Friday , November 22 2024

विदेश

राष्ट्रपति हर्जोग ने पीएम मोदी की तारीफ की, बोले- हमास हमले की निंदा करने वाले वह पहले नेता

इस्राइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने सात अक्तूबर को हुए हमास के हमले की निंदा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है और इस्राइल सबसे छोटे देशों में से एक। फिर भी हम दोनों पूरी तरह से आधुनिक राष्ट्र हैं, जो दृढ़ लोकतांत्रितक आदर्शों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हम आपस में बहुत कुछ साझा करते हैं।

दरअसल, दिल्ली में मंगलवार को इस्राइल राष्ट्रीय दिवस समारोह का आयोजन किया गया, जिसे इस्राइल के राष्ट्रपति हर्जोग ने वर्चुअली संबोधित किया। उन्होंने कहा, भारत और इस्राइल की साझेदारी मजबूत व्यापार और वाणिज्यिक संबंधों से लेकर सार्थक सांस्कृतिक, शैक्षणिक, तकनीकी और वैज्ञानिक आदान-प्रदान तक है। बेशक, हमारे साझा संबंध संकट के समय में अतिरिक्त अर्थ रखते हैं, लेकिन सात अक्तूबर को हमास द्वारा इस्राइल पर किए गए हमले में हुए नरसंहार की निंदा करने वाले विश्व नेताओं में से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले हैं। वह इतिहास के सही पक्ष पर खड़े रहे। मैं उन्हें तहे दिल से धन्यवाद देता हूं। हर्जोग ने आगे कहा, ‘जैसे-जैसे आपका लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था बढ़ती है, वैश्विक नेतृत्व में आपकी भूमिका बढ़ती है और विस्तारित होती है’ प्रधानमंत्री मोदी के इस तथ्य की हम इस्राइल में सराहना और स्वागत करते हैं।

भारत स्वयं सीमा पार आतंकवाद का शिकार: क्वात्रा
इससे पहले भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा, हम इस्राइल की आजादी के एक और वर्ष को मना रहे हैं, लेकिन हमारा दिल हाल की घटनाओं के बोझ से भारी है। 7 अक्टूबर को हुए आतंकी हमलों ने हम सभी को झकझोर कर रख दिया है भारत स्वयं सीमा पार आतंकवाद का शिकार है और आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति शून्य-सहिष्णुता का दृष्टिकोण रखता है, आतंक के कृत्यों के लिए कोई औचित्य नहीं हो सकता है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं बंधकों और निर्दोष लोगों के परिवारों के साथ हैं।

भारत-फ्रांस सेनाओं का 7वां संयुक्त अभ्यास, आत्मरक्षा और मुश्किल स्थितियों में सहयोग पर किया अभ्यास

मेघालय में भारत और फ्रांस की सेनाओं के बीच शक्ति का 7 वां संयुक्त अभ्यास चल रहा है। अभ्यास के दौरान आत्मरक्षा के लिए पहाड़ों में जीवित रहने का अभ्यास किया जा रहा है। जनसंपर्क अधिकारी रक्षा, गुवाहाटी के अनुसार 13 से 26 मई तक संयुक्त अभ्यास आयोजित होगा। भारत-फ्रांस संयुक्त सैन्य अभ्यास शक्ति का 5 वां संस्करण 13 मई को मेघालय में उमरोई में शुरू हुआ। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य उप-पारंपरिक परिदृश्य में मल्टी डोमेन ऑपरेशंस करने के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है।

उद्घाटन समारोह में भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ और 51 सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल ने प्रतिभाग किया। भारतीय दल के 90 कर्मी जिसमें राजपूत रेजिमेंट की बटालियन और अन्य सैनिक शामिल हैं। भारतीय नौ सेना और भारतीय वायु सेना के पर्यवेक्षक भी अभ्यास का हिस्सा बनेंगे। वहीं फ्रांसीसी दल में 90 13 वीं विदेशी सेना हाफ-ब्रिगेड के कर्मी शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि संयुक्त अभ्यास अर्ध शहरी और पहाड़ी इलाकों में संचालन पर फोकस रहेगा। संयुक्त प्रशिक्षण में उच्च स्तरीय शारीरिक फिटनेस, सामरिक स्तर पर संचालन के लिए अभ्यास और परिष्कृत अभ्यास और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है।

