Friday , November 22 2024

विदेश

भारतीय मूल के युवक को 10 साल की कैद, दो गुटों की लड़ाई में था शामिल, एक व्यक्ति की गई थी जान

भारतीय मूल के एक युवक को एक मामले मे एक साल की जेल और 2,000 सिंगापुरी डॉलर का जुर्माना लगाया गया है। 2023 में एक होटल में एक झगड़े में युवक शामिल था, इस झगड़े में एक की व्यक्ति की मौत हो गई थी।

शार्विन जय नायर ने मंगलवार को भारतीय मूल के शर्विन जय नायर को एक मामले में सजा सुनाई गई। यह मामला वर्ष 2023 का है। जहां दो गुटों में एक होटल में लड़ाई हो गई। इस दौरान दूसरे गुट के एक युवक की मौत हो गई। इस मामले में मोहम्मद इसरत इस्माइल को दोषी करार दिया गया। एक ऑर्चर्ड रोड के पर्यटक मोहम्मद इसरत इस्माइल की इस झगड़े में मौत हुई थी। उसने अन्य आरोपों को भी स्वीकार किया। उसे यहां की एक अदालत ने 12 महीने और आठ सप्ताह की जेल की सजा सुनाई। वहीं झगड़े में कथित संलिप्तता के लिए 10 से अधिक लोगों पर आरोप लगाए गए हैं।

इस मामले में एक अन्य भारतीय मूल का व्यक्ति, 29 वर्षीय अस्वैन पचन पिल्लई सुकुमारन भी शामिल है। उस पर भी जिस पर इसरत की हत्या का आरोप है। उप लोक अभियोजक कैथी चू ने कहा कि झगड़े में शामिल दो समूह दो प्रतिद्वंद्वी गुप्त समाजों से संबंधित थे। स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के दोषी पाए जाने वालों को तीन साल तक की जेल या 5,000 सिंगापुर डॉलर तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

यूक्रेन के छेड़े युद्ध में 19 हजार से ज्यादा लोग हताहत, रूस ने कहा- दूसरे की कठपुतली न बने कीव

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को एक साल से ज्यादा वक्त हो चुके हैं। इसी बीच रूस की तरफ से यूक्रेन पर आरोप लगाया गया है कि डोनबास और नोवोरोसिया इलाके में यूक्रेन के छेड़े गए युद्ध में 19 हजार से ज्यादा लोग हताहत हुए हैं। मामले में रूसी विदेश मंत्रालय के राजदूत रोडियन मिरोशनिक ने कहा कि जब तक यूक्रेन अन्य शक्तियों के हाथों की कठपुतली बनना बंद नहीं कर देता, तब तक संघर्ष समाप्त नहीं हो सकता।

‘अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और कूटनीति की हुई दुर्दशा’
मुंबई में रूसी हाउस में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि चल रहे युद्ध के दौरान संघर्षों को हल करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, राजनीतिक और कूटनीतिक तंत्रों का पूरी तरह से दुर्दशा हुई है। उन्होंने कहा, डोनबास और नोवोरोसिया के इलाके में छेड़े गए युद्ध में कुल 19 हजार 300 लोग हताहत हुए हैं। नागरिकों की मृत्यु का आंकड़ा पहले ही 13 हजार से अधिक हो चुका है।

‘दूसरों के हाथों की कठपुतली बनना बंद करे यूक्रेन’
यूक्रेन स्वयं किसी के गलत हाथों में युद्ध छेड़ने का साधन बन गया है। संघर्ष तभी समाप्त हो सकता है जब यूक्रेन दूसरों के हाथों की कठपुतली बनना बंद कर दे और अपने लोगों को वापस मिल जाए। उन्होंने स्पष्ट रूप से पश्चिम देशों का संदर्भ देते हुए कहा कि ये संघर्ष, विशेष रूप से, दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध से अलग है।

