस हक्कानी के नेतृत्व में राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया है। इस बीच अनस हक्कानी ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, एचसीएनआर के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला और हिज़्ब-ए-इस्लामी के दिग्गज गुलबुद्दीन हेतकमत्यार से मुलाकात की। यह माना जा रहा है कि करजई और अब्दुल्ला दोनों की आवाजाही को तालिबान द्वारा प्रतिबंधित और नियंत्रित किया जा रहा है।

अफगानी राष्ट्रपति भवन में तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को औपचारिक रूप से सत्ता सौंपने के लिए करजई और अब्दुल्ला दोनों से बातचीत की जा रही है। बताया जा रहा है कि क्वेटा से सिराजुद्दीन हक्कानी निर्देश दे रहा है, जहां तालिबान के नेताओं की परिषद है। इधर, तालिबान पर कब्जा जमाने के बाद आतंकी संगठन के लड़ाकों ने अफगानिस्तान में घरों की घर-घर तलाशी ली। रिपोर्ट की मानें तो एनडीएस खुफिया एजेंसी के लिए काम करने वाले अफगानों की पहचान करने के लिए तालिबान यह तलाशी ले रहा है।

कंधार से मिली रिपोर्ट से पता चलता है कि तालिबानी लड़ाकों ने भारतीय वाणिज्य दूतावास के ताले तोड़ दिए और पूरी तलाशी ली और इस दौरान कागजात भी खंगाले। इतना ही नहीं, दूतावास में खड़े राजनयिक वाहन भी वे अपने साथ ले गए। वहीं, हेरात में भी तालिबानियों ने वाणिज्य दूतावास परिसर में प्रवेश किया और वाहनों को ले गए। एक ओर जहां हक्कानी नेटवर्क कैडर बड़े पैमाने पर काबुल को नियंत्रित कर रहा है, दिवंगत मुल्ला उमर के बेटे और तालिबान सैन्य आयोग के प्रमुख मुल्ला याकूब के नेतृत्व वाला तालिबान गुट पश्तूनों की पारंपरिक सीट कंधार से सत्ता और सरकार लेने की योजना बना रहे हैं। मुल्ला बरादर 18 अगस्त को दोहा से आने के बाद मुल्ला याकूब से मिला है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यह महत्वपूर्ण फैसला, अमीर लोगों और बिजनेसमैन पर…

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यह महत्वपूर्ण फैसला किया है। इससे देश के अमीर लोगों और बिजनेसमैन पर समाज को ज्यादा लौटाने का दबाव बढ़ गया है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं से कहा कि सरकार को सामाजिक निष्पक्षता के लिए पैसे के पुनर्वितरण को एक प्रणाली बनानी चाहिए। उन्होंने इस दौरान कहा कि अत्यधिक उच्च आय को सही तरीके से विनियमित करना और अमीर लोगों और बिजनेसमैन को समाज में और अधिक लौटाने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है। हालांकि अभी तक यह नहीं पता चल सका है कि शी इन लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करेंगे। लेकिन माना जा रहा है कि सरकार टैक्स और अन्य विकल्पों के जरिए इसे पूरा करने का प्रयास करेगी।

शी ने चीन के लोगों के बीच साझा समृद्धि की आवश्यकता को पार्टी की सत्ता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने 2049 तक देश को पूरी तरह से विकसित समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र में बदलने का संकल्प लिया। चीन 2049 में देश के गठन की 100वीं वर्षगांठ भी मनाएगा। शी ने पार्टी की आर्थिक बैठक के दौरान कहा कि सामान्य समृद्धि सभी लोगों की समृद्धि है। गौरतलब है कि यह आर्थिक बैठक नीति निर्धारित करने के लिए हर कुछ महीनों में आयोजित की जाती है।

अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई बनी वजह
चीन एक गरीब देश से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और व्यापार और प्रौद्योगिकी में सबसे बड़ी ताकतों में से एक में बदल गया है। लेकिन इन सबके बीच देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई भी लगातार बढ़ती जा रही है। 2019 पहली बार चीन में अमीरों की संख्या अमेरिका के अमीरों की संख्या से ज्यादा हो गई। यही चीज राष्ट्रपति शी जिनपिंग को परेशान कर रही है। शी ने मंगलवार को स्वीकार किया कि 1970 के दशक में आर्थिक सुधारों के बाद पार्टी ने कुछ लोगों को अमीर बनाने में मदद की। लेकिन 2012 के बाद से सत्ता संभालने वाले शी ने सभी लोगों की सामान्य समृद्धि को महत्व देना शुरू किया है।

