Friday , November 22 2024

विदेश

भारत के सोजन जोसेफ बने ब्रिटेन में सांसद, कंजर्वेटिव दिग्गज नेता को दी मात; केरल के कोट्टायम में मना जश्न

ब्रिटेन के आम चुनाव में हाउस ऑफ कॉमन्स के लिए चुने गए लेबर पार्टी के नए सांसद 49 वर्षीय सोजन जोसेफ केरल के रहने वाले हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में मानसिक स्वास्थ्य नर्स के तौर पर काम करने वाले सोजन जोसेफ 22 साल पहले केरल से ब्रिटेन जाकर बस गए थे। जिन्होंने हालिया चुनाव में अपने निर्वाचन क्षेत्र में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक बेहतक करने की अपने वादे के साथ मतदाताओं से संपर्क किया और दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड के केंट में एशफोर्ड के कंजर्वेटिव गढ़ में सेंध लगाने में सफल रहे।

पूर्व मंत्री डेमियन ग्रीन को दी मात
टोरी के दिग्गज और पूर्व मंत्री डेमियन ग्रीन को हराकर, जोसेफ ने एक सीट पर कंजर्वेटिव उम्मीदवारों के आव्रजन विरोधी बयानबाजी को भी झटका दिया। वहीं सोजन जोसेफ ने शुक्रवार को अपने स्वीकृति भाषण में कहा, आप सभी ने मुझ पर जो भरोसा जताया है, उससे मैं अभिभूत हूं और इसके साथ आने वाली जिम्मेदारियों से पूरी तरह वाकिफ हूं। मैं एशफोर्ड, हॉकिंग और गांवों में सभी के लिए कड़ी मेहनत करूंगा।

सोजन की पत्नी भी हैं नर्स
सोजन जोसेफ का एशफोर्ड के स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ाव है। सोजन जोसेफ के परिवार की बात की जाए तो उनकी पत्नी भी नर्स हैं, जबकि उनके तीन बच्चें हैं। सोजन जोसेफ की शुरुआती पढ़ाई कोट्टायम में हुई थी। उसके बाद उन्होंने बेंगलुरु में बी.आर. अंबेडकर मेडिकल कॉलेज में अपनी नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की। फिर यू.के. में, उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में विविधता और समावेश पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वास्थ्य सेवा नेतृत्व में मास्टर डिग्री हासिल की।

चैरिटी के कई कार्यक्रमों में हो चुके हैं शामिल
चैरिटी के लिए कई अंतरराष्ट्रीय मैराथन में शामिल होने वाले सोजन जोसेफ ने कहा, मुझे एशफोर्ड और विल्सबोरो को अपना घर कहने में बहुत गर्व है। मैंने पिछले कुछ सालों में चैरिटी के धन संचय करने वाली गतिविधियों में हिस्सा लिया है, जिसमें कई चैरिटी के लिए मैराथन दौड़ना और स्थानीय अस्पताल चैरिटी के लिए ड्रैगन बोट रेस शामिल है। उन्होंने कहा, मैं एक समावेशी समाज में दृढ़ता से विश्वास करता हूं जो समुदाय के सभी व्यक्ति की पूरी क्षमता को हासिल करने की दिशा में काम करता है।

श्रीलंका में जुलाई के अंत में होगी राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों की घोषणा, शुरू हुईं तैयारियां

श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। द्वीप राष्ट्र के चुनाव आयोग ने कहा है कि इस महीने के अंत में देश की राष्ट्रपति चुनाव की तारीख की घोषणा की जाएगी। चुनाव आयोग के अध्यक्ष आर एम ए एल रत्नायके ने बताया कि 17 जुलाई के बाद कभी भी चुनाव की घोषणा की जा सकती है। इसके लिए चुनाव आयोग को कानूनी रूप से सभी शक्तियां दीं गईं हैं। इससे पहले मई में चुनाव आयोग ने कहा था कि 17 सितंबर से 16 अक्तूबर के बीच श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव हो सकते हैं।