‘यूक्रेनी सेना ने नागरिकों पर किया हमला’
रूसी विदेश मंत्रालय के राजदूत रोडियन मिरोशनिक ने आगे आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों में, कीव के सुरक्षा बलों ने नागरिकों पर हमला किया है। इस दौरान मिसाइलों से बाजारों और कैफे जैसे सार्वजनिक स्थानों को निशाना बनाया है। वहीं फरवरी 2022 में, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से ठीक पहले, मॉस्को ने पूर्वी यूक्रेन में विद्रोही रूसी भाषी इलाके डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्रता को मान्यता दी, जिसे डोनबास के नाम से जाना जाता है।

यूक्रेन के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र में कई दिनों से बढ़े तनाव के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ये फैसला लिया। जहां यूक्रेनी सेना रूस समर्थित अलगाववादियों के साथ लगभग आठ साल से संघर्ष कर रही थी।

भारत ने इटली में भारतीय नागरिक की मौत का मुद्दा उठाया, दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग

भारत ने बुधवार को इटली सामने भारतीय नागरिक सतनाम सिंह की मौत का मुद्दा उठाया। इसके साथ ही नई दिल्ली ने उनकी मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। विदेश मंत्रालय के सचिव मुक्तेश परदेशी ने इटली के विदेश मंत्री लुइगी मारिया विगनाली के समक्ष यह मामला उठाया।

परदेशी ने कहा, इटली में भारतीय दूतावास सतनाम सिंह के परिवार के साथ संपर्क में है, ताकि राजनयिक मदद और पार्थिव शरीर को भारत लाया जा सके। भारतीय दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, सचिव मुक्तेश परदेशी ने सतनाम सिंह की मौत के बारे में हमारी गहरी चिंता से इटली के विदेश मंत्री को अवगत कराया और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने को कहा। दूतावास राजनयिक मदद और शवों को भारत भेजने के लिए सतनाम सिंह के परिवार के संपर्क में है।

एफएलएआई सीजीआईएल ट्रेड यूनियन के मुताबिक, एक दुर्घटना के बाद सतनाम सिंह को सड़क पर छोड़ दिया गया था। जिसके बाद उनकी मौत हो गई। ट्रेड यूनियन के मुताबिक, सतनाम सिंह जब एक खेत में काम कर रहे थे, तभी उनका हाथ एक दुर्घटना में अलग हो गया था। नियोक्ता से मदद मिलने के बजाय सतनाम सिंह को उनके घर के पास एक कचरे के बैग की तरह फेंक दिया गया था।

इससे पहले पिछले हफ्ते भारतीय दूतावास ने कहा था कि वह स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है और परिवार से संपर्क करने और दूतावास से मदद प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। दूतावा ने एक्स पर लिखा कि उसे इटली के लैटिना में एक भारतीय नागरिक की दुर्भाग्यपूर्ण मौत की जानकारी है और वह स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है। परिवार से संपर्क करने और दूतावास से मदद के प्रयास जारी हैं।

‘घरेलू नीति पर भारी गाजा नरसंहार का मुद्दा’, डेमोक्रेट मेयर ने हमास युद्ध को लेकर बाइडन पर साधा निशाना

हमास और इस्राइल बीते आठ महीने से जंग लड़ रहे हैं। इस्राइल द्वारा हमास को खत्म करने का संकल्प गाजा पट्टी के लोगों पर भारी पड़ रहा है। गाजा में पैदा हुई मानवीय परिस्थितियों को लेकर दुनिया भर के लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। गाजा में इस्राइल द्वारा की जा रही कार्रवाई को नरसंहार बताया जा रहा है। हालांकि, अमेरिका इस बात से इनकार कर चुका है। अब इसी मुद्दे को लेकर दो साल पहले डियरबॉर्न के पहले मुस्लिम मेयर के रूप में चुने गए अब्दुल्ला हम्मूद ने राष्ट्रपति जो बाइडन पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि गाजा में हुआ नरसंहार घरेलू नीति पर भारी पड़ सकता है।

दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनें ट्रंप
हम्मूद ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘मैं सबसे पहले यह कहना चाहूंगा कि हम डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस में दोबारा निर्वाचित होते नहीं देखना चाहते हैं। मगर लोग प्रेरित होकर आगे आना चाहते हैं।’