बड़ी कंपनियों पर शिकंजा

शी का पैसों के पुनर्वितरण पर अर्थव्यवस्था के लिए उनकी सरकार के व्यापक लक्ष्यों से जुड़ा है। हाल के महीनों में देश ने वित्तीय जोखिम को कम करने, अर्थव्यवस्था की रक्षा करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर तकनीक, वित्त, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व कार्रवाई शुरू की है। हालांकि निजी उद्यमों पर कार्रवाई ने वैश्विक निवेशकों को झकझोर दिया है। साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था में नवाचार और विकास की संभावनाओं के बारे में आशंका को जन्म दे दिया है।

बेरोजगारी दर सबसे खराब स्तर पर पहुंची
देश की अर्थव्यवस्था ने हाल ही में कमजोरी के संकेत दिखाए हैं। सोमवार को जारी किए गए आंकड़ों से संकेत मिलता है कि देश की रिकवरी धीमी हो रही है। वहीं युवाओं में बेरोजगारी की दर एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई है।

कोरोना का एक केस सामने आने पर न्यूजीलैंड में प्रधानमंत्री ने लगाया तीन दिन का लॉकडाउन

दुनिया के अन्य देशों की तुलना में न्यूजीलैंड कोरोना वायरस को लेकर बेहद संजीदा है. ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि न्यूजीलैंड की सरकार ने कोरोना वायरस का एक मामला सामने आते ही पूरे देश में कम से कम तीन दिनों के लिए सख्त लॉकडाउन में लगाने का ऐलान मंगलवार को कर दिया है.

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डन ने वेलिंगटन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लॉकडाउन की घोषणा की. वहीं ऑकलैंड और आसापास के कोरोमंडल(जहां संक्रमित व्यक्ति गया था) में सात दिनों का लॉकडाउन की घोषणा की गई है.

ऑकलैंड में सात दिनों तक लॉकडाउन जारी रहेगा. न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने ‘5 मिलियन (50 लाख) की टीम’ यानी न्यूजीलैंड की आबादी से नवीनतम महामारी को खत्म करने की कोशिश में कड़ी मेहनत और लोगों से जल्द सहयोग की अपील करते हुए इसके शीघ्र खात्मे की अपील की.

न्यूजीलैंड में लगे इस लॉकडाउन के दौरान स्कूल, सार्वजनिक स्थल और व्यवसाय बंद रहेंगे. केवल जरूरी सेवाओं को इस लॉकडाउन में अपना कार्य जारी रखने की छूट रहेगी. लोगों को घर से काम करने की सलाह दी गई है. वहीं अगर जरूरत पड़ने पर बाहर निकलना पड़े तो मास्क का इस्तेमाल करने की अपील की गई है.

 

अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्ज़ा करने वाले तालिबान को यूट्यूब ने दिया तगड़ा झटका, उठाया ये कदम

अमेरिका समर्थित अफगान सरकार के पतन के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति गनी देश छोड़कर भाग चुके हैं।

इस बीच अमेरिका ने अब तक काबुल से 3,200 से अधिक लोगों को निकाला है, जिसमें से 1,100 लोगों को कल ही बाहर निकाला गया हैं।  यूट्यूब ने तालिबान से संबंधित सभी अकाउंट बंद कर दिए हैं और जापान ने अपना दूतावास भी बंद कर दिया है।

जापान के शीर्ष प्रवक्ता ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान आतंकवादियों का कब्जा होने के बाद जापान अभी भी अफगानिस्तान में अपने नागरिकों की “छोटी संख्या” के साथ निकट संपर्क में है।

मुख्य कैबिनेट सचिव कात्सुनोबु काटो ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अफगानिस्तान में अभी भी बचे किसी भी जापानी लोगों के घायल होने की सूचना नहीं है।

खान के कार्यालय ने एक बयान में कहा कि उन्होंने रेखांकित किया कि पाकिस्तान से ज्यादा कोई अन्य देश अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता का इच्छुक नहीं है।

अफगानिस्तान में तालिबान की स्थिति को देख चीन ने दी सख्त चेतावनी कहा, “आतंकवादियों का ‘अड्डा’ न बने…”

तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में एक समावेशी इस्लामी सरकार बनाने और शांति स्थापित करने के वादे के कुछ घंटों बाद, चीन ने चेतावनी जारी की है।

सुरक्षा परिषद में चीन के उपस्थायी प्रतिनिधि गेंग शुआंग ने तालिबान से कहा कि आप शांतिपूर्ण शासन करें लेकिन अफगानिस्तान को आतंकी समूहों की पनाहगाह न बनने दें।