17 करोड़ से अधिक लोग करेंगे मतदान
चुनाव आयोग के अध्यक्ष रत्नायके ने आगे बताया कि आयोग द्वारा फिलहाल 2024 के चुनावी रजिस्टर को अंतिम रूप दिया जा रहा है। चुनावी रजिस्टर ही चुनाव का आधार होगा। उनके अनुसार 17 करोड़ से अधिक लोग चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। आपको बता दें कि श्रीलंका में चुनाव को लेकर सोमवार को शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी है। इससे ठीक एक दिन पहले चुनाव आयोग के अध्यक्ष का बयान सामने आया है। पिछले सप्ताह एक व्यक्ति ने अदालत में याचिका दायर की थी। याचिका में अदालत से चुनाव पर रोक लगाने की अपील की गई थी। कहा गया था कि जब तक संविधान में अनुच्छेद 30(2) और 82 के तहत राष्ट्रपति पद के कार्यकाल पर स्पष्टता नहीं दी जाती, तब तक चुनाव पर रोक लगाई जाए। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की पीठ इस मामले में सुनवाई करेगी।

क्या है मामला?
श्रीलंका के संविधान के 19वें संशोधन में अनुच्छेद 30(2) के तहत राष्ट्रपति के कार्यकाल को छह से पांच साल तक के लिए सीमित कर दिया था। उधर, 82वें संशोधन के अनुसार, जनमत संग्रह के माध्यम से राष्ट्रपति का कार्यकाल छह साल तक बढ़ाया जा सकता है। इस वजह से याचिकाकर्ता ने राष्ट्रपति के कार्यकाल पर स्पष्टता की मांग की है। इस बीच, विपक्ष ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर आरोप लगाया है कि उन्हें हार के डर सता रहा है। इसलिए विक्रमसिंघे चुनाव टालने और राष्ट्रपति पद पर बने रहने की कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें कि पिछले सप्ताह स्पष्ट कर दिया था कि पूर्व नियोजित योजना के अनुसार चुनाव कराए जाएंगे।

अब उल्टी दिशा में घूम रहा पृथ्वी का कोर, वैज्ञानिकों ने की पुष्टि; घट सकती है दिन की लंबाई

हमारी पृथ्वी मुख्य रूप से तीन परतों में बनी है। जिसमें सबसे ऊपरी परत क्रस्ट, जिस पर हम रहते हैं। इसके बाद मेंटल है और तीसरी और सबसे अंदर की परत को पृथ्वी का कोर कहा जाता है। ये दो हिस्सों आंतरिक और बाहरी में विभाजित है। लेकिन वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि पृथ्वी का आंतरिक कोर धीमा होकर अब उल्टी दिशा में घूम रहा है।

रहस्य बना हुआ है पृथ्वी का आंतरिक कोर
पृथ्वी का आंतरिक कोर पृथ्वी के बाहरी रूप के अपेक्षाकृत स्वतंत्र रूप से घूमता है। इसे ऐसे मान सकते हैं जैसे कि एक बड़ा लट्टू एक बड़े लट्टू के अंदर घूम रहा हो, ऐसा क्यों हैं ये अभी भी एक रहस्य है। साल 1936 में डेनिश भूकंपविज्ञानी इंगे लेहमैन की खोज के बाद से, आंतरिक कोर ने सभी शोधकर्ताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। जिसमें इसकी गति – जिसमें घूर्णन गति और दिशा शामिल है जो दशकों से चली आ रही बहस का विषय रही है। लेकिन हाल में ही मिले सबूत बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में कोर का घूमना काफी बदल गया है, लेकिन वैज्ञानिकों की इस बात पर अलग-अलग मत हैं कि वास्तव में क्या हो रहा है और इसका क्या मतलब है।