डियरबॉर्न की राजनीति पर नजर
बता दें, डियरबॉर्न हेनरी फोर्ड के जन्मस्थान और फोर्ड मोटर कंपनी के मुख्यालय के रूप में प्रसिद्ध डेट्रोइट के उपनगर डियरबॉर्न की जनसंख्या लगभग 110,000 है, जिनमें से 55 प्रतिशत लोग मध्य पूर्वी या उत्तरी अफ्रीकी मूल के हैं। साल 2022 में यहां के मतदाताओं ने बाइडन को भारी समर्थन किया था। इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बाइडन को ही समर्थन मिलेगा।

इस्राइल पर बाइडन की नीति के विरोध में सुर उठाए

हम्मूद जनवरी में उस समय चर्चाओं में आ गए, जब उन्होंने मुस्लिम वोटों को अपनी ओर करने के लिए बाइडन के चुनावी अभियान में लगे लोगों से मिलने के न्योते को ठुकरा दिया था। उसके बाद उन्होंने एक नया अभियान चलाया, जिससे मिशिगन के डेमोक्रेटिक प्राइमरी में 100,000 से अधिक मतदाताओं ने इस्राइल पर बाइडन की नीति के विरोध में सुर उठाए। इस दौरान ग्रीन पार्टी के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार जिल स्टीन ने उनसे पूछा कि क्या वह उनके कार्यकाल में उप राष्ट्रपति बनेंगे।

हम्मूद किसका करेंगे समर्थन?
इसपर हम्मूद ने बताया कि यह प्रस्ताव वाकई बहुत विनम्र करने वाला है। बता दें, मेयर हम्मूद अगले मार्च तक 35 वर्ष की आयु प्राप्त करने की संवैधानिक आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाएंगे। उप राष्ट्रपति पद के लिए वह फिलहाल बहुत युवा हैं। इसके अलावा, जब उनके समर्थन के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी उन्हें नहीं पता वह किसे वोट देने वाले हैं। डियरबॉर्न के मेयर ने कहा, ‘फिलहाल किसी भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार ने मेरा वोट नहीं जीता है।’

लोगों की ये मांगें
दो बच्चों के पिता हम्मूद ने दोनों पार्टियों से आग्रह किया कि वे इस्राइल की कार्रवाइयों के प्रति बढ़ते सार्वजनिक विरोध पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि अगर आप देशभर में उभर रहे सभी मतदान आंकड़ों को देखते हैं तो जिन मुद्दों की हम वकालत कर रहे हैं, जिनके लिए लड़ रहे हैं, वे ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर बड़ी संख्या में लोग बात कर रहे हैं। लोगों की मांग है कि सभी बंधकों और कैदियों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए। इसके अलावा एक स्थायी युद्धविराम, मानवीय सहायता तक आसानी से पहुंच और इस्राइल को हथियारों की आपूर्ति को समाप्त करने की भी मांग की जा रही है।

हिंदुजा परिवार ने सजा के खिलाफ दायर की अपील, बोले- अदालत के फैसले से हैरान हैं

ब्रिटेन के सबसे धनी हिंदुजा परिवार ने शुक्रवार को कहा कि वे परिवार के कुछ सदस्यों के खिलाफ जिनेवा की अदालत के फैसले से हैरान हैं। हिंदुजा परिवार ने घरेलू कामगारों का शोषण करने का दोषी ठहराए जाने वाले अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की है। परिवार के वकीलों ने बताया है कि हिंदुजा परिवार के किसी सदस्य को हिरासत में नहीं लिया गया है।

परिवार के किसी सदस्य को हिरासत में नहीं लिया गया
मामले की सुनवाई के दौरान हिंदुजा परिवार के सदस्यों पर मानव तस्करी के भी आरोप लगे थे, लेकिन उन आरोपों से परिवार को बरी कर दिया गया है। हिंदुजा परिवार की ओर से जारी बयान में उनके वकीलों ने जोर देकर कहा कि ‘उनके मुवक्किल प्रकाश और कमल हिंदुजा, और उनके बेटे अजय और उनकी पत्नी नम्रता को सभी मानव तस्करी के आरोपों से बरी कर दिया गया है। उन्होंने मीडिया की उन खबरों को भी खारिज कर दिया कि जिनेवा की अदालत के फैसले के बाद परिवार के किसी भी सदस्य को हिरासत में लिया जा सकता है।’ अदालत ने परिवार को चारों सदस्यों को चार से साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई है।