अल-कायदा का सहयोगी बताया जाता है, चीन के अस्थिर शिनजियांग प्रांत का एक उग्रवादी समूह है। यह प्रांत की आजादी के लिए लड़ रहा है, जो 10 मिलियन उइगुर मुसलमानों का घर है।

उन्होंने कहा कि चीन ने देखा कि अफगान तालिबान ने रविवार को कहा कि अफगानिस्तान में युद्ध खत्म हो गया और वे अफगानिस्तान में एक खुली, समावेशी इस्लामिक सरकार बनाने के लिए बातचीत करेंगे और अफगान नागरिकों तथा विदेशी राजनयिक मिशनों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कदम उठाएंगे।

अफगानिस्तान स्पेशल सेल के तहत देश में वापस लाए जाएंगे भारतीय, जारी किया ये हेल्पलाइन नंबर

अफगानिस्तान में हालात हर बीतते दिन के साथ ही बदतर होते जा रहे हैं. तालिबान ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया है और हर तरफ बंदूक के साथ तालिबान के लड़ाके घूमते हुए दिखाई दे रहे हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जानकारी दी है कि एमईए (विदेश मंत्रालय) ने लोगों की वापसी और अफगानिस्तान से अन्य तरह के अनुरोधों के लिए एक स्पेशल अफगानिस्तान सेल की स्थापना की है.”

इससे पहले, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिखों को वापस लाने को लेकर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि विदेश मंत्रालय और अन्य विभाग सभी जरूरी प्रबंध करेगा.

कई लोगों को देश वापस लाया जा चुका है, जबकि अब भी कई भारतीय लोग अफगान में फंसे हुए हैं. सरकार इन नागरिकों को वापस देश में लाने के लिए स्पेशल विमान भेजा है.  भारत से काबुल से उड़ान भरी. विमान के जरिए कई लोगों को वापस देश लाया गया है.

अफगानिस्तान में बढ़ा दहशत का माहौल, काबुल एयरपोर्ट पर भारी गोलीबारी में पांच की मौत

अफगानिस्तान पर तालिबानियों के कब्जे से स्थिति और बिगड़ती जा रही है। काबुल एयरपोर्ट पर देश छोड़ने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ गई। इस बीच एयरपोर्ट पर गोलीबारी की भी खबर है, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई है।

एयर इंडिया का एक विमान दिल्ली से काबुल जाने वाला था, लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर बुरे हालात को देखते हुए एयर इंडिया ने उड़ानें रद्द करने का फैसला लिया है।

काबुल में तालिबान के कब्जे के साथ अमेरिका सचेत हो गया है. अमेरिकी दूतावास ने अफसरों से इमरजेंसी डिस्ट्रक्शन सर्विस के तहत सभी संवेदनशील दस्तावेजों को नष्ट करने का आदेश दे दिया है.

अफगानिस्तान में फिलहाल एयरस्पेस को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। एयरपोर्ट अथॉरिटी की ओर से अपील की गई है कि लोग हवाई अड्डे पर न आएं। काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों की ओर से हवाई फायरिंग की गई थी, जिसके चलते भगदड़ मच गई।

Afghanistan: काबुल में 6000 सैनिकों की तैनाती करेगा US, विमानों के जरिए अमेरिकी लोगो को निकालेगा बाहर

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि अफगानिस्तान से बाहर निकलने के अमेरिका के फैसले से वहां के हालात बेहद तेजी से बदले।उन्होंने कहा कि कोई भी नहीं चाहता कि अफगानिस्तान आतंकवाद के लिए एक ब्रीडिंग ग्राउंड बन जाए।

विदेश विभाग और रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ”फिलहाल हम हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की सुरक्षा के लिए अनेक कदम उठा रहे हैं ताकि सैन्य और असैन्य विमानों के जरिए अमेरिकी लोग और उनके सहयोगी अफगानिस्तान से सुरक्षित निकल सकें.”  कल और आने वाले दिनों में हम देश से हजारों अमेरिकी नागरिकों, काबुल में अमेरिकी मिशन पर तैनात स्थानीय लोगों और उनके परिवारों को निकालेंगे.

जॉनसन ने रविवार दोपहर अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा के लिए एक आपात बैठक की अध्यक्षता करने के बाद यह टिप्पणी की।तालिबान ने रविवार को अपने सदस्यों को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में प्रवेश करने का आदेश दिया।तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने एक बयान में कहा कि इस कदम का उद्देश्य राजधानी में व्यवस्था बनाए रखना है।