उन्होंने यह भी बताया कि निर्धारित क्षेत्र कब्जा करना, संयुक्त कमान पोस्ट की स्थापना, खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना, एक हेलीपैड, लैंडिंग स्थल की सुरक्षा, छोटी टीमों का प्रवेश और निष्कासन, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन, घेराव और तलाशी ऑपरेशन के अलावा ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम का उपयोग आदि का प्रशिक्षण होगा। शक्ति अभ्यास दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने के लिए रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया जाएगा।

विमान में टर्बुलेंस से हुई मौत और घायलों को लेकर जांच जारी, एयरलाइन बोली- हम कर रहे सहयोग

लंदन से सिंगापुर जा रही सिंगापुर एयरलाइंस की फ्लाइट में खतरनाक टर्बुलेंस के कारण एक यात्री की मौत हो गई। इस टर्बुलेंस के कारण 30 अन्य लोग घायल भी हुए। इस घटना के बाद एयरलाइंस ने बुधवार को बताया कि वह जांच में अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग कर रही है। टर्बुलेंस के कारण 73 वर्षीय ब्रिटिश यात्री जेफ्री किचन की उड़ान के दौरान दिल का दौरा पड़ने से जान चली गई।

बैंकॉक के सुवर्णभूमि एयरपोर्ट के महाप्रबंधक किट्टीपोंग किट्टीकाचोर्न ने इसकी जानकारी दी। 20 मई को लंदन (हीथ्रो) से सिंगापुर के लिए उड़ान भरने वाली सिंगापुर एयरलाइंस (एसआईए) की उड़ान एसक्यू 321 को प्रस्थान के लगभग 10 घंटे बाद 37,000 फीट की ऊंचाई पर इरावदी बेसिन पर अचानक गंभीर टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा। इसके बाद पायलट ने मेडिकल आपातकाल की घोषणा की और विमान को बैंकॉक की ओर मोड़ दिया।

विमान में तीन भारतीय भी शामिल
इस घटना घायल हुए 30 यात्रियों का बैंकॉक के अस्पताल में इलाज जारी है। बोइंग 777-300 ईआर विमान 211 यात्रियों और चालक दल के 18 सदस्यों को लेकर सिंगापुर जा रहा था। इसमें तीन भारतीय भी शामिल हैं। इसके अलावा विमान में ऑस्ट्रेलिया के 56, कनाडा के 2, जर्मनी के 1, भारत के 3, इंडोनेशिया के 2, आइसलैंड के 1, आयरलैंड के 4, इस्राइल के 1, मलेशिया के 16, म्यांमार के 2, न्यूजीलैंड के 23, फिलीपींस के 5, सिंगापुर के 41, दक्षिण कोरिया के 1, स्पेन के 2, यूनाइटेड किंगडम के 47 और संयुक्त राज्य अमेरिका के 4 यात्री सवार थे।

जांच में पूरा सहयोग कर रही एयरलाइन
एसआईए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोह चून फोंग ने कहा कि एयरलाइंस इस घटना की जांच में संबंधित अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग कर रही है। 22 मई को एक राहत उड़ान के माध्यम से सिंगापुर पहुंचे 131 यात्रियों और 12 चालक दल के सदस्यों का उन्होंने चांगी एयरपोर्ट पर स्वागत किया।

एयरलाइन ने पुष्टि की कि 22 मई को एक राहत उड़ान के माध्यम से सिंगापुर पहुंचे 131 यात्रियों और 12 चालक दल के सदस्यों का गोह ने चांगी हवाई अड्डे पर स्वागत किया। अन्य 79 यात्री और चालक दल के छह सदस्य भी बैंकॉक में ही हैं। गोह चून फोंग ने कहा, “एयरलाइंस की तरफ से मैं मृतक के परजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। यात्रा के दौरान यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को परेशानियों का सामना करना पड़ा, इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। हम इस कठिन समय में हर संभव सहायता प्रदान करेंगे।”

भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रोफेसर कुलकर्णी को सम्मानित करेगा अमेरिका, मिलेगा प्रतिष्ठित शॉ पुरस्कार

वॉशिंगटन:  अमेरिका में भारतीय मूल के खगोलशास्त्री प्रोफेसर श्रीनिवास आर कुलकर्णी को प्रतिष्ठित शॉ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। बताया गया है कि प्रोफेसर कुलकर्णी ने मिलीसेकंड पल्सर, गामा किरण विस्फोट, सुपरनोवा और अन्य खगोलीय पिंडों की खोज की है। उन्होंने इन अभूतपूर्व अन्वेषणों के लिए खगोल विज्ञान में शॉ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। श्रीनिवास आर कुलकर्णी कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में भौतिकी, गणित और खगोल विज्ञान विभाग के प्रोफेसर हैं।