‘वादी ने शिकायत वापस ली’
वकील येल हयात और रॉबर्ट असैल और रोमन जॉर्डन द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया है कि ‘हमारे मुवक्किलों को सभी मानव तस्करी के आरोपों से बरी कर दिया गया है। हम न्यायालय में लिए गए फैसले से स्तब्ध और निराश हैं, और हमने निश्चित रूप से उच्च न्यायालय में अपील दायर की है, जिससे निर्णय का यह भाग प्रभावी नहीं रह गया है। स्विस कानून के तहत, सर्वोच्च न्यायाधिकरण द्वारा अंतिम निर्णय लागू होने तक आरोपी को निर्दोष माना जाता है। कुछ मीडिया रिपोर्टों के विपरीत, परिवार के किसी भी सदस्य को हिरासत में नहीं रखा गया है।’ वकीलों ने यह भी बताया कि ‘इस मामले में वादी ने अपनी संबंधित शिकायतें वापस भी ले ली थीं और कहा कि उनका ऐसी कार्यवाही में शामिल होने का कभी इरादा नहीं था। परिवार को न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है और उन्हें विश्वास है कि सच्चाई सामने आएगी।’

हिंदुजा परिवार के सदस्यों पर हैं ये आरोप

गौरतलब है कि हिंदुजा परिवार के सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने अपने जिनेवा स्थित विला पर काम करने वाले घरेलू कर्मचारियों के पासपोर्ट जब्त किए, उन्हें विला से बाहर जाने से रोका और स्विट्जरलैंड में बहुत कम पैसे में बहुत लंबे समय तक काम करने के लिए मजबूर किया। कुछ कर्मचारी कथित तौर पर केवल हिंदी बोलते थे और उन्हें अपने देश में बैंकों में रुपये में वेतन दिया जाता था। हिंदुजा परिवार पर घरेलू कामगारों का शोषण करने का आरोप है। परिवार की कानूनी टीम ने आरोपों का खंडन किया और अदालत को बताया कि कर्मचारियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया गया और उन्हें आवास प्रदान किया गया।

पूर्वी एशिया में बढ़ा तनाव, रूस-उत्तर कोरिया में समझौते के बाद अमेरिकी युद्धपोत पहुंचा दक्षिण कोरिया

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 सालों में पहली बार इस हफ्ते उत्तर कोरिया का दौरा किया और वहां के शासक किम जोंग उन के साथ एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया। इसी बीच शनिवार को परमाणु ऊर्जा से चलने वाला एक अमेरिकी विमानवाहक जहाज थियोडोर रूजवेल्ट दक्षिण कोरिया के बंदरगाह शहर बुसान पहुंचा है।

संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल होगा रूजवेल्ट
दक्षिण कोरिया की नौसेना के मुताबिक ये जहाज इस दक्षिण कोरिया और जापान के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल होगा। बता दें कि अगस्त 2023 में कैंप डेविड शिखर सम्मेलन में तीनों देशों के नेताओं ने वार्षिक सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास आयोजित करने पर सहमति जताई थी, क्योंकि उन्होंने दक्षिण चीन सागर के विवादित जलमार्ग में चीन के खतरनाक और आक्रामक व्यवहार की निंदा की थी।

हाल ही में रूस और उत्तर कोरिया ने किए समझौते
वहीं रूस और उत्तर कोरिया के बीच हुआ रक्षा समझौता कई सालों से एशिया में रूस के सबसे महत्वपूर्ण प्रयासों में से एक था, जिसे किम जोंग उन की तरफ से गठबंधन के रूप में बताया गया। बता दें कि अपनी उत्तर कोरिया यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने द्वितीय विश्व युद्ध में कोरिया को आजाद कराने की जंग में मारे गए रेड आर्मी के सैनिकों के स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह में हिस्सा लिया था। वहीं इस दौरान उत्तर कोरिया ने यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाईयों के लिए देश के दृढ़ समर्थन की सराहना की थी।