ऐसे वैज्ञानिक जुटा रहे हैं आंकडे़
पृथ्वी के गहरे आंतरिक भाग का निरीक्षण या नमूना लेना तकरीबन असंभव है। जबकि अभी तक भूकंप विज्ञानियों ने इस क्षेत्र में आने वाले बड़े भूकंपों से तरंगों के व्यवहार की जांच करके पृथ्वी के आंतरिक कोर की गति के बारे में जानकारी जुटाई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अलग-अलग समय पर कोर से गुजरने वाली समान ताकत की तरंगों के बीच अंतर ने वैज्ञानिकों को आंतरिक कोर की स्थिति में परिवर्तन को मापने और इसके घूर्णन की गणना करने में मदद की है।

एक समय के लिए कोर और पृथ्वी गति हो गई थी समान
वहीं ऑस्ट्रेलिया के जेम्स कुक विश्वविद्यालय में भौतिक विज्ञान की वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. लॉरेन वासजेक ने कहा, कि आंतरिक कोर के विभेदक घूर्णन को 1970 और 80 के दशक में एक घटना के रूप में प्रस्तावित किया गया था, लेकिन 90 के दशक तक भूकंपीय साक्ष्य प्रकाशित नहीं हुए थे। जबकि साल 2023 में प्रस्तावित मॉडल में एक आंतरिक कोर का वर्णन किया गया है जो पहले पृथ्वी से भी तेज घूमता था लेकिन अब धीमी गति से घूम रहा है। कुछ समय के लिए, आतंरिक कोर का घूमना पृथ्वी के घूमने से मेल खाता था। फिर, यह और भी धीमा हो गया, आखिरकार अपने आस-पास मौजूद की द्रव परतों के अनुरूप पीछे की ओर घूमने लगा।

हालांकि उस समय, कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि इसका शोध का समर्थन करने के लिए और अधिक आंकड़ों की जरूरत है। लेकिन अब, वैज्ञानिकों की एक अन्य टीम ने इस परिकल्पना के लिए नए सबूत पेश किए हैं। वहीं जर्नल नेचर में 12 जून को जारी नए शोध न केवल कोर के धीमे होने की पुष्टि की है और 2023 के पेश हुए प्रस्ताव का भी समर्थन किया है कि कोर की धीमी गति परिवर्तनों के दशकों पुराने पैटर्न का हिस्सा है।

फैक्ट्री में धमाके से दहल गया इलाका, लगी भीषण आग, एक घायल; पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ियां

आजमगढ़ के गंभीरपुर थाना क्षेत्र के बिंद्रा बाजार स्थित सम्राट इंडस्ट्रीज आलमारी की फैक्ट्री में बुधवार की सुबह लगभग 8 बजे तेज धमाके के साथ आग लग गई। इस घटना में फैक्ट्री मालिक संजय गुप्ता (32) घायल हो गए। धमाका इतना तेज था कि अगल-बगल के लोग सहम गए। सूचना पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। बिंद्रा बाजार में नहर के पास सम्राट इंडस्ट्रीज आलमारी की फैक्ट्री है। जिसमें काफी संख्या में लोग काम करते हैं।

बुधवार की सुबह फैक्ट्री में अचानक धमाका हुआ और आग लग गई। यह संयोग ही था कि फैक्ट्री में संचालक के अलावा और कोई नहीं था। इस घटना में फैक्ट्री संचालक संजय गुप्ता घायल हो गए। वहीं धमाके की आवाज इतनी तेज थी अगल-बगल के लोग भी सहम गए। सब लोग घरों से बाहर निकल आए।

कारण का जब पता लगा तो सब लोग आग बुझाने में जुट गए। घटना की जानकारी होते ही थानाध्यक्ष गंभीरपुर बसंत लाल भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने घटना की जानकारी फायर ब्रिगेड को दी। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। जिले के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए और जांच में जुट गए।

जिला अग्निशमन अधिकारी विवेक शर्मा ने कहा कि अब यह जांच का विषय है कि धमाका कैसे हुआ। जांच करने पर ही इसके कारण को स्पष्ट किया जा सकता है। बिंद्रा बाजार में कई फैक्ट्रियां चल रही हैं अब किसके पास क्या स्थिति है। इसके लिए टीम गठित करके जांच की जाएगी।