इन वैज्ञानिकों को मिलेगा शॉ पुरस्कार
प्रोफेसर कुलकर्णी के अलावा अमेरिका के वैज्ञानिक स्वी ले थीन और स्टुअर्ट ऑर्किन को जीव विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में शॉ पुरस्कार दिया जाएगा। बताया गया है कि वैज्ञानिक पीटर सरनाक को गणितीय विज्ञान में शॉ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

प्रोफेसर कुलकर्णी ने की अभूतपूर्व खोज
शॉ पुरस्कार फाउंडेशन का कहा ‘प्रोफेसर कुलकर्णी ने खगोल विज्ञान में शानदार अन्वेषण किए हैं। आकाश के प्रति उनकी समझ से खगोल विज्ञान के क्षेत्र में नई क्रांति आई है। प्रोफेसर कुलकर्णी और उनके उत्तराधिकारी ज्विकी ने नेतृत्व में पालोमर ट्रांसिएंट फैक्ट्री की संकल्पना और निर्माण किया गया। बता दें पालोमर ट्रांसिएंट फैक्ट्री एक खगोलीय सर्वेक्षण था।
प्रोफेसर कुलकर्णी ने 1978 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से एमएस किया था। इसके बाद उन्होंने 1983 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से पीएचडी की। प्रोफेसर कुलकर्णी वर्ष 2006 से 2018 तक कैलटेक वैधशाला के निदेशक भी रहे।

इन्हें दिया जाता है शॉ पुरस्कार
शॉ पुरस्कार खगोल विज्ञान, जीव विज्ञान और चिकित्सा और गणितीय विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व खाजों के लिए दिया जाता है। इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वैज्ञानिकों को 1.2 मिलियन डॉलर दिए जाते हैं। 12 नवंबर को हांगकांग में इस सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा।

पर्यटक की घड़ी खोई तो भारतीय लड़के ने लौटाई, पुलिस ने ईमानदारी के लिए प्रमाण-पत्र देकर किया सम्मानित

दुबई की पर्यटक पुलिस ने एक भारतीय लड़के को सम्मानित किया। उसने एक घड़ी लौटाई जो उसे अपने पिता के साथ टहलते समय मिली थी। पुलिस ने लड़के को उसकी ईमानदारी और अच्छे फैसले के लिए सम्मानित किया। पुलिस विभाग ने इस जानकारी को सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा किया है। लड़के का नाम मुहम्मद अयान यूनिस है। पुलिस ने एक्स पर लिखा, दुबई पुलिस ने पर्यटक की खोई हुई घड़ी लौटाने के बाद ईमानदारी के लिए बच्चे को सम्मानित किया।

उन्होंने पर्यटक पुलिस विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर खलफान ओबेद अल जल्लाफ, लेफ्टिनेंट कर्नल मुहम्मद अब्दुल रहमान और कैप्टन शहाब अल सादी की एक तस्वीर साझा की, जिसमें लड़के को एक प्रमाण पत्र देते हुए दिखाया गया है। पर्यटक दुबई आया था। उसने अपनी घड़ी खो दी थी। घड़ी खोने के बाद पर्यटक अपने देश के लिए रवाना हो चुका था। हालांकि, दुबई पुलिस ने पर्यटक से संपर्क किया और उसे अपनी घड़ी लौटाई। अपनी घड़ी पाने के बाद पर्यटक ने दुबई पुलिस की कार्रवाई पर संतोष जाहिर किया।

ब्रिगेडियर जल्लाफ ने कहा कि लड़के के व्यवहार यूएई के उच्च नैतिक मानकों को दिखाता है। उन्होंने आगे दूसरों को मोहम्मद अयान यूनिस से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया। लड़के ने पुलिस को घड़ी लौटाने के लिए स्मार्ट पुलिस स्टेशन में उपलब्ध खोया-पाया सेवाओं का इस्तेमाल किया। यह एक ऐसी सुविधा है जिसके जरिए मालिक अपनी खोई हुई संपत्तियों को फिर से पा सकता है।

शी जिनपिंग से मिले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेन युद्ध में समर्थन जुटाने की कोशिश