सात महीने बाद दक्षिण कोरिया पहुंचा अमेरिकी जहाज

वहीं अगर अमेरिकी जहाज थियोडोर रूजवेल्ट के दक्षिण कोरिया के दौरे की बात करें तो सात महीने बाद किसी अमेरिकी विमानवाहक जहाज की ये पहली यात्रा है। इससे पहले एक अन्य अमेरिकी विमानवाहक जहाज कार्ल विंसन दक्षिण कोरिया की यात्रा पर पहुंचा था। तीनों देशों के बीच होने वाला ये संयुक्त सैन्य अभ्यास चीन के खिलाफ तैयार होने के लिए किया जा रहा है।

‘धर्म को हथियार बनाया जा रहा’, मंत्री ने कुरान की बेअदबी के आरोप में व्यक्ति की हत्या की निंदा की

पाकिस्तान के योजना मंत्री अहसान इकबाल ने स्वात शहर में कुरान की कथित बेअदबी के आरोप में भीड़ द्वारा व्यक्ति की हत्या किए जाने की घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि सड़क पर भीड़ के न्याय को सही ठहराने के लिए धर्म को हथियार बनाया जा रहा है।’डॉन’ अखबार की खबर के मुताबिक, सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमल-एन) पार्टी के नेता इकबाल ने नेशनल असेंबली में बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि भीड़ द्वारा न्याय की इस घटना का कड़ा संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसने पाकिस्तान को बर्बादी के कगार पर ला दिया है।

गोली मारी, शहर में घुमाया, फिर फांसी पर लटकाया
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात शहर में कुरान की कथित बेअदबी के लिए गुस्साई भीड़ ने गुरुवार रात एक पर्यटक की मारकर हत्या की। उसके बाद उसे घसीटते हुए पूरे शहर में घुमाया गया। बाद में उसे सरेआम फांसी पर लटकाया गया।

स्वात घूमने आया था सियालकोट का मुहम्मद इस्माइल
पंजाब प्रांत के सियालकोट निवासी मुहम्मद इस्माइल (40 वर्षीय) स्वात शहर घूमने आया था। उस पर स्वात जिले के मद्यान तहसील में कुरान के पन्ने जलाने का आरोप लगाया गया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के उपसभापति गुलाम मुस्तफा शाह उन्हें रोकते रहे लेकिन इकबाल ने कहा, स्वात में एक और मॉब लिंचिंग हुई है और पाकिस्तान इसके लिए जांच के दायरे में है।

‘संविधान और कानून का उल्लंघन कर रही भीड़’
पीएमएल-एन के महसचिव इकबाल ने आगे कहा कि अगर इस तरह की घटनाएं होती रही तो हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। इकबाल ने सियालकोट, जरांवाला और सरगोधा की हुई घटनाओं का भी जिक्र किया, जहां बेअदबी के लिए आरोपियों को भीड़ ने मार डाला था।

अहसान इकबाल पर 2018 में हुआ था हमला
मंत्री ने 2018 की एक घटना को भी याद किया जब कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के एक समर्थक ने उन्हें गोली मार दी थी। इकबाल ने कहा कि वह इसके लिए शुक्रगुजार हैं कि उन्हें नया जीवन मिला। उन्होंने कहा, हमें इस घटना पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि हमारा देश बर्बादी के कगार पर है। अब हम एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं, जहां हम भीड़ की हिंसा और सड़क पर न्याय को सही ठहराने के लिए धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। देश के संविधान और कानून खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं।