नस्लीय टिप्पणी पर PM सुनक ने रिफॉर्म यूके पार्टी को घेरा; बोले- ये उनकी विचारधारा को बताता है

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने निगेल फरेज की दक्षिणपंथी रिफॉर्म यूके पार्टी के एक समर्थक की तरफ से उन पर किए गए नस्लीय टिप्पणी के बाद गुस्सा जाहिर किया है। दरअसल एक समाचार चैनल ने रिफॉर्म यूके पार्टी एक समर्थक की रिकॉर्डिंग को प्रसारित किया था, जिसमें वो दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के लिए अपमानजनक शब्द पाकी का इस्तेमाल कर रहा था।

‘ये रिफॉर्म यूके पार्टी की संस्कृति को दर्शाता है’
वहीं अपने चुनाव अभियान के दौरान इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री सुनक ने मीडिया से कहा, कि इससे दुख होता है और मुझे गुस्सा आता है। ऐसी टिप्पणी मेरी दोनों बेटियों कृष्णा और अनुष्का के सामने की गई है, मैं उस टिप्पणी को दोहरा भी नहीं सकता। पीएम सुनक ने आगे कहा, कि जब आप रिफॉर्म उम्मीदवारों और प्रचारकों को नस्लवादी और स्त्री-द्वेषी भाषा और बिना किसी चुनौती के विचारों का इस्तेमाल करते हुए देखते हैं, तो मुझे लगता है कि यह आपको रिफॉर्म पार्टी के भीतर की संस्कृति के बारे में बताता है।

निगेल फरेज ने नस्लीय टिप्पणी की निंदा की
इधर रिफॉर्म यूके पार्टी के नेता निगेल फरेज ने उस नस्लीय टिप्पणी की निंदा की और कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता एंड्रयू पार्कर का बयान काफी भयावह है। बता दें कि संसद के लिए चुनाव लड़ रहे निगेल फरेज ने कहा कि कुछ लोगों के कृत्यों से काफी निराशा हुई है और ऐसी भावनाएं पार्टी या उसके समर्थकों के विचारों को नहीं दर्शाती हैं।

आम चुनाव में काफी पीछे है रिफॉर्म यूके पार्टी
निगले फरेज ने एक बयान में कहा कि कुछ लोगों की तरफ से व्यक्त की गई ऐसी भावनाओं का मेरे अपने विचारों, हमारे समर्थकों या रिफॉर्म यूके के अधिकांश लोगों के विचारों से कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कि कंजर्वेटिव पार्टी के खिलाफ अप्रवासन विरोधी अभियान चला रहे रिफॉर्म यूके को समय से पहले चुनाव की घोषणा के कारण उम्मीदवारों की जांच करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। चार जुलाई के आम चुनाव में रिफॉर्म यूके पार्टी काफी पीछे है।

रिफॉर्म यूके को कुछ ही सीट मिलने की संभावना
वहीं नस्लवाद विरोधी संगठन होप नॉट हेट के अनुसार, रिफॉर्म यूके को इस साल की शुरुआत से 166 उम्मीदवारों को वापस लेना पड़ा है, जिनमें से कई उम्मीदवारों ने नस्लवादी या आपत्तिजनक टिप्पणियां की हैं। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमंस में कुल 650 सीट हैं और रिफॉर्म यूके पार्टी को केवल कुछ सीट ही मिलने की संभावना है।

इधर प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने 4 जुलाई को होने वाले चुनाव से पहले मतदाताओं को चेताया है कि रिफॉर्म यूके का समर्थन करने से अनजाने में लेबर पार्टी को लाभ हो सकता है। हाल ही में पीएम सुनक ने लेबर पार्टी के कर नीतियों के लिए आलोचना की थी। वहीं उन्होंने फरेज की उन टिप्पणियों के लिए भी निंदा की, जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि पश्चिमी कार्रवाइयों ने रूस को यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए उकसाया था।