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने गुरुवार को चीन पहुंचे। वह चाहते हैं कि युक्रेन में चल रहे युद्ध के लिए चीन का समर्थन करे।

अपने इस कार्यकाल में यह पुतिन की पहली विदेश यात्रा है। मार्च में वह पुन: निर्वाचित हुए हैं। लगभग छह माह पहले भी वे चीन गए थे। रूस के राष्ट्रपति दो दिवसीय राजकीय यात्रा के लिए चीन गए थे। यूरोप के तीन देशों के दौरे से पिछले हफ्ते लौटे शी जिनपिंग ने मॉस्को के साथ बीजिंग के संबंधों, सस्ते रूसी ऊर्जा आयात और पावर ऑफ साइबेरिया पाइपलाइन के माध्यम से स्थित गैर शिपमेंट सहित विशाल प्राकृतिक संसाधन तक पहुंचने की आलोचना को खारिज किया।

वहीं रूसी राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि पुतिन की चीन यात्रा चीन-रूस संबंध को बढ़ाना है। हालांकि दोनों ही नेताओं ने स्पष्ट रूप से मित्रता के बारे में बात नहीं की है। उन्होंने बताया कि दोनों ही नेता मुलाकात पर व्यापक साझेदारी और रणनीतिक साझेदारी पर बात करना चाहते हैं। एक ओर चीन यूक्रेन संघर्ष में एक तटस्थ पक्ष होने का दावा करता है। वहीं दूसरी ओर बीजिंग में विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेता “द्विपक्षीय संबंधों, विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग और आम हित के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों” पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

क्रेमलिन ने कहा, दोनों नेता वार्ता के बाद एक संयुक्त घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं, और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के अवसर पर एक शाम में भाग लेंगे।

पुतिन ने अपनी यात्रा से पहले एक साक्षात्कार में यूक्रेन संकट को हल करने में मदद करने के लिए बीजिंग की इच्छा की सराहना की थी। पुतिन चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से भी मिलेंगे। साथ ही व्यापार और निवेश प्रदर्शनी के लिए पूर्वोत्तर शहर हार्बिन की यात्रा करेंगे।

ओमान में भारतीय की मौत पर फूटा परिजनों का गुस्सा, कार्यालय के बाहर शव रखकर मांगा मुआवजा

ओमान में भारतीय नागरिक की मौत के बाद मृतक के परिजनों विरोध प्रदर्शन कर मुआवजे की मांग की है। परिजनों ने शव को एआईएसएटीएस (AISATS) कार्यालय के बाहर रखकर प्रदर्शन किया। बता दें कि 13 मई को ओमान के अस्पताल के आईसीयू में भर्ती एक भारतीय व्यक्ति की मौत हो गई थी। परिवार ने आरोप लगाया था कि अगर एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान रद्द नहीं होती तो उनकी पत्नी अपने पति की मौत से पहले उनसे मिल सकती थी।

एआईएसएटीएस कार्यालय के बाहर शव रखकर प्रदर्शन
परिजनों ने आरोप लगाया कि एयर इंडिया एक्सप्रेस के चालक दल की हड़ताल की वजह से बार बार उड़ानें रद्द की हो रही थीं। इस वजह से मृतक की पत्नी अपने पति से मिलने नहीं जा सकीं। मृतक के ससुर ने दावा किया कि अगर उनकी बेटी को ओमान जाने दिया जाता, तो शायद मौत को रोका जा सकता था। मृतक के शव को केरल लाया गया और इसके तुरंत बाद परिजन शव को एयर इंडिया सेट्स प्राइवेट लिमिटेड (एआईएसएटीएस) के कार्यालय के बाहर पहुंचे। परिजनों ने कार्यालय के बाहर शव रखकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।

‘एयर इंडिया एक्सप्रेस को जवाब देना होगा’
मृतक के सुसर ने आरोप लगाया कि एयरलाइन की उदासीनता की वजह से उनके दामाद की मौत हुई है। उन्होंने मुआवजे की मांग करते हुए कहा कि एयर इंडिया एक्सप्रेस को इस पर जवाब देना होगा। मृतक के ससुर ने कहा ‘एयर इंडिया एक्सप्रेस को मेरी बेटी और मेरे नातियों का ध्यान रखने के लिए हमें मुआवजा देना होगा। जब तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ, मैं यहां से कहीं नहीं जाऊंगा।’ इसके बाद एयर इंडिया एक्सप्रेस के अधिकारी मौके पर पहुंचे और पुलिस की मौजूदगी में परिजनों से बातचीत की। वार्ता के बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त किया गया और शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।