‘विधर्मियों के शवों का भी होना चाहिए सम्मान’
उन्होंने कहा कि इस्लाम के अनुसार विधर्मियों के शवों को भी सम्मान दिया जाना चाहिए। इकबाल ने कहा, भीड़ न केवल लोगों को मार रही है। बल्कि वे शवों को आग लगा रहे हैं और तमाशा बना रहे हैं। यह शर्मनाक है। इकबाल ने यह भी मांग की कि भीड़ के हमलों की इन घटनाओं की जांच के लिए एक समिति बनाई जाए। उन्होंने कहा कि इस्लाम में विधर्मियों के शवों के का भी सम्मान किया जाना चाहिए।

10 दिन बाद ओबीसी कार्यकर्ताओं ने अनशन रोका, कहा- मांग पूरी नहीं तो फिर शुरू करेंगे

महाराष्ट्र में दस दिनों से अनशन पर बैठे दो ओबीसी कार्यकर्ताओं का अनशन सरकारी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद समाप्त किया गया। लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि अनशन फिर से शुरू किया जा सकता है, अगर हमारी मांगों को पूरा नहीं किया गया।दरअसल 13 जून से दो अन्य पिछड़ा वर्ग कार्यकर्ता अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे थे। इनसे पहले मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे जालना में मराठा आरक्षण को लेकर अनशन कर रहे थे। अनशन पर ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हेके और नवनाथ वाघमारे बैठे थे। शनिवार को महाराष्ट्र सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने उनसे मुलाकात की। उन्होंने अनशन समाप्त करने के बाद कहा कि हम अनशन अस्थायी रूप से स्थगित कर रहे हैं, अगर हमारी मांग पूरी नहीं होती तो हम इसे फिर से शुरू करेंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार की मसौदा अधिसूचना पर आपत्तियों के बारे में एक “श्वेत पत्र” जारी किया जाना चाहिए। जिसमें ‘ऋषि-सोयारे’ या मराठों के रिश्तेदारों को कुनबी प्रमाण पत्र देने की बात कही गई है, जिन्होंने पहले ही अपनी कुनबी स्थिति स्थापित कर ली है। बता दें कि कुनबी एक कृषि प्रधान ओबीसी समुदाय है। 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में मंत्री छगन भुजबल, अतुल सावे, गिरीश महाजन, धनंजय मुंडे, उदय सामंत और विधान परिषद सदस्य गोपीचंद पडलकर शामिल थे। खुद एक प्रमुख ओबीसी नेता भुजबल ने बताया कि 29 जून को कोटा मुद्दे पर सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हेक और वाघमारे को आमंत्रित किया गया था।

मुंबई में शुक्रवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा बुलाई गई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि ओबीसी कोटा को कुछ नहीं किया जाएगा। कुछ मराठों को जारी किए गए फर्जी कुनबी प्रमाण पत्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि मनोज जारंगे और उनके सहयोगी मराठों के लिए कुनबी जाति प्रमाण पत्र की मांग कर रहे हैं, इस मांग का ओबीसी नेता विरोध कर रहे हैं। भुजबल ने मराठा समुदाय से ओबीसी दर्जे का दावा करने के बजाय सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अलग से आरक्षण की मांग करने का आग्रह किया। वरिष्ठ एनसीपी नेता का कहना है कि “हमारा हिस्सा मत छीनिए।” उन्होंने कहा कि आरक्षण सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए है, गरीबी उन्मूलन के लिए नहीं।

कुवैत की इमारत में फंसे केरल के दो निवासी, अब तक साफ नहीं हो पाया मृत या जीवित; पढ़ें दोनों की कहानी

केरल के पम्पाडी के रहने वाले स्टेफिन अब्राहम साबू भी हादसे के दौरान कुवैत में काम करते थे। वे उसी इमारत में थे, जिसमें आग लग गई और 49 लोगों की मौत हो गई। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वे जीवित हैं या मृत। लेकिन उनके परिवार में गम का माहौल है। सब दुखी हैं। बता दें, बता दें, 40 मृतक भारत के हैं और इनमें से 24 मृतक केरल के निवासी हैं।