संपत्ति विवाद में महिला और बेटी को कमरे में बंद किया, फिर दीवार बनाकर कर बाहर आने का रास्ता किया सील

पाकिस्तान में सिंध प्रांत के हैदराबाद में एक बहुत ही चौंकाने वाली घटना सामने आई है। संपत्ति विवाद मामले में एक महिला और उसकी बेटी को उसके परिजनों ने पहले एक कमरे में कैद कर लिया और फिर उस कमरे के बाहर दीवार बनाकर उसे पूरी तरह से सील कर दिया। हालांकि, पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए पीड़ितों को बचा लिया।

कमरे के बाद दीवार बनाकर महिला को किया कैद
यह घटना लतीफाबाद नंबर-5 इलाके की है, जहां पुलिस और कुछ पड़ोसियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दीवार को तोड़कर पीड़ितों को बचाया। पीड़ित महिला ने बताया कि उसके जीजा अपने बेटों के साथ मिलकर उसे एक कमरे में बंद कर दिया था। बाद में उन लोगों ने कमरे को बाहर से एक दीवार बनाकर हमेशा के लिए बंद कर दिया। आरोपी की पहचान सुहैल के तौर पर की गई है।

महिला ने सुहैल पर लगातार उत्पीड़न करने का आरोप लगाया। इसके अलावा उसने बताया कि आरोपी के उसके घर से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज भी है। कानून प्रवर्तन ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज किया। उन्होंने जिम्मेदार लोगों को पकड़ने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन भी दिया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) डॉ. फारुख लिंजर ने जनता को आश्वासन दिया कि ऐसे जघन्य कृत्य को अंजाम देने वालों कोजवाबदेह ठहराने के लिए कानूनी कार्रवाई चल रही है।

पेशावर में संपत्ति विवाद को लेकर दो गुटों के बीच हुई गोलीबारी
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पेशावर के चमकानी इलाके में संपत्ति विवाद के कारण दो गुटों के बीच गोलीबारी हो गई, जिसमें कम से कम पांच लोग मारे गए। अधिकारियों ने बताया कि हिंसा तब भड़की जब दोनों गुटों के बीच गोलीबारी शुरू हुई। पुलिस ने इस मामले पर एफआईआर दर्ज किया। पाकिस्तान में व्यक्तिगत दुश्मनी और संपत्ति विवाद की ऐसी घटनाएं पहले भी घट चुकी है।

हिंदुओं के खिलाफ हो रहे हमले के खिलाफ एकजुट हुए अमेरिकी सांसद, बोले- किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे

अमेरिका में आजकल हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। इसी मसले को लेकर अब यहां के सांसद बचाव में उतर आए हैं। उन्होंने यहां बढ़ते हिंदूफोबिया और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे भेदभाव का विरोध जताने के लिए भारतीय अमेरिकियों को अपना समर्थन देने का संकल्प लिया है।

तीसरी बार मनाया गया राष्ट्रीय हिंदू वकालत दिवस
उत्तरी अमेरिका के हिंदुओं के गठबंधन (सीओएचएनए) ने 28 जून को तीसरी बार राष्ट्रीय हिंदू वकालत दिवस मनाया। इस दौरान कई हिंदू छात्रों, शोधकर्ताओं और सामुदायिक नेताओं ने भाग लिया और अमेरिका में रहने वाले हिंदुओं के सामने आने वाली चिंताओं पर चर्चा की।

हिंदूफोबिया और मंदिरों पर हमलों की निंदा
सांसद थानेदार ने यहां दिनभर चली वकालत में कहा, ‘हम यहां हैं और हम लड़ाई लड़ रहे हैं।’ हाउस रेजोल्यूशन 1131 पेश करने वाले डेमोक्रेट थानेदार ने कहा कि आप सभी की जो आवाज है, वही संसद में हिंदू समुदाय की आवाज है। इसके साथ ही उन्होंने हिंदू अमेरिकी समुदाय के योगदान का जश्न मनाते हुए हिंदूफोबिया और मंदिरों पर हमलों की निंदा की है।