‘किसी की गलती के कारण अस्थायी रूप से हाथ से निकल गया PoJK’; जयशंकर का बिना नाम लिए नेहरू पर तंज

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में महंगाई को लेकर इन दिनों हिंसा जारी है। इसे लेकर भारत में केंद्रीय नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। गृह मंत्री अमित शाह के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा है कि पीओजेके को भारत का हिस्सा बताया है। इस दौरान उन्होंने बिना नाम लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर परोक्ष रूप से निशाना भी साधा। जयशंकर ने एक कार्यक्रम में एक सवाल पर कहा कि पीओजेके भारत का हिस्सा है और किसी की कमजोरी या गलती के कारण यह अस्थायी रूप से हमसे दूर हो गया है। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी यही बात कही थी। पश्चिम बंगाल में एक चुनावी रैली में शाह ने पाकिस्तान को घेरते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत इसे (पीओके) ले लेगा।

जयशंकर ने बिना नाम लिए नेहरू और कांग्रेस पर किया कटाक्ष
दरअसल, ‘विश्वबंधु भारत’ कार्यक्रम में जयशंकर से पूछा गया था कि यदि भारत ‘लक्ष्मण रेखा’ को पार करता है और पीओजेके को भारत संघ में शामिल करता है तो चीन की प्रतिक्रिया क्या होगी? इसका जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा, ‘मैं मुझे विश्वास नहीं है कि ‘लक्ष्मण रेखा’ जैसी कोई चीज है। मुझे लगता है कि पीओजेके भारत का हिस्सा है और किसी की कमजोरी या गलती के कारण यह अस्थायी रूप से हमसे दूर हो गया है।’ आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम इस हिस्से को हासिल करेंगे। साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र में चीन की भागीदारी पर भी बात की। जयशंकर ने कहा कि भारत का पीओजेके पर वैध दावा है, ऐसे में न तो पाकिस्तान और ना ही चीन इस पर अपनी संप्रभुता का दावा कर सकता है।

जयशंकर ने आगे कहा, ‘मैं चीन का राजदूत था, और हम सभी चीन की पिछली हरकतों और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने के बारे में जानते हैं…उनका पुराना इतिहास है। हमने उन्हें बार-बार बताया है कि इस भूमि, पर न तो पाकिस्तान और न ही चीन अपना दावा कर सकता है। यदि इसका कोई संप्रभु दावेदार है तो यह भारत है। आप कब्जा कर रहे हैं, आप वहां निर्माण कर रहे हैं, लेकिन कानूनी स्वामित्व हमारा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 1963 में हुए पाकिस्तान और चीन के बीच के समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि 1963 में, पाकिस्तान और चीन अपनी दोस्ती को आगे बढ़ाने के लिए सहमत हुए। तब पाकिस्तान ने चीन को करीब रखने के लिए, पाकिस्तान के कब्जे वाले लगभग 5,000 किमी क्षेत्र के कुछ हिस्से को चीन को सौंप दिया। उस समझौते में लिखा है कि चीन इस बात का सम्मान करेगा कि यह क्षेत्र पाकिस्तान का है या भारत का। उन्होंने कहा कि कई बार लोग इसी तरह जमीन को हड़प लेते हैं। लेकिन इन मामलों का समाधान किस तरह हो इस पर गौर करने की जरूरत है।

फिल्मी स्टाइल में पुलिस काफिले पर हमला, दो गार्ड्स की हत्या कर कैदी को छुड़ा ले गए हथियारबंद लोग

फ्रांस में पुलिस के काफिले पर हमला कर कैदी को छुड़ाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। फिल्मी स्टाइल में हथियारबंद लोगों ने पहले पुलिस के काफिले पर हमला किया और फिर पुलिस की हिरासत में मौजूद कैदी को छुड़ाकर ले गए। इस हमले में दो गार्ड्स की मौत हुई है और कई अन्य घायल हैं। इस घटना से पूरा फ्रांस स्तब्ध है क्योंकि वहां ऐसी घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं। फिलहाल पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।