नए मकान में शिफ्ट होने वाले थे साबू
पम्पाडी में साबू परिवार के साथ किराए के मकान में रहते थे। उनके मकान मालिक ने बताया कि साबू मात्र 29 साल का लड़का है। वह बहुत ही मेहनती है। मकान मालिक ने बताया कि वे पिछले 13 साल से किराए के मकान में हैं। अब अगस्त में वे अपने घर में जाने वाले थे। साबू पिछले छह साल से कुवैत में काम कर रहा है। साबू छह माह पहले ही घर आया था। उसने निर्माणाधीन घर के लिए टाइल सहित अन्य सामान भी खरीदा था। दो दिन पहले उसने अपनी मां को फोन किया था और घर के काम के बारे में पूछा था। वह अपने नए घर में जाने को लेकर उत्साहित थे।

मकान मालिक ने आगे बताया कि साबू की शादी भी तय थी। उन्होंने लड़की देख रखी थी। अभी कुछ भी तय नहीं है। उन्होंने लड़की देखी हुई थी। वे उसके लौटने और नए घर में शिफ्ट होने के शादी की योजना बना रहे थे। उन्होंने बताया कि साबू तीन भाइयों में सबसे बड़ा है। बीच वाला भाई भी कुवैत में ही नौकरी करता है और सबसे छोटा भाई इस्राइल में है।

केरल के श्रीहरि भी उसी इमारत में
साबू के अलावा, कोट्टायम का श्रीहरि प्रदीप (27) भी उसी इमारत में रह रहा था, जिसमें आग लगी थी। श्रीहरि के पिता प्रदीप भी कुवैत में रहते हैं। परिवार के एक खास दोस्त ने बताया क श्रीहरि पिछले पांच जून को कुवैत वापस गया था। श्रीहरि कुवैत में एक सुपरमार्केट में काम करता था। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि श्रीहरि की मौत हुई है या फिर वे जीवित है।

शवों की पहचान के लिए कुवैती अधिकारी करा रहे डीएनए टेस्ट
मृतकों के शवों की पहचान के लिए कुवैती अधिकारी डीएनए टेस्ट कर रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय मृतकों के शव को वापस लाने के लिए भारतीय वायुसेना तैयार है । अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना का एक विमान इसके लिए तैयार है। भारतीय विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों पर कुवैत के दौरे पर हैं।

11 महीने बाद आवाजाही के लिए खुला बाल्टीमोर बंदरगाह, मालवाहक जहाज के टकराने से ध्वस्त हुआ था पुल

अमेरिका के प्रमुख बंदरगाहों में से एक बाल्टीमोर में 11 सप्ताह पहले एक मालवाहक जहाज डाली से टकराने की वजह से फ्रांसिस स्कॉट की पुल ढह गया था। इस दौरान कुछ लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद इस रास्ते को मालवाहक जहाजों के साथ साथ आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था। अब खबर आई है कि 11 सप्ताह बाद इस जगह को औपचारिक रूप से आवाजाही के लिए खोल दिया गया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जताई खुशी
26 मार्च 2024 को पटाप्स्को नदी पर मालवाहक जहाज डाली के टकराने से 2.6 किलोमीटर लंबा पुल ढह गया था। उस दौरान जहाज में मौजूद चालक दल में 20 भारतीय और एक श्रीलंकाई नागरिक शामिल थे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि उन्होंने बाल्टीमोर बंदरगाह के पुन: संचालन के लिए अधिकारियों को दिन-रात एक करने को कहा था। दरअसल बाल्टीमोर अमेरिका के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। बाइडन ने यहां काम करने वाले लोगों को धन्यवाद देते हुए हुआ कहा कि अब यह रास्ता सभी तरह के मालवाहक जहाजों के लिए खुल गया है।

‘लगभग 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान’
बाल्टीमोर स्थित सेज पॉलिसी ग्रुप के अर्थशास्त्री अनिर्बान बसु का कहना है कि 26 मार्च को पुल ढहने के बाद से बाल्टीमोर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को लगभग 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। उधर, मैरीलैंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट में बताया गया है कि वर्ष 2023 में बाल्टीमोर बंदरगाह को ऑटोमोबाइल, हल्के ट्रक, कृषि और निर्माण मशीनरी के आयात-निर्यात में पहला स्थान मिला था।