सांसद रिच मैककॉर्मिक ने नीति निर्माण में हिंदू अमेरिकी और भारतीय-अमेरिकी समुदाय की लगातार बढ़ती हुई भागीदारी और अमेरिका के भविष्य को बदलने की उनकी क्षमता का स्वागत किया। रिपब्लिकन पार्टी के सांसद ने हिंदू अमेरिकियों के योगदान का सम्मान करते हुए सदन के प्रस्ताव 1131 के लिए अपने समर्थन की ओर ध्यान दिलाया। साथ ही समुदाय से अमेरिकी सपने को आगे बढ़ाने का आग्रह किया, जो नवाचार, कड़ी मेहनत, सफलता और इसकी परंपराओं का जश्न मनाता है।

रिपब्लिकन सांसद ग्लेन ग्रोथमैन ने समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त की और सांसद रो खन्ना ने पिछले दशक में समुदाय की वकालत के विकास का जश्न मनाया। लोगों को गर्व करने के लिए प्रेरित करते हुए खन्ना ने दर्शकों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बधाई दी।

देश में नफरत के खिलाफ खड़े रहेंगे
कांग्रेसी मैक्स मिलर ने धर्म की स्वतंत्रता के महत्व के बारे में बात की और सदन के प्रस्ताव 1131 का समर्थन करने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने हिंदू समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं के प्रति सहानुभूति व्यक्त की और आश्वासन दिया कि वे पूरे देश में नफरत और कट्टरता के सभी रूपों के खिलाफ खड़े रहेंगे।

रिपब्लिकन नेता मिलर ने स्वीकार किया कि यह देश के लिए एक कठिन समय है और उन्होंने जोर देकर कहा कि वे हिंदू समुदाय के लिए मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘अगर आपके समुदाय के साथ कुछ भी होता है, तो मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहूंगा।’ उन्होंने दर्शकों से मजबूती से खड़े रहने और अपने मूल्यों से कभी पीछे न हटने का भी आग्रह किया।

दक्षिण चीन सागर पर कम नहीं हो रहा तनाव, चीन ने फिलीपींस तट पर तैनात किया विमानवाहक पोत

दक्षिण चीन सागर पर तनाव का माहौल है, इसी बीच चीन ने अपना दूसरा विमानवाहक पोत शांडोंग भी तैनात कर दिया। यह शांडोंग फिलीपीन तट के पास पानी में गश्त करते हुए देखा गया है। वहीं फिलीपींस की ओर से भी दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन का विरोध करना शुरू कर दिया है।

पिछले कुछ महीनों में चीन और फिलीपींस की नौसेनाओं और तट रक्षकों के बीच टकराव चल रहा था। क्योंकि अमेरिका द्वारा समर्थित फिलीपींस ने चीन द्वारा दावा किए गए दक्षिण चीन सागर में द्वितीय थॉमस शोल पर अपने दावों को साबित करने का अथक प्रयास किया था। चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है। इस पर फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम, ब्रुनेई और ताइवान के बीच तीखी बहस है। चीन का आरोप है कि फिलीपींस ने 1999 में जानबूझकर दूसरे थॉमस शोल में एक नौसैनिक जहाज को फंसा दिया था। चीन का दावा था कि क्षतिग्रस्त जहाज को नौसैनिक कर्मियों द्वारा संचालित एक स्थायी प्रतिष्ठान में बदल दिया। संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन के एक न्यायाधिकरण द्वारा 2016 के फैसला लिया गया। इसके आधार पर दक्षिण चीन सागर पर अपने दावों को पुख्ता करने की कोशिश में लगा है। हालांकि, चीन ने न्यायाधिकरण का बहिष्कार किया। लेकिन न्यायाधिकरण के निष्कर्षों को खारिज कर दिया और अपने दावों पर जोरदार तरीके से जोर दिया।