घटना को लेकर फ्रांस में गुस्सा
फ्रांस के न्याय मंत्री एरिक ड्युपोंड मोरेत्ती ने बताया घटना उस वक्त घटी, जब एक कैदी को अदालत से जेल में शिफ्ट किया जा रहा था। घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक काले रंग की एसयूवी कार ने पहले पुलिस वाहन में टक्कर मारी उसके बाद दूसरी कार से हथियारबंद लोग उतरे और उन्होंने पुलिस वैन पर फायरिंग शुरू कर दी। अचानक हुए इस हमले में पुलिसकर्मियों को संभलने का मौका नहीं मिला। हमले में दो गार्ड्स की मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद अपराधी कैदी को लेकर फरार हो गए। गौरतलब है कि फ्रांस में इस तरह की घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं। इससे पहले साल 1992 में जेल के एक गार्ड की हत्या हुई थी।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां ने भी घटना की निंदा की और सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी। फ्रांस के न्याय मंत्री मोरेत्ती ने लिखा कि दोषियों को पकड़ने के लिए सबकुछ किया जाएगा। अपराधियों के लिए एक इंसान की जान की कोई कीमत नहीं है। उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और उन्हें दंडित किया जाएगा। फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री ने बताया कि अपराधियों को पकड़ने के लिए सैंकड़ों पुलिसकर्मियों को जांच में लगाया गया है।

डेमोक्रेटिक थिंक टैंक के खिलाफ एकजुट हुए भारतीय संगठन, हिंदू विरोधी कट्टरता को बढ़ावा देने के आरोप

अमेरिका के कई हिंदू संगठन डेमोक्रेटिक थिंक टैंक इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। इन हिंदू संगठनों का आरोप है कि डेमोक्रेटिक थिंक टैंक कथित तौर पर भारतीय अमेरिकी राजनेताओं का विरोध करने वाले लोगों को अपने सम्मेलन में बतौर वक्ता, मेहमान आमंत्रित कर रहा है। दरअसल इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट के दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन ‘डेसिस डिसाइड’ की बुधवार से शुरुआत हो गई।

थिंक टैंक के इस फैसले से हिंदू संगठन नाराज
बीते कुछ वर्षों में थिंक टैंक इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट काफी प्रभावी बनकर उभरा है और यह भारतीय अमेरिकी समुदाय का सबसे प्रभावशाली डेमोक्रेटिक थिंक टैंक माना जाता है। मशहूर भारतीय अमेरिकी दीपक राज इसके सह-संस्थापक और सबसे बड़े दानदाता हैं। हिंदू संगठनों ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि ‘ऐसे लोगों को सम्मेलन में बुलाना, जो सार्वजनिक तौर पर भारतीय अमेरिकी उम्मीदवारों और निर्वाचित अधिकारियों की खुलकर आलोचना कर रहे हैं, उन्हें सम्मेलन में बुलाना बेहद निराशाजनक है।’ हिंदू अमेरिकन नामक संगठन के बोर्ड सदस्य राजीव पंडित का कहना है कि ‘इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट का उद्देश्य अमेरिका में सभी स्तरों पर भारतीय मूल के लोगों की उपस्थिति को बढ़ाना है, लेकिन यह बेहद असमंजस और निराशाजनक बात है कि इस संगठन के प्लेटफॉर्म पर ऐसे लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है, जो खुलकर भारतीय अमेरिकी लोगों का विरोध करते हैं और हिंदू विरोधी कट्टरता को बढ़ावा देते हैं।’

हिंदू संगठनों की इन पैनलिस्टों को लेकर है नाराजगी
हिंदू संगठनों का विरोध पैनल में शामिल दो पैनलिस्टों को लेकर खासकर है, जिनमें इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल की सफा अहमद और हिंदूज फॉर ह्युमन राइट्स की रिया चक्रवर्ती का नाम शामिल है। हालांकि हिंदू संगठनों के आरोपों पर अभी तक इंडियन अमेरिकी इम्पैक्ट की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि भारतीय अमेरिकियों पर जेनोफोबिक होने, दोहरी निष्ठा जैसे आरोप लगाए जाते हैं। कनाडा के प्रोग्रेसिव मुस्लिम्स के अध्यक्ष ताहिर असलम गोरा ने कहा कि ‘यह देखना हैरान करने वाला है कि इम्पैक्ट का डेसिस डिसाइड सम्मेलन भारत की छवि को खराब कर रहा है और ये दिखाना चाह रहा है कि भारत की मौजूदा सरकार मुस्लिमों के प्रति भेदभाव करती है, जबकि मौजूदा सरकार भारत में मुस्लिमों की भलाई के लिए काम कर रही है।’