वहीं दूसरी ओर चीन ने पिछले महीने एक नया कानून लागू किया। इस नए कानून के तहत उसके तट रक्षक को चीन के जलक्षेत्र में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले विदेशी जहाजों को जब्त करने और 60 दिनों तक विदेशी चालक दल को हिरासत में रखने का अधिकार दिया गया। यह कानून के तहत चीन के तट रक्षक को यह अधिकार भी है कि वह जरूरत पड़ने पर विदेशी जहाजों पर गोली चला सकता है। अमेरिका ने मनीला के दावों के समर्थन में अपनी ताकत दिखाने के लिए फिलीपींस में मध्यम दूरी की टाइफॉन मिसाइल प्रणाली तैनात की है।

अब हाल में चीन ने अपना दूसरा विमानवाहक पोत ‘शांडोंग’ तैनात किया है। जो फिलीपीन तट के पास पानी में गश्त करते नजर आया। लगभग 70,000 टन विस्थापन वाला विमानवाहक पोत शांडोंग, फिलीपींस के पानी में गश्त करते नजर आया। चीनी विशेषज्ञों के अनुसार विमानवाहक पोत संभवतः एक निर्धारित अभ्यास पर है, जो इसे पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में संभावित दूर की समुद्री यात्रा के लिए भी तैयार कर सकता है।

बता दें कि शांडोंग की तैनाती पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा बड़े और मध्यम विध्वंसक सहित प्रमुख सतही लड़ाकू जहाजों के साथ-साथ मुख्य उभयचर लैंडिंग जहाज को दक्षिण चीन सागर में तैनात करने के बाद की गई है। इसका कारण यह है कि फिलीपींस के साथ समुद्री क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ गया था।

वहीं शंघाई यूनिवर्सिटी ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड लॉ में राजनीति विज्ञान विभाग में रक्षा प्रोफेसर नी लेक्सियोंग को हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में कहा कि शांडोंग का रास्ता मनीला और वाशिंगटन के लिए एक निवारक के रूप में था। मनीला स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल डेवलपमेंट एंड सिक्योरिटी कोऑपरेशन के अध्यक्ष और संस्थापक चेस्टर कैबल्ज़ा ने कहा कि वाहक की गश्त बीजिंग द्वारा प्रदर्शनकारी राजनीति का एक उदाहरण है। यदि ऐसा फिर से होता है तो इसका अर्थ होगा कि “उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा पर लाल झंडा है।” उन्होंने कहा, “जब हम भारी सैन्य बल देखते हैं, तो इसका अर्थ है कि बीजिंग युद्ध की तैयारी कर रहा है।”

कैंसर से लड़ाई के बीच किंग चार्ल्स की नई तस्वीर आई सामने, शाही सैन्य पोशाक में दिखे ब्रिटेन के राजा

कैंसर से जूझ रहे ब्रिटेन के किंग चार्ल्स की नई तस्वीर सामने आई है। ब्रिटेन के शाही परिवार ने यह तस्वीर जारी की है, जिसमें किंग चार्ल्स शाही सैन्य पोशाक में दिख रहे हैं। किंग चार्ल्स की यह तस्वीर सशस्त्र सेना दिवस के मौके पर जारी की गई है। तस्वीर में राजा को फील्ड मार्शल की आधिकारिक पोशाक में बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसमें किंग चार्ल्स के पदक, तलवार भी दिख रही है।

सशस्त्र सेना दिवस के मौके पर हुआ तस्वीर का विमोचन
किंग चार्ल्स की इस तस्वीर का विमोचन रानी कैमिला ने सशस्त्र बलों के सदस्यों को श्रद्धांजलि देते हुए किया। इस दौरान अपने वीडियो संदेश में रानी कैमिला ने सशस्त्र बलों को प्रेरणा, आश्वासन और गर्व स्त्रोत बताया। जून के अंतिम शनिवार को मनाए जाने वाले सशस्त्र सेना दिवस के अवसर पर सैन्य कर्मियों और सैन्य कर्मियों के परिवारों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है। 2000 के दशक से सशस्त्र सेना दिवस मनाया जा रहा है। किंग चार्ल्स की जिस तस्वीर को जारी किया गया, उसे ह्यूगो बर्नांड द्वारा खींची गई। ह्यूगो बर्नांड शाही परिवार की तस्वीरें लेने के लिए जाने जाते हैं।

किंग चार्ल्स ब्रिटेन की सेना में फील्ड मार्शल है, जो कि ब्रिटिश सेना की सबसे ऊंची रैंक मानी जाती है। राजा होने के नाते किंग चार्ल्स ब्रिटिश सेना के प्रमुख हैं। उल्लेखनीय है कि किंग चार्ल्स इन दिनों कैंसर से जूझ रहे हैं और सार्वजनिक रूप से कम ही दिखाई देते हैं।

रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का आरोप- सीमा पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा अफगान तालिबान

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने रविवार को अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि बार-बार अनुरोध के बावजूद तालिबान सरकार पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है।

बीबीसी उर्दू के साथ एक इंटरव्यू में आसिफ ने कहा, पाकिस्तान ने आतंकवादियों को पश्चिमी सीमा की ओर भेजने के लिए 10 अरब रुपये देने की पेशकश की थी और अफगान सरकार से सहयोग की उम्मीद की थी। लेकिन अफगान सरकार आतंकवादियो के खिलाफ कार्रवाई करने को तैयार नहीं थी।

पाकिस्तान ने बार-बार अफगानिस्तान की सरकार से कहा है कि वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य आतंकवादी समूहों को अपनी धरती का इस्तेमाल न करने दे। हालांकि, काबुल भी बार-बार इस दावे को खारिज करता रहा है कि पाकिस्तान के खिलाफ उसकी जमीन का इस्तेमाल हो रहा है।

आसिफ ने कहा कि सरकार ने पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में आतंकवादियों को स्थानांतरित करने के लिए 10 अरब रुपये की पेशकश की थी। लेकिन उसे डर था कि आतंकवादी वहां से भी पाकिस्तानी की सीमा में लौट सकते हैं।

पिछले हफ्ते वॉयस ऑफ अमेरिका को दिए इंटरव्य में आसिफ ने कहा था कि सैन्य अभियान ‘अज्म-ए-इस्तेकाम’ के तहत पाकिस्तान सीमा पार अफगानिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बना सकता है। उन्होंने टीटीपी के साथ बातचीत की संभावना को भी खारिज कर दिया था। इस साल मार्च में पाकिस्तानी वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने अफगानिस्तान के अंदर खोस्त और पक्तिका के सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादियों के खिलाफ हवाई हमले किए थे।

इन हवाई हमलों के तुरंत बाद आसिफ ने कहा था कि पाकिस्तान अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को बताना चाहता है कि हम पाकिस्तान में इस तरह के आतंकवादी हमलों जारी नहीं रहने दे सकते। इस्लामाबाद ने यह कार्रवाई तब की थी जब पाकिस्तानी बलों पर एक घातक आतंकी हमला हुआ। इस हमले में एक लेफ्टिनेंट कर्नल और एक कैप्टन सहित सात सैनिक मारे गए।

अगस्त 2021 में अमेरिका के जाने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान में सरकार बना ली। इसके बाद से पाकिस्तान में आतंकवाद की घटनाओं में भारी बढ़ोतरी हुई। इससे इस्लामाबाद की उम्मीदें टूट गईं कि अफगानिस्तान में दोस्ताना सरकार आतंकवाद से निपटने में उसकी मदद करेगी। एक थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज’ की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 2023 में 789 आतंकवादी हमले हुए। आतंकवाद रोधी अभियानों में 1524 लोगों की मौत हुई। जबकि 1463 लोग घायल हुए।